किशोर द के सुपर हिट प्रेम विरह, तकरार, रुमानी, गीतों को सुन कर श्रोता भी कह उठे...गाता रहे मेरा दिल
अलताफ़ हुसैन
समीक्षक/ विश्लेषण
एक रास्ता है जिंदगी,,,सांसों मे गर्मी है ,,कल की हंसी मुलाकात के लिए,,,,, और खातून की खिदमत मे सलाम अपुन का... अरे दिवानों मुझे पहचानो,,,,मै हूँ डॉन ,,,जैसे सदाबहार गीतों के गुल दस्तों के साथ रविवार 12 अक्टुबर की शाम छ बजे से मायाराम सुरजन हॉल गुलज़ार हुआ जिसमे किशोर कुमार की पुण्य तिथि पर विशेष रूप से ...गाता रहे मेरा दिल...म्युजिकल् ग्रुप ने उनके द्वारा गाए सदा बहार नग़्मों की प्रस्तुति देकर उन्हे श्रद्धा सुमन अर्पित किया रायपुर सहित बाहर से पधारे स्थानीय कलाकारों ने अपनी बेहतरीन आवाज़ और अंदाज़ के साथ एक शनदार प्रस्तुति दिया जिसमे एक से बढ़कर एक आवाज़ के जादूगरो ने ऐसा गीतो का समां बांधा की खचाखच भरे हॉल किशोर मय हो गया तथा प्रत्येक गीतो पर श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट की आवाज़ से गायक कलाकर दुगने उत्साह के साथ अपने परफॉरमेंस देते गए पचास गीतों के इस फेहरिस्त से लबरेज़ गुलदस्ते में श्रोता अपनी सीट से टस से मस नही हुए मुंबई से पधारे राजेश पटेल यहाँ आकर माहौल को ऐसा खुशनुमा निर्मित कर दिया कि उनके प्रत्येक गीत पर श्रोताओं ने दिल खोल कर स्वागत किया इसके बाद लगातार...आँखों मे काजल है,,, लावरिस का गीत,,अपनी तो जैसे तैसे जनाबे आली,,,,अब चाहे मां रूठे या बाबा मैंने,,,,, तुमसे बड़ कर दुनिया में,,,,जैसे गीतों का यह कारवां धीरे धीरे बढ़ता चला गया इस दरमियान लगभग बारह गीतों की विशेष प्रस्तुति गाता रहे मेरा दिल के डायरेक्टर नवाब कादिर ने प्रत्येक प्रस्तुत गीतो में ऐसा ऊर्जा का संचार भर दिया कि सभी प्रस्तोता गायक दोगुना उत्साह से अपनी प्रस्तुति देने लगे...गाता रहे मेरा दिल के डायरेक्टर नवाब कादिर का गीतों का चयन इतना लाजवाब होता है कि वे लीक से हट कर कुछ नया परफॉर्मेंस देनें का प्रयास करते है यही नही डेढ़ से दो माह तक सभी गायकों से भरपूर अभ्यास करवाते है एवं स्वयं गीतों का रिहर्सल भी करते है तभी तो अपने गीतों में जीवन जीने की अद्भुत विशेषता झलकती है ठंडे या सुस्त वातावरण प्रोग्राम में अपनी अद्भुत गायन शैली एवं अंदाज़ से प्रस्तुति दे कर धूमधाम, ताबड़तोड़, खुशनुमा माहौल निर्मित कर देते है उनके इसी गीत संगीत प्रेम की वजह से उनके स्वस्थ मन और काया को ऊर्जावित करती है उन्हे ही नही बल्कि श्रोता गण भी तीन से चार घंटे के लिए दुनिया के समस्त झंझावत से किनारा करके गीत संगीत में ऐसे तल्लीन हो जाते है जैसे दुनिया मे अन्य कार्य की कोई आवश्यकता ही नही रह गई हो इसलिए सब की संतुष्ट देनें के पुण्य कार्यो के लिए वे पूरी गीत संगीत के तप की साधना कर अपने प्रतिभागी चयनित गायक और गीत की प्रस्तुति मंच पर दिलवाते है यही वजह है कि....गाता रहे मेरा दिल... कार्यक्रम का श्रोता बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते है इस बार के कार्यक्रम में उन्होंने सहयोगी गायकों से प्रेम, विरह, तकरार, रूमान, फास्ट सॉन्ग सहित सोलो गीतों को क्रमशः प्रस्तुत करवाया लगभग चार घंटे अवधि वाले कार्यक्रम में कोई भी ऐसा श्रोता नही था जिसने उठ कर घर जाने का विचार किया हो वे सीट में जड़वत हो कर सभी गीत को मंत्र मुग्ध हो कर आनंद उठाते रहे वहीं...गाता रहे मेरा दिल...के संरक्षक तिलक पटेल की आवाज़ और सुर में बहुत अधिक सुधार आ चुका है या ये कह लें कि प्रस्तुत गीतों के पीछे उन्होंने कसरत से मेहनत किया और प्रत्येक शब्दों को रटने का भरपूर प्रयास किया फिर भी उर्दू शब्द में उनकी कुछ कमी नज़र आती है वरिष्ठ गायिकाओं में अनुभा जी एवं पूजा मैडम को बेहतर परफॉर्मेंस देने के लिए उन्हे स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया वही निलिमा मैडम एवं उर्मिला मैडम ने अपनी सुमधुर सुरीले गीतों से ऐसा ताल मेल बिठाया जिसे सुनकर श्रोता झूमने लग गए गायको में विश्वजीत जी एवं विनोद देवांगन की आवाज़ में संजीदगी के साथ ऐसा अल्हड़ पन था कि हर गीत पर श्रोता वाह वाह कह उठे शहज़ाद खान ने सोलो एवं फास्ट गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को झूमने विवश कर दिया वही विशन पटेल अख्तर शरीफ ने अपनी आवाज से न्याय किया और वे पूरी मेहनत कर श्रोताओं की अपेक्षा में खरे उतरने मे कामयाब रहे
गाता रहे मेरा दिल म्युजिकल् ग्रुप की इस किशोर द की पुण्य तिथि पर विशेष पेशकश का आयोजन किया जाना वाकई में बेहद सुखद एवं अविस्मरणीय पल रहा जो कार्यक्रम के सफल होने की ओर इंगित करता है इसकी खास वजह यह भी है कि एक ही ढर्रे पर केंद्रित गीतों की प्रस्तुति श्रोताओं में उबाऊपन ला देता है इस वजह से चयन कर्ताओं ने उन गीतों का ही चयन किया जो श्रोताओं की अपेक्षा में नयापन ला सके जबकि अमूमन देखा यही जाता है कि गीत संगीत के कार्यक्रम में उन्ही गीतों को समाहित किया जाता है जो लोगो की जुबान में रचे बसे हो जिसकी वजह से सुर ताल आवाज़ की निरसता श्रोताओं को बोझिल बना देती है तथा श्रोता भी औपचारिकता निभा कर कार्यक्रम की इति श्री मान लेते है परंतु...गाता रहे मेरा दिल...के डायरेक्टर नवाब कादिर गीत संगीत के मामले में कोई समझौता नही करते वे प्रस्तुत गीतों की जम कर कलाकारों से रियाज़ तो करवाते ही है उसके साथ ही संगीत ट्रैक पर भी पैनी नज़र रखते है यही कारण इस दफा स्पेशल ट्रैक बनवाये ताकि श्रोता और गायक दोनों सुन कर झूम जाए और इस प्रयोग पर वे कहीं हद तक सफल भी हुए इसका उदाहरण यह है कि जितने भी श्रोताओं ने उक्त कार्यक्रम को सुना देख उसकी भूरि भूरि प्रशंसा किये बगैर नही थक रहे है .जो उनकी सफलता का माप दंड माना जा सकता है जिसके लिए वे इस का श्रेय अपने म्युजिकल् ग्रुप....गाता रहे मेरा दिल...की पूरी टीम को देते है.सबसे बड़ी बात यह है कि पचास गानों कि लंबी फेहरिस्त को अंजाम तक पहुँचने मे मंच के खेवैया, सेतु साहू का विशेष योगदान रहा जिन्होंने एक या दो सारगर्भित् शेरों शायरी बोलकर सीधे गायकों को मंच पर आमंत्रित करते गए जो समय से आधे घंटे पूर्व तक कार्यक्रम समापन की ओर पहुँच गया था..

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