आयुर्वेद ग्राम दुगली के वन धन उत्पाद से छत्तीसगढ़ का हर्बल बना संजीवनी 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) वन  धन  का अर्थ प्रदेश भर में अच्छादित संपूर्ण वन क्षेत्रों में पाए जाने वाले वनोपज सहित  जैव विविधताओं, का आकूत भंडार होना है जो वन्य जीवों सहित पर्यावरण और प्रकृति के द्वारा होने वाले परिवर्तन में उसके विरुद्ध जैविक संरचनाओं के विविध नैसर्गिक पदार्थ उपलब्ध कराते है तथा प्रकृति सहित मानव जीवन को बचाने अपनी अहम भूमिका निभाते है यह सब प्रकृति की प्रक्रिया होती है जिसका ऋण मानव तो क्या कोई  भी करोड़ों की संपति देकर भी चुका नही सकता पर इस धरती पर विस्तृत भूभाग में अच्छादित वन से प्राप्त होने वाले वनोपज के रूप में मानव को ऐसे बहुत से आयुर्वेद औषधि प्रदान कर रखा है जो समस्त जीव जंतु  प्राणी सहित मानव के लिए किसी संजीवनी से कम नही  अर्थात वन एवं उनमें उगने वाले पेड़ पौधे से मिलने वाले वनोपज हमे पर्यावरण संतुलन के साथ ही हमारे स्वास्थ्य जीवन के प्रति कितने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इसका भान मनुष्य को तब होता है जब मानव के द्वारा निर्मित वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ उत्पादित विदेशी रसायनिक औषधियां असफल हो जाते है तब वहां प्रकृति खजाने के वनोपज एवं उससे निर्मित वनोत्पाद  मानव स्वास्थ्य के लिए किसी संजीवनी का कार्य प्रारंभ करता है जो किसी अमरत्व प्रदान करने से कम नही एक प्रकार से देखा जाए तो सही मायनों में वन धन यही है ऐसे वनोपज जो मानव को आर्थिक लाभ के साथ  जीवन स्वास्थ्य के लिए संजीवनी एवं उनको अमरता  प्रदान करने वाली वन  धन को सहेजने के उद्देध्य से ही प्रदेश का वन एवं जलवायू  विभाग द्वारा वन धन केंद्र स्थापित कर वनों से प्राप्त होने वाली  वनोपज के समर्थन मूल्य  तय कर वनवासी वनादिवासियो से क्रय कर आज उनके आर्थिकी,सामाजिकी उत्थान के रूप में संबल प्रदान कर रहा है तथा आज ऐसे वन वासी, वनादिवासी कृषक  कृषि सहित वनोपज संग्रहण के साथ उसके देशी उत्पाद में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर आत्मलंबी बन रहे है 

 धमतरी वन मण्डल अंतर्गत आयुर्वेद ग्राम दुगली का नाम आज देश के नक्शे में आयुर्वेद उत्पादक ग्राम  के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है यहां के प्रसंस्करण केंद्र में उत्पाद सामग्री आज देशभर में विक्रय किए जा रहे है आयुर्वेद ग्राम दुगली के 2009 से प्रोसेस यूनिट में तीखुर से लेकर शहद तथा वनोपज के अनेक  जीवनदायिनी उत्पाद निर्माण किए जा रहे है जो उसके लगातार लोकप्रियता के नए मापदंड तय कर रहा है इसका मिसाल तब देखने मिलता है जब ग्राम दुगली के उत्पाद एवं प्रदेश के अन्य वन प्रबंधन समितियों,महिला स्व सहायता समूह के द्वारा उत्पादित निर्मित वनौषधि, खाद्य सामाग्री,प्रदेश भर में छत्तीसगढ़ हर्बल के नाम पर वनौषधि विक्रय केंद्र संजीवनी के माध्यम से विक्रय की जा रही है तथा वन धन का सही उपयोग किया जा रहा है धमतरी वन मंडल अंतर्गत आयुर्वेद ग्राम दुगली के सन्दर्भ में एसडीओ टी आर वर्मा ने बताया कि  आयुर्वेद ग्राम दुगली में  वर्ष 2002 से धमतरी वन मंडल अंतर्गत दस युवा लड़कियों की एक छोटी से कोशिश जो महिलाओं द्वारा   पहली महिला स्व सहायता समुह के रूप में गठित की गई थी धमतरी वन मंडल का उद्देश्य पिछड़े और विकास से कोसों दूर वनवासियों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के माध्यम से उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने तथा आत्मनिर्भर बनाने हेतु  निर्माण किया गया था

