जब तीन हाथियों से सामना हुआ वन विकास निगम कर्मियों का- एक रोमांच कथा
अलताफ हुसैन
रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) 18 सितंबर 2021का दिन था आषाढ़ का महीना चल रहा था रुक रुक कर वर्षा हो रही थी हाल ही अस्तित्व में आए नए जिला मोहला मानपुर का सघन वन क्षेत्र जहां आबादी भी कम थी सूर्यास्त होते ही लोग अपने अपने घरों मे दुबक जाते सघन वन क्षेत्र और माकूल वातावरण होने के कारण यहाँ बिना बुलाए मेहमान की तरह कहीं भी खंड वर्षा होते रहता है मगर 18 सितंबर 2021 का मौसम तनिक शुष्क था एक तरह से आसमान में दूर कही कहीं काले बादल अपनी मस्ती में हवा के झोंके के साथ आवागमन करते परिलक्षित हो रहे थे जिससे सूरज की आंख मिचौली चल रही थी आम दिनों की भांति लोग दैनिक दिनचर्या के तहत नियमित काम काज को निपटा रहे थे कभी तेज धूप लोगों को राहत देता तो कभी सर्र सर्र करती मौसम की ठंडी हवा का झोंका गालों में पड़ते ही पूरे शरीर मे ठिठुरन की एक सिहरन सी उठ जाती संध्या के साढ़े पांच बज रहे थे ऐसे में वन विकास निगम के मोहला परिक्षेत्र के अधिकारी द्वय जागेश गौड़ और होमलाल साहू कार्यालयीन कार्यों का निपटारा कर के काष्ठागर स्थित अपने शासकीय आवास की ओर धीरे धीरे गपियाते पहुंचे ही थे कि रेंजर जागेश गौड़ के मोबाइल की घण्टी सहसा घनघना उठी रेंज अधिकारी जागेश गौड़ ने मोबाइल में देखा तो कॉल वन विकास निगम राजनांदगांव मुख्यालय से डी.एम. ए. के.पाठक साहब का था मोहला रेंज ऑफिसर जागेश गौड़ ने साथ चल रहे तात्कालिक रेंजर होमलाल साहू को हाथों की उंगलियों से चुप रहने का इशारा करते हुए कॉल रिसीव करते हुए कहा- यस सर,दूसरी ओर से वन विकास निगम पानाबरस डिवीजन के डी. एम. पाठक साहब की भारी भरकम आवाज़ आई जागेश,अभी अभी सूचना मिली है कि वन क्षेत्र के राजाडेरा,मिस्प्रि वन क्षेत्र में 22 हाथियों का दल विचरण कर रहा है.. तुम तत्काल.. कुछ कर्मियों को ले जाकर उस क्षेत्र में मुनादी करवाओ... और गज दल के मूवमेंट की खबर मुझे दो..सुरक्षा की दृष्टि से सभी ग्रामीण वनवासियों को अपने घरों में रहने की सलाह दो.. ताकि जान,माल के खतरे से आम लोगों को बचाया जा सके और हां.. इसमें किसी प्रकार की कोई कोताही नही होनी चाहिए...इधर से रेंजर जागेश गौंड ने यस सर कहा , और तात्कालिक रेंजर होमलाल साहू को हाथियों के धमक के बारे में जानकारी दी जिसे सुनकर वो भी हड़बड़ा गए क्योंकि हाथियों का दल पहली बार निगम के वन क्षेत्र में अपनी आमद दी थी इसलिए उनका चौंकना स्वाभाविक था उन्होंने भी बगैर देर किए तत्काल अपने अधीनस्थ सहयोगीयों,राजन,डालेंद्र,रवि शंकर पारकर,गौरी शंकर भारद्वाज,सहित अन्य निगम के वन कर्मियों को दो विभागीय जीप लेकर उपस्थित होने कहा- साथ ही पेट्रोल,मशाल,मोटी रस्सी,एवं अन्य सुरक्षा सामग्री लाने का आदेश दिया तब ड्रायव्हर ने बताया कि एक गाड़ी की लाइट खराब हो चुकी है तथा इंजन भी कभी भी बंद हो जाता है.. इस पर तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने उन्हें कहा- अभी गाड़ी बनाने का समय नही है तत्काल काष्ठागार स्थित कार्यालय पहुँचों...
