शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

वन कर्मियों के संरक्षण मे मिट्ठू के अबोध बच्चों की 3000 रुपये में खुले आम बिकी

 वन कर्मियों के संरक्षण मे मिट्ठू के अबोध बच्चों की 3000 रुपये में खुले आम बिकी






रायपुर इन दिनों प्रदेश भर में पक्षियों विशेषकर अंडे से निकले मिठ्ठू के बच्चों की तस्करी और बिक्री द्रुत गति से जारी है इसकी जानकारी देने पर भी विभाग के कर्मचारी कार्यवाही न कर बिक्री को अनदेखा कर रहे है और एक प्रकार से उन्हें मूक सहमति प्रदान कर संरक्षण प्रदान कर रहे है  जिसकी वजह से इसकी बिक्री खुलेआम राजनांदगांव स्थित बस स्टैंड में की जा रही है मोबाइल से आर्डर देने पर दिए पते पर बच्चे भेजने की जानकारी भी मिल रही है 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अंडे से निकले ताजे मिट्ठू के बच्चों की धड़ल्ले से बिक्री राजनांदगांव के बस स्टैंड के समीप मोनू मिट्ठू वाले नामक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है जहां सैकड़ों की संख्या में नवजात मिट्ठू के बच्चों का विक्रय किया जाना बताया गया है जिनका मूल्य 3000 हजार रुपये जोड़ी बेचे जाने की भी जानकारी मिल रही है मोबाइल नम्बर +91 98276 19222 पर जो मोनू का है से संपर्क करने पर दिए पते पर किसी भी स्थान पर मिट्ठू के बच्चे पहुंचा देता है इस संदर्भ में जब वायरल वीडियो के आधार पर राजनांदगांव कार्यालय में रायपुर वन मंडल के एक वन कर्मी ने वाइल्ड लाइफ के डिप्टी रेंजर को सूचना दी

 तब उन्होंने इस पर कार्यवाही करने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की अवैध रूप से विक्रय किए जा रहे पक्षी विक्रेता पर कार्यवाही क्यों नही की यह वजह उन्होंने नही बताई वही वाइल्ड लाइफ के फ्लाइंग स्कावड के जीवन भोंडेकर नामक वन कर्मी के मोबाइल नम्बर +917974890008 पर संपर्क कर सूचना दी गई तब उक्त कर्मी द्वारा भी सूचना देने वाले रायपुर वन कर्मी को कहा



 आप अपने रायपुर वन मंडल को देखो .. मैं इस पर कार्यवाही करूँ या नही ये मेरे अधिकार में है .इससे ज्ञात होता है कि राजनांदगांव के वन कर्मियों को इसकी पूरी जानकारी होने के बाद भी कथित मोनू मिट्ठू वाले पर वन अधिनियम के तहत कोई भी वैधानिक कार्यवाही करने की बजाए उसे  संरक्षण प्रदान किए हुए है तथा मोनू मिट्ठू वाला बगैर खौफ के  मिट्ठू के नवजात अबोध बच्चों का विक्रय खुले आम कर रहा है  

 ऊपर देखे वीडियो

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

नफरत को हरा कर ही देश मुश्किल दौर से निकल पाएगा

 🔴 नफरत को हरा कर ही देश  मुश्किल दौर से निकल पाएगा



वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी की कलम से

🟢 घृणा के समय में प्रेम पर साहित्य अकादमी के दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत, देश के जाने-माने साहित्यकार, नामचीन और चर्चित कवियों को सुनने का मिल रहा मौका.

रायपुर। साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद ‘घृणा के समय में प्रेम’ विषय पर दो दिवसीय महत्वपूर्ण आयोजन की शुरुआत शनिवार 11 फरवरी की सुबह सिविल लाइंस के न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हॉल में हुई। देश भर के ख्यातिलब्ध लेखक, कवि व चिंतक इसमें शामिल हुए और मौजूदा दौर के घृणा के माहौल पर चिंता जताते हुए इसके विरुद्ध लगातार काम करने की जरूरत पर बल दिया।

सुबह उद्घाटन के दौरान वैचारिक सत्र में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि आज मनुष्य के विवेक को कुंद करते हुए जिस तरह से नफरत का वातावरण बन रहा है, तब आपसी प्रेम व सौहार्द की मनुष्य के विवेक को सुरक्षित रखने में कैसी भूमिका है, इस पर बात करना बेहद जरूरी है।

आधार वक्तव्य देते हुए संयोजक व वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि आज बढ़ते घृणा के माहौल में प्रतिवाद बेहद जरूरी है और यह प्रतिवाद प्रेम के अलावा कुछ और नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आपसी संवाद, सहिष्णुता, करुणा और प्रेम जैसे नैतिक मूल्यों को पुख्ता करने में साहित्यकारों व समाज के विभिन्न हिस्सों की क्या सांस्कृतिक भूमिका पर हम सभी को गंभीरता से विचार करने और उसे व्यवहारिक रूप से धरातल पर उतारने की जरूरत है। इस वैचारिक सत्र में युवा कवि अदनान कफील दरवेश ने कहा कि आज जिस संगठित रूप से घृणा फैलाई जा रही है, हमें भी उसी संगठित रूप से प्रेम को फैलाने एकजुट रहना होगा। इसके लिए हमें लगातार काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आज घृणा फैलाने के लिए किसी सत्ता प्रतिष्ठान पर ही सवाल नहीं है बल्कि समाज में कई संस्थाएं भी हैं जो संगठित रूप से घृणा फैला रही हैं।

वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने इस दौरान कहा कि आज सिर्फ हमारे देश में नहीं नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों में ऐसा ही घृणा का माहौल है। हमें उम्मीद रखना चाहिए कि नफरत का यह दौर एक न एक दिन खत्म होगा लेकिन इसके लिए हम सभी को संगठित होकर लम्बा संघर्ष करना होगा। विचारक सियाराम शर्मा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की हत्या पर जश्न मनाने वाले लोगों की नफरत को हम समझ सकते हैं। आज जनता को एक भीड़ में बदल दिया गया है। भीड़ की हिंसा को वैधता मिल चुकी है, लोकतंत्र और हमारे नागरिक होने के बोध को अब खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फांसीवाद को एक चुनाव में नही हराया जा सकता, यह संघर्ष लम्बा है। इसके लिए हम सबको एकजुट होकर कार्य करना होगा।



वरिष्ठ साहित्यकार प्रभु नारायण वर्मा ने कहा कि आज देश भर में फैलाई जा रही घृणा दरअसल भय की एक चिलम है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज अगर हमारे देश में सबसे प्रमुख मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल तो नफरत  ही है। आज नाम बदलना ही विकास का सबसे बड़ा सूचक है। 60 साल से भी पहले कभी मुक्तिबोध ने जिसे 'सपने में...' और  'अंधेरे में...' देखा था वह यथार्थ में दिख रहा है।


नफरत के माहौल पर बात करते हुए गला रुंध गया नागर का


आयोजन में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार विष्णु नागर ने जब नफरत के माहौल पर बोलना शुरू किया तो उनका गला भर आया। विष्णु नागर देश भर में हक और इंसानियत की बात करने वालों के अंजाम पर बोल रहे थे और वह बेहद भावुक हो गए। किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला और फिर वक्तव्य पूरा किया। विष्णु नागर ने इस बात पर खुशी जताई कि आयोजन में युवाओं की सर्वाधिक भागीदारी है और पूरा हॉल नौजवानों से खचाखच भरा है। उन्होंने कहा कि अब उम्मीद सिर्फ आप नौजवानों से ही है, अगर आप लोगों ने नफरत को पराजित कर दिया तो वाकई में देश अब तक के सबसे मुश्किल दौर से निकल जाएगा। उन्होंने कहा कि वह 75 की इमरजेंसी व 92 का अयोध्या वाला माहौल देख चुके हैं लेकिन आज देश बेहद मुश्किल दौर में है। उन्होंने कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि अब घटियापन की स्थापना हो चुकी है। आज जो जितना घटिया होगा, वह उतना ही उनके काम का होगा।


कहानी व कविता पाठ में युवाओं ने ली दिलचस्पी

वैचारिक सत्र के उपरांत कहानी पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें नामचीन कहानीकार राजेंद्र दानी, कैलाश बनवासी, आनंद बहादुर व कामेश्वर पांडेय ने अपनी कहानियों का पाठ किया। इसके बाद अगले सत्र में मौजूदा दौर  के  प्रमुख  हस्ताक्षरों ने कविता पाठ किया। इनमें हरीश चंद्र पांडे, मदन कश्यप, कुंअर रवीन्द्र, नंदकुमार कंसारी, विनोद वर्मा,निधीश त्यागी, अनुपम सिंह और अरबाज खान की संवेदनशील कविताओं ने भी उपस्थित दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। वहीं 'सब कुछ याद रखा जाएगा' लिखने वाले युवा कवि आमिर अज़ीज़ और मॉब लिंचिंग पर 'वास्तविक कानून' जैसी मर्मस्पर्शी कविता लिखने वाले नवीन चौरे की कविताओं को भी युवाओं ने पूरी तन्मयता से सुना।

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023

11-12 फरवरी को रायपुर में मौजूद रहेंगे देश के नामचीन लेखक और कवि

 


🔴 11-12 फरवरी को रायपुर में मौजूद रहेंगे देश के नामचीन लेखक और कवि 



घृणा के समय में प्रेम विषय पर आयोजित सेमिनार में करेंगे शिरकत⚫




रायपुर. साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद की तरफ से इसी महीने की 11 वह 12 फरवरी को ‘ घृणा के समय में प्रेम ’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर दो दिवसीय कविता, कहानी, गायन और विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है.


परिषद का यह आयोजन सिविल लाइंस के न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हॉल में प्रतिदिन सुबह साढ़े दस बजे से प्रारंभ होगा और शाम छह बजे तक चलेगा. इस आयोजन में नामचीन लेखकों और विचारकों के साथ वे कवि भी अपनी हिस्सेदारी दर्ज करेंगे जिन्हें आवाम का रचनाकार माना जाता है और युवाओं का एक बड़ा वर्ग पसंद करता है. 


साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने बताया कि इस कार्यक्रम में समाज में व्याप्त सांप्रदायिकता और वैमनस्यता के माहौल के कारणों व स्रोतों पर बात की जाएगी. आज मनुष्य के विवेक को कुंद करते हुए जिस तरह से नफरत का वातावरण निर्मित किया जा रहा है, तब आपसी प्रेम व सौहार्द्र और मनुष्य के विवेक को सुरक्षित रखने में लेखक, साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों की भूमिका कैसी हो सकती है इस पर  बात की जाएगी.लेखक इस मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे कि आपसी संवाद, सहिष्णुता, करुणा और प्रेम जैसे नैतिक मूल्यों को पुख्ता करने के लिए बेहतर ढंग से क्या किया जा सकता है. 


विभिन्न सत्रों के रूप में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में कहानी पाठ, कविता पाठ, परिचर्चा के साथ ही जनसरोकार से जुड़े गीतों और कविताओं पर महत्वपूर्ण ढंग से काम करने वाले इंडियन रोलर बैंड की प्रस्तुति भी होगी.


