शुक्रवार, 29 मार्च 2024

वन विकास निगम या महा विनाश निगम गडबड़, घोटाला,भ्रष्टाचार का अडडा बना

 वन विकास निगम या हा विनाश निगम  

गडबड़, घोटाला,भ्रष्टाचार का अडडा बना



अलताफ़ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) विगत दिनों छ्ग राज्य वन विकास निगम के बार नवापार परियोजना मंडल के अंतर्गत रवान के कक्ष क्रमांक 116 के टीपी 02 मे माह 07-05-2023  वित्तीय वर्ष 2022-2023 मे भौतिक विदोहन  कार्य किया गया था जिसमे लगभग 95 अर्थात सौ घन मीटर का पातन किया जाना सुनिश्चित था परंतु रवान के डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने वरिष्ठ अधिकारियों के बगैर अतिरिक्त आदेश पत्र के 95 घन मीटर के स्थान पर दो सौ तीस से उपर घन मीटर अर्थात लक्ष्य से 130 घन मीटर अतिरिक्त विरलन कर दिया गया जब तक मामला उपर पहुंचे उस पर लीपा पोती कर ठंडे बस्ते मे डाल दिया गया क्योंकि गोशवारा और अन्य प्रमाणको,दस्तावेज मे कुछ हस्त लिखित स्थान से मामले को दबाने का प्रयास किया गया अब सवाल यह उठता है कि क्या परिक्षेत्राधिकारी रवान को इसका भान था? बार डिप्टी डी. एम. चित्रा मैडम को इसकी भनक थी ? यदि थी तो इस अधिक विरलन को रोका क्यो नही गया?  क्या इसके पीछे वन विकास निगम के अन्य अधिकारियों की मिली भगत थी ? जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है यदि इतने बड़े पैमाने पर कटाई का हो जाना उस पर लोकेश साहू डिप्टी रेंजर वन विकास निगम के किसी कर्मचारियों पर  कार्यवाही नही किया जाना एक सोची समझी साजिश के तहत लक्ष से अधिक विरलन किया गया है परिणामतः उसी डिप्टी लोकेश साहू एवं अन्य कर्मियों को रवान परिक्षेत्र मे वित्तीय वर्ष 2023-2024 के सागौन विरलन का दायित्व सौंप दिया गया जिसमे हाल ही कक्ष क्रमांक 117/ 118 मे बड़ी संख्या मे पातान किए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है क्योंकि कक्ष क्रमांक 117/के विरलन कार्य मे सागौन की  टॉप A/क्वालिटी की कुल संख्या 261 सहित अन्य मिश्रित प्रजाति की संख्या 295 दर्शाई गई है जिनका कुल योग 556 दर्शाया गया है वही भीतर खोखले वृक्ष की संख्या अधिक है परंतु 100परिपक्व सागौन जो स्वस्थय एवं  लंबाई गुणित ऊँचाई, एवं गोलाई से अधिक मानक की दिखाई दे रही है यही नही बहुत से काष्ठों मे माकिंग, एवं हैमर भी नही दिखाई दे रहा है इससे स्पष्ट ज्ञात हो रहा है कि इस वर्ष2023-2024 मे भी विरलन कार्य मे दाल मे कुछ काला है जबकि उससे दो गुणा अधिक सागौन एवं जलाऊ काष्ठ  चट्टे की संख्या दिखाई दे रही है  वही फलदार पौधे की संख्या 54 है जिसका मूल्यांकन, अनुमति किया जाना मूल वन विभाग से  आवश्यक हो जाता है बता दे कि छ्ग राज्य वन विकास निगम छ्ग शसन से लीज भूमि (किराएदारी) पर सागौन प्लांटेशान कर वनों का विदोहन कर निगम संचालित करती है इसके एवज मे वर्षिकि लाभांश राशि देती है परंतु मूल सागौन की आड़ मे प्रकृति वनों का दोहन कर एक प्रकार से वर्षों से अमानत मे खयानत करती आ रही है


और छ्ग राज्य वन विकास निगम  मूल विभाग से किसी प्रकार की गणना मूल्यांकन,अनुमति अथवा एन ओ सी नही ली जाती है तथा मनमाने तरीका से मूल सागौन के अलावा प्राकृतिक रूप से वनों की शोभा बढाने वाले सभी मिश्रित प्रजाति के वृक्षों का विरलन कर छ्ग वन विकास निगम द्वारा आर्थिक लाभ वर्षो से उठाया जा रहा है तथा मूल वन को नष्ट किया जा रहा है  ज्ञात हुआ है कि लोकसभा चुनाव पश्चात बार नवापारा अभ्यारणय का विस्तार प्रस्तावित है जिसमे तीन ग्राम को व्यवस्थापन किया जान साथ ही वन विकास निगम को बार परियोजना मंडल से पृथक अन्यन्त्र  किए जाने की चर्चा हो रही है इसका लाभ उठाते हुए निगम कर्मचारी यथा संभव रवान परिक्षेत्र से लक्ष्य से अधिक सागौन सहित अन्य काष्ठों का पातन कर पूरा लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है ऐसी चर्चा जोरों पर है यदि आर टी आई मे प्रगति प्रतिवेदन निकासी पंजी निकाला जाए तो बहुत से कटाई के प्रकरण  सामने आएंगे जिसमे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा क्योंकि 95 घन मीटर से अधिक दो सौ तैतीस  घन मीटर अर्थात सौ घन मीटर से अधिक एक सौ तैतीस घन मीटर अधिक का विरलन करना कोई भूल चूक त्रुटि वश नही हो सकता वह डी एम एवं डिप्टी डी.एम. परिक्षेत्राधिकारी बार नवापारा परियोजना मंडल की जानकारी  के बगैर संभव नही है परंतु इतना संवेदन शील मामला होने के बावजूद छ्ग राज्य वन विकास निगम के आला अधिकारी के सिर मे जूं तक नही रेंगी और ना ही डिप्टी रेंजर लोकेश साहू एवं अन्य संलिप्त अधिकारी पर कोई विभागीय कार्यवाही नही हुई बल्कि उसे ही बार परियोजना मंडल के रवान परिक्षेत्र मे कक्ष क्रमांक 117/118/ वित्तीय वर्ष 2023/2024 के पातन कार्य का उत्तर दायित्व सौंप दिया गया स्वभाविक है उसके द्वारा पुनः क्षेत्र मे गड़बड़ घोटाला करने मे किसी प्रकार का गुरेज नही करेगा तथा भ्रष्टाचार का यह खेल अनवरत जारी रहेगा  हालांकि सौ घन मीटर के स्थान पर एक सौ तैतीस घन मीटर अतिरिक्त सागौन विरलन  काष्ठ का वन विकास निगम ने कोडार काष्ठागार मे क्या किया यह भी लगातार सवाल उठाया जा रहा है क्योंकि गणना और लगभग 13 ट्रैक्टर परिवहन कर 133 घन मीटर क्षमता से अधिक सागौन काष्ठ उसकी भी नीलामी गत चालू वित्त वर्ष मे की गई होगी फिर उसकी अर्जित आय की राशि कहाँ गया यह विचारणीय पहलू है ? 


