वर्ल्ड एलिफेन्ट डे पर हुआ व्याख्यान हाथियों,वन्य प्राणियों के आचार व्यवहार पर बनेगी योजनाएं - सी.सी.एफ.विश्वेश झा
अल्ताफ हुसैन की कलम से
रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) वनों का श्रृंगार वन्य प्राणी होते है उनकी उपस्थिति मात्र से ही वनों की शोभा बढ़ जाती है आम जन वनों की प्रकृति छटा और सुंदर दृश्य देखने अभ्यारणय पहुँचते है सघन वन क्षेत्रों मे लाखों अनेक प्रजाति के पेड़ पौधे की विहंगम हरीतिमा परिदृश्य गोचर मात्र के अहसास से संपूर्ण प्रकृति, पर्यावरण के साथ स्वमेव लीन हो जाते है उनके वायु मंडल की भीनी भीनी वातावरण पुष्प गमक के स्पर्शता से सर्वस्य हृदय को पुलकित और मनभावन बना देता है उनके देखने से ऐसा आभास होता है जैसे प्राकृतिक के विस्तारित कैंनवास मे ईश्वर रूपी कलाकार ने वनों के पेड़ पौधों की पत्तियों,शाखाएं,उसकी टहनी,रूपी कुची से सप्त रंग बिरंगे परिकल्पना के आकार पर फल, फूल, और मनोहारी दृश्य को आकर्षक रंग से उकेर कर साकार कर दिया हो उस पर कीट पतंग, झींगुर की सिटी सी निकालने वाली तिक्षण आवाज जैसे गहन सन्नाटे की चिर खामोशी की तंद्रा भंग कर वातावरण को अल्हादित और मद मस्त कर देते हुए दूर किसी क्षेत्र से सुरही वाद्य यंत्र की शहनाई के कर्णप्रिय संगीत की धुन और भाँति भाँति वन्य प्राणियों की नांद से मानों सुमधुर सुर ताल का संगम होने का अहसास करा रही हो उस पर चहकते चिड़ियों की,,चीं चीं और कोयल, की कु हु कु हु,,,पपीहा,,,की पी हु पी,,हु ,, की संयुक्त चहक महक सरगम की मधुर लहरी मे मनोहारी संगीत के मध्य वनों के मूल रहवासी वन्य प्राणियों के द्वारा प्रकृति के रूप मे ईश्वरीय अनमोल वरदान का वन उत्सव के रूप मे मुक्त वातावरण के अभ्यारणय क्षेत्र मे अल्हादित,आनंदित की अनुभूति प्राप्त कर दोगुना उत्सव मना रहे हो उस पर पर्यटको द्वारा आवागमन करते समय रंग बिरंगे भिन्न भिन्न प्रजाति की तितलियाँ पंख पसारे इधर से उधर यहां वहाँ इठलाती हुई उड़ उड़ कर नृत्य कर उत्सव मे रंग जमाने अपनी उपस्थिति और सहभागिता निभा रही हो पहले तो छ्ग प्रदेश के वन क्षेत्रों मे हिंसक शेर चीता की दहाड़, समूचे क्षेत्र मे गरजती थी अब कुछ वर्षों मे इसकी दहाड़ कुछ कम हो गई है उनके स्थान पर स्वच्छन्द विचरण करते हाथियों की चिंघाड़ की गर्जंन भी ऐसे मनोहारी वन क्षेत्र मे सुनाई देने लगी है मानों वन क्षेत्रों मे सदा दिन होने वाले महोत्सव मे प्रकृति ने उन्हे न्यौता दिया गया हो और वे भी विशाल काया के साथ वन क्षेत्र मे हो रहे वन उत्सव मे चिंघाड़ के साथ स्वछंद रूप से कदम ताल मिला नृत्य कर रहे हो वैसे तो वर्तमान मे प्रदेश भर में छोटे बड़े हाथियों की जनसंख्या लगभग तीन सौ पचहत्तर होना बताया गया है लेकिन लगातार उनके मूवमेंट से इस बार छ्ग का वन एवं परिवर्तन विभाग वर्ल्ड एलीफेंट डे के रूप मे वृहद स्तर पर 12 अगस्त को मनाया गया है उक्त आयोजन वर्ल्ड एलिफेन्ट डे भारत की किसी एक राज्य मे प्रति वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है यह प्रथम अवसर है जब यह दायित्व छत्तीसगढ़ राज्य वन जलवायु एवं