शनिवार, 27 जुलाई 2024

छ्ग प्रदेश का अव्वल दर्जे का बागबाहरा खुर्द नर्सरी

 छ्ग प्रदेश का अव्वल दर्जे का बागबाहरा खुर्द नर्सरी


अलताफ़ हुसैन द्वारा 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय)  नर्सरी अर्थात वह स्थान जहाँ बीज, से पेड़-पौधों को अंकुरित कर उसके विकास और ग्रोथ के लिए जलवायु, मिट्टी, आधुनिक,खाद, से उनके सघन देखरेख करना एवं लाखों की संख्या मे अबोध शिशु की भाँति उन पौधों का लालन,पालन करने की जगह ही नर्सरी कहलाता है वैसे तो छग वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मे अनेक भिन्न भिन्न 29 से अधिक वन मंडल कार्यालय स्थलों मे एक से बढ़कर एक आधुनिक नर्सरी का सफल संचालन एवं संपादित हो रहा है जिनमे हाइटेक नर्सरी के अलावा ग्रीन हाउस, जिसमे समान्य तापमान के साथ नर्सरी भी संचालित है परंतु महासमुंद वन मंडल क्षेत्रफल के हिसाब से सर्वाधिक बड़ा बागबाहरा परिक्षेत्र अपनी अनेक जैव विविधता,विस्तृत संसाधन,वन क्षेत्र के चारो ओर धार्मिक आस्था का केंद्र होने से इसकी पृथक पहचान निर्मित किए हुए है जो बागबाहरा परिक्षेत्र कार्यालय से मात्र पांच किलोमीटर के दूरी पर बागबाहरा खुर्द नर्सरी का सफल संचालन, एवं संपादान विगत कुछ वर्षों से किया जा रहा है जहाँ की नर्सरी के पौधे संपूर्ण छत्तीसगढ़ प्रदेश मे बहुत ज्यादा लोकप्रिय माने जाते है एक प्रकार से बागबाहरा खुर्द नर्सरी छोटे भू भाग मे बड़ा धमाका के साथ बड़ा कार्य कर रहा है यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति वाली बात नही है        


  इस संदर्भ मे महासमुंद वन मण्डलाधिकारी पंकज राजपूत से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश मे बागबाहरा खुर्द जैसी ऐसी नर्सरी देखने को नही मिलेगा जहाँ पर दस से पंद्रह फीट ऊँचाई वाले भिन्न भिन्न प्रजाति के स्वस्थ्य पूर्ण पौधे दृष्टिगोचर होते हुए एक ही स्थान में नही दिखाई देंगे एक प्रकार से बागबाह्ररा खुर्द  नर्सरी के पौधे संपूर्ण प्रदेश के नर्सरी मे एक अलग ही पहचान निर्मित किए हुए है महासमुंद वन मंडलाधिकारी पंकज राजपूत आगे बताते है कि वर्ष 2017-2018 से उक्त नर्सरी का प्रारंभ तत्कालिक अधिकारियों द्वारा  किया गया था परंतु पांच छ वर्षों मे ही यहाँ के पौधे प्रदेश भर के वन क्षेत्रों, सहित पथ रोपण, खेत खलिहान, शाला कॉलेज परिसर, हाट बाजार, नगर पालिका, ग्राम पंचायतों के बंजर भूमि मैदानी भाग मे लहलहा रहे है और प्राकृतिक हरियाली का संदेश दे रहे है महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत आगे बताते है कि इस वर्ष बागबाहरा खुर्द नर्सरी मे त्रिवर्षीय पौधों का रोपण वर्ष 2021-2022 मे लगभग 5 हेक्टेयर भूमि मे एक लाख मिश्रित प्रजाति के पौधों का रोपण मनरेगा के तहत किया गया था जहा पर आसपास के तीस से उपर श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया तथा समय अनुसार श्रमिकों की संख्या मे कम ज्यादा किया जाता रहा है बागबाहरा खुर्द के उक्त नर्सरी मे त्रिवर्षीय नर्सरी निर्माण के पीछे महासमुंद वन मंडलाधिकारी पंकज राजपूत का कथन है कि छोटे मंझोले पौधों के  वितरण रोपण  स्थल मे बहुत सी समस्या खड़ी हो जाती है पश्चात रोपण से उनके ग्रोथ मे समय लगता है तथा प्रकृति आपदा जैसे असमय  की हवा, तूफान, या आम जन के रोपण की सुरक्षा मे कोताही अथवा चूक की वजह से पशुओं की चराई से उनके क्षतिग्रस्त होने पर इनके अस्तित्व पर खतरा मंडराता रहता है  इससे अनेक पौधे बढ़ने से  पूर्व ही ज़मींदोज होकर समाप्त हो जाते है इससे प्रकृति, एवं पर्यावरण का विस्तार नही हो पाता और प्रति वर्ष पर्यावरण, हरियाली प्रसार के लिए शासन द्वारा करोडो रुपये लगाकर विभाग द्वारा आम जन को निःशुक्ल पौधे वितरण कर  रोपे जाने वाले लाखों पौधे असुरक्षा, देखरेख के अभाव मे खरपतवार के मानिंद प्रायः लुप्त हो जाते है उन्होंने बताया बागबाहरा खुर्द नर्सरी का यह त्रैवार्षिकी नर्सरी जिसकी औसतन ऊँचाई दस से पंद्रह फीट पौधे स्वस्थ्य पूर्ण ऊँचाई लिए हुए है जो हमारे महासमुंद वन मंडल के अंतर्गत बागबाहरा परिक्षेत्रा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है तथा  निः शुल्क वितरण वाले ऐसे ऊँचाई वाले स्वस्थ्य पौधे के रोपण से भी यहां का आब ओ हवा वातावरण हरीतिमा युक्त  निर्मित होगा श्री पंकज राजपूत आगे बताते है कि सर्वहारा वर्ग जिनमे ग्रामीण, ग्राम पंचायत के सदस्य, जन प्रतिनिधि, स्कूल कॉलेज के प्रतिनिधि, एवं सामाजिक सस्थानो द्वारा निः शुल्क पौधे लेकर एक पौधा मां के नाम योजना का भरपूर लाभ उठा रहे है जिस तरह सुबह से संध्या तक से बाग बाहरा नर्सरी मे पौधा लेने के लिए मेला समान आम जन की भीड़ लगी रहती है उसे देखते हुए शीघ्र ही नर्सरी के पौधे समाप्त न हो जाए ऐसा प्रतीत होता दिखाई पड़ रहा है मगर इसके बावजूद भी नर्सरी मे नव पुलकित पौधों का रोपण जारी है जो चार से पांच फीट पौधे ग्रोथ कर चुके है श्री राजपूत ने आगे बताया कि संपूर्ण बीज का चयन वे स्वयं उनके द्वारा किया जाता है


