शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

वन विकास निगम मे खुले आम भर्राशाही, लूट सको तो लूट लो

  वन विकास निगम मे खुले आम भर्राशाही, लूट सको तो लूट लो


अल्ताफ हुसैन 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छ्ग राज्य वन विकास निगम जो छ्ग शासन की स्व पोषित संस्था माना जाता है चिन्हित कष्ठागार  से सागौन सहित बेशकीमती इमारती काष्ठों की नीलामी कर उक्त आय से वन विकास निगम का संचालन करता है लेकिन लगातार भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाला, के चलते वह अब सफेद हाथी बनता जा रहा है छ्ग वन विकास निगम मे काष्ठागार,एवं आईपीडी योजनाओ सहित अन्य लाभ अर्जित करने के नाम पर इसका ग्राफ निम्न स्तर पर पहुँच चुका है इसका सीधा उदाहरण यह है कि प्रति वर्ष मुख्य मंत्री के नाम पर राज्य शासन को देने वाला लाभांश राशि दो से तीन करोड़ तक पहुँच चुका है जबकि प्रारंभिक काल मे  जब एस सी जेना  साहब इसके एम।डी. हुआ करते थे तब राज्य शासन की लाभांश राशि लगभग सताईस  करोड़ रुपये दिए जाते थे केवल पच्चीस वर्ष मे इसकी हालात इतना खस्ता हो चुकी है कि लाभांश राशि का ग्राफ स्तर कई गुणा नीचे पहुँच चुका है इसकी मुख्य वजह यह है कि कई सेवा निवृत अधिकारीयों की लगातार भ्रष्ट कार्य शैली ने इसके आर्थिकी ढांचे पर लोभ और लालच के कुल्हाड़ी से कुठाराघात कर वन विकास निगम के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है अब स्थिति यह हो गई है कि  छ्ग राज्य वन विकास निगम के सभी अधिकारी कर्मचारी उस बिल्ली की भांति आँख मुंद कर  दूध मे जमे मलाई पर ऐसा झपट्टा मार कर चट करने का सुअवसर देखते रहते है जैसे उनकी बंद आँख कर मलाई चट करने वाली प्रवृत्ति पर उक्त गतिविधियों  पर कोई देख नही रहा है  परंतु कहते है कि बिल्ली के भाग में छिका फूटे वाली उक्ति चरितार्थ हो जाती है ऐसे बहुत से प्रकरण जनमानस के समक्ष आते रहे है जो छ्ग राज्य वन विकास निगम की कार्य प्रणाली से सभी भली भांति परिचित है जैसे छ्ग राज्य वन विकास निगम के वर्षो से अघोषित एम. डी. के रूप मे संविदा नियुक्त प्रधान वित्त शाखा प्रबन्धक भोजराज जैन जो सेवानिवृत होने के पश्चात अपनी दूसरी पारी मे पांचवी इवनिंग की तैयारी कर चुके है एक प्रकार से वे छ्ग वन विकास निगम मे अंगद की पांव की तरह यहां लंबे समय से जमे हुए है वर्षों से वन विकास निगम को भ्रष्टाचार, गड़बड़  घोटाल,की कालिख  से पोतकर वन विकास निगम में काजल की काली  कोठरी मे परिवर्तित करने मे अपनी महती अहम भूमिका अदा कर चुके है अब चाहे किसी का ट्रांसफर हो,किसी को राशि लेकर नौकरी लगाने से लेकर पदोन्नत करना अब चाहे 1997 से लेकर अब तक अनियमित  कर्मचारी लोकेश साहू और इन जैसे कई कर्मचारियों को जिसकी वरीयता सूची मे नाम ही नही था उन्हे नियमित पोस्ट कर पदोन्नत कर दो स्टार से विभूषित करना भले शिक्षा के नाम पर  फर्जी सर्टिफिकेट लगाया गया हो और बार नवापारा परियोजना मंडल मे एस डी ओ तक पदोन्नत कर प्रभार दे दिया गया जिनमे मोहला परियोजना मंडल के सर्वाधिक चर्चित प्रभारी रेंजर खटकर  जिनके काले कारनामों की सूची सूचना के अधिकार मे पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय राजनांदगाँव से निकाली गई थी वह आज भी फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ के पास मौजूद है यही नही वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन द्वारा ऑडिट मे सभी नौ परियोजना मंडल के वित्त शाखा कर्मियों का भय दोहन कर प्रति वर्ष लाखों रुपये की उगाही,आम बात है वन विकास निगम मे किसी भी दुर्घटना मे मृत निगम कर्मियों के परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति  भले ही उसके यहां का कोई सदस्य पूर्व मे शासकीय सेवा मे संलग्न क्यो न हो उन्हे नियम विरुद्ध जाकर अनुकंपा  नियुक्ति दिलाकर वन विकास निगम मे  आधे से अधिक निगम कर्मी अपनी सेवा शान ओ शौकत से कर रहे है उस पर निगम अधिकारियों का रुदाली रोना इस प्रकार से कि निगम मे स्ताफ,कर्मचारियों कि भारी कमी है



