जनसंपर्क विभाग वेबपोर्टल की जानकारी देने में कर रहा हीला हवाला,,,पत्रकार ने अपील में निशुल्क जानकारी देने की मांग की
रायपुर वरिष्ठ पत्रकार एव आर टी आई एक्टिविस्ट भरत योगी ने जन संपर्क विभाग से वेब पोर्टल के जारी किए गए विज्ञापन की सूची सहित अन्य विषय को लेकर मांगे गए जानकारी उपलब्ध न कराने पर जन संपर्क विभाग के अपीलीय अधिकारी सन्तोष मौर्या पर संबंधित अधिकारियों पर जन सूचना अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करने की मांग की है
बताते चले कि श्री योगी ने जनसंपर्क विभाग में विज्ञापनों के बन्दरबांट विषय को लेकर सूचना के अधिकार 2005 अधिनियमन के तहत जानकारी चाही थी परन्तु निर्धारित तिथि व्यतीत होने के बावजूद जन संपर्क विभाग के जन सूचना अधिकारी द्वारा सूचना प्रदान नही किया जिसको लेकर श्री योगी ने अपीलीय अधिकारी श्री संतोष मौर्या को सोशल मीडिया के माध्यम से दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही कर दण्डित करने पत्र प्रेषित किया है श्री योगी ने आशंका व्यक्त करते हुए पत्र लिखा है कि जन संपर्क विभाग में कुछ अस्थायी फर्जी टाइप के वेबपोर्टल जो प्रदेश के बाहर के है उन्हें जन संपर्क कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते लाखों रुपये के विज्ञापन जारी किए जा रहे है तथा स्थानीय वेब पोर्टलों को केवल नियम कानून में उलझा कर रख दिया गया है ऐसे ही वेबपोर्टल न्यूज़ साइड के डिटेल,,मालिक के नाम मोबाइल नम्बर, माह में जारी होने वाले विज्ञापन एवं जारी की गई राशि का संपूर्ण ब्यौरा जन संपर्क विभाग के जन सूचना अधिकारी से माह फरवरी में मांगी थी परन्तु निर्धारित अवधि समाप्त होने के बावजूद उन्हें अब तक जानकारी उपलब्ध नही कराई गई जिस विषय को लेकर ही श्री योगी ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपना पक्ष सोशल मीडिया के माध्यम से पत्र लिखा तथा शीघ्र जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की गई उल्लेखनीय है कि जिला जन संपर्क विभाग में कमीशन खोरी के ऐसे मामले समय समय पर जन मानस के समक्ष आते रहे है जिसमे यह बात भी सामने आई है कि कुछ चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों को विभाग की ओर से जारी बड़ी राशि प्रदर्शित विज्ञापन जारी किए जाते है तथा विगत कई वर्षों से निकलने वाली पत्र पत्रिकाओं को एक निर्धारित शुल्क प्रदान किया जाता है जिनकी राशि मे कटौती कर अपने कृपा पात्र लोगों को दिया जाता है जबकि ऐसे चाटूकार कमीशनखोरी करने वाले पत्रकार हजारो लाखों में विज्ञापन प्राप्त कर लेते है तो नियमित प्रकाशन करने वालों को नियम कानून में उलझा दिया जाता है वही पत्रकारों में यह भी चर्चा आम हो चुका है कि जन संपर्क विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते केवल कमीशनखोरी में ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि पात्र पत्रकारों को उनका अधिकार नही मिल पाता और वे अपने पत्र पत्रिकाओं के प्रिंटिंग राशि भी नही निकाल पाते है जिसकी वजह से उनके समक्ष विकराल आर्थिक समस्या खड़ी रहती है जबकि कई ऐसे भी समाचार पत्र पत्रिकाएं है जो जन संपर्क विभाग के निर्दिष्ट समस्त गाइड लाइनों को पूरा करते है फिर भी उन्हें विज्ञापन जारी नही किया जाता इससे अनेक पत्र पत्रिकाओं के मालिकों में रोष व्याप्त है वही दूसरी ओर पत्रकारिता की आड़ में राजनितिक एप्रोच से छुटभैय्या नेताओं ने अपनी दुकानदारी चालू कर दी वहीं वर्षों से पत्रकारिता करने वाले तपस्वी पत्रकार अपना अधिकारों से वंचित है ज्ञात हुआ है कि शहर में ऐसा भी स्थान है जहां ओर चन्द रुपये देकर वेबपोर्टल साइड तथा आर एन आई से नाम मंगाने का धंधा भी बड़े पैमाने पर फलफूल रहा है जिसकी वजह से भी पत्रकारिता कलंकित हो रही है
इस संदर्भ में भी पारदर्शिता लाए जाने की आवश्यकता मानी जा रही है वही कुछ पत्रकारों ने यह भी कहा है कि जिस पत्र पत्रिका को पांच वर्ष अवधि से अनवरत नियमित प्रकाशन हो रहा है ऐसे पत्र पत्रिकाओं को ही जन संपर्क विभाग विज्ञापन जारी करे,


 
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