सोमवार, 25 अप्रैल 2022

हज़रत शेर अली आगा आस्ताने में 26 वां रोज़ा को अफ्तार का कार्यक्रम

 हज़रत शेर अली आगा आस्ताने में 26 वां रोज़ा को अफ्तार का कार्यक्रम



रायपुर (मिशन पॉलिटिक्स)प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी रमजानुल मुबारक के पुरनूर मौके पर कुतुब ए  मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ हज़रत सय्यद शेर अली आगा रहमतुल्लाह अलैह औलिया चौक मोतीबाग स्थित बंजारी वाले वाले बाबा के आस्ताने में 26 वां रोजे में रोज़ा अफ्तारी का एहतमाम किया गया है



 जिसमे तमाम मुस्लेमीन रोजेदारों से पुरखुलूस गुजारिश की है कि ज्यादा से ज्यादा तादाद में शिरकत फ़रमाकर बाबा साहब के फैज ओ बरकात से मालामाल हो  यह जानकारी हज़रत शेर आली आगा रहमतुल्लाह अलैह  के सज्जादा नशीन जनाब नईम रिज़वी अशरफी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर  दी है 

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

सेवा निवृत्त न्यायाधीश गुलाम मिन्हाजुद्दीन छग राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष निर्वाचित

 सेवा निवृत्त न्यायाधीश गुलाम मिन्हाजुद्दीन छग राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष निर्वाचित



रायपुर आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग के द्वारा मनोनीत सदस्यों ने आज छग राज्य वक्फ बोर्ड कार्यालय के सभागार मे बैठक आहूत कर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया पूर्ण की जिसमें अधिवक्ता फैसल रिजवी द्वारा सेवा निवृत्त न्यायाधीश जनाब गुलाम मिन्हाजूद्दीन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के नाम का प्रस्ताव रखा   जिसे उपस्थित सदस्यों ने एक मतेन छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के चेयरमैन/सभापति हेतु सेवनिवृत न्यायाधीश श्री गुलाम मिन्हाजुद्दीन के नाम पर अपनी सहमती प्रदान  कर निर्वाचित किया  उक्त महती बैठक में सम्माननोय सदस्य श्री फैसल रिज़वी अधिवक्ता,श्री इमरान मेमन पूर्व विधायक सुश्री,इफ्फत आरा भप्रसे फिरोज़ खान,साजिद मेमन,एवं कार्यालयीन अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे

कांसाबेल परिक्षेत्र - गोबर से सिर्फ वर्मीकम्पोस्ट खाद ही नही धूपबत्ती एवं कलात्मक सामग्री का निर्माण हो रहा है

 कांसाबेल परिक्षेत्र - गोबर से सिर्फ वर्मीकम्पोस्ट खाद ही नही धूपबत्ती एवं कलात्मक सामग्री का निर्माण हो रहा है


रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है यहां अधिकांश कृषक  कृषि कार्य मे ही पारंगत है यहां तक प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल स्वयं कृषक पुत्र है तथा कृषकों के धरती से जुड़ी भावनाओं को वे भली भांति समझते है महसूस करते है तभी तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो  सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के वास्तविक धरा में लाने प्रमुखता से दिशा निर्देश दिए गए क्योंकि उक्त योजना का लाभ कृषक हित में ही किया गया है नरवा अर्थात ऐसे वन क्षेत्रों के नाला नुमा,ढलानी जल मार्ग जो वर्षा जल अनिश्चितता के बहाव में बह जाता था उसका लाभ किसी को भी नही मिल पाता ऐसे पर्वतीय,ऊबड़खाबड़,ढलानी क्षेत्र के  नाला अथवा जल मार्ग में स्टेप डेम,अथवा चेक डेम संरचना कर व्यर्थ होते जल को संरक्षित करने का शासन द्वारा पहल की गई नरवा प्रोजेक्ट के लिए राज्य शासन द्वारा कैम्पा मद से करोड़ों रुपये जारी किए है जिसका लाभ यह हुआ कि वनक्षेत्रों सहित अन्य जल मार्गों में जल संचयन होने से उक्त वन क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र में नरवा प्रोजेक्ट जनहित कारी साबित हुई.दूसरी गरुवा योजना जिसके तहत आवारा पशु एवं पशु पालकों के द्वारा छोड़े गए पशु जिनके द्वारा अंधेरे मुख्य मार्ग में बैठने से रात्रि में अनेक घटनाएं दुर्घटनाएं होती थी वन क्षेत्रों के वनों में मवेशियों द्वारा आवर्ती चराई से क्षति एवं खड़ी फसलों की चराई रोकने उनकी सुरक्षा हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत के माध्यम से गौठान का निर्माण कर उसकी सुरक्षा सहित गौठान के माध्यम से गोबर खरीदी कर जैविक वर्मी कम्पोस्ट खाद सहित अन्य लाभकारी योजनाओं का क्रियान्वयन समय समय पर किया जा रहा है जिसका लाभ ग्रामीण एवं कृषकों के हित मे अधिक मानी जा रही है है वही घुरूवा यानी कचरा या अपशिष्ट पदार्थों का संग्रहण कर सूखा,गिला कचरे का निष्पादन तथा उससे भी खाद निर्माण कर अतिरिक्त आय का स्त्रोत निर्माण किया जाना सुनिश्चित है शहरों नगरों में यह कार्य नगर निगम के माध्यम से कचरा कलेक्शन किया जा रहा है


परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के माध्यम से बकायदा  चार लाख रुपये की लागत से अतिरिक्त अपशिष्ट प्रबंधन (शेड)कक्ष का निर्माण किया गया है साथ ही ग्राम पंचायत के माध्यम  से सफाई उपकरण सहित कचरा निष्पादन हेतु रिक्शा ठेला इत्यादि प्रदाय कर स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है  इसके अलावा बाड़ी योजना का लाभ  गौठान में बाड़ी योजना के तहत कृषकों को लाभान्वित  करने के उद्देश्य से मौसमी साग,सब्जी,फल,एवं वानिकी पौधों के उत्पाद ताकि एक स्वस्थ दुदृढ़ भारत का निर्माण हो सके या ऐसे हितग्राही कृषक जो पांच डिसमिल भूमि के स्वामी है तथा आर्थिक आभाव के कारण वे उसका लाभ नही उठा पा रहे हैं ऐसे कृषकों को वन विभाग, शाकंभरी बोर्ड,उद्यानिकी विभाग सहित शासन के अन्य विभाग शाक सब्जी ,पेड़ पौधे सहित वर्मी कॉम्पोस्ट खाद निशुल्क प्रदान कर उसके आर्थिक सुदृढ़ता एवं समाज की मुख्य धारा से जोड़ने छग सरकार दृढ़ संकल्पित है  इसी महत्वाकांक्षी योजना की कड़ी में गोबर खरीदी के साथ उससे वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण अनेक ग्रामीण महिला  स्व सहायता समूह को संलग्न कर उनके अतिरिक्त आय का साधन निर्मित  किया गया है परन्तु गौधन से  खाद उत्पाद तो सभी गौठनों मे दिखाई पड़ जाता है लेकिन  गोबर से आकर्षक जन उपयोगी सामग्री निर्माण केवल और केवल जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल में ही दृष्टि गोचर होता है जहां की महिला स्व सहायता समूह की दस महिलाओं ने गोबर से भिन्न भिन्न जनोपयोगी सामग्रियों का निर्माण कर एक अविश्वसनीय कार्य को विश्वसनीय बना कर  बे मिसाल उदाहरण प्रस्तुत की है

