शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

योजनाओं और मंत्रियों का चेहरा चमकाने वाला जन संपर्क विभाग क्यों कर रहा शासन की छबि धूमिल

 योजनाओं और मंत्रियों का चेहरा चमकाने वाला जन संपर्क विभाग क्यों कर रहा शासन की छबि धूमिल


अलताफ़ हुसैन

 रायपुर (फॉरेस्ट क्राईम न्यूज़) रायपुर,,,धनघोर आश्चर्य,,, क्या सोचा जा सकता है कि   छ्तीसगढ़ जन संपर्क विभाग अब कुछ लोगों के लिए धन संधान विभाग बन चुका है  यानी धन कमाने की मशीन बन चुका है सुन कर और पढ़ कर कुछ आश्चर्य तो अवश्य होगा परंतु यह शाश्वत सत्य है  हाल ही मे किसी ने आर टी आई के मध्यम से पूर्व कुछ प्रदर्शित विज्ञापन के  पत्र मांगे गए जिनमे कुछ ऐसा भी  अखबार समाचार पत्र पत्रिकाओं की जानकारी मिले जिसमे लगभग दो करोड़ से उपर की राशि का भुगतान कर इतिहास रचा दिया जो सीधे सीधे सैकडों लघु पत्र पत्रिकाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है बताया जाता है कि माह अक्टुबर 2024 से बहुत से निकलने वाले लघु पत्र पत्रिकाओं को जन संपर्क विभाग से मिलने वाला नियमित विज्ञापन पर डाका डाल कर तथा कथित  दो समाचार पत्र पत्रिका को लाखों करोड़ों का विज्ञापन  जारी कर दिया गया अब उन्हे उक्त राशि भुगतान जन संपर्क विभाग ने किया गया या नही यह तो जन संपर्क विभाग ही बात सकता है परंतु  उन दो समाचार पत्र पत्रिकाओं के मामले मे तो जन संपर्क विभाग सही मायनों मे उनके लिए धन कुबेर  बन गया है अब इनका सरकुलेशन स्थानीय अन्य पत्र पत्रिकाओं के सरकुलेशन से अधिक तो नही निकलता होगा फिर भी  उक्त कथित समाचार पत्र पत्रिका को लाखों  करोड़ों का विज्ञापन किस आधार पर जारी किया गया यह जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है जबकि बहुत से स्थानीय पत्रकारों के मध्य जमकर चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि स्थानीय अथवा छ्ग प्रदेश के समाचार पत्र पत्रिका को विज्ञापन जारी होता तो छग शासन की योजनाओं का स्थानीय या प्रदेश में प्रचार प्रसार किया जाता परंतु मध्य प्रदेश के ग्वालियर, और दिल्ली से निकलने वाले समाचार पत्र पत्रिका मे  लाखों और करोड़ों रुपये का विज्ञापन जारी करना किसी को भी संदेह पैदा करता है वह भी डीएवीपी दर से कई गुना अधिक राशि से जो प्रसिद्ध समाचार पत्र पत्रिकाओं को भी इतनी राशि जारी नही किया जा सकता जो विज्ञापन नीति और नियम कानून के विपरीत है जो सीधे तौर पर भ्रष्टचार और कमीशन खोरी होने का अंदेशा व्यक्त करता है   बताते चले कि छ्ग जन संपर्क विभाग रायपुर में लगभग तीन सौ से उपर पत्र पत्रिकाओं का जो सूचना और भारत सरकार मंत्रालय से आर. एन. आई. द्वारा पंजीकृत है वह स्थानीय जन संपर्क विभाग रायपुर में  पंजीबद्ध है जिनमे साप्ताहिक, पक्षिक, मासिक समाचार पत्र पत्रिकाओं  को दस हजार या अधिक का विज्ञापन प्रति माह जारी किया जाता है परंतु विज्ञापन नीति न होने के कारण अपनी..ढफली अपना राग...की तर्ज पर यहाँ भी बंदर बांट की तरह,,,अंधा बांटे रेवड़ी,,फिर फिर अपने को देय,,, की कहावत चरितार्थ होते नज़र आती है ऐसे भी पत्र पत्रिकाएँ है जिनका कोई सरक्युलेशन नही मगर उन्हे दस हजार से लेकर एक लाख से उपर का विज्ञापन जारी कर  उन्हे महिमा मंडित किया जा रहा है वही दूसरी ओर अनेक पत्र पत्रिकाए दसों साल से उपर नियमित प्रकाशन को विज्ञापन देने मे लगातार उपेक्षित किया जा रहा  है वहीं कई बगैर आर एन आई. से पंजीकृत वेब पोर्टलों को पचास  हजार के उपर लाखों के विज्ञापन जारी किये जा रहे है 


