कांसाबेल परिक्षेत्र - गोबर से सिर्फ वर्मीकम्पोस्ट खाद ही नही धूपबत्ती एवं कलात्मक सामग्री का निर्माण हो रहा है
रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है यहां अधिकांश कृषक कृषि कार्य मे ही पारंगत है यहां तक प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल स्वयं कृषक पुत्र है तथा कृषकों के धरती से जुड़ी भावनाओं को वे भली भांति समझते है महसूस करते है तभी तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के वास्तविक धरा में लाने प्रमुखता से दिशा निर्देश दिए गए क्योंकि उक्त योजना का लाभ कृषक हित में ही किया गया है नरवा अर्थात ऐसे वन क्षेत्रों के नाला नुमा,ढलानी जल मार्ग जो वर्षा जल अनिश्चितता के बहाव में बह जाता था उसका लाभ किसी को भी नही मिल पाता ऐसे पर्वतीय,ऊबड़खाबड़,ढलानी क्षेत्र के नाला अथवा जल मार्ग में स्टेप डेम,अथवा चेक डेम संरचना कर व्यर्थ होते जल को संरक्षित करने का शासन द्वारा पहल की गई नरवा प्रोजेक्ट के लिए राज्य शासन द्वारा कैम्पा मद से करोड़ों रुपये जारी किए है जिसका लाभ यह हुआ कि वनक्षेत्रों सहित अन्य जल मार्गों में जल संचयन होने से उक्त वन क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र में नरवा प्रोजेक्ट जनहित कारी साबित हुई.दूसरी गरुवा योजना जिसके तहत आवारा पशु एवं पशु पालकों के द्वारा छोड़े गए पशु जिनके द्वारा अंधेरे मुख्य मार्ग में बैठने से रात्रि में अनेक घटनाएं दुर्घटनाएं होती थी वन क्षेत्रों के वनों में मवेशियों द्वारा आवर्ती चराई से क्षति एवं खड़ी फसलों की चराई रोकने उनकी सुरक्षा हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत के माध्यम से गौठान का निर्माण कर उसकी सुरक्षा सहित गौठान के माध्यम से गोबर खरीदी कर जैविक वर्मी कम्पोस्ट खाद सहित अन्य लाभकारी योजनाओं का क्रियान्वयन समय समय पर किया जा रहा है जिसका लाभ ग्रामीण एवं कृषकों के हित मे अधिक मानी जा रही है है वही घुरूवा यानी कचरा या अपशिष्ट पदार्थों का संग्रहण कर सूखा,गिला कचरे का निष्पादन तथा उससे भी खाद निर्माण कर अतिरिक्त आय का स्त्रोत निर्माण किया जाना सुनिश्चित है शहरों नगरों में यह कार्य नगर निगम के माध्यम से कचरा कलेक्शन किया जा रहा है
गौधन (गोबर)से कुछ नया निर्माण के पीछे की अविष्कारक जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल परिक्षेत्र की परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता साहू केशरवानी है जिनकी आधुनिक दूर दृष्टि सोच ने वन क्षेत्र की महिला स्व सहायता समूह के लिए शुभ लाभ के साथ रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त कर उनके आर्थिक द्वारा खोल दिए जशपुर वन मंडल के कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी ने गौधन (गोबर) से नए सामग्री निर्माण के संबंध में बताया कि छग सरकार की सोच गौठान में स्थानीय निवासियों से दो रुपये में गोबर क्रय कर महिला स्व सहायता समूह को संलग्न कर वर्मी कॉम्पोस्ट जैविक खाद निर्माण के साथ उसके पैकेजिंग कर प्रदेश भर के कृषि क्षेत्र में जैविक खाद को बढ़ावा देना साथ ही ग्रामीणों को भी आर्थिक लाभ पहुंचाना मुख्य मकसद था जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल परिक्षेत्र की रेंजर अनिता केशरवानी मैडम आगे बताती है कि राज्य सरकार की महती गौधन योजना का लाभ संपूर्ण प्रदेश के ग्रामीण वर्ग उठा रहा है तथा सभी वर्मी कॉम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रहे है तब मन मे विचार आया कि क्यों न ग्रामीणों के स्वरोजगार एवं आर्थिक मजबूती के लिए कुछ नया कार्य किया जाए सोशल मीडिया और नेट पर खोज करने पर और बहुत विचार करने पर गौधन(गोबर)से क्यों न सामग्री निर्माण किया जाए इसके लिए जशपुर वन मण्डलाधिकारी कृष्णा जाघव साहब से चर्चा कर इस ओर कार्य को अमलीजामा पहनाने की सोची तथा इसके निर्माण हेतु स्वानंद गौ विज्ञान केंद्र नागपुर से एक प्रशिक्षित टीम जशपुर वन मंडल अंतर्गत सुदूर सघन वन क्षेत्र कांसाबेल परिक्षेत्र पहुंची यहां रहते विभाग के माध्यम से तीन दिनों के कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा कांसाबेल, पोंगरो,लमडांड
