बुधवार, 24 अगस्त 2022

सांगली नर्सरी में विलुप्त वनोपज चिरौंजी के अस्तित्व बचाने की पहल



        सांगली नर्सरी में विलुप्त वनोपज 

    चिरौंजी के अस्तित्व बचाने की सफल पहल 



अलताफ हुसैन

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) घटते वन बढ़ते कांक्रीटीकरण ने आज ज़न मानस के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है यही वजह है कि पर्यावरण संतुलन हेतु प्रदेश का वन विभाग नित नए नए प्रयोगों के साथ अपना अस्तित्व खो रहे वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु  कार्य कर रहा है तथा विलुप्त हो रहे ऐसे पेड़ पौधों की प्रजातियों को बचाने आधुनिक तकनीक एवं प्रयोग से उनका रोपण कर भावी पीढ़ी को रूबरू कराने कटिबद्ध है  छत्तीसगढ़ प्रदेश के वृहद पैमाने पर फैले वन क्षेत्रों में चार (चिरौंजी) के पेड़ पूर्व मे बहुतायत स्थिति में दृष्टिगोचर हो जाया करते थे  जिससे वनवासी,वनादिवासियों को  वनोपज के रूप यह बड़ी सहजता से उपलब्ध हो जाता था  तथा उनके आर्थिक स्त्रोत का एक सशक्त माध्यम भी बना हुआ था परन्तु जब से धीरे धीरे जंगलों में मानव की बढ़ती धमक एवं अवैध कटाई की घटनाएं बड़ी तब से  वनोपज चार (चिरौंजी) का पौधा का मिलना दुरूह हो गया

जिससे वन क्षेत्रों में निवासरत जन जाति वनवासियों,वनादिवासियों, को आर्थिक रूप से आघात पहुंचा ही वही दूसरी ओर चार पौधों का अस्तित्व भी वन क्षेत्रों से समाप्ति की ओर पहुंच गया जंगली पौधों के रुप में चिन्हित (चार)चिरौंजी के पौधों  की समाप्ति की वजह से निष्ठावान वन कर्मियों की माथों में शिकन  उभरने लगी तब उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का इस ओर ध्यानाकर्षण करवाया 



प्रदेश के राजनांदगांव  वन मंडल के अंबा गढ़ चौकी अंतर्गत ग्राम सांगली स्थित सांगली(रोपणी) नर्सरी संभवतः पूरे प्रदेश का पहला ऐसा रोपणी  है जहां चार (चिरौंजी) के अस्तित्व को बचाने हेतु मैदानी अमले के द्वारा  कवायद की जा रही है रोपणी में लगभग दो हजार (चार) चिरौंजी के सफल पौधे  रोपण  किए जाने का श्रेय राजनांदगांव सीएफ बी.पी.. सिंह साहब एवं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम एवं मैदानी अमले को जाता है जिनके द्वारा विलुप्त हो रहे चार के  अस्तित्व बचाने के सतत प्रयास, मार्ग दर्शन,दिशा निर्देश से सफलता का नवीन मार्ग प्रशस्त हुआ है प्रायोगिक रूप से किए गए उक्त प्रयास की सर्वत्र मुक्त कंठ से प्रशंसा मिल रही है  इसके लिए सुनील शर्मा नर्सरी प्रभारी  जो विगत कई वर्षों से वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे है परन्तु पेड़ पौधों एवं पर्यावरण के प्रति अथाह प्रेम की वजह से उन्हें विभाग द्वारा सौपें गए  सांगली नर्सरी प्रभार का दायित्व एवं क्षेत्र के वनों से विलुप्त होने के कगार में पहुंच रहे जन उपयोगी पौधों को सहेजने में पूरी निष्ठा से साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर अंबा गढ़ चौकी परिक्षेत्र के अंतर्गत  ग्राम सांगली स्थित सबसे पुराने सांगली रोपणी के  कुल चार हेक्टेयर भूमि में जो बहुत  छोटे भूभाग में है



अपनी लगन और कठोर परिश्रम करके नर्सरी में ऐसे विलुप्त प्रजाति के अस्तित्व बचाने के उद्देश्य से बीजारोपण रुट सूट ,एवं टहनी ड्राफ्टिंग के माध्यम से नन्हे नन्हे पौधों का जन्म पैदावार कर विशाल हरियाली आभा बिखेर रहे है जो आज भी आसपास के ग्रामीणों सहित,मुख्य मार्ग से गुजरते   विभागीय अधिकारियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है एक प्रकार से चार हेक्टेयर छोटे से भूभाग में नर्सरी के माध्यम से विभाग के लिए बहुत बड़ा कार्य को अंजाम दे रहे है संपूर्ण नर्सरी में चार नल स्त्रोत होने के बावजूद स्ट्रिंगकलर पद्धति के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था से बारह मासी वे कुछ न कुछ नया करते रहते है तथा ऐसे पौधे जो वन क्षेत्रों से विलुप्त होने के कागार में पहुंच चूके होते है उनके बीज संग्रहण कर उसका रोपण कर उसे सहेजने का पूरा प्रयास करते है बीज से रूट सूट के माध्यम से या पौधों को ड्राफ्टिंग कर ऐसे पेड़ पौधों को बचाने का पूर्ण प्रयास करते है जो विलुप्तता की कगार में पहुंच चुके है चिरौंजी पौधे रोपण का आइडिया कहां से आया पूछने पर उन्होंने इस सन्दर्भ में बताया कि बाजारों में जब किसी फलदार पौधों  के विलुप्त होने का अभास होता है तब सर्व प्रथम उसका सर्वे कर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाता है पश्चात विलुप्त प्रजाति के पौधों के बीज संग्रहण किया जाता है पश्चात ग्रीष्म ऋतु की तीक्ष्ण धूप में इन्हें खूब सुखाया जाता है पश्चात  कठोर अवरण को हटा कर चार के मध्य बीज के पतले अवरण जो  बीज के मुंह को खोल कर पहले मदर बेड में रोपण कर लिया जाता है पश्चात प्लास्टिक बैग में खाद मिश्रित उपजाऊ काली मिट्टी में  इनका पुनः रोपण कर शिफ्टिंग की जाती  है तथा नियमित पानी एवं कम से कम चार घण्टे धूप के साथ सतत निगरानी एवं सुरक्षा  की जाती है जब बीज अंकुरित होते है तब रोपित पौधों को पूरी तरह सेवा की जाती है अंबागढ़ चौकी के उप वन मण्डलाधिकारी शिवेंद्र कुमार साहू जो ऊर्जावान एवं युवा है उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि  चिरौंजी पौधा रोपण के  पूर्व  पहले ग्रीष्म ऋतु में वन क्षेत्रों से संग्रहित कर बीज संकलन किया गया तथा ग्रीष्म ऋतु में सुखा कर मदर बेड में रोपण कर उसे  काले बैग में खाद युक्त काली मिट्टी के साथ शिफ्टिंग किया गया प्रारंभिक वर्षा ऋतु में  लगातार प्राकृतिक वर्षा पानी मिलने से जब बीज के अंकुरण के साथ आशातीत परिणाम सामने आए तब मन खुशी से झूम उठा   जब वह दो से तीन फीट की ऊंचाई होने पर वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा  निर्देश एवं प्रयोग के रूप में अंकुरित दो टहनी को पृथक कर रूटसूट के माध्यम से रोपा गया जिसके आशातीत परिणाम कुछ ठीक  नही आए प्रभारी सुनील शर्मा ने आगे बताया कि  सीएफ बी.पी.सिंह  साहब के लगातार दौरे और मॉनिटरिंग से उनके दिशा निर्देश पर बीज से दो मुख टहनी फुटने पर एक टहनी के रूट सूट को पृथक बैग में ट्रांसफर कर रोपण किया गया जिससे  बहुत से पौधों  की क्षति हुई  इसके पश्चात  शेष पौधों के अस्तित्व को बचाने पूर्ण प्रयास किया गया जिसकी वजह से दो हजार पौधों को बचा लिया गया  सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा ने आगे बताया कि (चार) चिरौंजी के बाजार में कमी की वजह से इसके रोपण का आइडिया आया तब वरिष्ठ अधिकारी सी.एफ. बी.पी.सिंह एवं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम से इस संदर्भ में चर्चा कर लगभग 2500 से ऊपर स्थानीय वन क्षेत्रों के वनवासियों से विभागीय संग्रहण दर से (चार) चिरौंजी बीजों का संग्रहण किया गया तथा उनके दिशा निर्देश और मार्ग दर्शन में प्रायोगिक स्तर पर  कम बीजो के माध्यम से रोपण किया गया जिसके सार्थक परिणाम मिलने पर अधिकारी द्वय ने भी प्रसन्नता व्यक्त की सफलता पूर्वक चार (चिरौंजी) बीजों के रोपण में सी.एफ. बी.पी.सिंह साहब एवं डी.एफ.ओ.सलमा फारुखी मैडम  जैसे अधिकारियों के लगातार दिशा निर्देश,मार्ग दर्शन एवं समय समय पर मॉनिटरिंग का परिणाम है कि आज वन क्षेत्रों से विलुप्त (चार)  चिरौंजी पौधों के अस्तित्व को वन क्षेत्रों से बचाने सफलता प्राप्त हुई है बताते चले कि सीएफ बी.पी.सिंह साहब एक कड़क एवं कर्तव्य परायण अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है तथा कार्यों के प्रति कभी कोई समझौता नही करते यही वजह है कि समय समय पर कार्य स्थल का साक्षात अवलोकन कर वस्तुस्थिति से अवगत होकर कार्यों के प्रति समुचित दिशा निर्देश देकर गुणवत्ता पूर्वक कार्यों के किए जाने पर विश्वास करते है यही वजह है कि कार्यों की गुणवत्ता के साथ ही प्रशासनिक पकड़ भी मजबूत रखते है जिसके उदाहरण के रूप में सांगली रोपणी में चार (चिरौंजी) पौधों के रोपण में सफल परिणाम परिलक्षित हो रहे है वहीं डीएफओ सलमा फारुखी मैडम जो पूर्व में  रायपुर वन मंडल के अंतर्गत वन अनुसंधान में अपनी सेवाएं दे चुकी है जहां आधुनिक तकनीक से पौधे रोपण के क्रिया कलापों से भी पूरी तरह अवगत है जिसका अनुभव का लाभ विभाग के ही सांगली रोपणी  में भले ही प्रायोगिक स्तर पर (चार) चिरौंजी पौधों के बीजा रोपण के साथ सफलता पूर्ण अंकुरण से उनका भी उत्साह के साथ प्रशंसा व्यक्त करना लाजिमी हो जाता है 

यही से तो एक कार्यो के प्रति निष्ठा एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की मूल पहचान भी बनती है सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा ने यह दावा किया है कि प्रदेश भर में सांगली नर्सरी एकलौता ऐसा रोपणी केंद्र  है जहां चिरौंजी के पौधे सफलता पूर्वक तैयार किए गए है जो वन विभाग के लिए अपने आप मे बहुत बड़ी उपलब्धि साबित हुई है प्रभारी सुनील शर्मा आगे बताते है कि रेंजर सुंदर लाल जांगड़े के द्वारा उनके मार्ग दर्शन में समस्त कार्य संपादित किए गए है उनके द्वारा खाद बीज से लेकर  समस्त सुविधाए उपलब्ध कराई गई है यही नही आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार मुहैया बारहमासी रोजगार ग्यारंटी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है वनवासियों से चार बीज संग्रहण पश्चात बीज क्रय  उन्ही के माध्यम से किया गया है ताकि गुणवत्ता पूर्ण बीज से रोपण कार्य किया जा सके वन क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले  (चार) चिरौंजी रोपण के संदर्भ में प्रशिक्षु भावसे परिक्षेत्राधिकारी  चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी ने बताया कि यह वनोपज फल बल वर्धक प्रोटीन युक्त ड्राई फ़ूड में उपयोग किया जाता है विलुप्त हो रही (चार) चिरौंजी के अस्तित्व को बचाने सीएफ साहब एवं डीएफओ  मैडम के दिशा निर्देश एवं मार्ग दर्शन में केवल राजनांदगांव वृत के सांगली रोपणी में प्रयोग के तौर पर दो हजार पौधों का सफल रोपण किया गया है इस संदर्भ में प्रभारी  रेंज अधिकारी 



  चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी भावसे (प्रशिक्षु परिक्षेत्राधिकारी अंबा गढ़ चौकी) बताते है कि इसके लिए वन क्षेत्र से वनवासियों से संग्रहण  कर धूप में इसे सुखाया गया पश्चात इसके हार्ड कव्हर गुठली को तोड़कर इसका रोपण किया गया प्रशिक्षु भावसे परिक्षेत्राधिकारी इसके रोपण तकनीक के बारे में अपनी राय   बताते है कि प्रारंभिक प्रक्रिया में फल को सूरज की तपिश में तपा कर  ऊपरी कठोत सतह साफ कर गुठली से बीज निकाल कर  बीज में छिलके के मुख की परत को सुई के समान स्थान बनाया जाता है तथा इसे नमी युक्त बेड में रोपा गया है सप्ताह भर पश्चात अंकुरण होने पर इसे क्रम अनुसार बेड में लगाया गया है या सीधे तौर पर भी इसे बेड में रोपा जा सकता है पर मालूम रहे कि जहां रोपा जा रहा है वह भूमि नमी युक्त होनी चाहिए तथा कम से कम तीन से चार घण्टे सूर्य की रौशनी और तपिश बराबर अंकुरण क्षेत्र में मिलनी चाहिए तभी यह अंकुरित हो कर ग्रोथ करेगा इसके पश्चात नियमित आवश्यकता अनुसार सिंचाई मिलनी चाहिए दो माह में लगभग डेढ़ से दो फीट चार पौधे सर्वाइव कर सकता है पश्चात इसे  दो से तीन फीट गड्ढे कर अन्य क्षेत्र में भी  रोपा जा सकता है  प्रशिक्षु भावसे  परिक्षेत्राधिकारी चन्द्र शेखर शंकर सिंह परदेशी का कथन है कि वन क्षेत्रों से  विलुप्त की कागार में पहुंच चुके बेशकीमती वनोपज (चार) चिरौंजी पौधों के अस्तित्व को बचाना अत्यंत आवश्यक हो गया है वर्तमान में  प्राचीन काल से ही चिरौंजी जो ड्रायफूड में शामिल किया गया है एक हजार रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक मानक के अनुसार इसका बाजार मूल्य है इसको बढ़ावा देने के लिए विभाग को इस पर विचार करना चाहिए इससे विभाग को भी अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है सांगली रोपणी में रोपित चार (चिरौंजी)पौधों के भावी उपयोग के संदर्भ में नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा कहते है कि  ग्राम पंचायतों,समजिक संस्थानों एवं  विभाग द्वारा मांग अनुसार इसका वितरण किया जाएगा क्योंकि यह केवल वन क्षेत्र तक सीमित रखने वाले पौधे नही है ऐसे जनोपयोगी  कीमती फल वाले पौधों को यदि ग्रामीण क्षेत्र नगर पंचायत शहर जैसे प्रत्येक क्षेत्र में रोपण करने से इसके दोहरा तिहरा लाभ प्राप्त किया जा सकता है  जैसे हितग्राही यदि अपने घर मे रोपे तो आने वाले कुछ वर्षों में ही लगभग पच्चीस से तीस किलो चार (चिरौंजी) फल एक पेड़ से प्राप्त कर सकता है तथा अतिरिक्त आय उपार्जन कर सकता है वही ग्राम पंचायत अथवा नगर,शहर में रोपा जाता है तो पर्यावरण संतुलन में भी सहायक है इसके अलावा बेशकीमती फलदार पौधे होने की वजह से अवैध कटाई से भी बचत हो सकती है  सांगली नर्सरी प्रभारी सुनील शर्मा आगे कहते है कि इसके लगने से बढ़ते प्रदूषण से भी राहत मिल सकती है बस,आवश्यकता है कि विभाग इसके संरक्षण के साथ संवर्धन की एक सार्थक पहल करे  जिससे भावी पीढ़ी को आर्थिक आय के साथ प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्मित करने में यह चिरौंजी पौधा सब के लिए ,लाभकारी के साथ हित कारक साबित हो सकता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें