शनिवार, 25 मार्च 2023

रवि शंकर शुक्ल वार्ड में दो बोर उत्खनन की सौगात से वार्ड वासियों ने पार्षद आकाश तिवारी का आभार जताया

 रवि शंकर शुक्ल वार्ड में दो बोर उत्खनन की सौगात से वार्ड वासियों ने पार्षद आकाश तिवारी का आभार जताया

अलताफ हुसैन द्वारा

रायपुर आसन्न ग्रीष्म ऋतु एवं विकराल पेयजल की समस्या  को ध्यान में रखते हुए पंडित रवि शंकर शुक्ल वार्ड के पार्षद एवं एम आई सी सदस्य आकाश तिवारी ने धोबी पारा और नूरानी चौक में बोर उत्खनन का शुभारंभ नरियल फोड़ कर किया इस अवसर पर रवि शंकर शुक्ल वार्ड के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे जिन्होंने बताया कि वार्ड में ग्रीष्म ऋतु में विकराल पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती थी जिसके लिए पानी टैंकर सहित अन्य वैकल्पिक साधनों से पूर्ति की जाती थी 

परंतु वार्ड के युवा जुझारू एवं संवेदन शील पार्षद ने वार्ड वासियों की समस्या के त्वरित निराकरण के लिए दो प्रमुख स्थलों पर बोर खनन का कार्य शुभारंभ कर के भावी समस्या के निराकरण के लिए जनहितकारी पहल की है जिसके लिए समस्त वार्ड वासियों ने वार्ड पार्षद आकाश तिवारी के उल्लेखनीय कार्य हेतु उनका आभार व्यक्त किया है 

रविवार, 19 मार्च 2023

वविनि के बार परि. मंडल के डी. एम. द्वारा हिटलर शाही रवैय्ये से दो वन कर्मी हार्ट अटैक के शिकार तो कई डिप्रेशन में

  वविनि के बार परि. मंडल के डी. एम. द्वारा हिटलर शाही रवैय्ये से दो वन कर्मी हार्ट अटैक के शिकार तो कई डिप्रेशन में 

अलताफ हुसैन

रायपुर छग राज्य का सागौन काष्ठ से  सर्वाधिक राजस्व आय देने वाला बार परियोजना मंडल के वन विकास निगम कर्मचारी इस समय काफी दबाव और मानसिक प्रताड़ना की अवस्था से गुजर रहे है इसके लिए कार्यों की आपूर्ति बल्कि बार नवापारा परियोजना मंडल के प्रबंधक  रमन बी. सोमावार  के तुगलकी फरमान से त्रस्त है जिसकी शिकायत  सेवानिवृत्त प्रबंध संचालक एम. डी. पी.सी.पांडे से भी की गई परंतु उन्होंने भी कर्मचारियों,एवं अधिकारी द्वारा परस्पर सौहाद्र सहयोग ,समन्वय स्थापित कर कार्य किए जाने का आदेश देकर मामले को शांत करने का प्रयास किया था परंतु उनके सेवा निवृत्त   पश्चात रमन बी सोमावार पुनः अपने पुराने ढर्रे पर चलते हुए ढाक के वही पात वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए अधिकारी कर्मचारियों पर नित नए नए तुगलकी फरमान जारी कर उन्हें शारीरिक मानसिक और आर्थिक रुप से प्रताड़ित कर रहे है जिसकी वजह से वन विकास निगम बार नवापारा परियोजना मंडल के कर्मचारी बेहद खफा और त्रस्त हो चुके है यही नही बार नवापारा परियोजना मंडल के डी.एम. रमन बी. सोमावार के तुगलकी,और हिटलर शाही आदेश और प्रताड़ना के चलते तीन दिन तक बार परियोजना मंडल के वन कर्मचारी कलम बंद सांकेतिक हड़ताल भी कर चुके है इसके बावजूद बार प्रोजेक्ट के डी.एम. बी.रमन सोमावार की प्रताड़ना वाली कार्यशैली में कोई भी परिवर्तन नही हो पाया है 



    गौर तलब हो कि बार प्रोजेक्ट के डीएम  रमन बी. सोमावार रेग्युलर फॉरेस्ट में रेंजर पद पर क्रमोन्नति के तहत  बार प्रोजेक्ट के डी एम पद तक पहुंचे है जबकि तात्कालिक वन परिक्षेत्राधिकारी पद पर रहते हुए लगभग 267 लोगों की फर्जी प्रमाण पत्र में नौकरी करने की बात सामने आई थी जिसमे छग वन विभाग में पांच कर्मियों के नाम जो  विभिन्न पदों पर कार्यरत थे  जिनमें एक नाम रमन बी.सोमावार का भी था परन्तु उक्त प्रकरण में उन्हें विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र में क्लीन चिट प्राप्त हुई थी अथवा नही यह तो ज्ञात नही परंतु नियमानुसार ऐसे फर्जी जाति प्रमाण पत्र के तहत शासकीय सेवा देने वाले अधिकारी कर्मचारी आज भी उक्त प्रकरण में उलझे हुए जिनमे बहुत से शासकीय अधिकारी सहित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी,अमित जोगी के नाम  को उदाहरण स्वरूप लिया जा सकता है यदि ऐसे प्रकरण में अब तक उन्हें क्लीन चिट नही मिली तो सवाल यह उठता है कि उनकी लगातार शासकीय सेवा में रहते हुए क्रमोन्नति किस आधार पर की गई यह जांच का विषय हो सकता है यह हम नही कहते बल्कि  आज से दो वर्ष पूर्व 2020 में एक  प्रकाशित समाचार पत्र इसकी पुष्टि करता है क्योंकि आज भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र की वजह से ही जोगी परिवार पूरी तरह से अस्त व्यस्त है ऐसी परिस्थिति मे डी.एम. रमन बी. सोमावार को किस नियम के आधार पर क्रमोन्नति मिली यह आश्चर्य का विषय है जबकि रेग्युलर फॉरेस्ट में वे संलग्न एसडीओ अधिकारी के रूप में भी रहे वही मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में भी अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी परंतु ऐसा कौन सा अलाउद्दीन का चिराग उनके हाथ लगा कि बगैर जाति प्रमाण पत्र  जांच पड़ताल के उन्हें लगातार क्रमोन्नति मिलती गई तथा  सेवाकाल जीवन का संपूर्ण पद पॉवर का गाज स्थानीय बार परियोजना मंडल के निगम कर्मियों पर गिरा रहे है जिसकी रुदाली  गीत की चर्चा अब प्रदेश भर के वन विकास निगम कर्मीयो के मुख पर आ गई है और प्रदेश के सुदूर वन क्षेत्र में चर्चा के दरमियान उनके हिटलर शाही फरमान को लेकर तरह तरह की बाते सामने आ रही है   चर्चा में यह बात भी सामने आ रही है कि  बार प्रोजेक्ट के डीएम रमन बी सोमावार के कार्यकाल की अवधि छः माह के लगभग ही शेष है और वे इस प्रकार वन कर्मियों को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित कर अपने हिस्से में आने वाली राशि मे इजाफा करना चाहते है ताकि अधिक से अधिक रूप से धनार्जन किया जा सके तथा अंतिम कार्यकाल के अंतिम पड़ाव में जितना धन अर्जित कर समेटा जा सकता है समेट कर गठरी उठाकर बिदाई कर लिया जाए 

            उल्लेखनीय है कि छग राज्य वन विकास निगम अब केवल अधिकारियों कर्मियों का धन लूटने का चारागाह बन गया है क्योंकि जब छग राज्य मध्य प्रदेश के अधीन था तथा यहां तात्कालिक म प्र. वन विकास निगम के प्रथम मुखिया एस सी जेना साहब द्वारा राज्य को लाभांश राशि 27 करोड़ रुपये प्रदान करते थे   2001 के पश्चात  जब से छग राज्य वन विकास निगम अस्तित्व में आया तब से उक्त लाभांश राशि का ग्राफ गिरते गिरते वित्त वर्ष 2022 में तीन करोड़ 51 लाख के कांटे में अटक गया है अब सवाल उठता है कि स्व पोषित संस्था कॉर्पोरेशन होने में इसके लाभ में उत्तरोत्तर वृद्धि होनी चाहिए या अर्जित आय की राशि और पतन के साथ घटना चाहिए ? इससे यही ज्ञात होता है कि यहां जितने भी अधिकारी आए उन्होंने छग राज्य वन विकास निगम को भीतर ही भीतर नासूर की तरह खोखला करते चले गए और आज भी यह खेल अनवरत खेला जा रहा है यहां भोजराज जैन जैसे भ्रष्टासुर आज भी अंगद की पांव की तरह अपना पैर जमाकर बैठे हुए है और बड़े बड़े गड़बड़ घोटाला,फर्जीवाड़े, और भ्रष्टाचार को अंजाम देकर अधिकारियों को लाभ प्रदान तो कर ही रहे है साथ ही अपना चांदी का घरौंदा भी बना चुके है विचार करने वाली बात है कि प्रारंभिक सेवा  दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में अपनी सेवा देने वाले  भोजराज जैन धन का विशाल एम्पायर कैसे खड़ा कर लिया क्या कभी एसीबी वालों की नज़र ऐसे संविदा नियुक्त भ्रष्ट अधिकारी के ऊपर नही पड़ती ? बताया जाता है कि तीसरी बार संविदा नियुक्त करवा चुके भोजराज जैन की मासिक आय छग राज्य वन विकास निगम के प्रबंधक से भी अधिक है जो निगम में नई भर्ती और नौकरी लगाने के नाम,फर्जी प्रमाण पत्र से नियुक्ति के नाम,ऑडिट के नाम से नौ परियोजना मंडल के प्रत्येक वित्त कर्मियों,परिक्षेत्राधिकारीयों, से ऑडिट के नाम पर और सेटलमेंट कर लाखों की मांग,सहित अनेक गड़बड़ घोटाले,फर्जीवाड़े,भ्रष्टाचार में पर्दा डालने जैसे कार्यों के लिए ही इन्होंने संविदा नियुक्ति ले रखी है और अपने आकाओं को खुश करने के साथ साथ अपने भविष्य को भी सोने,चांदी की परत लगा कर  चमकदार बना चुके है उन्ही के नक्शे कदम पर चलने का प्रयास आरजीएम प्रभात मिश्रा एवं बार परि. मंडल के डिवीजन मैनेजर रमन बी.सोमावार भी कर रहे है परंतु उन्हें ज्ञात नही कि चाहे औद्योगिक या पंचायती प्लांटेशन हो निर्माण अथवा सामग्री क्रय का भ्रष्टाचार, हो  या फिर कूटरचित दस्तावेज हो इन सब मक्कड़ जाल में से निकलने का एक ही मूल मंत्र है वह है धन की चाबी जो केवल भोजराज जैन के मन्त्र से ही ताले खुलती है अतएव डीएम बार रमन बी.सोमवार सचेत हो जाए कि अपना अधिक पैसा अर्जित करने की लालसा के चलते वन विकास निगम कर्मियों पर अपनी खीज निकालने निरीह बेबस कर्मियों के साथ अपना आदेश का व्हाट्सएप व्हाट्सएप खेलने तथा हिटलर शाही रवैय्या को छोड़कर एक समन्वय बना कर चले नही तो सेवानिवृत्त के शेष इस छः माह के भीतर ऐसे उलझन में उलझ जाएंगे कि सेवानिवृत्त पश्चात  टी. ए. डी. ए. मैच्युरिटी फंड के निकालने में चप्पलें घिस जाएगी और रिकवरी जैसे प्रकरण सो अलग ? क्योंकि पुष्ट समाचार से यह भी ज्ञात हुआ है कि लगातार आदेश और काम के दबाव में दो निगम कर्मी जिनमे एंब्रोस एक्का रवान परिक्षेत्राधिकारी को बार्ट अटैक आ चुका है वही दूसरे  कार्यालयीन निगम कर्मी  धुरंदर को भी कार्यों के दबाव के चलते हार्ट अटैक आ चुका है जिससे बहुत से निगम कर्मी मानसिक रूप से अपना संतुलन खोकर अस्वस्थ्य हो चुके है यदि यही परिस्थिति रही तो वह दिन दूर नही जब इनके निगम में रहते हुए अब तक हुए सभी भ्रष्ट कार्यशैली के दस्तावेज परत दर परत खुलना शुरू न हो जाए क्योंकि छग वन विकास निगम के इस भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाला वाली काजल की काली कोठरी में रहकर अपने आप को कोई अधिकारी पाक साफ कैसे बचा सकता है ? यह उन्हें अपने विवेक से सोचना होगा 

गरियाबंद वन मंडल में नरवा परियोजना से बदली तस्वीर

 गरियाबंद वन मंडल में नरवा परियोजना से बदली तस्वीर 



अलताफ हुसैन

रायपुर गरियाबंद/ (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश की कॉंग्रेस सरकार ने वनों के  संरक्षण,संवर्धन में अनेक  महत्वांकाक्षी योजनाओं के माध्यम से कार्य किए है जिससे वनवासियों को रोजगार तो सुलभ होता ही है परन्तु इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में इनके सार्थक परिणाम अब परिलक्षित हो रहे है प्रारंभिक 2020-21एवं वर्ष 2021-22 में शासन की जन कल्याणकारी महती नरवा योजना को धरा में उतारते में अनेक शंकाओं को जन्म दे रहा था परन्तु  अब धीरे धीरे इसके सुखद,आशातीत,परिणाम सामने दिखने लगे है इसी क्रम में गरियाबंद  वन मण्डल अंतर्गत नरवा प्रोजेक्ट को लेकर छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका ने गरियाबंद से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित दसपूर वन ग्राम से लगे सघन वनक्षेत्र का भौतिक निरीक्षण किया जहां पर वर्ष 2020-21तथा वर्ष 2021-22 में संपादित विभागीय नरवा कार्यों का साक्षात निरीक्षण किया गया   जहाँ  पर बड़े तालाब उत्खनन पश्चात वहां की दशा और दिशा दोनों ही बदली हुई नजर आई ऊंचे ऊंचे प्रकृति रूप से वैभवशाली पेड़ पैधे और उसके मध्य से बहती जल धारा को इतने सुव्यवस्थित ढंग से बड़े  तालाब और उससे निकाले गए नाला नुमा आड़ी तिरछी प्रवाहित होती जल धारा किसी का भी शांत चित्त मन को आल्हादित करने पर्याप्त है यही नही नाले नुमा क्षेत्र से कलकल करते बहते जलधारा वस्तुतः मानव के साथ वन्यप्राणियों तथा प्राकृतिक रूप से भी वनों की सुंदरता,वैभवता में चार चांद लगा रहा है 

इस संदर्भ में तत्कालीन डीएफओ मयंक अग्रवाल से चर्चा करने पर उन्होंने बताया यह योजना के क्रियान्वयन के पीछे मुख्य उद्देश्य वनों के संरक्षण, जल संरक्षण रहा है जिससे वन क्षेत्रों में बराबर नमी बनी रहे और हरियाली से वन क्षेत्र आच्छादित रहे 



वर्तमान गरियाबंद डीएफओ मणिवासन एस.का कथन है राज्य सरकार जल संरक्षण और उससे कृषकों को मिलने वाली सिंचाई  सुविधा तथा वनों के संरक्षण पर बेहतर कार्य कर रही है अब उसके सार्थक परिणाम सामने दिख रहे है

 वही गरियाबंद एस. डी.ओ. मनोज चंद्राकर जो जमीनी और निर्माण कार्यों का लंबा अनुभव रखते है अपनी  लंबे सेवाकाल में उनका व्यक्तित्व काफी आकर्षक रहा है महासमुंद वन मंडल से लेकर बार ,पिथौरा, सहित अनेक वन मंडलों में अपनी सेवा से सदैव चर्चा में रहे इसकी वजह वे निर्भीक रूप से कार्यों का संपादन करवाते तथा उनकी प्रशासनिक व्यवस्था की कसावट बड़ी मजबूत थी वे कार्यों के प्रति उदासीनता कभी बर्दाश्त नही करते तथा सदैव एक वीर सैनिक योद्धा की भांति कार्यों का निष्पादन पूर्ण तन्मयता से करते यही वजह है कि प्लांटेशन से लेकर निर्माण कार्यों का वे लंबा अनुभव रखते है उन का कथन है कि नरवा परियोजना से आज बहुत से वन क्षेत्र काफी हरीतिमा लिए हुए है वही जिनमे गरियाबंद वन मंडल का वनग्राम दसपूर भी जिनमे एक है जहां हमने कैम्पा मद से 1780 हेक्टेयर  वन भूभाग में कार्य संपादित किए है एसडीओ चंद्राकर साहब आगे कहते है कि नरवा योजना का लाभ स्थानीय और आसपास के कृषकों को भरपूर मिल रहा है तथा वनक्षेत्रों में नमी के साथ साथ वर्षा ऋतु में कृषकों के लिए सिंचाई  के मामले में मिल का पत्थर साबित हो रहा है जिसका दसपूर वनक्षेत्र एक साक्षात उदाहरण है 

गरियाबंद परिक्षेत्र के युवा ऊर्जावान रेंजर पूणेंद्र साहू नरवा प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश पर ढलानी क्षेत्र में नरवा परियोजना का सफल क्रियान्वयन किया गया है मुख्य मार्ग से प्रवाहित होने वाले अनावश्यक जल को एक बड़े लगभग 15 से बीस फिट गहरे तालाब में संचय किया गया जहां यह प्रयास किया गया कि उसका जल का लाभ वनों के साथ साथ वन्यप्राणियों और आसपास के कृषकों को बराबर मिलता रहे परिक्षेत्राधिकारी पूणेंद्र साहू ने आगे बताया कि बड़े तालाब से मुख्य नाला साढ़े छह किलोमीटर तक निर्माण कराया गया जहां 1 स्टापडेम  के अलावा 6605 कंटूल ट्रेंच,ब्रशवुड 405,लुजबोल्डर से चेकडेम 509,गेबियन,9 आर्दन गली प्लग 136 स्थलों पर निर्माण किया गया जो ग्राम गुजरा क्षेत्र तक निर्मित है



 गरियाबंद रेंजर श्री साहू ने आगे बताया कि दसपूर,गुजरा, कोढो हरदी ग्राम के कृषकों से जब इसका सर्वे किया गया तब उन्होंने बताया कि उनकी कृषि भूमि उपरोक्त निर्मित नाले के समीप से गुजरती है समवेत स्वर में यह स्वीकार किया  कि  जल स्तर बढ़ने से पहले से अधिक कृषि में लाभ मिल रहा उपज भी बेहतर हुई है काफी समय तक क्षेत्र में नमी बनी रहती है एक प्रकार से उनका कथन है कि नरवा निर्माण क्षेत्र से जल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है तथा इसका लाभ हम कृषकों को भरपूर मिल रहा है गरियाबंद 



रेंजर पूणेंद्र साहू ने आगे बताया कि बड़ा तालाब सहित अन्य नाले निर्माण पश्चात जब सर्वेक्षण किया गया तब वर्षा ऋतु के अलावा अन्य ऋतुओं में वन क्षेत्र की हरियाली और जमीनी स्तर पर नमी बराबर बनी हुई थी तथा बहुत से नए जनरेशन के पौधे भी प्रकृति रूप से उग रहे थे जिससे हरियाली और वनों में सघनता बढ़ रही थी जिसे देख कर मन गदगद हो गया श्री साहू ने आगे बताया कि नरवा योजना के संपादन में 40 लाख की राशि व्यय हुई है  तथा स्थानीय श्रमिकों को भी रोजगार मुहैया कराया गया था प्रत्येक श्रमिको के मानव दिवस की राशि उनके  खातों में स्थांतरित की जाती थी जिससे कोरोना काल मे उनके आर्थिक सुदृढ़ता का प्रमुख श्रोत बना जिसकी वजह से श्रमिक आज भी ड्राय डे पर रोजगार उपलब्ध कराने पर वन विभाग के प्रति कृतध्नता देना नही भूलते

शनिवार, 11 मार्च 2023

मरवाही वन मंडल में भ्रष्टाचार का ऑडियो वायरल डीएफओ 22 पर्सेंट एसडीओ 5 पर्सेंट बाबू भैया को तीन पर्सेंट राशि तय

 मरवाही वन मंडल में भ्रष्टाचार का ऑडियो वायरल डीएफओ 22 पर्सेंट एसडीओ 5 पर्सेंट बाबू भैया को तीन पर्सेंट राशि तय 


अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)मरवाही वन मंडल का एक ऑडियो बड़ी तेजी से सोशल मीडिया व्हाट्सएप में  वायरल हो रहा है जिसमे वर्तमान डीएफओ पटेल साहब को श्रमिकों के अधिकार की भुगतान राशि से या फिर यह कह ले कि दोबारा फर्जी बिल बाउचर बनाकर 22 पर्सेंट राशि देने की बात  हो रहा है जिसमे एक वन कर्मचारी जो प्रभारी रेंजर है तथा जिसके सेवा निवृत्त होने में मात्र छः माह ही शेष है उसके और संभवतः दूसरी ओर स्थानीय ठेकेदार परमेश्वर,सावित्री कंस्ट्रक्शन  के मध्य हुए वार्तालाप का ऑडियो होने की आशंका है ऑडियो मरवाही वन मंडल क्षेत्र के आसपास परिक्षेत्र का होना बताया जा रहा है तथा पांच सात दिन से यह ऑडियो तैर रहा है चूंकि मामला भ्रष्टाचार से संबंधित होने के कारण फॉरेस्ट  क्राइम न्यूज़ अपने  नैतिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए ऑडियो के कुछ अंश को समाचार के रूप मे आम जन तक पहुंचा रहा है साथ ही लिंक के नीचे ऑडियो को भी प्रेषित की जा रही है जो वरिष्ठ अधिकारियों के लिए जांच का विषय हो सकता है 