ग्राम क्षेत्र की लगभग 30 महिलाओं ने बड़ी तल्लीनता और बारीकी से गोबर द्वारा सामग्री निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा धूप बत्ती निर्माण में महारत हासिल की कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी ने आगे बताया कि वन परिक्षेत्र वन ग्राम में होने से कांसाबेल के द्वारा आवर्ती चराई के रोकथाम की दृष्टिगत गौठान निर्माण कर वहां गोबर खरीदी सहित वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण कर शासकीय योजना का अक्षरशः पालन किया जा रहा था परन्तु इसके अतिरिक्त गौधन से नया और क्या निर्माण किया जाए कि गोबर की महत्वता और बढ़ जाए क्योंकि प्रायः देखा जाता रहा है कि गाय गरुवा को प्रारंभ से ही छत्तीसगढ़ के ग्रामीण गौ माता समझ कर पूजते रहे उसके गोबर के उपले (छेना) से लेकर कुटिया में लिपाई,छपाई,तक कि जाती है भोजन निर्माण सहित बच्चों की सिंकाई,एवं मच्छर भगाने के उपयोग में आज भी गोबर जलाया जाता है इस संदर्भ में यहां प्रचलित है कि गौधन उपयोग से घर परिवार व्यधि मुक्त होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा और धन धान्य से संपन्न रहता है
इसलिए भी गौधन की महत्वता और उसके नवीन उत्पाद एवं उपयोग के लिए जशपुर वन मंडल अंतर्गत कांसाबेल वन परिक्षेत्र में महिला स्व सहायता समूह को गौधन (गोबर )से धूप बत्ती, आकर्षक कलात्मक दीया, सबरानी कप, धुप बत्ती स्टैंड,मोबाइल स्टैंड , मोमेंटो, शुभ लाभ, मूर्तियां एवं अन्य घरेलू सामग्री निर्माण हेतु नागपुर शहर के प्रशिक्षित टीम के द्वारा लगातार तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्य शाला का आयोजन कर समूह की महिलाओं को दक्ष किया गया गोबर से सामग्री निर्माण कर कौशल उन्नयन माध्यम से कांसाबेल परिक्षेत्र की स्व सहायता समूह आत्म निर्भर हो कर इसे स्वरोजगार का साधन सृजन कर लिया है अब संतोषी महिला स्व सहायता द्वारा मधुबन गौ धूप बत्ती के नाम से इसका निर्माण और पैकेजिंग की जा रही है जिसका बेहतर प्रतिसाद स्थानीय स्तर पर प्राप्त हो रहा है
कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी मैडम अनिता केशरवानी आगे बताती है कि संतोषी महिला स्व सहायता समूह द्वारा निर्मित मधुबनी गौ धूपबत्ती एवं उनके द्वारा निर्मित स्टैंड को काफी पसंद किया जा रहा है तथा गौधन प्रकृति उत्पाद की लगातार बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए वन विभाग संतोषी स्व सहायता समूह को पांच लाख का ऋण चक्रीय निधि से प्रदाय किया गया ताकि गौधन से निर्मित सामग्री उत्पाद में धन की कमी न आए तथा मांग की पूर्ति सहजता पूर्वक की जा सके कांसाबेल परिक्षेत्राधिकारी अनिता केशरवानी मैडम ने आगे बताया कि धूप बत्ती पांच अलग अलग फ्लेवर में निर्माण किया जा रहा है जिसमे हवन,चंदन,गुगुल, सबरानी, लोभान,इत्यादि शामिल है इसके फ्लेवर सुगंध में किसी रसायनिक पदार्थ का उपयोग नही किया जाता बल्कि नैसर्गिक लकड़ी,पत्तों, एवं, गोंद का उपयोग किया जाता है जो संपूर्ण वातावरण को महका देता है धूपबत्ती का एक पैकेट जिसमे 15 नग और स्टैंड का मूल्य 30 रुपये रखा गया है जो हाथों हाथ खरीदा जा रहा है
सबसे मजेदार बात यह है कि गौधन से निर्मित वस्तुएं बहुत ही हल्की फुल्की एवं सस्ते दाम में उपलब्ध हो जाती है जो एक आदमी के पहुंच में होता है कांसाबेल वन परिक्षेत्र के महिला स्व सहायता समूह द्वारा गोबर से निर्मित सामग्री और लगातार उसकी बढ़ती मांग को देखते हुए किए जा रहे कार्यों की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है यदि इसी तरह इसकी मांग बरकरार रही तो आने वाले समय मे प्रदेश भर की महिला स्व सहायता समूह द्वारा इसके प्रशिक्षण एवं नव उत्पाद में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर एक नए आर्थिकी क्रांति युग का सूत्रपात कर सकती है जिसका उदाहरण कांसाबेल परिक्षेत्र के महिला स्व सहायता समूह ने परिक्षेत्राधिकारी अनिता केशरवानी मैडम के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रारंभ भी कर दी गई है जो प्रशंसनीय,एवं सराहनीय है









 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें