*प्रदेश की हरियाली पर काष्ठ माफियाओं की वक्र दृष्टि-वन विभाग की कार्यवाही अब तक नगण्य*
*अलताफ हुसैन* 
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)विगत दिनों मोहला परिक्षेत्र में सागौन की तस्करी करते हुए बालोद क्षेत्र के कुख्यात काष्ठ माफिया तिगाला सॉ मिल  के ट्रक को पकड़कर लगभग 0.900 घनमीटर अवैध सागौन काष्ठ का परिवहन करते हुए पकड़ा गया जिसमे लगभग सात आरोपी पकड़े गए तथा जिनके ऊपर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई इस अवैध सागौन परिवहन करने वालो पर वन विकास निगम  मोहला परिक्षेत्र की परिक्षेत्राधिकारी लेडी सिंघम दीपिका सोनवानी की महती भूमिका बताई जा रही है जिन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ उन्हें अवैध सागौन काष्ठ  परिवहन करते हुए पकड़ा और तिगाला सॉ मिल मालिक एवं सात अन्य  के विरुद्ध पंचनामा बनाया उक्त प्रकरण में यह भी ज्ञात हुआ है कि तिगाला सॉ मिल बालोद के तथाकथित काष्ठ माफिया द्वारा सागौन तस्करी का अवैध कारोबार विगत कई वर्षों से निर्बाध गति से कर रहा था परंतु अब तक वह विभाग की आंखों में धूल झोंककर उनकी नज़रों से बचता आ रहा था परंतु मोहला जांच चौकी में पखवाड़े भर पूर्व जब वह ट्रक में अवैध रूप से बेशकीमती सागौन काष्ठ का अवैध परिवहन कर रहा था तब टीपी में दर्शाए गए काष्ठ घन मीटर में शंका हुई तथा जांच करने पर अवैध सागौन परिवहन का प्रकरण सामने आया इस संदर्भ में सात लोगों के विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 वनोपज परिवहन नियम 2001 धारा 41 (3)(18) छ. ग. वनोपज व्यापार विनियमन 1969 की धारा 5 (1) के अंतर्गत वन अपराध पंजीबद्ध किया है।
उक्त परिवहन कार्यवाही में वन विकास निगम की लेडी सिंघम के नाम से उभरती मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिन्होंने डी एम.प्रणव झा साहब के दिशा निर्देश ,डी डी एम. होमलाल साहू के मार्गदर्शन में  अपने कर्तव्य परायण का निर्वहन निर्भीकता के साथ किया और वन अधिनियम के तहत निर्भीक कार्यवाही कर काष्ठ माफिया के विरुद्ध बिगुल फूंका अवैध सागौन परिवहन के संदर्भ में मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी से चर्चा करने पर बताया कि सागौन काष्ठों की तस्करी तिगाला सॉ मिल बालोद के द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है  आशंका व्यक्त की जा रही है कि उसके द्वारा अवैध  सागौन परिवहन कर आसपास के अन्य राज्यों में भी सागौन काष्ठ तस्करी कर सप्लाय  किया जाता रहा होगा जिसका खुलासा संपूर्ण जांच पश्चात होगा तस्करी प्रकरण में ट्रक राजसात किए जाने की बात भी कही गई है
  *ऐसे करता था तस्करी*
मोहला परिक्षेत्राधिकारी कुमारी दीपिका सोनवानी ने बताया कि तिगाला सॉ मिल द्वारा काष्ठागार में नीलामी में भाग ले कर काष्ठ क्रय यदि उसे 3 घनमीटर का शासकीय काष्ठागर से टीपी जारी किया जाता था तो वह काष्ठ परिवहन करते समय ट्रक को जंगल के बीच मे खड़ी कर अपने साथ लाए गए मजदूरों के साथ भीतर जंगल मे घुस कर परिपक्व सागौन की कटाई करवा कर उसे ट्रक में रखे काष्ठ के मध्य छुपा कर परिवहन कर लेता था बताया जाता है उसी टीपी के आधार पर कीमती सागौन काष्ठ को तस्करी कर वह उसे गोपनीय स्थल में रखकर,या सॉ मिल में चिरान कर उसका विक्रय करता था जिससे वह अब तक विभाग की नज़रों से बचा हुआ था 
