गुरुवार, 7 नवंबर 2024

छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका का प्रकाशन

 छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका का प्रकाशन 

रयपुर  छ्ग प्रदेश के वन बाहुल क्षेत्र एवं वन विकास निगम पर केंद्रित विकास पूर्ण तथ्य एवं सत्य परक योजनाओं पर केंद्रित एक मात्र बहुरंगी पत्रिका  छत्तीसगढ़ वनोदय का आज नियमित प्रकाशन किया गया जिसमे वन क्षेत्रों के समसायियक विषय को लेकर प्रकाशन किया गया जिनमे मुख्यतः हाल ही संपादित हुए 27वीं खेल कूद प्रतियोगिता के अलावा अव्वल दर्जे का बागबाहरा खुर्द नर्सरी महासमुंद वन मंडल का हाईटेक नर्सरी,बार अभ्यरणय मे वन भैसें के रहवास, कोंडागाँव परिक्षेत्र एवं माना परिवृत् का कृष्ण कुंज, सहित खैरागढ़ वन वृत क्षेत्र का मृदा भु जल  संरक्षण, वन विकास निगम द्वारा कराए गए प्लांटेशन सहित बहुत से अन्य बहुरंगी पठनीय सामाग्री का प्रमुखता के साथ समावेश कर प्रकाशन किया गया


ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ वनोदय त्रैमासिक पत्रिका वन एवं वन विकास निगम  का एक मात्र पत्रिका है जो विगत चौथे वर्ष मे सफलता पूर्वक पदार्पंण करने जा रहा है   छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका का संपादन,एवं प्रकाशन अलताफ हुसैन द्वारा अनवरत किया जा रहा है उक्त त्रैमासिक पत्रिका छ्ग वनोदय पत्रिका के संपादन एवं प्रकाशन कार्य मे उप संपादक दानिश आफताब  द्वारा विशेष सहयोग किया गया हम वन विभाग, वन विकास निगम के उन सभी अधिकारियों कर्मचारियों, मैदानी अमले, सुधि पठाको का  हृदय की अथाह गहराई से धन्यवाद प्रेषित करते है जिन्होंने हमे प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से दूरस्थ जिलों मे पहुंचने पर अपना कीमती समय देकर  समाचार संकलन करने मे पूर्ण सहयोग प्रदान किया 

सोमवार से छत्तीसगढ़ वनोदय का वितरण किया जाएगा

शनिवार, 2 नवंबर 2024

फर्जी शिकायत की आड़ में वन विकास निगम के अधिकारियों का भय दोहन

 फर्जी शिकायत की आड़ में वन विकास निगम के अधिकारियों का भय दोहन



अलताफ़ हुसैन द्वारा

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)  सूचना का अधिकार शासकीय विभागीय कार्यों की पारदर्शी समीक्षात्मक मध्यम है जो आम जन के कर के रूप मे प्राप्त राशियों का शासन कर्मियों द्वारा  कार्यों का कितना सफल क्रियानव्यन किया गया उसका सटीक अवलोकन किया जा सके  परंतु देखा यह जा रहा है कि सूचना के अधिकार के रूप मे कुछ लोग द्वारा गलत उपयोग किया जा रहा था जिसकी वजह से कोई भी सूचना के अधिकार लगाने वाले कई व्यक्तियों  की छबि  धूमिल हो चुकी है  वही अब कुछ लोग द्वारा सूचना के अधिकार से इतर अब पी. एम. सी.एम.एवं  वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत कर ब्लैकमैल जैसा नया फार्मुला ईजाद कर आर्थिक स्त्रोत का सशक्त मध्यम प्रारंभ कर दिए है जिसकी वजह से कोई भी विभागीय कार्यशैली मे व्यवधान उत्पन्न तो होता ही है साथ ही विभाग सहित पूरा सिस्टम संदेह के दायरे जैसे कटघरे मे खड़ा हो जाता है शिकायत की आड़ मे कुछ लोग द्वारा किसी विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के उपर एक ही विषय कार्यों  को लेकर भ्रष्टाचार,अनीयमितता, की दर्जनों शिकायत अलग अलग क्षेत्रों में लगाकर अपना  आर्थिक सुदृढ़ता का मार्ग प्रशस्त कर रहे है  यह भी ज्ञात हो रहा है कि संबंधित विभाग कर्मचारियों द्वारा ऐसी शिकायतों का निराकरण हेतु जब किसी आवेदक कर्ता को भौतिक सत्यापन  हेतु बुलाया जाता है तब वह उल्टे ही जांच अधिकारियों को ही शिकायत का निराकरण का हवाला दे कर हाथ उठा देता है यानी अपूर्ण जानकारी के अभाव मे लगातार आवेदक व्यक्ति के इस हरकत से वहाँ के विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों को खासा परेशान होना पड़ रहा है  विश्वस्त सूत्रों से यह  ज्ञात हुआ है कि मध्य प्रदेश सरकार की ही तरह छग सरकार भी ऐसे शिकायत करने वाले आवेदक कर्ताओ की लिस्ट तैयार कर नाम सार्वजनिक कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने शासन स्तर पर कार्य कर रही है 