 उसमें कथित प्रभारी रेंजर वन कर्मी डीएफओ पटेल को 22 पर्सेंट राशि दिए जाने की बात कह रहा है यही नही एसडीओ को पांच पर्सेंट और बाबू भैया लोगो को तीन पर्सेंट राशि देने की बात कही जा रही है इस पर वन कर्मी यह कहते हुए बता रहा है कि बैठक में  उसने साहब को  इतनी राशि मे कार्य संभव नही है होना बताया  उसमें पर्सेंट कम करने अनुनय भी किया गया है जिस पर 18 पर्सेंट पर बात तय हुई थी  वही डब्ल्यू बी एम में कटे तीन तीन लाख के भुगतान की बात भी कही जा रही है जिसमे किसी सुंदर पैकरा और गोपाल को चेक दिए जाने की बात कही है जिसकी पुष्टि करते हुए कथित प्रभारी रेंजर वन कर्मी के द्वारा डब्ल्यू बी एम  सड़क निर्माण में नौ लाख का एडी बाउचर  काटे जाने की बात स्वीकार करते हुए श्रमिकों को भुगतान आधा किया जाना बताया जिसमे राकेश नामक सह वन कर्मी की संपूर्ण भूमिका बताई गई है  यही नही छग शासन की महत्वाकांक्षी  नरवा योजना के तहत जालीदार ग्रेबियन तथा अन्य कार्यों में दो करोड़ रुपये की लेनदेन जिसमे किसी मिश्रा साहब के द्वारा दो करोड़ की राशि रोके जाने पर तथा उसपर त्रिपाठी के द्वारा हेरा फेरी होने की बात की गई है  जबकि वर्तमान मरवाही में पदस्थ डीएफओ अधिकारी पटेल साहब द्वारा एक पैसा भी राशि न लेकर ईमानदार अधिकारी के रूप में अपने आप को प्रस्तुत करते है परंतु उक्त ऑडियो में दोनों के द्वारा डीएफओ साहब के  22 पर्सेंट की मांग  वह भी श्रमिक भुगतान की राशि लेने पर दोनों वन कर्मी हंस रहे है चर्चा इस बात को लेकर भी की जा रही है कि पूर्व डीएफओ त्रिपाठी साहब बीस परसेन्ट लेते थे जिससे वन कर्मियों की जान कल्ला (जल)जाती थी परंतु वर्तमान डीएफओ पटेल साहब के द्वारा 22 परसेन्ट लेने पर उनके द्वारा 18 पर्सेंट पर भी जबान हुई थी परन्तु कमीशन खोरी की राशि देने वाले राकेश नामक वन कर्मी  उन्हें  22 परसेन्ट की राशि देने की बात बताता है जिससे वार्तालाप कर्ता द्वारा अधिकारी से मिलने की बात कही जा रही है वही डिप्टी रेंजर का कमीशनखोरी का हिस्सा को देने पर  प्रभारी रेंजर वन कर्मी परेशान हो रहा है वही तत्कालीन अधिकारी त्रिपाठी द्वारा बड़ी राशि गबन की बात ऑडियो में कही जा रही है  इसके अलावा बहुत सी वार्तालाप ऑडियो में कही जा रही है इससे ज्ञात होता है कि मरवाही वन मंडल मे लाखों की राशि का  नही बल्कि करोड़ो रुपये का गड़बड़ घोटाला करते हुए कमीशन खोरी के नाम राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है यही नही बिल बाउचर के एक से दो बार कही भी घूम जाने की बात कह कर दोबारा तिबारा   दूसरा बिल बाउचर प्रस्तुत कर गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार किया जाना बताया गया है वन कर्मियों द्वारा कमीशन खोरी हेतु दुबारा बिल बाउचर बनाकर गड़बड़ झाला करने के उक्त वायरल ऑडियों को सुनकर आम जन सहित विभागीय वन कर्मी आश्चर्य चकित है तथा चटकारे लेकर चर्चा कर रहे है  कि वन विभाग की कार्यशैली में ऐसा प्रतीत होता है कि योजनाओं का आधे से ज्यादा राशि कमीशनखोरी,भ्रष्टाचार  की भेंट चढ़ जाती है शेष राशि मैदानी अमलों के द्वारा भ्रष्टाचार गड़बड़झाला घोटाला कर स्वाहा हो जाता है ऐसी परिस्थिति में निर्माण कार्यों सहित अन्य योजनाओं की गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है अब देखना होगा कि इस संबंध में ऊपर बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते है क्योंकि बंदरबांट वाली विभागीय  कार्यप्रणाली में इनकी संलिप्तता से भी इंकार नही किया जा सकता केवल यही हो सकता है कि जांच के नाम पर संपूर्ण प्रकरण पर केवल लीपापोती ही की जा सकती है बताते चले कि हाल ही में दुर्ग वन मंडल के धमधा रेंजर शिवानंद को भ्रष्ट आचरण एवं अनुपात से अधिक चल अचल संपति के रखने के एवज में  माननीय न्यायालय द्वारा  पांच वर्ष की सश्रम सजा एवं दस हजार रुपये का अर्थ दंड दिया गया है जो एक नाजीर के रूप में देखा जा रहा परंतु वन विभाग में कभी भी किसी भ्रष्ट अधिकारी पर कठोर कार्यवाही नही होती केवल निलंबन, जांच,एवं नाम मात्र रिकवरी कर मामला सेटलमेंट कर लिया जाता है और भ्रष्ट अधिकारी शासन की लाखों करोड़ों की राशि डकार कर वैभव शाली जीवन व्यतीत करते है यह सिस्टम की कमजोरी नही तो और क्या है या फिर यूँ कह लें कि भ्रष्टाचार के इस हम्माम में सब के सब नंगे है 

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

ऐसी दीवनगी देखी नही कभी... मैंने..... एक कराओके गीत संगीत साधक- सुजीत यादव

 ऐसी दीवनगी देखी नही कभी... मैंने..... एक कराओके गीत संगीत साधक- सुजीत यादव

अलताफ हुसैन द्वारा

रायपुर (मिशन पॉलिटिक्स पत्रिका में प्रकाशित) कहते है जहां चाह है वहां राह है यही वजह है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अदम्य साहस का परिचय देते हुए वह भी बगैर संसाधन के रहते  कुछ लोग अपना लक्ष्य प्राप्त कर ही लेते है उनमे ही कराओके संगीत जगत से जुड़ा एक नाम सुजीत यादव का भी आता है जो यथा नाम तथा गुण को सार्थक करते हुए  संगीत जगत में अपने नाम एवं लक्ष्य को प्राप्त करते हुए एक एक कदम कराओके गीत संगीत के सफल गायको की श्रेणी मे बढ़ा कर अपने  यशस्वी सु...जीत.. नाम को कारगर और  सार्थक कर दिया तथा अनवरत सफलता का एक मुकाम प्राप्त कर श्रोताओं एवं आलोचकों के सोच के विपरीत उन्हें अचंभित कर प्रशंसा के लिए मुंह खोलने विवश कर दिया कराओके गीत संगीत  जगत में उंगलियों में गिने जाने वाले ऐसे सुर महारथी गायको के बीच जिनके सामने बहुत से गायकों की आवाज़ मद्धम पढ़ जाती है ऐसे गायक सुजीत यादव को उनके कर्णप्रिय गायकी के मध्य किशोर दा की सुमधुर आवाज़ के हूबहू अंदाज़ सुन कर जब उनकी पीठ थपथपाकर प्रस्तुति की प्रशंसा करते है तब उन्हें भी अपने गायकी की पकड़ इम्प्रेशन और सजाकर सटीक प्रस्तुत किए नग्मों के बीच आत्म सम्मान के साथ आत्मीय गर्व का अहसास होता है यह सब उनके बचपन से गायकी के प्रति लगातार लगन,परिश्रम,जीवटता, लक्ष्य प्रप्ति की ललक,का ही परिणाम है जो  कराओके गीत संगीत कला क्षेत्र में अपनी किशोर दा के समकक्ष वाली आवाज़ में  गायकी प्रस्तुत कर अपनी अद्भुत कला का लोहा मनवा दिया है

हालांकि यहां तक पहुंचने में सुजीत यादव को काफी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था आर्थिक विपन्नता, के मध्य पारिवारिक जिम्मेदारियों का दोहरा निर्वहन करना साथ ही गायकी के प्रति बेपनाह जुनून का तानाबाना किसी भी कलाकार को जीवन के उहापोह में उलझाने के लिए  पर्याप्त होता है परंतु इन सब के इतर सुजीत यादव ने बाँसटाल स्थित अपने छोटे से  दस बाई पन्द्रह के बंद कमरे में आज से लगभग आठ वर्ष पूर्व बगैर किसी उस्ताद अथवा मास्टर की उपस्थिति में अपने आदर्श और गुरु किशोर कुमार  के गाए फिल्मी गीतों को गुनगुनाना प्रारंभ किया और एकलव्य की भांति.. करत करत अभ्यास के उन्होंने लक्ष्य भेदी गीतों के बाण से सफलता की सीढ़ी चढ़ने का दृढ़ संकल्प लिया अपने गुरु स्व. किशोर दा की गायकी की बारीकियां,सुर के उतार चढ़ाव,भाव भंगिमाओं,और गीतों की सुख दुख,विरह,प्रेम,स्तुति जैसी गीतों की दशा दिशा का समुचित रियाज़ करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गए और अपनी लगातार रियाज़ वाले अध्ययन  का समुचित मूल्यांकन हेतु उन्होंने आधुनिक तकनीक स्टार मेकर का सहारा लिया और भारत देश के बहुत से सधे हुए सुप्रसिद्ध गायिकाओं के साथ डुएट गीतों को गाया जानकर आश्चर्य होगा कि स्टार मेकर में गाने के लिए वे रायपुर शहर से लगभग आठ से दस किलोमीटर दूर कमल विहार जैसे सुदूर वीरान जगह जाकर गायकी करते और अपनी कला पिपासा शांत करते इसकी मुख्य वजह यह था कि उनका घर कोई सुसज्जित भवन नही था जिसे वे अपनी सह गायिकाओं को मोबाइल से  दर्शन कराते यही वजह रही कि सुनसान वीरान क्षेत्र कमल विहार का चयन कर अब चाहे  ठंड,धूप गर्मी बरसात हो वे वहां पहुंच कर लाइव प्रदर्शन कर अपनी गायकी में धार लाते रहे 
और उनकी उक्त प्रस्तुति के सही मायनों में उसके जज देश भर के जुड़े सोशल  मीडिया के हज़ारों फॉलोवर्स लोग थे जो उनकी गायकी पर अपनी प्रतिक्रिया देते, उनके गीतों को सराहते थे यह वह दौर था जब रायपुर नगर निगम गार्डन कोंपल और डब्ल्यू वी एम.सुर साधना जैसी म्यूजिकल संस्थाओं ने रविवार और राष्ट्रीय पर्व में कराओके गीत संगीत की महफ़िल सजाना प्रारंभ कर दिया था और सुजीत यादव तब तक एक मंझे हुए कलाकार होने के बाद भी एक दर्शक,श्रोता की भांति उस बादलो जैसे घुमड़ते भीड़ में बैठकर गीतों को सुनते परन्तु वे कभी हतोउत्साहित न होते हुए उन्होंने अपनी गायकी की दीवानगी कम नही होने दिया और न ही कभी उन्होंने अपना गायन प्रतिभाशाली गायक  होने का परिचय वहां किसी कलाकार को दिया परन्तु सुजीत यादव ने यह जरूर ठान रखा था कि एक दिन स्वयं के ग्रुप निर्माण करके अपनी गायकी का प्रदर्शन करूंगा क्योंकि प्रत्येक प्रतिभाशाली  गायक कलाकार को एक सुनहरे अवसर की तलाश रहती है वह तलाश भी जल्द पूरी हुई जब इमरान म्यूजिकल ग्रुप को उन्होंने अपने गीतों के ऑडियो वीडियो ऑन लाइन भेजा जिसे सुनकर  सुजीत यादव की गायकी ने उन्हें काफी प्रभावित किया और इमरान अली ने दबी कुचली प्रतिभा का समुचित मूल्यांकन कर उन्हें मंच प्रदान कर बादलों की ओट में छुपे सूर्य की भांति प्रकाशवान कलाकार को तीन बार प्रथम पुरस्कार से नवाजा जो उनकी गायकी के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ मृदुभाषी, संयमित परन्तु आत्मविश्वास से लबरेज सुजीत यादव को इससे आत्मबल मिला थोड़े समय बाद ही सही मगर उन्होंने सुरवाणी म्यूजिकल ग्रुप की स्थापना की प्रथम कार्यक्रम आर्थिक अभाव और सही मार्ग दर्शन न मिलने और बहुत से विसंगतियों के चलते औसत रहा परंतु दूसरे कार्यक्रम में चयनित गीतों और कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया और सुजीत यादव ने कम से कम अपनी किशोर दा वाली आवाज़ का लोहा तो मनवा ही लिया गीत संगीत के प्रति ऐसी पराकाष्ठा ,और दीवनगी बहुत कम लोगों में  परिलक्षित होती है शनैः शनैः उन्होंने बहुत से गायको को जीने का प्रयास प्रारंभ कर दिया  जिनमे कुमार शानू, एस. पी.बालासुब्रमण्यम, अभिजीत,मनहर उधास,के नाम शामिल हो रहे है जिन की आवाज़ को भी सुजीत यादव ने जीना प्रारंभ किया है इन गायको के आवाज़ की बानगी भविष्य के कार्यक्रम में देखने और सुनने मिलेगी यह तय है अब सवाल यह है कि क्या कला सिर्फ एक व्यक्ति मे ही होती है जवाब नही.. हो सकता है कला सब के अंदर विध्यमान है  परंतु अपने अंदर की छुपी प्रतिभा को तराशने के लिए स्वयं एक श्रमिक की भांति हथौड़ा लेकर स्वयं को संग तराश की भांति  तराशना पड़ता है तब  जाकर एक अंदर का कलाकार दैदिप्यमान होता है जो सुजीत यादव के अंदर दिखती है जो आज भी  उठते बैठते चलते अपने आदर्श,गुरुदेव,किशोर दा के  गीतों के बोल उनके लबो पर रहते है  सुजीत यादव आज भी संसाधनों के अभाव में भी नगर निगम के गार्डन में एक छोटे से माइक लेकर आते जाते पर्यटकों से बेखबर अपनी ही  धुन में किशोर दा के फिल्मी गीतों को गुनगुनाते हुए अक्सर दिखाई दे जाते है और पर्यटक भी उनकी आकर्षक आवाज़ को सुनकर स्वयं ठिठक जाते है ये उनका गीत संगीत के प्रति दीवानगी,प्रेम,,तपस्या  नही तो और क्या है जो बहुत कम और विरले लोगों में परिलक्षित होता है  

