शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

पाशा की सुरीले गीत संगीत भाषा का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया...नए पुराने नग्मों पर थिरके

 पाशा की सुरीले गीत संगीत भाषा का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया...नए पुराने नग्मों पर थिरके 

अलताफ हुसैन

रायपुर (मिशन पॉलिटिक्स न्यूज़) मो.रफी के नग्मों को बेहतर ढंग से निभाने वाले गायक ज़ाहिद पाशा द्वारा प्रजेंट्स.. एक शाम सुरीले गीतों के नाम.. कार्यक्रम के माध्यम से मायाराम सुरजन हॉल गूंजा जिसमे नए पुराने गीतों का बेहतरीन समावेश किया गया और रफी लता आशा,किशोर,कुमार शानू अमित कुमार शब्बीर कुमार,मो अजीज़ के एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत की प्रस्तुति सधे हुए गायको द्वारा दी गई  इस बार ज़ाहिद पाशा के द्वारा गायकी की गीत संगीतिज्ञ शाला में चुनिंदा गायकों को लेकर सजाई गई थी जो परिपक्व होने के साथ उनके सुर ताल  की जबरदस्त जुगलबन्दी देखने मिली और समस्त हॉल प्रत्येक गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट से सभी गायकों  का स्वागत वंदन,अभिनन्दन किया यहां तक बहुत से गीतों की सटीक प्रस्तुति ने कुछ श्रोताओं को थिरकने विवश कर दिया जो एक गीत संगीत कार्यक्रम की सफलता को प्रदर्शित करता है

प्रारंभिक चरण में एक शाम सुरीले गीतों के नाम के आधार स्तंभ ज़ाहिद पाशा के द्वारा रफी साहब का गीत.. चराग दिल का जलाओ...इतने सधे हुए अंदाज़ में गाया कि उपस्थित श्रोता खड़े हो कर ताली बजाने विवश हो गए शेष गिरी राव और श्रीमती जी. कृष्णा राव का युगल गीत.. जब हम जवां होंगे..जाने कहां होंगे.. बेताब गीत को सुनाकर सभी श्रोताओं को बेताब कर दिया क्योंकि गीत इतना अच्छा बन पड़ा था और सभी श्रोताओं ने भी मुक्त कंठ से उनके प्रस्तुति पर अपनी प्रशंसा व्यक्त किया और मुक्त हस्त से ताली की गड़गड़ाहट से दोनों कलाकारों का स्वागत भी किया  चुलबुल कलाकार के रुप में चिन्हित शहज़ादा खान ने वातावरण को खुशनुमा बनाने के उद्देश्य से कुछ कलाकारों की मिमिक्री करने का प्रयास किया परंतु वे सफल नही हो सके पश्चात अपने बेहतरीन गीत  ..बार बार देखो हजार बार देखों ...की प्रस्तुति मंच की आसंदी से न देकर श्रोताओ के बीच पहुंच कर दी और बहुत सटीक ढंग से प्रस्तुति दी जिसे भी श्रोताओं ने  खुलकर उनके साथ नृत्य करते हुए सराहा 
वही शहज़ाद खान और संजू साहू ने आधुनिक डिस्को संगीत में दोनों गायक कदमताल मिलाते हुए,,प्यार बिना चैन कहां रे...गीत को सटीक रूप से प्रस्तुत किया जिसे श्रोताओं ने झूमकर गीतों का लुत्फ उठाया वही पाशा के रफी साहब वाली भाषा मे...चराग दिल का जलाओ बहुत अंधेरा है... गीत पर श्रोता स्तब्ध होकर गीतों को सुनते रहे क्योंकि उनकी आवाज़ और साज में जबरदस्त तालमेल था  शेषगिरी राव और जी कृष्णा राव का युगल गीत... मुत्तु कौड़ी कव्वाड़ी हड़ा....जो बेहद जटिल गीत माना जाता है को हूबहू अंदाज़ में प्रस्तुत करने कामयाब रहे जो अपने आप मे एक उदाहरण है कि व्यक्ति मेहनत करे तो कामयाबी जरूर मिल सकती है जो दोनों युगल ने साबित कर दिया  
वही महेंद्र सिंह ठाकुर की गायकी बड़ी लाजवाब रही उनके द्वारा मुगल ए आज़म का सुप्रसिद्ध प्रेम,विरह वीर रस का समायोजित आंशिक गीत... ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद.. आए मुहब्बत ज़िंदाबाद ...  जो एक हाई रेंज गीत है को इतनी संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया कि सभी दर्शक खड़े होकर ताली से उनका अभिवादन किया  नवोदित कलाकार विभूति कर्मकार ने भी क्लासिकल संगीत के गीतों का तड़का लगाकर बीच बीच मे काफी वाहवाही बटोरी फ़िल्म उपकार गीत ...कसमे वादे प्यार वफ़ा... गीत को भी दुर्गेश पुलि ने बेहतरीन ढंग से जिया और खूब तालियां बटोरी क्योंकि यह गीत भी हाई रेंज का होने के साथ ही मानव रिश्तों के महत्व को दर्शाता है मन्नाडे साहब के स्वरबद्ध किए गए गीत को निभाना एक कलाकार के लिए चुनौती होती है जिसे  दुर्गेश पुलि ने उस चुनौती को स्वीकार करते हुए बेहतर ढंग से निभाया वही मनोज मसंद द्वारा रफ्ता रफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है ...लाई भी न गई..निभाई भी न गई... और तू मायके मत जइयो...की सटीक प्रस्तुति दी एक प्रकार से उनकी गायकी में सुधार के साथ निखार आते जा रहा है और ट्रैक पर कम से कम पकड़ बनती जा रही  कुमार शानू की आवाज़ को हूबहू जीने वाले बादशाह की आवाज़ भी लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता जैसे चार गायको को जीने में कामयाब रहे और उनकी प्रस्तुति को भी सराहा गया विजय कोठारी मल्ली जी के द्वारा भी अतिथि गायक के रूप में अपनी बेहतरीन गीतों की प्रस्तुति दिया गया जो काफी पसंद किए गए