 वही उपवन मंडलाधिकारी वहिद खान बताते है कि नर्सरी का निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है तथा किसी भी प्रकार की कमोबेश होने पर तत्काल उन कमियों को दूर किया जाता है किसी भी नर्सरी का सर्वाधिक आवश्यकता पर्याप्त जल माना जाता है इसके लिए बागबाहरा खुर्द नर्सरी लक्की माना जाता है यहां का जल स्त्रोत इतना अधिक है कि 47 डिग्री सेल्सियस भीषण गर्मी मे भी जल की कमी नही हो पाती और संपूर्ण नर्सरी की भरपूर जल पिपासा उसी ट्यूब वेल के मध्यम से आपूर्ति की जाती है कहने को पांच हेक्टेयर भू भाग नर्सरी मे तीन ट्यूब वेल लगाएं गए है जो एक बड़े टंकी मे संग्रहित किया जाता है उसमे ही पाइप के मध्यम से  सड़क के अगल बगल दोनों स्थानों के नर्सरी मे जल सप्लाई से सिंचाई की जाती है महासमुंद उप वन मण्डलाधिकारी वहिद खान आगे बताते है कि नर्सरी मे लगे पौधे अब सघन वन सदृश्य दिखाई पड़ रहे है तथा लगातार मांग के अनुरूप पौधों का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है हमारे यहाँ सभी मिश्रित प्रजाति के पौधे यहाँ उपलब्ध है उनका दावा है कि जो पौधे प्रदेश भर के नर्सरी में कहीं नही मिल सकता वह बागबाहरा खुर्द नर्सरी मे बड़ी सहजता से प्राप्त हो सकता है  महासमुंद एसडीओ वाहिद खान का कथन है कि लगातार पौधे समाप्त होने की स्थिति मे मदर बेड मे पुनः रोपण कार्य बारहमासी द्रुत गति से जारी रहता है एक फीट की ऊँचाई आने तक उन्हे काले प्लास्टिक बैग मे काली  मिट्टी और दवा खाद मे उपचारित कर उसका रोपण किया जाता है पश्चात पृथक बेड मे पॉलीथीन बैग वाले पौधों को रख कर नियमित सुरक्षा देखरेख मे प्रतिदिन सिंचाई की जाती है दो से तीन माह पश्चात किशोर से युवा अवस्था मे पौधे ग्रोथ करने लगते है तथा अन्यंत्र स्थल मे उनका रोपण किया जा सकता है 


 इसके लिए परिक्षेत्राधिकारी समय समय पर मॉनिटरिंग कर नर्सरी की व्यवस्था पर नज़र जमाए रखते है बागबाहरा खुर्द नर्सरी मे वर्ष 2021-2022 मे रोपे गए पौधे इस वर्ष 2024 मे समय सीमा पर त्रि वर्षीय पौधों की हरियाली देख कर  बागबाहरा परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी लोकनाथ ध्रुव काफी अल्हादित और गदगद है तथा दस से पंद्रह फीट ऊँचाई वाले पौधे देख कर समस्त क्षेत्र से जबरदस्त मांग बड़ी है बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी लोकनाथ ध्रुव बताते है कि नर्सरी का लालन पालन करने मे एक शिशु की भाँति देखरेख करना पड़ता है समय पर मदर बेड से शिफ्टिंग करना निंदाई गुड़ाई, दवा,खाद, उपचार, जिनमे यूरिया, डी.ए.पी. खाद काली मिट्टी, रेती, गोबर खाद, का मिश्रण कर पॉलीथीन बैग में पौधा प्रति रोपण कर हस्तांतरित किया जाता है 


तथा नियमित सिंचाई व्यवस्थ किया जाता है इसके लिए आस पास के तीन ग्राम के श्रमिकों द्वारा नियमित वानिकी कार्य संपादित किया जाता है जिसका एवज मे उन्हे कलेक्टर दर पर 243 रुपये का पारिश्रमिक  भुगतान मनरेगा के तहत प्रदाय किया जाता है बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी लोकनाथ ध्रुव आगे बताते है कि सिंचाई व्यवस्था हेतु  टंकी नुमा साढे सात मीटर मे तलघर निर्मित किया गया है जहाँ तीन  बोर का पर्याप्त जल संग्रहित किया जाता है पश्चात टिल्लू पंप के मध्यम से सभी वानिकी नर्सरी क्षेत्र मे  पाइप लाइन से सिंचाई की जाती है बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी लोकनाथ ध्रुव ने आगे बताया कि पांच हेक्टेयर  क्षेत्र मे अनेक नर्सरी मे परंपरागत वानिकी वाले पौधों का रोपण किया गया है


 परंतु खास बात यह है कि बागबाहरा खुर्द नर्सरी मे विलुप्त हो रहे अनेक प्रजाति के पौधों का रोपण जिनमे फलदार, फुलदार, सायादार, औषधि युक्त पौधे रोपे गए है  इनमें मुख्यतः आम, जाम, जामुन,चार, कुलियार,आँवला, बादाम, काजू,अनार, कुसुम,मदार, कुल्लू, मूंगा, रीठा, हर्रा, बेहड़ा,नीम, इमली, गंगा इमली, कटहल, नींबू,अर्जुन,पपीता, रक्त चंदन, सफेद चंदन,स्पेथोडीया,अकोल,बरगद, पीपल, प्रमुख रूप से उपलब्ध है


 बागबाहरा रेंजर लोकनाथ  ध्रुव आगे बताते है कि यहाँ नर्सरी मे वे पौधे जो कही अन्य नर्सरी मे नही मिलते वे यहां सहजता से उपलब्ध मिल जाते है उन्होंने बताया कि एक प्रकार से पांच हेक्टेयर छोटे भूभाग स्थान पर यहां बड़ा धमाका है इसके लिए भविष्य मे और विस्तार किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है यहाँ की समुचित व्यवस्था का प्रभार डिप्टी रेंजर मोती लाल साहू द्वारा किया जाता है साथ ही वन रक्षक तुलेश्वर् यादव का महत्व पूर्ण योगदान है जिनके देख रेखा मे नन्हे कोमल पौधे आकार लेकर फल फूल रहे है जो बागबाहरा पारिक्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है

गुरुवार, 18 जुलाई 2024

पाना बरस के मोहला जिला कार्यालय बनने से अव्यवस्था बड़ी-कर्मचारी हो रहे परेशान

 पाना बरस के मोहला जिला कार्यालय बनने से अव्यवस्था बड़ी-कर्मचारी हो रहे परेशान

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छ्ग प्रदेश मे बहुत से जिला निर्माण के परिसिमन पश्चात नवीन कार्यालय बनाए जाने से बहुत सी जटिल समस्याओं का सामना कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है जिसका सीधा अपवाद राजनांदगांव कार्यालय स्थित  वन विकास निगम पाना बरस परियोजना मंडल का स्पष्ट उदाहरण दिखाई पड़ रहा है जहाँ के कर्मचारी सहसा नवीन जिला मोहला मानपुर मे कार्यालय स्थानांतरण से उनके समक्ष राजनांदगांव से मोहला स्थित कार्यालय तक आवगमन की समस्या तो बनी ही हुई है वही आवास निवास की समस्या भी खड़ी हो गई है वर्तमान पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालया राजनांदगांव के कर्मचारियों का कथन है कि वर्ष 2022 से जब प्रथम मोहला मानपुर कार्यालय का स्थानांतरण आदेश जारी किया गया था तभी वन विकास निगम के नवीन जिला कार्यालय मोहला मे भवन का निर्माण किया जाना जरूरी था परंतु तत्कालिक समय इसका निर्माण न कर इसी माह जुलाई 2024 मे आनन फानन कार्यालय निर्माण की हिटलरी फरमान से अनेक समस्या का सामना निगम कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है इसके लिए वन मंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित मे आवेदन दिया जा चुका है जबकि बता दें कि वन विकास निगम के नवीन जिला मोहला कार्यालय भवन  एक पुराने जर्जर गोदाम मे संचालित किया जा रहा है जहाँ की छत वर्षा मे टपक रही है 

