*जब तक सांसों की साज चलेगी... तब तक  सुर साधना जारी रहेगी -पूजा सिंह*
अलताफ हुसैन
रायपुर कितना सत्य छुपा है इन शब्दों में कि पूजा यदि मन से किया जाए तो ईश्वर मिलते है मन केवल पवित्र एवं ईश्वर के प्रति निस्वार्थ लगन और सतत अनुराग होना चाहिए जहां चाह वहां राह वाली उक्ति यहां चरितार्थ होती सी प्रतीत होती है इतिहास साक्षी है ऐसे बहुतेरे लोग रहे है जिन्होंने बगैर गुरु द्रोणाचार्य के एकलव्य बन कर बेहतर लक्ष्य प्राप्त कर एक सफल धनुर्धारी बने है और संपूर्ण देश मे अपना और देश का नाम रौशन किया है फिर भला क्षेत्र कोई सा ही क्यों न हो अब ज्यादा विस्तार में न जाते हुए हमारे नई आधुनिक तकनीक से विकसित कराओके म्यूज़िक को ही ले ले फिल्मों के रुपहले पर्दे पर बैक ग्राउंड स्वर देने वाले ऐसे महान हस्तियों को रेडियो रिकार्ड मे जब सुना जाता था तब वो सुपर हिट गीत संगीत सुनने के पश्चात श्रोताओं द्वारा गुनगुनाए भी जाते थे परन्तु हर किसी का मुम्बई के मायानगरी तक पहुंचना बहुत मुश्किल था समय अनुसार उन महान गायकों की आवाज़ को सुनने उनके समान हूबहू नकल आवाज़ के एवज में लाइव बैंड आर्केस्टा का ईजाद हुआ जिसमें समस्त साज के साथ संगत करने ऐसे गायकों ने अपने फन का मुज़ाहिरा कर अपने दिल मे दबी सुर की चिंगारी को आग बना कर प्रस्तुत किया परिणामतः बहुत से गायक फिल्मी दुनिया के दहलीज में भी पहुंच गए जिनमे कुमार शानू जैसे गायक का नाम उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है फिर व्यस्त जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते लाइव आर्केस्टा संगीत की विशाल साज ओ सामान को एकत्र करना भी बड़ा कठिन था जिसकी वजह से बहुत सी प्रतिभाओं की आवाज़ गुमनामी के अंधेरे में खो गई समय परिवर्तन के साथ फिर आया इंटरनेट और यु तुयूब का आधुनिक दौर जिसमे सारी सुविधाएं अर्थात म्यूज़िक के साथ केवल बोल के लाइन चलने से ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं अपने चित्त आकर्षक आवाज़ से सुर साधना करने लगे परिणामतः हमारे भीड़ भरे मानव समाज के बीच ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं निखर कर सामने आने लगी जिसमे रायपुर शहर का एक जाना पहचाना नाम बहुत तेजी से उभर कर सामने आया जिसे लोग सिंगर पूजा सिंह के नाम से पहचानते है जिनकी सुर के पकड़ के साथ सधी हुई खनकती हुई आवाज़ जब कानों में पहुंचता है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानों कान में कोई मधुर रस घोल दिया हो और श्रोता भी उनके गीत पर झूमने लगते है
पूजा सिंह का नाम कराओके म्यूज़िकल क्षेत्र में अपरिचित नही है सुर संगीत में नाम और मुकाम को पाने के लिए अपने नाम पूजा के अनुरूप उन्होंने गीतों के सुर और संगीत की पूजा की है आज भी वे कम से कम तीन से चार घण्टे साउंड सिस्टम में बकायदा रियाज करती है लगातार रियाज़ करते रहने से आवाज़ में धारदार चमक बन गई है कि लगता ही नही की वो एक साधारण परिवार से उठ कर गायकी में अपना एक उच्च मुकाम हासिल कर लेगी अपने बारे में वे बताती है कि बाल्यकाल से ही गीत संगीत की शौकीन रही पूजा सिंह का वास्तविक नाम बसंती सिंह है तथा बचपन से ही रायपुर आर्केस्टा के प्रोग्राम को बड़े ध्यान से सुनती थी एक दिन प्रोग्राम के दौरान रायपुर शाहर के छत्तीसगढ़ के किशोर कुमार कहलाने वाले हबीब उमरानी से उनकी मुलाकात उनके चाचा जगन्नाथ के साथ की तब उनके जगन्नाथ चाचा ने हबीब उमरानी जी को किशोरी पूजा सिंह से मिलवाया तथा एक गीत उन्हें सुनाने कहा - तब उनके समक्ष उन्होंने एक गीत गुनगुनाया तब हबीब जी ने बाल्यावस्था की पूजा सिंह को करीब बुला कर कहा -बेटा तुम छोटी हो आवाज़ सुरीली है तुम गायकी करों तुम्हारी आवाज़ बहुत सुरीली है कहते है कोई भी अपनी किस्मत लिखाकर नही आता केवल किस्मत उस कलाकार के कान में सुर फूंककर चली जाती है स्व. हबीब उमरानी भी पूजा सिंह के लिए किस्मत बन कर आए तथा बाल्यकाल में पूजा सिंह के कान में गायकी का सुर फूंक कर चले गए बस,पूजा सिंह के बालमन में फिल्मी गीत संगीत और गायकी के प्रति एक जुनून और दीवानगी सी बन गई तथा वे संगीत महाविद्यालय में सरगम समझने एडमिशन भी ले लिया परन्तु सरगम विद्या से कुछ दिन रूबरू