मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

सागौन विरलन करना था सौ घन मीटर कर दिया दो सौ तीस घन मीटर बार के डिप्टी का कारनामा

 सागौन विरलन करना था सौ घन मीटर कर दिया दो सौ तीस घन मीटर 

बार के डिप्टी का कारनामा

अलताफ़ हुसैन द्वारा 

रायपुर  यह कटु सत्य है कि एक बार पुनः वन विकास निगम के कर्मचारी द्वारा बड़ी घोर लापरवाही बरती गई अब इसे लापरवाही कह ले या फिर भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाले करने का एक सशक्त सु अवसर माध्यम मान ले क्योंकि गणना और मार्किग के पश्चात सीधे थोड़ी बहुत कमोबेश नही बल्कि दोगुनी मात्रा मे सागौन विरलन कर दिया गया यह सीधे सीधे गढ़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार करने की मंशा नही तो और क्या है ?  बार नवापारा परियोजन मंडल अंतर्गत  रवान परिक्षेत्र मे कक्ष क्रमांक 116 के टीपी 02 मे माह 07-05-2023  वित्तीय बर्ष 2022-2023 मे भौतिक विदोहन  कार्य किया गया था जिसमे लगभग 95 अर्थात सौ घन मीटर का पातन किया जाना सुनिश्चित था परंतु रवान के डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने वरिष्ठ अधिकारियों के बगैर अतिरिक्त आदेश पत्र के 95 घन मीटर के स्थान पर दो सौ तीस से उपर अर्थात  130 घन मीटर अतिरिक्त   विरलन कर दिया गया इस संदर्भ मे ज्ञात हुआ है की वन विकास निगम पातन कार्य से पूर्व एक अथवा दो वर्ष पूर्व गणना कार्य करती है जिसमे आगामी वित्तीय सत्र मे गणना और मार्किंग कर उतने ही कूप मे मार्किंग कर चालू वितीय वर्ष मे परिपक्व सागौन का विरलन करती है कटाई पश्चात काष्ठों पर गेरुए सफेद रंग मे नंबर मार्किंग कर काष्ठागार मे गणना संख्या अंकित की जाती है तथा वन क्षेत्रों से भेजे गए सागौन काष्ठों को मिलान कर मेजरमेंट किया जाता है परंतु बार स्थित रवान परिक्षेत्रा के डिप्टी  रेंजर लोकेश साहू ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को वास्तविकता का भान कराए बगैर 95 घन मीटर के स्थान पर कुल 230 घन मीटर का सागौन विदोहन् कर दिया  जो लगभग 13 ट्रक ट्राली सागौन परिवहन कर कोडार काष्ठागार भेज दिया गया इस संदर्भ मे जब डिप्टी लोकेश साहू से बड़ी संख्या मे सागौन विरलन किए जाने के तारतम्य मे फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ने मोबाइल मे चर्चा कर बात चित  की गई तो उन्होंने  गत वर्ष2022-2023 के पांचवे माह मे किए गए सागौन विरलन  के गणना, मार्किंग से अधिक संख्या मे पातन करने के एवज मे कोई जानकारी नही होना बताया जबकि तत्कालिक रेंजर एंब्रोस एक्का भी सेवा निवृत हो गए तब यह ज्ञात हुआ है कि किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा लिखित मे शिकायत बार परियोजना के एस.डी.ओ. चित्रा त्रिपाठी मैडम को दी गई थी जिन्हे उक्त कटाई की पूरी जानकारी थी मगर उन्होंने भी डिप्टी रेंजर लोकेश साहू को कटाई के संदर्भ मे रोकना मुनासिब नही समझा और चुप रहने की बात कही 


वही बार परियोजना के तत्कालिक डी.एफ.ओ. (डी. एम. ) बी रमन सोमावार को भी कक्ष क्रमांक 116 के इस बड़े सागौन कटाई की भनक थी सेवा निवृत होने के पूर्व जाते हुए वे बड़ा खेल खेलना चाहते थे मगर इसके पूर्व ही उनका अन्यंत्र तबादला हो गया और सारी मंशा उनकी धरी की धरी रह गई जबकि इसकी शिकायत बार परियोजना मंडल के वर्तमान डी.एफ.ओ.रौनक गोयल आई. एफ.एस. अधिकारी को भी दी गई परंतु इस संदर्भ मे उनकी ओर से भी कोई वैधानिक कार्यवाही नही की गई केवल औपचारिक जांच   किया जाता रहा ऐसा बताया जा रहा है गौर तलब है कि 95 घन मीटर मे गणना 6890 नग मार्किंग कर यदि सीधे उनके काटे गए ठूंठ की संख्या की गणना  की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा जबकि 95 घन मीटर जिसकी संख्या लगभग 6890 सागौन नग जो 21 वर्षीय था तब विरलन पश्चात 230 घन मीटर की गणना सागौन  नग की संख्या साफ गणना की जा सकती है यानी पूर्व गणना के विरलन पश्चात उससे दो  गुना अधिक कटाई की गई सागौन की संख्या कितनी होगी वह स्पष्ट हो जाएगा ?



   यह तो स्पष्ट हो गया है कि डिप्टी रेंजर लोकेश साहू एक शातिर और अपराधिक दिमाग वाला वन कर्मी है इसके पूर्व भी उसके द्वारा वर्दी की आड़ मे  अनेक अनैतिक कृत्यो को अंजाम दिया जा चुका है कोडार बांध के पीछे हिस्से मे स्थित लोहारडीह परस पानी ग्राम मे  वर्ष 2019-2020 मे कक्ष क्रमांक 850,859,860,मे भी वन क्षेत्रों से प्लाटेंशन रोपण के नाम पर बड़ी संख्या मे भिन्न भिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों का दोहन किया गया था उस समय भी काष्ठों की  गड़बड़ी और घोटाला कर  भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया था अब सवाल यह उठता है कि वन क्षेत्रों के वर्षों पुराने पेड़ पौधों की हरियाली का विदोहन् कर वन विकास निगम द्वारा विभागीय हित का लाभ उठाने सागौन प्लांटेशन करना कहाँ तक उचित है?यही नही वन क्षेत्रों मे फलदार औषधि युक्त पौधों की प्रचुरता रहती है परंतु ऐसे पौधों का बिरलान कर दिया जाता है वन विकास निगम चूंकि राज्य शासन से लीज मे ली गई अनुबंध के आधार पर वन क्षेत्र का अधिग्रहण कर मन माने ढंग से वनों का दोहन कर रहा है साथ ही सागौन पलांटेशन कर अपना  आर्थिक हित पृथक रूप से साध रहा है एक प्रकार से आम के आम और गुठली का दाम का दोहरा लाभ उठा रहा है बदले मे वार्षोकी लाभांश के रूप मे राज्य सरकार को :2.26 करोड़ की राशि प्रदान कर अपने कर्तव्यों की इति श्री मान लेता है वही राज्य सरकार और मूल वन विभाग को चाहिए की इस संदर्भ मे कठोर नियम बनाने चाहिए की प्राचीन वन क्षेत्रों के पेड़ पौधे, हरियाली, और पर्यावरण को वन विकास निगम द्वारा क्षति न पहुंचा कर पड़त भाटा भूमि मैदानी क्षेत्र मे सागौन प्लांटेनशन कर हरियाली प्रसार करे न की वन क्षेत्रों का विदोहन् किया जाए बताते चले कि छ्ग शासन और वन विभाग प्रदेश के वन क्षेत्रों का अस्तित्व बचाने नाना प्रकार के जतन कर करोड़ों रुयये लगाती है वही उसका अनुषंगिक धडा वन विकास निगम भीतर ही भीतर वन क्षेत्रों को खोखला करने मे कोई कोर कसर नही छोड़ रहा है जिसका साक्षात उदाहरण बार की यह ताजा घटना है जबकि डिप्टी लोकेश साहू के संबंध मे बहुत से अनियमितता के संदर्भ मे ज्ञान हुआ है उस के द्वारा फर्जी अंक सूची और प्रमाण पत्र के मध्यम से नौकरी प्राप्त करना भी बताया गया है पुराने वन विकास निगम कर्मी यह बताते है कि लोकेश साहू न ही वह  1997से पहले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी था और न ही वन विकास निगम मे कार्यरत था मगर फिर भी सभी कर्मचारियों को लांघते हुए दो स्टार के पद मे पहुँच गया यह करिश्माई जादू कैसा हो गया इसकी विस्तृत रिपोर्ट अगले अंक मे प्रस्तुत किया जाएगा. 

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

कोंडागाँव वन मंडल का कृष्ण कुंज बना आकर्षण का केंद्र

 कोंडागाँव वन मंडल का कृष्ण कुंज बना आकर्षण का केंद्र 


अल्ताफ हुसैन द्वारा 

रायपुर  (छ्ग वनोदय(छ्ग प्रदेश की सर्वाधिक नैसर्गिक वातावरण वाला क्षेत्र जहाँ के ऊँचे ऊँचे  गगन चुंबी पहाड़ मे हरियाली की चादर ओढ़े श्रृगारित पेड़ पौधे जो आदि काल से वर्षों के अपनी ऐतिहासिक वैभव शाली गाथा की साक्षी है नैसर्गिक प्रकृति छटा का ऐसा मनोहारी दृश्य बिखेरता है जो किसी का भी मन मस्तिष्क को आकर्षित कर देता है ग्रीष्म काल मे सूर्य देव की तीक्षण तपिश के  बावजुद् उष्ण कटिबद्ध क्षेत्र मे प्रकृति का प्रभाव  संपूर्ण क्षेत्र मे न के बराबर रहता है धूल धुँआ एवं प्रदूषण रहित क्षेत्र मे बारह मासी नमी युक्त सूक्ष्म कण ओस की बूंदों से संपूर्ण वातावरण मे शीतलता और वाष्पीकरण की धुंधलका से दूरस्थ क्षेत्रों के पहाडों की अलाग ही आभा बिखेरती है  वह क्षेत्र समुद्र तट की ऊँचाई पर स्थित कोंडगांव से संरक्षित वन क्षेत्र के समीप स्थित है जहाँ कोंडागांव  वन  मंडल अंतर्गत  कक्ष क्रमांक पी एफ 449 कोपाबेड़ा  शिव मंदिर के पास 2.50 एकड भूभाग मे कृष्ण कुंज का निर्माण किया गया कोंडगांव परिक्षेत्रा के समीप स्थित कृष्ण कुंज निर्माण के संदर्भ मे तत्कालिक डी.एफ.ओ.उत्तम कुमार गुप्ता बताते है कि इसके निर्माण का मुख्य कारण यह है कि राजस्व भूमि मे कृष्ण कुंज निर्माण से अतिक्रमण से सुरक्षा के साथ धार्मिक आस्था का संचार होगा और क्षेत्र मे निवासरत आम जन के मध्य हरियाली प्रसार कर शुद्ध, स्वच्छ, वातावरण निर्मित करना है यहां स्वच्छ वातावरण मे स्परिवार भ्रमण कर प्रकृति को आत्मसात कर पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धन करना है ताकि भावी पीढ़ी इसके महत्व को समझे तत्कालिक डी.एफ.ओ. उत्तम गुप्ता का कथन है कि संपूर्ण छ्ग मे इससे बेहतर आकर्षक कृष्ण कुंज कही और निर्मित नही हुआ है  


