महासमुंद कौन्दकेरा उच्च तकनीक नर्सरी के पौधे हरियाली बिखेर रहे
अलताफ़ हुसैन
रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) शाश्वत एवं स्थापत्य दो पृथक शब्द है शाश्वत जो सदैव किसी भी काल,युग मे अजर , अमर रहने वाला कहलाता है जबकि स्थापत्य परिवर्तन शील तकनीक रुचि अनुसार मानव द्वारा निर्माण,इच्छाओ की आपूर्ति कहलाता है उदाहरण स्वरूप जब से युगों का वर्चस्व प्रारंभ हुआ तब से जल, थल, वायु,, पेड़ पौधे शाश्वत के श्रेणि मे आते है वही परिवर्तित युग मे स्थापत्य जिसकी स्थापना, अविष्कार, निर्माण, ईजाद किया जाए वह स्थापत्य कहलाता है ऐसे अनेक तकनीक का ईजाद कर मानव ने अवश्यक्ताओ विनिर्माण की पूर्ति किया है जो प्रायः विलुप्तता के कगार पर पहुँच चुके थे जिनमे जीवन दायिनी अमरत्व प्रदान करने वाली प्राकृतिक पेड़ पौधों का लगातार हास हुआ है जिसके स्थापत्य के लिए इनमे ऐसे भी प्रजाति के पौधे है जो पर्यावरण के दृष्टि कोण से संपूर्ण वाता वरण के लिए अमृत तुल्य माना जाता है लगातार विलुप्तता के जड़ पर पहुँच चुका था ऐसे पौधों के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए वन जल वायु एवं परिवर्तन विभाग ने आधुनिक तकनीक अविष्कार का प्रश्रय लेकर उनके अस्तित्व बचाने लगातार प्रयास कर रही है इसी तारत्म्य मे फलदार औषधि युक्त फुलदार पौधों को आधुनिक तकनीक, हाईटेक पद्धति से उसका अस्तित्व बचाने लगातार प्रयास किया जा रहा है जिसके सार्थक परिणाम अब परिलक्षित हो रहे है
महासमुंद जिला वन वृत मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कौंदकेरा जो गाडाघाट सेतु के समीप स्थित पथरीली चट्टानी भूमि मे लगभग 15 हेक्टेयर विस्तृत भू भाग मे हाई टेक नर्सरी का सफल निर्माण वर्ष 2024 मे प्रारंभ किया गया जहाँ भिन्न भिन्न प्रजाति के सभी फलदार, फूलदार,औषधि युक्त पौधों के अलावा अनेक विलुप्त प्रजाति पौधों को उच्च तकनीक मध्यम से समायोजित कर नर्सरी निर्माण एवं रोपण कर उनके अस्तित्व को बचाने युद्ध स्तर पर कवायद किया जा रहा है इस संदर्भ मे महासमुंद वन मंडल मे 2014 बैच के भावसे अधिकारी पंकज राजपूत जो युवा के साथ नई सोच,नई उमंग कर्मठता,विस्तारित सोच, नई उड़ान की परिकल्पनाओं को साकार करने मे विश्वास करते है यही कारण है कि वन वृत महासमुंद क्षेत्र के समस्त परिक्षेत्र एवं परिवृत मे नई उन्नत तकनीक, आधुनिक विचारधारा के साथ क्षेत्र मे हरियाली और अद्भुत उन्नत कार्यशैली की वजह से उन्हे अन्य समकक्ष अधिकारियों से अलहदा बनाती है
उन्होंने अपनी सेवा काल मे जशपुर, राजनांदगंव, जैव विविधता बोर्ड मे पदस्थ रहते हुए अनेक उपलब्धि युक्त कार्यों को संपादित किया महासमुंद वन वृत मे लगातार चार वर्षों से उपर रहते हुए अपनी वर्तमान आधुनिक कार्य शैली सेवाओं के साथ उल्लेखनीय विचार धाराओं को अंजाम दिया जिनमे कोड़ार जलाशय के समीप स्थित पर्यटन स्थल कोडार वन चेतना केंद्र नाम से विकसित किया जो आज भी आम जन एवं विभाग के लिए उपलब्धि मानी जाती है जहाँ परिवरिक स्वस्थ्य वातावरण मे नौका विहार एवं पर्यटन हेतु लोग पहुँचते है यही नही बागबाहरा एवं अन्य परिक्षेत्र सहित परिवृतों मे अनेक नर्सरी का सफल संपादन निष्पादन कर आज की कार्यशैली की बेमिसाल उपलब्धियों मे जारी है इसके अलावा शासन द्वारा जारी अनेक कृषकों के लिए जनकल्याणकारी योजनाओं का सफल संपादन भी इन्ही के कार्यकाल मे सुनहरे पन्नों मे अंकित किया जा चुका है