     ताजातरीन संपूर्ण मामला बिलासपुर छग वन विकास निगम का बताया जाता है हमारे समाचार पत्र कार्यालय से अज्ञात रूप से प्राप्त पत्रों के आधार पर  जैसे हमें  जानकारी प्राप्त हो रही है उसके अनुसार शिकायत कर्ता बिलासपुर निवासी संजय अग्रवाल द्वारा छ्ग वन विकास निगम के प्रदेश भर के भिन्न भिन्न परियोजना मंडल कार्यालय मे एक ही समानता पूर्ण शिकायत को पृथक रूप से दर्ज करवा कर समस्त वविनि  कर्मचरियों को परेशान कर भय दोहन किया जा रहा है डाक बंगला चौक करगी रोड कोटा निवासी संजय अग्रवाल नामक व्यक्ति जो वर्ष 2020 से आज पर्यत 2024 तक एक ही विषय वस्तु जैसे एन.पी.टी.सी.पी. सिपत में कराए गए गड्ढा खुदाई,तेंदुआ परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 140/एवं 164 मे कराए गए सागौन प्लांटेशन के पौधों के मृत होने की शिकायत कथित संजय अग्रवाल द्वारा मुख्य मंत्री से लेकर वन मंत्री पी सी सी एफ तक की गई थी जिसका निराकरण हेतु जांच अधिकारी की उपस्थिति मे आवेदक को कथित  क्षेत्र मे अवलोकन पश्चात दिखाया गया था जिसे   संतुष्ट होने पर उससे लिखित मे ले लिया गया वन कर्मियों द्वारा आगे बताया जाता है कि आवेदक संजय अग्रवाल द्वारा वविनि कार्यालय मे पहले शिकायत करता है पश्चात जांच के समय सैटलमेंट कर लेता है फिर लिखित मे संतुष्ट पत्र लिख कर आवेदन वापस कर लेता है फिर वही शिकायत को पुनः अन्य वन विकास निगम परियोजना मंडल कार्यालय मे किसी और अधिकारी कर्मचारी के नाम से शिकायत का आवेदन लगा देता है तथा विभागीय कार्यालय या थाना मे स्पष्टीकरण देकर दबाव पूर्ण आवेदन देकर  कर्मियों को अप्रत्यक्ष रूप से धमकी देता है कि मुझे दबाव डाल कर शिकायत वापस लिया गया है एक प्रकार से अधिकारियों को आरोप लगाकर उन्हे मानसिक, आर्थिक, और शरीरिक रूप सें प्रताड़ित करता है एक प्रकार से उसके संतुष्ट होने के बावजूद संजय अग्रवाल द्वारा उक्त शिकायत वविनि के  विभागीय अधिकारी के नाम से लगातार शिकायत करता रहा  जिसे लेकर कोटा परियोजना मंडल कार्यालय द्वारा मण्डल प्रबन्धक ने वविनि के पत्र क्रमांक 1243/दिनांक 26/07/2023/ को कोटा थाना प्रभारी को भी पत्र लिखा जा चुका है उसके बावजूद  दर्जनों शिकायत उसके द्वारा उसी विषय को लेकर किया गया कर्मचारियों द्वारा लिखित पत्र मे यह भी उल्लेखित किया गया है कि शिकायत करने के पीछे उसकी मंशा ब्लैकमेलिंग है जिसकी हम अर्थात समाचार पत्र इसकी पुष्टि नही करता है            


          




        वन विकास निगम बिलासपुर कोटा से प्राप्त पत्र अनुसार वर्तमान मे संजय अग्रवाल ने लगभग पांच से अधिक वन विकास निगम के डिविजन मे लगातार शिकायत दर्ज की जा चुकी है पड़ताल करने पर नाम न छापने की शर्त पर कुछ वन विकास निगम कर्मियों द्वारा बताया गया है कि संजय अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा पूर्व मे केवल वन विकास निगम बिलासपुर के कोटा पंडरिया डिविजन मे ही आर टी आई. (सूचना के अधिकार) लगा कर वहाँ के सहायक लेखापाल से लेकर रेंजर सहित डी.एम. तक सूचना के अधिकार के मध्यम से उनका भय दोहन करता था परंतु वहाँ की एक महिला रेंजर अधिकारी ने जब उसके विरुद्ध कोटा थाना क्षेत्र एवं महिला आयोग मे शिकायत दर्ज की पुलिस थाना, एवं महिला आयोग द्वारा कानूनी कार्यवाही होने से  बचने की दशा मे स्वतः  उसके द्वारा मान मनुव्वल कर  आर. टी. आई. लगाना बंद कर दिया उसकी एक वजह यह भी बताई जाती है कि सूचना के अधिकार की तीस दिन  पश्चात मिलने वाली जानकारी और सूचना आयोग मे दो वर्षों की लंबी प्रक्रिया से बचने  उसके द्वारा  अपनी कार्य शैली मे परिवर्तन करते हुए अपना दायरा वन विकास निगम छत्तीसगढ़ के लगभग पांच से उपर सभी डिविजन मे  शिकायत दर्ज करने वाला  खेल प्रारंभ कर दिया शिकायत कर्ता संजय अग्रवाल द्वारा आई एफ एस अधिकारी से लेकर लेखापाल, कर्मचरियों की शिकायत दर्ज की जिनमे मुख्य पीड़ित अधिकारियों मे सर्व श्री मनोज पांडे  आर जी एम. बिलासपुर, बच्चन साहेब रायगढ़, होम लाल साहू, डिविजनल मैनेजर,मोहला पाना बरस, गजेंद्र पांडे, डी एम. कांकेर, ऋषि शर्मा, एस डी ओ बार नवापारा परियोजना मंडल, रुस्तम मंडल डी एम. जगदलपुर, विनीत सिंह अंबिकापुर, पीयूष बजाज बिलासपुर रेंजर के अलावा लेखापाल जैसे पदों पर बैठे अधिकारियों कर्मचारियों पर इनकी शिकायत पी एम ओ. प्रधान मंत्री कार्यालय, छग,के राज्यपाल, मुख्य मंत्री, वन मंत्री, लोक आयोग, ए सी बी, मुख्य सचिव, पी सी सी एफ. मे शिकायत किया जा चुका है


जिसके जवाब मे उसे जांच अधिकारी द्वारा नीयत तिथि में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने संबंधित परियोजना मंडल मे तलब किया गया तथा उसके द्वारा संबंधित लिखित पत्र, दस्तावेज, या लिखित साक्ष्य प्रस्तुत करने कहा जाता रहा तब आवेदक संजय अग्रवाल द्वारा मूक, बधिर बनकर शांत बैठा रहता तथा न ही  वह किए  गए शिकायत के प्रमणक,दस्तावेज, या अन्य कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नही करता उसके द्वारा बारंबार यही शिकायत अन्य परियोजना मंडल कार्यालय मे पुनः लगाकर वहाँ के अधिकारी कर्मचारियों को भी लगातार परेशान एवं प्रताड़ित करता वविनि कर्मियों ने बताया है कि जांच अधिकारी द्वारा आवेदक संजय अग्रवाल से जब त्रस्त हो गए तब उच्च स्तर पर उसकी शिकायत मे बताया गया जिसमे उसके द्वारा लगातार गंभीर भ्रष्टाचार, अनीयमितता, का आरोप पूर्व जांच अधिकारी द्वारा  स्पष्ट निराधार, मिथ्या साबित हो चुका है फिर भी संजय अग्रवाल द्वारा उसी एक  विषय को केंद्र बिंदु बना कर भिन्न भिन्न परियोजना मंडल कार्यालय मे शिकायत दर्ज कर अधिकारियों कर्मचरियों को प्रताड़ित कर भय दोहन कर उस पर ब्लैक मेलिंग जैसा गंभीर आरोप भी लगाए जा चुके है जबकि हमे मिले प्राप्त शासन के पत्र मे भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही या एफ.आईर. दर्ज किया जाए


परंतु यह विचारणीय पहलू है कि वन विकास निगम के उच्च अधिकारी लगातार  शिकायत का पुलिंदा भेजने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने मे अब तक आँख बन्द कर क्यों टाल मटोल कर रहे है? क्यों नही उस पर एफ. आई. आर. दर्ज की जा रही है यह अब चिंता का विषय बन चुका है

       उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन मे इस प्रकार की हजारों शिकायत से त्रस्त हो कर मध्य प्रदेश मे एक बड़ी सूची तैयार की जा रही है जिसमे बारबार उसी शिकायत को लगाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी वहाँ पर एक व्यक्ति ने लगभग आठ सौ शिकायत दर्ज की है जिसका नाम सार्वजनिक किया जाएगा ऐसा भी बताया गया है ठीक छ्ग सरकार मे भी अपुष्ट समाचार मिल रहे है कि उसी प्रकार मिलते जुलते  शिकायत करने वाले  आवेदकों की कुंडली तैयार की जाएगी  तथा उनका नाम सार्वजनिक कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी