जंगल सफारी मे शेर और चीते के खुराक मे वन कर्मियों का डाका तोंद के साथ जेब भी बड़ा रहे
अलताफ़ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) एशिया का सबसे बडा मानव निर्मित जंगल सफारी अपने प्रारंभिक् निर्माण कार्य से ही लेकर सदा भ्रष्टाचार के साथ उसका नाता विवादों से जुड़ाव रहा है अब चाहे चारो ओर दीवार निर्माण कार्य से लेकर वानिकी कार्य हो या फिर लोहे की जालीनुमा फैसिंग कार्य हो मुरुम उत्खनन हो या पृथक शौचालय कक्ष निर्माण से लेकर वन्य प्राणियों के बाड़ा आहता निर्माण ही क्यों न हो करोडों अरबों की राशि केवल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा कर ही उसका बंटाधार होता रहा फिर भी यह सिलसिला अभी भी थमने का नाम नही ले रहा है आए दिन भ्रष्टाचार के नए नए किस्से सामने आते रहे है अब ताजा भ्रष्टाचार, गड़बड़ घोटाला का मामला जो सामने आ रहा है वह काफी हैरान करने वाला है क्योंकि यह भ्रष्ट कृत्य निर्माण या वानिकी कार्य को लेजर नही बल्कि शेर चीता और अन्य मांसाहारी प्राणियों को जंगल सफारी प्रबंधन से मिलने वाले बकरे का ताजा मटन और मुर्गी मटन के खुराक को लेकर संपूर्ण आसपास क्षेत्र मे खासा चर्चा बना हुआ है जिसमे उन्हे दिए जाने वाले खुराक मे बड़े स्तर पर डाका डाला जा रहा है वह भी हजारो रुपये मे नही बल्कि लाखों का खेल हो रहा है
गौरतलब हो कि पूर्व मे जंगल सफारी से छन कर गाहे- बगाहे बाहर समाचार मिलते रहे है कि शेर चीते, और मांसहारी वन्य प्राणियों को दी जाने वाली माँस मटन मुर्गी मछली के खुराक मे स्थानीय वन कर्मी, कांटा मार कर अपने पेट की क्षुधा शांत कर अपनी तोंद बड़ा रहे है साथ ही अपने जेब के खीसे का वजन भी बढ़ा रहे है परंतु इससे उपर जाकर भ्रष्टाचार का खेल-खेल कर लाखों का वारा न्यारा किया जा रहा है वताया जाता है कि बकरे के मांस के अन्य अवशेष का खाद्य समाग्री प्रतिदिन सफारी प्रागण के हिस्से मे निर्माण कर संध्या पश्चात पार्टी के साथ ही शाराब, माँस का कबाब सेवन करते हुए सदैव आम चर्चा होती रही है परंतु कांटा मारने तक बात सही है लेकिन लाखों का खेल होने की जानकारी बाहर निकली तब जिसने भी सुना आश्चर्य चकित हो गया इस डाका जनी मे हजार दो हजार का गाला नही बल्कि लाखों का खेल हो रहा है अति विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है की इस भ्रष्टाचार के कार्यक्रम मे डॉ राकेश वर्मा और रेंजर के सहयोग से बहुत बड़ा खेल प्रायोजित हो रहा है ये वही राकेश वर्मा है जिनके कुछ दिन पूर्व कार्यालयीन समय मे विदेश भ्रमण मे रहते हुए सफारी के दो से तीन चौसिंगा वन्य प्राणी मृत हुए थे लेकिन उन पर आज तक विधिवत विभागीय कोई कार्यवाही नही हुई बहरहाल जंगल सफारी के सभी मांसाहारी वन्य प्राणियों के लिए प्रति वर्ष निविदा अनुसार बकरे का ताजा मटन लगभग ढाई सौ किलो प्रतिदिन वन्य प्राणियों को खुराक के रूप मे दिया जाना सुनिश्चित है परंतु प्रतिदिन जंगल सफारी मे दोपहर पश्चात स्वस्थ तंदरुस्त बकरा के स्थान पर निःशक्त, बीमारू, झकडी बकरी काट कर उन्हे परोस दिया जाता है जिससे शेर चीता, एवं अन्य मांसाहार वन्य प्राणियों के स्वस्थ्य पर विपरीत प्रभाव पढ़ सकता है जिसका उदाहरण पिछले बहुत से वन्य प्राणियों की अकाल मृत्यु को लिया जा सकता है मगर फिर भी डाइट के मामले मे जंगल सफारी कर्मियों द्वारा दिए जाने वाले खुराक मे कटौती कर केवल अपनी जेब गरम करने का अवसर तलाश करते रहते है