इस कार्यक्रम में वरिष्ठ और युवा कवि विष्णु नागर, नासिर अहमद सिकंदर, राकेश पाठक, हरीश चंद्र पांडे, मदन कश्यप, कुँअर रवीन्द्र, नंद कुमार कंसारी, विनोद वर्मा, निधीश त्यागी, रजत कृष्ण, अदनान कफील दरवेश, संजय शाम, अंशु मालवीय, अनुपम सिंह, अरबाज खान के साथ ही ' याद रखा जाएगा सब कुछ याद रखा जाएगा ' जैसी जनप्रिय रचना लिखने वाले युवा कवि आमिर अज़ीज़,  मॉब लीचिंग पर ' वास्तविक कानून ' जैसी मर्मस्पर्शी कविता लिखने वाले नवीन चौरे और 'कौन जात हो भाई' जैसी कविता के जरिए अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करने वाले कवि बच्चा लाल उन्मेष कविताओं का पाठ करेंगे.


वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु नागर, प्रभु नारायण वर्मा, सियाराम शर्मा, मदन कश्यप, आशुतोष कुमार, विजेंद्र सोनी, वंदना चौबे सहित अन्य साहित्यकार विमर्श में भाग लेंगे.वहीं नामचीन कहानीकार राजेंद्र दानी, आनंद बहादुर, कैलाश बनवासी, कामेश्वर पांडेय, श्रद्धा थवाईत और राकेश मिश्र कहानी पाठ करेंगे.इस कार्यक्रम का संयोजन छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजकुमार सोनी कर रहे हैं.

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

पाशा की सुरीले गीत संगीत भाषा का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया...नए पुराने नग्मों पर थिरके

 पाशा की सुरीले गीत संगीत भाषा का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया...नए पुराने नग्मों पर थिरके 

अलताफ हुसैन

रायपुर (मिशन पॉलिटिक्स न्यूज़) मो.रफी के नग्मों को बेहतर ढंग से निभाने वाले गायक ज़ाहिद पाशा द्वारा प्रजेंट्स.. एक शाम सुरीले गीतों के नाम.. कार्यक्रम के माध्यम से मायाराम सुरजन हॉल गूंजा जिसमे नए पुराने गीतों का बेहतरीन समावेश किया गया और रफी लता आशा,किशोर,कुमार शानू अमित कुमार शब्बीर कुमार,मो अजीज़ के एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत की प्रस्तुति सधे हुए गायको द्वारा दी गई  इस बार ज़ाहिद पाशा के द्वारा गायकी की गीत संगीतिज्ञ शाला में चुनिंदा गायकों को लेकर सजाई गई थी जो परिपक्व होने के साथ उनके सुर ताल  की जबरदस्त जुगलबन्दी देखने मिली और समस्त हॉल प्रत्येक गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट से सभी गायकों  का स्वागत वंदन,अभिनन्दन किया यहां तक बहुत से गीतों की सटीक प्रस्तुति ने कुछ श्रोताओं को थिरकने विवश कर दिया जो एक गीत संगीत कार्यक्रम की सफलता को प्रदर्शित करता है

प्रारंभिक चरण में एक शाम सुरीले गीतों के नाम के आधार स्तंभ ज़ाहिद पाशा के द्वारा रफी साहब का गीत.. चराग दिल का जलाओ...इतने सधे हुए अंदाज़ में गाया कि उपस्थित श्रोता खड़े हो कर ताली बजाने विवश हो गए शेष गिरी राव और श्रीमती जी. कृष्णा राव का युगल गीत.. जब हम जवां होंगे..जाने कहां होंगे.. बेताब गीत को सुनाकर सभी श्रोताओं को बेताब कर दिया क्योंकि गीत इतना अच्छा बन पड़ा था और सभी श्रोताओं ने भी मुक्त कंठ से उनके प्रस्तुति पर अपनी प्रशंसा व्यक्त किया और मुक्त हस्त से ताली की गड़गड़ाहट से दोनों कलाकारों का स्वागत भी किया  चुलबुल कलाकार के रुप में चिन्हित शहज़ादा खान ने वातावरण को खुशनुमा बनाने के उद्देश्य से कुछ कलाकारों की मिमिक्री करने का प्रयास किया परंतु वे सफल नही हो सके पश्चात अपने बेहतरीन गीत  ..बार बार देखो हजार बार देखों ...की प्रस्तुति मंच की आसंदी से न देकर श्रोताओ के बीच पहुंच कर दी और बहुत सटीक ढंग से प्रस्तुति दी जिसे भी श्रोताओं ने  खुलकर उनके साथ नृत्य करते हुए सराहा 
वही शहज़ाद खान और संजू साहू ने आधुनिक डिस्को संगीत में दोनों गायक कदमताल मिलाते हुए,,प्यार बिना चैन कहां रे...गीत को सटीक रूप से प्रस्तुत किया जिसे श्रोताओं ने झूमकर गीतों का लुत्फ उठाया वही पाशा के रफी साहब वाली भाषा मे...चराग दिल का जलाओ बहुत अंधेरा है... गीत पर श्रोता स्तब्ध होकर गीतों को सुनते रहे क्योंकि उनकी आवाज़ और साज में जबरदस्त तालमेल था  शेषगिरी राव और जी कृष्णा राव का युगल गीत... मुत्तु कौड़ी कव्वाड़ी हड़ा....जो बेहद जटिल गीत माना जाता है को हूबहू अंदाज़ में प्रस्तुत करने कामयाब रहे जो अपने आप मे एक उदाहरण है कि व्यक्ति मेहनत करे तो कामयाबी जरूर मिल सकती है जो दोनों युगल ने साबित कर दिया  
वही महेंद्र सिंह ठाकुर की गायकी बड़ी लाजवाब रही उनके द्वारा मुगल ए आज़म का सुप्रसिद्ध प्रेम,विरह वीर रस का समायोजित आंशिक गीत... ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद.. आए मुहब्बत ज़िंदाबाद ...  जो एक हाई रेंज गीत है को इतनी संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया कि सभी दर्शक खड़े होकर ताली से उनका अभिवादन किया  नवोदित कलाकार विभूति कर्मकार ने भी क्लासिकल संगीत के गीतों का तड़का लगाकर बीच बीच मे काफी वाहवाही बटोरी फ़िल्म उपकार गीत ...कसमे वादे प्यार वफ़ा... गीत को भी दुर्गेश पुलि ने बेहतरीन ढंग से जिया और खूब तालियां बटोरी क्योंकि यह गीत भी हाई रेंज का होने के साथ ही मानव रिश्तों के महत्व को दर्शाता है मन्नाडे साहब के स्वरबद्ध किए गए गीत को निभाना एक कलाकार के लिए चुनौती होती है जिसे  दुर्गेश पुलि ने उस चुनौती को स्वीकार करते हुए बेहतर ढंग से निभाया वही मनोज मसंद द्वारा रफ्ता रफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है ...लाई भी न गई..निभाई भी न गई... और तू मायके मत जइयो...की सटीक प्रस्तुति दी एक प्रकार से उनकी गायकी में सुधार के साथ निखार आते जा रहा है और ट्रैक पर कम से कम पकड़ बनती जा रही  कुमार शानू की आवाज़ को हूबहू जीने वाले बादशाह की आवाज़ भी लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता जैसे चार गायको को जीने में कामयाब रहे और उनकी प्रस्तुति को भी सराहा गया विजय कोठारी मल्ली जी के द्वारा भी अतिथि गायक के रूप में अपनी बेहतरीन गीतों की प्रस्तुति दिया गया जो काफी पसंद किए गए