 *वन कर्मियों की भूमिका पर सवाल*
गौर तलब है कि संपूर्ण वन क्षेत्र में वन चौकीदारों एवं फॉरेस्ट ऑफिसरों की नियुक्ति की जाती है जिनका कार्य ही वनों की देखरेख सुरक्षा का होता है इसके लिए वन चौकीदारों को बड़ा वेतन जारी किया जाता है इसके बावजूद उनकी उपस्थिति में इस प्रकार की अवैध कटाई और परिवहन किया जाना संदेह के दायरे में है वही अवैध काष्ठ तस्करी और परिवहन को रोकने बकायदा उड़न दस्ता औऱ वन क्षेत्रों में वनोंपज  जाच  चौकी भी है इसके बावजूद काष्ठ तस्करी का लगातार होना और वनों का विदोहन होना समझ के परे है
बताते चले कि वन विकास निगम के दो बड़े वन क्षेत्र पानाबरस परियोजना मंडल एवं बार परियोजना मंडल  में आड़े तिरछे बीमारू पेड़ों के अलावा परिपक्व सागौन वर्षवार 10,20,30,40,वर्षीय सागौन वृक्षों की मार्किंग कर थिनिंग की जाती है जिससे स्वपोषित संस्था वन विकास निगम का आर्थिक उपयोग कर निगम कंपनी को संचालित किया जाता है इसके एवज में प्रति वर्ष राज्य शासन को लाभांश राशि दी जाती है जो मार्च माह तक शासन को राशि प्रदाय किया जाता है मार्किंग किए गए और लाए गए काष्ठों को कष्ठागार में संचय कर उसकी नीलामी प्रति तीन माह में समाचार पत्र में प्रकाशन पश्चात किया जाता है जिसमे काष्ठागर से नीलामी पश्चात टीपी जारी की जाती है जो ट्रक के अनुपात तीन घनमीटर तक रहता है परंतु तिगाला मिल द्वारा आधुनिक काष्ठ तस्करी की युक्ति अपना कर वर्षों से सागौन काष्ठ तस्करी करने से विभाग अचंभित और हैरान है कि कई वर्षों से की जा रही इस अवैध सागौन काष्ठ परिवहन से वन विकास निगम को कितना बड़ा राजस्व का नुकसान सहन करना पड़ा होगा यह कल्पना से परे है 
*निगम चुस्त..विभाग सुस्त*
अवैध काष्ठ परिवहन के ऊपर कार्यवाही करने के मामले में कोरोना काल के पूर्व वित्तीय वर्ष वन विभाग ने काफी फुर्ती दिखाई थी धमतरी जिले सहित अन्य वन मंडलों में ट्रकों से सागौन,साल, काष्ठ के परिवहन पर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई थी. परंतु कोरोना काल के पश्चात यह देखने मे आ रहा है कि विभाग इस ओर पूरी तरह कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है रायपुर वन मंडल के तहत आरंग परिक्षेत्र के ग्राम फ़रफौद से लेकर सिमगा,गरियाबंद के राजिम नवापारा बलौदाबाजार मंडल के तहत सोनाखान,देवपुर, सिमगा, भाटापारा, धमतरी के दुगली,सिंहावा, बिरगुड़ी,महासमुंद के बागबाहरा, तक काष्ठ माफिया पूरी तरह सक्रिय है और अवैध काष्ठ तस्करी से लालम लाल हो रहे है और पूरे वर्षांत तक इस ओर विभाग द्वारा एक भी  प्रकरण काष्ठ माफियाओं के विरुद्ध पंजीबद्ध नही किया गया और न ही इस ओर  कोई विभागीय कार्यवही की गई  काष्ठ माफियाओं के हौसले बुलंद है और खुले आम काष्ठ तस्करी जारी है 
सवाल उठता है कि एक ओर छग शासन विभाग के साथ मिलकर प्रदेश को हराभरा बनाने में नई नई योजनाएं,कृष्ण कुंज,मुख्यमंत्री संपदा योजना के माध्यम से  जन भागीदारी सुनिश्चित कर करोड़ों रुपये व्यय कर रहा है  ताकि प्रदेश को हरा भरा बनाया जा सके  वही दूसरी ओर उक्त योजना को पलीता लगाने काष्ठ माफियाओं के द्वारा अवैध काष्ठ तस्करी धड़ल्ले से जारी है इससे क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हरे भरे छग प्रदेश की परिकल्पना साकार हो पाएगी ?