ऐसी दीवनगी देखी नही कभी... मैंने..... एक कराओके गीत संगीत साधक- सुजीत यादव
अलताफ हुसैन द्वारा
रायपुर (मिशन पॉलिटिक्स पत्रिका में प्रकाशित) कहते है जहां चाह है वहां राह है यही वजह है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अदम्य साहस का परिचय देते हुए वह भी बगैर संसाधन के रहते कुछ लोग अपना लक्ष्य प्राप्त कर ही लेते है उनमे ही कराओके संगीत जगत से जुड़ा एक नाम सुजीत यादव का भी आता है जो यथा नाम तथा गुण को सार्थक करते हुए संगीत जगत में अपने नाम एवं लक्ष्य को प्राप्त करते हुए एक एक कदम कराओके गीत संगीत के सफल गायको की श्रेणी मे बढ़ा कर अपने यशस्वी सु...जीत.. नाम को कारगर और सार्थक कर दिया तथा अनवरत सफलता का एक मुकाम प्राप्त कर श्रोताओं एवं आलोचकों के सोच के विपरीत उन्हें अचंभित कर प्रशंसा के लिए मुंह खोलने विवश कर दिया कराओके गीत संगीत जगत में उंगलियों में गिने जाने वाले ऐसे सुर महारथी गायको के बीच जिनके सामने बहुत से गायकों की आवाज़ मद्धम पढ़ जाती है ऐसे गायक सुजीत यादव को उनके कर्णप्रिय गायकी के मध्य किशोर दा की सुमधुर आवाज़ के हूबहू अंदाज़ सुन कर जब उनकी पीठ थपथपाकर प्रस्तुति की प्रशंसा करते है तब उन्हें भी अपने गायकी की पकड़ इम्प्रेशन और सजाकर सटीक प्रस्तुत किए नग्मों के बीच आत्म सम्मान के साथ आत्मीय गर्व का अहसास होता है यह सब उनके बचपन से गायकी के प्रति लगातार लगन,परिश्रम,जीवटता, लक्ष्य प्रप्ति की ललक,का ही परिणाम है जो कराओके गीत संगीत कला क्षेत्र में अपनी किशोर दा के समकक्ष वाली आवाज़ में गायकी प्रस्तुत कर अपनी अद्भुत कला का लोहा मनवा दिया है
हालांकि यहां तक पहुंचने में सुजीत यादव को काफी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था आर्थिक विपन्नता, के मध्य पारिवारिक जिम्मेदारियों का दोहरा निर्वहन करना साथ ही गायकी के प्रति बेपनाह जुनून का तानाबाना किसी भी कलाकार को जीवन के उहापोह में उलझाने के लिए पर्याप्त होता है परंतु इन सब के इतर सुजीत यादव ने बाँसटाल स्थित अपने छोटे से दस बाई पन्द्रह के बंद कमरे में आज से लगभग आठ वर्ष पूर्व बगैर किसी उस्ताद अथवा मास्टर की उपस्थिति में अपने आदर्श और गुरु किशोर कुमार के गाए फिल्मी गीतों को गुनगुनाना प्रारंभ किया और एकलव्य की भांति.. करत करत अभ्यास के उन्होंने लक्ष्य भेदी गीतों के बाण से सफलता की सीढ़ी चढ़ने का दृढ़ संकल्प लिया अपने गुरु स्व. किशोर दा की गायकी की बारीकियां,सुर के उतार चढ़ाव,भाव भंगिमाओं,और गीतों की सुख दुख,विरह,प्रेम,स्तुति जैसी गीतों की दशा दिशा का समुचित रियाज़ करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गए और अपनी लगातार रियाज़ वाले अध्ययन का समुचित मूल्यांकन हेतु उन्होंने आधुनिक तकनीक स्टार मेकर का सहारा लिया और भारत देश के बहुत से सधे हुए सुप्रसिद्ध गायिकाओं के साथ डुएट गीतों को गाया जानकर आश्चर्य होगा कि स्टार मेकर में गाने के लिए वे रायपुर शहर से लगभग आठ से दस किलोमीटर दूर कमल विहार जैसे सुदूर वीरान जगह जाकर गायकी करते और अपनी कला पिपासा शांत करते इसकी मुख्य वजह यह था कि उनका घर कोई सुसज्जित भवन नही था जिसे वे अपनी सह गायिकाओं को मोबाइल से दर्शन कराते यही वजह रही कि सुनसान वीरान क्षेत्र कमल विहार का चयन कर अब चाहे ठंड,धूप गर्मी बरसात हो वे वहां पहुंच कर लाइव प्रदर्शन कर अपनी गायकी में धार लाते रहे



 
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