मंगलवार, 30 अगस्त 2022

पानाबरस परियोजना मंडल में पांच करोड़ से ऊपर घोटाले के मामले को दबाने पूरा प्रयास

 


  पानाबरस परियोजना मंडल में  पांच करोड़ से ऊपर घोटाले के मामले को दबाने पूरा प्रयास 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) वन विभाग का अनुषांगिक धड़ा वन विकास निगम वैसे तो अनेकों भ्रष्टाचार घोटाला और फर्जीवाड़े को लेकर सदैव सुर्खियों में रहा है परन्तु अब जो फर्जीवाड़ा कर घोटाले को अंजाम दिया गया है वह हतप्रभ करने वाला आया है वह भी लाख दो लाख नही बल्कि पांच करोड़ से ऊपर का खेला हो गया और किसी को कानों कान खबर नही मामला तब प्रकाश में आया जब बार नवापारा परियोजना मण्डल के डीएम आईएफएस अधिकारी शशि कुमार रोपण क्षेत्र का भौतिक मूल्यांकन हेतु गए जहां  उन्होंने पाया कि  सौ हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन होना था वहां केवल बीस हेक्टेयर में ही प्लांटेशन किया गया वहां भी तीन वर्ष के व्यवस्थापन सुरक्षा,देखरेख, के आभव में दस से पन्द्रह प्रतिशत ही रोपण दिखायी दिया क्योंकि वन अधिनियम में यह स्पष्ट है कि कम से कम प्लांटेशन के रोपण क्षेत्र में अस्सी प्रतिशत रोपण शेष रहना चाहिए तभी उस प्लांटेशन को सफल माना जाता है परन्तु यहां अस्सी क्या पन्द्रह से बीस प्रतिशत ही रोपण दिखाई दिया जो सीधे सीधे फेल्वर एवं असफल माना जाता है  बताते चले कि वन विकास निगम  राजनांदगांव के पानाबरस परियोजना मंडल अंतर्गत मोहला,खडग़ांव परिक्षेत्र,घोसटोला परिक्षेत्र एवं मिस्पिरि परिक्षेत्र में वर्ष 2019-20-21को औद्योगिक  वृक्षारोपण के तहत सागौन, प्रजाति के प्लांटेशन किया गया था जहां सौ एकड़ भूभाग में सागौन  पौधा रोपण किया जाना था वहां उपरोक्त परिक्षेत्रों में एक तो कम भूभाग में प्लांटेशन किया गया उस पर प्लांटेशन क्षेत्र में प्रतिवर्ष किए  जाने वाले  कैज्युवलटी सहित निंदाई गुढाई,दवा,खाद,थाला बनाने जैसे कार्यों के लिए मिलने वाली राशि भी गड़बड़, घोटाले की भेंट चढ़ गई आज स्थिति यह है कि पूरा प्लांटेशन क्षेत्र उजड़ा.. चमन  हो गया है मामला तब प्रकाश में आया जब भौतिक सत्यापन जो कि प्रतिवर्ष वन विकास निगम के पृथक परियोजना मंडलों से डीएम डीडीएम,सहित रेंजर स्तर के अधिकारीयों की टीम द्वारा कराया जाता है  तथा वे ही भौतिक सत्यापन कर प्रमाणित करते है ऐसे बहुत से  अधिकारियों द्वारा प्लान्टेशनों का  फर्जी एवं झूठा मूल्यांकन कर सत्यपित कर बड़े बड़े घोटालों को अंजाम दे चुके है जो आज तक प्रकाश में नही आया  एक प्रकार से देखा जाए तो मूल्यांकन करने गए अधिकारी वन विकास निगम को धोखे में रखकर निरीक्षण के एवज में बड़ी राशि लेकर अपना पौ बारह करते रहे तथा विभाग को भी चुना लगाते रहे है परन्तु पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी ईमानदार आईएफएस अधिकारी द्वारा पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर बेबाक तरीके से सत्य एवं तथ्यपरक भौतिक मूल्यांकन रिपोर्ट दी तथा उपरोक्त प्लांटेशन क्षेत्र  मोहला, खडग़ांव,घोसटोला,मिस्प्रि परिक्षेत्रों में हुए करोड़ों के घोटाले सार्वजनिक हो सके उक्त फर्जीवाड़ा घोटाले में  बार नवापारा परियोजना मंडल के मंडल प्रबंधक आईएफएस अधिकारी शशि कुमार  बधाई के पात्र है जिन्होंने अपने सोलह सदस्यीय टीम  के साथ कथित प्लांटेशन परिक्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन एवं सत्यापन हेतु पहुंचे  वहां प्लांटेशन के स्थान पर चटियल मैदान नज़र आया तब जाकर मामले का खुलासा हुआ मजे की बात यह है कि वन विकास निगम के प्रदेश भर के प्लांटेशनों का यही हाल है अति विश्वसनीय विभागीय सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि कथित तीनों क्षेत्रों में  सम्पादित सागौन प्लांटेशनो से  तात्कालिक वन विकास निगम कर्मियों द्वारा लगभग साढ़े  पांच करोड़ रुपये से ऊपर का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाने का आंकलन जानकारों द्वारा किया गया है यही नही तात्कालिक आईएफएस अधिकारी डीएम  शशि कुमार बार नवापारा परियोजना मण्डल द्वारा अपनी रिपोर्ट उच्च स्तर पर भी सौंप दी जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूर्व वर्षों में समस्त प्लांटेशन रोपण क्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन करने वाले अधिकारियों से लेकर मैदानी अमले के रेंजर सहित कर्मचारियों को अटल नगर नवा रायपुर स्थित  वन विकास निगम मुख्यालय में तलब किया गया जहां सब से पूछ ताछ की गई जिसमे  संलिप्त लगभग सभी कर्मचारियों की घिग्घी बंध गई है बताया जा रहा है कि यदि इन पर जांच की आंच आती है तो कई आधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे परन्तु अंदर खाने से यह भी खबर छन कर सामने आ रही है कि वन विकास निगम में अंगद की पांव की तरह पैर जमाए एवं निगम के खजाने में कुंडली मारकर बैठे सेवानिवृत्त तथा वर्तमान में संविदा नियुक्त प्रबंध वित्त  लेखा अधिकारी भोजराज जैन मामले की लीपापोती करने लामबद्ध है क्योंकि उच्च स्तरीय कार्यवाही की बात आने से कई अधिकारियों की रात की नींद उड़ गई है तब उन्होंने गड़बड़ घोटाले में संलिप्त  समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि तुम लोग पैसों का इंतज़ाम करो मैं मामले को सम्हालता हूं  अंदर से खबर यह भी आई  है कि मामले की लीपापोती के लिए समस्त कर्मियों से पैंतीस से चालीस लाख रुपये में सैटलमेंट हो गया  अब लेनदेन की स्थित यह है कि चालीस लाख रुपये में पूरा मामला दबाने का प्रयास किया जा रहा है यही वजह है कि इन सारे प्रकरण के नायक  मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौड़ सहित मंडल प्रबंधक श्री पाठक को  मुख्यालय अटैच कर दिया गया तथा परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड की मुख्यालय नवा रायपुर में प्रतिदिन क्लास  ली जाने लगी धीरे धीरे मामला को दबाने पूरा प्रयास किया गया इस पूरे मामले में मोहला खडग़ांव रेंजर जागेश गौड़ के ऊपर विभागीय कार्यवाही एवं संपूर्ण प्रकरण को दबाने  के नाम पर अब तक चालीस लाख रुपये का लेनदेन कर लिया गया तथा मंडल प्रबंधक पानाबरस परियोजना मंडल के श्री पाठक एवं जागेश गौड़ के ऊपर अब तक किसी प्रकार कोई भी विभागीय कार्यवाही नही किया गया क्योंकि अपने बचाव और लीपा पोती के एवज में लगभग चालीस लाख रुपये का प्रसाद ऊपर तक पहुंचाया जा चुका है    जबकि देखा जाए तो  वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल का यह मामला बहुत ज्यादा संगीन एवं अक्षम्य है यदि वन अधिनियम के तहत विधिवत इस पर कार्यवाही होती है तो बहुत से अधिकारी कर्मचारी सीधे नौकरी से बाहर किए जा सकते है लेकिन जब तक भोजराज जैन जैसे तीक्ष्ण बुद्धि वाले अधिकारी वन विकास निगम में रहेंगे तब तक ऐसे गड़बड़ घोटाले बाजों के संरक्षण और बचाव के नए नए  हथकंडे अपनाए जाते रहेंगे क्योंकि ज्ञात हुआ है कि उन्होंने संलिप्त अधिकारी,कर्मचारियों से स्पष्ट पूछा था कि किसी दस्तावेज में उन्होंने कोई हस्ताक्षर या सही तो नही किया ? प्रत्युत्तर में संलिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों ने न में सिर हिला कर समवेत स्वर मे हस्ताक्षर या सही नही करना बताया था वही वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने उन्हें  आश्वस्त किया था कि मामले को सुलझा लूंगा,, तुम लोग पैतीस से चालीस लाख रुपये तैयार रखो ...  मैं उस रिपोर्ट को झूठा साबित कर दूंगा ...तुम लोग स्वयं जाकर अपने अपने प्लांटेशन क्षेत्रों का दौरा करके मुझे गणना मूल्यांकन की सत्यापित रिपोर्ट प्रस्तुत करो मैं बाकी सब सम्हाल लूंगा ? अब सवाल उठता है कि क्या एक आईएफएस अधिकारी के द्वारा दी गई रिपोर्ट को अमान्य कर झुठलाया जा सकता है ? क्या  उन्ही अधिकारियों, रेंजरों और मैदानी अमले को जो करोड़ों के  गड़बड़ घोटाले में संलिप्त है को भौतिक मुल्यांकन कर सत्यापित दस्तावेज बनाने का संवेदनशील  जिम्मा दिया जा सकता है ? क्या एक जिम्मेदार आईएफएस अधिकारी के द्वारा प्लान्टेशनों का भौतिक मूल्यांकन  झूठी एवं फर्जी हो सकती है ? यह बात कुछ गले नही उतरती तात्कालिक आईएफएस अधिकारी शशि कुमार जो वर्तमान में  रेग्युलर फॉरेस्ट  दुर्ग डिवीजन में डीएफओ पद पर आसीन है यदि वे अकेले भौतिक मूल्यांकन हेतु गए होते तो एक बार प्रस्तुत रिपोर्ट को लेकर सन्देह व्यक्त किया जा सकता था परन्तु अपने सोलह सदस्यीय टीम के साथ उन्होंने संपूर्ण सागौन प्लान्टेशनों के रोपण क्षेत्र में स्वयं की उपस्थिति में भौतिक मूल्यांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमे उन सोलह सदस्यों के भी हस्ताक्षर है जो बिना हीला हवाला और विरोधाभास के रिपोर्ट सत्य मानी जा सकती है हालांकि इस संदर्भ में कुछ जानकारों का कथन है कि मैदानी अमले में रेंजर सहित अन्य कर्मचारी इतने बड़े घोटाले को बगैर किसी अधिकारी के शह पर कर ही नही सकते वही कुछ कर्मी दबी जुबान से पूर्व सेवानिवृत प्रबंध संचालक एवं सोमादास मैडम के कार्यकाल से ही गड़बड़ घोटाला किए जाने का अंदेशा व्यक्त कर चुके है जबकि उस वक्त पानाबरस परियोजना मंडल के डी.एम. ए. के. पाठक को लंबे वनवास के बाद पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में आए कुछ माह ही हुए थे जब प्लांटेशन में रोपण कार्य संपादित किया गया था  मामले में रोपण कार्यों को संपूर्ण अनदेखी कर उनकी निष्ठा,सहानुभूति मोहला रेंजर के प्रति अधिक रही अब इसके पीछे का मन्तव्य वे ही जाने परन्तु कहीं न कहीं उक्त घोटाले में उनकी संलिप्तता को देखते हुए उन्हें निगम  मुख्यालय अटैच कर दिया गया तथा कुछ माह लेनदेन के पश्चात उन्हें भी पुनः पानाबरस परियोजना मंडल में मंडल प्रबंधक पद पर नियुक्त कर दिया जबकि रेंजर जागेश गौड़ के ऊपर कोई कार्यवाही अथवा जांच प्रक्रिया नही अपनाई गई वह यथावत अपने मूल कार्य क्षेत्र मोहला खडग़ांव परिक्षेत्र का सफल निष्पादन कर करते रहा है वही देववंडवी परिक्षेत्राधिकारी हरीश कुमार जोशी जो कथित सागौन रोपण में संलिप्त था वह भी स्वयं को बचाने में सफल हो गया  