      उल्लेखनीय है कि वन विकास निगम पाना बरस परि योजना मंडल के नवीन जिला कार्यालय मोहला मे संचालित की जा रही है वहां किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नही है कर्मचारी प्रति दिन अपने संसाधन से आवागमन कर रहे है जिन कर्मचारी के पास साधन नही है उसे राजनांदगांव  वापसी हेतु संध्या छ बजे के पश्चात कोई भी बस अथवा संसाधन की सुविधा उपलब्ध भी नही है वही किराए का मकान भी नही मिल रहा है ऐसे मे पचहत्तर  किलो मीटर का प्रतिदिन आवागमन करना बड़ा दुरूह हो गया है वन विकास निगम कर्मचारियों ने बताया कि पारिवारिक व्यवस्था भी छिन्न भिन्न हो गई है परिवार को यहाँ शिफ्ट नही किया जा सकता क्योंकि उनके शैक्षणिक कार्यों मे बाधा उत्पन्न हो रही है  साथ ही आवागमन जैसी बाधाओं से भी कार्यालयीन कार्यों मे सुचारु ढंग से कार्य नही हो पा रही है परंतु हिटलरी फरमान के चलते बगैर किसी सुविधा के  पानाबरस परियोजना मंडल कर्मचारियों को झोंक दिया गया इसके लिए भले ही कितनी भी विपदाओं से कार्य प्रभावित होता रहे

       इस संदर्भ मे वन विकास निगम कर्मचारियों का कथन है कि वविनि. छ्ग प्रदेश के बहुत से परियोजना मंडल कार्यालय मेआज भी लंबी दूरी वाले क्षेत्र से ही कार्य सुचारु  रूप से कार्यालय संचालित हो रहे है उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया बार परि योजनामंडल आज भी रायपुर स्थित देवेंद्र नगर से संचालित किया जा रहा है जबकि उसे महासमुंद जिला मे रहना चाहिए था सूरजपूर, बलाराम पुर को अंबिकापुर से संचालित किया जा रहा है अंतागढ, भानुप्रताप पुर को कांकेर  से संचालित किया जा रहा है फिर राजनांद गांव परि योजनमंडल के साथ ही दोयम दर्जे का सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? नवीन मोहला जिले मे इतनी अव्यवस्था होने के बावजूद भी राजनांद गांव  पानाबरस परीयोजना मंडल कार्यालय को ऐसे निर्जन स्थल मे जहां कोई सुविधा उपलब्ध नही है उसे क्यों शिफ्ट किया जा रहा है? इसके पीछे  किसी खास षडयंत्र की बु आना माना जा रहा है जबकि दबी ज़ुबान मे यह बात भी कही जा रही है कि राजनांद गांव स्थित 65 लाख का सर्व सुविधा युक्त निगम  भवन मे आई पी डी योजना कार्यालय बनाए जाने की सुगबुगाहट सूत्रों ने दावा किया है जहाँ दल्ली राजहरा एवं भिलाई जैसे  संयंत्र की योजनाओं का क्रियानव्यन किया जाएगा जबकि आई पी डी योजना कार्यालय एवं पाना बरस परियोजना मंडल का एक साथ सफल संचालन राजनांद गांव से भी किया जा सकता है परंतु उपर बैठे उच्च अधिकारी नवीन मोहला मानपुर जिला मे शिफ्ट करवा कर नए भवन इत्यादि का निर्माण करवा कर भ्रष्टाचार को अंजाम देंगे गौर तालाब है कि सर्वाधिक राजस्व देने वाला बार नवापारा परियोजना मंडल कार्यालय की बड़ी दयनीय स्थिति मे पहुँच चुकी है आज भी वहाँ के कार्यालय बड़ी चिंताजनक बनी हुई है उस पर आज तक कोई भी नवीन निर्माण भवन नही किया गया जबकि बहुत से पूर्व प्रबन्ध संचालकों ने भी इसके नवीन भवन निर्माण की बात कही गई थी परंतु सिर्फ बार परियोजना मंडल कार्यालय की यह योजना केवल कागजों के धरातल मे सिमट कर दम तोड़ चुकी है. 

सोमवार, 8 जुलाई 2024

भू जल, संरक्षण मृदा उपचार के लिए खैरागढ़ वन मंडल का बेहतर प्रयोग

 भू जल, संरक्षण मृदा उपचार के लिए खैरागढ़ वन मंडल का बेहतर प्रयोग 

अलताफ़ हुसैन की कलम से 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय)  वन विभाग का मूल नाम के अनुरूप व्यापक बदलाव के  साथ अब वन विभाग का परिवर्तित नाम वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग कर दिया गया वन विभाग के पीछे जलवायु परिवर्तन करने की मंशा के पीछे बहुत बड़ा कारण भी अब दिखाई देने लगा है भारत देश ही नही बल्कि वैश्विक परिदृश्य मे लगातार बढ़ रहे धूल, धुंए, रसायनिक तत्वों के घुलनशील वायु की वजह से जल,जमीन,एवं प्राकृतिक, पर्यावरण, पूरी तरह से प्रदूषित हुआ है परिणामतः आकाशीय ओजान परत मे बड़ा छिद्र होने से पैरा बैंगनी के तिक्षण किरणों का दुष्प्रभाव  सीधे सारे मानव जीवन, सहित जलचर,नभचर, पशु पक्षी यहाँ तक पेड़,पौधे,वन, रहन सहन, एवं जलवायु, वातावरण मे व्यापक परिवर्तन हुआ है समान्य वर्षा के असंतुलित बेमौसम चक्र , ठंड की न मिलने वाली शीतलता का अहसास  लगभग विलुप्ततः के मुहाने मे  आकर खड़ी हो चुकी है ग्रीष्म ऋतु का यह हाल हो गया है कि जहाँ सदैव बारहमासी पुष्प की गमक से समान्य से मध्यम वातवरण महका करता था 


 वहाँ ग्रीष्म ऋतु की तीक्षण तपिश की चुभन अब आम जन को बड़ी सहजता से बारहमाह महसूस की जाती है वर्षा ऋतु परिवर्तन के बदलाव मे काश्त कारों ने अपने अनाज के खेती किसानी हेतु रोपित किए जाने वाले फसल काल चक्र मे व्यापक बदलाव कर दिया गया है उस पर भी खंड वर्षा से माकूल खेती किसानी नही हो पाती और आकाल दुकाल के प्राकृतिक आपदा का खामियाजा उन्हे भुगतना पड़ता है परिणामतः कई किसान कर्ज न देने की वजह से अकाल मृत्यु का निवाला बन जाते है या फिर डायन महंगाई के सामने दो जून के लिए आम जनता को अन्न व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करते जूझना पड़ता है 


मानव समाज के लिए यह विडंबना शनैः शनैः सुरसा की भाँति मुह खोल कर खड़ी होते जा रही है इसका मूल कारण वनों का अनवरत विदोहन और हास होना माना जा रहा है इस संदर्भ मे एक वन विभाग के अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी का कथन है कि आज हम पेयजल के लिए बंद बोतल पानी पैसे दे कर पी रहे है जो जल की अल्पता की प्रारंभिक शुरुआत हो चुकी है भविष्य मे वह दिन दूर नही जब हम जिस प्रकार बंद बोतल पानी क्रय कर पी रहे है वैसे ही वनों के लगातार विदोहन से ऑक्सिजन खरीद कर जीवन निर्वहन करना पड़ेगा  इसका साक्षात उदाहरण कुछ वर्ष पूर्व कोरोना काल मे पीड़ित मानव समाज ऑक्सिजन  के लिए तिल तिल कर के सांस के एक दम लेने के लिए मर रहा था वैसे ही वह समय भी आएगा जब ऑक्सिजन के लिए हम पीठ मे सांस लेने के लिए सिलेंडर लाद कर जीवन व्यतीत करने विवश होना पड़ेगा तब ही संपूर्ण मानव समाज को पेड़ पौधे, और वनों की महत्वता समझ आएगी यही वजह है कि वन विभाग ने उस मूल महती कारणों को ध्यान मे रखते हुए अपने मूल वन विभाग  नाम के साथ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जोड़ कर वनों की हरियाली एवं जलवायू क्षेत्र मे द्रुत गति से जन कल्याणकारी  कार्य योजना बना कर संपूर्ण मानव समाज के लिए हितकारी  कार्य कर रहा है इस संदर्भ मे आम जन की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए उन्हे निःशुल्क लाखों पौधे वितरण कर धरती मे हरित क्रांति लाने प्रयासरत है ताकि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र मे हरे भरे पेड़ पौधों के मध्यम से हरियाली, जलवायु संरक्षण कर स्वच्छ,एवं स्वस्थ्य पूर्ण वातावरण निर्मित किया जा सके 


  छ्ग प्रदेश का पूर्व मे दुर्ग जिले के अंतर्गत छोटी सी रियासत खैरागढ़ नाम से ही रजवाडा होने का आभास करवाता है वर्ष2021- 2022 मे खैरागढ़ नव निर्मित जिला के रूप अस्तित्व मे आया जहाँ चारों ओर सघन वन क्षेत्र के बावजूद भोगौलिक स्थिति मे ऊँचे नीचे पहाड़ और असमतल भूमि  से यहाँ का जल स्तर कभी एक स्थान पर समान्य रूप से टिक नही पाता और न ही संग्रहित हो पाता है कथन आशय यह है  कि  भू जल की भूगौलिक स्थिति उतनी सही नही मानी जाती जैसा क्षेत्र की व्यवस्था के अनुकूल होना चाहिए इसके लिए नव निर्मित खैरागढ़ वन मंडल के वर्तमान  वन मंडलाधिकारी आलोक कुमार तिवारी (भावसे) जो हमेशा कार्यों के प्रति निष्ठावान, एवं समर्पित रहे है तथा नवीन प्रयोग के साथ  जहाँ जहाँ सेवा काल मे जिस क्षेत्र मे रहे वहाँ जन कल्याणकारी योजनाओं से वे इतिहास रचने का प्रयास करते रहे है 
उनसे वनों की भैतिकी जलवायु हरियाली के संरक्षण, संवर्धन, को लेकर उनसे खैरागढ वन क्षेत्र को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने भू जल संरक्षण के लिए नवीनतम तकनीक  कार्यों की जानकारी प्रदान की उन्होंने बताया खैरागढ़ के वन खंड  लछना कक्ष क्रमांक 262  टेमरी कूप मे 267 से 180 हेकटेयर  क्षेत्र मे भू जल संग्रहण संरक्षण प्रबन्धन के अतिव्यापी कार्य किये गए है  भू मृदा की लगातार अवांछनीय परत के  वजह से जल संरक्षण मे बहुत सी कठिनाई आती थी और वर्षा जल का समुचित संरक्षण एवं संग्रहण नही हो पाता जिसके लिए मानव जीवन सहित पशु पक्षी वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की बड़ी समस्या तो बनती ही है साथ ही वनों के पेड़ पौधों का असमय हरियाली भी विलुप्त हो जाती है तथा बहुत से वनों के पौधे बीमार और निःशक्त प्रतीत होते है असमय खोखले अस्वस्थ पेड़ हवा के हल्के झोंके के बहाव मे ज़मीदोज हो जाते है साथ ही खेती किसानी  मे भी इसके दुष्प्रभाव परिलक्षित होते है


खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी आलोक तिवारी भू मृदा के संदर्भ मे आगे बताते है कि भू मृदा भाग मे छ प्रकार के मृदा पाए जाते है इसको तकनीक सहायता से छिलाई कर समतल स्वरूप मे लाया जाता है जिससे वर्षा के जल कटाव की स्थिति बाधित होती है और जल संरक्षित होकर भू गर्भ मे अवशोषित होते रहता है डी एफ ओ खैरागढ़ आलोक कुमार तिवारी आगे बताते है कि भू मृदा  पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों से बनता है जो 'मृदा' मिट्टी कहलाता हैं। मृदा की ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय:जो परत प्राप्त होती है उसे शैल चट्टान कहते है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान'  भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को मृदा मिट्टी कहा जाता हैं वैसे तो छः प्रकार के मृदा पाए जाते हैं


जलोढ़ मृदा. काली मिट्टी/रेगुर मृदा.लाल मिट्टी और पीली मृदा तथा पर्वा या राकर.लैटेराइट,मृदा .मरुस्थली मृदा.वन मृदा होती है खैरागढ़ मे स्थित चार रेंज क्षेत्र मे 300 किलोमीटर से लेकर 80 किलो मीटर तक भिन्न भिन्न व्यापक भू मृदा कार्य कराए  गए है जिसमे 30 सेमी.से लेकर 40 सेमी. एवं कहीं कहीं 1मीटर से उपर भी मृदा उत्खनन कार्य संपादित किए गए है उन्होंने आगे बताया कि चार परिक्षेत्र रेंज मे इस दो माह मई जून तक संपादित होने कार्य हेतु आसपास ग्राम क्षेत्र के 300 से अधिक ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मूलक कार्य उपलब्ध कराया गया 




        खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी आलोक कुमार तिवारी ने आगे बताया कि भू मृदा जल संरक्षण हेतु आधुनिक नेटवर्किंग  तकनीक गूगल का प्रयोग भी किया गया टेमरी परिक्षेत्र मे समुद्र की ऊँचाई 495 मीटर से 655 मीटर नाप कर पिरामिड नुमा (ए फ्रेम)  खिचकर औसत ढाल का निर्माण किया गया जिसकी ऊँचाई 842 मीटर चिल्फी घाटी के समान है इसमें कुछ नई एवं पुरानी प्राचीन पद्धति का प्रयोग भी किया गया जैसे चेक बोल्डर को करीने से बिछा कर लोहे के जाली से निर्माण कर गली और नाली का निर्माण किया गया जहाँ तालाब नुमा स्थल मे वर्षा जल संग्रहित किया जा सके 
उसी प्रकार मिट्टी एवं गिट्टी आदि से सुरक्षा की दृष्टिकोण से भू मृदा कार्य संपादित कर तीन से चार फीट गहराई वाली वुड गली नाले का निर्माण किया गया है ताकि तालाब पोखर मे वर्षा जल चिर काल तक संग्रहित रह सके तथा इसका लाभ वनों के पेड़ पौधों मे लंबे समय तक नमी बनी रह सके वही वनक्षेत्र के रिक्त मैदानी भू भाग मे आयाताकार, त्रिभुजाकर,चंद्राकार,गोलाकार, तीन से चार फीट गड्ढों का निर्माण कर जल संरक्षण कार्य किए गए है जहाँ वर्षा पश्चात जल संरक्षित हो रहा है  अगस्त 2024 के  रिमझिम सावन माह मे खैरागढ़ डीएफओ  आलोक कुमार तिवारी साहब स्वयं छाता लेकर वन क्षेत्रों मे नव निर्मित भू मृदा संपादित कार्यो का पुनः निरक्षण कर सुध ली तथा एक एक कार्यों का बड़ी बारीकी से निरक्षण कर  संतोष व्यक्त करते हुए बताया कि प्राचीन पेड़ के आसपास भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है इसका परिणाम यह आने लगा है कि वन्य प्राणियों को  पेयजल की समस्या से निजात मिलने लगी है   साथ ही आस पास के वन ग्राम क्षेत्र मे भी खेती, किसानी, फसल के लिए लाभ प्राप्त हो रहा है 


