बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

कोंडागाँव वन मंडल का कृष्ण कुंज बना आकर्षण का केंद्र

 कोंडागाँव वन मंडल का कृष्ण कुंज बना आकर्षण का केंद्र 


अल्ताफ हुसैन द्वारा 

रायपुर  (छ्ग वनोदय(छ्ग प्रदेश की सर्वाधिक नैसर्गिक वातावरण वाला क्षेत्र जहाँ के ऊँचे ऊँचे  गगन चुंबी पहाड़ मे हरियाली की चादर ओढ़े श्रृगारित पेड़ पौधे जो आदि काल से वर्षों के अपनी ऐतिहासिक वैभव शाली गाथा की साक्षी है नैसर्गिक प्रकृति छटा का ऐसा मनोहारी दृश्य बिखेरता है जो किसी का भी मन मस्तिष्क को आकर्षित कर देता है ग्रीष्म काल मे सूर्य देव की तीक्षण तपिश के  बावजुद् उष्ण कटिबद्ध क्षेत्र मे प्रकृति का प्रभाव  संपूर्ण क्षेत्र मे न के बराबर रहता है धूल धुँआ एवं प्रदूषण रहित क्षेत्र मे बारह मासी नमी युक्त सूक्ष्म कण ओस की बूंदों से संपूर्ण वातावरण मे शीतलता और वाष्पीकरण की धुंधलका से दूरस्थ क्षेत्रों के पहाडों की अलाग ही आभा बिखेरती है  वह क्षेत्र समुद्र तट की ऊँचाई पर स्थित कोंडगांव से संरक्षित वन क्षेत्र के समीप स्थित है जहाँ कोंडागांव  वन  मंडल अंतर्गत  कक्ष क्रमांक पी एफ 449 कोपाबेड़ा  शिव मंदिर के पास 2.50 एकड भूभाग मे कृष्ण कुंज का निर्माण किया गया कोंडगांव परिक्षेत्रा के समीप स्थित कृष्ण कुंज निर्माण के संदर्भ मे तत्कालिक डी.एफ.ओ.उत्तम कुमार गुप्ता बताते है कि इसके निर्माण का मुख्य कारण यह है कि राजस्व भूमि मे कृष्ण कुंज निर्माण से अतिक्रमण से सुरक्षा के साथ धार्मिक आस्था का संचार होगा और क्षेत्र मे निवासरत आम जन के मध्य हरियाली प्रसार कर शुद्ध, स्वच्छ, वातावरण निर्मित करना है यहां स्वच्छ वातावरण मे स्परिवार भ्रमण कर प्रकृति को आत्मसात कर पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धन करना है ताकि भावी पीढ़ी इसके महत्व को समझे तत्कालिक डी.एफ.ओ. उत्तम गुप्ता का कथन है कि संपूर्ण छ्ग मे इससे बेहतर आकर्षक कृष्ण कुंज कही और निर्मित नही हुआ है  


 श्री रमेश कुमार जांगड़े (आई.एफ.एस.)       कोंडागाँव वन मंडलाधिकारि
 

वर्तमान कोंडगांव वन मंडलाधिकारी जांगडे साहब .बताते है कि गौण खनिज न्यास मद से कृष्ण कुंज का निर्माण किया गया है जिसकी लागत 41.93 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे यथा संभव उसे आकर्षक निर्माण करने का प्रयास किया गया आज वहां अवगमन करते राहगीर मंत्र मुग्ध होकर कृष्ण कुंज की प्रशंसा करते नही थकते करीब ही श्री शिव मंदिर् होने की वजह से बहुत से भक्त जनों का अनवरत लगा रहता है भविष्य मे उन्हे कृष्ण कुंज परिसर मे सुकुन के कुछ क्षण व्यतीत करने मे आनंद की अनुभूति होगी कोंडागांव डी एफ. ओ. जंगाडे साहब ने बताया इसके निर्माण के पीछे सभी वन कर्मियों ने पूरी मेहनत की है तथा यह कृष्ण कुंज के मध्य मे मुलायम घास से कलाकृतिक रूप से उकेरा गया है  अन्य रिक्त स्थानों मे पारंपरिक धार्मिक आस्थावान पेड़,पौधों के साथ ही फलदार,रंग बिरंगे फूलदार, औषधि युक्त पौधे कृष्ण कुंज को आकर्षक मनमोहक बना रहे है 