जिस प्रकार हमें मिले दो रिलीज ऑर्डर पत्र न्यूज़ कोड संख्या 41316/1 में राशि 11457152-00 की (एक करोड़ चौदह लाख संतावन हजार एक सौ बावन रुपये) की राशि तथा दूसरे रिलीज ऑर्डरर की इंग्लिश हिंदी पत्रिका कोड संख्या 12883/1 मे 8823529-00 की राशि शब्दों में (अठियासी लाख तेइस हजार पांच सौ उनतीस रुपये) की राशि कुल 20,280,,681 रुपये जन संपर्क उर्फ धन संधान विभाग द्वारा जारी किया गया जो अपने आप मे एक अविश्वसनीय उदाहरण है यही नही जन संपर्क विभाग में उपर बैठे अधिकारी के बंदर बांट वाला यह कार्यक्रम अब भी अनवरत जारी है लगभग सौ पत्र पत्रिकाओं और बहुत से न्यूज़ पोर्टल को अक्टुबर 2024 से विज्ञापन बंद कर दिया गया लगातार जन संपर्क विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर जब उन्हे विज्ञापन बंद करने की वजह पूछने पर टाल मटोल कर हीला हवाला किया जा रहा है इससे सपष्ट भान होता है कि बहुत से पत्र पत्रिकाओं  एवं वेब पोर्टल की रोकी गई राशि को  खुर्द बुर्द कर कमीशन खोरी का यह मिशन अब भी निर्बाध गति से जारी है अब ऐसे परिस्थितियों मे राज्य शासन मे उपर बैठे मंत्रीयों, जन प्रतिनिधियों और नौकर शाहों अधिकारियों,का स्वच्छ और साफ सूथरा  चेहरा चमकाने हेतु शासन द्वारा करोड़ों के बजट के साथ निर्मित जन संपर्क रूपी ब्यूटी पार्लर मे शासन के ही नुमाइंदे जन कल्याण कारी योजनाओं को पलीता  लगाने उन राशि से अपनी छबि चमकाने दमकाने मे लगे हुए है छ्ग जन संपर्क विभाग की यह सुपर्णखा रूपी विकृत चेहरा निर्मित करने के पीछे कुछ भाजपा  पार्टी के विभीषण  का हाथ होने के संकेत मिल रहे है जिसकी जांच और ऑडिट कराया जाना चाहिए जिसमे बहुत बड़े गड़बड़ घोटाले, और भ्रष्टाचार की परत खुल सकती है वर्तमान मे बहुत से तथा कथित पत्रकार जो दो से तीन पत्रिकाओ का प्रकाशन तथा वेब पोर्टल के मध्यम से हजारों लाखों का विज्ञापन के जरिए प्राप्त कर रहे है उसकी भी विज्ञापन नीति के माप दंड के अनुसार जांच की जाने चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. 

