प्रभु श्री राम के ननिहाल में कृष्ण कुंज (वाटिका)का निर्माण 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभु श्री राम का ननिहाल माना जाता है उन्होंने अपने चौदह वर्ष का वनवास काल का बड़ा समय यही छग के वनक्षेत्रों में गमन करते हुए व्यतीत किया है इसी छत्तीसगढ़ प्रदेश में शबरी के झूठे बेर भी खाए है यही चंदखुरी में माता कौशल्या का भव्य मंदिर भी विकसित किया गया है प्रदेश के जिस वन क्षेत्रों से  प्रभु श्री राम का गमन हुआ था उन रास्तों में छग शासन ने राम वन गमन पथ पर वृक्षारोपण करके उन्हें आकर्षक स्वरूप प्रदान किया  है यह सब छग शासन वन विभाग के द्वारा राम वन गमन पथ रोपण कार्य संपादित कर हरियाली की सौगात राम भक्तों सहित प्रदेश भर के निवासियों को दिया गया जहां रोपित पौधे अब हरे भरे वृक्ष का आकार लेकर अपनी बढ़त बनाकर क्षेत्र में हरियाली आभा प्रसार कर रहे है अब छग प्रदेश में जहां प्रभु श्री राम वन गमन पथ रोपण,तथा  चंदखुरी में माता कौशल्या का आकर्षक मंदिर की बात किया जाए वहां प्रभु श्री कृष्ण का उल्लेख न हो यह असंभव है क्योंकि दोनों भगवान का अवतरित स्वरूप भी तो एक ही है फर्क केवल यह है कि प्रभु श्री राम  काल खंड में रामायण लिखी गई और प्रभु श्री कृष्ण काल खंड में महाभारत की रचना हुई परंतु कलयुग के आज  में किसी अन्याय,अधर्म के विरुद्ध कोई इतिहास बनाना नही बल्कि  कलयुग में पृथ्वी पर प्रकृति और पर्यावरण का जो लगातार हास्,विदोहन हुआ है वह भी प्रकृति पर किसी अन्याय अत्याचार  से कमतर नही है जो पर्यावरण प्रकृति के अस्तित्व के संरक्षण संवर्धन कर एक इतिहास लिखना है

यह पुनीत कार्य छग वन विभाग नित नई नई योजनाओं के माध्यम से कर रहा है क्योंकि देखा यह जा रहा है कि लगातार हरे भरे वृक्षों का विदोहन कर मानव स्वयं के जीवन को धर्म संकट में डालता जा रहा है  लगातार घटते वन क्षेत्र के मध्य बढ़ते प्रदूषण और मानव का लगातार जहरीली हवाओं से संपर्क के कारण मानव का जीवन शनैः शनैः असमय मृत्यु की ओर बढ़ रहा है   केवल ईश्वरीय रूपी पेड़ पौधों, प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन के साथ ही मानव जीवन की सुरक्षा की जा सकती है असंतुलित जलवायु एवं परिवर्तित होते  वातावरण को नई दिशा देने के उद्देश्य से धार्मिक आस्था और भगवान के नाम का सहारा लेते हुए पेड़ पौधों का रोपण करना वन विभाग का मुख्य लक्ष्य बन चुका है 
इससे धार्मिक आस्था के साथ भगवान के लीला काल से जुड़ी पेड़ पौधों का संरक्षण के साथ ही उजड़े पड़त बंजर भाटा भूमि में हरियाली की बयार बहा कर मानव जीवन और परिवर्तित होते जलवायु को संतुलित किया जा सके तथा संपूर्ण पृथ्वी के प्रकृति,पर्यावरण, जलवायु,जीव जंतु और समूल मानव जीवन की सुरक्षा की जा सके इसके लिए प्रदेश की कॉग्रेस सरकार वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ मिलकर पेड़ पौधों से आच्छादित प्रकृति,पर्यावरण के सुरक्षा हेतु ईश्वरीय धर्म आस्था का सहारा लेते हुए जन जागरूकता सहित जन भागीदारी के साथ अनेक योजनाओं का सफल क्रियान्वयन कर यथार्थ की धरा पर उतारा है जिसके दूरगामी परिणाम अब शनैः शनैः परिलक्षित हो रहे है इसी क्रम में छत्तीसगढ़ प्रदेश के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में जो प्रभु श्री राम का ननिहाल के रूप में जाना जाता है वहां के पूर्व काल के वृन्दावन सदृश्य क्षेत्र जो अब पठारी,बंजर स्थल के स्वरूप में पहुंच चुके है जहां लगातार पेड़ पौधों के विदोहन के कारण बहुत से क्षेत्र चटियल भूभाग बन चुके है ऐसे क्षेत्रों का चयन कर उक्त स्थल मे प्रभु श्री कृष्ण के बाल रास लीला जैसे प्रतीकात्मक पेड़ पौधों का रोपण कर कृष्ण कुंज  (वाटिका)का निर्माण द्रुत गति से किया जा रहा है जो प्रदेश भर के ग्राम पंचायतों,नगरीय,शहरी क्षेत्र  में पड़त भाटा भूमि को चिन्हित कर दो,तीन और पांच एकड़ के वृहद भूभाग में धार्मिक एवं संस्कृति से जुड़े पेड़ पौधों का  सफल रोपण किया गया है जो हरियाली प्रसार में क्रांतिकारी पहल के रूप में देखा जा रहा है वन विभाग को छोटे स्तर पर किए गए रोपण और उसके मिल रहे  