 श्री रमेश कुमार जांगड़े (आई.एफ.एस.)       कोंडागाँव वन मंडलाधिकारि
 

वर्तमान कोंडगांव वन मंडलाधिकारी जांगडे साहब .बताते है कि गौण खनिज न्यास मद से कृष्ण कुंज का निर्माण किया गया है जिसकी लागत 41.93 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे यथा संभव उसे आकर्षक निर्माण करने का प्रयास किया गया आज वहां अवगमन करते राहगीर मंत्र मुग्ध होकर कृष्ण कुंज की प्रशंसा करते नही थकते करीब ही श्री शिव मंदिर् होने की वजह से बहुत से भक्त जनों का अनवरत लगा रहता है भविष्य मे उन्हे कृष्ण कुंज परिसर मे सुकुन के कुछ क्षण व्यतीत करने मे आनंद की अनुभूति होगी कोंडागांव डी एफ. ओ. जंगाडे साहब ने बताया इसके निर्माण के पीछे सभी वन कर्मियों ने पूरी मेहनत की है तथा यह कृष्ण कुंज के मध्य मे मुलायम घास से कलाकृतिक रूप से उकेरा गया है  अन्य रिक्त स्थानों मे पारंपरिक धार्मिक आस्थावान पेड़,पौधों के साथ ही फलदार,रंग बिरंगे फूलदार, औषधि युक्त पौधे कृष्ण कुंज को आकर्षक मनमोहक बना रहे है 

एस.डी.ओ. आशीष कोडरीवाल  साहब

वही कोडागाँव वन मंडल के एस.डी.ओ. आशीष कोडरीवाल का कथन है कि पेड़ पौधे रोपण करना मुख्य उद्देश्य मात्र नही है बल्कि उसकी सुरक्षा करना सबसे बड़ी चुनौती है इसके लिए चारो और चैन लिंक से लेकर बाउंड्री वॉल से घेरा गया है ताकि गाय गरुआ और मवेशी से सुरक्षित रखा जा सके कोंडागाँव उपवन मंडलाधिकारी आशीष कोडरीवाल आगे बताते है  कि रोपित पेड़ पौधे वर्ष दो वर्ष पश्चात जब वे युवा हो रहे होते है तब मानव समाज उसके अस्तित्व को समूल नष्ट करने नाना प्रकार के जतन करता है इसके लिए सुरक्षित करने ऐसे धार्मिक आस्था वाले पेड़ पौधे रोपे गए है जिसकी धार्मिक ग्रंथों मे उल्लेख मिलता है जिनमे मुख्यतः कदम से लेकर आँवला तक शामिल है जिनका समय समय पर पूजा अर्चना भी की जाती है इससे आम लोगों मे पेड़ पौधे, प्रकृति, पर्यावरण के प्रति श्रद्धा और जागरूकता बढ़ेगी 

     श्री अनूप कुमार अवधिया आर.ओ . 

कोंडागांव के तत्कालिक एवं वर्तमान रायपुर परिक्षेत्राधिकारी अनूप कुमार अवधिया जिन्होंने आपना संपूर्ण जीवन वानिकी कार्यों को समर्पित किया तथा उनको कार्यों का लंबा अनुभव रहा है वे बताते है कि कृष्ण कुंज निर्माण के पूर्ण भूमि असमतलीय उबड खाबड़ थी जिसे कारण कृष्ण कुंज निर्माण मे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था छोटे बड़े पेड़ पौधे घास फुस के खरपतवार और उबड़ खाबड़ असमतल  भूमि को समतली कारण करने मे बहुत समय लगा पश्चात  काली,मुरुमी,मिट्टी डाला गया ताकि रोपित पौधे तेजी से ग्रोथ कर सके तत्कालिक कोंडगांव रेंजर  अपने द्वारा निर्मित कृष्ण कुंज निर्माण करने का अनुभव  साझा करते हुए  नवा रायपुर मे पदस्थ परिक्षेत्राधिकारी श्री अनूप अवधिया बताते है कि धार्मिक आस्था और पूजनीय, फलदार, फूल्रदार, सायादार,पांच सौ से अधिक पेड़ पौधों का,जिनमे पीपल,आम, कृष्ण वट,बरगद,इमली, जामुन, गुलर, कदम, शहतूत, तेंदु, चार, गंगा इमली, अनारा, कैथ, नीम, बाबुल,बेल, आंवला,पलाश,अमरूद, सीताफल, का रोपण किया गया है रोपण पश्चात उसकी सुरक्षा अनिवार्यतः हो जाता है 