आरंग पारिक्षेत्र के रेंजर युवराज देवांगन द्वारा जनवरी माह 2024 मे राष्ट्रीय वृक्ष साल काटने के उद्देश्य से लोहारडीह ग्राम के एक व्यक्ति को पकड़ा जिसका  बाजार मूल्य लगभग  80 हजार से एक लाख बताया गया था परंतु आरंग रेंजर युवराज देवांगन् ने मात्र दस हजार रू. फाइन लगा कर उसे छोड़ दिया गया यही नही इस संदर्भ मे भी कोई वैधानिक कार्यवाही नही की गई बताते चले कि छ्ग राज्य वन विकास निगम मे लगभग नौ परियोजना मंडल है जहां बार और पानाबरस परियोजना मंडल के काष्ठागार मे वार्षिकी बारह माह यानी प्रति माह नीलामी निविदा बुलाई जाती है जिसमे नागपुर, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से बिचौलिए ठेकेदार बड़ी मात्रा मे उपस्थिति होते है तथा तीन से सात करोड की नीलामी होती है जो औसतन पांच करोड़ रुपये  प्रति माह मानी जाती है उस हिसाब से बारह माह मे एक परियोजना मंडल बार मे ही पचास से साठ करोड़ रुपये आय अर्जित करती है यही स्थिति पानाबरस परियोजना मंडल की भी है उक्त हिसाब से दो ही परियोजना मंडल मे लगभग सौ करोड़ से लेकर एक सौ बीस करोड़ तक आय प्राप्त करती है उस हिसाब से सात अन्य परियोजना मंडल जिनमे कोटा पंडरीया,अंतागढ़ जगदलपुर जैसे काष्ठागार मे छोटे बड़े नीलामी से दो सौ करोड़ से उपर अतिरिक्त आय बड़ी सहजता से मिला जाता है लगभग कुल तीन सौ  करोड़ उपर वन विकास निगम की वार्षीकि आय आना आंका जा रहा है जिसमे आई पी डी योजना, सहित रेलवे एवं अन्य शासकीय सैक्टर मे पथ रोपण पलांटेशन से अतिरिक्त आय प्राप्त हो जाता है जिसका भुगतान नगद कैश मिलता है फिर भी तीन सौ करोड़ से उपर  वार्षिकि आय वाले छ्ग राज्य वन विकास निगम बजट का रोना रोते रहता है एक जानकारी मे अनुमानित व्यय जिसमे सौ करोड़ रुपये  आठ सौ से हजार दैनिक वेतनभोगी,रेग्युलर,अनुकंपा कर्मचरियो को वेतन मान देय प्रदाय करता है वही रोपण प्लांटेशन  सहित अन्य विभागीय कार्य मे सौ करोड़ वहन किया जाता होगा शेष  सौ करोड़ से उपर की राशि जाती कहां है? या सिर्फ कमीशन खोरी, और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है ?  जो अब भी आम जन के लिए विचारणीय पहलू है वही सवा दो करोड़ की लाभांश राशि राज्य शासन को भेंट की जाती है जो...उंट के मुँह मे ज़ीरा... के समान लगता है जबकि निजी संस्थान का कथन है कि यदि वन विकास निगम निजी हाथों मे दे दिया जाए तो उससे चार गुणा अधिक राज्य शासन को लाभांश राशि प्रदान कर सकते है मगर यहाँ तो गड़बड़ घोटाला, भ्रष्टाचार, कमीशन खोरी जैसे खून का ऐसा मुँह लगा हुआ है कि वरिष्ठ से कनिष्ठ, और फॉरेस्ट गार्ड तक के वन कर्मी भ्रष्टाचार मे आकंठ डूबे हुए है यही वजह है कि छ्ग राज्य वन विकास निगम  मे कभी भी ट्रांसफर, तबादले अन्य स्थानों पर नही होते या विशेष परिस्थितियों मे  ही भेजे जाते है जबकि देखा यह जा रहा हौ कि 15 से 35 वर्षों से एक ही स्थान मे निगम  कर्मी अपना जीवन यापन कर चुके है इसका मूल कारण है कि पैतृक ग्राम क्षेत्र के वनों को वे भली भांति समझते है तथा सभी गड़बड़ घोटाले भ्राष्टचार करने मे आसानी और सहजता महसूस होती है यही वजह है कि वन विकास निगम मुख्यालय मे कुंडली मार कर बैठे भोजराज जैन बहुत से कार्यों का निष्पदन यही कर देते है यदि किसी कर्मचारियों का प्रमोशन, या क्रमोन्नति, ट्रांसफर, होता है तो वे उपर रुपये देकर अपने गृह ग्राम क्षेत्र मे अपनी मन माफिक नियुक्ति करवा कर अपना जीवन यापन बड़े मजे से करते है इसके दुष्परिणाम यह होता है कि बहुत से कर्मचारी वानिकी एवं अन्य कार्यों से अनभिज्ञ एवं शून्य रहते है उनके कार्य शैली की क्षमता सुस्त एवं नगण्य हो जाती है फिल्ड के करीब रहने से रोपित सागौन प्लांटेशन की देख रेखा सुरक्षा नही हो पाती, लगातार चोरी बढ़ जाती है जिसका ताजा तरीन उदाहरण स्थानीय क्षेत्र मे रहने के कारण लोकेश साहू जैसे डिप्टी कर्मचारी भ्राष्टाचार करने मे कोई गुरेज नही करते और सघन वनों का सफाया बड़ी आसानी से करते रहते है मजे की बात यह है कि ऐसे संवेदनशील टार्गेट से अधिक कटाई पर विभाग का डंडा भी नही चलता इसका आशय यह है कि.....सैंय्या भयो कोतवाल...तो अब डर  काहे का....वाली उक्ति चरितार्थ होते नजर आती है 


