तपकरा परिक्षेत्र में खरपतवार लेंटाना वेस्ट से बेस्ट सामग्री निर्माण कर स्वावलंबी बन रही वन प्रबंधन समितियां
छत्तीसगढ़ वनोदय
छत्तीसगढ़ के नाम से ही यह भान हो जाता है कि प्रदेश में अवश्य ही छत्तीस राज्यों का (गढ़)रहा होगा जहां अपनी अपनी रियासत में राजा राज करते रहे हैं इन्ही रियासतों में प्रदेश के अंतिम सिरे में जशपुर क्षेत्र का राज्य भी काफी सुप्रसिद्ध, रहा है अंतिम छोर इसलिए कि यहां पर झारखंड राज्य का सीमा लगती है तो दूसरी ओर उड़ीसा बॉर्डर भी है पूर्वकाल में यहां डोम वंशी राजाओं का राज रहा था तत्कालीन जशपुर राज क्षेत्र काफी विस्तृत,एवं समृद्ध शाली रहा था भगौलिक परिस्थिति भी अनुकूल, मनोहारी और आकर्षक रहा है यहां चारों ओर समानांतर ऊंचाई लिए पर्वतीय क्षेत्र तथा उनसे गिरते अनेक झील चाहे वह राजपुरी झील,रानी दाह ,गुल्लू,दंगारी झील हो या फिर बादलखोल वाइल्ड लाइफ ही क्यों न हो संपूर्ण क्षेत्र रमणीय एवं मनमोहक है जशपुर की धरती और मिट्टी में उर्वरता एवं समृद्ध जैव-विविधता, पर्याप्त गौण खनिज , बेहतर जल स्त्रोत के साधन , शांत वातावरण और ईमानदार, मेहनती, शांतिप्रिय निवासी यहां की थाती है जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र जो साल,सागौन जैसे इमारती काष्ठों वाले पेड़ों के विशाल वन क्षेत्र से घिरे होने के बावजूद यहां पर गजदल की आमद सदैव बनी रहती है यहां के निवासियों में यह भय सदैव बना रहता है कि कब यहां हाथियों का आगमन हो जाए और उनके परेशानियों,एवं कठिनाइयों का दौर प्रारंभ हो जाए इसके लिए जशपुर वन मंडल द्वारा जनजागरण सहित अनेक उपाय कर आम लोगों को हाथी मानव द्वंद एवं बचाव सुरक्षा के लिए उन्हें जागरुक करते रहते है एक प्रकार से तपकरा वन परिक्षेत्र के निवासी हाथी दल के खतरे के साथ डर और भय के साए में अपना जीवन व्यतीत करने विवश है
जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र में इस समय वन विभाग के जन विकास उन्मुखी कार्यों को लेकर यदि सर्वाधिक चर्चा का विषय है तो वह है खरपतवार पौधे लेंटाना से फर्नीचर एवं अन्य प्रकार की सामग्रियों का निर्माण कराना है जिससे तपकरा के तीन स्वयं सहायता वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से खरपतवार लेंटाना से कुर्सी, टेबल, सोफासेट,दर्पण हैंगर,मोबाइल स्टैंड,फ्लावर पॉट,पेन स्टैंड,चाय ट्रे,टोकनी,घरेलू छोटा मंदिर,छोटा स्टूल सहित अनेक सामग्रियों का बड़ी दक्षता के साथ निर्माण कर वहां के वन प्रबंधन समिति स्व सहायता समूह के पुरुष/महिला स्वावलंबन एवं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बड़ा रहे है इस कार्य हेतु तीन स्वयं सहायता समूह जिनमे मुख्यतः आराध्य स्वयं सहायता समूह, बलुआ बहार वन प्रबंधन समिति एवं अंकिरा वन प्रबंधन समिति इस कार्य को संपादित कर प्रति माह पांच से दस हजार रुपये का स्थानीय विक्रय कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है यही नही स्थानीय कुशल कारीगर स्वयं व्यक्तिगत रूप से भी वन क्षेत्रों से खरपतवार लेंटाना की साइज़ वाली टहनी काटकर भिन्न भिन्न आकार प्रदान कर उपरोक्त मानव जीवन मे उपयोगी सामग्री का निर्माण कर निज उपयोग भी कर रहे है लेंटाना पौधे के संदर्भ में बताया जाता है कि यह एक जंगली खरपतवार पौधा है जो प्रायः वन क्षेत्रों सहित अनेक स्थलों पर दृष्टिगोचर हो जाते है यह पुष्प गुच्छ धारित पौधा होता है जिसमे अनेक प्रकार के छोटे छोटे रंग बिरंगे फूल गुच्छ लगते है जो बड़े आकर्षक होते है पूर्व में इसका मानव जीवन मे कोई लाभ अथवा महत्व नही था परन्तु इसके गुणवत्ता के बारे में यह प्रचलित था कि इसका उपयोग औषधि,फर्नीचर,विधुत,सहित अन्य ब्रिकेट्स के रूप में भी किया जा सकता है इस संदर्भ में तपकरा परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी का कथन है कि संभवतः लेंटाना विदेशी खरपतवार है जिसे अंग्रेज