दीवाना हुआ बादल..और इन जैसे बहुत से गीतों की प्रस्तुति का सिलसिला देर रात तक अनवरत चलता रहा और श्रोता भी मायाराम सुरजन हॉल में जमे रहे तथा प्रत्येक गीतों का लुत्फ उठाते रहे वही मंच संचालन को लेकर श्रोताओं में एक शिकायत देखी गई रविन्द्र सिंह दत्ता का प्रस्तुति करण काअंदाज़ अलहदा है परंतु जिस प्रकार गीतों के गाए जाने के पीछे की संपूर्ण परेशानी जटिलताएं और उसके व्यवधान पर प्रकाश डालते है उसके उतने समय के चलते लगभग पांच से सात गीतों की प्रस्तुति पर असर पड़ता है जिसकी वजह से बहुत से गायकों के गीतों की प्रस्तुति से वंचित होना पड़ता है इस पर उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है यही कारण है कि उन्हें बहुत से म्यूज़िकल ग्रुप लेने से कतराने लगे है मंचीय सूत्रधारक का कार्य कम सधे हुए शब्दों में शेर ओ शायरी और कलाकार के व्यक्तित्व उसके प्रतिभा का मूल्यांकन का बखान करते हुए उन को मंच सौंपे यह विद्या होनी चाहिए न कि स्वयं भू होकर लंबी बीते हुए गायक,संगीतज्ञों की पर्दे के पीछे की कथा से अवगत कराया जाए  बहरहाल, उनकी आवाज़ और अंदाज़ के सब श्रोता कायल है उनकी उपरोक्त कमी को वे तनिक व्यवस्थित करेंगे तो श्रोताओं की पहली पसंद बन सकते है कृपया कथित बातों को वे अन्यथा न लेते हुए इस पर विचार करें 


बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

जब तीन हाथियों से सामना हुआ वन विकास निगम कर्मियों का- एक रोमांच कथा

 जब तीन हाथियों से सामना हुआ वन विकास निगम कर्मियों का- एक रोमांच कथा 

अलताफ हुसैन

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) 18 सितंबर 2021का दिन था आषाढ़ का महीना चल रहा था रुक रुक कर वर्षा हो रही थी हाल ही अस्तित्व में आए नए जिला  मोहला मानपुर का सघन वन क्षेत्र जहां आबादी भी कम थी सूर्यास्त होते ही लोग अपने अपने घरों मे दुबक जाते सघन वन क्षेत्र और माकूल वातावरण होने के कारण यहाँ बिना बुलाए मेहमान की तरह कहीं भी खंड वर्षा होते रहता है  मगर 18 सितंबर 2021 का मौसम तनिक शुष्क था एक तरह से आसमान में दूर कही कहीं काले बादल अपनी मस्ती में हवा के झोंके के साथ आवागमन करते परिलक्षित हो रहे थे  जिससे सूरज की आंख मिचौली चल रही थी आम दिनों की भांति लोग दैनिक दिनचर्या के तहत नियमित काम काज को निपटा रहे थे कभी तेज धूप लोगों को राहत देता तो कभी सर्र सर्र करती  मौसम की ठंडी हवा का झोंका गालों में पड़ते ही  पूरे शरीर मे ठिठुरन की एक सिहरन सी उठ जाती संध्या के साढ़े पांच बज रहे थे ऐसे में वन विकास निगम के मोहला परिक्षेत्र के अधिकारी द्वय जागेश गौड़ और होमलाल साहू कार्यालयीन कार्यों का निपटारा कर के काष्ठागर स्थित अपने शासकीय आवास की ओर धीरे धीरे गपियाते पहुंचे ही थे कि रेंजर जागेश गौड़ के मोबाइल की घण्टी सहसा घनघना उठी रेंज अधिकारी जागेश गौड़ ने मोबाइल में देखा तो कॉल वन विकास निगम राजनांदगांव मुख्यालय से  डी.एम. ए. के.पाठक साहब का था मोहला रेंज ऑफिसर जागेश गौड़ ने साथ चल रहे तात्कालिक  रेंजर होमलाल साहू को हाथों की उंगलियों  से  चुप रहने का इशारा करते हुए कॉल रिसीव करते हुए कहा- यस सर,दूसरी ओर से वन विकास निगम पानाबरस डिवीजन के डी. एम.  पाठक साहब की भारी भरकम आवाज़ आई जागेश,अभी अभी सूचना मिली है कि  वन क्षेत्र के राजाडेरा,मिस्प्रि  वन क्षेत्र में 22  हाथियों का दल विचरण कर रहा है.. तुम तत्काल..  कुछ कर्मियों को ले जाकर उस क्षेत्र में मुनादी करवाओ... और गज दल के मूवमेंट की खबर मुझे दो..सुरक्षा की दृष्टि से सभी ग्रामीण वनवासियों को अपने घरों में रहने की सलाह दो.. ताकि जान,माल के खतरे से आम लोगों को बचाया जा सके और हां.. इसमें  किसी प्रकार की कोई कोताही नही होनी चाहिए...इधर से रेंजर जागेश गौंड ने यस सर कहा , और तात्कालिक रेंजर होमलाल साहू को हाथियों के धमक के बारे में जानकारी दी जिसे सुनकर वो भी हड़बड़ा गए क्योंकि हाथियों का दल पहली बार निगम के वन क्षेत्र में अपनी आमद दी थी इसलिए उनका चौंकना स्वाभाविक था उन्होंने भी बगैर देर किए तत्काल अपने अधीनस्थ सहयोगीयों,राजन,डालेंद्र,रवि शंकर पारकर,गौरी शंकर भारद्वाज,सहित अन्य निगम के वन कर्मियों को दो विभागीय जीप लेकर उपस्थित होने कहा- साथ ही पेट्रोल,मशाल,मोटी रस्सी,एवं अन्य सुरक्षा सामग्री लाने का आदेश दिया तब ड्रायव्हर ने बताया कि एक गाड़ी की लाइट खराब हो चुकी है तथा इंजन भी कभी भी बंद हो जाता है.. इस पर तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने उन्हें कहा- अभी गाड़ी बनाने का समय नही है तत्काल काष्ठागार स्थित  कार्यालय पहुँचों...

जब वे ये आदेश दे रहे थे तब तक सूर्य भी अस्तांचल में जा चुका था वातावरण हल्के सुरमयी रंग में तब्दील हो रहा था..दूर बादल के टुकड़ों में नारंगी रंग की हल्की आभा फैली हुई थी जो प्राकृतिक वातावरण को मनमोहक बना रहा था फिर भी दोनों रेंज ऑफिसर के पैर बगैर देरी किए अपने विभागीय आवास की ओर बढ़ गए तकरीबन एक घण्टे पश्चात सभी वन विकास निगम कर्मी दो गाड़ियों में ईंधन डलवाकर काष्ठागर आवासीय क्षेत्र के सामने खड़े थे जिनकी संख्या लगभग दस थी जैसे ही दोनों रेंज ऑफिसर अपने आवास से  बाहर आए सब कर्मियों  ने एकसाथ  सैल्यूट मार कर उनके आदेश का इंतज़ार करने लगे रेंज ऑफिसर जागेश गौड़,और होमलाल साहू जिनकी नियुक्ति  ही कुछ वर्ष पूर्व हुई थी जिसमें रेंज ऑफिसर जागेश गौंड एक कद्दावर बलिष्ठ कद काठी एवं निर्भीक साहसी अधिकारी के रूप में जाने जाते है तथा अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जागरूक रहना उन के व्यवहार में शामिल है उनके लिए प्रारंभिक सेवाकाल में   हाथियों के आगमन और उनकी मॉनिटरिंग किसी रोमांच से कम नही था वही  तात्कालिक   (डिप्टी डीएम) तात्कालिक रूप डी एम होमलाल साहू एक कर्तव्य परायण अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है  उन्हें तनिक भी आभास नही था कि अपने सेवाकाल के दौरान इस प्रकार की कल्पना नही की थी कि कभी हाथियों के दल से सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी मिलेगी फिर भी साहस और रोमांच से भरे कर्तव्य निर्वहन का यह पहला सुअवसर जिसमे हाथियों से सामना होना था कोई भी अधिकारी खोना नही चाहते था 

 रात के आठ बजे सभी वन विकास निगम कर्मी मोहला स्थित काष्ठागार के आवासीय स्थल से दो जीप में सवार होकर रवाना हुए पानी की हल्की फुल्की बूंदा बांदी प्रारंभ हो गयी थी कभी कभार दूरस्थ क्षेत्र में बिजली की गड़गड़ाहट भरे  चकाचौंध रौशनी  की चमक से वनों के अस्पष्ट पेड़ों के ऊंचे झुरमुट दिख जाते जो भयावह और डरावने लग रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कब हाथियों का दल उनके समक्ष आकर सामने खड़े हो जाए  फिर भी रैनकोट से सुसज्जित अपनी सुरक्षा हेतु सामग्री लिए वे सब हाथियों के मूवमेंट स्थल की ओर बढ़ गए हाथी प्रभावित क्षेत्र के आसपास ग्राम में पहुंच कर सरपंच कोटवार को जानकारी देने का सिलसिला और कहीं कहीं ग्राम में अपनी गाड़ी में लगे छोटे से लाउडस्पीकर पर मुनादी भी करते रहे ताकि आम जन सजग रहे अनेक ग्राम मे सन्नाटे को चीरती हुई निगम कर्मियों की स्पीकर की आवाज़ से क्षेत्र गुंजयमान होने लगा  कि कोई भी व्यक्ति रात्रि में अपने घरों से बाहर न निकले.रात में ...दिशा मैदान को न जाएं और ..हाथी दिखने पर उनके करीब न जाएं.. हाथी दल दिखने पर तत्काल विभाग को सूचना दे... इस प्रकार रात भर आसपास के बहुत से गांव में निगम कर्मी सचेत करने मुनादी करते रहे  जबकि यह प्रथम अवसर था जब हाथियों का दल वन विकास निगम  मोहला के पानाबरस परियोजना मंडल के वन परिक्षेत्र में  दृष्टोगोचर हुआ था जिनकी उपस्थिति से होने वाले किसी भी अप्रिय घटना से सभी निगम कर्मी आशंकित थे जबकि उनके पास विभाग द्वारा प्रदत्त किसी प्रकार सुरक्षा सामग्री की माकूल व्यवस्था भी नही  थी सिवाय पेट्रोल मशाल,रस्सी,से वे कितना हाथियों को काबू कर पाते यह उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी फिर भी एक दूसरे का साथ और साहस के चलते वे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे

 रात भर अनेक गांव में मुनादी के पश्चात वे सब वापस मोहला जाने पर चर्चा करने लगे डिप्टी डिविजनल मैनेजर महेश खटकर को वापसी की सूचना देकर वे वापसी की सोची क्योंकि अब भोर के चार बज रहे थे रात का अंधियार अब धीरे धीरे फीका होना प्रारंभ हो चुका था आसमान में अब भी बादल होने से भोर की सफेदी उस पर हावी हो रहा था मगर सघन वन क्षेत्र होने से वन मार्ग अब भी रात के स्याह रंग से सराबोर था जागेश गौंड,और होमलाल साहू एक ही गाड़ी में बैठे पाली ग्राम क्षेत्र में अपनी अंतिम सर्च,और मुनादी कर वापस लौटने पर चर्चा करते हुए वन मार्ग में बढ़ रहे थे  पक्के वन मार्ग में  सिंगल लेन सड़क पर उनके पीछे बगैर लाइट वाली गाड़ी भी फर्राटे भरते चल रही थी जिस पर शांत वातावरण में गाड़ियों की आवाज़ से कुछ दूर अशांति का वातावरण निर्मित हो जाता जिससे दोनों गाड़ियों में बैठे वन कर्मी सहज होने का प्रयास करते कि गाड़ियों के शोर से कोई भी वन्यप्राणी कम से कम उनके करीब आने का दुस्साहस नही करेगा जिस स्थल से उन सब का जाना हो रहा था वहां से महाराष्ट्र बॉर्डर  की दूरी भी मात्र 12 किलोमीटर शेष थी आंखे भी कभी कभी नींद से बोझिल होने का प्रयास करती कुछ वन कर्मियों की आंख स्वतः बंद हो चुकी थी और गाड़ी की हिचकोलों में वे मां की गोद मे किसी हिलोर का अहसास करते हुए अचेतन स्थिति में झूम रहे थे इधर दोनों रेंजर भी  बातचीत कर नींद को काफूर करने का प्रयास कर बोझिल और उनींदा आंखों से सभी निश्चित होकर पाली ग्राम क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे सब कुछ सामान्य चल रहा था ड्राइवर भी जल्द से जल्द पाली ग्राम के अपने अंतिम पड़ाव के लक्ष्य की ओर जीप को द्रुत गति से बढ़ा रहा था एक समय ऐसा भी आया कि वन क्षेत्र के धुमावदार रास्ते मे पड़ने वाले नाले की ओर जैसे ही ड्रायव्हर ने गाड़ी की स्टेयरिंग घुमाया वैसे ही उसने जम कर पैर से ब्रेक को दबा दिया गाड़ी भी.. चर्ररर..चर्ररर करते हुए सड़क पर टायर का निशान छोड़ती हुई रुक गई यही स्थिति पीछे आ रही गाड़ी की भी हुई यकायक आगे जीप के ब्रेक लगाने से वह   भी बगैर देरी किए जीप को ब्रेक लगा एक झटके में जीप खड़ी कर दी ब्रेक का जोर से झटका लगने पर सभी निगम कर्मी एक दूसरे के ऊपर गिरते गिरते बचे सभी हतप्रभ हो कर आंखे खोल कर  कौतूहल वश एक दूसरे को सवालिया नज़रों से देखने लगे..दोनों रेंजर एक साथ चीखते लहजे में ड्रायव्हर की ओर मुखातिब हुए  ..क्या हुआ..ब्रेक इतनी जोर से क्यों लगाया ... ड्रायव्हर भय मिश्रित आंखों से बगैर कुछ बोले स्टेयरिंग से हाथ को थोड़ा ऊपर  करके उंगली के इशारे से सड़क की ओर इशारा किया... सब ने आंख घुमा कर  सामने  लाइट में लगभग 15 मीटर की दूरी पर तीन विशाल काय हाथियों  को सड़क से पार होते देखा एक क्षण में सब के कंठ सुख गए..गले की हड्डी ऊपर नीचे होने लगी..दिल की धड़कन तेज गति से धड़कने लगा...जिससे हाथ पांव में कंपन्न होना शुरू हो गया...भय से सब के हाथ पांव फूल गए.. हाथियों को इतने करीब से देखते ही सब की घिग्घी बंध गई किसी के मुंह से कुछ भी नही निकला...ऐसा लगने लगा कि मौत एकदम करीब से जा रही है पीछे  बगैर लाइट की गाड़ी में भी कोई हलचल नही थी उसमे बैठे निगम कर्मियों को यह समझते देर नही लगी कि सामने जरूर कुछ हुआ है तभी किसी कर्मी  ने बाहर झांक कर देखा तो बीच सड़क से तीन हाथी पार होकर सड़क के नीचे खड़े हुए है इधर गाड़ियों की ब्रेक की आवाज़ और गाड़ी की गड़गड़ाहट सुन कर तीनों हाथी भी यथावत स्थिति में जहां के तहां  खड़े हो गए  रेंजर जागेश गौंड,और हेमलाल साहू के माथे पर सुबह की ठंडी हवाओं के बीच मे  पसीने की बूंद उभर आई थी  सब निगम कर्मी सांस रोक कर उन्हें खड़े देखते रहे जो सड़क के करीब नीचे सुपे जैसे कान खड़े कर हमले की मुद्रा में खड़े दिख रहे थे उनमें एक दंतैल के अलावा दो अन्य वयस्क हाथी थे यकायक गाड़ियों और जोर से लगे ब्रेक की आवाज़ से वे तीनों हाथी भी अपने कान खड़े कर लिए तथा अपने पैरों को जमीन में रगड़ने लगे उनकी यह प्रतिक्रिया कोई शुभ  संकेत नही होता इसका मतलब वे गुस्सा होकर  हमला करने की चेतावनी दे रहे हो इधर गाड़ी में बैठे आर.ओ.