  सफलता और परिणाम ने महत्वाकांक्षी योजना कृष्ण कुंज(वाटिका) अब आम जन के लिए धार्मिक आस्था के साथ द्वापर युग का अहसास करा रहा है तथा अब आम जन भी उन पौधों की सुरक्षा के साथ स्कूल मजविद्यालय के छात्र छात्राओं के शोध करने का क्षेत्र भी निर्मित हो रहा है यही नही बढ़त बनाए पैदुओं के हरियाली क्षेत्र ऊवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है तथा लोग हरित प्रकृति वातावरण में सेल्फी लेकर यादगार पल को अपने कैमरे में कैद कर रहे है ऐसे मनोहारी दृश्य  का साक्षात उदाहरण नवा रायपुर वन परिक्षेत्र के आरंग के समोदा,चंदखुरी, अभनपुर,के बड़े उरला क्षेत्र  में दिख रहा है अभनपुर के बड़े उरला क्षेत्र में लगभग पांच एकड़ भूभाग में बारह सौ आस्थावान  पौधों का सफल रोपण किया गया है जो एक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है इस संदर्भ में जब रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा साहब से चर्चा की गई तब उन्होंने बताया कि कृष्ण कुंज का रोपण करने के पीछे मुख्य उद्देश्य पारंपरिक धार्मिक विरासत को सहेजना है तात्कालिक युग में प्रभु श्री कृष्ण कदम के पेड़ पर चढ़कर बंसूरी वादन किया करते थे जिससे गोपियाँ सहित गाय भी उनकी बांसुरी की लय पर मदमस्त हो जाते थे इसलिए प्रमुखता के साथ कदम,आंवला,नीम,पीपल बेल,जामुन,आम,जाम जैसे फलदार छायादार पौधों का रोपण किया गया है जो प्रदेश के बहुत से क्षेत्र से विलुप्त हो रहे थे ऐसे पौधों का संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से दो से पांच, हेक्टेयर तक छोटे छोटे स्थलों का चयन कर रोपण किया गया है जो सफल रोपण माना जा रहा है  


(वाटिका) का निर्माण किया गया है वे अच्छी दशा में ग्रोथ कर रहे है जिनमे अभनपुर का बड़ा उरला क्षेत्र के ऑरेंज भूमि जो ड्राई एरिया कहलाता है वहां का कृष्ण कुंज की हरियाली इस तपती गर्मी में भी देखते ही बनती है बताते चले कि रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा 2007 बैच के अधिकारी है तथा भावसे की नई जमात में वे सर्वाधिक सफल,झुझारू, कर्तव्यनिष्ठ,ईमानदार,कार्यों के प्रति निष्ठावान,प्रतिभाशाली अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है छोटे से बड़े कर्मियों के प्रति बगैर दुर्भावना एवं समान भावना के साथ कार्यों को अंजाम देते है अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के सौंपे गए दायित्वों में किसी प्रकार का समझौता नही करते निर्माण कार्य हो अथवा रोपण कार्य हो बीच बीच मे स्वयं मॉनिटरिंग करने के अलावा अनुभवी एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी सहित परिक्षेत्राधिकारी  सतीश मिश्रा की निगरानी एवं उपस्थित में संपादित किया जाता है लगातार कार्यों की समीक्षा अवलोकन से कार्य मे भी कसावट एवं परिणाम गुणवत्ता युक्त आते है जो   मैदानी कर्मियों के प्रशंसा एवम, पीठ थपथपा कर, उन्हें प्रोत्साहित करने का सबब भी बनता है रायपुर वृत के अभनपुर सहित दस स्थलों में  कृष्ण कुंज योजना के सफल क्रियान्वयन विगत वर्षों में राम वन गमन पथ के रोपण सहित नरवा परियोजनाओं सुरक्षा की दृष्टिकोण से वन क्षेत्रों में तार फेंसिंग के साथ उनके संरक्षण ने वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा का कद और बढ़ाया है  रायपुर वन मंडल कार्यालय में अपने सेवा काल मे अनेक लोकहित, जन कल्याणकारी वनों के संरक्षण,संवर्धन में अनेक  कार्यों की फेहरिस्त उनके नाम दर्ज हो चुकी है  जिससे रायपुर वृत की दशा और दिशा में काफी परिवर्तन देखा जा रहा है मैदानी अमला भी उनके कार्यशैली,कुशाल,कसावट  प्रशासनिक व्यवस्था  से काफी प्रभावित है तथा  मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा किए बगैर नही थकते वही  अनुभवी एस.डी.ओ. विश्वनाथ मुखर्जी भी उनके सहयोगी के रुप में जाने जाते है जिनके लंबे अनुभव का लाभ उन्हें और मैदानी कर्मचारियों को समय समय पर  मिलता रहता है जबकि वे भी कार्यों की गुणवत्ता,व्यवस्था,की बराबर मॉनिटरिंग हेतु  

