योजनाओं और मंत्रियों का चेहरा चमकाने वाला जन संपर्क विभाग क्यों कर रहा शासन की छबि धूमिल
अलताफ़ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राईम न्यूज़) रायपुर,,,धनघोर आश्चर्य,,, क्या सोचा जा सकता है कि छ्तीसगढ़ जन संपर्क विभाग अब कुछ लोगों के लिए धन संधान विभाग बन चुका है यानी धन कमाने की मशीन बन चुका है सुन कर और पढ़ कर कुछ आश्चर्य तो अवश्य होगा परंतु यह शाश्वत सत्य है हाल ही मे किसी ने आर टी आई के मध्यम से पूर्व कुछ प्रदर्शित विज्ञापन के पत्र मांगे गए जिनमे कुछ ऐसा भी अखबार समाचार पत्र पत्रिकाओं की जानकारी मिले जिसमे लगभग दो करोड़ से उपर की राशि का भुगतान कर इतिहास रचा दिया जो सीधे सीधे सैकडों लघु पत्र पत्रिकाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है बताया जाता है कि माह अक्टुबर 2024 से बहुत से निकलने वाले लघु पत्र पत्रिकाओं को जन संपर्क विभाग से मिलने वाला नियमित विज्ञापन पर डाका डाल कर तथा कथित दो समाचार पत्र पत्रिका को लाखों करोड़ों का विज्ञापन जारी कर दिया गया अब उन्हे उक्त राशि भुगतान जन संपर्क विभाग ने किया गया या नही यह तो जन संपर्क विभाग ही बात सकता है परंतु उन दो समाचार पत्र पत्रिकाओं के मामले मे तो जन संपर्क विभाग सही मायनों मे उनके लिए धन कुबेर बन गया है अब इनका सरकुलेशन स्थानीय अन्य पत्र पत्रिकाओं के सरकुलेशन से अधिक तो नही निकलता होगा फिर भी उक्त कथित समाचार पत्र पत्रिका को लाखों करोड़ों का विज्ञापन किस आधार पर जारी किया गया यह जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है जबकि बहुत से स्थानीय पत्रकारों के मध्य जमकर चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि स्थानीय अथवा छ्ग प्रदेश के समाचार पत्र पत्रिका को विज्ञापन जारी होता तो छग शासन की योजनाओं का स्थानीय या प्रदेश में प्रचार प्रसार किया जाता परंतु मध्य प्रदेश के ग्वालियर, और दिल्ली से निकलने वाले समाचार पत्र पत्रिका मे लाखों और करोड़ों रुपये का विज्ञापन जारी करना किसी को भी संदेह पैदा करता है वह भी डीएवीपी दर से कई गुना अधिक राशि से जो प्रसिद्ध समाचार पत्र पत्रिकाओं को भी इतनी राशि जारी नही किया जा सकता जो विज्ञापन नीति और नियम कानून के विपरीत है जो सीधे तौर पर भ्रष्टचार और कमीशन खोरी होने का अंदेशा व्यक्त करता है बताते चले कि छ्ग जन संपर्क विभाग रायपुर में लगभग तीन सौ से उपर पत्र पत्रिकाओं का जो सूचना और भारत सरकार मंत्रालय से आर. एन. आई. द्वारा पंजीकृत है वह स्थानीय जन संपर्क विभाग रायपुर में पंजीबद्ध है जिनमे साप्ताहिक, पक्षिक, मासिक समाचार पत्र पत्रिकाओं को दस हजार या अधिक का विज्ञापन प्रति माह जारी किया जाता है परंतु विज्ञापन नीति न होने के कारण अपनी..ढफली अपना राग...की तर्ज पर यहाँ भी बंदर बांट की तरह,,,अंधा बांटे रेवड़ी,,फिर फिर अपने को देय,,, की कहावत चरितार्थ होते नज़र आती है ऐसे भी पत्र पत्रिकाएँ है जिनका कोई सरक्युलेशन नही मगर उन्हे दस हजार से लेकर एक लाख से उपर का विज्ञापन जारी कर उन्हे महिमा मंडित किया जा रहा है वही दूसरी ओर अनेक पत्र पत्रिकाए दसों साल से उपर नियमित प्रकाशन को विज्ञापन देने मे लगातार उपेक्षित किया जा रहा है वहीं कई बगैर आर एन आई. से पंजीकृत वेब पोर्टलों को पचास हजार के उपर लाखों के विज्ञापन जारी किये जा रहे है
जिस प्रकार हमें मिले दो रिलीज ऑर्डर पत्र न्यूज़ कोड संख्या 41316/1 में राशि 11457152-00 की (एक करोड़ चौदह लाख संतावन हजार एक सौ बावन रुपये) की राशि तथा दूसरे रिलीज ऑर्डरर की इंग्लिश हिंदी पत्रिका कोड संख्या 12883/1 मे 8823529-00 की राशि शब्दों में (अठियासी लाख तेइस हजार पांच सौ उनतीस रुपये) की राशि कुल 20,280,,681 रुपये जन संपर्क उर्फ धन संधान विभाग द्वारा जारी किया गया जो अपने आप मे एक अविश्वसनीय उदाहरण है यही नही जन संपर्क विभाग में उपर बैठे अधिकारी के बंदर बांट वाला यह कार्यक्रम अब भी अनवरत जारी है लगभग सौ पत्र पत्रिकाओं और बहुत से न्यूज़ पोर्टल को अक्टुबर 2024 से विज्ञापन बंद कर दिया गया लगातार जन संपर्क विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर जब उन्हे विज्ञापन बंद करने की वजह पूछने पर टाल मटोल कर हीला हवाला किया जा रहा है इससे सपष्ट भान होता है कि बहुत से पत्र पत्रिकाओं एवं वेब पोर्टल की रोकी गई राशि को खुर्द बुर्द कर कमीशन खोरी का यह मिशन अब भी निर्बाध गति से जारी है अब ऐसे परिस्थितियों मे राज्य शासन मे उपर बैठे मंत्रीयों, जन प्रतिनिधियों और नौकर शाहों अधिकारियों,का स्वच्छ और साफ सूथरा चेहरा चमकाने हेतु शासन द्वारा करोड़ों के बजट के साथ निर्मित जन संपर्क रूपी ब्यूटी पार्लर मे शासन के ही नुमाइंदे जन कल्याण कारी योजनाओं को पलीता लगाने उन राशि से अपनी छबि चमकाने दमकाने मे लगे हुए है छ्ग जन संपर्क विभाग की यह सुपर्णखा रूपी विकृत चेहरा निर्मित करने के पीछे कुछ भाजपा पार्टी के विभीषण का हाथ होने के संकेत मिल रहे है जिसकी जांच और ऑडिट कराया जाना चाहिए जिसमे बहुत बड़े गड़बड़ घोटाले, और भ्रष्टाचार की परत खुल सकती है वर्तमान मे बहुत से तथा कथित पत्रकार जो दो से तीन पत्रिकाओ का प्रकाशन तथा वेब पोर्टल के मध्यम से हजारों लाखों का विज्ञापन के जरिए प्राप्त कर रहे है उसकी भी विज्ञापन नीति के माप दंड के अनुसार जांच की जाने चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.


 