गौधन (गोबर)से कुछ नया निर्माण के पीछे की अविष्कारक जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल परिक्षेत्र की परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता साहू केशरवानी है जिनकी आधुनिक दूर दृष्टि सोच ने वन क्षेत्र की महिला स्व सहायता समूह के लिए शुभ लाभ के साथ  रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त कर उनके आर्थिक  द्वारा खोल दिए जशपुर वन मंडल के कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी ने गौधन (गोबर) से नए सामग्री निर्माण के संबंध में बताया कि छग सरकार की सोच गौठान में स्थानीय निवासियों से दो रुपये में गोबर क्रय कर  महिला स्व सहायता समूह को संलग्न कर वर्मी कॉम्पोस्ट जैविक खाद निर्माण के साथ उसके पैकेजिंग कर प्रदेश भर के कृषि क्षेत्र में जैविक खाद को बढ़ावा देना साथ ही ग्रामीणों को भी आर्थिक लाभ पहुंचाना मुख्य मकसद था जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल परिक्षेत्र की रेंजर अनिता केशरवानी मैडम  आगे बताती है कि राज्य सरकार की महती गौधन योजना का लाभ संपूर्ण प्रदेश के ग्रामीण वर्ग उठा रहा है तथा सभी वर्मी कॉम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रहे है तब मन मे विचार आया कि क्यों न ग्रामीणों के स्वरोजगार एवं आर्थिक मजबूती के लिए कुछ नया कार्य किया जाए सोशल मीडिया और नेट पर खोज करने पर और बहुत विचार करने पर गौधन(गोबर)से क्यों न सामग्री निर्माण किया जाए इसके लिए जशपुर वन मण्डलाधिकारी कृष्णा जाघव साहब से चर्चा कर इस ओर कार्य को अमलीजामा पहनाने की सोची तथा इसके निर्माण हेतु स्वानंद गौ विज्ञान केंद्र नागपुर से एक प्रशिक्षित टीम जशपुर वन मंडल अंतर्गत सुदूर सघन वन क्षेत्र कांसाबेल परिक्षेत्र पहुंची यहां रहते  विभाग के माध्यम से तीन दिनों के कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा कांसाबेल, पोंगरो,लमडांड



ग्राम क्षेत्र की लगभग 30 महिलाओं ने बड़ी तल्लीनता और बारीकी से गोबर द्वारा सामग्री निर्माण का  प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा धूप बत्ती निर्माण में महारत हासिल की कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी ने आगे बताया कि वन परिक्षेत्र  वन ग्राम में होने से कांसाबेल के द्वारा आवर्ती चराई के रोकथाम की दृष्टिगत गौठान निर्माण कर वहां गोबर खरीदी सहित वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण कर शासकीय योजना का अक्षरशः पालन किया जा रहा था परन्तु इसके अतिरिक्त गौधन से नया और क्या निर्माण किया जाए कि गोबर की महत्वता और बढ़ जाए  क्योंकि प्रायः देखा जाता रहा है कि गाय गरुवा को प्रारंभ से ही छत्तीसगढ़ के ग्रामीण गौ माता समझ कर पूजते रहे उसके   गोबर के उपले (छेना) से लेकर कुटिया में लिपाई,छपाई,तक कि जाती है भोजन निर्माण सहित बच्चों की सिंकाई,एवं मच्छर भगाने के उपयोग में  आज भी गोबर जलाया जाता है इस संदर्भ में यहां प्रचलित है कि गौधन उपयोग से घर परिवार व्यधि मुक्त होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा और धन धान्य से संपन्न रहता है



 इसलिए भी गौधन की महत्वता और उसके नवीन उत्पाद एवं उपयोग के लिए जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल वन परिक्षेत्र में महिला स्व सहायता समूह को गौधन (गोबर )से धूप बत्ती, आकर्षक कलात्मक दीया, सबरानी कप, धुप बत्ती स्टैंड,मोबाइल स्टैंड , मोमेंटो, शुभ लाभ, मूर्तियां एवं अन्य घरेलू सामग्री निर्माण हेतु  नागपुर शहर के  प्रशिक्षित टीम के द्वारा लगातार तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्य शाला का आयोजन कर समूह की महिलाओं को दक्ष किया गया गोबर से सामग्री निर्माण कर कौशल उन्नयन  माध्यम से कांसाबेल परिक्षेत्र की स्व सहायता समूह आत्म निर्भर हो कर  इसे स्वरोजगार का साधन सृजन कर लिया है अब संतोषी महिला  स्व सहायता द्वारा  मधुबन गौ धूप बत्ती के नाम से इसका निर्माण और पैकेजिंग की जा रही है जिसका बेहतर प्रतिसाद स्थानीय स्तर पर प्राप्त हो रहा है



 कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी आगे बताती है कि संतोषी महिला स्व सहायता समूह द्वारा निर्मित मधुबनी गौ धूपबत्ती एवं उनके द्वारा निर्मित स्टैंड को काफी पसंद किया जा रहा है तथा गौधन प्रकृति उत्पाद की लगातार बढ़ती मांग को  ध्यान में रखते हुए वन विभाग संतोषी स्व सहायता समूह को पांच लाख का ऋण  चक्रीय निधि से प्रदाय किया गया ताकि गौधन से निर्मित सामग्री उत्पाद में धन की कमी न आए तथा मांग की पूर्ति सहजता पूर्वक की जा सके कांसाबेल  परिक्षेत्राधिकारी अनिता केशरवानी मैडम ने आगे बताया कि धूप बत्ती पांच अलग अलग फ्लेवर में निर्माण किया जा रहा है जिसमे हवन,चंदन,गुगुल, सबरानी, लोभान,इत्यादि शामिल है इसके फ्लेवर सुगंध में किसी रसायनिक पदार्थ का उपयोग नही किया जाता बल्कि नैसर्गिक लकड़ी,पत्तों, एवं, गोंद का उपयोग किया जाता है जो संपूर्ण वातावरण को महका देता है धूपबत्ती का एक पैकेट जिसमे  15 नग और स्टैंड का  मूल्य  30 रुपये रखा गया है जो हाथों हाथ खरीदा जा रहा है 


बताया गया है कि वर्तमान समय मे संतोषी महिला स्व सहायता समूह द्वार लगभग दस हजार रूपये की शुद्ध आय की प्राप्ति हुई है जिससे समूह की महिलाएं काफी उत्साहित है संतोषी महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष बताती है कि धूप बत्ती निर्माण पूर्णतः रसायन से मुक्त उत्पाद  है तथा इसमें सुगंध हेतु प्रकृति से प्राप्त चंदन,लोभान,व पत्तों के महीन बुरादे एवं सूखे गोबर को पीसकर छानकर उसके पावडर चूर्ण से  धूपबत्ती का निर्माण किया जाता है