जागेश गौंड,एवं होमलाल साहू के माथे में पसीने की बूंद उभर आई  ड्रायव्हर के हाथ स्टेयरिंग से चिपक गए और सभी निगम कर्मी सांस रोक कर गाड़ी में जड़वत हो गए,,न कोई हलचल और न ही कोई शब्द किसी के मुंह से निकल पा रहा था सब की आत्मा भय के कारण अंदर से थरथरा रही थी मात्र 15 मीटर की दूरी पर  सामने खड़े तीन हाथी जैसे उन्हें साक्षात यमराज  दिखने लगे थे उन्हें आशंका होने लगी कि कब उत्तेजित होकर तीनों हाथी उन पर हमला कर दे परंतु वे तीनों हाथी भी लाइट की चमक से कुछ समझ नही पा रहे थे तब धीरे से रेंजर जागेश गौंड ने फुसफुसा कर आदेश दिया गाड़ी को पीछे करो... ड्रायव्हर ने पीछे देखा बगैर लाइट वाली गाड़ी एकदम चिपक कर खड़ी थी मगर वह भी पीछे नही हो सकती थी क्योंकि घूमावदार,संकरा मार्ग होने की वजह से गाड़ी पीछे नही किया जा सकता था ड्राइवर ने पीछे न जाने की स्थिति से रेंजर को अवगत कराया  फिर तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने  ड्रायवहर से कहा - ऐसा करो ..गाड़ी की लाइट उनकी आंखों में मार कर बंद चालू करो और साथ मे सायरन बजाओ ताकि आवाज़ सुन कर वे आगे बढ़ जाएं परन्तु बार बार लाइट बंद चालू करने तथा सायरन बजाने से इसका विपरीत प्रभाव दिखा तीनों हाथी और अधिक उत्तेजित होकर कान खड़े करने लगे उसी समय एक हाथी अपना कदम उनकी जीप की ओर बढ़ाया तब दूसरे हाथी ने उसकी पूंछ को पकड़ कर कुछ संकेत दिया जिससे वह हाथी वही खड़ा हो गया अब निगम कर्मियों के समक्ष समस्या यह थी कि यदि गाड़ी पुल के नीचे करते है तब उन्हें गाड़ी फंसने की आशंका होने लगी क्योंकि मार्ग  गहरा और बहुत जटिल था वही पीछे गाड़ी करते है तो ऐसा महसूस हुआ कि कब किधर से 22 हाथियों का दल जो आसपास वन क्षेत्र में विचरण कर रहे थे कहीं पीछे से न पहुंच जाए और जीप सहित सब को चकनाचूर न कर दे ..अब निगम कर्मियों की स्थिति यह हो गई कि न आगे जा सकते है और न ही पीछे जा सकते थे क्योंकि पूरा गज दल आसपास विचरण कर रहे थे निगम कर्मियों को सब तरफ हाथी के रूप में यमदूत नज़र आ रहे थे सब भय मिश्रित नेत्रों से गाड़ी के बाहर आंखे फाड़ फाड़ कर अंधेरे में देखने का प्रयास करने लगे कहीं पूरा का पूरा हाथियों का कुनबा वहां न आ जाए और जान पर बन आए ? इधर सब को यह भय भी सता  रहा था कि इधर सड़क के नीचे खड़े तीनों हाथियों में से किसी एक ने भी अन्य स्थल में विचरण करते दल को संकेतात्मक चिंघाड़ मार दी  तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा  सब निगम कर्मी की स्थिति किसी पिंजरे में फंसे हुए प्राणी  जैसी लग रही थी उनके सामने तीनों हाथी के रूप में साक्षात यमराज दिखाई दे रहा था कुछ निगम कर्मी तो कांपते हाथ को जोड़कर,आंख बंद कर  ईश्वर से प्रार्थना करने लगे थे कि किसी तरह जान बचा लो प्रभु और आई मुसीबत को किसी तरह टाल दो... रेंज अधिकारी जागेश गौंड ने हिम्मत और साहस के साथ ड्रायव्हर को आदेश दिया कि फिर से सायरन बजाओ...सायरन बजाने से तीनों हाथी और उत्तेजित हो कर पांव जमीन में रगड़ने लगे तब एक निगम कर्मी ने साहस दिखाते हुए मशाल जलाकर, पेट्रोल मुंह मे रखकर उनकी ओर फूंकने लगा....आग के उठते लपट देखकर  हाथियों ने एक कदम उनकी ओर बढ़ाया ....इससे सभी निगम कर्मी डर से कांपने लगे मौके की नजाकत को देखते हुए तुरंत तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने आग फेकने वाले निगम कर्मी को गाड़ी में  बैठने का आदेश दिया जैसे ही वह कर्मी गाड़ी में चढ़ा ड्रायव्हर को आदेश दिया कि गाड़ी स्पीड से निकालो..ड्राइवर ने थोड़ी हिम्मत जुटाई और तुरन्त एक्सीलेटर पर पैर को दबा दिया पीछे खड़ी गाड़ी भी ब्रेक से पैर हटाते हुए एक्सीलेटर पर दबाव बना दिया एक झटके के साथ  आगे चल रही गाड़ी के पीछे अपनी गाड़ी को फर्राटे से पीछे लगा दिया वातावरण गाड़ियों की आवाज़ से गूंज उठा जीप की कर्कश ध्वनि के बढते ही तीनों हाथी वापिस सड़क पर चढ़ने लगे मगर तब तक दोनों गाड़ी ने अपनी रफ्तार पकड़ ली थी और एक फर्राटे के साथ दोनों गाड़ियां उन तीनों हाथी के सामने से सायरन बजाते हुए वहां से आगे बढ़ गए कुछ दूर आगे जाने के बाद पीछे चल रही गाड़ियों में बैठे निगम कर्मियों ने मुड़कर देखा तीनों हाथी सड़क मे पहुँच चूके थे और वे दूर होती गाड़ियों की ओर देख रहै थे वहां से कुछ किलोमीटर आगे आने पर सब ने राहत की सांस ली और ईश्वर को धन्यवाद दिया परंतु आषाढ़ की इस रात में पन्द्रह मिनट का यह भयावह क्षण जिसे वे अभी गुजार कर आ रहे थे उनके जीवन का अविस्मरणीय  क्षण बन गया था वर्तमान मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड एवं होमलाल साहू जो वर्तमान में  एस डी ओ बन चुके है 