एस.डी.ओ. आशीष कोडरीवाल  साहब

वही कोडागाँव वन मंडल के एस.डी.ओ. आशीष कोडरीवाल का कथन है कि पेड़ पौधे रोपण करना मुख्य उद्देश्य मात्र नही है बल्कि उसकी सुरक्षा करना सबसे बड़ी चुनौती है इसके लिए चारो और चैन लिंक से लेकर बाउंड्री वॉल से घेरा गया है ताकि गाय गरुआ और मवेशी से सुरक्षित रखा जा सके कोंडागाँव उपवन मंडलाधिकारी आशीष कोडरीवाल आगे बताते है  कि रोपित पेड़ पौधे वर्ष दो वर्ष पश्चात जब वे युवा हो रहे होते है तब मानव समाज उसके अस्तित्व को समूल नष्ट करने नाना प्रकार के जतन करता है इसके लिए सुरक्षित करने ऐसे धार्मिक आस्था वाले पेड़ पौधे रोपे गए है जिसकी धार्मिक ग्रंथों मे उल्लेख मिलता है जिनमे मुख्यतः कदम से लेकर आँवला तक शामिल है जिनका समय समय पर पूजा अर्चना भी की जाती है इससे आम लोगों मे पेड़ पौधे, प्रकृति, पर्यावरण के प्रति श्रद्धा और जागरूकता बढ़ेगी 

     श्री अनूप कुमार अवधिया आर.ओ . 

कोंडागांव के तत्कालिक एवं वर्तमान रायपुर परिक्षेत्राधिकारी अनूप कुमार अवधिया जिन्होंने आपना संपूर्ण जीवन वानिकी कार्यों को समर्पित किया तथा उनको कार्यों का लंबा अनुभव रहा है वे बताते है कि कृष्ण कुंज निर्माण के पूर्ण भूमि असमतलीय उबड खाबड़ थी जिसे कारण कृष्ण कुंज निर्माण मे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था छोटे बड़े पेड़ पौधे घास फुस के खरपतवार और उबड़ खाबड़ असमतल  भूमि को समतली कारण करने मे बहुत समय लगा पश्चात  काली,मुरुमी,मिट्टी डाला गया ताकि रोपित पौधे तेजी से ग्रोथ कर सके तत्कालिक कोंडगांव रेंजर  अपने द्वारा निर्मित कृष्ण कुंज निर्माण करने का अनुभव  साझा करते हुए  नवा रायपुर मे पदस्थ परिक्षेत्राधिकारी श्री अनूप अवधिया बताते है कि धार्मिक आस्था और पूजनीय, फलदार, फूल्रदार, सायादार,पांच सौ से अधिक पेड़ पौधों का,जिनमे पीपल,आम, कृष्ण वट,बरगद,इमली, जामुन, गुलर, कदम, शहतूत, तेंदु, चार, गंगा इमली, अनारा, कैथ, नीम, बाबुल,बेल, आंवला,पलाश,अमरूद, सीताफल, का रोपण किया गया है रोपण पश्चात उसकी सुरक्षा अनिवार्यतः हो जाता है 