             कृष्ण कुंज कोंडागांव

इसके लिए रेंजर अनूप अवधिया बताते है कि कृष्ण कुंज के चारो ओर बाउंड्रीवॉल, चैन लिंक फेंसिंग कराया गया है ताकि मवेशी,चराई और पौधे कटाई से रोक जा सके कृष्ण कुंज को आकर्षक बनाने के लिए उगता सूर्य आकृति गोल कुंड और पथ वे पर रश्मि  नुमा आकृति के स्थन पर ऐसे आधुनिक पेवर्स ब्लाक निर्माण कराए गए है जिसे देख कोई भी भ्रमणकारी व्यक्ति वहां के पेड़ पौधों के आकर्षण, वहाँ के आबो हवा, का कायल हो जाएगा वही गोलाकार  सूर्य आकृति के मध्य और पथ वे रश्मि के स्थान पर हरे भरे इस कलाकृति से मुलायम हरे घास लगाए गए है जो देखने पर ही आकर्षक और लुभावना दिखता है ऐसे हरे भरे सुकून के क्षण मे पर्यटक स्वतः को समस्त प्रकार से तलाव मुक्त महसूस करेंगे तत्कालीन कोंडगांव रेंजर अनूप अवधिया बताते है कि मुख्य द्वार को बहुत ही आकर्षक बनाए गाए है वही उसके वॉल पर रंग बिरंगे कलर से भगवान श्री कृष्ण का चित्र उकेरा गया है जहां विभिन्न मुद्राओं मे प्रभु श्री कृष्ण भगवान के जीवन गाथा वर्णित है जिसे देख कर आम जन उनके इतिहास गाथा का वर्णन की जानकरी प्राप्त कर धार्मिक जिज्ञासा का रसपान कर धर्म अध्यात्म संस्कृति का ज्ञान अर्जित कर सकेंगे

      श्री बी. रामा राव वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी

तत्कालिक कोंडागांव रेंजर अनूप कुमार अवधिया बताते है कि कृष्ण कुंज निर्माण के पीछे केवल हरियाली प्रसार और नैसर्गिक वातावरण निर्मित करना उद्देश्य ही नही है बल्कि हरे भरे वृक्ष के पीछे ईश्वर का वास होना भी है जिसका मानव समाज के द्वारा धड़ल्ले से हरे भरे पेड़ पौधों का विरलन और पातन कर प्रकृति और पर्यावरण की क्षति पहुंचाई जा रही है जिसके परिणीति के रूप मे ईश्वर का प्रकोप कोरोना जैसे विकराल बीमारी से जूझे है इसलिए पेड़ पौधों और पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन की आवश्यकता है यही वजह है प्रभु श्री कृष्ण के नाम पर कृष्ण कुंज का नाम किया गया है ताकि धार्मिक आस्था वाले पेड़ पौधों का संहार करने मे मानव हजार बार सोचे 

 श्री राकेश शुक्ला आर. ए. कोंडगांव

वर्तमान कोंडागाँव रेंजर बी.रामाराव कृष्ण कुंज  मे रोपे गए पेड़ पौधों की पूरी सुरक्षा देखरेख के प्रति संवेदनशील है आर. ए. राकेश शुक्ला कोंडागांव जो मैदानी अमले के मुख्य कर्ता धर्ता होते है वे बताते है कि फॉरेस्ट गार्ड,एवं चौकीदार सहित अन्य वन कर्मियों पर नियमित सुरक्षा का भार सौंप रखा है वे भी प्रति दिन नियमित पानी और रख रखाव कर रहे है  
इस कृष्ण कुंज के संदर्भ मे फॉरेस्ट गार्ड कोंडागांव  गजेंद्र मरकाम गौड़ बताते है कि ग्रीष्म ऋतु  मे पानी व्यवस्था हेतु टैकर द्वारा या अन्य संसाधन से किया जाना बताया गया है वही  देख रेखा सुरक्षा उपचार हेतु छ माह मे केज्युवल्टी कार्य भी किए गए है अभी तक कोई भी पौधे मरणासन्न अवस्था मे नही है और सभी पौधे स्वस्था और ग्रोथ कर रहे है रेंजर बी. रामाराव आगे बताते है कि चार वर्षों के लिए कार्य संपादित किया जाना है इसके लिए संपूर्ण माकुल व्यवस्था है वर्तमान  स्थिति मे पौधे पांच से दस फीट ऊँचाई मे पहुँच चुका है जिसकी वजह से कृष्ण कुंज एक आकर्षक स्वरूप मे परिलक्षित हो रहा है