अब जो जानकारी बाहर आ रही है कि पूरे सफारी मे सात नग शेर है जिनमे प्रत्येक शेर कि खुराक लगभग पांच किलो मटन देने का नियम है जिनमे चार से पांच शेर तथा दो सफेद बंगाल टायगर जिन्हे चिकन दिया जाता है परंतु संध्या पश्चात एक ही टाइम उन्हे कम मात्रा मे माँस की खुराक दी जाती है वही चीता को एक से दो किलो और विदेशी कुत्तों को एक पाव से आधा किलो किमा दिया जाता है मगर मच्छ को एक किलो मछली तथा अन्य वन्य प्राणियों को इसी प्रकार कम मात्रा मे खुराक दी जा रही है
उस हिसाब से समस्त खुराक सौ किलो मटन मे निपटा दिया जाता है जबकि ज्ञात हुआ है कि जंगल सफारी के रख रखाव सुरक्षा, खानपान के लिए राज्य शासन द्वारा पृथक बजट जारी करता है जबकि यह भी बताया जाता है की सेंट्रल जू अथारीटी नई दिल्ली से भी करोड़ों का बजट जारी होता है मगर कहते है दीया तले अंधेरा वाली उक्ति यहाँ चरितार्थ होते दिखाई बढ़ती है इतना बड़ा राशि होने के बावजूद समस्त राशि निर्माण एवं अन्य कार्यों मे वहन कर दिया जाता है पूर्व तत्कालिक जंगल सफारी (अधीक्षक) डायरेक्टर और बहुत से रेंजर वन कर्मी यदि पारदर्शी से कार्यों का निष्पादन करते तो आम लोगों का यह कथन है कि जंगल सफारी मे चांदी की पतली दीवार खड़ी हो सकती थी इस बात का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि छोटे से फॉरेस्ट गार्ड वन कर्मी भी नवा रायपुर के पॉश इलाके मे लाखों का मकाम ले कर रखे है और चार पहिया गाड़ी मे चलते है
उसके बावजूद वर्तमान मे सफारी प्रबन्धन के डॉ राकेश वर्मा एवं तत्कालिक रेंजर ठाकुर की मिलीभगत के चलते लगभग देड सौ किलो मटन की लाखों की राशि का खेल हो जाता है जानकार बताते है कि उन्हे मोबाइल स्क्रीन पर फोटो के स्वस्थ बकरे की फोटो दिखाई जाती है जिसकी कीमत एक बकरे की कीमत ही बीस से पच्चीस हजार रूपए बताया जाता है जब उन्हे सफारी मे लाया जाता है तब दिखाए गए स्वस्थ बकरे के फोटो के स्थान पर बीमारू, मरियल बकरी काट कर शेर,सिंह,चीता,को खुराक दे दी जाती है जिसमे ए पी एस (अमानत राशि) की राशि सहित कम वजन होने की बात कह कर बैंक ड्राफ्ट सह वन मंडल अधिकारी के मध्यम से लाखों की राशि ले ली जाती है अब यह राशि कमीशन खोरी या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती है या परस्पर बंदर बांट हो जाती है यह तो ज्ञात नही परंतु यह सिलसिला वर्षों से जंगल सफारी मे यह खेल- खेला जा रहा है जंगल सफारी मे गड़बड़ घोटाला, भ्रष्टाचार, और अनीयमिताएं हर कदम पर विधमान है
टिकट काउंटर मे टिकट ब्लेक से लेकर दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की फर्जी ऑन लाइन तक की सैकडों पेमेंट जिन्हे विश्वासनीय व्यक्तियों को कुछ राशि दे कर और आधार कार्ड के मध्यम से उगाही की जाती है यही वजह है कि चार पहिया वाहन से आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर चले जाते है जिनमे एक मनीष यादव नामक दैवेभो. कर्मी वर्षों से उसका लाभ उठा रहा है इसी प्रकार ऐसे बहुत से दैनिक वेतन भोगी अनियमित कर्मचारी वन कर्मियों की मिली भगत के चलते लाखों की राशि आहरण कर रहे है यही नही कुछ कर्मियों को देर सबेरा कार्य मे उपस्थित होने के बावजूद अनुपस्थिति दर्शा कर उनकी राशि भी काट ली जाती है जिसकी वजह से कई बार सफारी कर्मचारी आंदोलम कर चुके है वर्तमान डी एफ ओ ने जब जंगल सफारी के नवा रायपुर से संचालन की बात कही तब बहुत से वन कर्मी उसका विरोध कर रहे थे उन्हे मालूम था कि नंदन वन, जंगल सफारी के यहाँ संचालन से काला पिला करने मे बहुत कठिनाई होगी इस लिए सफारी का संचालन पूर्व निर्धारित स्थान रायपुर से करने पर अड़े हुए थे.





 