             कृष्ण कुंज कोंडागांव

इसके लिए रेंजर अनूप अवधिया बताते है कि कृष्ण कुंज के चारो ओर बाउंड्रीवॉल, चैन लिंक फेंसिंग कराया गया है ताकि मवेशी,चराई और पौधे कटाई से रोक जा सके कृष्ण कुंज को आकर्षक बनाने के लिए उगता सूर्य आकृति गोल कुंड और पथ वे पर रश्मि  नुमा आकृति के स्थन पर ऐसे आधुनिक पेवर्स ब्लाक निर्माण कराए गए है जिसे देख कोई भी भ्रमणकारी व्यक्ति वहां के पेड़ पौधों के आकर्षण, वहाँ के आबो हवा, का कायल हो जाएगा वही गोलाकार  सूर्य आकृति के मध्य और पथ वे रश्मि के स्थान पर हरे भरे इस कलाकृति से मुलायम हरे घास लगाए गए है जो देखने पर ही आकर्षक और लुभावना दिखता है ऐसे हरे भरे सुकून के क्षण मे पर्यटक स्वतः को समस्त प्रकार से तलाव मुक्त महसूस करेंगे तत्कालीन कोंडगांव रेंजर अनूप अवधिया बताते है कि मुख्य द्वार को बहुत ही आकर्षक बनाए गाए है वही उसके वॉल पर रंग बिरंगे कलर से भगवान श्री कृष्ण का चित्र उकेरा गया है जहां विभिन्न मुद्राओं मे प्रभु श्री कृष्ण भगवान के जीवन गाथा वर्णित है जिसे देख कर आम जन उनके इतिहास गाथा का वर्णन की जानकरी प्राप्त कर धार्मिक जिज्ञासा का रसपान कर धर्म अध्यात्म संस्कृति का ज्ञान अर्जित कर सकेंगे

      श्री बी. रामा राव वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी

तत्कालिक कोंडागांव रेंजर अनूप कुमार अवधिया बताते है कि कृष्ण कुंज निर्माण के पीछे केवल हरियाली प्रसार और नैसर्गिक वातावरण निर्मित करना उद्देश्य ही नही है बल्कि हरे भरे वृक्ष के पीछे ईश्वर का वास होना भी है जिसका मानव समाज के द्वारा धड़ल्ले से हरे भरे पेड़ पौधों का विरलन और पातन कर प्रकृति और पर्यावरण की क्षति पहुंचाई जा रही है जिसके परिणीति के रूप मे ईश्वर का प्रकोप कोरोना जैसे विकराल बीमारी से जूझे है इसलिए पेड़ पौधों और पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन की आवश्यकता है यही वजह है प्रभु श्री कृष्ण के नाम पर कृष्ण कुंज का नाम किया गया है ताकि धार्मिक आस्था वाले पेड़ पौधों का संहार करने मे मानव हजार बार सोचे 

 श्री राकेश शुक्ला आर. ए. कोंडगांव

वर्तमान कोंडागाँव रेंजर बी.रामाराव कृष्ण कुंज  मे रोपे गए पेड़ पौधों की पूरी सुरक्षा देखरेख के प्रति संवेदनशील है आर. ए. राकेश शुक्ला कोंडागांव जो मैदानी अमले के मुख्य कर्ता धर्ता होते है वे बताते है कि फॉरेस्ट गार्ड,एवं चौकीदार सहित अन्य वन कर्मियों पर नियमित सुरक्षा का भार सौंप रखा है वे भी प्रति दिन नियमित पानी और रख रखाव कर रहे है  
इस कृष्ण कुंज के संदर्भ मे फॉरेस्ट गार्ड कोंडागांव  गजेंद्र मरकाम गौड़ बताते है कि ग्रीष्म ऋतु  मे पानी व्यवस्था हेतु टैकर द्वारा या अन्य संसाधन से किया जाना बताया गया है वही  देख रेखा सुरक्षा उपचार हेतु छ माह मे केज्युवल्टी कार्य भी किए गए है अभी तक कोई भी पौधे मरणासन्न अवस्था मे नही है और सभी पौधे स्वस्था और ग्रोथ कर रहे है रेंजर बी. रामाराव आगे बताते है कि चार वर्षों के लिए कार्य संपादित किया जाना है इसके लिए संपूर्ण माकुल व्यवस्था है वर्तमान  स्थिति मे पौधे पांच से दस फीट ऊँचाई मे पहुँच चुका है जिसकी वजह से कृष्ण कुंज एक आकर्षक स्वरूप मे परिलक्षित हो रहा है

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