जबकि वर्षो से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को जिनमे कई तो सेवा निवृत के कागार मे पहुँच चुके है परंतु उनका नियमितिकरण  आज पर्यंत नही हो पाया वहीं दूसरी ओर अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारी भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाला, जैसे सारे सकल कर्म करे उन्हे बचाने के लिए वित्त प्रबन्धन भोजराज जैन बारह महीने चौबीस घंटे उपलब्ध रहते है तथा उन्हे बचा भी लेते है इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि कोडार डिपो मे पदस्थ अनुकंपा कर्मी जागृति देवांगन  वर्ष 2021मे देह व्यापार मे सलिप्त पाया गया जिसे कुछ माह जेल की हवा खाने  के बाद पुनः नौकरी मे बहाल कर दिया गया बाद मे उसे फिर हटा दिया गया ज्ञात हुआ है कि देह व्यापार मे लिप्त एक महिला फांसी लगा कर इहलीला समाप्त कर दी इस बीच निगम की छिछालेदर न हो उसे कार्यों से कुछ समय तक कार्यों से पृथक कर दिया गया अब चर्चा  जमकर हो रही है कि बार डिविजन देवेंद्र नगर कार्यालय मे सजायाफ्त जागृत देवांगन को फिर नियुक्त कर दिया गया अब यह सब कैसे नियुक्ति हुआ यह सब बेहतर जानते है परंतु नियम  तो यह है कि ऐसे अपराधिक गतिविधियों मे संलिप्त पाए जाने वाले कर्मचारीयों को तत्काल कार्यों से बर्खास्त किया जाता है परंतु सारे नियम कानून को धता बताते हुए अनुकंपा नियुक्त जागृत देवांगन और उस जैसे बहुत से कर्मचारी है जो आज भी डंके की चोट पर छ्ग राज्य वन विकास निगम मे अपनी सेवाएं दे रहे है तथा निगम के अधिकारी भी मुंह कान आँख बंद किए हुए मूक बधिर और सुरदास बने हुए है यही वजह है कि निगम क्षेत्र के वन मे कितनी चोरी हो रही कुछ भी ज्ञात नही हो पाता विश्वस्त सूत्रों से ज्ञान हुआ है कि कोडार काष्ठागार मे राष्ट्रीय कृत परिपक्व दस नग  इमारती बीजा काष्ठ   01जनवरी 2024 को आरंग परिक्षेत्र के रेंजर युवराज साहू और उनकी टीम द्वारा कोडार के समीप लोहारडीह पेंड्रा से  राजसात किया गया था बताया गया है कि उक्त बीजा काष्ठ स्थानीय किसी कृषक के खेत से काटा गया था जिसे वन विकास निगम रेंजर देवराज साहू के मार्ग दर्शन मे जप्ती किया गया था मजे की बात यह है कि एक माह से उपर होने के बावजूद न ही कृषक पर अब तक कोई वैधानिक तौर पर कार्यवाही की गई और न ही (पी.ओ.आर.)  पंचनामा किया गया सवाल उठता है कि बेशकीमती बीजा काष्ठ जप्ती के पश्चात अपने वरिष्ठ अधिकारी आर. जी. एम. डिविजन मैनेजर, डिप्टी डी एम. को इसकी सूचना दी गई अथवा नही? यदि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई तो अब तक  पंचनामा सहित कटाई करने वाले आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही क्यो नही की गई ? बेशकीमती बीजा काष्ठ को आरंग मे क्यों छुपा कर रखा गया ? जबकि विश्वस्त सूत्र से यह भी ज्ञात हुआ है कि पेड्रा,लोहारडीह, के कक्ष क्रमांक 850 से परिपक्व बीजा काष्ठ की कटाई की गई थी परंतु कटाई करने वाले पर कोई  कार्यवाही,हुई और न ही विभागीय कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही की गई  अब,इसे क्या समझा जाए ?काष्ठ तस्कर से मिली भगत के बीजा काष्ठ की कटाई की गई जब ही तो उस और कोई कार्यवाही नही की गई यदि विभागीय कटाई की जाती तो पहले लिखित मे परमिशन लिया जाता फिर हैमर लगा कर मार्किंग की जाती पश्चात कटाई की जाती मगर ऐसा कुछ भी नही किया गया और चोरी छिपे कटाई हो गई ? अब इस संदर्भ मे बार नवापरा परियोजना मंडल के डी.एम. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस तारतमय मे क्या कार्यवाही करते है देखना होगा? यह मामला तो ताजा तरीन है मगर कोडार कष्ठागार और आठ अन्य परियोजना  मंडल काष्ठागार में भी होने वाली नीलामी अभिलेखों,टीपी मे कई ट्रक काष्ठ परिवहन हो रहे है जिसका कोई पूरसाने हाल नही है और लाखों, करोड़ों का खेला हो जाता है 

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