एवेन्यू प्लांट के रूप में भारत लाए थे जो धीरे धीरे जंगल मे बढ़ गया अब इसके उन्मूलन हेतु विभाग राशि व्यय करती परन्तु यह पुनः स्थापित हो जाते तब हमने वेस्ट से बेस्ट बनाने का निर्णय लिया तथा तात्कालिक डीएफओ जाघव श्रीकृष्ण साहब से चर्चा कर एक कार्य योजना बनाया चूंकि योजना जनहितकारी एवं लाभ पहुंचाने वाली थी जिसे उन्होंने हरी झंडी दे दी अल्प राशि से हमने महिला स्व सहायता वन प्रबंधन समिति को इसके निर्माण में संलग्न किया तथा दस दिनों तक लगातार दक्ष,एवं प्रशिक्षित कारीगरों के द्वारा तपकरा में रहकर समिति के महिला/पुरुष को प्रशिक्षण दिया गया पश्चात हमने इस पर कार्य प्रारंभ किया जिसके सारगर्भित अनुकूल परिणाम सामने आए
तपकरा परिक्षेत्र अधिकारी अभिनव केशरवानी ने आगे बताया कि गजदल के आक्रमकता से लोगों को सचेत और सजग करने के उद्देश्य से तपकरा परिक्षेत्र के अनेक ग्राम पंचायतों समाज सेवी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थाओं, आंगन बाड़ी, हाट ,बाजारों, वॉल पेंटिंग,जिला प्रशासन के जन चौपाल सहित 365 दिन गश्ती दल और समय समय पर ग्रामीणों से परिचर्चा तथा टीवी में चलचित्र के माध्यम से जन जागरूकता लाने का सतत प्रयास किया जाता रहा जिससे लोग शनैः शनैः काफी जागरूक हुए रेंजर अभिनव केशरवानी आगे बताते है कि हाथियों की लगातार चहल पहल तथा मानव जीवन मे दखल से ऐसे दहशत भरे वातावरण में आसपास के ग्रामीणों के रोजगार में काफी प्रभाव पड़ा उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी तब जशपुर वन मंडल अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र में उनके रोजगार एवं आर्थिक विकास हेतु नए प्रयास किए गए तात्कालिक अधिकारी डीएफओ जाघव श्री कृष्ण साहब से चर्चा कर लेंटाना जैसे वेस्ट से बेस्ट सामग्री उत्पाद निर्माण के बारे में चर्चा कर उसे अमलीजामा पहनाया गया पूर्व प्रशिक्षित एवं दक्ष लोगों से स्थानीय निवासियों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षण दिया गया तथा ऐसा कार्य जो कभी छग प्रदेश के किसी भी वन मंडल अंतर्गत नही हुआ हमने लेंटाना से ऐसे जनोपयोगी सामग्रियों का निर्माण प्रारंभ किया जिसके आशातीत परिणाम परिलक्षित होने लगे परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी ने आगे बताया कि लेंटाना जो पूर्व में अनुपयोगी खरपतवार के रूप में जाना पहचाना जाता था अब वही लेंटाना बांस का वैकल्पिक रूप के रूप में देखा जाने लगा है वन प्रबंध समिति एवं स्व सहायता समूह के द्वारा किए जाने वाले घरेलू आवश्यक उपयोगी उत्पाद ने आम जन के आचार विचार और सोच में परिवर्तन ला दिया और अब इसकी उपयोगिता और महत्वता का आभास होने पर इसके संरक्षण पर विचार की बात कही जा थी है
लेंटाना के सामग्री निर्माण के संबध में श्री केशरवानी बताते है कि वनों से संग्रहण पश्चात दस दिनों के भीतर ही इसका सामग्री अथवा वस्तुएं निर्माण करना अति आवश्यक हो जाता है यदि इसका उपयोग नियत और निर्धारित समय पर नही किया गया तो यह बर्बाद हो जाता है सामग्री निर्माण के पूर्व ही इसे जिस साइज में सामग्री निर्माण करना होता है इसे वनों से भिन्न भिन्न साइज में काट कर लाया जाता है पश्चात ऊपरी सतह छिल कर वांच्छित स्वरूप मे आकर दिया जाता है सामग्री निर्माण में मुख्यतः हंसिया,हथौड़ी कील,रेतमल,आरी,कटर,फेविकोल, टचवुड इत्यादि प्रमुख औजार है जिसकी सहायता से टेबल,कुर्सी सोफासेट,मोबाइल ट्रे सहित अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है लेंटाना फर्नीचर अथवा सामग्री निर्माण को लेकर सर्वाधिक आश्चर्य का विषय यह है कि निर्मित सामग्री वस्तुओं में दीमक इत्यादि कभी नही लगते तथा यदि इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह लगभग बीस वर्षों तक टिकाऊ एवं मजबूत रहता है एक प्रकार से इसे सागौन का मिश्रित स्वरूप भी माना जाता है यही नही खरपतवार रूपी उक्त लेंटाना पौधों के अवशेष भी उपयोगी होते है इसके अपशिष्ट छिलके चुरा तत्वों से भी कोलब्रिक्स निर्माण किया जा सकता है साथ ही इसके छिलके जलाने से मच्छर भी भाग जाते है लेंटाना वेस्ट से बेस्ट कार्य जिसके द्वारा फर्नीचर एवं अन्य बहु जन उपयोगी सामग्री वस्तुएं निर्माण की सराहना और प्रशंसा वर्तमान डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय साहब ने भी की है तथा इसके विस्तार और उन्नयन हेतु सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया है उनका कथन है कि लेंटाना रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम है जिसमे भविष्य में लागत कम एवं बेहतर आय का स्रोत सृजन किया जा सकता है इससे वन मंडल जशपुर के अंतर्गत तपकरा परिक्षेत्र के अधिक से अधिक संख्या में ग्रामीण जन इस विभागीय योजना से संलग्न होकर लाभ अर्जित करना चाहते है यही वजह है कि अनेक लोग प्रशिक्षित होकर स्वयं का व्यवसाय भी लेंटाना फर्नीचर,सामग्री,वस्तुएं निर्माण कर उसका विक्रय कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे है ऐसे आर्थिक क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए रेंजर अभिनव केशरवानी साहब अपने वरिष्ठ अधिकारी जशपुर वन मंडल के पूर्व डीएफओ जाघव श्रीकृष्ण साहब वर्तमान डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय साहब तथा एसडीओ नवीन निराला साहब (कुनकुरी) एवं रेंजर कांसाबेल श्रीमती अनिता साहू केशरवानी का सहयोग एवं मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देना नही भूलते तथा कहते है कि जिन्होंने समय समय पर इसके निर्माण,विस्तार हेतु मार्गदर्शन देते रहे उपरोक्त अधिकारियों के सहयोग से ही एक असंभव कार्य के संभव करने की प्रेरणा मिलता रहा तपकरा परिक्षेत्राधिकारी अभिनव केशरवानी साहब का कथन है कि स्थानीय लोगो को लेंटाना सामग्री हेतु अधिक से अधिक प्रोत्साहित कर उन्हें रोजगार में संलग्न करने वे सदैव प्रयासरत है तथा बंबू से कुर्सी टेबल एवं अन्य निर्माण सामग्री तो बहुत देखे है परन्तु लेंटाना से फर्नीचर सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण देखना किसी विस्मयकारी से कम नही है उनका कथन है कि यह छत्तीसगढ़ प्रदेश वन विभाग का इकलौता ऐसा प्रोजेक्ट है जो लेंटाना वेस्ट से बेस्ट सामग्र,वस्तुएं निर्माण कर अतिरिक्त आय का साधन बनाया जा सकता है बस, इसके विक्रय हेतु बेहतर प्लेटफार्म की आवश्यकता है जिसके लिए भी प्रयास किए जा रहे है फिलहाल अभी स्थानीय स्तर पर इसका विक्रय किया गया है उन्होंने आगे बताया कि उक्त योजना का क्रियान्वयन प्रदेश के अन्य वन मंडलों में भी हो यह उनकी हार्दिक इच्छा है क्योंकि लेंटाना पौधों की खरपतवार प्रदेश भर में फैली है तथा यह बड़ी सहजता से प्राप्त हो जाता है आगे कोई असुविधा न हो इसके सामग्री निर्माण और इस के विस्तार और परीक्षण के संबंध में वे कहते है यदि प्रदेश के विभिन्न वन मंडलों में वेस्ट लेंटाना से बेस्ट वस्तुएं, निर्माण के इच्छुक वन मंडल आवश्यकता पड़ने पर हमारे यहां के प्रशिक्षित प्रबंधन समिति के सदस्यों को प्रदेश के अन्य वन मंडलों में जाकर प्रशिक्षण देने हेतु तैयार हो चुके है जिन्हें प्रशिक्षण अथवा लेंटाना निर्मित सामग्री निर्माण की अभिरुचि हो वे तपकरा वन मंडल से सहयोग ले सकते है तथा अपने परिक्षेत्रों में वेस्ट लेंटाना से बेस्ट सामग्री वस्तुओं का निर्माण करवा ग्रामीणों,वन प्रबंधन समितियों के साथ विभाग को भी अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम निर्मित कर रोजगरउन्मुखी कार्यों को गति प्रदान कर सकते है






 
वन क्षेत्रो के निवासियो के रोजगार की समस्या के निवारण में एक महत्वपूर्ण कदम लेंटाना से फर्नीचर का निर्माण
जवाब देंहटाएंअभिनव केशरवानी के प्रयासों को हार्दिक बधाइयाँ
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