सघन  वन क्षेत्र में मिलने वाले तीखुर शहद नीम,आंवला, इमली सहित अन्य वनोपज के माध्यम से लघु व्यवसायिक दृष्टिकोण से जागृति महिला स्व सहायता समूह का गठन कर उनके द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया इसके लिए धमतरी वन मंडल के तहत दस लाख का प्राथमिकी (लोन) ऋण लेकर एक छोटी सी शुरुआत की गई थी जागृति महिला स्व सहायता समूह के निरन्तर मेहनत,लगन, एवं विशुद्ध देशी वनोपज वन धन  से निर्मित उत्पाद को स्थानीय स्तर पर काफी पसंद किया गया जिनमे शहद से लेकर आंवला, नीम, इमली, दोनापत्तल,तीखुर,केतकी रस्सी,बैचांदी, एवं अन्य उत्पाद शामिल थे  जिसके सार्थक परिणाम सामने आए तथा आयुर्वेद ग्राम दुगली दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा जब यहां के देशी  वनोपज उत्पाद विस्तार के साथ और अधिक बढ़ने लगा तब इसके अन्य प्रोसेसिंग यूनिट भी बढ़ाए गए तथा नए नए यूनिट लगाए गए बिरगुड़ी रेंज के परिक्षेत्राधिकारी श्री दीपक कुमार गावड़े का कथन है कि वनों से प्राप्त वनोपज के सही  उत्पाद एवं निर्माण से  ग्राम दुगली  की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई है साथ ही वनोपज की अल्पता होने पर बहुत से औषधियों का उत्पाद महिला स्व सहायता समूह के मांग अनुसार कोलियारी नर्सरी में किया जाता है जिससे इन्हें औषधियों की कमी नही पड़ती तथा उनके ही द्वारा वर्मी कॉम्पोस्ट खाद से लेकर बहुत से वानिकी पौधों का उत्पाद भी महिला स्व सहायता समूह के द्वारा की जा रही है इस संदर्भ में दुगली आयुर्वेद ग्राम के परिक्षेत्राधिकारी नदीम कृष्ण बरिहा ने बताया कि यहां प्रसंस्करण केंद्र में महिला समूह पूरी तन्मयता,और निष्ठा ईमानदारी  से वनोपज औषधियों सहित अन्य निर्माण कार्य भी करती है जो अपने कार्यों में पारंगत है चाहे वह तीखुर साफ सफाई से लेकर पिसाई,सुखाई,एवं पैकेजिंग समस्त कार्यों अपने हिसाब से करती है  दुगली परिक्षेत्राधिकारी नदीम कृष्ण बरिहा ने आगे बताया कि स्थानीय समस्त  महिला स्व सहायता समूह आंवला दोना पत्तल  शहद नीम उत्पाद साबुन के अलावा अन्य उत्पाद का निर्वहन बड़ी कुशलता से करती है तथा वे आज क्षेत्र  दुगली का नाम रौशन कर रही है प्रसंस्करण केंद्र दुगली के प्रभारी मधुकर जी एवं कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि एच. डब्ल्यू. एफ.पी.