इसके एवज में विभाग में जोरदार सुगबुगाहट है कि मामले को दबाने अब तक चालीस लाख रुपये ऊपर पहुंचाया जा चुका है यही वजह है कि करोड़ों रुपये के सागौन रोपण घोटाले  की रोपित पौधों की वार्षिकी गणना भी दो वर्षों से नही की गई  जो विभागीय कार्यशैली पर अनेक सन्देह उत्पन्न करता है ज्ञात तो यह भी हो रहा है कि रूट  सूट की खरीदी कर कुछ स्थानों पर भरपाई की कोशिश की जा रही है वही यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व में रोपित सागौन में वर्षा पश्चात नए कपोल फुटने का इंतजार किया जा रहा है ताकि उसे भी गणना में लिया जा सके जबकि  जीपीएस जैसे आधुनिक तकनीक से भी वस्तुस्थिति देखा जा सकता है इसके अलावा निगम के नियम में  यह भी प्रावधान है कि नव नियुक्त  रेंजरों को ट्रेनिंग में विभाग लगभग चार से छः लाख रुपये व्यय करता है परन्तु छग वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल के अन्तर्गत मोहला खडग़ांव में पदस्थ  रेंजर  जागेश गौड़  एक ऐसा एकलौता रेंजर है जिसने  आपने दो वर्षों से ट्रेनिंग को टालते जा रहा है तथा विभाग के लाखों रुपये की क्षति अलग हो रही है  जबकि उनके ही समकक्ष रेंजर जिनमे खटकर सहित अन्य लोग जिनका प्रकरण में कहीं न कहीं संलिप्तता थी वे ट्रेनिंग में जा चुके है  बताते चले कि वित्त वर्ष 2019-20एवं 20-21 में  मोहला और खडग़ांव परिक्षेत्र में लगभग 22 लाख सागौन पौधों का रोपण लगभग छह करोड़ की लागत से किया जाना था जिसमे दस से 15 प्रतिशत सागौन रोपण  लगभग एक से डेढ़ करोड़ की लागत से ही संपादित कर दिया गया था शेष राशि तात्कालिक प्रबंध संचालक एवं  आरजीएम सोमादास मैडम  सहित अन्य अधिकारियों कर्मचारियों के कमीशन खोरी की भेंट चढ़ गई थी शेष करोड़ों की राशि मोहला खडग़ांव,रेंजर जागेश गौड़ सहित उल्लेखित अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा डकार लिया गया था जिसका आईएफएस अधिकारी शशिकुमार एवं उनके सोलह सदस्यीय टीम के द्वारा गणना के दौरान मात्र दस से पंद्रह प्रतिशत रोपण किए जाने का  मामला प्रकाश में आने पर खुलासा हुआ रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर भ्रष्टाचार और घोटाले की बल्ली सीधे डीएम ए. के.पाठक सहित जागेश गौंड, के ऊपर गिरी जबकि हरीश कुमार जोशी,खटकर जैसे कर्मी साफ साफ अपने को बचाने सफल रहे 