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

जान जोखिम मे डाल कर बांस विरलन से विभाग को राजस्व देने वाला देवपुर रेंज

 जान जोखिम मे डाल कर बांस विरलन से विभाग को राजस्व  देने वाला देवपुर रेंज 


अल्ताफ हुसैन /सहयोगी मज़हर इकबाल द्वारा

बलौदाबाजार वन मंडल देवपुर रेंज से सीधे  सघन वन क्षेत्र बांस विरलन की रिपोर्ट 


रायपुर (छ्ग वनोदय पत्रिका) छ्ग प्रदेश का सघन वन क्षेत्र बलौदा बाजार वन मंडल के अंतर्गत देवपुर वन परिक्षेत्र की अपनी अलग आभा दिखती है इसका मुख्य कारण यहाँ की गगन चुंबी पहाड़ के उपर सागौन सहित भिन्न भिन्न प्रकार के पेड़ पौधे वनोंषधि के भांति भांति के आकर्षक फल, फूल,पौधे, जड़ी बूटी,पत्तो के साथ यहां के ऊँची पहड़ों की चोटी से शीर्ष  स्थल पर कलकल करती गिरती हुई पानी की जलधारा जो किसी देवधारा से कम परिलक्षित नही होता और स्वतः प्राकृतिक सौंदर्य आभा के साथ ही यहां के मनोरम दृश्य को हृदय स्पर्शी बना कर मर्म मस्तिष्क को प्रफुल्लित  करती है यही नही ऊँचे ऊँचे पहाड़ के चोटी से ढालान की और नीचे उतरते हुए असमतल उबड़  खाबड़ चट्टानों के मध्य अपने सैकड़ों वर्षो से स्निग्ध काले चट्टानी पत्थरों की वैभव शाली इतिहास की गवाही देते हुए यह कहते हुए नही थकती कि प्रकृति ने आदि काल से मानव समाज को अपनी गोद मे लालन पालन किया है उन्हे फल फूल, वनोपज देकर जीवन दायिनी बनी है वन्य जीव जंतुओं को अठखेलिया करते समस्त ऋतुओं मे उनके वास सहवास का साधन बनी रही देवपुर परिक्षेत्र का उक्त देवघाट की नैसर्गिक हरीतिमा युक्त छटा बढाने मे  लहरदार सर्पिणी के समान मुख्य मार्ग से लेकर सघन वन क्षेत्र के मध्य मे ऊँचे ऊँचे हरे भरे बांस के अनगिनत भिर्रा के पेड़ पहाड़ी क्षेत्र को और अधिक आकर्षक,मनोहारी बनाती है  बलौदा बाजार वन मंडल का देवपर परिक्षेत्रा का यह क्षेत्र सर्वाधिक प्राकृतिक बांस उत्पादन क्षेत्र है जहाँ से विभाग संपूर्ण क्षेत्र मे बांस का विरलन कर प्रदेश भर मे बांस खपत अपूर्ति सेकडों वर्षों से कर रहा है जहा स्थानीय ग्रामीणों के अलावा वन विभाग कें लिए आर्थिक स्त्रोत का मुख्य साधन और रीढ़ की हड्डी मानी जाती है 

इस संदर्भ मे बलौदा बाजार के वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल बताते है कि देवपुर परिक्षेत्र बांस का प्राकृतिक उत्पादन होता है यहां की गुणवत्ता युक्त बांस संपूर्ण प्रदेश मे उत्तम क्वालिटी मानी जाती है यही वजह है कि प्रदेश भर मे देवपुर परिक्षेत्र के बांस की अच्छी मांग है बलौदा बाजार भावसे अधिकारी मयंक अग्रवाल बताते है कि इसके विरलन् के तीन से चार वर्ष पूर्व परिपक्व बांस क्षेत्र की गणना की जाती है पश्चात अनेक विकट परिस्थियों मे कार्य संपादित किया जाता है उन्होंने आगे बताया कि बांस विरलन की प्रक्रिया भी बड़ी जटिल होती है एक सौ भिर्रा वाले भूभाग क्षेत्र मे सैंपल के रूप मे सौ से उपर परिपक्व  बांस भिर्रा क्षेत्र की गणना की जाती है





  गणना कर बांस लगाकर लाइनिंग कार्य कर उस क्षेत्र को कूप बनाया जाता है जिसका अनुमानित उत्पादन निकालकर उस हिसाब से आगामी वर्ष मे बजट जारी की जाती है जिसका विरलन आगामी वित्तीय वर्ष सितंबर माह से प्रारंभ कर ग्रीष्म ऋतु के पूर्व लगभग पांच से छ माह तक कार्य संपादित कर लिया जाता है 




