गुरुवार, 3 नवंबर 2022

बारह सिंगा की मौत,के बाद दफन मृत वन्य प्राणी बन रहे आवारा कुत्तों की खुराक- रेंजर चंद्राकार चला रहे अपना कानून

 बारह सिंगा की मौत,के बाद दफन  मृत वन्य प्राणी बन रहे आवारा कुत्तों की खुराक- रेंजर चंद्राकार चला रहे अपना कानून


(बदहवास जीवित बारहसिंगा डबरी में  7 जुलाई 22 )

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) महासमुंद वन वृत अंतर्गत बागबाहरा परिक्षेत्र इस समय काफी चर्चा में  है इसकी वजह भ्रष्टाचार और गड़बड़ घोटाला नही बल्कि अवैध शिकार और दुर्घटना में हिरण,कोटरी, चीतल,सहित बारह सिंगा के मृत होने के पश्चात उसे खुले वन क्षेत्र में फेकना बताया जा रहा है  मृत शव के सड़ने,गलने के वजह से  फैलते दुर्गंध और संक्रमण  का खतरा वन्य क्षेत्र के भीतर निवासरत वन प्राणियों पर बढ़ रहा है साथ ही मृत वन्य प्राणीयों के शरीर के चर्म, (खाल)सींग इत्यादि की तस्करी की आशंका भी बढ़ गई है जिसमे बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर सहित विभागीय कर्मचारियों द्वारा क्षेत्र मे जंगल कानून चलाए जाने वाली भूमिका पर  अनेक प्रकार के उठते प्रबल सवाल के साथ उनके कार्यशैली पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है

(पानी के बाहर आते ही मृत बारह सिंगा)


 उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जुलाई 2022 को छ अथवा सात तारीख के दरमियान एक बारहसिंगा को बागबाहरा परिक्षेत्र से लगभग छ किलोमीटर दूर स्थित ग्राम हाथीगढ़ के समीप स्थित सुकरा गौठान के
 डबरी में  बदहवास घायल अवस्था में   देखा गया पश्चात वह डबरी के समीप पहुंचते ही मृत हो गया अब उसकी मौत कैसे हुई यह जांच का विषय हो सकता है परंतु ग्राम के प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार उसके पेट के समीप लंबा चोट का निशान होना बताया गया अब यह चोट शिकारियों द्वारा पहुंचाया गया या कमार जनजाति के वनवासियों द्वारा शिकार के उद्देश्य से बारह सिंगा को चोटिल किया गया या फिर आवारा कुत्तों की भीड़ ने उसे नोचा खसोटा यह तो ज्ञात नही परंतु मृत बारह सिंगा को औपचारिक  कार्यवाही के पश्चात उसी वन क्षेत्र  में कहीं दफना दिया गया इसकी पुष्टि हेतु जब ग्राम हाथीगढ  पहुंचा गया तब वहां के वन चौकीदार इशालु ने बताया कि दिनांक 6-7 जुलाई 22   के प्रथम सप्ताह  में एक बारह सिंगा बदहवास हालत में गौठान के डबरी के पास पहुंचा(देखे फोटो ) तब तक वह जिवित था परंतु बाहर आते ही वह कैसे मृत अवस्था में पहुंच गया यह जांच का विषय है  जिसके उदर हिस्से में गहरा जख्म था उसने बताया कि अति संवेदन शील प्राणी होने की वजह से उसके मृत होने की बात बताई  गई तथा परिक्षेत्र अधिकारी के दिशा निर्देश पर आसपास सघन वन क्षेत्र में मृत वन्य प्राणी के शव को दफना दिया जाना बताया पश्चात रात्रि में किसी वन्य प्राणी या  आसपास ग्राम के श्वानों के द्वारा उसे पुनः कब्र से बाहर निकाल दिया गया जिसे सूचना पश्चात उक्त शव को बाद में खल्लारी स्थित पहाड़ियों के वन क्षेत्र में किसी एक स्थान पर  ले जाकर डंप कर दिया गया अब उस मृत शरीर के साथ उसके खाल,सींग का क्या हुआ ज्ञात नही परंतु आशंका वक्त की जा रही है कि उसे स्थानीय श्वान द्वारा नोच नोच कर खा लिया गया ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम क्षेत्र के श्वान इतने खूंखार हो गए है कि बकरी इत्यादि को चीर फाड़ कर अपनी खुराक बना लेते है संभावना व्यक्त की जा रही है कि श्वान द्वारा हमले से इस प्रकार की घटना आए दिन क्षेत्र में होती होगी या फिर शिकारी द्वारा शिकार किए जाने का संदेह व्यक्त किया गया जिससे दो माह के अंतराल में तीन से चार शाकाहारी वन्यप्राणी,चीतल,कोटरी, हिरण,बरहसिंगा,असमय काल ग्रास बन गए है


