रविवार, 16 अप्रैल 2023

राजेश के रंग..किशोर के संग ने अपना जलवा बचा लिया परन्तु आगे क्या कराओके अपना अस्तित्व बचा पाएगा ?

 राजेश के रंग..किशोर के संग ने अपना जलवा बचा लिया परन्तु आगे क्या कराओके अपना अस्तित्व बचा पाएगा ?


अलताफ हुसैन

रायपुर मी.यु.एंड मैलोडी   राजेश के रंग किशोर के संग कार्यक्रम का रंगारंग आगाज़ शनिवार मायाराम सुरजन हॉल  में संपन्न हुआ जिसमें स्थानीय गायकों ने राजेश खन्ना के सुनहरे दौर के एक से बढ़कर एक गीत हुए जिसमे सभी  मंझे हुए गायकों ने अपनी प्रस्तुति दी ,,,, ओ मेरे दिल के चैन ,,, जैसे रूमानी गीत जो धड़कते दिलों में उस दौर की यादें ताज़ा करते चली गई और श्रोता राजेश खन्ना साहब के एक एक अंदाज़ की परिकल्पना में खोते चले गए वही सिंगर दुर्गेश पुल्ली ने गीत... आते जाते खूब सूरत आवारा सड़कों पे...इसे उन्होंने अपने ही अंदाज़ में प्रस्तुत किया क्योंकि दुर्गेश जहां हाई रेंज गीत को गाने के लिए पहचाने जाते है वही उन्होंने स्लो गीत सुनाकर श्रोताओ को मन्त्र मुग्ध कर दिया और यह बता दिया कि गीतों के भाव को पकड़ा जाए तो एक कलाकार सभी गीतों के साथ पूरा न्याय कर सकता है जो उन्होंने किया   राजेश खन्ना के सुपर हिट दौर में पहुंच कर कल्पना के सागर में गोते लगाते हुए जब  .हेमंत दा और चेतना जैन ने. अच्छा तो हम चलते है जैसे रूमानी  गीत की धुन छेडा तो श्रोता गण साथ मे गुनगुनाते हुए अपने आप को रोक न सके  आज के मंझे हुए और अपने गीतों के साथ पूरा न्याय करने वाले हरदिल अजीज गायक,,,सुजीत यादव ने सुप्रसिद्ध एकल गीत ,,,दीवाना लेके आया है दिल का तराना,,, को बड़ी संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया,,, और श्रोता भी उस गीत में खो गए वही डायरेक्टर शेष गिरी राव  और कृष्णा राव,,, दिल मे आग लगाऐ सावन का महीना,,  जैसे बहुत से गीतों की प्रस्तुति दी और श्रोता प्रत्येक गीतों पर ताली की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत अभिनंदन किया वही परिपक्व गायक ज़ाहिद पाशा ने ,,,अकेले है चले आओ...  मो.रफ़ी साहब के गीत को अपने बेहतरीन सधे हुए अंदाज़ मे प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी वही मल्ली राव ने अलग अलग फ़िल्म का गीत और ग़ज़ल का मिलाजुला स्वरूप (मिक्स वर्ज़न)  ...कभी बेकसी ने मारा ,,,,हो कभी बेबसी ने मारा गीत की शानदार प्रस्तुति देकर माहौल को खुशनुमा बना दिया और श्रोता एक एक बोल पर वाह वाह करने लगे और गीतों का लुत्फ उठाते रहे राजेश के रंग किशोर के संग कार्यक्रम को लेकर जी. शेषगिरी राव काफी दिनों से मेहनत कर रहे थे उनका ये मेहनत मायाराम सुरजन हॉल के मंच से दिखा जहां सभी गायको ने अपने गीतों के साथ पूरी ईमानदारी बरती  राजेश खन्ना के लगभग बहुत से फिल्मो के सुपर हिट गीतों की फेहरिस्त उन्होंने तैयार की थी और लगातार सुपर हिट गीतों को सुपर गायको ने मंचीय आसंदी से साकार कर के दिखाया इसके अलावा सुजीत यादव ने... शायद मेरी शादी का ख्याल दिल मे आया है ...जैसे गीतों की प्रस्तुति भी दी तो वही मनोहर ठाकुर जो मो.रफी साहब को जीते है जिनके आदर्श ही रफी साहब है उन्होंने ...नफरत की दुनिया को छोड़ कर प्यार.... उनकी गायकी रफ़ी के गीतों  में एक अलग ही छाप छोडती नज़र आती है जी भूषण राव की गायकी में परिपक्वता है और सभी गीतों के साथ वे न्याय करते है सिंगर जयेश,संजय सिंह, पंचमी,शेन्द्रे,चेतना जैन और नन्ही गायिका जी अनुश्री की प्रस्तुति भी सराहनीय रहा वही अपने अलग अंदाज की एंकरिंग और गायकी के लिए चिन्हे जाने वाले आदरणीय लक्ष्मी नारायण लाहोटी जी ने ...