के तहत ऐसे गैर काष्ठ वन  उत्पाद का संकलन ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है जिनमे जंगली शहद, इमली, आम, तेंदू पत्ता, साल के पत्ते, महुआ के बीज, नीम के बीज, करंज के बीज, महुआ के फूल और तेज़पत्ता इत्यादि शामिल हैं इसका संकलन करने से वार्षिकी टारगेट लगभग पूर्ण किया जाता है जिनमे तीन माह तीखुर बैचांदी सहित अन्य उत्पाद संपादित किए जाते है जिनमे उसके साफ सफाई के अलावा उसकी पिसाई इत्यादि शामिल है इसके पश्चात तीखुर पावडर को सूर्य की रौशनी में सुखाया जाता है जिसे बाद में आकर्षक पैकिंग इत्यादि की जाती है जो उपवास में काफी गुणकारी माना जाता है यही नही अन्य वनोंपज उत्पाद को भी छ माह एवं वार्षिकी स्तर पर उत्पाद एवं आकर्षक पैकेजिंग की जाती है जिसे स्थानीय स्तर पर एवं प्रदेश के रायपुर सहित अन्य स्थलों में विक्रय हेतु भेजा जाता है रायपुर में इसे बी मार्ट में आयुर्वेद उत्पाद को वितरक के माध्यम से संग्रहित कर अन्य स्थलों पर इसका विक्रय मांग अनुरूप किया जाता है एक प्रकार से रायपुर स्थित बी.मार्ट  मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर है जहां से उत्पाद मांग एवं क्षमता अनुसार  भेजी जाती है

कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन ने आगे  बताया कि  (NTFP)नॉन टिम्बर फॉरेस्ट प्रोडक्ट के तहत प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले ऐसे उत्पाद हैं जो एक विशेष मौसम पर निर्भर होते हैं। वनों में निवासरत वनवासी एवं मूल जनजातियाँ मार्च-जून महीने के दौरान जो  वनो के उपज अर्थात वन धन  संग्रहण काल का होता है उसके  समर्थन  मूल्य विक्रय से ही वनवासियों के कुल वार्षिक आय का 50/प्रतिशत से अधिक आय वनोपज के बिक्री कर अर्जित कर लिया जाता  हैं। इससे ऐसे वनवासियों,आदिवासियों को उनके द्वारा संग्रहित वनोपज का राज्य शासन के द्वारा  निर्धारित समर्थन मूल्य  की दर से वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा खरीदी किया जाता है जिससे वनवासियों,वनादिवासियों को वनोपज का सही लाभ प्राप्त हो जाता है साथ ही वर्षों से बिचौलिए एवं ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण से इनकी  सुरक्षा भी हो जाती है अब पूर्व की भांति से वनों में वर्षो से निवासरत कमार,सहित जनजाति, वनवासियों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है तथा प्रदेश के वनोपज सहकारी संघ के निर्धारित दर पर ही अपने कच्चे वनोपज का विक्रय करते है  वही सहकारी संघ की दूरी या विशेष परिस्थितियों में  सीधे तौर पर भी समीप स्थित विभाग अथवा आयुर्वेद ग्राम दुगली के द्वारा वनोपज क्रय कर लिया जाता है दुगली प्रोसेसिंग सेंटर के कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन ने आगे बताया कि वर्तमान प्रोसेसिंग सेंटर से लगभग 30 महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं संलग्न है जो वनोपज उत्पाद, से क्रय तक उसके साफ सफाई सहित अन्य 25 से ऊपर प्रकार के वन उत्पाद से बड़ी स्वच्छता एवं सावधानी पूर्वक सामग्री निर्माण करती है जैसे आयुर्वेद ग्राम दुगली मे आंवला के तीन से चार  प्रकार के वेरायटी निर्माण किए जाते जिनमे आंवला जूस ,आंवला नमकीन  कैंडी, आंवला लच्छा आदि शामिल है  उसी प्रकार अन्य नौ प्रकार के चूर्ण अर्जुन तुलसी चूर्ण,अश्वगंधा, शतावर,कालमेघ,त्रिफला चूर्ण ,तीखुर पावडर, जैसे अनेक  वनोपज उत्पाद  शामिल किया गया इसमें शहद प्रोसेसिंग की एक अलग यूनिट इकाई लगाई गई है जो पहले वनों से लाए गए