क्योंकि वन  विकास निगम मे बड़े से बड़ा भ्रष्टाचार हो या घृणित कार्य मे लिप्त कर्मी हो उन्हे पूरे सम्मान के साथ सेवा कार्य मे रखा जाता है जैसे बड़े बड़े घोटाले हुए मगर ले दे कर मामला सुलटा लिया जाता है एक साक्षात उदाहरण जागृत देवांगन् को ही ले लिया जाए जो होटल मे वेश्याओं के  साथ रंगे हाथों पकडा गया तीन माह जेल की हवा खाई विभागीय छिछालेदर होने पर साल भर कार्य से पृथक रखा गया परंतु उसे पुनः वन विकास निगम  बार परियोजना मंडल कार्यालय मे बहाल कर दिया गया सवाल उठता है कि गंभीर अपराध मे संलिप्त जागृत देवांगन् को किस आधार पर  उसे महिमा मंडित कर बहाल किया गया उसकी नियुक्ति को लेकर भी बहुत से सवाल उठाया जा रहा है कि  उस के कृत्य को छुपाने जागृत देवांगन् पर विभाग किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जा रही है



 उसी के समान बिलासपुर कोटा पंडरीया के श्री हरि पर भी नौकरी लगाने के नाम पर दैहिक शोषण का आरोप लग चुका है रायपुर मे भी ऐसे ही एक कर्मचारी का नाम आ चुका है पाना बरस के  राहुल शुक्ला द्वारा भी नौकरी लगाने के नाम पर लाखों रुपये गबन कर चुका है जिसके नाम की प्राथमिक रिपोर्ट बिलासपुर मे दर्ज है कथन आशय यह है कि सारे जरायम  पेशा कर्मचारियों का पनाहगाह छग राज्य वन विकास निगम बन गया है?इन पर कभी ठोस कार्यवाही होगी अथवा नही ? यदि इसी प्रकार की ढुल मूल नीति रही तो बहुत से निगम कर्मचारी इसी प्रकार के छोटे बड़े अपराध मे संलिप्त रहते हुए बेखौफ कार्यों का निष्पादन करते रहेंगे यही वजह है कि रेगुलर  और अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारी मनमाने तरीके से कार्यों को अंजाम दे रहे है वही आधे से अधिक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी  जिनमे कई तो सेवा निवृत हो चुके है और कई आज भी वर्षों से अपने नियमितिकारण की राह देख रहे है परंतु वन विकास निगम इस ओर कोई सार्थक कदम नही उठा पाया कुछ कर्मियों का कथन है कि अरबों रुपये की आय यही अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ही देते है इसके एवज मे छ्ग वन विकास निगम  को भ्रष्टाचार और गड़बड़ घोटाला करने मे फुर्सत ही नही है और तुर्रा इस बात का है कि उन्हे वेतन देने मे राशि नही तो फिर अरबों की राशि आती है तो फिर जाती कहाँ है यह सवाल प्रत्येक दैनिक  वेतन भोगी कर्मचरियों के समक्ष सुरसा की भाँति मुह फाड़े पूछ रहा है?इसका जवाब वन विकास निगम को देना तो बनता है. 