फिर भी गड़बड़ घोटाला तो हुआ है जो वन विकास निगम के संपूर्ण प्रदेश के प्लान्टेशनों का यदि सूक्ष्मता से निष्पक्ष जांच की जाती है तो कई अधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे क्योंकि मोहला खडग़ांव के गड़बड़ घोटाले के इस बेहद संगीन मामले को गुपचुप तरीके से सैटलमेंट करने की कवायद अब तक चल रही है और किसी भी डीएम , रेंजर के ऊपर कोई कार्यवाही नही की गई केवल औपचारिक कार्यवाही कर प्रकरण लंबित रखा गया है पश्चात करोड़ों के घोटालों के इस प्रकरण में नाम मात्र रिकवरी आदेश जारी कर संपूर्ण करोड़ों के घोटाले को रफा दफा कर दिया जाएगा  गौर तलब यह भी है कि विगत वर्षों में किए गए गड़बड़ घोटाला पर यदि वविनि समस्त संलिप्त अधिकारी, कर्मचारियों से रिकवरी करता है जो करोड़ों की राशि में है उसमें संलिप्त कर्मचारी अपने कपड़े तक बेच देंगे तो भी इतने रुपये रिकवरी के रूप में नही दे सकते क्योंकि गड़बड़ घोटाला ही साढ़े पांच करोड़ रूपये के ऊपर  का बताया जा रहा  है अब इस गंभीर प्रकरण में ऊपर बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते है यह अब  आगे देखना होगा फिर भी इस संदर्भ में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 20 21 के संपूर्ण बिल बाउचर प्रमाणक की छाया प्रति मांगी गई थी जिसे पानाबरस कर्मचारी देने में आज तक आनाकानी कर रहे है क्योंकि एक वर्षों से ऊपर हो चुके मांगे गए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी को अब तक  टालमटोल की स्थिति बनी हुई है फरवरी 22 में दिए गए छग राज्य सूचना आयोग के द्वारा फैसला आवेदक के पक्ष में भी दिए जाने का आदेश पारित किया जा चुका है परन्तु उसका भी अनुपालन पानाबरस परियोजना मंडल के कर्मियों द्वारा नही किया जा रहा है इसकी वजह यह है कि यदि मंडल कार्यालय द्वारा राज्य सूचना आयोग के उपरोक्त आदेश का पालन करता है तो करोड़ो रूपये के हुए एक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश बिल प्रमाणक,और बाउचर के माध्यम से हो सकता है जिसकी वजह से बहुत से चेहरे बेनकाब हो सकते है और कइयों के ऊपर राशि रिकवरी  के साथ उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है 




 

बुधवार, 24 अगस्त 2022

जब तक सांसों की साज चलेगी... तब तक सुर साधना जारी रहेगी -पूजा सिंह*

 

*जब तक सांसों की साज चलेगी... तब तक  सुर साधना जारी रहेगी -पूजा सिंह*


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लाइव प्रोग्राम एवं कराओके के चमकते सितारे में मिलते है पूजा सिंह से*

अलताफ हुसैन

रायपुर कितना सत्य छुपा है इन शब्दों में कि पूजा यदि मन से किया जाए तो ईश्वर मिलते है मन केवल पवित्र एवं ईश्वर के प्रति निस्वार्थ लगन और सतत अनुराग  होना चाहिए जहां चाह वहां राह वाली उक्ति यहां चरितार्थ होती सी प्रतीत होती है इतिहास साक्षी है ऐसे बहुतेरे लोग रहे है जिन्होंने बगैर गुरु द्रोणाचार्य के एकलव्य बन कर बेहतर लक्ष्य प्राप्त कर एक सफल धनुर्धारी बने है  और  संपूर्ण देश मे अपना और देश का नाम रौशन किया है फिर भला क्षेत्र कोई सा ही क्यों न हो अब ज्यादा विस्तार में न जाते हुए हमारे नई आधुनिक तकनीक से विकसित कराओके म्यूज़िक को ही ले ले फिल्मों के रुपहले पर्दे पर बैक ग्राउंड स्वर देने वाले ऐसे महान हस्तियों को रेडियो रिकार्ड मे जब सुना जाता था तब वो सुपर हिट गीत संगीत सुनने के पश्चात  श्रोताओं द्वारा गुनगुनाए भी जाते थे परन्तु हर किसी का मुम्बई के मायानगरी तक पहुंचना बहुत  मुश्किल था समय अनुसार  उन महान गायकों की आवाज़ को सुनने  उनके समान हूबहू नकल आवाज़ के एवज में लाइव बैंड आर्केस्टा  का ईजाद हुआ जिसमें समस्त साज के साथ संगत करने ऐसे गायकों ने अपने फन का मुज़ाहिरा कर अपने दिल मे दबी सुर की चिंगारी को आग बना कर प्रस्तुत किया परिणामतः बहुत से गायक फिल्मी दुनिया के दहलीज में भी पहुंच गए जिनमे कुमार शानू जैसे गायक का नाम उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता  है फिर व्यस्त जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते लाइव आर्केस्टा  संगीत की विशाल साज ओ सामान को एकत्र करना भी बड़ा कठिन था जिसकी वजह से बहुत सी प्रतिभाओं की आवाज़ गुमनामी के अंधेरे में खो गई समय परिवर्तन के साथ फिर आया इंटरनेट और यु तुयूब का आधुनिक दौर जिसमे सारी सुविधाएं अर्थात म्यूज़िक के साथ केवल बोल के लाइन चलने से ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं अपने चित्त आकर्षक आवाज़ से सुर साधना करने लगे परिणामतः हमारे भीड़ भरे मानव समाज के बीच ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं निखर कर सामने आने लगी जिसमे रायपुर शहर का एक जाना पहचाना नाम बहुत तेजी से उभर कर सामने आया जिसे लोग  सिंगर पूजा सिंह के नाम से पहचानते है  जिनकी सुर के पकड़ के साथ  सधी हुई खनकती हुई  आवाज़ जब कानों में पहुंचता है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानों कान में कोई मधुर रस घोल दिया हो और श्रोता भी उनके गीत पर झूमने लगते है 