       खैरागढ़ डी.एफ.ओ.आलोक कुमार तिवारी  बताते है कि भू मृदा वन भूमि जो लेट्राइट पथरीली या अतिसंवेदन शील क्षेत्र है वहाँ संरचना उन्नयन कार्य किए गए है जिनमे कक्ष क्रमांक 262  वनखंड लछ्ना जिसका क्षेत्रफल 267.180 हेक्टेयर है दक्षिण मलौद उप वृत सांकरी एवं उपचार क्षेत्र टेमरी मे आता है जहैं गैबियन संरचना, एल.बी. सी.डी. चेकडेम्, पत्थर के कंटूर बंड, संरचनाओ का पुनःरुत्पादन कार्य किया गया उन्होंने बताया कुल 14 ग्रीड मे सर्वेक्षण पश्चात पुनरुत्पादन की ग्रिड वैल्यू 6 प्राप्त हुई 

जिसकी  प्रति हेक्टेयर वैल्यू 64 है तथा कुल रकबा 267.180 हेक्टेयर कार्य किए गए है उन्होंने बताया कुल तीन एरिया का चयन कर उपचारित किया गया जिनमे रीज एरिया मे 5 से 7 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे उपचार किया गया , हेड एरिया चोटी के प्रारंभिक समतली ढलानी क्षेत्र मे  रिल्स का निर्माण कर  अर्दन गली के मध्यम से उपचार किया गया , वही रिचार्ज जोन  एरिया,  यह क्षेत्र 04 ब्लॉक मे विभाजित कर  जिसका ढलानी क्षेत्र 20 से 22 प्रतिशत क्षेत्र होता है  ऐसे रिचार्ज जोन मे एस.सी.टी., सी.सी.टी. , एल बी.सी.डी. , बी.डबत्यु. सी.डी. , तकनीक के मध्यम से किया गया 




 खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी  आलोक कुमार तिवारी  बताते है कि वर्षा पश्चात उपरोक्त कार्यों से आशातीत सफल परिणाम सामने आए है जगह जगह जल का संग्रहण परिलक्षित हो रहा है इसी जुलाई माह मे 12 हजार पौधों का रोपण स्थानीय रिक्त भू भाग मे स्कूली छात्र छात्राएं, जन प्रतिनिधि की गरिमामयी उपस्थिति मे एक पौधा माँ के  नाम कार्यक्रम के मध्यम से फलदार, फूलदार, सायादार, मिश्रित प्रजाति के पौधे लगाया गया है 
इसके अलावा वन के रिक्त भू भाग मे भी लाखों की संख्या मे वन क्षेत्र के पाए जाने वाले बीजों का क्रय कर बीजा रोपण संपूर्ण खैरागढ़ परियोजना क्षेत्र मे किया जाएगा  जो वर्षा ऋतु मे ही नैसर्गिक, प्राकृतिक रूप से आकार लेंगे उन्होंने बताया कि इस संपूर्ण कार्य मे वन एवं जलवायु विभाग के कर्मठ जुझारू अधिकारी, कर्मचारी, कम समय मे कार्य संपादित किए है उसके लिए उन्होंने सराहना करते हुए सभी को बधाई दी जिनमे मुख्यतः सर्व श्री, मोना महेश्वरी एस डी ओ खैरागढ़, अमृत लाल खूंटे, एस.डी.ओ.  गंडई ,  रमेश टंडन परिक्षेत्राधिकारी खैरागढ़ , अशोक वैष्णव परिक्षेत्राधिकारी छुई खदान, , सलीम क़ुरैशी परिक्षेत्राधिकारी गंडई / साल्हेवारा परिक्षेत्र   एन.आर.एम.इंजीनियर  छबिलाल साहू एवं शेख शफी वन रक्षक परिक्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए- छ्ग मुस्लिम महासभा