रविवार, 17 मार्च 2024

हरे पेड़ के काष्ठ से निकलते धुंएँ का काला भट्टा

 हरे पेड़ के काष्ठ से निकलते धुंएँ का काला भट्टा


अलताफ हुसैन 

फॉरेस्ट क्राइम  न्यूज़

रायपुर वन मंडल रायपुर के अंतर्गत क्षेत्र भर मे बाबुल,कहुवा,बेर,अर्जुन सहित अनेक मिश्रित प्रजाति के परिपक्व हरे भरे पेड़ पौधों का विनाश काष्ठ तस्करों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है तथा ऐसे परिपक्व इमारती कष्ठों का उपयोग किसी फार्निचर या जन उपयोगी सामाग्री निर्माण के लिए नही बल्कि कुछ निजी आर्थिक  लाभ उठाने के लिए उपयोग किया जा रहा है क्षेत्र मे जलाऊ चट्टा के नाम पर बेचे जाने वाले आड़े तिरछे लकड़ी की आड़ मे परिपक्व   बड़े बोल्ड काष्ठों को धुँवा धूसरित कर काले कोयला के भट्टे मे झोंक दिया जा रहा है इसके एवज मे दो चार हजार रुपये देकर पानी के मोल कौडियों मे ट्रैक्टर से भरे काष्ठों का निर्बाध गति से परिवहन हो रहा है मजे की बात यह है कि रायपुर वन मंडल क्षेत्र मे लगभग आधा दर्जन भट्टे अवैध रूप से संचालित हो रहे है मगर रायपुर वन मंडल के अधिकारी, कर्मचारी मौन रूप धारण कर आँख बंद कर तमाशा देख रहे है जिसकी वजह से रायपुर वन मंडल अंतर्गत काष्ठ तस्करों द्वारा हरे भरे पेडों का लगातार विरलन कर धुंआ उगलते काले कोयला भट्टी का यह अवैध कारोबार बड़ी तेजी से क्षेत्र मे फल फूल रहा है 

        इस संदर्भ मे फॉरेस्ट क्रइम न्यूज़ ने रायपुर क्षेत्र मे चार से छ स्थानों पर कोयला भट्टी मे जाकर पडताल किया गया जहा आसपास ग्रामीणों से ज्ञात करने पर कुछ लोगों से जानकारी ली तब बताया गया कि  कोयला भट्टा संचालको ने अब तक  किसी प्रकार का वन विभाग से लाइसेंस नही लिया गया है और न ही लगातार निकलते लकड़ी के धुआँ के गुबार की रोक थाम के लिए पर्यावरण विभाग से  कोई एनओसी नही लिया गया यही नही अवैध रुप से काष्ठों  का लेखा जोखा भी नही है क्योंकि क्षेत्र से काष्ठ तस्करों द्वारा सैकड़ों ट्रैक्टर ट्राली अवैध काष्ठों का परिवहन बदस्तुर् जारी है मगर उनके पास भी कटाई का कोई लाइसेंस अथवा वन विभाग से टी. पी. जारी नही किया गया तब ऐसी परिस्थिति मे टनों से ट्रैक्टर ट्राली से अवैध काष्ठ का परिवहन  कोयला भट्टी मे कहाँ से पहुँच रहा है और लगातार रात दिन सभी मिश्रित प्रजाति के काष्ठ स्वाहा कैसे किया जा रहा है इस संदर्भ मे बताया जाता है कि कोयला निर्माण पश्चात ईधन के रूप मे किलो कि दर पर स्थानीय बाजार सहित अन्य क्षेत्र मे विक्रय किया जाता है जिसकी आया लाखों मे बताई गई है जबकि बताते है कि कोयला व्यवसायी काष्ठ माफियाओं से  सांठ गांठ कर कम दर पर जलाऊ चट्टा और परिपक्व बट्टा के मिले जूले काष्ठ कि तस्करी कर भट्टी मे कोयला निर्माण कर लाखों रुपये का व्यवसाय कर रहे है वर्तमान  मे इसका खुदरा बिक्री 40 से 50 रुपये प्रति किलो भट्टे का कोयला बिक रहा है तथा  वन क्षेत्रों का दोहन कर वन विभाग के राजस्व की क्षति पहुंच कर वनों को खोखला कर रहे है ग्राम फरफौद, सेजा, बोहरही मेला, तिल्दा,बैकुठ, सहित बहुत से क्षेत्र मे बगैर वन विभाग से लाइसेंस, और पर्यावरण विभाग से एन ओ सी लिए बगैर काटे गए लकड़ी पहुंचकर अवैध कोयला भट्टा संचालित हो रहा है इसके अवैध कोयला संचालन के पीछे वही कुछ भट्टा व्यपारी रसुख दारों से सेवाएं ले रहे है जिनमे आसपास के सफेद पोश छुट भैय्या नेता, विभाग के कर्मी और चैनल के पत्रकार से मिल कर उनका परिचय होने की बात बता कर पहुँच बता रहे है एक प्रकार से उनके संरक्षण मे गोरे लोगो का काला धंधे का  व्यापार चल रहा है 