सोमवार, 6 जनवरी 2025

वन कर्मीयों के पास ,बाल, खाल,काष्ठ, तोता, पकड़ने के अलावा कुछ काम नही, ई कुबेर किसी के लिए वरदान, किसी के लिए चुनौती

 वन कर्मीयों के पास ,बाल, खाल,काष्ठ, तोता, पकड़ने के अलावा कुछ काम नही, 

ई कुबेर किसी के लिए वरदान, किसी के लिए चुनौती 

 

अलताफ़ हुसैन

 फॉरेस्ट क्राईम न्यूज़ -रायपुर छत्तीसगढ़ वन विभाग के वह दिन लद गए जब वन कर्मियों के पास कार्य योजनाओं की भरमार  रहती थी रिक्त पड़त भाटा भूमि मे हरियाली प्रसार करने के लिए प्लांटेशन सहित वनों के संरचनाओं मे नित नए निर्माण एवं प्रयोग किया जाता था ताकि छ्ग प्रदेश के बनों का विस्तार निरंतर होता रहे  परंतु विगत एक वर्षों से देखा यह जा रहा है कि  अपवाद स्वरूप प्रदेश के कुछ परिक्षेत्र स्थल पर रिक्त पड़त राजस्व भाटा भूमि में प्लांटेशन कार्य छोड़ दिया जाए तो शेष वन राजस्व भूमि, वन क्षेत्रों मे कोई भी उल्लेखनीय कार्य नही हुए है तथा मैदानी क्षेत्र मे भी अधिकतम नाममात्र पचीस से तीस प्रतिशत कार्य का ही क्रियान्व्यन  हो पाया वह भी विशेष परिस्थितियों मे उक्त प्लांटेशन इसलिए कराए गए क्योंकि  देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी की महत्वाकांक्षी योजना एक पेड़ माँ के नाम से कुछ राजस्व भूमि स्थान मे हरियाली प्रसार एवं पौधा रोपण कर नाम मात्र कार्य संपादित कर अपनी गतिविधि दर्ज कर अपनी पीठ थप थपा सके परंतु वास्ताविकता यह है कि ऐसा रोपण  कार्य लगभग नगण्य  रहा है वर्ष 2024 मे अतिरिक्त हरियाली प्रसार के नाम पर प्रदेश भर के वन मंडल परिक्षेत्रों मे  निःशुल्क पौधे वितरण किया गया रोपे गए पौधों भी...ऊँट के मुह मे जीरा.. जैसे साबित हो रहे है सर्वाधिक आश्चर्य का विषय 2024 मे तब हुआ जब संपूर्ण वर्षा ऋतु काल मे वन विभाग के अधिकांश वन वृतों के राजस्व एवं वन भूमि परिक्षेत्र, में वन कर्मी हाथ पर हाथ धरे हुए ऑफिस की कुर्सी मे जमे रहे किसी भी अधिकारी कर्मचारीयों द्वारा प्लांटेशन या पथ रोपण कार्य मे हाथ नही डाला गया  इसका मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा आर. बी. आई. के मध्यम से सीधे ई कुबेर की राशि संबन्धित कार्य के दुकानदार अथवा ठेकेदार, निविदा कारों के खाते मे आंतरित किया जाने लगा ज्ञातव्य हो कि किसी भी रोपण प्लांटेशन कार्य जैसे वर्षा ऋतु मे नही किया जाना किसी को भी आश्चर्य मे डाल सकता है फिर भी कार्य के नाम पर नर्सरी से आम जन को निशुल्क पौधों का वितरण किया गया जो पूर्व करोङों रुपये की विभाग द्वारा प्रदत्त लागत से वहन किया गया था गौर तलब है कि कोई भी नर्सरी अथवा प्लांटेशन, रोपण कार्य मे पॉलीथीन बैग से लेकर बीज, रसायनिक जैविक खाद क्रय हेतु पहले राशि लगाई जाती थी तद पश्चात उसका भुगतान किया जाता था अब सीधे ऑन लाइन खरीदी से  संपूर्ण बिल का भुगतान दुकानदार को विभाग द्वारा ऑन लाइन कर लिया जाता  परंतु अब भुगतान ठेका प्रणाली या निविदा के मध्यम से ई कुबेर द्वारा होने लगी है जिसकी वजह से सामाग्री  कार्य स्थल पहुँचने तक आधा वर्षा ऋतु काल व्यतीत हो जाता है वही निर्माण संरचना हेतु जैसे ईटा गिट्टी रेती सीमेंट,  इत्यादि का भुगतान भी ठेकेदार निविदा पद्धति के मध्यम से सीधे ई कुबेर के मध्यम से किया जा रहा है जिसकी वजह से मैदानी कार्यों, एवं प्लांटेशन कार्यों मे लेट लतीफ होना स्वभाविक है इस पर मैदानी अमलो पर नए नियम कानून थोप दिया गया एक तो अल्प बजट के अभाव से अधिकारियों एवं मैदानी वन कर्मियों के कार्यों मे अनिश्चितता की स्थिति निर्मित बनी हुई है उपर से नये नियम कानून के तहत शत प्रतिशत प्लांटेशन, पथ रोपण न होने की स्थिति मे संबंधित परिक्षेत्राधिकारी डिप्टी रेंजर सहित मैदानी अमले से संपूर्ण लागत राशि रिकवरी करने की हिटलरी फरमान से स्थिति भयावह निर्मित हो गई है  कोई भी अधिकारी, कर्मचारी, इस परिस्थिति मे नौकरी दांव मे रख कर कोई  रिस्क नही उठाना चाहता जबकि अमुमन देखा यह गया है कि प्लांटेशन, पथ रोपण पश्चात गाय गरुवा एवं मवेशी चराई,प्रकृति आपदा, असमाजिक तत्वों द्वारा पेड़ पौधों की कटाई एवं सुरक्षात्मक घेरो की टूट फूट,चोरी होने से उपरोक्त परिस्थितियों में प्लांटेशन  रोपण शत प्रतिशत रह पाना असंभव है     