 बेहतर सुगंध और लंबे समय तक जलने वाले मधुबन गौ उत्पाद धूप बत्ती की ख्याति और मांग निरन्तर बढ़ती जा रही है  धूपबत्ती की ख्याति और मांग का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि धूपबत्ती के लगभग पांच हजार पैकेट निर्माण किए जाने की तैयारी की जा रही है कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी अनिता केशरवानी मैडम का कथन है कि शीघ्र ही विभाग के माध्यम से ऑन लाइन बिक्री हेतु प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है जिसे संपूर्ण देश मे इसके विक्रय हेतु प्रयास किए जा रहे है कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी अनिता साहू मैडम  आगे बताती है कि गोबर से केवल मधुबनी गौ उत्पाद धुपबत्ती ही नही बल्कि बहुत सी कलात्मक वस्तुएं भी निर्माण किए जा रहे है जिनमें मुख्यतः कलात्मक दीए, धार्मिक चिन्ह, शुभ लाभ,मूतियाँ इत्यादि निर्माण किए जा रहे है इसके निर्माण हेतु गोबर सहित अन्य आर्गेनिक वस्तुएं मिक्स की जाती है जिससे कि इसके जुड़ाव और मजबूती प्रदान करता है जैसा कि हाल ही के बजट प्रस्तुति के समय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा गोबर से निर्मित सूटकेस का उपयोग कर प्रदेश वासियों को यह सन्देश देने का प्रयास किया  था कि गौधन से निर्मित उत्पाद के उपयोग से एक तो धन धान्य और लक्ष्मी की कृपा सदैव बरसती रहेगी तथा उपयोग पश्चात टूटफूट होने पर इसके नष्टीकरण से पर्यावरण सुरक्षित एवं  संरक्षित रहेगा इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए गोबर से निर्मित अनेक उत्पादों का निर्माण सांचे में ढालकर निर्माण किया जा रहा है पश्चात इसे प्राकृतिक रंग से पेंट कर आकर्षक बनाई जाती है जिसे आम जन देखते ही पसंद कर रहे है और क्रय कर अपने घरों की शोभा बढ़ा रहे है



 सबसे मजेदार बात यह है कि गौधन से निर्मित वस्तुएं बहुत ही हल्की फुल्की एवं सस्ते दाम में उपलब्ध हो जाती है जो एक आदमी के पहुंच में होता है कांसाबेल वन परिक्षेत्र के महिला स्व सहायता समूह द्वारा गोबर से निर्मित सामग्री और लगातार उसकी बढ़ती मांग को देखते हुए किए जा रहे कार्यों की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है यदि इसी तरह इसकी मांग बरकरार रही तो आने वाले समय मे प्रदेश भर की महिला स्व सहायता समूह द्वारा इसके प्रशिक्षण एवं नव उत्पाद में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर एक नए  आर्थिकी क्रांति युग का सूत्रपात कर सकती है जिसका उदाहरण कांसाबेल परिक्षेत्र के महिला स्व सहायता समूह ने परिक्षेत्राधिकारी अनिता केशरवानी मैडम के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रारंभ भी कर दी गई है जो प्रशंसनीय,एवं सराहनीय है

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

आयुर्वेद ग्राम दुगली के वन धन उत्पाद से छत्तीसगढ़ का हर्बल बना संजीवनी

 आयुर्वेद ग्राम दुगली के वन धन उत्पाद से छत्तीसगढ़ का हर्बल बना संजीवनी 


रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) वन  धन  का अर्थ प्रदेश भर में अच्छादित संपूर्ण वन क्षेत्रों में पाए जाने वाले वनोपज सहित  जैव विविधताओं, का आकूत भंडार होना है जो वन्य जीवों सहित पर्यावरण और प्रकृति के द्वारा होने वाले परिवर्तन में उसके विरुद्ध जैविक संरचनाओं के विविध नैसर्गिक पदार्थ उपलब्ध कराते है तथा प्रकृति सहित मानव जीवन को बचाने अपनी अहम भूमिका निभाते है यह सब प्रकृति की प्रक्रिया होती है जिसका ऋण मानव तो क्या कोई  भी करोड़ों की संपति देकर भी चुका नही सकता पर इस धरती पर विस्तृत भूभाग में अच्छादित वन से प्राप्त होने वाले वनोपज के रूप में मानव को ऐसे बहुत से आयुर्वेद औषधि प्रदान कर रखा है जो समस्त जीव जंतु  प्राणी सहित मानव के लिए किसी संजीवनी से कम नही  अर्थात वन एवं उनमें उगने वाले पेड़ पौधे से मिलने वाले वनोपज हमे पर्यावरण संतुलन के साथ ही हमारे स्वास्थ्य जीवन के प्रति कितने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इसका भान मनुष्य को तब होता है जब मानव के द्वारा निर्मित वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ उत्पादित विदेशी रसायनिक औषधियां असफल हो जाते है तब वहां प्रकृति खजाने के वनोपज एवं उससे निर्मित वनोत्पाद  मानव स्वास्थ्य के लिए किसी संजीवनी का कार्य प्रारंभ करता है जो किसी अमरत्व प्रदान करने से कम नही एक प्रकार से देखा जाए तो सही मायनों में वन धन यही है ऐसे वनोपज जो मानव को आर्थिक लाभ के साथ  जीवन स्वास्थ्य के लिए संजीवनी एवं उनको अमरता  प्रदान करने वाली वन  धन को सहेजने के उद्देध्य से ही प्रदेश का वन एवं जलवायू  विभाग द्वारा वन धन केंद्र स्थापित कर वनों से प्राप्त होने वाली  वनोपज के समर्थन मूल्य  तय कर वनवासी वनादिवासियो से क्रय कर आज उनके आर्थिकी,सामाजिकी उत्थान के रूप में संबल प्रदान कर रहा है तथा आज ऐसे वन वासी, वनादिवासी कृषक  कृषि सहित वनोपज संग्रहण के साथ उसके देशी उत्पाद में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर आत्मलंबी बन रहे है 



 धमतरी वन मण्डल अंतर्गत आयुर्वेद ग्राम दुगली का नाम आज देश के नक्शे में आयुर्वेद उत्पादक ग्राम  के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है यहां के प्रसंस्करण केंद्र में उत्पाद सामग्री आज देशभर में विक्रय किए जा रहे है आयुर्वेद ग्राम दुगली के 2009 से प्रोसेस यूनिट में तीखुर से लेकर शहद तथा वनोपज के अनेक  जीवनदायिनी उत्पाद निर्माण किए जा रहे है जो उसके लगातार लोकप्रियता के नए मापदंड तय कर रहा है इसका मिसाल तब देखने मिलता है जब ग्राम दुगली के उत्पाद एवं प्रदेश के अन्य वन प्रबंधन समितियों,महिला स्व सहायता समूह के द्वारा उत्पादित निर्मित वनौषधि, खाद्य सामाग्री,प्रदेश भर में छत्तीसगढ़ हर्बल के नाम पर वनौषधि विक्रय केंद्र संजीवनी के माध्यम से विक्रय की जा रही है तथा वन धन का सही उपयोग किया जा रहा है धमतरी वन मंडल अंतर्गत आयुर्वेद ग्राम दुगली के सन्दर्भ में एसडीओ टी आर वर्मा ने बताया कि  आयुर्वेद ग्राम दुगली में  वर्ष 2002 से धमतरी वन मंडल अंतर्गत दस युवा लड़कियों की एक छोटी से कोशिश जो महिलाओं द्वारा   पहली महिला स्व सहायता समुह के रूप में गठित की गई थी धमतरी वन मंडल का उद्देश्य पिछड़े और विकास से कोसों दूर वनवासियों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के माध्यम से उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने तथा आत्मनिर्भर बनाने हेतु  निर्माण किया गया था