गुरुवार, 2 मार्च 2023

प्रदेश की हरियाली पर काष्ठ माफियाओं की वक्र दृष्टि-वन विभाग की कार्यवाही अब तक नगण्य*

 

*प्रदेश की हरियाली पर काष्ठ माफियाओं की वक्र दृष्टि-वन विभाग की कार्यवाही अब तक नगण्य*


*अलताफ हुसैन* 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)विगत दिनों मोहला परिक्षेत्र में सागौन की तस्करी करते हुए बालोद क्षेत्र के कुख्यात काष्ठ माफिया तिगाला सॉ मिल  के ट्रक को पकड़कर लगभग 0.900 घनमीटर अवैध सागौन काष्ठ का परिवहन करते हुए पकड़ा गया जिसमे लगभग सात आरोपी पकड़े गए तथा जिनके ऊपर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई इस अवैध सागौन परिवहन करने वालो पर वन विकास निगम  मोहला परिक्षेत्र की परिक्षेत्राधिकारी लेडी सिंघम दीपिका सोनवानी की महती भूमिका बताई जा रही है जिन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ उन्हें अवैध सागौन काष्ठ  परिवहन करते हुए पकड़ा और तिगाला सॉ मिल मालिक एवं सात अन्य  के विरुद्ध पंचनामा बनाया उक्त प्रकरण में यह भी ज्ञात हुआ है कि तिगाला सॉ मिल बालोद के तथाकथित काष्ठ माफिया द्वारा सागौन तस्करी का अवैध कारोबार विगत कई वर्षों से निर्बाध गति से कर रहा था परंतु अब तक वह विभाग की आंखों में धूल झोंककर उनकी नज़रों से बचता आ रहा था परंतु मोहला जांच चौकी में पखवाड़े भर पूर्व जब वह ट्रक में अवैध रूप से बेशकीमती सागौन काष्ठ का अवैध परिवहन कर रहा था तब टीपी में दर्शाए गए काष्ठ घन मीटर में शंका हुई तथा जांच करने पर अवैध सागौन परिवहन का प्रकरण सामने आया इस संदर्भ में सात लोगों के विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 वनोपज परिवहन नियम 2001 धारा 41 (3)(18) छ. ग. वनोपज व्यापार विनियमन 1969 की धारा 5 (1) के अंतर्गत वन अपराध पंजीबद्ध किया है।

उक्त परिवहन कार्यवाही में वन विकास निगम की लेडी सिंघम के नाम से उभरती मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिन्होंने डी एम.प्रणव झा साहब के दिशा निर्देश ,डी डी एम. होमलाल साहू के मार्गदर्शन में  अपने कर्तव्य परायण का निर्वहन निर्भीकता के साथ किया और वन अधिनियम के तहत निर्भीक कार्यवाही कर काष्ठ माफिया के विरुद्ध बिगुल फूंका अवैध सागौन परिवहन के संदर्भ में मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी से चर्चा करने पर बताया कि सागौन काष्ठों की तस्करी तिगाला सॉ मिल बालोद के द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है  आशंका व्यक्त की जा रही है कि उसके द्वारा अवैध  सागौन परिवहन कर आसपास के अन्य राज्यों में भी सागौन काष्ठ तस्करी कर सप्लाय  किया जाता रहा होगा जिसका खुलासा संपूर्ण जांच पश्चात होगा तस्करी प्रकरण में ट्रक राजसात किए जाने की बात भी कही गई है