परिवर्तन विभाग को प्राप्त हुआ है जिसमे केंद्रीय वन, जलवायु एवं परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव मुख्य अतिथ्य मे वक्ता के रूप मे उपस्थित हुए इनके अलावा छ्ग प्रदेश के मुख्य मंत्री,विष्णु देव साय वन मंत्री केदार कश्यप सहित बहुत से गणमान्य मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी गण शिरकत की जिसमे प्रदेश भर के हाथियों के मूवमेंट, उनके रहवास पर विशेष विचार एवं चर्चा की गई
इस संदर्भ मे छ्ग प्रदेश उदंती सीतानदी वाइल्ड लाइफ सी सी एफ विश्वेश कुमार झा से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि वर्ल्ड एलिफेन्ट डे छत्तीसगढ़ राज्य मे प्रथम बार , 12, अगस्त को नवा रायपुर अटल नगर मे आयोजित किया गया जिसमे वन्य प्राणी हाथियों की लगातार प्रदेश भर मे मूवमेंट,पर परिचर्च एवं विचार साझा करते हुए उनके रहवास,सुरक्षा, गत वर्ष की गतिविधियों पर भी चर्चा एवं विचार व्यक्त किए गए सी सी एफ विश्वेश कुमार झा बताते है कि गत वर्ष हाथियों के लगातार गतिविधियों पर राज्य वन विभाग ने क्या कदम उठाए गए है इस पर भी विस्तृत चर्चा की गई जबकि उन्होंने बताया कि बीते वर्ष कुछ अपवाद छोड़ दिया जाए तो हाथी मानव संघर्ष मे बहुत ही कम मौते हुई है इसका मूल कारण वे बताते है कि वन विभाग ने आधुनिक संसाधन सेटेलाइट, इंटरनेट,जीपीएस के मध्यम से उसका उपयोग करते हुए हाथी एप बनाया गया है जिससे उनके गतिविधियों की पल पल की जानकारी मिलते रहती है जिसे ग्रामीण क्षेत्र के सरपंच, जन प्रतिनिधि, पत्रकारों को मोबाइल से जोड़ दिया गया है जिसकी जानकारी समय के पूर्व मिलने से ग्राम वासी सजग हो जाते है इसके अलावा भी सीसीएफ विश्वेश झा आगे बताते है 12 अगस्त 2024 को आयोजित होने वाले वर्ल्ड एलिफेंट डे के अवसर पर उपस्थित अतिथियों के समक्ष मूवी, ब्रोशर, एवं जन जागरूकता लाने वाले योजनाओं को बताई जाएगी इसके अलावा विशेष अतिथियों ,हाथी मित्र, वन कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उन्हे स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया गया उन्हों ने हाथियों के रहवास के संदर्भ मे बताया कि दक्षिण भारत केरल जो छ्ग राज्य से भी छोटा राज्य है वहां हजारों की संख्या मे हाथी विचरण करते है परंतु वहां पर हाथियों से मौत न के बराबर होती है इसका मुख्य कारण हाथी प्रभावित क्षेत्र मे जा कर मानव द्वारा विध्न नही डाला जाता और ना ही हाथी मानव आबादी क्षेत्र मे विचरण करते है वही हाथियों को कथित क्षेत्र मे मित्रवत व्यवहार किया जाता है उनके साथ छेड़ छाड़, या अन्य संसाधनों, फटाके, ढोल,बाजा,अग्नि, लाठी, शोर गुल आवाज़, इत्यादि से उन्हे उत्तेजित नही करते बल्कि उनके व्यवहार के अनुरूप आम जन दूरी बना कर रखते है वहीं दक्ष महावत के मध्यम से उन्हे प्रशिक्षित कर बहुत से रोजगार मूलक कार्य एवं आवागमन के लिए भी उपयोग लिए जाते है जिससे मानव एवं वन्य प्राणी हाथी संयुक्त रूप से परस्पर व्यवहार करते है छ्ग प्रदेश मे अनुमानित लगभग चार सौ हाथी विचरण कर रहे है जिनमे रायगढ़,अंबिकापुर, धरामजय गढ़, बिलासपुर, कोरबा, रायपुर