सघन  वन क्षेत्र में मिलने वाले तीखुर शहद नीम,आंवला, इमली सहित अन्य वनोपज के माध्यम से लघु व्यवसायिक दृष्टिकोण से जागृति महिला स्व सहायता समूह का गठन कर उनके द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया इसके लिए धमतरी वन मंडल के तहत दस लाख का प्राथमिकी (लोन) ऋण लेकर एक छोटी सी शुरुआत की गई थी जागृति महिला स्व सहायता समूह के निरन्तर मेहनत,लगन, एवं विशुद्ध देशी वनोपज वन धन  से निर्मित उत्पाद को स्थानीय स्तर पर काफी पसंद किया गया जिनमे शहद से लेकर आंवला, नीम, इमली, दोनापत्तल,तीखुर,केतकी रस्सी,बैचांदी, एवं अन्य उत्पाद शामिल थे  जिसके सार्थक परिणाम सामने आए तथा आयुर्वेद ग्राम दुगली दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा जब यहां के देशी  वनोपज उत्पाद विस्तार के साथ और अधिक बढ़ने लगा तब इसके अन्य प्रोसेसिंग यूनिट भी बढ़ाए गए तथा नए नए यूनिट लगाए गए बिरगुड़ी रेंज के परिक्षेत्राधिकारी श्री दीपक कुमार गावड़े का कथन है कि वनों से प्राप्त वनोपज के सही  उत्पाद एवं निर्माण से  ग्राम दुगली  की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई है साथ ही वनोपज की अल्पता होने पर बहुत से औषधियों का उत्पाद महिला स्व सहायता समूह के मांग अनुसार कोलियारी नर्सरी में किया जाता है जिससे इन्हें औषधियों की कमी नही पड़ती तथा उनके ही द्वारा वर्मी कॉम्पोस्ट खाद से लेकर बहुत से वानिकी पौधों का उत्पाद भी महिला स्व सहायता समूह के द्वारा की जा रही है इस संदर्भ में दुगली आयुर्वेद ग्राम के परिक्षेत्राधिकारी नदीम कृष्ण बरिहा ने बताया कि यहां प्रसंस्करण केंद्र में महिला समूह पूरी तन्मयता,और निष्ठा ईमानदारी  से वनोपज औषधियों सहित अन्य निर्माण कार्य भी करती है जो अपने कार्यों में पारंगत है चाहे वह तीखुर साफ सफाई से लेकर पिसाई,सुखाई,एवं पैकेजिंग समस्त कार्यों अपने हिसाब से करती है  दुगली परिक्षेत्राधिकारी नदीम कृष्ण बरिहा ने आगे बताया कि स्थानीय समस्त  महिला स्व सहायता समूह आंवला दोना पत्तल  शहद नीम उत्पाद साबुन के अलावा अन्य उत्पाद का निर्वहन बड़ी कुशलता से करती है तथा वे आज क्षेत्र  दुगली का नाम रौशन कर रही है प्रसंस्करण केंद्र दुगली के प्रभारी मधुकर जी एवं कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि एच. डब्ल्यू. एफ.पी.के तहत ऐसे गैर काष्ठ वन  उत्पाद का संकलन ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है जिनमे जंगली शहद, इमली, आम, तेंदू पत्ता, साल के पत्ते, महुआ के बीज, नीम के बीज, करंज के बीज, महुआ के फूल और तेज़पत्ता इत्यादि शामिल हैं इसका संकलन करने से वार्षिकी टारगेट लगभग पूर्ण किया जाता है जिनमे तीन माह तीखुर बैचांदी सहित अन्य उत्पाद संपादित किए जाते है जिनमे उसके साफ सफाई के अलावा उसकी पिसाई इत्यादि शामिल है इसके पश्चात तीखुर पावडर को सूर्य की रौशनी में सुखाया जाता है जिसे बाद में आकर्षक पैकिंग इत्यादि की जाती है जो उपवास में काफी गुणकारी माना जाता है यही नही अन्य वनोंपज उत्पाद को भी छ माह एवं वार्षिकी स्तर पर उत्पाद एवं आकर्षक पैकेजिंग की जाती है जिसे स्थानीय स्तर पर एवं प्रदेश के रायपुर सहित अन्य स्थलों में विक्रय हेतु भेजा जाता है रायपुर में इसे बी मार्ट में आयुर्वेद उत्पाद को वितरक के माध्यम से संग्रहित कर अन्य स्थलों पर इसका विक्रय मांग अनुरूप किया जाता है एक प्रकार से रायपुर स्थित बी.मार्ट  मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर है जहां से उत्पाद मांग एवं क्षमता अनुसार  भेजी जाती है



कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन ने आगे  बताया कि  (NTFP)नॉन टिम्बर फॉरेस्ट प्रोडक्ट के तहत प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले ऐसे उत्पाद हैं जो एक विशेष मौसम पर निर्भर होते हैं। वनों में निवासरत वनवासी एवं मूल जनजातियाँ मार्च-जून महीने के दौरान जो  वनो के उपज अर्थात वन धन  संग्रहण काल का होता है उसके  समर्थन  मूल्य विक्रय से ही वनवासियों के कुल वार्षिक आय का 50/प्रतिशत से अधिक आय वनोपज के बिक्री कर अर्जित कर लिया जाता  हैं। इससे ऐसे वनवासियों,आदिवासियों को उनके द्वारा संग्रहित वनोपज का राज्य शासन के द्वारा  निर्धारित समर्थन मूल्य  की दर से वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा खरीदी किया जाता है जिससे वनवासियों,वनादिवासियों को वनोपज का सही लाभ प्राप्त हो जाता है साथ ही वर्षों से बिचौलिए एवं ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण से इनकी  सुरक्षा भी हो जाती है अब पूर्व की भांति से वनों में वर्षो से निवासरत कमार,सहित जनजाति, वनवासियों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है तथा प्रदेश के वनोपज सहकारी संघ के निर्धारित दर पर ही अपने कच्चे वनोपज का विक्रय करते है  वही सहकारी संघ की दूरी या विशेष परिस्थितियों में  सीधे तौर पर भी समीप स्थित विभाग अथवा आयुर्वेद ग्राम दुगली के द्वारा वनोपज क्रय कर लिया जाता है दुगली प्रोसेसिंग सेंटर के कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन ने आगे बताया कि वर्तमान प्रोसेसिंग सेंटर से लगभग 30 महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं संलग्न है जो वनोपज उत्पाद, से क्रय तक उसके साफ सफाई सहित अन्य 25 से ऊपर प्रकार के वन उत्पाद से बड़ी स्वच्छता एवं सावधानी पूर्वक सामग्री निर्माण करती है जैसे आयुर्वेद ग्राम दुगली मे आंवला के तीन से चार  प्रकार के वेरायटी निर्माण किए जाते जिनमे आंवला जूस ,आंवला नमकीन  कैंडी, आंवला लच्छा आदि शामिल है  उसी प्रकार अन्य नौ प्रकार के चूर्ण अर्जुन तुलसी चूर्ण,अश्वगंधा, शतावर,कालमेघ,त्रिफला चूर्ण ,तीखुर पावडर, जैसे अनेक  वनोपज उत्पाद  शामिल किया गया इसमें शहद प्रोसेसिंग की एक अलग यूनिट इकाई लगाई गई है जो पहले वनों से लाए गए शहद को  50 से साठ डिग्री फेरन हीट  तापमान में उसे कीटाणु रहित किया जाता है पश्चात इसमें लगे छाते को पृथक कर बड़ी सावधानी पूर्वक अन्य प्रोसेसिंग के बाद शहद की पैकेजिंग की जाती है दुगली प्रोसेसिंग यूनिट के कार्यपालक प्रतिनिधि वेद प्रकाश देवांगन आगे बताते है कि हमारे दुगली आयुर्वेद ग्राम के औषधि, चूर्ण, तेल,खाद्य वस्तुओं, सहित अन्य जनोपयोगी उत्पाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जनजातीय कार्य मंत्रालय(ट्राइफेड) भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट मालकांगनी तेल निर्माण को लेकर गत वर्ष 2021में वन धन विभाग को द्वितीय पुरुस्कार दिया गया जो धमतरी वन मंडल अन्तर्गत हमारे आयूर्वेद ग्राम दुगली के विकास,उन्नति, प्रगति के क्षेत्र में नए अध्याय के रूप में अंकित हुआ  है वर्तमान कोरोना काल मे आई भयावह विपदा को ध्यान में रखकर धमतरी वन मंडल अंतर्गत कोलियारी नर्सरी में 26 हजार से ऊपर एलोवेरा  पौधों का उत्पाद किया गया था जो स्थानीय आयुर्वेद ग्राम दुगली महिला स्व सहायता समूह के द्वारा संपादित किया गया था  उनके द्वारा ही एलोवेरा के पौधे की बडे पत्ते का उपयोग कर विभिन्न उत्पाद किए जा रहे है जिनमें एलोवेरा जूस,बॉडी जेल,शैम्पू, साबुन ,हैंडवॉश, निर्माण किए गए जिसका स्थानीय स्तर से अधिक शहरों  के बाजारों में अच्छा प्रतिसाद मिला है इसके लिए बी.मार्ट के माध्यम से  विक्रय हेतु बड़ा बाजार तैयार हो चुका है 