    बताते चले  कि राज्य शासन लाखों करोड़ों रुपये कि लागत लगा कर प्रदेश को हरा भरा बनाने प्लांटेशान करता है ताकि हरियाली  बढ़ा कर  प्रदूषण से लोगों को राहत दे परंतु ऐसे हरित क्रति के दुश्मन अपने निजी अर्थ व्यवस्था का लाभ उठाने हरियाली को नेस्त नाबूत करने तुले हुए है ऐसे मे प्रदेश मे हरियाली की परिकल्पना करना भी बेमायनी होगी

शुक्रवार, 8 मार्च 2024

हाड़ाबांध के ग्रामीण किसान वृक्ष मित्र योजना से बदल रहे तकदीर

 हाड़ाबांध के ग्रामीण किसान वृक्ष मित्र योजना से बदल रहे तकदीर  


अलताफ़ हुसैन

रायपुर (छ्ग वनोदय पत्रिका)  घटते वन बढ़ते प्रदूषण असंतुलित जलवायु वातावरण एवं परिवर्तित होते  ऋतु की मार से ग्लोबल वार्मिंग ने  विश्व मे होने वाली प्राकृतिक आपदा संकट और सुरक्षा के दृष्टिकोण से छ्ग  प्रदेश का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग नाना प्रकार के जतन कर हरियाली लाने का प्रयास कर रहा है इसके लिए प्रदेश भर के रिक्त पड़त भाटा बंजर भूमि मे हरे भरे पेड़ पौधों का प्लांटेशन कर हरियर छ्ग योजना के तहत हरित क्रांति लाने सदैव प्रयास रत रहा है वही पूर्ववर्ती सरकार जल संरक्षण के उद्देश्य से  वन क्षेत्रों मे नरवा जैसी योजनाओं के मध्यम से वर्षा ऋतु के व्यर्थ जल को स्टॉप डेम,चेक डेम का निर्माण कर जल संकलित कर वनों एवं कृषकों के फसल मे नमी युक्त वातावरण निर्मित करने का प्रयास किया था वहीं आम जन के स्वास्थ की चिंता करते हुए प्रदूषण मुक्त माहौल के दृष्टिकोण  से ग्रामीण क्षेत्र के रिक्त भू खंडों नगर परिषद,पालिकाओं पंचायतों के आसपास क्षेत्र मे धार्मिक आस्था से जुड़े पेड़ पौधों का निर्माण कर आकर्षक हरियाली युक्त खुशनुमा कृष्ण कुंज का निर्माण कर स्वच्छ, एवं स्वस्थ्य वर्धक वातावरण निर्मित किया गया इसी शृंखला मे पूर्ववर्ती सरकार ने वन क्षेत्रों का रकबा बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्य मंत्री वृक्ष संपदा योजना का शुभारंभ किया गया था जो वर्तमान मुख्य मंत्री श्री विष्णु देव साय ने उक्त योजना किसान वृक्ष मित्र योजना के नाम से प्रारंभ किया गया जो प्रदेश भर के किसानो के लिए वरदान साबित हो रहा है साथ ही इसके आशातीत सफलतम परिणाम भी परिलक्षित हो रहे है 