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए- छ्ग मुस्लिम महासभा


अल्ताफ हुसैन 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छ्ग प्रदेश सहित देश भर मे लगातार हो रही गौ तस्करी की आड़ मे मॉबलीचिंग के विरोध मे छ्ग मुस्लिम समाज द्वारा मुस्लिम महासभा  का आयोजन बैजनाथ पारा स्थित मुस्लिम हॉल मे किया गया जिसमे समाज के मस्जिद कमेटी के मुत्वली दरगाह के सदर खादिम,अंजुमनों के सदर वकील, पत्रकार, सहित बहुत से बुद्धि जीवी  वर्ग उपस्थिति होकर समाज के प्रति जागरूकता लाने अपने विचार व्यक्त किए इस अवसर पर राहिल राउफी ने कहा कि , शांति के टापू कहे जाने वाले छ्ग धान के कटोरे मे भी अब असमाजिक तत्व द्वारा आशांति फैलाने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी रोकथाम के लिए हम यहाँ सद्भावना हेतु चर्चा के लिए यहाँ सब उपस्थित हुए है उन्होंने कहा कि बहु संख्यकों समुदाय की भावना को ध्यान मे रखते हुए भारत देश मे गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए, साथ ही बहुत से बुचड खानों को तत्काल बंद करना चाहिए रहित राउफी ने आगे बताया कि छ्ग के बहुत से स्थानों पर बुलडोजर नीति परंपरा भी जारी किया गया है इस पर भी रोक लगाने पर चर्चा की जानी चाहिए गंडाइ छुई खदान से पधारे विचारक ने कहा कि सारे मुस्लिम एक जगह इकट्ठे होकर सामाजिक मुख्य धारा पे जूड़ कर प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते है उन्होंने  भी गौ तस्करी बंद होने की बात कही है और अल कबीर जैसे बुचड खाने कंपनी बंद होना चाहिए उस नाम को बदल कर स्वयं अपना नाम रखना चाहिए अल कबीर और अन्य मुस्लिम नाम से कत्ल खाने रखे जाने से इससे अन्य धर्म के अनुयायीयों मे मुस्लिम समाज की  विकृत तस्वीर सामने आती है जिसका पुरजोर विरोध किए जाने की बात कही गई



 तनवीर अहमद साहब राज्ञनादगांव ने कहा गौ तस्करी कोई केवल मुस्लिम समाज के लोग ही करोबार नही करते है बल्कि अन्य द्वारा भी तस्करी की जाती है उन्होंने भी अल कबीर जैसे बुचड खाने पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया   रायगढ़ से करीम भाई ने समरसता पर जोर देते हुए कहा हम अलग फिरको से न बांटे और एक इस्लामी परचम के तले एक हों तभी सब प्रेम इत्तेफाक से रह कर सामाजिक उन्नति और मुख्य धारा से जुड़ सकते है अनवर् हुसैन स्थानीय पार्षद ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज संगठित होकर संविधान के दायरे मे न्याय की लडाई लड  सकता है शकील साजिद ने कहा गौ तस्करी बंद होना चाहिए सभी बुचड खाने को पूरी तरह बंद होना चाहिए उन्होंने कहा देश अखंड भारत होना चाहिए जहां अफगानिस्तान से लेकर सभी राज्य इसके अधीन हो तभी राष्ट्र निर्माण मे सहभागी बन सकते है  शहीद भाई हाई कोर्ट के वकील ने कहा मुसलमानों के अलावा सभी अन्य धर्म व्यक्ति संविधान कानून के खिलाफ कर्य करता है उसके लिए सब आवाज़ बुलंद करो कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कार्य करें रायपुर जामा मास्जिद के सदर ने कहा कानुनी लडाई मे वकीलो की सहभागिता सुनिश्चित होना चाहिए ना इत्तेफाक होकर   सब संविधान के दायरे मे एक होना चाहिए दिल्ली से आए स्कॉलर  जनाब फाज़िल अहमद ने कहा राजनिति मे सहभागिता बहुत जरूरी है 


नबी ए करीम (स.अ.व.)फरमाते है की संख्या मायने नही रखता हौसले मायने रखता है उन्होंने आगे कहा एकजुटता से रहे तो

 मूसलमान एक बहुत बढ़ी ताकत बन सकता है मै सबका अव्हान करता हूँ जिस दिन दिल्ली मे अपने अन्याय के विरुद्ध खड़े होकर पचास हजार से एक लाख मुसलमान खड़े हो जाए उस दिन कोई लीचिंग करने,आँख दिखाने की हिम्मत भी नही कर सकता उन्होंने कहा देश भी मे केवल मुस्लिम समाज ही अपनी लडाई न लड़े बल्कि पिछड़े दलित, आदिवासी की लडाई भी कांधा से कांधा मिलाकर साथ मे लड़े ईद मिलादउन्न नबी के सदर नौमान् अकरम ने   कहा

वकीलो की पृथक कोर कमेटी, बनाया जाना चाहिए ताकि संविधान की कानूनी लडाई  आगे लडी जा सके प्रदेश के सभी मस्जिदों मे सी सी टी वी कैमरा लगाएं नव जवानों को उनका किरदार बनाए नशे से दूर रहने की अपील भी की गई आरंग मर्डर केस के लिए 

हाई कोर्ट से लडाई लड़ने पर जोर दिया साथ ही  सीबी आई की मांग करने की बात भी कही गई इस मुस्लिम महा सभा के विशेष अवसर पर प्रदेश भर से जिसमे गरियाबंद धमतरी, राजनांदगांव,रायगढ़, कोरबा, महासमुंद, सहित

दूर दूर से मुस्लिम समाज के लोगों ने शिरकत की