शहद को  50 से साठ डिग्री फेरन हीट  तापमान में उसे कीटाणु रहित किया जाता है पश्चात इसमें लगे छाते को पृथक कर बड़ी सावधानी पूर्वक अन्य प्रोसेसिंग के बाद शहद की पैकेजिंग की जाती है दुगली प्रोसेसिंग यूनिट के कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन आगे बताते है कि हमारे दुगली आयुर्वेद ग्राम के औषधि, चूर्ण, तेल,खाद्य वस्तुओं, सहित अन्य जनोपयोगी उत्पाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जनजातीय कार्य मंत्रालय(ट्राइफेड) भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट मालकांगनी तेल निर्माण को लेकर गत वर्ष 2021में वन धन विभाग को द्वितीय पुरुस्कार दिया गया जो धमतरी वन मंडल अन्तर्गत हमारे आयूर्वेद ग्राम दुगली के विकास,उन्नति, प्रगति के क्षेत्र में नए अध्याय के रूप में अंकित हुआ  है वर्तमान कोरोना काल मे आई भयावह विपदा को ध्यान में रखकर धमतरी वन मंडल अंतर्गत कोलियारी नर्सरी में 26 हजार से ऊपर एलोवेरा  पौधों का उत्पाद किया गया था जो स्थानीय आयुर्वेद ग्राम दुगली महिला स्व सहायता समूह के द्वारा संपादित किया गया था  उनके द्वारा ही एलोवेरा के पौधे की बडे पत्ते का उपयोग कर विभिन्न उत्पाद किए जा रहे है जिनमें एलोवेरा जूस,बॉडी जेल,शैम्पू, साबुन ,हैंडवॉश, निर्माण किए गए जिसका स्थानीय स्तर से अधिक शहरों  के बाजारों में अच्छा प्रतिसाद मिला है इसके लिए बी.मार्ट के माध्यम से  विक्रय हेतु बड़ा बाजार तैयार हो चुका है 

श्री देवांगन ने आगे बताया कि धमतरी जिला यूनियन अंतर्गत तीन अन्य प्रोसेसिंग यूनिट सफलता पूर्वक संचालित की जा रही है जिनमे मुख्यतः ग्राम सांकरा,केरेगांव,एवं बिरगुड़ी में  भी वनोपज से औषधि युक्त सामग्री निर्माण की जा रही है ग्राम सांकरा  सफेद मूसली के लड्डू जो बलवर्धक माना गया है उसका उत्पाद किया जाता है बिरगुड़ी रेंज में हर्बल हवन सामग्री उत्पादन होता है तथा केरे गांव में धूपबत्ती सहित अन्य जनोपयोगी सामग्री का सफल संचालन स्थानीय महिला स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियां संचालित कर रही है   वही वनोपज से औषधि एवं अन्य प्रकृति उत्पाद के प्रोत्साहन को लेकर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा अनुषांगिक धड़े को तैयार किए हुए है वैसे प्रदेश भर मे वन विभाग द्वारा ऐसे  छोटे बड़े, स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियों के आर्थिक उत्थान हेतु  सदैव सहयोग एवं लोन प्रक्रिया में महती भूमिका का निर्वहन करता ही है परंतु इसके अलावा भी औषधि पादप बोर्ड,वनोपज सहकारी संघ,वन धन केंद्र जैसी सहयोगी संस्थान भी वनवासियों, को औषधि की खेती और उसके उत्पाद हेतु कृषकों हितग्राहियों को लोन प्रदाय करती है तथा उसमे सब्सिडी देने का प्रावधान भी मौजूद है 