  वित्तीय वर्ष 2022-2023 मे उक्त किसान वृक्ष मित्र योजना के प्रारंभिक चरण मे लाभार्थी कृषक काफी असमंजस की स्थिति मे थे कि खेत खलिहानो मे किसान वृक्ष मित्र योजना से किस प्रकार लाभान्वित होंगे परंतु वन विभाग के प्रशिक्षित सिद्ध हस्त अनुभवी वन कर्मीयों द्वारा किसान वृक्ष मित्र योजना और इसके भविष्य मे होने वाले लाभ को प्रशिक्षण के मध्यम से कृषको को समझाया तब बहुत से हितग्राही कृषक अपने खेतों मे बहुत से इमारती वृक्ष,सगौन, बांस, चंदन,इत्यादि का रोपण किया जिसके एक ही वर्ष मे  सार्थक परिणाम सामने आने लगे है इस संदर्भ मे महासमुंद के युवा उर्जावान वन मंडलाधिकारी पंकज राजपूत बताते है कि किसान वृक्ष मित्र योजना का लाभ उन कृषकों को प्राप्त होगा जो अपनी निजी भूमि का सही मुल्यांकन कर शासन की उक्त योजना का लाभ उठा रहे है तथा टेशू कल्चर सगौन रोपण सहित बांस, चंदन नीलगिरी जैसे भिन्न भिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण कर लाभान्वित हो रहे है रोपण एक वर्ष मे अच्छा ग्रोथ कर रहे है महासमुंद डी.एफ.ओ.पंकज राजपुत आगे बताते है कि किसान वृक्ष मित्र योजना का समुचित लाभ हितग्राही कृषक आने वाले पांच,से दस पंद्रह वर्ष पश्चात भविष्य निधि के रूप मे उठा सकेंगे महासमुंद डीएफओ. राजपूत आगे बताते है इसके लिए वन एवं जलवायु,परिवर्तन विभाग सभी प्रकार के वित्तीय सहयोग सामाग्री  सुविधाए उपलब्ध करा रही है जिसमे बीज से  लेकर पेड़ पौधे,रोपण यहाँ तक उपचार निंदाई गुड़ाई कार्य तक दो वर्षों तक वितीय सहयोग सीधे बैंक खाते के मध्यम से हितग्राहियों को प्रदान कर रही है केवल उन्हे स्वयं की भूमि एवं रोपित पौधों की, सिंचाई, सुरक्षा देखरेख  इत्यादि की ही सुविधा उपलब्ध करानी है इसमें वन विभाग को क्या लाभ मिलेगा पूछने पर महासमुंद डी.एफ.ओ.पंकज राजपूत  बताते है कि आने वाले पांच,से दस,पंद्रह वर्षों पश्चात कृषकों को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा इसके लिए, सगौन, बांस सहित अन्य रोपित उपज के लिए वन विभाग बाजार भी उपलब्ध कराएगी जिसके लिए समर्थन मूल्य में काष्ठ क्रय कर विभाग अंतर लाभांश का अंश लाभ पश्चात शत प्रतिशत राशि तत्कालिक बाजार मूल्य का लाभ हितग्राहियों को उनके सीधे बैंक खाते मे डाली जाएगी बताया जा रहा है कि इसके लिए कुछ कंपनी से एम ओ यू भी किया जा चुका है  महासमुंद वन मंडलाधिकारि पंकज राजपूत आगे बताते है कि वन विभाग की मंशा यह है कि वनों का रकबा और क्षेत्रफल मे इजाफा हो वन क्षेत्र का अस्तित्व विस्तारित हो उन्होंने बताया वन मंडल महासमुंद सहित प्रदेश भर मे जगह जगह किये जा रहे प्लांटेशन,नगर वन, कृष्ण कुंज, बिगड़े वनों का सुधार किसान वृक्ष मित्र योजना इसी का एक उदाहरण प्रारूप है जिससे वन क्षेत्र मे वृद्धि एवं हरियाली के साथ प्रदूषण मुक्त जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग से लड़कर परिवर्तित होते असंतुलित वातावरण को संतुलन किया जा सके