श्री देवांगन ने आगे बताया कि धमतरी जिला यूनियन अंतर्गत तीन अन्य प्रोसेसिंग यूनिट सफलता पूर्वक संचालित की जा रही है जिनमे मुख्यतः ग्राम सांकरा,केरेगांव,एवं बिरगुड़ी में  भी वनोपज से औषधि युक्त सामग्री निर्माण की जा रही है ग्राम सांकरा  सफेद मूसली के लड्डू जो बलवर्धक माना गया है उसका उत्पाद किया जाता है बिरगुड़ी रेंज में हर्बल हवन सामग्री उत्पादन होता है तथा केरे गांव में धूपबत्ती सहित अन्य जनोपयोगी सामग्री का सफल संचालन स्थानीय महिला स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियां संचालित कर रही है   वही वनोपज से औषधि एवं अन्य प्रकृति उत्पाद के प्रोत्साहन को लेकर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा अनुषांगिक धड़े को तैयार किए हुए है वैसे प्रदेश भर मे वन विभाग द्वारा ऐसे  छोटे बड़े, स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियों के आर्थिक उत्थान हेतु  सदैव सहयोग एवं लोन प्रक्रिया में महती भूमिका का निर्वहन करता ही है परंतु इसके अलावा भी औषधि पादप बोर्ड,वनोपज सहकारी संघ,वन धन केंद्र जैसी सहयोगी संस्थान भी वनवासियों, को औषधि की खेती और उसके उत्पाद हेतु कृषकों हितग्राहियों को लोन प्रदाय करती है तथा उसमे सब्सिडी देने का प्रावधान भी मौजूद है 




इस सिलसिले मे नवा रायपुर अटल नगर स्थित वन धन भवन केंद्र मुख्यालय के वरिष्ठ कार्यकारी संचालक श्री अमरनाथ प्रसाद साहब से कुछ माह पूर्व की गई चर्चा का स्मरण हो रहा है जब दुर्ग पाटन स्थित नए प्रोसेसिंग यूनिट का आधारशिला प्रदेश के  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा रखी जा रही थी तब वन धन भवन मुख्यालय में हुई संक्षिप्त भेंट में उन्होंने बताया था कि पाटन के बृहद भूभाग में वनोपज एवं शुद्ध देशी औषधियों के आधुनिक प्रोसेसिंग सेंटर निर्माण किया जाएगा इसके रॉ मटेरियल, स्वयं वन विभाग उपलब्ध कराएगी वन धन केंद्र  के  कार्यकारी संचालक श्री अमरनाथ प्रसाद साहब ने आगे बताया कि ऐसे प्रयास किए जा रहे है कि प्रोसेसिंग सेंटर को निजी हाथों महिला स्वयं सहायता समूह समाजिक संस्थान अथवा किसी हर्बल उत्पाद कंपनी के साथ अनुबंध समझौता कर गठ बंधन  किया जाएगा जिसकी लाभांश राशि राज्य शासन को प्राप्त होगी वही सुप्रसिद्ध आयुर्वेद कंपनी, संस्थानों के साथ अनुबंध गठबंधन से स्थानीय छत्तीसगढ़ हर्बल की पृथक पहचान निर्मित होगी  अथवा उसके बैनर तले छत्तीसगढ़ वनोपज एवं औषधियों का विक्रय भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर ढंग से हो सकेगा उत्तरोत्तर विकास की राह में अग्रसर वन धन के सहयोग से संचालित छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पाद संजीवनी के माध्यम से एक विशाल बाजार तथा लोगों को आयुर्वेद की ओर आकर्षित करने का  दायित्व पर खरा उतारने वन धन के प्रबंधक श्री  संजय शुक्ला साहब की दूरदृष्टि और अनुभव  की प्रशंसा करना अनिवार्य हो जाता है कि आज उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश भर में वन विभाग के अधीन  संचालित अनेक महिला स्व सहायता समूह ,वन प्रबंधन समितियां ,एवं वन सुरक्षा समितियों के समाजिक और  आर्थिक विकास हेतु वनोपज से लाभ के उद्देश्य से उनके पारंपरिक ज्ञान का सदुपयोग करते हुए औषधियों सहित अन्य वस्तुओं का उपरोक्त समूहों के माध्यम से  निर्माण उनके आर्थिक सामाजिक उत्थान के न केवल सेतु बने बल्कि उनके द्वारा निर्मित उत्पाद एवं छत्तीसगढ़ हर्बल को नई पहचान निर्मित करने उसके विक्रय हेतु संजीवनी केंद्र का आधुनिक,आकर्षक ,शॉप निर्माण करवाया जो आम लोगों के कौतूहल के साथ आकर्षण का केंद्र बिंदु भी बना  मानव के स्वास्थ्य निराकारण वाली वनोत्पाद औषधियां,खाद्य पदार्थ से लेकर तेल साबुन शैम्पू तक एक ही छत के नीचे उपलब्ध करा कर वन धन के नाम एवं उसके महत्व को परिभाषित कर भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गए है