दस पन्द्रह पैसों में मिलने वाली गीतों की किताबों का जखीरा


 पूजा सिंह का नाम  कराओके म्यूज़िकल क्षेत्र में अपरिचित नही है सुर संगीत में नाम और मुकाम को पाने के लिए अपने नाम पूजा के अनुरूप उन्होंने गीतों के सुर और संगीत की पूजा की है आज भी वे  कम से कम तीन से चार घण्टे साउंड सिस्टम में बकायदा रियाज करती है लगातार रियाज़ करते रहने से आवाज़ में धारदार चमक बन गई है कि लगता ही नही की वो एक साधारण परिवार से उठ कर गायकी में अपना एक उच्च मुकाम हासिल कर लेगी  अपने बारे में वे बताती है कि   बाल्यकाल से ही गीत संगीत की शौकीन रही पूजा सिंह का वास्तविक नाम बसंती सिंह है तथा बचपन से ही  रायपुर आर्केस्टा के प्रोग्राम को बड़े ध्यान से सुनती थी एक दिन  प्रोग्राम के दौरान  रायपुर शाहर के  छत्तीसगढ़ के किशोर कुमार कहलाने वाले हबीब उमरानी से  उनकी मुलाकात उनके चाचा जगन्नाथ  के साथ की तब उनके जगन्नाथ चाचा ने हबीब उमरानी जी को किशोरी पूजा सिंह से मिलवाया तथा एक गीत उन्हें सुनाने  कहा - तब उनके समक्ष उन्होंने एक गीत गुनगुनाया तब हबीब जी ने बाल्यावस्था की पूजा सिंह को  करीब बुला कर कहा -बेटा तुम छोटी हो  आवाज़ सुरीली है तुम गायकी करों तुम्हारी आवाज़ बहुत सुरीली है कहते है कोई भी अपनी किस्मत लिखाकर नही आता केवल किस्मत उस कलाकार के कान में सुर फूंककर चली जाती है स्व. हबीब उमरानी भी पूजा सिंह के लिए किस्मत बन कर आए तथा बाल्यकाल में पूजा सिंह के कान में गायकी का सुर फूंक कर चले गए बस,पूजा सिंह के बालमन में फिल्मी गीत संगीत और गायकी के प्रति एक जुनून और दीवानगी सी बन गई तथा वे संगीत महाविद्यालय में सरगम समझने  एडमिशन भी ले लिया परन्तु सरगम विद्या से कुछ दिन रूबरू होने के पश्चात आर्थिक तंगी के चलते उसे छोड़ना पड़ा पूजा सिंह की गायकी का जुनून को ऐसे भी समझा  जा सकता है कि उस समय दस पन्द्रह पैसे में मिलने वाली फिल्मी गानों की किताब मंगा कर स्कूल में गीतों को गुनगुनाया करती थी  फिर ओबरॉय म्यूज़िकल ग्रुप में  जुड़ कर अपनी सुर साधना करने लगी तात्कालिक समय उनके गुरु येशुदास एवं इकबाल सिंह ओबेरॉय रहे जिन्होंने  सुर,संगीत की बारीकियों के बारे में बताया उस समय बाल्यकाल में सैफ सुहैल भी ओबेरॉय म्यूज़िकल ग्रुप में संगीत की बारीकियों से रूबरू हो रहे थे  कुछ वर्षों पश्चात युवा सैफ सुहैल ने अपना म्यूज़िकल ग्रुप की स्थापना कर ली तथा पूजा सिंह ओबरॉय म्यूज़िकल ग्रुप के अलावा सैफ सुहैल के म्यूज़िकल ग्रुप में भी अपने हुनर और प्रतिभा को चमकाती रही तथा लंबे समय तक  उनके साथ कार्य करते हुए बहुत से प्रोगाम देती  रही और गीतों की बारीकियों और सुर के उतार  चढ़ाव को बहुत ध्यान से सुन कर गीत संगीत की विधा को अंगीकार करती रही इस परिपेक्ष्य में एक दोहा... करत करत अभ्यास के जड़ मति  होत सुहान..का स्मरण भी हो रहा है जिसमे कवि द्वारा यह कहा गया है कि कुंए के किनारे बार बार बाल्टी के रगड़ से ठोस पत्थर में भी रगड़ के निशान आ जाता है ठीक वैसे ही उपरोक्त  दोहे  को चरितार्थ करते हुए बार बार अभ्यास करते हुए एक चमकदार  पूजा सिंह के रूप में वो उभरती गई और अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होती चली गई  परिणामतः शनैः शनै उसकी गायकी में इतनी चमक आ गई कि साज ओ आवाज़ के उतार चढ़ाव राग,में अपनी मजबूत पकड़ बना ली अब चाहे कहीं लाइव परफॉर्मेंस हो या कराओके संगीत का प्रोग्राम पूजा सिंह  सभी फीमेल सिंगर विशेषकर आशा जी लता जी  की आवाज़ को इतनी सहजता और आकर्षक आवाज़ में जादुई तरीके से प्रस्तुत करती है कि सुनने वाला जड़वत हो मंत्रमुग्ध हो जाता है हालांकि पूजा सिंह का यह कथन कि वह अब भी एक प्रशिक्षु गायिका के समान है तथा लगातार साधना करती हूं उनका कथन है कि गीत संगीत  ऐसी पूजा है ऐसा सुर साधना है  जो किसी  अथाह सागर से कम नही है जो जितना इस सागर में डुबकी लगाएगा उतना ही उसे सुर संगीत के विशाल सागर से मोती प्राप्त होगा हालांकि पूजा सिंह आज प्रोफेशनल तरीके से भी इसे लेती है क्योंकि उनका इस संदर्भ में कथन है कि...खाली पेट भजन भी नही होता. .इसलिए थोड़ा पारिश्रमिक का अधिकार तो उनका बनता ही है पूजा सिंह ने सैफ सुहैल म्यूज़िकल ग्रुप  ओबेरॉय म्यूज़िकल ग्रुप के अलावा बहुत से लाइव प्रोग्राम सुप्रसिद्ध फिल्मी सितारों की उपस्थिति में किया है  जिनमे सुप्रसिद्ध फिल्मी नायिका,ज़ीनत अमान,ममता कुलकर्णी,अमृता नागिया के नाम शामिल है अपने यादों के झरोखे से धुंधली यादों को साझा करते हुए उन्होंने  बताया कि ज़ीनत अमान के फ़िल्म हीरा पन्ना का सुपर हिट  गीत ...पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाए गीत... के परफॉर्मेंस देने के बाद ज़ीनत अमान इतनी प्रभावित हुई कि उन्हें गोद मे  बिठा कर उनके रुखसार को चूम लिया तथा उपहार स्वरूप उन्हें साढ़े तीन सौ रुपए प्रदान किए उनका कथन लाइव बैंड प्रोग्राम हो या कराओके  संगीत दोनों में  संगीत समान है तथा उन्हें दोनों क्षेत्र की गायकी में कोई परेशानी नही होती यही कारण है कि आधुनिक संगीत कराओके म्यूज़िकल में भी वे अपनी बराबर उपस्थिति दर्ज कराती है तथा अपनी सुर संगीत की यात्रा बराबर करती रहती है वही पारिवारिक जिम्मेदारी के संदर्भ में उनका कथन है कि पति सुरेश जी जो रेलवे कर्मी है वे सदैव उनका सहयोग एवं उत्साह वर्धन करते है एक पुत्र है वह अभी शिक्षा ग्रहण कर रहा है वे आगे कहती है है जब तक सांसों की साज चल रही है तब तक सुर संगीत की यह यात्रा अनवरत जारी रहेगा पूजा सिंह यकीनन आज नवोदित प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणा  है जो अनवरत रियाज करके लाइव प्रोग्राम एवं  कराओके म्यूज़िकल के चमकते सितारों में अपना उच्च स्थान बना चुकी है

*यह लेख कैसा लगाअपने कीमती विचार बताइएगा  कराओके प्रतिभाओं को सामने लाने की यह सार्थक पहल  है जिसमें ऐसे गुणवान प्रतिभाओं को सामने लाकर रूबरू कराया जाएगा*

सांगली नर्सरी में विलुप्त वनोपज चिरौंजी के अस्तित्व बचाने की पहल



        सांगली नर्सरी में विलुप्त वनोपज 

    चिरौंजी के अस्तित्व बचाने की सफल पहल 



अलताफ हुसैन

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) घटते वन बढ़ते कांक्रीटीकरण ने आज ज़न मानस के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है यही वजह है कि पर्यावरण संतुलन हेतु प्रदेश का वन विभाग नित नए नए प्रयोगों के साथ अपना अस्तित्व खो रहे वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु  कार्य कर रहा है तथा विलुप्त हो रहे ऐसे पेड़ पौधों की प्रजातियों को बचाने आधुनिक तकनीक एवं प्रयोग से उनका रोपण कर भावी पीढ़ी को रूबरू कराने कटिबद्ध है  छत्तीसगढ़ प्रदेश के वृहद पैमाने पर फैले वन क्षेत्रों में चार (चिरौंजी) के पेड़ पूर्व मे बहुतायत स्थिति में दृष्टिगोचर हो जाया करते थे  जिससे वनवासी,वनादिवासियों को  वनोपज के रूप यह बड़ी सहजता से उपलब्ध हो जाता था  तथा उनके आर्थिक स्त्रोत का एक सशक्त माध्यम भी बना हुआ था परन्तु जब से धीरे धीरे जंगलों में मानव की बढ़ती धमक एवं अवैध कटाई की घटनाएं बड़ी तब से  वनोपज चार (चिरौंजी) का पौधा का मिलना दुरूह हो गया

जिससे वन क्षेत्रों में निवासरत जन जाति वनवासियों,वनादिवासियों, को आर्थिक रूप से आघात पहुंचा ही वही दूसरी ओर चार पौधों का अस्तित्व भी वन क्षेत्रों से समाप्ति की ओर पहुंच गया जंगली पौधों के रुप में चिन्हित (चार)चिरौंजी के पौधों  की समाप्ति की वजह से निष्ठावान वन कर्मियों की माथों में शिकन  उभरने लगी तब उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का इस ओर ध्यानाकर्षण करवाया 



प्रदेश के राजनांदगांव  वन मंडल के अंबा गढ़ चौकी अंतर्गत ग्राम सांगली स्थित सांगली(रोपणी) नर्सरी संभवतः पूरे प्रदेश का पहला ऐसा रोपणी  है जहां चार (चिरौंजी) के अस्तित्व को बचाने हेतु मैदानी अमले के द्वारा  कवायद की जा रही है रोपणी में लगभग दो हजार (चार) चिरौंजी के सफल पौधे  रोपण  किए जाने का श्रेय राजनांदगांव सीएफ बी.पी.. सिंह साहब एवं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम एवं मैदानी अमले को जाता है जिनके द्वारा विलुप्त हो रहे चार के  अस्तित्व बचाने के सतत प्रयास, मार्ग दर्शन,दिशा निर्देश से सफलता का नवीन मार्ग प्रशस्त हुआ है प्रायोगिक रूप से किए गए उक्त प्रयास की सर्वत्र मुक्त कंठ से प्रशंसा मिल रही है  इसके लिए सुनील शर्मा नर्सरी प्रभारी  जो विगत कई वर्षों से वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे है परन्तु पेड़ पौधों एवं पर्यावरण के प्रति अथाह प्रेम की वजह से उन्हें विभाग द्वारा सौपें गए  सांगली नर्सरी प्रभार का दायित्व एवं क्षेत्र के वनों से विलुप्त होने के कगार में पहुंच रहे जन उपयोगी पौधों को सहेजने में पूरी निष्ठा से साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर अंबा गढ़ चौकी परिक्षेत्र के अंतर्गत  ग्राम सांगली स्थित सबसे पुराने सांगली रोपणी के  कुल चार हेक्टेयर भूमि में जो बहुत  छोटे भूभाग में है