इस सिलसिले मे नवा रायपुर अटल नगर स्थित वन धन भवन केंद्र मुख्यालय के वरिष्ठ कार्यकारी संचालक श्री अमरनाथ प्रसाद साहब से कुछ माह पूर्व की गई चर्चा का स्मरण हो रहा है जब दुर्ग पाटन स्थित नए प्रोसेसिंग यूनिट का आधारशिला प्रदेश के  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा रखी जा रही थी तब वन धन भवन मुख्यालय में हुई संक्षिप्त भेंट में उन्होंने बताया था कि पाटन के बृहद भूभाग में वनोपज एवं शुद्ध देशी औषधियों के आधुनिक प्रोसेसिंग सेंटर निर्माण किया जाएगा इसके रॉ मटेरियल, स्वयं वन विभाग उपलब्ध कराएगी वन धन केंद्र  के  कार्यकारी संचालक श्री अमरनाथ प्रसाद साहब ने आगे बताया कि ऐसे प्रयास किए जा रहे है कि प्रोसेसिंग सेंटर को निजी हाथों महिला स्वयं सहायता समूह समाजिक संस्थान अथवा किसी हर्बल उत्पाद कंपनी के साथ अनुबंध समझौता कर गठ बंधन  किया जाएगा जिसकी लाभांश राशि राज्य शासन को प्राप्त होगी वही सुप्रसिद्ध आयुर्वेद कंपनी, संस्थानों के साथ अनुबंध गठबंधन से स्थानीय छत्तीसगढ़ हर्बल की पृथक पहचान निर्मित होगी  अथवा उसके बैनर तले छत्तीसगढ़ वनोपज एवं औषधियों का विक्रय भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर ढंग से हो सकेगा उत्तरोत्तर विकास की राह में अग्रसर वन धन के सहयोग से संचालित छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पाद संजीवनी के माध्यम से एक विशाल बाजार तथा लोगों को आयुर्वेद की ओर आकर्षित करने का  दायित्व पर खरा उतारने वन धन के प्रबंधक श्री  संजय शुक्ला साहब की दूरदृष्टि और अनुभव  की प्रशंसा करना अनिवार्य हो जाता है कि आज उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश भर में वन विभाग के अधीन  संचालित अनेक महिला स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियां ,एवं वन सुरक्षा समितियों के समाजिक और  आर्थिक विकास हेतु वनोपज से लाभ के उद्देश्य से उनके पारंपरिक ज्ञान का सदुपयोग करते हुए औषधियों सहित अन्य वस्तुओं का उपरोक्त समूहों के माध्यम से  निर्माण उनके आर्थिक सामाजिक उत्थान के न केवल सेतु बने बल्कि उनके द्वारा निर्मित उत्पाद एवं छत्तीसगढ़ हर्बल को नई पहचान निर्मित करने उसके विक्रय हेतु संजीवनी केंद्र का आधुनिक,आकर्षक ,शॉप निर्माण करवाया जो आम लोगों के कौतूहल के साथ आकर्षण का केंद्र बिंदु भी बना  मानव के स्वास्थ्य निराकारण वाली वनोत्पाद औषधियां,खाद्य पदार्थ से लेकर तेल साबुन शैम्पू तक एक ही छत के नीचे उपलब्ध करा कर वन धन के नाम एवं उसके महत्व को परिभाषित कर भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गए है

  इसके लिए वन धन केंद्र के डायरेक्टर श्री संजय शुक्ला साहब ने भिन्न भिन्न योजनाओं के माध्यम से अपने अधीनस्थ अधिकारीयो को  जंगलों में निवासरत वन वासियों और वनादिवासियों के बीच पहुंचाकर उन्हें जागरूक करना विभिन्न क्षेत्रों में वनोपज एवं उसके उत्पाद से उन्हें होने वाले लाभ से अवगत कराना भी किसी चुनौती से कम नही था फिर भी उन्होंने अपने अधिकारियों को उनके ही क्षेत्रों में कार्यशाला लगाकर वन वासियों के निरन्तर चहुमुंखी विकास के पथ में अग्रसर करते रहे इसके लिए बाकायदा वन धन के मुख्यालय में अधिकारी आनँद बाबू जैसे दक्ष अधिकारी के देखरेख में बस्तर सहित अनेक अन्य पिछड़े और अविकसित क्षेत्रों में कार्यशाला का आयोजन कर भिन्न भिन्न वनोपज वस्तुएं,औषधियां, खाद्य वस्तुएं इत्यादि का सफल प्रशिक्षण द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण, स्वावलंबी