गोल्डन साहू सत्रह वर्षों से पूरे तीस रोजे रखकर धार्मिक एकता का संदेश दे रहे
रायपुर (यूथ क्रांति से साभार)जहां पूरा देश धर्म जात पात के नाम पर उलझा हुआ है लोग एक दूसरे को हिन्दू मुस्लिम और सम्प्रदाय,धर्म के मामले में संदेह की नज़र से देख कर परस्पर मरने मारने पर उतारू है वही रायपुर मौदहापारा निवासी जीवनलाल साहू उर्फ गोल्डन साहू इन सब की परवाह किए बगैर रमज़ान के पवित्र माह के तीस रोज़े रखकर संप्रदायिक,प्रेम,सौहाद्रता और राष्ट्रीय एकता का संदेश दे रहे है यह सिलसिला साल दो साल से नही बल्कि विगत सत्रह वर्षों से अनवरत जारी है रमज़ान के रोज़े रखने की प्रेरणा कब और कैसे मिली इसी सिलसिले में जब यूथ क्रांति की टीम उनके घर मौदहापारा पहुंची तब भी वे रोज़े रखे हुए हालात में मिले उनसे जब इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनकी पैदाइश ही मौदहापारा मस्जिद के समीप स्थित क्षेत्र में हुई तथा मस्जिद में होने वाले पवित्र ग्रन्थ कुरान के प्रवचन उनके कानों में सदैव पहुंचती थी जिसमे अक्सर रमज़ान के रोजे रखने तथा उसके लाभ के संदर्भ में बताया जाता था जिसे सुनकर रोजे रखने की उत्सुकता जागृत हुई अपने पहले रोजे रखने के बारे में गोल्डन साहू ने बताया कि उन्हें लगा कि जैसा हमारा उपवास होता है वैसा ही रोजा सहज होगा क्योंकि उनमें बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति होने के कारण वे समस्त उपवास जैसे सावन,नवरात्रि,महाशिवरात्रि के उपवास भी जिसे वे लगातार रख रहे है जिसमे उन्हें ज्ञात है कि उपवास मे फलाहारी सहित अन्य वैकल्पिक खाद्य वस्तुओं का सेवन कर लिया जाता है ऐसा उनका अनुमान था कि वैसा ही रोजा में भी होता होगा इसलिए बगैर किसी दबाव के उन्होंने रोजा रखने का मन बनाया उन्होंने आगे बताया कि आज से सत्रह वर्ष पूर्व पहला रोज़ा रखा दिन भर बगैर कुछ खाए पिए और प्यास की शिद्दत से उनकी आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया एक प्रकार से वे अर्द्ध मूर्छित अवस्था मे पहुंच गए परन्तु उन्होंने पहला रोज़ा पूरा किया तब उन्हें अहसास हुआ कि कठिन परिस्थिति में किए गए समस्त धार्मिक कर्मकांड ईश्वर ने मानव जीवन के स्वस्थ्य हेतु फलदायी बनाए है रोजे रखने के एवज में मुसलमानों का अल्लाह, और हिंदुओं का भगवान आपके ऐसे कर्म से नाराज़ हो सकते है पूछे जाने पर गोल्डन साहू ने कहा -कि सब भगवान एक है वह निराकार है ये सब हमने अपने समुदाय और सामाजिक ढांचागत संरचनाओ के आधार अलग अलग नाम से उसे पुकारते है उसकी स्तुति और आराधना करते है ,,उन्होंने आगे कहा, नही तो कोई बता दे कि मेरे भगवान और मुस्लिम के अल्लाह ने अपने अपने अनुयायियों के लिए अलग चांद,सूरज,हवा बनाए है ...वह सर्व शक्तिमान मानव से कोई फर्क,भेदभाव नही करता ,,लेकिन हम एक दूसरे के धर्म को लेकर आपस मे भेदभाव कर लड़ रहे है..यही वजह है कि मैं धर्म,संप्रदाय जैसे उन समस्त अपवाद से इतर मुझे ईश्वरीय आराधना,उपासना प्रार्थना में शांति मिलती है सो मैं अपने ईश्वर को मनाने जो भी बेहतर साधन है उसका अनुसरण करता हूँ अब चाहे वह भूखे रहकर,या फिर बगैर चप्पल पहने मंदिर की लंबी यात्रा क्यो न हो उसकी आराधना करना मेरा कर्तव्य है जिसका पालन मैं सदैव आजीवन करता रहूंगा मौदहापारा जैसे मुस्लिम क्षेत्र में निवास के संदर्भ में बताया कि उनका सम्पूर्ण जीवन यही व्यतीत हो गया उन्होंने बताया कि वे छग शासन के मंत्री मोहम्मद अकबर के घर के समीप ही रहते है जीवनलाल साहू उर्फ गोल्डन साहू ने बताया कि काफी समय तक माता पिता को कोई औलाद नही हो रही थी तब किसी ने अजमेर वाले ख्वाजा साहब से मन्नत करने कहा तब उनकी पैदाइश भी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ में दुआओं और बड़ी मन्नतों से हुआ है इसलिए भी अजमेर वाले ख्वाजा साहब के प्रति भी उनकी गहरी आस्था है उन्होंने आगे बताया कि मौदहापारा में यासीन भाई असगर भाई असलम भाई अख्तर भाई एवं बहुत से मुस्लिम दोस्तों के साथ बचपन व्यतित हुआ आज तक कोई परेशानी नही हुई सब मिल जुलकर एक साथ रहते है जीवन लाल साहू से जब उन्हें गोल्डन साहू नाम पढ़ने के पीछे की वजह के बारे में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि वीडियो वर्ल्ड वाले मोहन सुंदरानी एवं जसगीत सम्राट दुकालू यादव भैया ने उन्हें गोल्डन साहू नाम प्यार से दिया छत्तीसगढ़ इवेंट एव फिल्मों से जुड़ाव होने के कारण धीरे धीरे यह नाम गोल्डन साहू आम लोगों में प्रचलित हो गया अब सभी लोग स्नेहवश गोल्डन साहू के नाम से ही पुकारते है जिसे वे भी स्वीकार कर चुके है अब जीवन लाल साहू से लेकर उनके गोल्डन साहू नाम पड़ने के पीछे की वजह चाहे जो भी हो परन्तु कहते है न कि सोना यानी गोल्ड की चमक हमेशा अलग ही होती है जीवन के आपाधापी और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में भले ही उनकी चमक तनिक क्षीण है परन्तु ईश्वर के समीप होने उसे प्रसन्न करने की दीवानगी भरी आस्था जीवन लाल साहू उर्फ गोल्डन साहू को वास्तव में उस ईश्वर की नज़र में कम से कम खरा सोना तो बना ही दिया है जिसकी चमक आम लोगों के साथ साथ ईश्वरी चौखट में एक अलग ही दिव्य छटा बिखेर रही है यह उनका अपना विश्वास है भविष्य में रोजा रखने के संदर्भ में उनका कथन है कि जब तक इस नश्वर काया में सांस शेष है तब तक वह जीवन भर रोज़ा हमेशा रखेंगे

 
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