सोमवार, 8 जुलाई 2024

भू जल, संरक्षण मृदा उपचार के लिए खैरागढ़ वन मंडल का बेहतर प्रयोग

 भू जल, संरक्षण मृदा उपचार के लिए खैरागढ़ वन मंडल का बेहतर प्रयोग 

अलताफ़ हुसैन की कलम से 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय)  वन विभाग का मूल नाम के अनुरूप व्यापक बदलाव के  साथ अब वन विभाग का परिवर्तित नाम वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग कर दिया गया वन विभाग के पीछे जलवायु परिवर्तन करने की मंशा के पीछे बहुत बड़ा कारण भी अब दिखाई देने लगा है भारत देश ही नही बल्कि वैश्विक परिदृश्य मे लगातार बढ़ रहे धूल, धुंए, रसायनिक तत्वों के घुलनशील वायु की वजह से जल,जमीन,एवं प्राकृतिक, पर्यावरण, पूरी तरह से प्रदूषित हुआ है परिणामतः आकाशीय ओजान परत मे बड़ा छिद्र होने से पैरा बैंगनी के तिक्षण किरणों का दुष्प्रभाव  सीधे सारे मानव जीवन, सहित जलचर,नभचर, पशु पक्षी यहाँ तक पेड़,पौधे,वन, रहन सहन, एवं जलवायु, वातावरण मे व्यापक परिवर्तन हुआ है समान्य वर्षा के असंतुलित बेमौसम चक्र , ठंड की न मिलने वाली शीतलता का अहसास  लगभग विलुप्ततः के मुहाने मे  आकर खड़ी हो चुकी है ग्रीष्म ऋतु का यह हाल हो गया है कि जहाँ सदैव बारहमासी पुष्प की गमक से समान्य से मध्यम वातवरण महका करता था 


 वहाँ ग्रीष्म ऋतु की तीक्षण तपिश की चुभन अब आम जन को बड़ी सहजता से बारहमाह महसूस की जाती है वर्षा ऋतु परिवर्तन के बदलाव मे काश्त कारों ने अपने अनाज के खेती किसानी हेतु रोपित किए जाने वाले फसल काल चक्र मे व्यापक बदलाव कर दिया गया है उस पर भी खंड वर्षा से माकूल खेती किसानी नही हो पाती और आकाल दुकाल के प्राकृतिक आपदा का खामियाजा उन्हे भुगतना पड़ता है परिणामतः कई किसान कर्ज न देने की वजह से अकाल मृत्यु का निवाला बन जाते है या फिर डायन महंगाई के सामने दो जून के लिए आम जनता को अन्न व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करते जूझना पड़ता है 


मानव समाज के लिए यह विडंबना शनैः शनैः सुरसा की भाँति मुह खोल कर खड़ी होते जा रही है इसका मूल कारण वनों का अनवरत विदोहन और हास होना माना जा रहा है इस संदर्भ मे एक वन विभाग के अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी का कथन है कि आज हम पेयजल के लिए बंद बोतल पानी पैसे दे कर पी रहे है जो जल की अल्पता की प्रारंभिक शुरुआत हो चुकी है भविष्य मे वह दिन दूर नही जब हम जिस प्रकार बंद बोतल पानी क्रय कर पी रहे है वैसे ही वनों के लगातार विदोहन से ऑक्सिजन खरीद कर जीवन निर्वहन करना पड़ेगा  इसका साक्षात उदाहरण कुछ वर्ष पूर्व कोरोना काल मे पीड़ित मानव समाज ऑक्सिजन  के लिए तिल तिल कर के सांस के एक दम लेने के लिए मर रहा था वैसे ही वह समय भी आएगा जब ऑक्सिजन के लिए हम पीठ मे सांस लेने के लिए सिलेंडर लाद कर जीवन व्यतीत करने विवश होना पड़ेगा तब ही संपूर्ण मानव समाज को पेड़ पौधे, और वनों की महत्वता समझ आएगी यही वजह है कि वन विभाग ने उस मूल महती कारणों को ध्यान मे रखते हुए अपने मूल वन विभाग  नाम के साथ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जोड़ कर वनों की हरियाली एवं जलवायू क्षेत्र मे द्रुत गति से जन कल्याणकारी  कार्य योजना बना कर संपूर्ण मानव समाज के लिए हितकारी  कार्य कर रहा है इस संदर्भ मे आम जन की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए उन्हे निःशुल्क लाखों पौधे वितरण कर धरती मे हरित क्रांति लाने प्रयासरत है ताकि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र मे हरे भरे पेड़ पौधों के मध्यम से हरियाली, जलवायु संरक्षण कर स्वच्छ,एवं स्वस्थ्य पूर्ण वातावरण निर्मित किया जा सके 