  इसके लिए वन धन केंद्र के डायरेक्टर श्री संजय शुक्ला साहब ने भिन्न भिन्न योजनाओं के माध्यम से अपने अधीनस्थ अधिकारीयो को  जंगलों में निवासरत वन वासियों और वनादिवासियों के बीच पहुंचाकर उन्हें जागरूक करना विभिन्न क्षेत्रों में वनोपज एवं उसके उत्पाद से उन्हें होने वाले लाभ से अवगत कराना भी किसी चुनौती से कम नही था फिर भी उन्होंने अपने अधिकारियों को उनके ही क्षेत्रों में कार्यशाला लगाकर वन वासियों के निरन्तर चहुमुंखी विकास के पथ में अग्रसर करते रहे इसके लिए बाकायदा वन धन के मुख्यालय में अधिकारी आनँद बाबू जैसे दक्ष अधिकारी के देखरेख में बस्तर सहित अनेक अन्य पिछड़े और अविकसित क्षेत्रों में कार्यशाला का आयोजन कर भिन्न भिन्न वनोपज वस्तुएं,औषधियां, खाद्य वस्तुएं इत्यादि का सफल प्रशिक्षण द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण, स्वावलंबी और आत्म निर्भरता का नया अध्याय विकसित कर दिया  वन धन विकास केंद्र के द्वारा समय समय पर पिछड़े और अविकसित क्षेत्रों में ऐसे  विशाल कार्यशाला का आयोजन कर वनोपज से मिलने वाली वस्तुएं, औषधियों के  प्रचार प्रसार गतिशीलता प्रदान करने का ही परिणाम रहा कि आज छत्तीसगढ़ हर्बल  के निर्मित औषधियों का बहुत बड़ा  बाजार खुला हुआ और विकसित है जो छत्तीसगढ़ हर्बल के संजीवनी नाम से प्रत्येक नगर शहर,महानगर में दृष्टिगोचर हो रहे है जिसका अच्छा प्रतिसाद भी अब मिल रहा है अब लोगों का रुझान बकायदा वनोपज उत्पाद सामग्री की ओर बढ़ रहा है लोग साबुन तेल से लेकर खाद्य वस्तुओं आचार पापड़ से लेकर विशुद्ध देशी औषधियों का क्रय कर रहे है यही नही औषधि पादप बोर्ड विभाग तो बकायदा पारंपरिक वैधराज  की सेवाएं भी ले रहे है तथा उनके मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ हर्बल के संजीवनी से औषधियां प्राप्त की जा रही है एक प्रकार से देशी औषधियों का विशाल बाजार प्रदेश में विभाग के द्वारा संचालित हो रहा है तथा इसका प्रतिसाद भी पहले से बेहतर मिल रहा है अब लोगों में जागरूकता आ रही है कि आदि काल मे ऋषि मुनियों और तपस्वियों ने जिस तपस्या के साथ मानव स्वस्थ हित की सुरक्षा के लिए देशी वनोपज   से असंख्य औषधियों की खोज की थी वह नई 21 सदी के आधुनिक सोच ने बिसरा दिया था परन्तु ईश्वरीय प्रकोप कोरोना के आने के पश्चात वनौषधि  गिलोय,चिरायता से लेकर अन्य वनोपज के अनवरत उपयोग से जिस तरह चमत्कारिक रूप से उंसके परिणाम सामने आए वह विस्मृत कारी कर देने वाला रहा  तथा प्राकृतिक औषधियों के  समक्ष मानव नतमस्तक हो गया  मानव का रुझान पुनः प्राचीन देशी औषधियों के प्रति  बढ़ रहा है बेशक, मानव आधुनिक दवाओं का उपयोग न करे ऐसा नही कहते मगर आम व्यक्ति जिसकी आय इतनी कम है कि वह महंगी और पहुंच से बाहर विदेशी अंग्रेजी दवाइयों का उपयोग कर सके उसके लिए   प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमूल्य औषधियां भी ईश्वरी देन है जो आज भी उतनी ही प्रभावशाली और असरकारक है जितनी सतयुग मे  प्रभु राम के भ्राता श्री लक्ष्मण के लंका युद्ध के दौरान हुए प्रहार से मृतप्रायः अचेतना के लिए श्री पवन पुत्र हनुमान जी के द्वारा लाए गए संपूर्ण पहाड़ से जगमग करते आयुर्वेद औषधियों की पत्तियां किसी संजीवनी से कम नही थी  वैसे भी छत्तीसगढ़ प्रदेश की पावन धरा  वनवास काल में प्रभु श्री राम के वन गमन के दौरान हुए चरण स्पर्श से ही यह धरा धन धन्य से परिपूर्ण हो चुका है यहां का प्रत्येक कण सोना  और प्रत्येक पत्ता औषधि है केवल आवश्यकता है अब उन पत्तो और बूटा के शोध की जो ईश्वरीय संरचना  का अमृतपान कराने पर्याप्त है जिसके अवगुण तलाशने और तराशने वन विभाग प्राचीन रीत पद्धति के साथ आधुनिक शोध कर नए उत्पाद पर जोर दे रही है प्रकृति द्वारा प्रदत्त औषधियों के प्रति लोगों का लगातार रुझान और मांग को देखते हुए वन विभाग  नए वित्त वर्ष में छत्तीसगढ़ हर्बल और उसके उत्पाद शुल्क में आठ से दस  प्रतिशत  वृद्धि पर विचार कर रहा है जो शीघ्र ही विभागीय बैठक पश्चात इसके मूल्य वृद्धि पर मुहर लग सकती है 

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

तपकरा परिक्षेत्र में खरपतवार लेंटाना वेस्ट से बेस्ट सामग्री निर्माण कर स्वावलंबी बन रही वन प्रबंधन समितियां

 तपकरा परिक्षेत्र में खरपतवार लेंटाना वेस्ट से बेस्ट सामग्री निर्माण कर स्वावलंबी बन रही वन प्रबंधन समितियां

छत्तीसगढ़ वनोदय 

छत्तीसगढ़ के नाम से ही यह भान हो जाता है कि प्रदेश में अवश्य ही छत्तीस राज्यों का (गढ़)रहा होगा जहां अपनी अपनी रियासत में राजा राज करते रहे हैं इन्ही रियासतों में प्रदेश के अंतिम सिरे में जशपुर क्षेत्र का राज्य भी काफी सुप्रसिद्ध, रहा है अंतिम छोर इसलिए कि यहां पर झारखंड राज्य का सीमा लगती है तो दूसरी ओर उड़ीसा बॉर्डर भी है पूर्वकाल में यहां डोम वंशी राजाओं का राज रहा था तत्कालीन जशपुर राज क्षेत्र काफी विस्तृत,एवं समृद्ध शाली रहा था भगौलिक परिस्थिति भी अनुकूल, मनोहारी और आकर्षक रहा है यहां चारों ओर समानांतर ऊंचाई लिए पर्वतीय क्षेत्र तथा उनसे गिरते अनेक झील चाहे वह राजपुरी झील,रानी दाह ,गुल्लू,दंगारी झील हो या फिर बादलखोल वाइल्ड लाइफ ही क्यों न हो संपूर्ण क्षेत्र रमणीय एवं मनमोहक है जशपुर की धरती और मिट्टी में उर्वरता एवं समृद्ध जैव-विविधता, पर्याप्त गौण खनिज , बेहतर  जल स्त्रोत के साधन , शांत वातावरण और ईमानदार, मेहनती, शांतिप्रिय निवासी यहां की थाती है जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र  जो साल,सागौन जैसे इमारती काष्ठों वाले पेड़ों के विशाल  वन क्षेत्र से घिरे होने के बावजूद यहां पर गजदल की आमद सदैव बनी रहती है यहां के निवासियों में यह भय सदैव बना रहता है कि कब यहां हाथियों का आगमन हो जाए और उनके परेशानियों,एवं कठिनाइयों  का दौर प्रारंभ हो जाए इसके लिए जशपुर वन मंडल द्वारा जनजागरण सहित अनेक उपाय कर आम लोगों को हाथी मानव द्वंद एवं बचाव सुरक्षा के लिए उन्हें जागरुक करते रहते  है  एक प्रकार से तपकरा वन परिक्षेत्र के निवासी हाथी दल के खतरे के साथ डर और भय के साए में अपना जीवन व्यतीत करने विवश है


फिर भी इस  दहशत भरे वातावरण में प्रदेश वन विभाग के जनहित,कल्याणकारी योजनाओं को वास्विकता की धरा पर पूर्ण  ईमानदारी से उतारने एवं लोगो के सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था सुदृढ करने के उद्देश्य से युवा, जुझारु,निडर,कर्तव्य निष्ठ  परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी द्वारा स्थानीय तपकरा परिक्षेत्र के निवासियों के लिए रोजगार सृजन के नए नए अवसर तलाश कर उनके आर्थिक सुदृढ़ता का मार्ग प्रशस्त कर रहे है जिससे स्थानीय तपकरा परिक्षेत्र के निवासियों में दहशत भरे माहौल में एक नई सोच के साथ नई ऊर्जा का संचार हुआ है 



 जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र में इस समय वन विभाग के जन विकास  उन्मुखी कार्यों को लेकर यदि  सर्वाधिक चर्चा का विषय है तो वह है  खरपतवार पौधे लेंटाना से फर्नीचर एवं अन्य प्रकार की सामग्रियों का निर्माण कराना है जिससे तपकरा के तीन स्वयं सहायता वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से खरपतवार लेंटाना से कुर्सी, टेबल, सोफासेट,दर्पण हैंगर,मोबाइल स्टैंड,फ्लावर पॉट,पेन स्टैंड,चाय ट्रे,टोकनी,घरेलू छोटा मंदिर,छोटा स्टूल सहित अनेक सामग्रियों का बड़ी दक्षता के साथ निर्माण कर वहां के वन प्रबंधन समिति स्व सहायता समूह के पुरुष/महिला   स्वावलंबन एवं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बड़ा रहे है इस कार्य हेतु तीन स्वयं सहायता समूह जिनमे मुख्यतः आराध्य स्वयं सहायता समूह, बलुआ बहार वन प्रबंधन समिति एवं अंकिरा वन प्रबंधन समिति इस कार्य को संपादित कर प्रति माह पांच से दस हजार रुपये का स्थानीय विक्रय कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है यही नही स्थानीय कुशल कारीगर स्वयं व्यक्तिगत रूप से भी वन क्षेत्रों से खरपतवार  लेंटाना की साइज़ वाली टहनी काटकर  भिन्न भिन्न आकार प्रदान कर उपरोक्त मानव जीवन मे उपयोगी सामग्री का निर्माण कर निज उपयोग भी कर रहे है लेंटाना पौधे के संदर्भ में बताया जाता है कि यह एक जंगली खरपतवार पौधा है जो प्रायः वन क्षेत्रों सहित अनेक स्थलों पर दृष्टिगोचर हो जाते है यह पुष्प गुच्छ धारित पौधा होता है  जिसमे अनेक प्रकार के छोटे छोटे रंग बिरंगे फूल गुच्छ लगते है जो बड़े आकर्षक होते है  पूर्व में इसका मानव जीवन मे कोई लाभ अथवा महत्व नही  था परन्तु इसके गुणवत्ता के बारे में यह प्रचलित था कि इसका उपयोग  औषधि,फर्नीचर,विधुत,सहित अन्य ब्रिकेट्स  के रूप में भी किया जा सकता  है इस संदर्भ में तपकरा परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी का कथन है कि संभवतः लेंटाना विदेशी खरपतवार है जिसे अंग्रेज एवेन्यू प्लांट के रूप में भारत लाए थे जो धीरे धीरे जंगल मे बढ़ गया अब इसके उन्मूलन हेतु विभाग राशि व्यय करती परन्तु यह पुनः स्थापित हो जाते तब हमने वेस्ट से बेस्ट बनाने का निर्णय लिया तथा तात्कालिक डीएफओ जाघव श्रीकृष्ण साहब से चर्चा कर एक कार्य योजना बनाया चूंकि योजना जनहितकारी एवं लाभ पहुंचाने वाली थी जिसे उन्होंने हरी झंडी दे दी अल्प राशि से हमने महिला स्व सहायता वन प्रबंधन समिति को इसके निर्माण में संलग्न किया तथा दस दिनों तक लगातार दक्ष,एवं प्रशिक्षित कारीगरों के द्वारा तपकरा में रहकर समिति के महिला/पुरुष को प्रशिक्षण दिया गया पश्चात हमने इस पर कार्य प्रारंभ किया जिसके सारगर्भित अनुकूल परिणाम सामने आए


तब हमने अनुपयोगी,खरपतवार, लेंटाना जैसे वेस्ट से बेस्ट सामग्री का निर्माण प्रारंभ किया तथा भिन्न भिन्न मानव उपयोगी  आवश्यक सामग्रियों  का निर्माण किया जिसे स्थानीय नागरिकों सहित  प्रदर्शित हाट बाजारों मेला आयोजनों में इसके स्टॉल लगाए गए जिसका  अच्छा प्रतिसाद मिला लेंटाना से निर्मित सामग्रियों के विक्रय से वन प्रबंध समितियों, स्वयं सहायता समूह को  प्रति माह पांच से दस हजार रुपये का लाभ प्राप्त हुआ जो तपकरा परिक्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी तथा स्थानीय लोगों के रोजगार के मार्ग में यह योजना  मील का पत्थर साबित हुई और कम दाम में खरीददारों को भी बेहतर और टिकाऊ सामग्री मिलने लगी जिससे इसकी चर्चा संपूर्ण जशपुर वन मंडल में होने लगी  तपकरा परिक्षेत्र के रेंजर अभिनव केशरवानी का कथन है कि आज वन प्रबंधन समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों के लिए वेस्ट लेंटाना से बेस्ट आय का साधन बन गया है यहां के ग्रामीण अब सामाजिक और आर्थिक सुदृढ़ता  की ओर अपने  कदम बढ़ा रहे है जिन्हें देखकर मन गदगद हो जाता क्योंकि तपकरा परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी की नियुक्ति हुए लगभग तीन वर्ष ही हुए है तथा प्राकृतिक और पर्यावरण से प्रेम होने की वजह से उन्होंने राजकीय वन सेवा से वनों के संरक्षण संवर्धन,एवं इसके निरन्तर विकास,विस्तार के उद्देश्य से ही वन सेवा जॉब का चयन किया  यह भी बड़े ही अचरज का विषय रहा कि उनकी पहली पोस्टिंग भी वर्ष 2019  फरवरी माह में जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र में हुई जो एक हाथी प्रभावित क्षेत्र माना जाता है यहां वर्ष भर गजदल की आमद ओ रफ्त रहती है अनेक घटनाएँ,दुर्घटनाएं गजदल,और मानव के मध्य होने वाले द्वंद की वजह से होती रहती है जहां का प्रत्येक निवासी दहशत के साए में अपना जीवन निर्वहन करते रहा है उन्हें सदैव भय बना रहता था कि कब किस दिशा से हाथियों का दल आ कर संपूर्ण क्षेत्र को तहस नहस कर दे ऐसे में उनकी प्रथम पोस्टिंग ही बड़ी रोमांचकारी कहा जा सकता है जहां प्रतिदिन  ग्रामीणों एवं गजदल के मध्य होने वाले  द्वन्द से जानमाल की सुरक्षा का दायित्व और साथ ही अप्रवासी वन्यप्राणी हाथियों की सुरक्षा दोनों में समन्वय बनाकर चलना बड़ा दुरूह कार्य था फिर भी वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश के साथ ग्रामीणों में जन जागरूकता का पाठ पढ़ाना नए उपायों के साथ उनके खेत,फसल,जानमाल की सुरक्षा में ही काफी समय व्यतीत हो जाता