और आत्म निर्भरता का नया अध्याय विकसित कर दिया  वन धन विकास केंद्र के द्वारा समय समय पर पिछड़े और अविकसित क्षेत्रों में ऐसे  विशाल कार्यशाला का आयोजन कर वनोपज से मिलने वाली वस्तुएं, औषधियों के  प्रचार प्रसार गतिशीलता प्रदान करने का ही परिणाम रहा कि आज छत्तीसगढ़ हर्बल  के निर्मित औषधियों का बहुत बड़ा  बाजार खुला हुआ और विकसित है जो छत्तीसगढ़ हर्बल के संजीवनी नाम से प्रत्येक नगर शहर,महानगर में दृष्टिगोचर हो रहे है जिसका अच्छा प्रतिसाद भी अब मिल रहा है अब लोगों का रुझान बकायदा वनोपज उत्पाद सामग्री की ओर बढ़ रहा है लोग साबुन तेल से लेकर खाद्य वस्तुओं आचार पापड़ से लेकर विशुद्ध देशी औषधियों का क्रय कर रहे है यही नही औषधि पादप बोर्ड विभाग तो बकायदा पारंपरिक वैधराज  की सेवाएं भी ले रहे है तथा उनके मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ हर्बल के संजीवनी से औषधियां प्राप्त की जा रही है एक प्रकार से देशी औषधियों का विशाल बाजार प्रदेश में विभाग के द्वारा संचालित हो रहा है तथा इसका प्रतिसाद भी पहले से बेहतर मिल रहा है अब लोगों में जागरूकता आ रही है कि आदि काल मे ऋषि मुनियों और तपस्वियों ने जिस तपस्या के साथ मानव स्वस्थ हित की सुरक्षा के लिए देशी वनोपज   से असंख्य औषधियों की खोज की थी वह नई 21 सदी के आधुनिक सोच ने बिसरा दिया था परन्तु ईश्वरीय प्रकोप कोरोना के आने के पश्चात वनौषधि  गिलोय,चिरायता से लेकर अन्य वनोपज के अनवरत उपयोग से जिस तरह चमत्कारिक रूप से उंसके परिणाम सामने आए वह विस्मृत कारी कर देने वाला रहा  तथा प्राकृतिक औषधियों के  समक्ष मानव नतमस्तक हो गया  मानव का रुझान पुनः प्राचीन देशी औषधियों के प्रति  बढ़ रहा है बेशक, मानव आधुनिक दवाओं का उपयोग न करे ऐसा नही कहते मगर आम व्यक्ति जिसकी आय इतनी कम है कि वह महंगी और पहुंच से बाहर विदेशी अंग्रेजी दवाइयों का उपयोग कर सके उसके लिए   प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमूल्य औषधियां भी ईश्वरी देन है जो आज भी उतनी ही प्रभावशाली और असरकारक है जितनी सतयुग मे  प्रभु राम के भ्राता श्री लक्ष्मण के लंका युद्ध के दौरान हुए प्रहार से मृतप्रायः अचेतना के लिए श्री पवन पुत्र हनुमान जी के द्वारा लाए गए संपूर्ण पहाड़ से जगमग करते आयुर्वेद औषधियों की पत्तियां किसी संजीवनी से कम नही थी  वैसे भी छत्तीसगढ़ प्रदेश की पावन धरा  वनवास काल में प्रभु श्री राम के वन गमन के दौरान हुए चरण स्पर्श से ही यह धरा धन धन्य से परिपूर्ण हो चुका है यहां का प्रत्येक कण सोना  और प्रत्येक पत्ता औषधि है केवल आवश्यकता है अब उन पत्तो और बूटा के शोध की जो ईश्वरीय संरचना  का अमृतपान कराने पर्याप्त है जिसके अवगुण तलाशने और तराशने वन विभाग प्राचीन रीत पद्धति के साथ आधुनिक शोध कर नए उत्पाद पर जोर दे रही है प्रकृति द्वारा प्रदत्त औषधियों के प्रति लोगों का लगातार रुझान और मांग को देखते हुए वन विभाग  नए वित्त वर्ष में छत्तीसगढ़ हर्बल और उसके उत्पाद शुल्क में आठ से दस  प्रतिशत  वृद्धि पर विचार कर रहा है जो शीघ्र ही विभागीय बैठक पश्चात इसके मूल्य वृद्धि पर मुहर लग सकती है