  छ्ग प्रदेश का पूर्व मे दुर्ग जिले के अंतर्गत छोटी सी रियासत खैरागढ़ नाम से ही रजवाडा होने का आभास करवाता है वर्ष2021- 2022 मे खैरागढ़ नव निर्मित जिला के रूप अस्तित्व मे आया जहाँ चारों ओर सघन वन क्षेत्र के बावजूद भोगौलिक स्थिति मे ऊँचे नीचे पहाड़ और असमतल भूमि  से यहाँ का जल स्तर कभी एक स्थान पर समान्य रूप से टिक नही पाता और न ही संग्रहित हो पाता है कथन आशय यह है  कि  भू जल की भूगौलिक स्थिति उतनी सही नही मानी जाती जैसा क्षेत्र की व्यवस्था के अनुकूल होना चाहिए इसके लिए नव निर्मित खैरागढ़ वन मंडल के वर्तमान  वन मंडलाधिकारी आलोक कुमार तिवारी (भावसे) जो हमेशा कार्यों के प्रति निष्ठावान, एवं समर्पित रहे है तथा नवीन प्रयोग के साथ  जहाँ जहाँ सेवा काल मे जिस क्षेत्र मे रहे वहाँ जन कल्याणकारी योजनाओं से वे इतिहास रचने का प्रयास करते रहे है 
उनसे वनों की भैतिकी जलवायु हरियाली के संरक्षण, संवर्धन, को लेकर उनसे खैरागढ वन क्षेत्र को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने भू जल संरक्षण के लिए नवीनतम तकनीक  कार्यों की जानकारी प्रदान की उन्होंने बताया खैरागढ़ के वन खंड  लछना कक्ष क्रमांक 262  टेमरी कूप मे 267 से 180 हेकटेयर  क्षेत्र मे भू जल संग्रहण संरक्षण प्रबन्धन के अतिव्यापी कार्य किये गए है  भू मृदा की लगातार अवांछनीय परत के  वजह से जल संरक्षण मे बहुत सी कठिनाई आती थी और वर्षा जल का समुचित संरक्षण एवं संग्रहण नही हो पाता जिसके लिए मानव जीवन सहित पशु पक्षी वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की बड़ी समस्या तो बनती ही है साथ ही वनों के पेड़ पौधों का असमय हरियाली भी विलुप्त हो जाती है तथा बहुत से वनों के पौधे बीमार और निःशक्त प्रतीत होते है असमय खोखले अस्वस्थ पेड़ हवा के हल्के झोंके के बहाव मे ज़मीदोज हो जाते है साथ ही खेती किसानी  मे भी इसके दुष्प्रभाव परिलक्षित होते है


खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी आलोक तिवारी भू मृदा के संदर्भ मे आगे बताते है कि भू मृदा भाग मे छ प्रकार के मृदा पाए जाते है इसको तकनीक सहायता से छिलाई कर समतल स्वरूप मे लाया जाता है जिससे वर्षा के जल कटाव की स्थिति बाधित होती है और जल संरक्षित होकर भू गर्भ मे अवशोषित होते रहता है डी एफ ओ खैरागढ़ आलोक कुमार तिवारी आगे बताते है कि भू मृदा  पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों से बनता है जो 'मृदा' मिट्टी कहलाता हैं। मृदा की ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय:जो परत प्राप्त होती है उसे शैल चट्टान कहते है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान'  भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को मृदा मिट्टी कहा जाता हैं वैसे तो छः प्रकार के मृदा पाए जाते हैं


जलोढ़ मृदा. काली मिट्टी/रेगुर मृदा.लाल मिट्टी और पीली मृदा तथा पर्वा या राकर.लैटेराइट,मृदा .मरुस्थली मृदा.वन मृदा होती है खैरागढ़ मे स्थित चार रेंज क्षेत्र मे 300 किलोमीटर से लेकर 80 किलो मीटर तक भिन्न भिन्न व्यापक भू मृदा कार्य कराए  गए है जिसमे 30 सेमी.से लेकर 40 सेमी. एवं कहीं कहीं 1मीटर से उपर भी मृदा उत्खनन कार्य संपादित किए गए है उन्होंने आगे बताया कि चार परिक्षेत्र रेंज मे इस दो माह मई जून तक संपादित होने कार्य हेतु आसपास ग्राम क्षेत्र के 300 से अधिक ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मूलक कार्य उपलब्ध कराया गया 




        खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी आलोक कुमार तिवारी ने आगे बताया कि भू मृदा जल संरक्षण हेतु आधुनिक नेटवर्किंग  तकनीक गूगल का प्रयोग भी किया गया टेमरी परिक्षेत्र मे समुद्र की ऊँचाई 495 मीटर से 655 मीटर नाप कर पिरामिड नुमा (ए फ्रेम)  खिचकर औसत ढाल का निर्माण किया गया जिसकी ऊँचाई 842 मीटर चिल्फी घाटी के समान है इसमें कुछ नई एवं पुरानी प्राचीन पद्धति का प्रयोग भी किया गया जैसे चेक बोल्डर को करीने से बिछा कर लोहे के जाली से निर्माण कर गली और नाली का निर्माण किया गया जहाँ तालाब नुमा स्थल मे वर्षा जल संग्रहित किया जा सके 
उसी प्रकार मिट्टी एवं गिट्टी आदि से सुरक्षा की दृष्टिकोण से भू मृदा कार्य संपादित कर तीन से चार फीट गहराई वाली वुड गली नाले का निर्माण किया गया है ताकि तालाब पोखर मे वर्षा जल चिर काल तक संग्रहित रह सके तथा इसका लाभ वनों के पेड़ पौधों मे लंबे समय तक नमी बनी रह सके वही वनक्षेत्र के रिक्त मैदानी भू भाग मे आयाताकार, त्रिभुजाकर,चंद्राकार,गोलाकार, तीन से चार फीट गड्ढों का निर्माण कर जल संरक्षण कार्य किए गए है जहाँ वर्षा पश्चात जल संरक्षित हो रहा है  अगस्त 2024 के  रिमझिम सावन माह मे खैरागढ़ डीएफओ  आलोक कुमार तिवारी साहब स्वयं छाता लेकर वन क्षेत्रों मे नव निर्मित भू मृदा संपादित कार्यो का पुनः निरक्षण कर सुध ली तथा एक एक कार्यों का बड़ी बारीकी से निरक्षण कर  संतोष व्यक्त करते हुए बताया कि प्राचीन पेड़ के आसपास भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है इसका परिणाम यह आने लगा है कि वन्य प्राणियों को  पेयजल की समस्या से निजात मिलने लगी है   साथ ही आस पास के वन ग्राम क्षेत्र मे भी खेती, किसानी, फसल के लिए लाभ प्राप्त हो रहा है 


       खैरागढ़ डी.एफ.ओ.आलोक कुमार तिवारी  बताते है कि भू मृदा वन भूमि जो लेट्राइट पथरीली या अतिसंवेदन शील क्षेत्र है वहाँ संरचना उन्नयन कार्य किए गए है जिनमे कक्ष क्रमांक 262  वनखंड लछ्ना जिसका क्षेत्रफल 267.180 हेक्टेयर है दक्षिण मलौद उप वृत सांकरी एवं उपचार क्षेत्र टेमरी मे आता है जहैं गैबियन संरचना, एल.बी. सी.डी. चेकडेम्, पत्थर के कंटूर बंड, संरचनाओ का पुनःरुत्पादन कार्य किया गया उन्होंने बताया कुल 14 ग्रीड मे सर्वेक्षण पश्चात पुनरुत्पादन की ग्रिड वैल्यू 6 प्राप्त हुई 

जिसकी  प्रति हेक्टेयर वैल्यू 64 है तथा कुल रकबा 267.180 हेक्टेयर कार्य किए गए है उन्होंने बताया कुल तीन एरिया का चयन कर उपचारित किया गया जिनमे रीज एरिया मे 5 से 7 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे उपचार किया गया , हेड एरिया चोटी के प्रारंभिक समतली ढलानी क्षेत्र मे  रिल्स का निर्माण कर  अर्दन गली के मध्यम से उपचार किया गया , वही रिचार्ज जोन  एरिया,  यह क्षेत्र 04 ब्लॉक मे विभाजित कर  जिसका ढलानी क्षेत्र 20 से 22 प्रतिशत क्षेत्र होता है  ऐसे रिचार्ज जोन मे एस.सी.टी., सी.सी.टी. , एल बी.सी.डी. , बी.डबत्यु. सी.डी. , तकनीक के मध्यम से किया गया 




 खैरागढ़ वन मंडलाधिकारी  आलोक कुमार तिवारी  बताते है कि वर्षा पश्चात उपरोक्त कार्यों से आशातीत सफल परिणाम सामने आए है जगह जगह जल का संग्रहण परिलक्षित हो रहा है इसी जुलाई माह मे 12 हजार पौधों का रोपण स्थानीय रिक्त भू भाग मे स्कूली छात्र छात्राएं, जन प्रतिनिधि की गरिमामयी उपस्थिति मे एक पौधा माँ के  नाम कार्यक्रम के मध्यम से फलदार, फूलदार, सायादार, मिश्रित प्रजाति के पौधे लगाया गया है 
इसके अलावा वन के रिक्त भू भाग मे भी लाखों की संख्या मे वन क्षेत्र के पाए जाने वाले बीजों का क्रय कर बीजा रोपण संपूर्ण खैरागढ़ परियोजना क्षेत्र मे किया जाएगा  जो वर्षा ऋतु मे ही नैसर्गिक, प्राकृतिक रूप से आकार लेंगे उन्होंने बताया कि इस संपूर्ण कार्य मे वन एवं जलवायु विभाग के कर्मठ जुझारू अधिकारी, कर्मचारी, कम समय मे कार्य संपादित किए है उसके लिए उन्होंने सराहना करते हुए सभी को बधाई दी जिनमे मुख्यतः सर्व श्री, मोना महेश्वरी एस डी ओ खैरागढ़, अमृत लाल खूंटे, एस.डी.ओ.  गंडई ,  रमेश टंडन परिक्षेत्राधिकारी खैरागढ़ , अशोक वैष्णव परिक्षेत्राधिकारी छुई खदान, , सलीम क़ुरैशी परिक्षेत्राधिकारी गंडई / साल्हेवारा परिक्षेत्र   एन.आर.एम.इंजीनियर  छबिलाल साहू एवं शेख शफी वन रक्षक परिक्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें