शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

वविनि में भोज का राज कायम नियम विरुद्ध हो रही अब भी नियुक्तियां

 वविनि में भोज का राज कायम 

नियम विरुद्ध हो रही अब भी नियुक्तियां



अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग राज्य वन विकास निगम में जब तक भोजराज जैन जैसे संविदा नियुक्त अधिकारी रहेंगे तब तक वन विकास निगम में नियम विरुद्ध


नियुक्तियां भी अपने चरम पर रहेगी और भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा अभी ताज़ा समाचारों से यह ज्ञात हो रहा है कि एक बार पुनः नियम विरुद्ध जाकर एक ऐसे नव नियुक्त अधिकारी की पदस्थी उच्च पद पर करवा दी गई जिसकी कल्पना नही की जा सकती है इसके पीछे बहुत बड़ा लेनदेन की बात मानी जा रही है क्योंकि नियम में यह स्पष्ट है कि कोई भी नया अधिकारी जिसे कम से कम  वर्ष दो वर्ष तक विभागीय जानकारी के उद्देश्य से ट्रेनिंग दी जाती है  उपरांत उसकी नियुक्ति की जाती है परन्तु छग राज्य वन विकास निगम एक ऐसा अलहदा विभाग बन चुका है जहां नियुक्ति का खेल केवल लेनदेन पर ही किया जाता है यहां वरिष्ठता,वरीयता,और योग्यता कोई मायने नही रखती  यहां सारे नियम कायदे को दरकिनार कर... अपनी डफली.. अपना राग.. की तर्ज पर कार्य संचालित होता है इसके लिए बाकायदा एक ही व्यक्ति द्वारा अब तक संपूर्ण  छग वन विकास निगम की बागडोर अपने हाथों में थाम रखा है और वह भोजराज जैन है  एक प्रकार से  देखा जाए तो  केवल भोज का राज ही यहां चल रहा है सेवा निवृत्त पश्चात वविनि में संविदा नियुक्त  भोजराज जैन वित्त प्रबंधक लेखा के गरिमामयी जैसे पद पर  बैठे उक्त अधिकारी के सैकड़ों ऐसे प्रकरण और शिकायते जिसमे लेनदेन कर  संविदा नियुक्ति,जैसे मामले  जन मानस के समक्ष अब तक आ चुके है जिसका प्रमुखता से फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ में प्रकाशन भी किया जा चुका है  जिसमे उनके काले  कारनामों का काला चिट्ठा खोला गया था

परन्तु हालिया वविनि के कवर्धा डिवीजन में  एक प्रशिक्षु डीडीएम (एस डी ओ)जो कवर्धा जिले में पदस्थ थे तथा उन्हे जुमा जुमा दो तीन माह ही हुए थे बगैर जानकारी प्राप्त के  ही उन्हें डीएम(डीएफओ) के रूप में प्रभार दिए जाने का प्रकरण प्रकाश में आया है उक्त डीएम पद में नियुक्ति को लेकर खास तौर पर चर्चा यह हो रही है कि वविनि में आईएफएस अधिकारियों की उपस्थिति में कथित प्रशिक्षु  डीडीएम को डीएम जैसे गरिमामयी पद पर नियुक्त कैसे कर दिया गया इस संदर्भ में यह चर्चा हो रही है कि   संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन  एक कुशाग्र,बुद्धि के अधिकारी के रूप में जाने जाते है तथा पूर्व में अपनी पहुंच,पद पॉवर के चलते  उंनके द्वारा संपूर्ण छग प्रदेश वन विकास निगम का बेहद शातिराना ढंग के शतरंज का खिलाड़ी उन्हें यूं ही नही कहा जाता है तभी तो वह चाहे जमीनी कर्मचारी हो या ऊपर बैठे अधिकारी हो, बड़ी चालाकी से लेनदेन कर उन्हें मलाईदार स्थानों पर बैठाने का प्रलोभन देकर  मोहरे  बैठाने के हुनर में माहिर कहे जाते है ताकि पद मिलने के पश्चात नव नियुक्त पदस्थ अधिकारी कर्मचारी को उनके अज्ञानता का भरपूर लाभ उठाया जा सके तथा उन्हें दस्तावेजो में उलझाकर भयादोहन कर शासकीय राशि मे गड़बड़ घोटाला,फर्जीवाड़ा,और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सके  तभी तो वन विकास निगम में अपनी क्रमोन्नति और पदस्थी की बाट जोह रहे ऐसे अनेक अधिकारी कर्मचारियों को उनकी योग्यता और क्रमोन्नति को दर किनार कर ऐसे अज्ञानी,प्रतिभाविहीन व्यक्तियों को उच्च पदों पर नियुक्ति करवा दिया जाता है जिससे छग वविनि के संपूर्ण प्रदेश के कर्मचारियों के मन मे संविदा नियुक्त वित्त प्रबंधक लेखा अधिकारी भोजराज जैन के विरुद्ध रोष व्याप्त हो गया 
यही नही उनके सेवा में रहते हुए तथा सेवानिवृत्त पश्चात  जानकारी तो यह भी प्राप्त हुई है कि उन्होंने अनेक कर्मचारियों से लेनदेन कर के भी उनकी नियुक्ति आज तक नही करवाई ऐसे भी कई कर्मचारी है जिनसे वविनि में उनके परिचितों,इष्ट मित्रों को नौकरी दिलाने के एवज में लाखों की मोटी रकम लेकर डकार लिया तथा उन्हें आज पर्यंत नौकरी नही दिलवाई इससे बिचौलिए कर्मचारियों के ऊपर आर्थिक गाज गिरी ही साथ ही उन्हें कानूनी पचड़े से दो चार होना पड़ा यदि कोई ऐसा व्यक्ति जिसके द्वारा सीधे तौर पर लेनदेन कर नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया है यदि वह इनके विरुद्ध कानूनी रिपोर्ट दर्ज कराए तो सीधे चार सौ बीसी का केस दर्ज हो सकता है तथा उन्हें लाल बंगले जाने से कोई नह रोक सकता   परन्तु वित्त प्रबंधक लेखा के संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन को इससे कोई फर्क नही पड़ता इसी गड़बड़ घोटाले,फर्जीवाड़े गबन और भ्रष्टाचार को अंजाम देने की। नीयत से उल्टे उन्होंने अपनी सेवानिवृत्त के पूर्व ही संविदा नियुक्ति का दरवाजा खोल लिया एव  संविदा नियुक्ति करवा ली तथा आज भी वे अपने पूर्व कृत्यों को बड़ी सहजता से अंजाम दे रहे है उन्हें कोई रोकने टोकने वाला भी नही क्योंकि उन्हें इसके लिए मूक सहमति जो मिली हुई है जिसका एक साक्षात उदाहरण डी.डी.एम.पद पर कार्यरत प्रशिक्षु अधिकारी को ही डी एम.कवर्धा पद पर नियुक्ति आदेश निकलवा दिया गया  क्योंकि नियमानुसार यह बताया जाता है कि चाहे वह यूपीएससी या पीएससी से भर्ती हुए अधिकारी, कर्मियों को दो वर्ष की ट्रेनिंग पश्चात जिस पद पर उंसके द्वारा परिक्षावधि दी गई थी चाहे वह आईएफएस संवर्ग से ट्रेनिंग किया अधिकारी हो तो उसकी पोस्टिंग पहले एसडीओ पद में रह कर ज्ञान अर्जित करना पड़ता है पश्चात डीएफओ पद पर शासन स्तर पर उसकी नियुक्ति की जाती है वैसे ही पीएससी परीक्षा पश्चात जिस पद हेतु परीक्षा उत्तीर्ण किया है उसे उसी पद में जाने हेतु मैदानी जानकारी लेना आवश्यक होता है परन्तु छग वन विकास निगम में डीडीएम पद से नियुक्त अधिकारी को ट्रेनिंग पश्चात  पूर्व  लगभग छ माह य्या उससे अधिक समय तक  मैदानी ट्रेनिंग लेना आवश्यक होता है पश्चात उसे   डीडीएम पद पर नियुक्त किया जाता है  परन्तु  यहां ठीक विपरीत ट्रेनिंग करने दो तीन माह भी नही हुए ऐसे अधिकारी को सीधे डीएम पद पर नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया जो जानकारों के मुताबिक न्यायोचित नही माना जा रहा है जानकार तो यह भी कह रहे है कि यदि वविनि में  कोई अधिकारी कर्मचारी नही हो तो ऐसी परिस्थिति में किसी आईएफएस अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार देकर कार्य संचालन सुचारू ढंग से किया जा सकता है परन्तु यहां  वन विकास निगम में सारे नियम कानून को धता बताते हुए कथित डीडीएम को कवर्धा जिले का डीएम  चार्ज दे दिया गया जबकि निगम में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि वविनि में अधिकांश जिलों में आईएफएस अधिकारी पदस्थ है उन्हें अतिरिक्त  चार्ज दिया जा सकता था परन्तु उस की बजाए  एक नए अनुभव विहीन अज्ञानी नव पदस्थ प्रशिक्षु अधिकारी को उसी स्थान जिले का प्रभार देना किसी बड़े लेनदेन कर नियुक्ति की ओर इशारा कर रहा है जो नियम विरुद्ध माना जा रहा है इसके लिए संविदा,ट्रांसफर,एवं पदस्थी में माहिर खिलाड़ी भोजराज जैन की सोची समझी साजिश बताई जा रही है ताकि अनुभवी हीन अधिकारी को दस्तावेजों में उलझकर आर्थिक लाभ उठाया जा सके सूत्रों  से मिली जानकारी के मुताबिक  बताते चले कि ऐसे बहुत से कर्मचारी है जिन्हें उन्होंने अपने हाथ  की कठपुतली बना कर रखा है तथा प्रत्येक माह ऑडिट और कूटरचित दस्तावेजों के नाम पर लाखों की वसूली की जा रही है हाल ही में ऑडिट हुए ऑडिट करने स्थानीय वविनि कर्मियों से सेवाएं ली गई तथा उसके एवज में प्रत्येक परियोजना मंडल कार्यालय कर्मियों से लाखों की राशि ली गई ऐसे कृत्यों को रोकने का केवल एक ही उपाय है वह है कंपनी सिकरेट्री की स्थायी नियुक्ति जो वर्षों से वविनि में लंबित है तथा उपरोक्त पद में नियुक्ति भी जानबूझकर नही की जा रही है यदि कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति यहां हो गई तो संपूर्ण आय के साधन बंद हो जाएंगे तथा इन्हें अगला पिछला सब हिसाब देना पड़ेगा जो  एक समझदार अधिकारी कभी नही चाहेगा लगभग अर्द्ध  शतकीय वर्षों से स्वपोषित संस्था वविनि में भ्रष्टाचार, गड़बड़ घोटाला, के चलते राज्य शासन को दिए जाने वाले वार्षिकी लाभांश राशि  में भी आंशिक गिरावट लगातार देखने में आ रही है जो इसके शनैः शनैः पतन की ओर जाने के संकेत है 

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