से जब इस रोमांचक क्षण की कथा का वर्णन सुन रहे थे तब घटनाचक्र का स्मरण मात्र से शरीर मे सिहरन उठ रही थी और रौंगटे खड़े हो रहे थे हाथी दल के अनवरत आवागमन के संदर्भ में जब मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड से चर्चा की तब उन्होंने कहा कि वन विभाग को गजदल के आवागमन मार्ग क्षेत्र में कॉरिडोर निर्माण करना चाहिए हालांकि इस सिलसिले में विभाग ने भि कार्ययोजना बना कर विचार करना प्रारंभ कर दिया है उन्होंने आगे कहा- क्योंकि दिन में हाथी वनक्षेत्र में घास फूस,और झाड़ इत्यादि कहा कर अपनी क्षुधा शांत कर लेता है परन्तु स्वाद बदलने खेत खलिहान की उपज की ओर आकर्षित होता है तथा माल के साथ जान का खतरा बढ़ जाता है वही उन्होंने आगे बताया कि झुंड में रहते समय यह अधिक आक्रमक नही होता जितना अकेला हाथी हमलावर होता है इसके लिए हालांकि बहुत से हाथियों में रेडियो कॉलर लगाया गया था जो हट गया है जिससे इनके एक्जिट लोकेशन ज्ञात नही हो पाता वविनि रेंजर जागेश गौंड ने आगे बताया कि महाराष्ट्र में ठीक इसके विपरीत हाथियों के निगरानी हेतु एक्सपर्ट रखे गए है जो सेटेलाइट से पूर्वानुमान लगा कर महाराष्ट्र वन क्षेत्रों में होने वाली हलचल,सूचना के अनुसार तथा गजदल के वर्ष भर में किस ऋतु मे उनका आगमन होना है उसके समयानुसार महाराष्ट्र बॉर्डर तक विस्तृत ग्राम क्षेत्रों में मुनादी करवा दी जाती है ताकि जानमाल से आम जन को  बचाया जा सके परन्तु हमारे यहां किसी प्रकार की आधुनिक पद्धति नही है जिससे अनेक जान माल के क्षति होने की घटनाएं घटित होती रहती है उन्होंने आगे कहा- कि इसके लिए विभाग योजना बनाए छग,मप्र.और महाराष्ट्र राज्य मिलकर हाथी दल के विचरण क्षेत्र का मैप बनाकर कॉरिडोर बनाए तथा हाथियों से आम जन की सुरक्षा के साथ साथ इनके संरक्षण संवर्धन में भी कार्य किए जा सकते है वही वर्त्तमान डिप्टी डीएम होमलाल साहू का कथन है कि वन विभाग की तरह प्रदेश भर में बहुत से निगम के वन क्षेत्र है जहां हमे सुरक्षा हेतु कोई सामग्री नही दी जाती इसके लिए वन विकास निगम,वन विभाग  गजदल से आमजन के जानमाल की सुरक्षा सहित सभी के सुरक्षा हेतु सामग्री होनी चाहिए इसके लिए बाकायदा वन विकास निगम को भी शासन की ओर से बजट जारी होना चाहिए जिसके बगैर किसी भी प्रकार की सुरक्षा संरक्षण,संवर्धन बे मायनी है वही वर्तमान मिस्प्रि रेंजर कुमारी दीपिका केशरवानी का कथन है कि बहुत से वन ग्राम क्षेत्र मे हाथी के हमले से कई ग्रामीण हताहत हुए है तथा मृत्यु तक हो चुकी है जिन्हें उपचार एवं अंतिम संस्कार हेतु प्रारंभिक सहायता राशि दी जाती है परंतु मिलने वाले मुआवजे की राशि प्रदाय करने में काफी विलंब होता है मिस्प्रि रेंजर कुमारी दीपिका केशरवानी आगे बताती है कि पहले ग्रामीण किसी प्रकार का कोई सहयोग नही करते थे  परन्तु जब से हाथियों द्वारा जानमाल की क्षति पहुंचाई गई तब से वे वविनि कर्मियों से पूरा सहयोग करते है वो आगे कहती है कि वविनि कर्मियों को भी सुरक्षा हेतु सभी सामग्री मिलनी चाहिए तथा अन्य आधुनिक उपकरण भी लगाए और दिए जाने चाहिए जैसे टीवी के माध्यम से नाटक और शिक्षा के माध्यम से जन जागरूकता आवश्यक है ताकि गजदल की सही लोकेशन और सही समय में ग्रामीणों को जन जागरूकता लाने  लोकेशन ट्रेस कर ने सेटेलाइट,जीपीएस, जैसे अनेक आधुनिक माध्यम की आवश्यकता है जो अभी तक हमे प्रदाय नही हो सका है