रविवार, 19 मार्च 2023

वविनि के बार परि. मंडल के डी. एम. द्वारा हिटलर शाही रवैय्ये से दो वन कर्मी हार्ट अटैक के शिकार तो कई डिप्रेशन में

  वविनि के बार परि. मंडल के डी. एम. द्वारा हिटलर शाही रवैय्ये से दो वन कर्मी हार्ट अटैक के शिकार तो कई डिप्रेशन में 

अलताफ हुसैन

रायपुर छग राज्य का सागौन काष्ठ से  सर्वाधिक राजस्व आय देने वाला बार परियोजना मंडल के वन विकास निगम कर्मचारी इस समय काफी दबाव और मानसिक प्रताड़ना की अवस्था से गुजर रहे है इसके लिए कार्यों की आपूर्ति बल्कि बार नवापारा परियोजना मंडल के प्रबंधक  रमन बी. सोमावार  के तुगलकी फरमान से त्रस्त है जिसकी शिकायत  सेवानिवृत्त प्रबंध संचालक एम. डी. पी.सी.पांडे से भी की गई परंतु उन्होंने भी कर्मचारियों,एवं अधिकारी द्वारा परस्पर सौहाद्र सहयोग ,समन्वय स्थापित कर कार्य किए जाने का आदेश देकर मामले को शांत करने का प्रयास किया था परंतु उनके सेवा निवृत्त   पश्चात रमन बी सोमावार पुनः अपने पुराने ढर्रे पर चलते हुए ढाक के वही पात वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए अधिकारी कर्मचारियों पर नित नए नए तुगलकी फरमान जारी कर उन्हें शारीरिक मानसिक और आर्थिक रुप से प्रताड़ित कर रहे है जिसकी वजह से वन विकास निगम बार नवापारा परियोजना मंडल के कर्मचारी बेहद खफा और त्रस्त हो चुके है यही नही बार नवापारा परियोजना मंडल के डी.एम. रमन बी. सोमावार के तुगलकी,और हिटलर शाही आदेश और प्रताड़ना के चलते तीन दिन तक बार परियोजना मंडल के वन कर्मचारी कलम बंद सांकेतिक हड़ताल भी कर चुके है इसके बावजूद बार प्रोजेक्ट के डी.एम. बी.रमन सोमावार की प्रताड़ना वाली कार्यशैली में कोई भी परिवर्तन नही हो पाया है 



    गौर तलब हो कि बार प्रोजेक्ट के डीएम  रमन बी. सोमावार रेग्युलर फॉरेस्ट में रेंजर पद पर क्रमोन्नति के तहत  बार प्रोजेक्ट के डी एम पद तक पहुंचे है जबकि तात्कालिक वन परिक्षेत्राधिकारी पद पर रहते हुए लगभग 267 लोगों की फर्जी प्रमाण पत्र में नौकरी करने की बात सामने आई थी जिसमे छग वन विभाग में पांच कर्मियों के नाम जो  विभिन्न पदों पर कार्यरत थे  जिनमें एक नाम रमन बी.सोमावार का भी था परन्तु उक्त प्रकरण में उन्हें विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र में क्लीन चिट प्राप्त हुई थी अथवा नही यह तो ज्ञात नही परंतु नियमानुसार ऐसे फर्जी जाति प्रमाण पत्र के तहत शासकीय सेवा देने वाले अधिकारी कर्मचारी आज भी उक्त प्रकरण में उलझे हुए जिनमे बहुत से शासकीय अधिकारी सहित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी,अमित जोगी के नाम  को उदाहरण स्वरूप लिया जा सकता है यदि ऐसे प्रकरण में अब तक उन्हें क्लीन चिट नही मिली तो सवाल यह उठता है कि उनकी लगातार शासकीय सेवा में रहते हुए क्रमोन्नति किस आधार पर की गई यह जांच का विषय हो सकता है यह हम नही कहते बल्कि  आज से दो वर्ष पूर्व 2020 में एक  प्रकाशित समाचार पत्र इसकी पुष्टि करता है क्योंकि आज भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र की वजह से ही जोगी परिवार पूरी तरह से अस्त व्यस्त है ऐसी परिस्थिति मे डी.एम. रमन बी. सोमावार को किस नियम के आधार पर क्रमोन्नति मिली यह आश्चर्य का विषय है जबकि रेग्युलर फॉरेस्ट में वे संलग्न एसडीओ अधिकारी के रूप में भी रहे वही मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में भी अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी परंतु ऐसा कौन सा अलाउद्दीन का चिराग उनके हाथ लगा कि बगैर जाति प्रमाण पत्र  जांच पड़ताल के उन्हें लगातार क्रमोन्नति मिलती गई तथा  सेवाकाल जीवन का संपूर्ण पद पॉवर का गाज स्थानीय बार परियोजना मंडल के निगम कर्मियों पर गिरा रहे है जिसकी रुदाली  गीत की चर्चा अब प्रदेश भर के वन विकास निगम कर्मीयो के मुख पर आ गई है और प्रदेश के सुदूर वन क्षेत्र में चर्चा के दरमियान उनके हिटलर शाही फरमान को लेकर तरह तरह की बाते सामने आ रही है   चर्चा में यह बात भी सामने आ रही है कि  बार प्रोजेक्ट के डीएम रमन बी सोमावार के कार्यकाल की अवधि छः माह के लगभग ही शेष है और वे इस प्रकार वन कर्मियों को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित कर अपने हिस्से में आने वाली राशि मे इजाफा करना चाहते है ताकि अधिक से अधिक रूप से धनार्जन किया जा सके तथा अंतिम कार्यकाल के अंतिम पड़ाव में जितना धन अर्जित कर समेटा जा सकता है समेट कर गठरी उठाकर बिदाई कर लिया जाए 