(मृत बारहसिंगा के चोट को इमोजी बनाकर छुपाया गया)

 यही नहीं खल्लारी स्थित साजा ग्राम के वन क्षेत्र में डंप किए गए मृत शव के मांसाहारी वन्य प्राणी द्वारा भक्षण की  प्रतिदिन  फोटो वीडियो ग्राफी के माध्यम से अधिकारियों को अवगत भी कराया जाता है ऐसा वन चौकीदार इशालु  ने बताया पर अब तक कि इसकी पुष्टि या फोटो ग्राफ सामने नही आए जबकि वन नियम में किसी हिंसक वन्य प्राणी जिनमे शेर,चीता इत्यादि के द्वारा शिकार करने की स्थिति मे वन्य प्राणी के क्षत विक्षप्त शव का परीक्षण और पंचनामा   पश्चात उसी स्थल पर छोड़ दिया जाता है तथा बकायदा ट्रैप कैमरा की मदद से उसकी निगरानी की जाती है ताकि कोई मानव द्वारा शव से छेड़ छाड़ न कर सके तथा उस शव का भक्षण खूंखार जानवर द्वारा किया जा सके परंतु ऐसी कोई प्रक्रिया न करते हुए वन चौकीदार के कथन अनुसार किसी स्थान में मृत बारह सिंगा को दफन कर दिया गया जिसकी रिपोर्ट की प्रति आज तक सीसीएफ कार्यालय वन्य प्राणी,एवं रायपुर सीसीएफ कार्यालय में नही भेजी गई ताकि मृत बारह सिंगा के पंचनामा ,पी एम रिपोर्ट,एवं वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में उस्का दाह संस्कार की वीडियो ग्राफी जैसी प्रक्रिया के पक्के सबूत से जानकारी मिल सके परन्तु बागबाहरा परिक्षेत्र के कर्मियों द्वारा  ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाई नही गई  वही  चर्चा इस बात को लेकर जम कर है कि  मृत बारह सिंगा सहित अन्य वन्य प्राणियों के शरीर की खाल और उसके सींग को निकाल कर तस्करी किए जाने की आशंका वयक्त की जा रही है यदि उसकी नियमित वीडियो ग्राफी की गई होगी तो कम से कम मृत बारहसिंगा की हड्डी और सिंग आज भी कथित वन क्षेत्र के डंप किए गए  स्थल पर मौजूद होंगे ? क्योंकि खाल और सींग, हड्डी इत्यादि को तो वह प्राणी खा नही सकते ? अब इस डंप करने जैसी प्रक्रिया और विभागीय कर्मियों द्वारा   की गई कार्यवाही वीडियो ग्राफी एवं पंचनामा पीएम की सूचना न देना बहुत सी आशंकाओं को जन्म दे रहा है इस सब कार्यवाही के पीछे किसका सहयोग और संलिप्तता है यह तो विभागीय  जांच का विषय है  वन विभाग में वन्य प्राणियों के शव  का इस प्रकार नष्टीकरण का संभवतः प्रदेश भर में यह पहला प्रकरण होगा जो मांसाहारी भक्षी वन्य प्राणियों की भूख प्यास की चिंता और क्षुधा को लेकर किसी रेंजर और विभागीय कर्मियों द्वारा शेड्यूल (1) एक के शाकाहारी वन्य प्राणियों जिनके मृत होने पर उनके शव को खुले वन क्षेत्र में फेकने और मांसाहारी वन्य प्राणियों की खुराक के उद्देश्य से किसी वन क्षेत्र स्थल पर डंप कर आवारा श्वानों की खुराक बना देने की आड़ में नष्टिकरण किया जाना एक सोची समझी साजिश ज्ञात होता है क्योंकि हर्राबोर शेड्यूल 1 एक के वन्य प्राणियों के मृत शव को बगैर पी एम. करवा कर   अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति में उसे दफना दिया जाए या खुले वन क्षेत्र के मध्य डंप कर दिए जाने वाला वन अधिनियम या कानून लागू नही किया गया है इस संदर्भ में बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर का कथन है कि  घटना दुर्घटना में मृत वन्य प्राणी को जंगल के मध्य जहां मांसाहारी भक्षी जिनमे शेर चीता, खूंखार वन्य प्राणी उक्त मृत वन प्राणी के शव का भक्षण कर अपनी क्षुधा मिटा सकते है इसलिए ऐसे शव को मानव पहुंच से दूर जंगल मे डंप कर दिया जाता है अब  सवाल खड़ा होता है कि बागबाहरा वन क्षेत्र में ऐसे कितने मांसाहारी  भक्षी वन्य प्राणी  जिनमे शेर चीता है जिनके भूख की चिंता परिक्षेत्र अधिकारी विकास चंद्राकर को होने लगी क्योंकि वन्य प्राणीयों की वार्षिकी  गणना में अब तक ऐसे खूंखार वन्य प्राणियों की संख्या नगण्य बताई गई है यदि ऐसे  खूंखार वन्य प्राणी वन क्षेत्रों में विचरण करते है तो सघन वन क्षेत्रों में  निवासरत वन ग्राम के ग्रामीणों के लिए सुरक्षा का दायित्व और जिम्मेदारी विभाग के लिए सर्वाधिक चुनौती होती परंतु ऐसी कोई सुगबुगाहट बागबाहरा परिक्षेत्र के किसी भी वन ग्राम क्षेत्र में परिलक्षित नही  हुआ जहाँ खूंखार वन प्राणी विचरण कर रहे हो और उनके शिकार की घटना के कोई समाचार बाहर आते हो यदि ऐसी कोई घटना की  सूचना प्राप्त होने पर  खूंख्रार वन प्राणी के शिकार करने की स्थिति में मृत वन्य प्राणी के शव को  विभाग द्वारा ट्रैप कैमरा लगा कर शव का चौबीस घंटे या उससे अधिक समय तक निगरानी करता वह भी तब तक  जब तक शव नष्ट न हो जाता वह भी इसलिए ताकि कथित शव को मानव अथवा किसी के द्वारा भक्षण न किया जा सके संभवतः  मृत बारहसिंगा को लेकर  यह भी चर्चा के साथ अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है यदि शिकारियों द्वारा जहरीला तीर या स्थानीय वन क्षेत्र के कुत्तों के हमले से शाकाहारी वन प्राणी मृत होते है तब रेबीज संक्रमण के साथ उनके शरीर में जहर फैलने की आशंका बढ़ जाती है ऐसी परिस्थिति में यदि जहर अथवा श्वान के शिकार से रेबीज ग्रसित मृत वन्य प्राणियों को अन्य मांसाहारी भक्षी प्राणियों को भक्षण हेतु रखा जाता है तो फूड पॉइजनिंग या शरीर मे फैले ज़हर से मांसाहारी वन्य प्राणी के संक्रमित होने की संभावना बढ जाती है  तथा जहर और रेबीज वाले मांस भक्षण से उनकी भी अकाल मृत्यु हो सकती है परंतु यहां सारे नियम कानून को बलाए ताक रख कर विकास चंद्राकर रेंजर बागबाहरा द्वारा अपना जंगल का कानून चला कर असामयिक वन्य प्राणियों के मौत का कारण बन रहे है इस तारतम्य में उनसे मिलने पर बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर कोई संतोष जनक जवाब न देकर विभाग से नया सर्कुलर जारी होना बताया और मृत शेडयूल 1 एक हर्राबोर वन्य प्राणी को जंगल के मध्य छोड़ने, फेकने की बात दोहराई ताकि खूंखार मांसाहारी भक्षी वन प्राणी उसका भक्षण कर अपनी क्षुधा शांत कर सके हालांकि इसकी पुष्टि के लिए महासमुंद डी एफ ओ पंकज राजपूत से भी संपर्क कर वास्तविकता जानने का प्रयास किया गया परंतु न जाने कौन से वन चेतना केंद्र में वे अचेतन स्थिति में पहुंच जाते है ज्ञात नही परंतु लगातार छह से सात मर्तबा महासमुंद वन मण्डल  कार्यालय में जाने पर भी वे अनुपस्थित ही रहे और उनसे कोई चर्चा नही हो पाई  जबकि  बागबाहरा परिक्षेत्र में ऐसी घटना के प्रकरण दो,तीन माह के अंदर  तीन से चार शाकाहारी  वन्य प्राणियों के मृत होने और उनके शव को  खल्लरी स्थित पहाड़ के वन क्षेत्र में डंप करने की बात  बताया गया है वही एक समाचार पत्र की माने तो गत वर्ष 14 जून 2021 को ग्राम खोपली में भी ऐसी घटना घटित हो चुकी है जिसमे आवारा कुत्तो द्वारा हिरण को मारा गया  बताया गया और उसके शव को भी रेंजर चन्द्राकर द्वारा क्षेत्र के घने  वन में छोड़ना बताया था  उक्त शव के साथ भी बागबाहरा परिक्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों ने यही प्रक्रिया अपनाई थी (देखे चित्र)