  *ऐसे करता था तस्करी*
मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी ने बताया कि तिगाला सॉ मिल द्वारा काष्ठागार में नीलामी में भाग ले कर काष्ठ क्रय यदि उसे 3 घनमीटर का शासकीय काष्ठागर से टीपी जारी किया जाता था तो वह काष्ठ परिवहन करते समय ट्रक को जंगल के बीच मे खड़ी कर अपने साथ लाए गए मजदूरों के साथ भीतर जंगल मे घुस कर परिपक्व सागौन की कटाई करवा कर उसे ट्रक में रखे काष्ठ के मध्य छुपा कर परिवहन कर लेता था बताया जाता है उसी टीपी के आधार पर कीमती सागौन काष्ठ को तस्करी कर वह उसे गोपनीय स्थल में रखकर,या सॉ मिल में चिरान कर उसका विक्रय करता था जिससे वह अब तक विभाग की नज़रों से बचा हुआ था
*वन कर्मियों की भूमिका पर सवाल*
गौर तलब है कि संपूर्ण वन क्षेत्र में वन चौकीदारों एवं फॉरेस्ट ऑफिसरों की नियुक्ति की जाती है जिनका कार्य ही वनों की देखरेख सुरक्षा का होता है इसके लिए वन चौकीदारों को बड़ा वेतन जारी किया जाता है इसके बावजूद उनकी उपस्थिति में इस प्रकार की अवैध कटाई और परिवहन किया जाना संदेह के दायरे में है वही अवैध काष्ठ तस्करी और परिवहन को रोकने बकायदा उड़न दस्ता औऱ वन क्षेत्रों में वनोंपज  जाच  चौकी भी है इसके बावजूद 
काष्ठ तस्करी का लगातार होना और वनों का विदोहन होना समझ के परे है

बताते चले कि वन विकास निगम के दो बड़े वन क्षेत्र पानाबरस परियोजना मंडल एवं बार परियोजना मंडल  में आड़े तिरछे बीमारू पेड़ों के अलावा परिपक्व सागौन वर्षवार 10,20,30,40,वर्षीय सागौन वृक्षों की मार्किंग कर थिनिंग की जाती है जिससे स्वपोषित संस्था वन विकास निगम का आर्थिक उपयोग कर निगम कंपनी को संचालित किया जाता है इसके एवज में प्रति वर्ष राज्य शासन को लाभांश राशि दी जाती है जो मार्च माह तक शासन को राशि प्रदाय किया जाता है मार्किंग किए गए और लाए गए काष्ठों को कष्ठागार में संचय कर उसकी नीलामी प्रति तीन माह में समाचार पत्र में प्रकाशन पश्चात किया जाता है जिसमे काष्ठागर से नीलामी पश्चात टीपी जारी की जाती है जो ट्रक के अनुपात तीन घनमीटर तक रहता है परंतु तिगाला मिल द्वारा आधुनिक काष्ठ तस्करी की युक्ति अपना कर वर्षों से सागौन काष्ठ तस्करी करने से विभाग अचंभित और हैरान है कि कई वर्षों से की जा रही इस अवैध सागौन काष्ठ परिवहन से वन विकास निगम को कितना बड़ा राजस्व का नुकसान सहन करना पड़ा होगा यह कल्पना से परे है 
*निगम चुस्त..विभाग सुस्त*
अवैध काष्ठ परिवहन के ऊपर कार्यवाही करने के मामले में कोरोना काल के पूर्व वित्तीय वर्ष वन विभाग ने काफी फुर्ती दिखाई थी धमतरी जिले सहित अन्य वन मंडलों में ट्रकों से सागौन,साल, काष्ठ के परिवहन पर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई थी. परंतु कोरोना काल के पश्चात यह देखने मे आ रहा है कि विभाग इस ओर पूरी तरह कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है रायपुर वन मंडल के तहत आरंग परिक्षेत्र के ग्राम फ़रफौद से लेकर सिमगा,गरियाबंद के राजिम नवापारा बलौदाबाजार मंडल के तहत सोनाखान,देवपुर, सिमगा, भाटापारा, धमतरी के दुगली,सिंहावा, बिरगुड़ी,महासमुंद के बागबाहरा, तक काष्ठ माफिया पूरी तरह सक्रिय है और अवैध काष्ठ तस्करी से लालम लाल हो रहे है और पूरे वर्षांत तक इस ओर विभाग द्वारा एक भी  प्रकरण 
काष्ठ माफियाओं के विरुद्ध पंजीबद्ध नही किया गया और न ही इस ओर  कोई विभागीय कार्यवही की गई  काष्ठ माफियाओं के हौसले बुलंद है और खुले आम काष्ठ तस्करी जारी है 

सवाल उठता है कि एक ओर छग शासन विभाग के साथ मिलकर प्रदेश को हराभरा बनाने में नई नई योजनाएं,कृष्ण कुंज,मुख्यमंत्री संपदा योजना के माध्यम से  जन भागीदारी सुनिश्चित कर करोड़ों रुपये व्यय कर रहा है  ताकि प्रदेश को हरा भरा बनाया जा सके  वही दूसरी ओर उक्त योजना को पलीता लगाने काष्ठ माफियाओं के द्वारा अवैध काष्ठ तस्करी धड़ल्ले से जारी है इससे क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हरे भरे छग प्रदेश की परिकल्पना साकार हो पाएगी ?