अपनी लगन और कठोर परिश्रम करके नर्सरी में ऐसे विलुप्त प्रजाति के अस्तित्व बचाने के उद्देश्य से बीजारोपण रुट सूट ,एवं टहनी ड्राफ्टिंग के माध्यम से नन्हे नन्हे पौधों का जन्म पैदावार कर विशाल हरियाली आभा बिखेर रहे है जो आज भी आसपास के ग्रामीणों सहित,मुख्य मार्ग से गुजरते   विभागीय अधिकारियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है एक प्रकार से चार हेक्टेयर छोटे से भूभाग में नर्सरी के माध्यम से विभाग के लिए बहुत बड़ा कार्य को अंजाम दे रहे है संपूर्ण नर्सरी में चार नल स्त्रोत होने के बावजूद स्ट्रिंगकलर पद्धति के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था से बारह मासी वे कुछ न कुछ नया करते रहते है तथा ऐसे पौधे जो वन क्षेत्रों से विलुप्त होने के कागार में पहुंच चूके होते है उनके बीज संग्रहण कर उसका रोपण कर उसे सहेजने का पूरा प्रयास करते है बीज से रूट सूट के माध्यम से या पौधों को ड्राफ्टिंग कर ऐसे पेड़ पौधों को बचाने का पूर्ण प्रयास करते है जो विलुप्तता की कगार में पहुंच चुके है चिरौंजी पौधे रोपण का आइडिया कहां से आया पूछने पर उन्होंने इस सन्दर्भ में बताया कि बाजारों में जब किसी फलदार पौधों  के विलुप्त होने का अभास होता है तब सर्व प्रथम उसका सर्वे कर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाता है पश्चात विलुप्त प्रजाति के पौधों के बीज संग्रहण किया जाता है पश्चात ग्रीष्म ऋतु की तीक्ष्ण धूप में इन्हें खूब सुखाया जाता है पश्चात  कठोर अवरण को हटा कर चार के मध्य बीज के पतले अवरण जो  बीज के मुंह को खोल कर पहले मदर बेड में रोपण कर लिया जाता है पश्चात प्लास्टिक बैग में खाद मिश्रित उपजाऊ काली मिट्टी में  इनका पुनः रोपण कर शिफ्टिंग की जाती  है तथा नियमित पानी एवं कम से कम चार घण्टे धूप के साथ सतत निगरानी एवं सुरक्षा  की जाती है जब बीज अंकुरित होते है तब रोपित पौधों को पूरी तरह सेवा की जाती है अंबागढ़ चौकी के उप वन मण्डलाधिकारी शिवेंद्र कुमार साहू जो ऊर्जावान एवं युवा है उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि  चिरौंजी पौधा रोपण के  पूर्व  पहले ग्रीष्म ऋतु में वन क्षेत्रों से संग्रहित कर बीज संकलन किया गया तथा ग्रीष्म ऋतु में सुखा कर मदर बेड में रोपण कर उसे  काले बैग में खाद युक्त काली मिट्टी के साथ शिफ्टिंग किया गया प्रारंभिक वर्षा ऋतु में  लगातार प्राकृतिक वर्षा पानी मिलने से जब बीज के अंकुरण के साथ आशातीत परिणाम सामने आए तब मन खुशी से झूम उठा   जब वह दो से तीन फीट की ऊंचाई होने पर वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा  निर्देश एवं प्रयोग के रूप में अंकुरित दो टहनी को पृथक कर रूटसूट के माध्यम से रोपा गया जिसके आशातीत परिणाम कुछ ठीक  नही आए प्रभारी सुनील शर्मा ने आगे बताया कि  सीएफ बी.पी.सिंह  साहब के लगातार दौरे और मॉनिटरिंग से उनके दिशा निर्देश पर बीज से दो मुख टहनी फुटने पर एक टहनी के रूट सूट को पृथक बैग में ट्रांसफर कर रोपण किया गया जिससे  बहुत से पौधों  की क्षति हुई  इसके पश्चात  शेष पौधों के अस्तित्व को बचाने पूर्ण प्रयास किया गया जिसकी वजह से दो हजार पौधों को बचा लिया गया  सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा ने आगे बताया कि (चार) चिरौंजी के बाजार में कमी की वजह से इसके रोपण का आइडिया आया तब वरिष्ठ अधिकारी सी.एफ. बी.पी.सिंह एवं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम से इस संदर्भ में चर्चा कर लगभग 2500 से ऊपर स्थानीय वन क्षेत्रों के वनवासियों से विभागीय संग्रहण दर से (चार) चिरौंजी बीजों का संग्रहण किया गया तथा उनके दिशा निर्देश और मार्ग दर्शन में प्रायोगिक स्तर पर  कम बीजो के माध्यम से रोपण किया गया जिसके सार्थक परिणाम मिलने पर अधिकारी द्वय ने भी प्रसन्नता व्यक्त की सफलता पूर्वक चार (चिरौंजी) बीजों के रोपण में सी.एफ. बी.पी.सिंह साहब एवं डी.एफ.ओ.सलमा फारुखी मैडम  जैसे अधिकारियों के लगातार दिशा निर्देश,मार्ग दर्शन एवं समय समय पर मॉनिटरिंग का परिणाम है कि आज वन क्षेत्रों से विलुप्त (चार)  चिरौंजी पौधों के अस्तित्व को वन क्षेत्रों से बचाने सफलता प्राप्त हुई है बताते चले कि सीएफ बी.पी.सिंह साहब एक कड़क एवं कर्तव्य परायण अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है तथा कार्यों के प्रति कभी कोई समझौता नही करते यही वजह है कि समय समय पर कार्य स्थल का साक्षात अवलोकन कर वस्तुस्थिति से अवगत होकर कार्यों के प्रति समुचित दिशा निर्देश देकर गुणवत्ता पूर्वक कार्यों के किए जाने पर विश्वास करते है यही वजह है कि कार्यों की गुणवत्ता के साथ ही प्रशासनिक पकड़ भी मजबूत रखते है जिसके उदाहरण के रूप में सांगली रोपणी में चार (चिरौंजी) पौधों के रोपण में सफल परिणाम परिलक्षित हो रहे है वहीं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम जो पूर्व में  रायपुर वन मंडल के अंतर्गत वन अनुसंधान में अपनी सेवाएं दे चुकी है जहां आधुनिक तकनीक से पौधे रोपण के क्रिया कलापों से भी पूरी तरह अवगत है जिसका अनुभव का लाभ विभाग के ही सांगली रोपणी  में भले ही प्रायोगिक स्तर पर (चार) चिरौंजी पौधों के बीजा रोपण के साथ सफलता पूर्ण अंकुरण से उनका भी उत्साह के साथ प्रशंसा व्यक्त करना लाजिमी हो जाता है 

यही से तो एक कार्यो के प्रति निष्ठा एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की मूल पहचान भी बनती है सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा ने यह दावा किया है कि प्रदेश भर में सांगली नर्सरी एकलौता ऐसा रोपणी केंद्र  है जहां चिरौंजी के पौधे सफलता पूर्वक तैयार किए गए है जो वन विभाग के लिए अपने आप मे बहुत बड़ी उपलब्धि साबित हुई है प्रभारी सुनील शर्मा आगे बताते है कि रेंजर सुंदर लाल जांगड़े के द्वारा उनके मार्ग दर्शन में समस्त कार्य संपादित किए गए है उनके द्वारा खाद बीज से लेकर  समस्त सुविधाए उपलब्ध कराई गई है यही नही आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार मुहैया बारहमासी रोजगार ग्यारंटी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है वनवासियों से चार बीज संग्रहण पश्चात बीज क्रय  उन्ही के माध्यम से किया गया है ताकि गुणवत्ता पूर्ण बीज से रोपण कार्य किया जा सके वन क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले  (चार) चिरौंजी रोपण के संदर्भ में प्रशिक्षु भावसे परिक्षेत्राधिकारी  चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी ने बताया कि यह वनोपज फल बल वर्धक प्रोटीन युक्त ड्राई फ़ूड में उपयोग किया जाता है विलुप्त हो रही (चार) चिरौंजी के अस्तित्व को बचाने सीएफ साहब एवं डीएफओ  मैडम के दिशा निर्देश एवं मार्ग दर्शन में केवल राजनांदगांव वृत के सांगली रोपणी में प्रयोग के तौर पर दो हजार पौधों का सफल रोपण किया गया है इस संदर्भ में प्रभारी  रेंज अधिकारी 



  चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी भावसे (प्रशिक्षु परिक्षेत्राधिकारी अंबा गढ़ चौकी) बताते है कि इसके लिए वन क्षेत्र से वनवासियों से संग्रहण  कर धूप में इसे सुखाया गया पश्चात इसके हार्ड कव्हर गुठली को तोड़कर इसका रोपण किया गया प्रशिक्षु भावसे परिक्षेत्राधिकारी इसके रोपण तकनीक के बारे में अपनी राय   बताते है कि प्रारंभिक प्रक्रिया में फल को सूरज की तपिश में तपा कर  ऊपरी कठोत सतह साफ कर गुठली से बीज निकाल कर  बीज में छिलके के मुख की परत को सुई के समान स्थान बनाया जाता है तथा इसे नमी युक्त बेड में रोपा गया है सप्ताह भर पश्चात अंकुरण होने पर इसे क्रम अनुसार बेड में लगाया गया है या सीधे तौर पर भी इसे बेड में रोपा जा सकता है पर मालूम रहे कि जहां रोपा जा रहा है वह भूमि नमी युक्त होनी चाहिए तथा कम से कम तीन से चार घण्टे सूर्य की रौशनी और तपिश बराबर अंकुरण क्षेत्र में मिलनी चाहिए तभी यह अंकुरित हो कर ग्रोथ करेगा इसके पश्चात नियमित आवश्यकता अनुसार सिंचाई मिलनी चाहिए दो माह में लगभग डेढ़ से दो फीट चार पौधे सर्वाइव कर सकता है पश्चात इसे  दो से तीन फीट गड्ढे कर अन्य क्षेत्र में भी  रोपा जा सकता है  प्रशिक्षु भावसे  परिक्षेत्राधिकारी चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी का कथन है कि वन क्षेत्रों से  विलुप्त की कागार में पहुंच चुके बेशकीमती वनोपज (चार) चिरौंजी पौधों के अस्तित्व को बचाना अत्यंत आवश्यक हो गया है वर्तमान में  प्राचीन काल से ही चिरौंजी जो ड्रायफूड में शामिल किया गया है एक हजार रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक मानक के अनुसार इसका बाजार मूल्य है इसको बढ़ावा देने के लिए विभाग को इस पर विचार करना चाहिए इससे विभाग को भी अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है सांगली रोपणी में रोपित चार (चिरौंजी)पौधों के भावी उपयोग के संदर्भ में नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा कहते है कि  ग्राम पंचायतों,समजिक संस्थानों एवं  विभाग द्वारा मांग अनुसार इसका वितरण किया जाएगा क्योंकि यह केवल वन क्षेत्र तक सीमित रखने वाले पौधे नही है ऐसे जनोपयोगी  कीमती फल वाले पौधों को यदि ग्रामीण क्षेत्र नगर पंचायत शहर जैसे प्रत्येक क्षेत्र में रोपण करने से इसके दोहरा तिहरा लाभ प्राप्त किया जा सकता है  जैसे हितग्राही यदि अपने घर मे रोपे तो आने वाले कुछ वर्षों में ही लगभग पच्चीस से तीस किलो चार (चिरौंजी) फल एक पेड़ से प्राप्त कर सकता है तथा अतिरिक्त आय उपार्जन कर सकता है वही ग्राम पंचायत अथवा नगर,शहर में रोपा जाता है तो पर्यावरण संतुलन में भी सहायक है इसके अलावा बेशकीमती फलदार पौधे होने की वजह से अवैध कटाई से भी बचत हो सकती है  सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा आगे कहते है कि इसके लगने से बढ़ते प्रदूषण से भी राहत मिल सकती है बस,आवश्यकता है कि विभाग इसके संरक्षण के साथ संवर्धन की एक सार्थक पहल करे  जिससे भावी पीढ़ी को आर्थिक आय के साथ प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्मित करने में यह चिरौंजी पौधा सब के लिए ,लाभकारी के साथ हित कारक साबित हो सकता है

रविवार, 21 अगस्त 2022

गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप की सफल प्रस्तुति देर रात तक किशोर दा के गीतों पर झूमे श्रोता*

 *गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप की सफल प्रस्तुति देर रात तक किशोर दा के गीतों पर झूमे श्रोता*


अलताफ हुसैन

रायपुर जीवन मे कुछ नया करने की ललक,दृढ़ इच्छा शक्ति,पूर्ण मनोवेग और ईमानदारी से किया गया प्रयास सदैव सफलता की कुंजी माना गया है उक्त वाक्यों को सार्थक कर दिखाया *गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप* ने रविवार को गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप के द्वारा स्व.किशोर दा की स्मृति में गीत संगीत का रंगारंग कार्यक्रम नव भारत के पीछे स्थित माया राम सुरजन हॉल में सम्पन्न हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ  स्तुति गीत... ऐ मालीक तेरे बंदे है हम...  से प्रारंभ  किया गया जिसे रायपुर शहर की मंझी हुई गायिका पूजा सिंह के द्वारा प्रस्तुत दिया गया

पश्चात नवाब कादिर और पूजा सिंह के द्वारा गाया युगल गीत...हमारे सिवा तुम्हारे और कितने दीवाने.. प्रस्तुत किया गाया जिसे श्रोताओं ने काफी सराहा वही गाता रहे मेरा दिल के लीड गायक जयदीप होर के द्वारा... जीवन के दिन.. छोटे सही ...हम भी बड़े दिल वाले ...गीत बड़ी संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया गया जिसे दर्शकों ने ताली की गड़गड़ाहट से स्वागत किया

नवोदित सिंगर मुजीब अली के द्वारा ...एक अजनबी हसीनों से ...यूं मुलाकात हो गई... गीत की प्रस्तुति दी गई  तो मुकेश की आवाज़ को आत्मसात कर पृथक पहचान बना चुके नंद किशोर मिश्र के द्वारा  बहुत सुंदर ढंग मो रफी की आवाज़ मे ...ऐ गुल बदन गीत की... प्रस्तुति दी गई नया उभरता चेहरा श्रेया भट्टाचार्य जो भविष्य मे क्लासिकल संगीत क्षेत्र का चमकता सितारा है उसके  द्वारा ,,,कुहू कुहू बोले कोयलिया ,,,क्लासिक गीत को सुन कर श्रोता गण  अपने आप को रोक नही सके तथा अपने स्थान पर खड़े हो कर जम कर ताली बजाकर श्रेया को अपना स्नेह दिया संजय वर्मा के द्वारा गीत ...ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा ...एवं फ़िल्म याराना का सुपर डुपर गीत ...सारा ज़माना..हसीनों का दीवाना..जैसे फ़ास्ट गीत ने गीत संगीत की महफ़िल में जबरदस्त गर्मी ला दी 