( 14 जून 2022 को मृत हिरण का प्रकशित समाचार पत्र की कटिंग)

उल्लेखनीय  है कि वन अधिनियम के तहत किसी भी शेड्यूल एक के वन्य प्राणियों के चोटिल अथवा घायल होकर मृत अवस्था में मिलना या दुर्घटना या शिकार होने पर उसका सर्व प्रथम पोस्टमार्टम विभागीय डॉ.के माध्यम से कर उसके मृत होने की अवस्था ज्ञात किया जाता है कि उसकी मृत्यु का कारण क्या है पश्चात उसका पंचनामा बनकर उसका बकायदा दाह संस्कार वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है जबकि यहां मृत बारह सिंगा के शव के साथ ऐसी कोई प्रक्रिया नही अपनाया गया उल्टे यह बताया गया कि ऊपर से जैसा आदेश आया वैसा उस पर कार्यवाही की गई जबकि वन अधिनियम और कानून की जानकारी रखने वाले सीसीएफ वन्य प्राणी,सीसीएफ रायपुर के अनेक उच्च अधिकारियों से डंप करने वाली इस नए कानून के संदर्भ में चर्चा करने पर  लिखित में ऐसा कोई सर्कुलर जारी आज दिनांक तक  नही लाया जाना बताया गया क्योंकि वन अधिनियम 1972 एवं संशोधित वन अधिनियम के संदर्भ में आज दिनांक तक ऐसा कोई नया सर्कुलर संशोधित नियम नही आया है जिसके अनुपालन आज भी मृत वन्य प्राणियों के शव परीक्षण पोस्टमार्टम तथा दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ववत नियम अनुसार अपनाई जाती है 


(रेंजर विकास चंद्राकर द्वारा समाचार पत्र को दिया गया वक्तव्य)

फिर बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंदाकर को कौन से अधिकारी ने नया आदेश जारी कर दिया कि मृत बारह सिंगा के अलावा अन्य मृत वन्य प्राणियों के शव को उन्होंने जंगल के मध्य  में फेकने का फरमान जारी कर दिया अब यदि उच्च अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा कोई वन नियम कानून जारी नही करने की स्थिति में चीतल,बारह सिंगा,कोटरी,हिरन आदि की मृत होने तथा वन क्षेत्र के किसी भी क्षेत्र में डंप करने की कार्यवाही करने  की घटना वाली बात कुछ गले नही उतरती और इसके पीछे वन्य प्राणियों के खाल,सींग की तस्करी होने की प्रबल संभावना दिखती है यह भी विभाग के लिए जांच का विषय हो सकता है इसके पीछे कौन कौन लोग संलिप्त है और किसके आदेश से रेंजर विकास चंद्राकर और उनके मातहत नए नियम की आड़ में किसके साथ कूट रचित घटना को अंजाम दिया जा रहा है जो नियम विरुद्ध जाकर वन्य प्राणियों के शव दुर्गति सहित श्वानों का निवाला बना कर कौन सा खेल खेला जा रहा है इसकी बारीकी से जांच करना और  संलिप्त कर्मचारियों पर   कार्यवाही किया जाना आवश्यक है नही तो खूंखार वन प्राणियों की खुराक बनाने की आड़ में कीमती खाल,सींग की तस्करी के साथ शेष मांस को आवारा श्वानों का निवाला बनवा कर  बहुत बड़ा खेल खेलने वाला यह  सिलसिला अनवरत जारी रहेगा.

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