बुधवार, 22 जुलाई 2009

विधान सभा में हंगामा

सत्र के चालू होते ही नक्सलवादको लेकर कांग्रेस पार्ट्री ने हंगामा कर दिया माननीय अद्यक्ष महोदय के बार बार कहने के बाद भी ओई असर न हुआ नतीजा ये हुआ की सदन में दो दिन तक किसीप्रकार का कार्य नही हो पाया बाद में ये देखा गयाकी सब नतीजा सिफर रहा यानि अबपहले खूब हंगामा फ़िर बाद में गल्भिया डाले इधर उधर घूमते रहो पुब्ली बेचारी ये सोच रही है की हमारे पक्ष में कोई तो है आवाज़ उठाने वाला मगर यहाँ तो कुछ अलग ही बात होती है हजारो की तादाद में परदेश की धरती रंगी हुई है कुछ कर्मयोगी भारत ऐ सपूत अपनी आहुति नाक्सालवाद की बेदी में हँसते हँसते अपनी जान को नीउछावर कर अपनी कर्मठता की मिसाल परस्तुत करते है और साथ ही वे निर्दोष वन वासी और आदिवासी जिनका कसूर न होते हुए भी अपनी मौतको गले लगा चुके है कहने को तो हमारी सरार सलवा जुडूम चलती है मगर उसका कितनो को लाभ मिला ये कोई ख़बर नही ?इसके आलावा भी अक बात सोचने वाली है की विशेष सुरक्षा बल यहाँ आता है और असुविधा के नाम नक्सलवाद की बलि चढ़ जाता है...... क्यों ? जैसे क्षेत्र में वन में इनके लिए न ही कोई सुलभ शौचालय है और न ही खान पान की वयवस्था ये बात नही है की ये यहाँ कोई पिकनिक मानाने आए है मगर इतनी वयवस्था तो होनी ही चाहिए की वे शौच के लिए वन क्षेत्र में गए बिना हथियार के और उधर से आकर नक्सवादी ने इसका भरपूर लाभ उठाया और दो चार कर्मियों की आए दिन मौत अखबारोंकी सुर्खियों मे रहते है इसका अब तक कोई पर्बंद नही किया गया ऊपर से बस यही बहस बजी होती है हमारे नेता shradhaanjal

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