दीवाना हुआ बादल..और इन जैसे बहुत से गीतों की प्रस्तुति का सिलसिला देर रात तक अनवरत चलता रहा और श्रोता भी मायाराम सुरजन हॉल में जमे रहे तथा प्रत्येक गीतों का लुत्फ उठाते रहे वही मंच संचालन को लेकर श्रोताओं में एक शिकायत देखी गई रविन्द्र सिंह दत्ता का प्रस्तुति करण काअंदाज़ अलहदा है परंतु जिस प्रकार गीतों के गाए जाने के पीछे की संपूर्ण परेशानी जटिलताएं और उसके व्यवधान पर प्रकाश डालते है उसके उतने समय के चलते लगभग पांच से सात गीतों की प्रस्तुति पर असर पड़ता है जिसकी वजह से बहुत से गायकों के गीतों की प्रस्तुति से वंचित होना पड़ता है इस पर उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है यही कारण है कि उन्हें बहुत से म्यूज़िकल ग्रुप लेने से कतराने लगे है मंचीय सूत्रधारक का कार्य कम सधे हुए शब्दों में शेर ओ शायरी और कलाकार के व्यक्तित्व उसके प्रतिभा का मूल्यांकन का बखान करते हुए उन को मंच सौंपे यह विद्या होनी चाहिए न कि स्वयं भू होकर लंबी बीते हुए गायक,संगीतज्ञों की पर्दे के पीछे की कथा से अवगत कराया जाए  बहरहाल, उनकी आवाज़ और अंदाज़ के सब श्रोता कायल है उनकी उपरोक्त कमी को वे तनिक व्यवस्थित करेंगे तो श्रोताओं की पहली पसंद बन सकते है कृपया कथित बातों को वे अन्यथा न लेते हुए इस पर विचार करें 


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