छत्तीसगढ़ में कराओके म्यूज़िक लाने वाले कमल बड़वानी के द्वारा गीत..क्या यही प्यार है..एवं कोरा कागज था ये मन मेरा गीत की बेहतरीन प्रस्तुति पूजा के साथ  दी गई ... जिनकी गायकी में भी परिपक्वता नज़र आई युवा गायक राजेश गोयल के द्वारा मुकेश की आवाज़ में  चंदन सा बदन  चंचल सी किरण...  को लोगो ने पसंद किया ...आर वासु के द्वारा ,,,देखा न हाए रे सोचा न,,,, एवं हम बंजारों की बात मत पूछो जी..के अलावा अन्य गीतों  को श्रोताओं से अच्छा प्रतिसाद मिला अतिथि गायक संदीप तिवारी के द्वारा गाया गीत ...मच गया शोर सारी नगरी रे... पर लोगो ने बहुत ताली बजाया तो अब्दुल क़य्यूम के द्वारा कव्वाली ..ये माना मेरी जान ..मुहब्बत सजा है ...गीत पर बैठे सभी श्रोता झूम कर अपने स्थान पर ताली के साथ गीत को संगत देते हुए  नाचने लगे इसके अलावा , नवाब कादिर एवं पंचमी शेन्द्रे पूजा सिंह,श्रेया भट्टाचार्य  के द्वारा प्रस्तुत  युगल गीत क्रमशः ,,मेरे सपनों का वो राजा मेरे दिल का वो राजकुमार,,,अच्छा तो हम चलते है गीत को बहुत पसंद किया गया
 मंच संचालन के साथ एल. एन.लाहोटी जी के गायकी की भूमिका में मूल स्वर में ... ये दुनिया ये महफ़िल.. मेरे काम की नही....तथा पूजा सिंह के साथ प्रस्तुत युगल गीत ...सावन का महीना पवन करे सोर...की प्रस्तुति काबिले तारीफ रही  वर्षों से कला साहित्य सामाजिक आर्थिक क्षेत्र मे अपनी लंबी सेवा देने वाले श्री लाहोटी का  पुष्प गुच्छ श्रीफल,एवं स्मृति चिन्ह देकर डायरेक्टर नवाब कादिर द्वारा सम्मानित किया गया

 गाता रहे मेरा दिल  म्यूज़िकल ग्रुप के संरक्षक पार्षद तिलक पटेल से विशेष आग्रह पर उनके द्वारा एक गीत .. . ...पल पल दिल के पास तुम रहती हो,,,बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया  तथा श्रोताओं ने  काफी पसंद किया डायरेक्टर  नवाब कादिर श्रेया भट्टाचार्य,कमल बड़वानी,पूजा सिंह.आर वासु,संजय वर्मा,  जयदीप होर,संदीप तिवारी,मिसेस तिवारी,ने कार्यक्रम में लगातार एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीतों की प्रस्तुति दी क्लासिकल गीत के अलावा श्रेया भट्टाचार्य के द्वारा गीत ,,पिया तू अब तो आजा गीत पर जबरदस्त तालियों की गड़गड़ाहट से श्रेया का स्वागत अभिनन्दन किया गया , अतिथि गायक,संदीप तिवारी पूजा सिंह के द्वारा ,,,,जीना क्या अजी प्यार बिना,, गीत को काफी पसंद किया गया कार्यक्रम के मध्य में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित पार्षद तिलक पटेल का श्रीफल शाल, पुष्प गुच्छ के साथ स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया ..



कार्यक्रम देर से प्रारंभ होने के कारण कसे हुए अंदाज़ में  मंच संचालन करते हुए लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने  बेहतरीन ढंग से मोर्चा सम्हालते हुए क्रम अनुसार एक एक कर नए और अतिथि कलाकारों को श्रोताओं के हवाले करते गए तथा गायक कलाकारों ने भी  अपनी गायकी के साथ पूरा पूरा न्याय करते हुए पहली बार गाता रहे मेरा दिल कार्यक्रम की प्रस्तुति में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की गाता रहे मेरा दिल  म्यूज़िकल ग्रुप का यादे किशोर कुमार कार्यक्रम  वाकई में एक चुनौती के रूप में था परन्तु नवाब कादिर के द्वारा विपरीत परिस्थितियों में  कुछ नया करने के जज़्बे ने खड़ी हुई  बड़ी चुनौती को भी बौना कर दिया पहली मर्तबा सम्पन्न हुए उक्त कार्यक्रम में कुछ कमी  रह गई जिसका निराकरण एवं सुधार भविष्य में करने की बात कही है
फिर भी चलते कार्यक्रम में एक समय ऐसा भी आया था  कि श्रोताओं को बैठने कुर्सी नही मिली तो श्रोता बाहर हॉल में चाय की चुस्की लेते हुए कार्यक्रम का आनंद उठाते दिखे इन कमी के बावजूद श्रोता अपने स्थान पर पूर्ण तन्मयता से डटे रहे तथा नब्बे प्रतिशत विशुद्ध किशोर दा के गाए सदाबहार सुपर हिट गीतों को सुनकर श्रोता देर रात तक गीत संगीत का आनंद लेते रहे गाता रहे मेरा दिल के संयोजक डायरेक्टर नवाब कादिर अपने प्रथम सफल प्रोग्राम से गदगद हो कर 16 अक्टूबर को पुनः कार्यक्रम करने का मन बना चुके है जिसकी घोषणा शीघ्र करने की बात कही वही मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने उपस्थित समस्त कराओके परिवार एवं श्रोताओ का हृदय से आभार व्यक्त किया

बुधवार, 17 अगस्त 2022

गायक,कवि, पुरातत्व संग्रहण के साथ छह सौ मंचों के सफल संचालन का अनूठा विश्व कीर्तिमान

 गायक,कवि, पुरातत्व संग्रहण के साथ छह सौ मंचों के सफल संचालन का अनूठा विश्व कीर्तिमान


अलताफ हुसैन

रायपुर ,उन्नत ललाट,ऊंचा कद काठी, सफेद लकदक वस्त्र, चश्मे के पीछे आत्म विश्वास और स्वाभिमान से चमकती आंखे, सूर्य सा दमकता मुख मंडल, प्रभावशाली व्यक्तित्व और सदैव संवेदनशील मानव हित एकता के लिए तत्पर,समाजिक उत्थान एवं महिला सशक्तिकरण का जज़्बा,आर्थिक प्रगति के खेवनहार, कवि,गायक,सहित स्वदेशी विरासत,संस्कृति,लोक कला के साझेदार, ऐसे सर्वगुण सम्पन्न व्यक्तित्व  का नाम लक्ष्मी नारायण लाहोटी है जो राजधानी रायपुर के आन बान और शान बन चुके है कवि गायक,एवं मंच में अपनी जादुई आवाज़ से लोगो को बांधने वाले जादूगर एवं अद्भुत प्रतिभा के धनी लक्ष्मी नारायण लाहोटी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व का  कम से कम आज के इस अवसरवादी काल मे मिलना तनिक कठिन है फिर भी ऐसे आकर्षक,अद्भुत प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी जिनमे उपरोक्त समस्त विधाएं कूट कूट कर रची बसी है ऐसे व्यक्तित्व आज बगैर किसी लोभ और अपेक्षाओं से लगभग पच्चीस वर्षों से ऊपर अपने सामाजिक नैतिक दायित्वों का निर्वहन अनवरत कर अपनी एक पृथक छबि रायपुर शहर मे बना चुके है जिनकी पहचान  विरले व्यक्तित्व के रूप में लक्ष्मी नारायण लाहोटी के नाम से  अंकित हो चुका है   जिन्होंने सामाजिक,आर्थिक,एवं साहित्य,कला क्षेत्र में  अपनी पृथक पहचान बनाई है आज शहर के किसी भी  स्थल में अब चाहे वह कवि सम्मेलन,मुशायरा, हो अथवा गीत संगीत का कार्यक्रम हो या विधवा विधुर विवाह हो या फिर आर्थिकी प्रगति का समायोजित  मंच हो जब तक श्री लाहोटी जी की उपस्थिति वहां न हो ऐसे प्रायोजित होने वाले कार्यक्रम के मंच फीके और नीरस से प्रतीत होते है यही वजह है कि इस प्रकार के आयोजनों में उन्होंने  25 वर्षों से लगभग 600 से ऊपर मंचीय सूत्रधार का सफल भूमिका का निर्वहन करते हुए  एक अटूट विश्व कीर्तिमान अपने नाम स्थापित कर लिया है 

 रायपुर शहर के पुरानी बस्ती महामाया मंदिर के पृष्ठ क्षेत्र में निवासरत 63 वर्षीय लक्ष्मी नारायण लाहोटी की एक पृथक पहचान समाजिक आर्थिक उत्थान,गीत संगीत,साहित्य,कला, क्षेत्र में बन चुकी है  श्री लक्ष्मी नारायण लाहोटी से जब मिल कर इस विषय को लेकर चर्चा की तब उन्होंने खुले किताब की भांति अपने जीवन के पन्ने पृष्ठ दर पृष्ठ पलटते चले गए उन्होंने बताया कि पुरातत्व वस्तुओं का संकलन उनका शौक रहा है यही वजह है कि 70 वर्षों से प्राचीन टेलीफोन आज उनके घर की शोभा बढ़ा रहा है मजे की बात यह है कि 1950 से लगाए गए यह टेलीफोन आज भी चालू हालात में है तथा लैड लाइन नम्बर आज भी चालू स्थिति में है प्रारंभिक टेलीफोन बिल 19 रुपये आना बताया लगाए गए टेलीफोन के बिल कोरोना काल को छोड़ कर  आज तक उनके पास है जो सबसे बड़ी उपलब्धि है इसके अलावा बहुत से 786 सीरीज नम्बर के नोट का संकलन उन्होंने किया हुआ है जिसे वे सहज के रखे हुए है लक्ष्मी नारायण लाहोटी आगे बताते है कि उन्होंने लगभग 20 वर्षों से कौमी एकता के नाम पर मदार बाडा पुरानी बस्ती में होने वाले कव्वाली का आयोजन में अपनी सहभागिता निभाई है इसके अलावा उर्दू और हिंदी कवि सम्मेलन,मुशायरों, में बकायदा रचना प्रस्तुति के साथ मंच साझा किया है मुनव्वर राणा से लेकर जानी बाबू ललकार  जैसे कई बड़े शायर और कव्वालों के साथ उनकी यादे आज भी जुड़ी है यही वजह है कि बहुत से सेलिब्रिटीज के जन्म दिवस के साथ प्रमुख तिथि को एक डायरी में संकलित कर रखा है तथा आज भी पुराने से लेकर नए शायर,कवि के मध्य उनकी अच्छी पकड़ बनी हुई है  लक्ष्मी नारायण लाहोटी से जब कला संस्कृति से जुड़ने के संदर्भ में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि बचपन से ही सामाजिक मुख्य धारा में कुछ नया करने के एक जुनून के चलते वे युवा अवस्था से ही  भिन्न भिन्न कला साहित्य,गीत संगीत और सामाजिक क्षेत्रों में लगातार संलिप्त रहे परिणामतः "जहां चाह वहां राह" की स्थिति निर्मित होती चली गई और शनैः शनैः उनकी यशस्वी प्रतिभागी उपरोक्त क्षेत्र में बढ़ती चली गई यही नही महिलाओं के सम्मान एवं उनके सशक्तिकरण के लिए  प्रति वर्ष मार्च में होने वाले महिला दिवस के उपलक्ष पर अब तक 108  ऐसे चयनित  महिलाओं का सम्मान भी कर चूक है  जिससे ऐसी महिलाओं का आत्म सम्मान बढ़ा है  वृद्ध, युवाओं, के एकांकी जीवन में तनिक क्षण तनाव मुक्त जीवन से रूबरू कराने के उद्देश्य से समय समय पर विविध कार्यक्रम जैसे कवि सम्मेलन,मुशायरे,एवं कवि गोष्ठी,नशिस्त, गीत संगीत इत्यादि का आयोजन कर इस माध्यम से उनमें ऊर्जा का संचार  करने  का सामाजिक महती दायित्व भी वे निभाते रहे है जिसके कारण उन्हें स्थानीय कवि संघ का महासचिव नियुक्त किया गया उनकी बहुत सी रचनाओं का प्रकाशन स्थानीय एवं देश के भिन्न भिन्न समाचार पत्रों, पुस्तकों में किया जा चुका है स्थानीय उर्दू अकादमी में भी उनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है  इसके अलावा  व्यवसायिक संगठन चेम्बर ऑफ कॉमर्स में भी विभिन्न पदों पर रहते हुए अपना अमूल्य वैचारिक योगदान देते रहे है व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े लाहोटी जी का  जीवन काल मे गीत संगीत के क्षेत्र में विशेष रुचि रही हैं उनके लगातार सक्रियता एवं उपस्थिति से आज यह क्षेत्र अपने अविश्वसनीय शिखर पर पहुंच चुका है  कराओके व्ही एम डब्ल्यू  म्यूज़िकल ग्रुप के माध्यम से की गई एक छोटी सी शुरुआत आज शहर के गायकों के लिए जोश,जुनून,और ऊर्जा का संचार कर रही  है राजधानी रायपुर में ही लगभग 30 से 35 म्यूज़िकल ग्रुप संस्थाएं आज अस्तित्व में आ चुकी है तथा गीत संगीत कार्यक्रम के श्रोताओं में भी भारी इजाफा हुआ है अब राजधानी में म्यूज़िकल ग्रुप के द्वारा दी जाने वाले कार्यक्रम की स्थित यह निर्मित हो गई है कि सप्ताह में चार कार्यक्रम होने लग गए तथा लगातार प्रतिभाएं निखर कर सामने आ रही है गीत संगीत से जुड़े लगाव के संदर्भ में लाहोटी जी का कथन है कि गीत संगीत बचपन से ही वे आत्मसात किए हुए है गीत संगीत मानव जीवन में ऑक्सीजन का कार्य करती है यह ईश्वरी संरचना का बेहतरीन शाहकार है जो एक तरफ अध्यात्म से जोड़ने में सहायक होता है तो दूसरी ओर दुखी और मृतप्रायः व्यक्ति के मन को तनाव मुक्त,प्राण वायु भर देता है उन्होंने लोगो से अपील की है कि एक बार जीवन के तनाव  से जूझ रहे व्यक्ति गीत संगीत कार्यक्रम में आए तो वह स्वयं को शांत चित्त महसूस करने लगेगा वही आश्चर्य का विषय यह भी है कि अधिकांश प्रायोजित फिल्मी गीत संगीत कार्यक्रम में उनकी गायकी के साथ सफल मंच संचालन का दोहरा रूप भी परिलक्षित होता है एक प्रकार से कार्यक्रम का संपूर्ण भार लाहोटी जी के कंधों पर टिका हुआ  होता है फिर भी वे इस सहजता से उसे निभाते है कि लोग कभी बोरियत महसूस नही करते इस बारे में वे कहते है कि कम शब्दों में मनोरंजन के साथ गायकों को श्रोताओं के हवाले करना तथा उन्हें और श्रोताओं के मध्य परस्पर समन्वय स्थापित करने की कला ज्ञाता ही एक सफल मंच संचालक बन सकता है लाहोटी जी के सफल मंच संचालन के संदर्भ मे जब  गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप के डायरेक्टर एवं आयोजक नवाब कादिर से जानना चाहा  तब उन्होंने लाहोटी जी के संदर्भ में बताया कि वे एक सादगी पसंद व्यक्ति के साथ मृदु भाषी एवं कम शब्दों में प्रस्तुतिकरण उनकी सबसे बड़ी विशेषता है छोटा हो या बड़ा सबका सम्मान उनके महान व्यक्तित्व को परिभाषित करता है यही वजह है कि म्यूज़िकल कार्यक्रम के अलावा अन्य प्रायोजित कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति, एवं सहभागिता सुनिश्चित रहती है  समाचार पत्र यूथ क्रांति के संपादक एवं पत्रकार तथा "गाता रहे मेरा दिल" म्यूज़िकल ग्रुप के डायरेक्टर श्री नवाब कादिर ने आगे बताया कि लाहोटी जी मेरे बाल सखा होने के साथ विद्या काल से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे है आज उनके द्वारा गीत संगीत,साहित्य कला क्षेत्र के  कार्यक्रमों में दी जाने वाली प्रस्तुति,समाजिक,व्यवसायिक,दायित्वों का निर्वहन उनके व्यक्तित्व पर चार चांद लगा रहा है जिसके पीछे उनकी लगातार,परिश्रम,त्याग नैतिक दायित्वों का पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक की गई तपस्या का परिणाम है जिसका प्रतिफल उन्हें अब प्राप्त हो रहा है श्री नवाब कादिर ने उनके उत्तरोत्तर सफल,स्वस्थपूर्ण जीवन एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना की है यहां यह कथन अतिशयोक्ति नही होगा कि लक्ष्मी नारायण लाहोटी तो व्यक्ति एक है परन्तु अनेक प्रतिभाओं को स्वतः में समेटे हुए है एक प्रकार से वे चलते फिरते,जीते जागते संपूर्ण प्रतिभा के विद्यालय है जिनसे जितना प्रतिभा प्राप्त करना है  वह उनसे प्राप्त कर सकता है