रविवार, 19 मार्च 2023

गरियाबंद वन मंडल में नरवा परियोजना से बदली तस्वीर

 गरियाबंद वन मंडल में नरवा परियोजना से बदली तस्वीर 



अलताफ हुसैन

रायपुर गरियाबंद/ (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश की कॉंग्रेस सरकार ने वनों के  संरक्षण,संवर्धन में अनेक  महत्वांकाक्षी योजनाओं के माध्यम से कार्य किए है जिससे वनवासियों को रोजगार तो सुलभ होता ही है परन्तु इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में इनके सार्थक परिणाम अब परिलक्षित हो रहे है प्रारंभिक 2020-21एवं वर्ष 2021-22 में शासन की जन कल्याणकारी महती नरवा योजना को धरा में उतारते में अनेक शंकाओं को जन्म दे रहा था परन्तु  अब धीरे धीरे इसके सुखद,आशातीत,परिणाम सामने दिखने लगे है इसी क्रम में गरियाबंद  वन मण्डल अंतर्गत नरवा प्रोजेक्ट को लेकर छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका ने गरियाबंद से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित दसपूर वन ग्राम से लगे सघन वनक्षेत्र का भौतिक निरीक्षण किया जहां पर वर्ष 2020-21तथा वर्ष 2021-22 में संपादित विभागीय नरवा कार्यों का साक्षात निरीक्षण किया गया   जहाँ  पर बड़े तालाब उत्खनन पश्चात वहां की दशा और दिशा दोनों ही बदली हुई नजर आई ऊंचे ऊंचे प्रकृति रूप से वैभवशाली पेड़ पैधे और उसके मध्य से बहती जल धारा को इतने सुव्यवस्थित ढंग से बड़े  तालाब और उससे निकाले गए नाला नुमा आड़ी तिरछी प्रवाहित होती जल धारा किसी का भी शांत चित्त मन को आल्हादित करने पर्याप्त है यही नही नाले नुमा क्षेत्र से कलकल करते बहते जलधारा वस्तुतः मानव के साथ वन्यप्राणियों तथा प्राकृतिक रूप से भी वनों की सुंदरता,वैभवता में चार चांद लगा रहा है 

इस संदर्भ में तत्कालीन डीएफओ मयंक अग्रवाल से चर्चा करने पर उन्होंने बताया यह योजना के क्रियान्वयन के पीछे मुख्य उद्देश्य वनों के संरक्षण, जल संरक्षण रहा है जिससे वन क्षेत्रों में बराबर नमी बनी रहे और हरियाली से वन क्षेत्र आच्छादित रहे 



वर्तमान गरियाबंद डीएफओ मणिवासन एस.का कथन है राज्य सरकार जल संरक्षण और उससे कृषकों को मिलने वाली सिंचाई  सुविधा तथा वनों के संरक्षण पर बेहतर कार्य कर रही है अब उसके सार्थक परिणाम सामने दिख रहे है

 वही गरियाबंद एस. डी.ओ. मनोज चंद्राकर जो जमीनी और निर्माण कार्यों का लंबा अनुभव रखते है अपनी  लंबे सेवाकाल में उनका व्यक्तित्व काफी आकर्षक रहा है महासमुंद वन मंडल से लेकर बार ,पिथौरा, सहित अनेक वन मंडलों में अपनी सेवा से सदैव चर्चा में रहे इसकी वजह वे निर्भीक रूप से कार्यों का संपादन करवाते तथा उनकी प्रशासनिक व्यवस्था की कसावट बड़ी मजबूत थी वे कार्यों के प्रति उदासीनता कभी बर्दाश्त नही करते तथा सदैव एक वीर सैनिक योद्धा की भांति कार्यों का निष्पादन पूर्ण तन्मयता से करते यही वजह है कि प्लांटेशन से लेकर निर्माण कार्यों का वे लंबा अनुभव रखते है उन का कथन है कि नरवा परियोजना से आज बहुत से वन क्षेत्र काफी हरीतिमा लिए हुए है वही जिनमे गरियाबंद वन मंडल का वनग्राम दसपूर भी जिनमे एक है जहां हमने कैम्पा मद से 1780 हेक्टेयर  वन भूभाग में कार्य संपादित किए है एसडीओ चंद्राकर साहब आगे कहते है कि नरवा योजना का लाभ स्थानीय और आसपास के कृषकों को भरपूर मिल रहा है तथा वनक्षेत्रों में नमी के साथ साथ वर्षा ऋतु में कृषकों के लिए सिंचाई  के मामले में मिल का पत्थर साबित हो रहा है जिसका दसपूर वनक्षेत्र एक साक्षात उदाहरण है 

गरियाबंद परिक्षेत्र के युवा ऊर्जावान रेंजर पूणेंद्र साहू नरवा प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश पर ढलानी क्षेत्र में नरवा परियोजना का सफल क्रियान्वयन किया गया है मुख्य मार्ग से प्रवाहित होने वाले अनावश्यक जल को एक बड़े लगभग 15 से बीस फिट गहरे तालाब में संचय किया गया जहां यह प्रयास किया गया कि उसका जल का लाभ वनों के साथ साथ वन्यप्राणियों और आसपास के कृषकों को बराबर मिलता रहे परिक्षेत्राधिकारी पूणेंद्र साहू ने आगे बताया कि बड़े तालाब से मुख्य नाला साढ़े छह किलोमीटर तक निर्माण कराया गया जहां 1 स्टापडेम  के अलावा 6605 कंटूल ट्रेंच,ब्रशवुड 405,लुजबोल्डर से चेकडेम 509,गेबियन,9 आर्दन गली प्लग 136 स्थलों पर निर्माण किया गया जो ग्राम गुजरा क्षेत्र तक निर्मित है



 गरियाबंद रेंजर श्री साहू ने आगे बताया कि दसपूर,गुजरा, कोढो हरदी ग्राम के कृषकों से जब इसका सर्वे किया गया तब उन्होंने बताया कि उनकी कृषि भूमि उपरोक्त निर्मित नाले के समीप से गुजरती है समवेत स्वर में यह स्वीकार किया  कि  जल स्तर बढ़ने से पहले से अधिक कृषि में लाभ मिल रहा उपज भी बेहतर हुई है काफी समय तक क्षेत्र में नमी बनी रहती है एक प्रकार से उनका कथन है कि नरवा निर्माण क्षेत्र से जल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है तथा इसका लाभ हम कृषकों को भरपूर मिल रहा है गरियाबंद 



रेंजर पूणेंद्र साहू ने आगे बताया कि बड़ा तालाब सहित अन्य नाले निर्माण पश्चात जब सर्वेक्षण किया गया तब वर्षा ऋतु के अलावा अन्य ऋतुओं में वन क्षेत्र की हरियाली और जमीनी स्तर पर नमी बराबर बनी हुई थी तथा बहुत से नए जनरेशन के पौधे भी प्रकृति रूप से उग रहे थे जिससे हरियाली और वनों में सघनता बढ़ रही थी जिसे देख कर मन गदगद हो गया श्री साहू ने आगे बताया कि नरवा योजना के संपादन में 40 लाख की राशि व्यय हुई है  तथा स्थानीय श्रमिकों को भी रोजगार मुहैया कराया गया था प्रत्येक श्रमिको के मानव दिवस की राशि उनके  खातों में स्थांतरित की जाती थी जिससे कोरोना काल मे उनके आर्थिक सुदृढ़ता का प्रमुख श्रोत बना जिसकी वजह से श्रमिक आज भी ड्राय डे पर रोजगार उपलब्ध कराने पर वन विभाग के प्रति कृतध्नता देना नही भूलते

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