            उल्लेखनीय है कि छग राज्य वन विकास निगम अब केवल अधिकारियों कर्मियों का धन लूटने का चारागाह बन गया है क्योंकि जब छग राज्य मध्य प्रदेश के अधीन था तथा यहां तात्कालिक म प्र. वन विकास निगम के प्रथम मुखिया एस सी जेना साहब द्वारा राज्य को लाभांश राशि 27 करोड़ रुपये प्रदान करते थे   2001 के पश्चात  जब से छग राज्य वन विकास निगम अस्तित्व में आया तब से उक्त लाभांश राशि का ग्राफ गिरते गिरते वित्त वर्ष 2022 में तीन करोड़ 51 लाख के कांटे में अटक गया है अब सवाल उठता है कि स्व पोषित संस्था कॉर्पोरेशन होने में इसके लाभ में उत्तरोत्तर वृद्धि होनी चाहिए या अर्जित आय की राशि और पतन के साथ घटना चाहिए ? इससे यही ज्ञात होता है कि यहां जितने भी अधिकारी आए उन्होंने छग राज्य वन विकास निगम को भीतर ही भीतर नासूर की तरह खोखला करते चले गए और आज भी यह खेल अनवरत खेला जा रहा है यहां भोजराज जैन जैसे भ्रष्टासुर आज भी अंगद की पांव की तरह अपना पैर जमाकर बैठे हुए है और बड़े बड़े गड़बड़ घोटाला,फर्जीवाड़े, और भ्रष्टाचार को अंजाम देकर अधिकारियों को लाभ प्रदान तो कर ही रहे है साथ ही अपना चांदी का घरौंदा भी बना चुके है विचार करने वाली बात है कि प्रारंभिक सेवा  दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में अपनी सेवा देने वाले  भोजराज जैन धन का विशाल एम्पायर कैसे खड़ा कर लिया क्या कभी एसीबी वालों की नज़र ऐसे संविदा नियुक्त भ्रष्ट अधिकारी के ऊपर नही पड़ती ? बताया जाता है कि तीसरी बार संविदा नियुक्त करवा चुके भोजराज जैन की मासिक आय छग राज्य वन विकास निगम के प्रबंधक से भी अधिक है जो निगम में नई भर्ती और नौकरी लगाने के नाम,फर्जी प्रमाण पत्र से नियुक्ति के नाम,ऑडिट के नाम से नौ परियोजना मंडल के प्रत्येक वित्त कर्मियों,परिक्षेत्राधिकारीयों, से ऑडिट के नाम पर और सेटलमेंट कर लाखों की मांग,सहित अनेक गड़बड़ घोटाले,फर्जीवाड़े,भ्रष्टाचार में पर्दा डालने जैसे कार्यों के लिए ही इन्होंने संविदा नियुक्ति ले रखी है और अपने आकाओं को खुश करने के साथ साथ अपने भविष्य को भी सोने,चांदी की परत लगा कर  चमकदार बना चुके है उन्ही के नक्शे कदम पर चलने का प्रयास आरजीएम प्रभात मिश्रा एवं बार परि. मंडल के डिवीजन मैनेजर रमन बी.सोमावार भी कर रहे है परंतु उन्हें ज्ञात नही कि चाहे औद्योगिक या पंचायती प्लांटेशन हो निर्माण अथवा सामग्री क्रय का भ्रष्टाचार, हो  या फिर कूटरचित दस्तावेज हो इन सब मक्कड़ जाल में से निकलने का एक ही मूल मंत्र है वह है धन की चाबी जो केवल भोजराज जैन के मन्त्र से ही ताले खुलती है अतएव डीएम बार रमन बी.सोमवार सचेत हो जाए कि अपना अधिक पैसा अर्जित करने की लालसा के चलते वन विकास निगम कर्मियों पर अपनी खीज निकालने निरीह बेबस कर्मियों के साथ अपना आदेश का व्हाट्सएप व्हाट्सएप खेलने तथा हिटलर शाही रवैय्या को छोड़कर एक समन्वय बना कर चले नही तो सेवानिवृत्त के शेष इस छः माह के भीतर ऐसे उलझन में उलझ जाएंगे कि सेवानिवृत्त पश्चात  टी. ए. डी. ए. मैच्युरिटी फंड के निकालने में चप्पलें घिस जाएगी और रिकवरी जैसे प्रकरण सो अलग ? क्योंकि पुष्ट समाचार से यह भी ज्ञात हुआ है कि लगातार आदेश और काम के दबाव में दो निगम कर्मी जिनमे एंब्रोस एक्का रवान परिक्षेत्राधिकारी को बार्ट अटैक आ चुका है वही दूसरे  कार्यालयीन निगम कर्मी  धुरंदर को भी कार्यों के दबाव के चलते हार्ट अटैक आ चुका है जिससे बहुत से निगम कर्मी मानसिक रूप से अपना संतुलन खोकर अस्वस्थ्य हो चुके है यदि यही परिस्थिति रही तो वह दिन दूर नही जब इनके निगम में रहते हुए अब तक हुए सभी भ्रष्ट कार्यशैली के दस्तावेज परत दर परत खुलना शुरू न हो जाए क्योंकि छग वन विकास निगम के इस भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाला वाली काजल की काली कोठरी में रहकर अपने आप को कोई अधिकारी पाक साफ कैसे बचा सकता है ? यह उन्हें अपने विवेक से सोचना होगा 

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