बलौदाबाजार वन मंडल सोनाखान, देवपुर के एस डी ओ  राकेश चौबे  एक सुलझे हुए, अनुभवी,परिपक्व अधिकारी है उनकी दूर दृष्टि सोच कार्यों को पार दर्शी बनाती है उनका कथन है कि देवपुर परिक्षेत्र मे बांस विरलन बहुत दुरूह कार्य है देवघाट पर्वत शृंखला की चोटी मे बसे प्राकृतिक बांस के वन के विरलन मे स्थानीय मजदूर अल्प मात्रा मे कटाई करते है उदाहरण स्वरूप यदि स्थानीय मजदूर बीस बांस की कटाई दिन भर मे करने की क्षमता है तो बाहरी क्षेत्र से आए मजदूर दिन भर मे दोगुना अर्थात कमोबेश पैतीस से चालीस बांस का विरलन कर देते है जिससे कार्यों मे गति और उसके विरलन आवधि मे कार्य संपादित हो जाता है उप वन मंडलाधिकारी  राकेश चौबे आगे बताये है कि बाहरी क्षेत्र से लाए गए मजदूर पूर्णतः दक्ष और कुशल होते है बस्तर से इनकी पूरी टीम बुलाई जाती है जो पहाड़ के शीर्ष पर अस्थायी बांस और घास फूस की कुटिया बना कर लगभग छ माह का प्रवास करते है  बांस विरलन कार्य मे सप्ताह के एक दिन  स्थानीय हाट बाजार से रसद क्रय कर उपर पहुंचा कर पूरी तन्मयता से प्रातः काल से ही विरलन  कार्य को अंजाम देते है बलौदाबाजार देवपुर एस.डी.ओ.राकेश चौबे आगे बताते है कि दुर्गम और जटिल क्षेत्र होने के कारण बांस विरलन  कार्य मे बहुत सी समस्या आती है सघन वन क्षेत्र मे हिंसक वन्य प्राणियों का खतरा,  मजदूरों के आकस्मिक अस्वस्थता होने की स्थिति मे दवा उपचार का अभाव, लाइट और मोबाइल नही इन परिस्थितियों मे बड़ी जद्दो जहद से दो चार होना पड़ता है मजदूरों के भावी सुरक्षा की क्या व्यवस्था पूछने पर बलौदा बाजार देवपुर उप वन मंडलाधिकारी राकेश चौबे बताते है कि बैटरी चलित झटका मशीन डी.ई.तार से कनेक्ट कर लगाया जाएगा उसकी व्यवस्था की जा रही है देवपूर के युवा, कर्मठ जुझारू परिक्षेत्राधिकारी पुष्पेन्द्र साहू से बांस विरलन  के संदर्भ मे पूछने पर बताते है कि 


बस्तर से बहुत से मजदूरों को बांस विरलन कार्य हेतु बुलाया गया है जिन्हे स्थानीय देवपूर् वन समिति के सानिध्य और मार्गदर्शन मे बांस विरलन  कार्य संपादित हो रहा है इसके एवज मे समिति को वर्षों से प्रति वर्ष राजस्व की शत प्रतिशत लाभांश राशि प्रदाय की जाती है जिसकी राशि से रोजगार, आस्था और ,सामाजिक मूलक, कार्य संपादित होते है देवपूर् परिक्षेत्राधिकारी पुष्पेन्द्र साहू आगे बताते है कि स्थानीय रोजगार के इतर अन्य क्षेत्र के मजदूरो का प्रवास से स्थानीय रोजगार प्रभावित नही होता उन्हे निचले वन क्षेत्र मे विरलन या अन्य पातन कार्य दिया जाता है वही ऊँचाई वाले वन क्षेत्र मे स्थानीय कामगारो मे बहुत बहाने हीला हवाला होता है जिससे कार्य अवरुद्ध होता है ग्रीष्म ऋतु के पूर्व तय सीमा मे बांस विरलन पातन कार्य न होने से लक्ष्य प्रभावित होता है और विभाग लक्ष्य से बिछड़ जाता है उन्होंने बताया कि ग्रीष्म ऋतु के पूर्व बांस विरलन कार्य ना हो पाने से ग्रीष्म ऋतु मे बांस वन क्षेत्र मे परस्पर घर्षण से अग्नि दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है और विभाग को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है इसलिए तय अवधि मे बांस विरलन अनिवार्य होता है बांस वन क्षेत्र देवपूर् रेंज के मैदानी अमलो मे तैनात रीखीराम साहू वन रक्षक और शोभा सिंह ने बताया कि बस्तर से आए मजदूरों को समय समय पर राशन पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा उन्हे बीस दिन के अंतराल मे मजदूरी भुगतान कर दिया जाता है 




रिखिराम साहू शोभा सिंह जो मैदानी अमले की पूरी व्यवस्था और कार्य संपादित करते है उन्होंने बताया कि छोटे बड़े बांस की निर्धारित प्रति नग की दर से वन विभाग द्वारा तय किया गया है 



उदाहरण स्वरूप ऊँचाई मध्यम वाले बांस की दर उपरोक्त स्तर पर विभाग द्वारा निर्धारित की गई है वन रक्षक द्वय ने बताया कि एक मीटर का टुकडा भी व्यर्थ नही जाता उसे बीस थप्पी का सौ बंडल करने पर 2022 रुपये प्रदाय किया जाता है रिखि राम साहू और शोभा सिंह ने आगे बताया कि वन क्षेत्र की ऊँचाई से नीचे लाने मे बहुत कठिन कार्य लगा है इसके लिए वन क्षेत्र मे ही अस्थायी  पहुँच मार्ग बनाया जाता है जो सड़क मुख्य मार्ग से होते हुए देवपूर्, नवगांव,परिसर मे डंप किया जात है तथा मांग होने पर आपूर्ति के अनुसार उसे गंतव्य स्थान भेजा जाता है 

शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

वन विकास निगम मे खुले आम भर्राशाही, लूट सको तो लूट लो

  वन विकास निगम मे खुले आम भर्राशाही, लूट सको तो लूट लो


अल्ताफ हुसैन 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छ्ग राज्य वन विकास निगम जो छ्ग शासन की स्व पोषित संस्था माना जाता है चिन्हित कष्ठागार  से सागौन सहित बेशकीमती इमारती काष्ठों की नीलामी कर उक्त आय से वन विकास निगम का संचालन करता है लेकिन लगातार भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाला, के चलते वह अब सफेद हाथी बनता जा रहा है छ्ग वन विकास निगम मे काष्ठागार,एवं आईपीडी योजनाओ सहित अन्य लाभ अर्जित करने के नाम पर इसका ग्राफ निम्न स्तर पर पहुँच चुका है इसका सीधा उदाहरण यह है कि प्रति वर्ष मुख्य मंत्री के नाम पर राज्य शासन को देने वाला लाभांश राशि दो से तीन करोड़ तक पहुँच चुका है जबकि प्रारंभिक काल मे  जब एस सी जेना  साहब इसके एम।डी. हुआ करते थे तब राज्य शासन की लाभांश राशि लगभग सताईस  करोड़ रुपये दिए जाते थे केवल पच्चीस वर्ष मे इसकी हालात इतना खस्ता हो चुकी है कि लाभांश राशि का ग्राफ स्तर कई गुणा नीचे पहुँच चुका है इसकी मुख्य वजह यह है कि कई सेवा निवृत अधिकारीयों की लगातार भ्रष्ट कार्य शैली ने इसके आर्थिकी ढांचे पर लोभ और लालच के कुल्हाड़ी से कुठाराघात कर वन विकास निगम के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है अब स्थिति यह हो गई है कि  छ्ग राज्य वन विकास निगम के सभी अधिकारी कर्मचारी उस बिल्ली की भांति आँख मुंद कर  दूध मे जमे मलाई पर ऐसा झपट्टा मार कर चट करने का सुअवसर देखते रहते है जैसे उनकी बंद आँख कर मलाई चट करने वाली प्रवृत्ति पर उक्त गतिविधियों  पर कोई देख नही रहा है  परंतु कहते है कि बिल्ली के भाग में छिका फूटे वाली उक्ति चरितार्थ हो जाती है ऐसे बहुत से प्रकरण जनमानस के समक्ष आते रहे है जो छ्ग राज्य वन विकास निगम की कार्य प्रणाली से सभी भली भांति परिचित है जैसे छ्ग राज्य वन विकास निगम के वर्षो से अघोषित एम. डी. के रूप मे संविदा नियुक्त प्रधान वित्त शाखा प्रबन्धक भोजराज जैन जो सेवानिवृत होने के पश्चात अपनी दूसरी पारी मे पांचवी इवनिंग की तैयारी कर चुके है एक प्रकार से वे छ्ग वन विकास निगम मे अंगद की पांव की तरह यहां लंबे समय से जमे हुए है वर्षों से वन विकास निगम को भ्रष्टाचार, गड़बड़  घोटाल,की कालिख  से पोतकर वन विकास निगम में काजल की काली  कोठरी मे परिवर्तित करने मे अपनी महती अहम भूमिका अदा कर चुके है अब चाहे किसी का ट्रांसफर हो,किसी को राशि लेकर नौकरी लगाने से लेकर पदोन्नत करना अब चाहे 1997 से लेकर अब तक अनियमित  कर्मचारी लोकेश साहू और इन जैसे कई कर्मचारियों को जिसकी वरीयता सूची मे नाम ही नही था उन्हे नियमित पोस्ट कर पदोन्नत कर दो स्टार से विभूषित करना भले शिक्षा के नाम पर  फर्जी सर्टिफिकेट लगाया गया हो और बार नवापारा परियोजना मंडल मे एस डी ओ तक पदोन्नत कर प्रभार दे दिया गया जिनमे मोहला परियोजना मंडल के सर्वाधिक चर्चित प्रभारी रेंजर खटकर  जिनके काले कारनामों की सूची सूचना के अधिकार मे पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय राजनांदगाँव से निकाली गई थी वह आज भी फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ के पास मौजूद है यही नही वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन द्वारा ऑडिट मे सभी नौ परियोजना मंडल के वित्त शाखा कर्मियों का भय दोहन कर प्रति वर्ष लाखों रुपये की उगाही,आम बात है वन विकास निगम मे किसी भी दुर्घटना मे मृत निगम कर्मियों के परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति  भले ही उसके यहां का कोई सदस्य पूर्व मे शासकीय सेवा मे संलग्न क्यो न हो उन्हे नियम विरुद्ध जाकर अनुकंपा  नियुक्ति दिलाकर वन विकास निगम मे  आधे से अधिक निगम कर्मी अपनी सेवा शान ओ शौकत से कर रहे है उस पर निगम अधिकारियों का रुदाली रोना इस प्रकार से कि निगम मे स्ताफ,कर्मचारियों कि भारी कमी है