जब वे ये आदेश दे रहे थे तब तक सूर्य भी अस्तांचल में जा चुका था वातावरण हल्के सुरमयी रंग में तब्दील हो रहा था..दूर बादल के टुकड़ों में नारंगी रंग की हल्की आभा फैली हुई थी जो प्राकृतिक वातावरण को मनमोहक बना रहा था फिर भी दोनों रेंज ऑफिसर के पैर बगैर देरी किए अपने विभागीय आवास की ओर बढ़ गए तकरीबन एक घण्टे पश्चात सभी वन विकास निगम कर्मी दो गाड़ियों में ईंधन डलवाकर काष्ठागर आवासीय क्षेत्र के सामने खड़े थे जिनकी संख्या लगभग दस थी जैसे ही दोनों रेंज ऑफिसर अपने आवास से बाहर आए सब कर्मियों ने एकसाथ सैल्यूट मार कर उनके आदेश का इंतज़ार करने लगे रेंज ऑफिसर जागेश गौड़,और होमलाल साहू जिनकी नियुक्ति ही कुछ वर्ष पूर्व हुई थी जिसमें रेंज ऑफिसर जागेश गौंड एक कद्दावर बलिष्ठ कद काठी एवं निर्भीक साहसी अधिकारी के रूप में जाने जाते है तथा अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जागरूक रहना उन के व्यवहार में शामिल है उनके लिए प्रारंभिक सेवाकाल में हाथियों के आगमन और उनकी मॉनिटरिंग किसी रोमांच से कम नही था वही तात्कालिक (डिप्टी डीएम) तात्कालिक रूप डी एम होमलाल साहू एक कर्तव्य परायण अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है उन्हें तनिक भी आभास नही था कि अपने सेवाकाल के दौरान इस प्रकार की कल्पना नही की थी कि कभी हाथियों के दल से सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी मिलेगी फिर भी साहस और रोमांच से भरे कर्तव्य निर्वहन का यह पहला सुअवसर जिसमे हाथियों से सामना होना था कोई भी अधिकारी खोना नही चाहते था
रात के आठ बजे सभी वन विकास निगम कर्मी मोहला स्थित काष्ठागार के आवासीय स्थल से दो जीप में सवार होकर रवाना हुए पानी की हल्की फुल्की बूंदा बांदी प्रारंभ हो गयी थी कभी कभार दूरस्थ क्षेत्र में बिजली की गड़गड़ाहट भरे चकाचौंध रौशनी की चमक से वनों के अस्पष्ट पेड़ों के ऊंचे झुरमुट दिख जाते जो भयावह और डरावने लग रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कब हाथियों का दल उनके समक्ष आकर सामने खड़े हो जाए फिर भी रैनकोट से सुसज्जित अपनी सुरक्षा हेतु सामग्री लिए वे सब हाथियों के मूवमेंट स्थल की ओर बढ़ गए हाथी प्रभावित क्षेत्र के आसपास ग्राम में पहुंच कर सरपंच कोटवार को जानकारी देने का सिलसिला और कहीं कहीं ग्राम में अपनी गाड़ी में लगे छोटे से लाउडस्पीकर पर मुनादी भी करते रहे ताकि आम जन सजग रहे अनेक ग्राम मे सन्नाटे को चीरती हुई निगम कर्मियों की स्पीकर की आवाज़ से क्षेत्र गुंजयमान होने लगा कि कोई भी व्यक्ति रात्रि में अपने घरों से बाहर न निकले.रात में ...दिशा मैदान को न जाएं और ..हाथी दिखने पर उनके करीब न जाएं.. हाथी दल दिखने पर तत्काल विभाग को सूचना दे... इस प्रकार रात भर आसपास के बहुत से गांव में निगम कर्मी सचेत करने मुनादी करते रहे जबकि यह प्रथम अवसर था जब हाथियों का दल वन विकास निगम मोहला के पानाबरस परियोजना मंडल के वन परिक्षेत्र में दृष्टोगोचर हुआ था जिनकी उपस्थिति से होने वाले किसी भी अप्रिय घटना से सभी निगम कर्मी आशंकित थे जबकि उनके पास विभाग द्वारा प्रदत्त किसी प्रकार सुरक्षा सामग्री की माकूल व्यवस्था भी नही थी सिवाय पेट्रोल मशाल,रस्सी,से वे कितना हाथियों को काबू कर पाते यह उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी फिर भी एक दूसरे का साथ और साहस के चलते वे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे
रात भर अनेक गांव में मुनादी के पश्चात वे सब वापस मोहला जाने पर चर्चा करने लगे डिप्टी डिविजनल मैनेजर महेश खटकर को वापसी की सूचना देकर वे वापसी की सोची क्योंकि अब भोर के चार बज रहे थे रात का अंधियार अब धीरे धीरे फीका होना प्रारंभ हो चुका था आसमान में अब भी बादल होने से भोर की सफेदी उस पर हावी हो रहा था मगर सघन वन क्षेत्र होने से वन मार्ग अब भी रात के स्याह रंग से सराबोर था जागेश गौंड,और होमलाल साहू एक ही गाड़ी में बैठे पाली ग्राम क्षेत्र में अपनी अंतिम सर्च,और मुनादी कर वापस लौटने पर चर्चा करते हुए वन मार्ग में बढ़ रहे थे पक्के वन मार्ग में सिंगल लेन सड़क पर उनके पीछे बगैर लाइट वाली गाड़ी भी फर्राटे भरते चल रही थी जिस पर शांत वातावरण में गाड़ियों की आवाज़ से कुछ दूर अशांति का वातावरण निर्मित हो जाता जिससे दोनों गाड़ियों में बैठे वन कर्मी सहज होने का प्रयास करते कि गाड़ियों के शोर से कोई भी वन्यप्राणी कम से कम उनके करीब आने का दुस्साहस नही करेगा जिस स्थल से उन सब का जाना हो रहा था वहां से महाराष्ट्र बॉर्डर की दूरी भी मात्र 12 किलोमीटर शेष थी आंखे भी कभी कभी नींद से बोझिल होने का प्रयास करती कुछ वन कर्मियों की आंख स्वतः बंद हो चुकी थी और गाड़ी की हिचकोलों में वे मां की गोद मे किसी हिलोर का अहसास करते हुए अचेतन स्थिति में झूम रहे थे इधर दोनों रेंजर भी बातचीत कर नींद को काफूर करने का प्रयास कर बोझिल और उनींदा आंखों से सभी निश्चित होकर पाली ग्राम क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे सब कुछ सामान्य चल रहा था ड्राइवर भी जल्द से जल्द पाली ग्राम के अपने अंतिम पड़ाव के लक्ष्य की ओर जीप को द्रुत गति से बढ़ा रहा था एक समय ऐसा भी आया कि वन क्षेत्र के धुमावदार रास्ते मे पड़ने वाले नाले की ओर जैसे ही ड्रायव्हर ने गाड़ी की स्टेयरिंग घुमाया वैसे ही उसने जम कर पैर से ब्रेक को दबा दिया गाड़ी भी.. चर्ररर..चर्ररर करते हुए सड़क पर टायर का निशान छोड़ती हुई रुक गई यही स्थिति पीछे आ रही गाड़ी की भी हुई यकायक आगे जीप के ब्रेक लगाने से वह भी बगैर देरी किए जीप को ब्रेक लगा एक झटके में जीप खड़ी कर दी ब्रेक का जोर से झटका लगने पर सभी निगम कर्मी एक दूसरे के ऊपर गिरते गिरते बचे सभी हतप्रभ हो कर आंखे खोल कर कौतूहल वश एक दूसरे को सवालिया नज़रों से देखने लगे..दोनों रेंजर एक साथ चीखते लहजे में ड्रायव्हर की ओर मुखातिब हुए ..क्या हुआ..ब्रेक इतनी जोर से क्यों लगाया ... ड्रायव्हर भय मिश्रित आंखों से बगैर कुछ बोले स्टेयरिंग से हाथ को थोड़ा ऊपर करके उंगली के इशारे से सड़क की ओर इशारा किया... सब ने आंख घुमा कर सामने लाइट में लगभग 15 मीटर की दूरी पर तीन विशाल काय हाथियों को सड़क से पार होते देखा एक क्षण में सब के कंठ सुख गए..