इसके लिए उनके कंधे से कांधा मिलाकर चलने वाले महासमुंद उप वन मंडलाधिकारी वाहिद खान का महत्वपूर्ण योगदान भी उल्लेखनीय माना जाता रहा है महासमुंद एस डी ओ. वाहिद खान कार्यों के प्रति सदैव स्टिक और मुखर रहे है उन्होंने वर्ष 1984 से सामाजिक वानिकी, से अपनी सेवा काल प्रारंभ किया था तथा नर्सरी, वानिकी तकनीक का उन्हे अच्छा लंबा अनुभव रहा है बीजों के अंकुरण से लेकर गुणवत्ता पूर्ण पौधे तैयार करने जैसा दक्षता उनके कार्य शैली मे सम्मिलित है एक प्रकार से बीज अंकुरण से लेकर गुणवत्ता युक्त पौधे तैयार करने मे ईश्वर की उन पर विशेष कृपा रही है जगदलपुर से कार्य योजना से लेकर राजनांद गाँव, कवर्धा, बालोद, खैरागढ़, पश्चात महासमुंद वन मंडल मे एस डी ओ पद मे रहते हुए अभी भी अपने अंतिम वर्ष के सेवा काल मे युवा और ऊर्जावान की भाँति अपनी सेवाएं दे रहे है 40 वर्षों से अधिक सेवा काल मे वृक्षों पेड़ पौधों और भिन्न भिन्न परिक्षेत्रों के वनों का उनका लगातार साथ रहा और पेड़ पौधे भी अपने इस जनक को ठीक वैसे ही पहचान कर हवा के झोके मे ऐसे झूम कर लहलहा उठते है जैसे एक पुत्र अपने पिता के आगमन पर मचल कर झूम उठता हो
पपीता, चिकु,मूंगा, खमहार, करंज, सागौन, गुलमुहर, पेल्टा फार्म,रैनट्री, कपोक, शिशु, सिंदूरी, सहित अनेक प्रजाति के पौधे रोपित किए गए है इस संदर्भ मे महासमुंद परिक्षेत्राधिकारी सियाराम ताम्रकार बताते है कि कौन्दकेरा हाईटेक नर्सरी मे सभी सुविधाएं उपलब्ध किए गए है तथा उन्नत तकनीक से पौधों का रोपण किया जा रहा है जिसके सारगर्भित परिणाम सामने आ रहे है महासमुंद रेंजर सियाराम ताम्रकर बताते है कि कौन्दकेरा हाईटेक नर्सरी मे सिंचाई कि माकुल व्यवस्था है ट्यूबवेल के अलावा कोड़ार नाला, एनिकट से बारहमासी सिंचाई व्यवस्था हो जाती है तथा पॉली हाउस मे भी सिंचाई एवं आद्रता नियंत्रित करने संग्रहित प्लास्टिक ड्रम मे नल के मध्यम से जल की व्यवस्था की गई है उन्होंने बताया कि सभी रोपण से लेकर वर्मी कामपोज़ खाद तथा पॉलीथीन बैग मे उपज तक कार्यों के निष्पादन हेतु आसपास के ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है जिन्हे कलेक्टर दर पर राशि प्रदाय किया जाता है यही नही सुरक्षा की दृष्टि कोण से नर्सरी के चारो ओर तारों से फेंसिंग की गई है महासमुंद परिक्षेत्राधिकारी सियाराम ताम्रकर का कथन है कि नर्सरी अर्थात बीजारोपण से लेकर कोमल शिशु का लालन पालन करना होता है इसके लिए विभाग के सभी कर्मचारी अधिकारी पूरी तन्मयता से उसकी सुरक्षा देखरेख, उपचार कर जब उन्हे रोपण हेतु वितरण किया जाता है मगर हितग्राहियों द्वारा ले जाए गए पौधों की समुचित देख रेखा, सुरक्षा के अभाव मे जब उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है तब मन बोझिल हो जाता है यदि प्रत्येक नागरिक अपनी पूर्ण जिम्मेदारी और ईमानदारी से कुछ वर्ष तक रोपित पौधों की देखभाल सुरक्षा इत्यादि कर ले तो प्रदेश की स्थिति मे कथनी और करनी मे बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा
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*एक पेड़ मां के नाम*
विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम
वन परिक्षेत्र महासमुंद में उपवनमंडल अधिकारी अब्दुल वहीद खान की उपस्थिति में ग्राम पंचायत कौंदकेरा की सरपंच अन्नू लेखराम चन्द्राकर के मुख्य आतिथ्य में "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत एक दिवसीय "विशेष वृक्षारोपण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सरपंच महोदया एवं गणमान्य नागरिकों द्वारा फलदार प्रजाति के पौधों का वृक्षारोपण किया गया।महासमुंद परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी श्री सियाराम कर्माकर एवं परिक्षेत्र सहायक महासमुंद, नर्सरी प्रभारी कौंदकेरा एवं अन्य वन कर्मचारियों की उपस्थिति में उक्त कार्यक्रम का आयोजन हुआ।







 
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