जबकि वर्षो से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को जिनमे कई तो सेवा निवृत के कागार मे पहुँच चुके है परंतु उनका नियमितिकरण  आज पर्यंत नही हो पाया वहीं दूसरी ओर अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारी भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाला, जैसे सारे सकल कर्म करे उन्हे बचाने के लिए वित्त प्रबन्धन भोजराज जैन बारह महीने चौबीस घंटे उपलब्ध रहते है तथा उन्हे बचा भी लेते है इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि कोडार डिपो मे पदस्थ अनुकंपा कर्मी जागृति देवांगन  वर्ष 2021मे देह व्यापार मे सलिप्त पाया गया जिसे कुछ माह जेल की हवा खाने  के बाद पुनः नौकरी मे बहाल कर दिया गया बाद मे उसे फिर हटा दिया गया ज्ञात हुआ है कि देह व्यापार मे लिप्त एक महिला फांसी लगा कर इहलीला समाप्त कर दी इस बीच निगम की छिछालेदर न हो उसे कार्यों से कुछ समय तक कार्यों से पृथक कर दिया गया अब चर्चा  जमकर हो रही है कि बार डिविजन देवेंद्र नगर कार्यालय मे सजायाफ्त जागृत देवांगन को फिर नियुक्त कर दिया गया अब यह सब कैसे नियुक्ति हुआ यह सब बेहतर जानते है परंतु नियम  तो यह है कि ऐसे अपराधिक गतिविधियों मे संलिप्त पाए जाने वाले कर्मचारीयों को तत्काल कार्यों से बर्खास्त किया जाता है परंतु सारे नियम कानून को धता बताते हुए अनुकंपा नियुक्त जागृत देवांगन और उस जैसे बहुत से कर्मचारी है जो आज भी डंके की चोट पर छ्ग राज्य वन विकास निगम मे अपनी सेवाएं दे रहे है तथा निगम के अधिकारी भी मुंह कान आँख बंद किए हुए मूक बधिर और सुरदास बने हुए है यही वजह है कि निगम क्षेत्र के वन मे कितनी चोरी हो रही कुछ भी ज्ञात नही हो पाता विश्वस्त सूत्रों से ज्ञान हुआ है कि कोडार काष्ठागार मे राष्ट्रीय कृत परिपक्व दस नग  इमारती बीजा काष्ठ   01जनवरी 2024 को आरंग परिक्षेत्र के रेंजर युवराज साहू और उनकी टीम द्वारा कोडार के समीप लोहारडीह पेंड्रा से  राजसात किया गया था बताया गया है कि उक्त बीजा काष्ठ स्थानीय किसी कृषक के खेत से काटा गया था जिसे वन विकास निगम रेंजर देवराज साहू के मार्ग दर्शन मे जप्ती किया गया था मजे की बात यह है कि एक माह से उपर होने के बावजूद न ही कृषक पर अब तक कोई वैधानिक तौर पर कार्यवाही की गई और न ही (पी.ओ.आर.)  पंचनामा किया गया सवाल उठता है कि बेशकीमती बीजा काष्ठ जप्ती के पश्चात अपने वरिष्ठ अधिकारी आर. जी. एम. डिविजन मैनेजर, डिप्टी डी एम. को इसकी सूचना दी गई अथवा नही? यदि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई तो अब तक  पंचनामा सहित कटाई करने वाले आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही क्यो नही की गई ? बेशकीमती बीजा काष्ठ को आरंग मे क्यों छुपा कर रखा गया ? जबकि विश्वस्त सूत्र से यह भी ज्ञात हुआ है कि पेड्रा,लोहारडीह, के कक्ष क्रमांक 850 से परिपक्व बीजा काष्ठ की कटाई की गई थी परंतु कटाई करने वाले पर कोई  कार्यवाही,हुई और न ही विभागीय कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही की गई  अब,इसे क्या समझा जाए ?काष्ठ तस्कर से मिली भगत के बीजा काष्ठ की कटाई की गई जब ही तो उस और कोई कार्यवाही नही की गई यदि विभागीय कटाई की जाती तो पहले लिखित मे परमिशन लिया जाता फिर हैमर लगा कर मार्किंग की जाती पश्चात कटाई की जाती मगर ऐसा कुछ भी नही किया गया और चोरी छिपे कटाई हो गई ? अब इस संदर्भ मे बार नवापरा परियोजना मंडल के डी.एम. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस तारतमय मे क्या कार्यवाही करते है देखना होगा? यह मामला तो ताजा तरीन है मगर कोडार कष्ठागार और आठ अन्य परियोजना  मंडल काष्ठागार में भी होने वाली नीलामी अभिलेखों,टीपी मे कई ट्रक काष्ठ परिवहन हो रहे है जिसका कोई पूरसाने हाल नही है और लाखों, करोड़ों का खेला हो जाता है