वन क्षेत्रों का भ्रमण करते रहते है तथा सही दिशा निर्देश और मार्गदर्शन देकर कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते है योजना के रोपण अथवा निर्माण कार्यों के सफल क्रियान्वयन हेतु मुख्य सूत्रधार क्षेत्र का परिक्षेत्राधिकारी होता है जो अपने लंबे अनुभव तथा कार्यशैली से अपनी छवि,व्यक्तित्व, विकसित करता है वैसे भी नवा रायपुर रेंजर सतीश मिश्रा एक सुलझे हुए, परिपक्व,सदैव सहकर्मियों के हितार्थ खड़े रहने वाले अनुभवी अधिकारी के रूप में जाने जाते है तथा लगातार छग प्रदेश कर्मचारी संघ, के अलावा अखिल भारतीय वन अधिकारी संघ में पांच वर्षों से राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे है रायपुर रेंजर सतीश मिश्रा की राष्ट्रीय स्तर की  राजनीति में उनकी अच्छी खासी दखल है 
मजेदार बात यह है कि छग प्रदेश कर्मचारी संघ के छ बार अध्यक्ष लगातार निर्विरोध चुने गए तथा 18 वर्षों तक कार्य करते रहे वन रक्षक पद से कांकेर वन मंडल से वर्ष 1984 उत्पादन से दैनिक वेतन भोगी कर्मी के रूप में अपनी सेवा प्रारंभ करने वाले श्री सतीश मिश्रा का वर्ष 1989 में स्थायीकरण हुआ वे लगातार अपने सहयोगी,वन कर्मियों की मांग के लिए सदैव आवाज़ उठाते रहे है जहां एक ओर सहयोगी वन कर्मियों के अधिकार के लिए आवाज़ बुलंद करते रहे है वही दूसर ओर मैदानी क्षेत्र में संपादित  रोपण,निर्माण, अथवा योजनान्तर्गत  कार्यों के प्रति सदैव कठोर रहते है 


 यही वजह है कि अभनपुर के प्रभारी गिरीश रजक, चंदखुरी के प्रभारी शिव चन्द्राकर, आरंग के डिप्टी लोकनाथ ध्रुव,अपने अपने क्षेत्र में सदैव क्रियाशील रहते है तथा वे भी मोबाइल के अलावा कार्य स्थल कृष्णकुज वृक्षारोपण  निर्माण में पूरी तत्परता से कार्यों को अंजाम दिया है उपरोक्त विभागीय कर्मचारियों की वजह से रायपुर वन मंडल परिक्षेत्र में लगभग दस कृष्णकूंज वृक्षारोपण कार्य संपादित हुआ है आज भी वे सदैव उन्हें मॉनिटरिंग कर जायजा लेते देखा जा सकता है  जिसके परिणाम स्वरूप सभी स्थलों के कृष्ण कुंज आज आम जन के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए है नवा रायपुर परिक्षेत्राधिकारी सतीश मिश्रा ने बताया कि तीनो ही स्थलों में  लोहे और तारों की फेंसिंग कराई गई है ताकि गाय गरुआ,जानवरो की चराई से रोपण क्षेत्र सुरक्षित रह सके उन्होंने बताया कृष्ण कुंज प्रभु श्री कृष्ण के बाल्य काल के नटखट बाल क्रीड़ा, से संलग्न अवस्था,एवं पारंपरिक,पेड़ पौधों से जोड़ा गया है तथा उन्ही पेड़,पौधों का रोपण किया गया जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है  जिनमे,कदम,बेल,पीपल,जाम आम,जामुन के नाम उल्लेखित है