गले की हड्डी ऊपर नीचे होने लगी..दिल की धड़कन तेज गति से धड़कने लगा...जिससे हाथ पांव में कंपन्न होना शुरू हो गया...भय से सब के हाथ पांव फूल गए.. हाथियों को इतने करीब से देखते ही सब की घिग्घी बंध गई किसी के मुंह से कुछ भी नही निकला...ऐसा लगने लगा कि मौत एकदम करीब से जा रही है पीछे बगैर लाइट की गाड़ी में भी कोई हलचल नही थी उसमे बैठे निगम कर्मियों को यह समझते देर नही लगी कि सामने जरूर कुछ हुआ है तभी किसी कर्मी ने बाहर झांक कर देखा तो बीच सड़क से तीन हाथी पार होकर सड़क के नीचे खड़े हुए है इधर गाड़ियों की ब्रेक की आवाज़ और गाड़ी की गड़गड़ाहट सुन कर तीनों हाथी भी यथावत स्थिति में जहां के तहां खड़े हो गए रेंजर जागेश गौंड,और हेमलाल साहू के माथे पर सुबह की ठंडी हवाओं के बीच मे पसीने की बूंद उभर आई थी सब निगम कर्मी सांस रोक कर उन्हें खड़े देखते रहे जो सड़क के करीब नीचे सुपे जैसे कान खड़े कर हमले की मुद्रा में खड़े दिख रहे थे उनमें एक दंतैल के अलावा दो अन्य वयस्क हाथी थे यकायक गाड़ियों और जोर से लगे ब्रेक की आवाज़ से वे तीनों हाथी भी अपने कान खड़े कर लिए तथा अपने पैरों को जमीन में रगड़ने लगे उनकी यह प्रतिक्रिया कोई शुभ संकेत नही होता इसका मतलब वे गुस्सा होकर हमला करने की चेतावनी दे रहे हो इधर गाड़ी में बैठे आर.ओ.जागेश गौंड,एवं होमलाल साहू के माथे में पसीने की बूंद उभर आई ड्रायव्हर के हाथ स्टेयरिंग से चिपक गए और सभी निगम कर्मी सांस रोक कर गाड़ी में जड़वत हो गए,,न कोई हलचल और न ही कोई शब्द किसी के मुंह से निकल पा रहा था सब की आत्मा भय के कारण अंदर से थरथरा रही थी मात्र 15 मीटर की दूरी पर सामने खड़े तीन हाथी जैसे उन्हें साक्षात यमराज दिखने लगे थे उन्हें आशंका होने लगी कि कब उत्तेजित होकर तीनों हाथी उन पर हमला कर दे परंतु वे तीनों हाथी भी लाइट की चमक से कुछ समझ नही पा रहे थे तब धीरे से रेंजर जागेश गौंड ने फुसफुसा कर आदेश दिया गाड़ी को पीछे करो... ड्रायव्हर ने पीछे देखा बगैर लाइट वाली गाड़ी एकदम चिपक कर खड़ी थी मगर वह भी पीछे नही हो सकती थी क्योंकि घूमावदार,संकरा मार्ग होने की वजह से गाड़ी पीछे नही किया जा सकता था ड्राइवर ने पीछे न जाने की स्थिति से रेंजर को अवगत कराया फिर तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने ड्रायवहर से कहा - ऐसा करो ..गाड़ी की लाइट उनकी आंखों में मार कर बंद चालू करो और साथ मे सायरन बजाओ ताकि आवाज़ सुन कर वे आगे बढ़ जाएं परन्तु बार बार लाइट बंद चालू करने तथा सायरन बजाने से इसका विपरीत प्रभाव दिखा तीनों हाथी और अधिक उत्तेजित होकर कान खड़े करने लगे उसी समय एक हाथी अपना कदम उनकी जीप की ओर बढ़ाया तब दूसरे हाथी ने उसकी पूंछ को पकड़ कर कुछ संकेत दिया जिससे वह हाथी वही खड़ा हो गया अब निगम कर्मियों के समक्ष समस्या यह थी कि यदि गाड़ी पुल के नीचे करते है तब उन्हें गाड़ी फंसने की आशंका होने लगी क्योंकि मार्ग गहरा और बहुत जटिल था वही पीछे गाड़ी करते है तो ऐसा महसूस हुआ कि कब किधर से 22 हाथियों का दल जो आसपास वन क्षेत्र में विचरण कर रहे थे कहीं पीछे से न पहुंच जाए और जीप सहित सब को चकनाचूर न कर दे ..अब निगम कर्मियों की स्थिति यह हो गई कि न आगे जा सकते है और न ही पीछे जा सकते थे क्योंकि पूरा गज दल आसपास विचरण कर रहे थे निगम कर्मियों को सब तरफ हाथी के रूप में यमदूत नज़र आ रहे थे सब भय मिश्रित नेत्रों से गाड़ी के बाहर आंखे फाड़ फाड़ कर अंधेरे में देखने का प्रयास करने लगे कहीं पूरा का पूरा हाथियों का कुनबा वहां न आ जाए और जान पर बन आए ? इधर सब को यह भय भी सता रहा था कि इधर सड़क के नीचे खड़े तीनों हाथियों में से किसी एक ने भी अन्य स्थल में विचरण करते दल को संकेतात्मक चिंघाड़ मार दी तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा सब निगम कर्मी की स्थिति किसी पिंजरे में फंसे हुए प्राणी जैसी लग रही थी उनके सामने तीनों हाथी के रूप में साक्षात यमराज दिखाई दे रहा था कुछ निगम कर्मी तो कांपते हाथ को जोड़कर,आंख बंद कर ईश्वर से प्रार्थना करने लगे थे कि किसी तरह जान बचा लो प्रभु और आई मुसीबत को किसी तरह टाल दो... रेंज अधिकारी जागेश गौंड ने हिम्मत और साहस के साथ ड्रायव्हर को आदेश दिया कि फिर से सायरन बजाओ...सायरन बजाने से तीनों हाथी और उत्तेजित हो कर पांव जमीन में रगड़ने लगे तब एक निगम कर्मी ने साहस दिखाते हुए मशाल जलाकर, पेट्रोल मुंह मे रखकर उनकी ओर फूंकने लगा....आग के उठते लपट देखकर हाथियों ने एक कदम उनकी ओर बढ़ाया ....इससे सभी निगम कर्मी डर से कांपने लगे मौके की नजाकत को देखते हुए तुरंत तत्कालीन रेंजर होमलाल साहू ने आग फेकने वाले निगम कर्मी को गाड़ी में बैठने का आदेश दिया जैसे ही वह कर्मी गाड़ी में चढ़ा ड्रायव्हर को आदेश दिया कि गाड़ी स्पीड से निकालो..ड्राइवर ने थोड़ी हिम्मत जुटाई और तुरन्त एक्सीलेटर पर पैर को दबा दिया पीछे खड़ी गाड़ी भी ब्रेक से पैर हटाते हुए एक्सीलेटर पर दबाव बना दिया एक झटके के साथ आगे चल रही गाड़ी के पीछे अपनी गाड़ी को फर्राटे से पीछे लगा दिया वातावरण गाड़ियों की आवाज़ से गूंज उठा जीप की कर्कश ध्वनि के बढते ही तीनों हाथी वापिस सड़क पर चढ़ने लगे मगर तब तक दोनों गाड़ी ने अपनी रफ्तार पकड़ ली थी और एक फर्राटे के साथ दोनों गाड़ियां उन तीनों हाथी के सामने से सायरन बजाते हुए वहां से आगे बढ़ गए कुछ दूर आगे जाने के बाद पीछे चल रही गाड़ियों में बैठे निगम कर्मियों ने मुड़कर देखा तीनों हाथी सड़क मे पहुँच चूके थे और वे दूर होती गाड़ियों की ओर देख रहै थे वहां से कुछ किलोमीटर आगे आने पर सब ने राहत की सांस ली और ईश्वर को धन्यवाद दिया परंतु आषाढ़ की इस रात में पन्द्रह मिनट का यह भयावह क्षण जिसे वे अभी गुजार कर आ रहे थे उनके जीवन का अविस्मरणीय क्षण बन गया था वर्तमान मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड एवं होमलाल साहू जो वर्तमान में एस डी ओ बन चुके है
से जब इस रोमांचक क्षण की कथा का वर्णन सुन रहे थे तब घटनाचक्र का स्मरण मात्र से शरीर मे सिहरन उठ रही थी और रौंगटे खड़े हो रहे थे हाथी दल के अनवरत आवागमन के संदर्भ में जब मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड से चर्चा की तब उन्होंने कहा कि वन विभाग को गजदल के आवागमन मार्ग क्षेत्र में कॉरिडोर निर्माण करना चाहिए हालांकि इस सिलसिले में विभाग ने भि कार्ययोजना बना कर विचार करना प्रारंभ कर दिया है उन्होंने आगे कहा- क्योंकि दिन में हाथी वनक्षेत्र में घास फूस,और झाड़ इत्यादि कहा कर अपनी क्षुधा शांत कर लेता है परन्तु स्वाद बदलने खेत खलिहान की उपज की ओर आकर्षित होता है तथा माल के साथ जान का खतरा बढ़ जाता है वही उन्होंने आगे बताया कि झुंड में रहते समय यह अधिक आक्रमक नही होता जितना अकेला हाथी हमलावर होता है इसके लिए हालांकि बहुत से हाथियों में रेडियो कॉलर लगाया गया था जो हट गया है जिससे इनके एक्जिट लोकेशन ज्ञात नही हो पाता वविनि रेंजर जागेश गौंड ने आगे बताया कि महाराष्ट्र में ठीक इसके विपरीत हाथियों के निगरानी हेतु एक्सपर्ट रखे गए है जो सेटेलाइट से पूर्वानुमान लगा कर महाराष्ट्र वन क्षेत्रों में होने वाली हलचल,सूचना के अनुसार तथा गजदल के वर्ष भर में किस ऋतु मे उनका आगमन होना है उसके समयानुसार महाराष्ट्र बॉर्डर तक विस्तृत ग्राम क्षेत्रों में मुनादी करवा दी जाती है ताकि जानमाल से आम जन को बचाया जा सके परन्तु हमारे यहां किसी प्रकार की आधुनिक पद्धति नही है जिससे अनेक जान माल के क्षति होने की घटनाएं घटित होती रहती है उन्होंने आगे कहा- कि इसके लिए विभाग योजना बनाए छग,मप्र.और महाराष्ट्र राज्य मिलकर हाथी दल के विचरण क्षेत्र का मैप बनाकर कॉरिडोर बनाए तथा हाथियों से आम जन की सुरक्षा के साथ साथ इनके संरक्षण संवर्धन में भी कार्य किए जा सकते है वही वर्त्तमान डिप्टी डीएम होमलाल साहू का कथन है कि वन विभाग की तरह प्रदेश भर में बहुत से निगम के वन क्षेत्र है जहां हमे सुरक्षा हेतु कोई सामग्री नही दी जाती इसके लिए वन विकास निगम,वन विभाग गजदल से आमजन के जानमाल की सुरक्षा सहित सभी के सुरक्षा हेतु सामग्री होनी चाहिए इसके लिए बाकायदा वन विकास निगम को भी शासन की ओर से बजट जारी होना चाहिए जिसके बगैर किसी भी प्रकार की सुरक्षा संरक्षण,संवर्धन बे मायनी है वही वर्तमान मिस्प्रि रेंजर कुमारी दीपिका केशरवानी का कथन है कि बहुत से वन ग्राम क्षेत्र मे हाथी के हमले से कई ग्रामीण हताहत हुए है तथा मृत्यु तक हो चुकी है जिन्हें उपचार एवं अंतिम संस्कार हेतु प्रारंभिक सहायता राशि दी जाती है परंतु मिलने वाले मुआवजे की राशि प्रदाय करने में काफी विलंब होता है मिस्प्रि रेंजर कुमारी दीपिका केशरवानी आगे बताती है कि पहले ग्रामीण किसी प्रकार का कोई सहयोग नही करते थे परन्तु जब से हाथियों द्वारा जानमाल की क्षति पहुंचाई गई तब से वे वविनि कर्मियों से पूरा सहयोग करते है वो आगे कहती है कि वविनि कर्मियों को भी सुरक्षा हेतु सभी सामग्री मिलनी चाहिए तथा अन्य आधुनिक उपकरण भी लगाए और दिए जाने चाहिए जैसे टीवी के माध्यम से नाटक और शिक्षा के माध्यम से जन जागरूकता आवश्यक है ताकि गजदल की सही लोकेशन और सही समय में ग्रामीणों को जन जागरूकता लाने लोकेशन ट्रेस कर ने सेटेलाइट,जीपीएस, जैसे अनेक आधुनिक माध्यम की आवश्यकता है जो अभी तक हमे प्रदाय नही हो सका है





 
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