वही महासमुंद के अनुभवी एस.डी.ओ. वाहिद खान साहब बताते है कि महासमुंद वन मंडल क्षेत्र जो सर्वाधिक प्रदेश का सबसे बड़ा वन मंडल क्षेत्र है जहां पर किसान वृक्ष मित्र योजना का बेहतर परिणाम सामने आए है इसे देखते हुए वन मुख्यालय के अंतर्गत संपूर्ण प्रदेश मुख्यालय मे विगत एक वर्षों मे योजना लाभ का लक्ष्य लगभग तीन लाख चार सौ तिरसठ पेड़ लगाए गए है जिसकी वर्तमान स्थित अस्सी प्रतिशत अर्थात संतोष जनक है यह स्थिति मई 2024 मे और वृद्धि होने की संभावना व्यक्त की गई है महासमुंद उप वनमंडलाधिकारी वहिद खान आगे बताते है कि सभी सागौन,एवं अन्य पौधे अनुसंधान विस्तार लैब मे टेशू कल्चर के मध्यम से आधुनिक पद्धति से उगाए गए पौधे है जिसका ग्रोथ  समान्य प्राकृतिक पौधों की तुलना मे बड़ी तेजी के साथ कम समय मे बढ़त बनाए रखता है यही वजह है कि रोपित पौधे वर्तमान समय मे जीवित और स्वस्थ्य स्थिति मे है और लगातार ग्रोथ कर रहे है इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी ऊँचाई दस से बारह फिट ऊँची पहुँच चुकी है  महासमुंद् उपवन  मंडलाधिकारी वहीद खान  आगे बताते है कि किसान वृक्ष मित्र योजना का लाभ आस पास के ग्रामीण लगातार उठा रहे है वित्तीय वर्ष 2023-2024 मे आम हितग्राही स्वमेव विभाग कर्मियों से संपर्क कर किसान वृक्ष मित्र योजना का लाभ उठाने पंजीयन करवा रहे है वन मंडल महासमुंद क्षेत्र मे इसका ग्राफ लगातार बढ़ रहा है बागबाहरा परिक्षेत्र अंतर्गत खल्लारी परिवृत के हाड़ा बंध के बहुत से ग्रामीण शासन के इस किसान वृक्ष मित्र योजना से लाभांवित हो रहे है


इस संदर्भ मे बाग़बाहरा परक्षेत्र के संवेदन शील ऊर्जवान कर्तव्य निष्ठ, समर्पित,समभाव,जीवट एवं जुझारू प्रवृत्ति के परिक्षेत्राधिकारी लोक नाथ ध्रुव बताते है कि बागबाहरा परक्षेत्र के खल्लारी परिवृत् हाड़ाबंध ग्रमीणों कि तकदीर बदल रही है वहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है बांस, नीलगिरी, के पौधे लगातार ग्रोथ कर रहे है वही चंदन की स्थिति तनिक नाजुक है संभवतः वहाँ की मिट्टी जलवायु, वातावरण उसके अनुकूल नही होना बताया जा रहा है बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी लोक नाथ ध्रुव बताते है कि बागबाहरा खल्लारी परिवृत् के हाड़ाबंध ग्राम क्षेत्र मे 155 हितग्राही उक्त योजना का लाभ उठा रहे है कुल 3.13 हेक्टेयर में लक्ष्य प्राप्ति है वही बहुत से कृषक हितग्राही योजना का  लाभ उठाने प्रयासरत है किसान वृक्ष मित्र योजना के बागबाहरा, खल्लारी परिवृत मे सफलतम रोपण के संदर्भ मे परिक्षेत्राधिकारी श्री ध्रुव बताते है कि उपजाऊ मिट्टी एवं पहाड़ी क्षेत्र मे ढलानी क्षेत्र होने के कारण खेत मे बारह मासी  नमी बनी रहती है जिसके बेहतर परिणाम परिलक्षित हो रहे है तथा सभी रोपित पौधे स्वस्थ्य एवं ग्रोथ कर रहे है 


बागबाहरा रेंजर लोकनाथ ध्रुव बताते है कि वन विभाग का लक्ष्य वन क्षेत्रों को हरा भरा बनाना है इसके लिए जन भागीदारी सुनिश्चित कर खेत खलिहान  जो फसल पश्चात पूरी तरह सपाट चटियल  मैदानी क्षेत्र नज़र आता है छ्ग राज्य शासन ऐसी किसान वृक्ष मित्र योजना का सफल क्रियान्वयन लागू कर सपाट होते खेत खलियानो मे हरियाली विस्तार के साथ आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे  परिक्षेत्राधिकारी श्री ध्रुव आगे बताते है 



कि किसान वृक्ष मित्र योजना का सफल क्रियान्वयन के पीछे महासमुंद डी एफ ओ पंकज राजपूत, उप वन मंडलाधिकारि वहिद खान का बहुत बड़ा योगदान रहा है जो समय समय पर वन कर्मचारियों और हितग्राहियों के खेतो मे जाकर दिशा निर्देश देकर मॉनिटरिंग करते रहे है वही मैदानी अमलो मे  खल्लारी परिवृत के काष्ठागार प्रभारी डिप्टी नरेंद्र चंद्राकर,पूरी तनम्यता से लगातार हाड़ाबंध के कृषकों से संपर्क कर योजना को सफल बनाने मे पूर्ण योगदान दिया