 तपकरा परिक्षेत्र अधिकारी अभिनव केशरवानी ने आगे बताया कि गजदल के आक्रमकता से लोगों को सचेत और सजग करने के उद्देश्य से तपकरा परिक्षेत्र के अनेक ग्राम पंचायतों समाज सेवी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थाओं, आंगन बाड़ी, हाट ,बाजारों, वॉल पेंटिंग,जिला प्रशासन के जन चौपाल सहित 365 दिन गश्ती दल और समय समय पर ग्रामीणों से परिचर्चा तथा टीवी में चलचित्र के माध्यम से जन जागरूकता लाने का सतत प्रयास किया जाता रहा  जिससे लोग शनैः शनैः काफी जागरूक हुए रेंजर अभिनव केशरवानी आगे बताते है कि हाथियों की लगातार चहल पहल तथा मानव जीवन मे दखल से  ऐसे दहशत भरे वातावरण में आसपास के ग्रामीणों के रोजगार में काफी प्रभाव पड़ा उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी तब जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र में उनके रोजगार एवं आर्थिक विकास हेतु नए प्रयास किए गए तात्कालिक अधिकारी डीएफओ जाघव श्री कृष्ण साहब से चर्चा कर लेंटाना जैसे वेस्ट से बेस्ट सामग्री उत्पाद निर्माण के बारे में चर्चा कर उसे अमलीजामा पहनाया गया पूर्व प्रशिक्षित एवं दक्ष लोगों  से स्थानीय निवासियों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षण दिया गया तथा ऐसा कार्य जो कभी छग प्रदेश के किसी भी वन मंडल अंतर्गत नही हुआ हमने लेंटाना से  ऐसे जनोपयोगी  सामग्रियों का निर्माण प्रारंभ किया  जिसके आशातीत परिणाम परिलक्षित होने लगे परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी ने आगे बताया कि लेंटाना जो पूर्व में अनुपयोगी खरपतवार के रूप में जाना पहचाना जाता था अब वही लेंटाना बांस का वैकल्पिक रूप के रूप में देखा जाने लगा है वन प्रबंध समिति एवं स्व सहायता समूह के द्वारा किए जाने वाले  घरेलू  आवश्यक उपयोगी उत्पाद ने आम जन के आचार विचार और सोच में परिवर्तन ला दिया और अब  इसकी उपयोगिता और महत्वता का आभास होने पर इसके संरक्षण पर विचार  की बात कही जा थी है 



लेंटाना के सामग्री निर्माण के संबध में श्री केशरवानी बताते है कि वनों से संग्रहण पश्चात दस दिनों के भीतर ही इसका सामग्री अथवा वस्तुएं  निर्माण करना अति आवश्यक हो जाता है  यदि इसका उपयोग नियत और निर्धारित समय पर नही किया गया तो यह बर्बाद हो जाता है सामग्री निर्माण के पूर्व ही इसे जिस साइज में सामग्री निर्माण करना होता है  इसे वनों से भिन्न भिन्न साइज में काट कर लाया जाता है पश्चात ऊपरी सतह छिल कर  वांच्छित स्वरूप मे आकर दिया जाता है सामग्री निर्माण में मुख्यतः  हंसिया,हथौड़ी कील,रेतमल,आरी,कटर,फेविकोल, टचवुड इत्यादि प्रमुख औजार है जिसकी सहायता से टेबल,कुर्सी सोफासेट,मोबाइल ट्रे सहित अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है  लेंटाना फर्नीचर अथवा सामग्री निर्माण को लेकर सर्वाधिक आश्चर्य का विषय यह है कि निर्मित सामग्री वस्तुओं  में दीमक इत्यादि कभी नही लगते तथा यदि इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह लगभग बीस वर्षों तक टिकाऊ एवं मजबूत रहता है एक प्रकार से इसे सागौन का मिश्रित स्वरूप भी माना जाता है  यही नही  खरपतवार रूपी उक्त लेंटाना पौधों के अवशेष भी उपयोगी होते है इसके अपशिष्ट छिलके चुरा तत्वों से भी कोलब्रिक्स निर्माण किया जा सकता है साथ ही इसके छिलके जलाने से मच्छर भी भाग जाते है  लेंटाना वेस्ट से बेस्ट कार्य जिसके द्वारा फर्नीचर एवं अन्य बहु जन उपयोगी सामग्री वस्तुएं निर्माण की सराहना और प्रशंसा वर्तमान डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय साहब  ने भी की है तथा इसके विस्तार और उन्नयन हेतु सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया है उनका कथन है कि लेंटाना रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम है जिसमे भविष्य में लागत कम एवं बेहतर आय का स्रोत सृजन किया जा सकता है  इससे वन मंडल जशपुर के अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र के अधिक से अधिक संख्या में ग्रामीण जन इस विभागीय योजना से  संलग्न होकर लाभ अर्जित करना चाहते है यही वजह है कि अनेक लोग प्रशिक्षित होकर स्वयं का व्यवसाय भी लेंटाना फर्नीचर,सामग्री,वस्तुएं  निर्माण कर उसका विक्रय कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे है ऐसे आर्थिक क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए रेंजर अभिनव केशरवानी साहब  अपने वरिष्ठ अधिकारी जशपुर वन मंडल के पूर्व डीएफओ जाघव श्रीकृष्ण साहब वर्तमान डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय साहब तथा एसडीओ नवीन निराला साहब (कुनकुरी)  एवं  रेंजर कांसाबेल श्रीमती अनिता साहू केशरवानी का  सहयोग एवं मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देना नही भूलते तथा कहते है कि जिन्होंने समय समय पर इसके निर्माण,विस्तार हेतु मार्गदर्शन देते रहे उपरोक्त अधिकारियों के सहयोग से ही एक असंभव कार्य  के संभव करने की प्रेरणा मिलता रहा  तपकरा परिक्षेत्राधिकारी  अभिनव केशरवानी साहब का कथन है कि स्थानीय लोगो को लेंटाना सामग्री हेतु अधिक से अधिक प्रोत्साहित कर उन्हें रोजगार में संलग्न करने वे सदैव प्रयासरत है तथा बंबू से कुर्सी टेबल एवं अन्य निर्माण सामग्री तो बहुत देखे है परन्तु लेंटाना से फर्नीचर सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण देखना किसी विस्मयकारी से कम नही है  उनका कथन है कि यह छत्तीसगढ़ प्रदेश वन विभाग का इकलौता ऐसा प्रोजेक्ट है जो लेंटाना  वेस्ट से बेस्ट सामग्र,वस्तुएं निर्माण कर अतिरिक्त आय का साधन बनाया जा सकता है बस, इसके विक्रय हेतु बेहतर प्लेटफार्म की आवश्यकता है जिसके लिए भी प्रयास किए जा रहे है फिलहाल अभी स्थानीय स्तर पर इसका विक्रय किया गया  है उन्होंने आगे बताया कि उक्त योजना का क्रियान्वयन  प्रदेश के अन्य वन मंडलों में भी हो यह उनकी हार्दिक इच्छा है क्योंकि लेंटाना पौधों की खरपतवार प्रदेश भर में फैली है तथा यह बड़ी सहजता से प्राप्त हो जाता है  आगे कोई असुविधा न हो इसके सामग्री निर्माण और इस के विस्तार और  परीक्षण के संबंध में वे कहते है यदि प्रदेश के विभिन्न वन मंडलों में वेस्ट लेंटाना से बेस्ट वस्तुएं, निर्माण के इच्छुक वन मंडल आवश्यकता पड़ने पर हमारे यहां के प्रशिक्षित प्रबंधन समिति के सदस्यों को प्रदेश के अन्य वन मंडलों में जाकर प्रशिक्षण देने हेतु तैयार हो चुके  है जिन्हें प्रशिक्षण अथवा लेंटाना निर्मित सामग्री निर्माण की अभिरुचि हो वे तपकरा वन मंडल से सहयोग ले सकते है तथा अपने परिक्षेत्रों में वेस्ट लेंटाना से बेस्ट सामग्री वस्तुओं का निर्माण करवा ग्रामीणों,वन प्रबंधन समितियों के साथ विभाग को भी अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम निर्मित कर  रोजगरउन्मुखी कार्यों को गति प्रदान कर सकते है