शनिवार, 11 मार्च 2023

मरवाही वन मंडल में भ्रष्टाचार का ऑडियो वायरल डीएफओ 22 पर्सेंट एसडीओ 5 पर्सेंट बाबू भैया को तीन पर्सेंट राशि तय

 मरवाही वन मंडल में भ्रष्टाचार का ऑडियो वायरल डीएफओ 22 पर्सेंट एसडीओ 5 पर्सेंट बाबू भैया को तीन पर्सेंट राशि तय 


अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)मरवाही वन मंडल का एक ऑडियो बड़ी तेजी से सोशल मीडिया व्हाट्सएप में  वायरल हो रहा है जिसमे वर्तमान डीएफओ पटेल साहब को श्रमिकों के अधिकार की भुगतान राशि से या फिर यह कह ले कि दोबारा फर्जी बिल बाउचर बनाकर 22 पर्सेंट राशि देने की बात  हो रहा है जिसमे एक वन कर्मचारी जो प्रभारी रेंजर है तथा जिसके सेवा निवृत्त होने में मात्र छः माह ही शेष है उसके और संभवतः दूसरी ओर स्थानीय ठेकेदार परमेश्वर,सावित्री कंस्ट्रक्शन  के मध्य हुए वार्तालाप का ऑडियो होने की आशंका है ऑडियो मरवाही वन मंडल क्षेत्र के आसपास परिक्षेत्र का होना बताया जा रहा है तथा पांच सात दिन से यह ऑडियो तैर रहा है चूंकि मामला भ्रष्टाचार से संबंधित होने के कारण फॉरेस्ट  क्राइम न्यूज़ अपने  नैतिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए ऑडियो के कुछ अंश को समाचार के रूप मे आम जन तक पहुंचा रहा है साथ ही लिंक के नीचे ऑडियो को भी प्रेषित की जा रही है जो वरिष्ठ अधिकारियों के लिए जांच का विषय हो सकता है 


 उसमें कथित प्रभारी रेंजर वन कर्मी डीएफओ पटेल को 22 पर्सेंट राशि दिए जाने की बात कह रहा है यही नही एसडीओ को पांच पर्सेंट और बाबू भैया लोगो को तीन पर्सेंट राशि देने की बात कही जा रही है इस पर वन कर्मी यह कहते हुए बता रहा है कि बैठक में  उसने साहब को  इतनी राशि मे कार्य संभव नही है होना बताया  उसमें पर्सेंट कम करने अनुनय भी किया गया है जिस पर 18 पर्सेंट पर बात तय हुई थी  वही डब्ल्यू बी एम में कटे तीन तीन लाख के भुगतान की बात भी कही जा रही है जिसमे किसी सुंदर पैकरा और गोपाल को चेक दिए जाने की बात कही है जिसकी पुष्टि करते हुए कथित प्रभारी रेंजर वन कर्मी के द्वारा डब्ल्यू बी एम  सड़क निर्माण में नौ लाख का एडी बाउचर  काटे जाने की बात स्वीकार करते हुए श्रमिकों को भुगतान आधा किया जाना बताया जिसमे राकेश नामक सह वन कर्मी की संपूर्ण भूमिका बताई गई है  यही नही छग शासन की महत्वाकांक्षी  नरवा योजना के तहत जालीदार ग्रेबियन तथा अन्य कार्यों में दो करोड़ रुपये की लेनदेन जिसमे किसी मिश्रा साहब के द्वारा दो करोड़ की राशि रोके जाने पर तथा उसपर त्रिपाठी के द्वारा हेरा फेरी होने की बात की गई है  जबकि वर्तमान मरवाही में पदस्थ डीएफओ अधिकारी पटेल साहब द्वारा एक पैसा भी राशि न लेकर ईमानदार अधिकारी के रूप में अपने आप को प्रस्तुत करते है परंतु उक्त ऑडियो में दोनों के द्वारा डीएफओ साहब के  22 पर्सेंट की मांग  वह भी श्रमिक भुगतान की राशि लेने पर दोनों वन कर्मी हंस रहे है चर्चा इस बात को लेकर भी की जा रही है कि पूर्व डीएफओ त्रिपाठी साहब बीस परसेन्ट लेते थे जिससे वन कर्मियों की जान कल्ला (जल)जाती थी परंतु वर्तमान डीएफओ पटेल साहब के द्वारा 22 परसेन्ट लेने पर उनके द्वारा 18 पर्सेंट पर भी जबान हुई थी परन्तु कमीशन खोरी की राशि देने वाले राकेश नामक वन कर्मी  उन्हें  22 परसेन्ट की राशि देने की बात बताता है जिससे वार्तालाप कर्ता द्वारा अधिकारी से मिलने की बात कही जा रही है वही डिप्टी रेंजर का कमीशनखोरी का हिस्सा को देने पर  प्रभारी रेंजर वन कर्मी परेशान हो रहा है वही तत्कालीन अधिकारी त्रिपाठी द्वारा बड़ी राशि गबन की बात ऑडियो में कही जा रही है  इसके अलावा बहुत सी वार्तालाप ऑडियो में कही जा रही है इससे ज्ञात होता है कि मरवाही वन मंडल मे लाखों की राशि का  नही बल्कि करोड़ो रुपये का गड़बड़ घोटाला करते हुए कमीशन खोरी के नाम राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है यही नही बिल बाउचर के एक से दो बार कही भी घूम जाने की बात कह कर दोबारा तिबारा   दूसरा बिल बाउचर प्रस्तुत कर गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार किया जाना बताया गया है वन कर्मियों द्वारा कमीशन खोरी हेतु दुबारा बिल बाउचर बनाकर गड़बड़ झाला करने के उक्त वायरल ऑडियों को सुनकर आम जन सहित विभागीय वन कर्मी आश्चर्य चकित है तथा चटकारे लेकर चर्चा कर रहे है  कि वन विभाग की कार्यशैली में ऐसा प्रतीत होता है कि योजनाओं का आधे से ज्यादा राशि कमीशनखोरी,भ्रष्टाचार  की भेंट चढ़ जाती है शेष राशि मैदानी अमलों के द्वारा भ्रष्टाचार गड़बड़झाला घोटाला कर स्वाहा हो जाता है ऐसी परिस्थिति में निर्माण कार्यों सहित अन्य योजनाओं की गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है अब देखना होगा कि इस संबंध में ऊपर बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते है क्योंकि बंदरबांट वाली विभागीय  कार्यप्रणाली में इनकी संलिप्तता से भी इंकार नही किया जा सकता केवल यही हो सकता है कि जांच के नाम पर संपूर्ण प्रकरण पर केवल लीपापोती ही की जा सकती है बताते चले कि हाल ही में दुर्ग वन मंडल के धमधा रेंजर शिवानंद को भ्रष्ट आचरण एवं अनुपात से अधिक चल अचल संपति के रखने के एवज में  माननीय न्यायालय द्वारा  पांच वर्ष की सश्रम सजा एवं दस हजार रुपये का अर्थ दंड दिया गया है जो एक नाजीर के रूप में देखा जा रहा परंतु वन विभाग में कभी भी किसी भ्रष्ट अधिकारी पर कठोर कार्यवाही नही होती केवल निलंबन, जांच,एवं नाम मात्र रिकवरी कर मामला सेटलमेंट कर लिया जाता है और भ्रष्ट अधिकारी शासन की लाखों करोड़ों की राशि डकार कर वैभव शाली जीवन व्यतीत करते है यह सिस्टम की कमजोरी नही तो और क्या है या फिर यूँ कह लें कि भ्रष्टाचार के इस हम्माम में सब के सब नंगे है 

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