के बलौदा बाजार, महासमुंद से लेकर महाराष्ट्र के गढ़चिरोली तक उनका मूवमेंट रहता है इसी वर्ष नया ठिकाना कांकेर जिला क्षेत्र मे भी हाथियों ने प्रवेश किया है कथन आशय यह है कि जहाँ इन्हे माकुल खान पान अनुकूल वातावरण मिलने पर यह डेरा डाल देते है लोमरु प्रोजेक्ट मे हाथियों के संरक्षण, संवर्धन हेतु व्यापक कार्य किए गए जो आज भी वहाँ के हाथी सुरक्षित है वैसे ही मुक्त विचरण से छ्ग राज्य की आब ओ हवा उन्हे पसंद आ गई है तथा तीन सौ पचहत्तर हाथी अब भी यहाँ की मुक्त फ़िज़ा मे विचरण कर रहे है सी सी एफ, विश्वेश कुमार झा आगे बताते है कि प्रदेश भर मे विचरण कर रहे हाथियों के संरक्षण, रहवास, चारागाह,पेयजल की समस्या, आम जन मे सुरक्षा, जैसे जगरूकता, विषयक बिंदु को लेकर एक वर्ष की कार्य योजना बनाई जाएगी और उनके खान पान वाले क्षेत्र जहाँ इनका प्रिय भोजन बांस के कोमल पत्ते, गन्ना, कदली वन, धान की पैदावार उपज कर के उन क्षेत्र को चिंहित कर चयनित स्थलों मे रहवास बनाने की योजना है जिसका निराकरण आवश्यक है इस विषय पर भी वर्ल्ड एलीफेंट डे पर विशेष चर्चा इसका मुख्य बिंदु रखा गया है सी सी एफ.विश्वेश कुमार झा से आगे चर्चा करने पर वे बताते है कि छग प्रदेश में हाथियों के अलावा वन्य प्राणी शेर पर भी विचार किया जा रहा है बार नवापारा के रवान क्षेत्र मे छ माह से अधिक प्रवासी शेर उसी डायरेक्शन मे विचरण कर रहा है जिस पर विभाग कैमरे लगा कर पूरी नज़र रखे हुए है अब तक उस ने आम जन पर हमला कर जान माल की क्षति नही पहुंचाई है इसके लिए मध्य प्रदेश के सेवानिवृत अधिकारी के मार्ग दर्शन मे उसके मूवमेंट पर अध्यन किया गया है उनका कथन है कि शेर कथित रवान क्षेत्र को अपना रहवास बना लिया है आस पास के ग्रामीणों से भी चर्चा की गई और उन्हे आश्वस्त किया गया है शेर के लिए शीघ्र अन्य राज्यों से शेरनी लाने की कवायद जारी है छ्ग राज्य के वातावरण अनुरूप समीप राज्य मध्य प्रदेश, या महाराष्ट्र से शेरनी लाने की बात कही है जो यहां के वातावरण मे ढल सकती है सी सी एफ. विश्वेश कुमार झा आगे बताते है कि जंगल सफारी मे आगंतुक विशेष अतिथियों को भ्रमण कराया जाएगा जहाँ की समस्याओं से भी उन्हे अवगत कराया जाएगा उन्होंने बताया कि जंगल सफारी मे वन्य प्राणियों के उपचार गृह बनाना अति आवश्यक हो गया है जहाँ प्रदेश भर के घायल वन्य प्राणियों का सुचारु रूप से उपचार कर संचालन किया जा सके सभी इसके लिए अलग अलग प्रशिक्षित डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी साथ ही आधुनिक एक्स रे मशीन, अन्य उपकरण, लाने की बात कही गई है जहाँ सभी घायल वन्य प्राणियों का सही समय पर उपचार किया जा सके 12 अगस्त को वर्ल्ड एलिफेन्ट डे पर प्रदेश के मुख्य मंत्री, विष्णु देव साय, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव छ्ग के वन मंत्री केदार कश्यप, वन बल प्रमुख श्री निवास राव सहित उच्च स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति मे बहुत सी योजनाओं पर अमली जामा पहनाया जाएगा


 
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