होने के पश्चात आर्थिक तंगी के चलते उसे छोड़ना पड़ा पूजा सिंह की गायकी का जुनून को ऐसे भी समझा जा सकता है कि उस समय दस पन्द्रह पैसे में मिलने वाली फिल्मी गानों की किताब मंगा कर स्कूल में गीतों को गुनगुनाया करती थी फिर ओबरॉय म्यूज़िकल ग्रुप में जुड़ कर अपनी सुर साधना करने लगी तात्कालिक समय उनके गुरु येशुदास एवं इकबाल सिंह ओबेरॉय रहे जिन्होंने सुर,संगीत की बारीकियों के बारे में बताया उस समय बाल्यकाल में सैफ सुहैल भी ओबेरॉय म्यूज़िकल ग्रुप में संगीत की बारीकियों से रूबरू हो रहे थे कुछ वर्षों पश्चात युवा सैफ सुहैल ने अपना म्यूज़िकल ग्रुप की स्थापना कर ली तथा पूजा सिंह ओबरॉय म्यूज़िकल ग्रुप के अलावा सैफ सुहैल के म्यूज़िकल ग्रुप में भी अपने हुनर और प्रतिभा को चमकाती रही तथा लंबे समय तक उनके साथ कार्य करते हुए बहुत से प्रोगाम देती रही और गीतों की बारीकियों और सुर के उतार चढ़ाव को बहुत ध्यान से सुन कर गीत संगीत की विधा को अंगीकार करती रही इस परिपेक्ष्य में एक दोहा... करत करत अभ्यास के जड़ मति होत सुहान..का स्मरण भी हो रहा है जिसमे कवि द्वारा यह कहा गया है कि कुंए के किनारे बार बार बाल्टी के रगड़ से ठोस पत्थर में भी रगड़ के निशान आ जाता है ठीक वैसे ही उपरोक्त दोहे को चरितार्थ करते हुए बार बार अभ्यास करते हुए एक चमकदार पूजा सिंह के रूप में वो उभरती गई और अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होती चली गई परिणामतः शनैः शनै उसकी गायकी में इतनी चमक आ गई कि साज ओ आवाज़ के उतार चढ़ाव राग,में अपनी मजबूत पकड़ बना ली अब चाहे कहीं लाइव परफॉर्मेंस हो या कराओके संगीत का प्रोग्राम पूजा सिंह सभी फीमेल सिंगर विशेषकर आशा जी लता जी की आवाज़ को इतनी सहजता और आकर्षक आवाज़ में जादुई तरीके से प्रस्तुत करती है कि सुनने वाला जड़वत हो मंत्रमुग्ध हो जाता है हालांकि पूजा सिंह का यह कथन कि वह अब भी एक प्रशिक्षु गायिका के समान है तथा लगातार साधना करती हूं उनका कथन है कि गीत संगीत ऐसी पूजा है ऐसा सुर साधना है जो किसी अथाह सागर से कम नही है जो जितना इस सागर में डुबकी लगाएगा उतना ही उसे सुर संगीत के विशाल सागर से मोती प्राप्त होगा हालांकि पूजा सिंह आज प्रोफेशनल तरीके से भी इसे लेती है क्योंकि उनका इस संदर्भ में कथन है कि...खाली पेट भजन भी नही होता. .इसलिए थोड़ा पारिश्रमिक का अधिकार तो उनका बनता ही है पूजा सिंह ने सैफ सुहैल म्यूज़िकल ग्रुप ओबेरॉय म्यूज़िकल ग्रुप के अलावा बहुत से लाइव प्रोग्राम सुप्रसिद्ध फिल्मी सितारों की उपस्थिति में किया है जिनमे सुप्रसिद्ध फिल्मी नायिका,ज़ीनत अमान,ममता कुलकर्णी,अमृता नागिया के नाम शामिल है अपने यादों के झरोखे से धुंधली यादों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ज़ीनत अमान के फ़िल्म हीरा पन्ना का सुपर हिट गीत ...पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाए गीत... के परफॉर्मेंस देने के बाद ज़ीनत अमान इतनी प्रभावित हुई कि उन्हें गोद मे बिठा कर उनके रुखसार को चूम लिया तथा उपहार स्वरूप उन्हें साढ़े तीन सौ रुपए प्रदान किए उनका कथन लाइव बैंड प्रोग्राम हो या कराओके संगीत दोनों में संगीत समान है तथा उन्हें दोनों क्षेत्र की गायकी में कोई परेशानी नही होती यही कारण है कि आधुनिक संगीत कराओके म्यूज़िकल में भी वे अपनी बराबर उपस्थिति दर्ज कराती है तथा अपनी सुर संगीत की यात्रा बराबर करती रहती है वही पारिवारिक जिम्मेदारी के संदर्भ में उनका कथन है कि पति सुरेश जी जो रेलवे कर्मी है वे सदैव उनका सहयोग एवं उत्साह वर्धन करते है एक पुत्र है वह अभी शिक्षा ग्रहण कर रहा है वे आगे कहती है है जब तक सांसों की साज चल रही है तब तक सुर संगीत की यह यात्रा अनवरत जारी रहेगा पूजा सिंह यकीनन आज नवोदित प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अनवरत रियाज करके लाइव प्रोग्राम एवं कराओके म्यूज़िकल के चमकते सितारों में अपना उच्च स्थान बना चुकी है
*यह लेख कैसा लगाअपने कीमती विचार बताइएगा कराओके प्रतिभाओं को सामने लाने की यह सार्थक पहल है जिसमें ऐसे गुणवान प्रतिभाओं को सामने लाकर रूबरू कराया जाएगा*


 
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