छुप गए सारे नज़ारे ...गीत प्रस्तुत कर  अपनी  गायकी का प्रदर्शन किया जिसका उपस्थित श्रोताओं ने ताली बजा कर स्वागत किया मंच का संचालन जी शेषगिरी राव ने अपने बेहतरीन दबंग आवाज़ में किया और क्रमशः गीतों की लंबी फेहरिस्त के साथ चलते हुए कार्यक्रम में उन्होंने एक एक गायको को मंच सौंपते चले गए और सभी गायको ने अपनी बेहतरीन किशोर दा अंदाज़ वाली गायकी से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा विगत माह तीज त्योहार,नवरात्रि रमज़ान से गुजरते हुए यह पहला अवसर आया जब बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित होकर राजेश के रंग किशोर के संग कार्यक्रम में उत्साह और गर्मजोशी के साथ उपस्थित होकर चुनिंदा  गीतों का लुत्फ उठाया जी.शेष गिरी राव एकलौते ऐसे अलहदा डायरेक्टर है जो अलग थीम पर अलग टायटल के साथ कार्यक्रम की प्रस्तुति देते है और उनका कार्यक्रम सफल भी होता है नही तो आज खरपतवार की भांति चालीस से ऊपर की संख्या में डायरेक्टरों की भरमार हो गई है अपवाद स्वरूप कुछ म्यूजिकल ग्रुप को छोड दिया जाए तो अधिकांश डायरेक्टरो को खुद ही नही पता कि वह क्या गा रहा है या अन्य गायकों से क्या गीत गवा रहा है बस, हमे गायन का शौक है पन्द्रह बीस हजार में कार्यक्रम देना है यही विकृत मानसिकता के चलते अब श्रोता भी वही   राग ढेंचू,,, और राग भैंसे,,, वाले सुर सुनकर लगातार वही चेहरे और वही उबासी गीतों को सुन सुनकर सब ऊब से गए है और निरंतर श्रोताओं की उपस्थिति में गिरावट का ग्राफ दर्ज किया जा रहा है अब तो प्रायोजक भी नए नए हथकंडे अपनाते हुए कभी भारी विधुत सजावट,कभी कार्यक्रम में गायक गायिकाओं के द्वारा   डांस तो कभी किसी जन्मदिन,सालगिरह,इत्यादि कार्यक्रम का आयोजन कर खान पान की व्यवस्था करके श्रोता जुटाने का जतन करते है ऐसी व्यवस्था न करने वाले आयोजक केवल सर पर हाथ धर कर बैठ जाते है क्योंकि श्रोताओं के भारी टोटा हो जाता है वही एक कमी यह भी है कि दर्शक और श्रोता के रूप में कोई बाहरी श्रोता नही होता केवल वही गायक डायरेक्टर होते है जो मात्र औपचारिकता निभाने के उद्देश्य से आधा घण्टा अपनी शक्ल दिखा कर और अपने कार्यक्रम की घोषणा,स्वागत करवा कर चले जाते है रह जाते है गिने चुने पारिवारिक मित्र और साथी जो कार्यक्रम के असफल होने का मुख्य कारण है इसमें आंगतुकों को नही बल्कि  कार्यक्रम के समय सीमा डेढ़ से दो घण्टे मात्र हो और कम गीत के साथ अच्छे परिपक्व गायकी होना चाहिए यह नही कि नाना प्रकार के भाव भंगिमा प्रस्तुति से डांस दिखा कर कार्यक्रम सफल होने की कोई ग्यारंटी नही और इस प्रकार की प्रस्तुति पर हमारी गायकी और उसका स्तर सुधर पाएगा ?यह सवाल सुरसा की भांति  हमारे सामने मुंह फाडे खड़ा है जिसका समाधान भी सभी कराओके परिवार को मिल कर निकलना होगा गायकी के स्तर को सुधारना होगा ताकि लोग स्लोगन बैनर आने के पूर्व ही श्रोता उत्साहित रहे और कहे कि हमे फलां के कार्यक्रम में जाना है बहुत अच्छा कार्यक्रम होता है जैसे विचार आना चहिए तभी कराओके का अस्तित्व मर्यादा और सम्मान शेष रह सकता है नही तो वह दिन दूर नही जब शनैः शनैः कराओके का सूर्य भी अस्त हो जाएगा ,,

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