जन प्रतिनिधियों की ठेकेदार प्रणाली से वे तो गदगद हो गए शेष बजट मे बैठे अधिकारियों का प्रसेंटेज़ मे बढ़ोतरी की मांग से बजट का ग्राफ और कम स्थिति मे पहुँच गया उस पर प्लाटेशन भी शत प्रतिशत होना सामाग्री खरीदी भी एक नम्बर मे चोखा होना तथा उस पर समस्त प्लांटेशन शत प्रतिशत  न होने पर इसकी रिकवरी रेंजर, डिप्टी रेंजर मैदानी अमले से ही लेना अन्यथा उस पर विभागीय डंडा चलने की बात से सभी कर्मचरियो ने कार्यों से अपना हाथ खिच चुके है जिसका खामियाजा उन्हें ही भुगतना है उपर बैठे अधिकारी अपने हिस्से का कमीशन भी यहाँ वहाँ से निकाल ही लेंगे तथा इससे सरकार को भी कोई नुक्सान नही होगा क्योंकि केंद्र से या राज्य से मिलने वाली राशि को ई कुबेर के माध्यम बैंक मे जमा राशि से करोडों रुपये का ब्याज बैठे बिठाए देर सबेर उन्हे मिल ही जाएगा वही रेंजर से लेकर मैदानी अमलो के लिए बेहद परीक्षा और चुनौती की घडी है वही राज्य से मिलने वाला बजट के अलावा केंद्र से भी वन्य प्राणियों की सुरक्षा,सफारी, पर्यटन,अभ्यारणय का अलग बजट विभाग को मिलता है परंतु उक्त राशि के बारे मे यह चर्चा आम है कि राशि का क्रियानव्यन...जंगल में मोर नाचा किसने देखा...वाली उक्ति को चरितार्थ करती हुई प्रतीत होती है अब वह राशि कहाँ गया यह चर्चा का विषय है चर्चा इस बात की भी गर्म है कि समस्त राशि राज्य शासन द्वारा महतारी वंदन योजना सहित धान खरीदी, एवं किसानो को दिया जा रहा है जिसमे वन विभाग सहित संपूर्ण अन्य विभाग के बजट मे कटौती कर के  वितरण किया जा रहा है सत्यता क्या है यह तो सरकार ही जाने परंतु इसकी वजह से सभी विभाग के विकास कार्यों मे ब्रेक सा लग गया है एक प्रकार से पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जारी महतारी वन्दन योजना एवं किसानों और धान खरीदी राज्य शासन के लिए गले की हड्डी बन गई है यदि राज्य सरकार द्वारा उक्त योजना को बन्द किया जाता है तो वादा खिलाफ़ी के हालात उत्पन्न हो सकते है और भविष्य मे इसके दुरगामी परिणाम सामने आ सकते है हालांकि वही दूसरी वजह यह भी बताई जा रही है कि अल्प बजट मे भी भारी कमीशन खोरी की जा रही है नेताओं और जन प्रतिनिधियों द्वारा अपने विश्वासपात्र लोगों को ठेका, निविदा दिलाया जा रहा है जिसका बिल भुगतान केवल रेंजर के हस्ताक्षर से पास कर निर्धारित तिथि पर ऑन लाइन सबमीट किया जाना अनिवार्य कर दिता गया है देरी से बिल प्रस्तुत करने पर विभागीय कार्यवाही का नियम बन चुका है इन परिस्थितियों में नेता जन प्रतिनिधि अपने हिस्से की कमीशन खोरी अपने व्यक्ति से तो प्राप्त कर लालम लाल होकर बल्ले बल्ले कर रहे है और आम जनता को ई कुबेर ऑन लाइन पारदर्शिता भुगतान के नाम पर  भ्रष्टाचार मुक्त भारत का दंभ भरा जा है एक प्रकार से संपूर्ण   राज्य के बजट राशि को सेंट्रलाईज़ कर दिया गया इससे नेताओं और जन प्रतिनिधियों का कोई नुकसान नही है एक प्रकार से सभी मैदानी अधिकारियों के हाथ काट कर उन्हे पंगु बना दिया गया जिसका प्रभाव सिस्टम पर देर सबेर दिखाई देगा साथ ही वन विभाग के कार्य शैली मे भी ग्रहण लगने के साथ ही कार्यों की पार दर्शित धीरे धीरे समाप्त होते जाएगी  क्योंकि सभी  कार्य योजनाओं मे मंत्री,जन प्रतिनिधियों और नेताओं द्वारा ठेकेदारी प्रथा के मध्यम से अपने लोगों को ही प्रोत्साहित किया जाएगा केवल नाम  मात्र छुट पुट योजनाए के अलावा वन वृतों मे इनके समक्ष कोई कार्य नही होगा तब ऐसी परिस्थितियों मे वनों का विदोहन,विनाश,और चोरी में बढ़ोतरी होगी जिसमें निर्माण या अन्य सामाग्री क्रय  की मीकदार दोगुना मात्रा मे खरीदा जाएगा वह भी एक नही दो से तीन बारा भी उसी सामाग्री को क्रय किया जाएगा उससे भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होगी वनों का लगातार पातन होगा जिससे वन क्षेत्रों का रकबा घटेगा साथ ही अधिकारी काष्ठ मिलों की चैकिंग, वर्षिकी लाइसेंस,मिलो  मे लगे बिजली की मासिक यूनिट खपत के आधार पर काष्ठ चिराई का मुल्यांकन सहजता से ज्ञात कर मासिक या त्रैमासिक प्रतिवेदन जांच के आधार पर उनके काष्ठों की चिराई,एवं खपत का मूल्यांकन करेंगे साथ ही इनके सामने खाली समय मे वन्य प्राणियों के शिकार किए गए शिकारी के विरुद्ध तोता, बाल, खाल, काष्ठ, पकड़ने के अलावा अब इनके समक्ष कुछ भी शेष विभागीय कार्य नही रह पाएगा.