बार अभ्यारण्य के 50 हेक्टेयर चारागाह विस्तार से वन प्राणियों के लिए बना स्वर्ग
छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका
में प्रकाशित)
अलताफ हुसैन
पर्यटक के रूप में आप हम जब वन परिक्षेत्रों से गमन करते है तब प्रायः अनेक क्षेत्रों में आयताकार वाले हरे बोर्ड दृष्टिगोचर हो जाते है जिसमे लिखा होता है.. वन्य प्राणी वनों का श्रृंगार है कृपया उनकी रक्षा करिए..परन्तु उनके जान माल सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हो ही जाती है अब चाहे कभी प्राकृतिक रूप से तो कभी शिकारियों के शिकार से गाड़ी मोटर परिचालन से घटना दुर्घटना हताहत या वनग्रामों के आवारा कुत्तों से शिकार हो कर बहुत से हिरण, कोटरी, बारहसिंघा जैसे वन्य प्राणी असमय ही कालग्रास बन जाते है तथा इसका दोष किसी पर नही मढ़ा जा सकता क्योंकि यह प्राकृतिक नियति का उप संहार प्रक्रिया भी हो सकता है इसलिए भी वन विभाग उनके स्वच्छंद मुक्त वातावरण में विचरण करने और उनके जीवन को प्रकृति के हाल पर छोड़ देता है यही कारण है कि यदाकदा समुचित सुरक्षा के अभाव में मृत वन्यप्राणियों के शव क्षत विक्षप्त हो कर आवारा कुत्तों,हिंसक वन्य प्राणियों के निवाला भी बन जाते है जो चिंतनीय है इन सब के इतर ऐसे वन अधिकारी कर्मचारी भी मौजूद है जो अपने नैतिक कर्तव्यों दायित्वों का निर्वहन बड़ी ईमानदारी से कर वन्य प्राणियों के सुरक्षा के प्रति किसी ईश दूत से कम नही जो प्रकृति के नियम के मध्य घूम रहे काल चक्र के बीच छग प्रदेश के सिमटे वन क्षेत्रों में बसे वन्यप्राणियों के संरक्षण, संवर्धन में अपनी महती भूमिका निभा रहे है उनके रहवास,सुरक्षा और खानपान चारा पानी की व्यवस्था में नई योजनाओं के माध्यम से एक नई इबारत लिख रहे है प्रदेश के बलौदाबाजार वन मंडल के अंतर्गत वृहद भूभाग में विस्तृत बार नवापारा अभ्यारण्य परिक्षेत्र मे एक ऐसा अद्भुत विरला वन अधिकारी भी रहा है जो उनके सुरक्षा रहवास को लेकर सदैव चिंतित रहता था उन्हें मुक्त वातावरण अभ्यारण्य मे कुलांचे भरते देख किसी भी पर्यटक,आम जन का मन देखकर किसी मासूम बच्चे की तरह खिल उठता है नित वन्यप्राणियों के हित मे और क्या बेहतर किया जा सकता है उस विषय पर लगातार वह अधिकारी नई योजनाओं के प्रति मनन करने की सोच हमेशा बनी रहती थी इसी वन क्षेत्रों के श्रृंगारित करने की सोच ने देश के बाहरी राज्यों से आयातीत वन्य प्राणियों के संरक्षण,संवर्धन में अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर उनके कुनबे में लगातार वृद्धि जैसे प्रयास कर हमेशा सुर्खियों और चर्चा में बने रहे थे ऐसे वन अधिकारी का परिचय स्वतः उसका कार्य करने का ढंग बता देता है
यह वन अधिकारी कोई और नही बल्कि बार नयापारा के युवा ऊर्जावान, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार,कर्मठ,कर्मयोगी,जुझारू तथा वनों एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण संवर्धन में सदैव तत्पर रहने वाले युवा ऊर्जावान रहे तात्कालिक बार अभ्यारण्य परिक्षेत्राधिकारी एवं वर्तमान गोमार्डा वन क्षेत्र के पदोन्नत एस डी ओ कृषालु चंद्राकर है जिनके बार विभागीय सेवा कार्यकाल में उन्होंने बहुत से ऐसे कार्यों को अंजाम दिया कि उनके नाम की वैभवता का डंका प्रदेश भर के वन विभाग में होने लगा था प्रदेश भर में विलुप्त होते काले हिरण की कमी को दूर करते हुए बलौदाबाजार वन मंडल के वरिष्ठ तत्कालीन वन मंडला अधिकारी कृष्ण कुमार बढ़ई साहब के दिशा निर्देश पर बार नवापारा अभ्यारण्य के अधीक्षक आनंद कुदरिया साहब के मार्ग दर्शन में देश के अन्य राज्य से सत्तर काले हिरणों को आयात कर उनकी मेहमान नवाजी करते हुए तात्कालिक परिक्षेत्राधिकारी वर्तमान एस डी ओ. कृषालु चंद्राकर ने विपरीत जलवायु,और वातावरण में उनके रहवास हेतु एक बड़े भूभाग स्थल का चयन कर लगातार परिक्षेत्र के वन कर्मियों की निगरानी में रखवाया परिणामतः कुनबे में 150 से ऊपर काले हिरण संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि से आज बार नवापारा अभ्यारण्य के जंगल उनके कुलांचे और धमाचौकड़ी से आबाद हो गया है पर्यटक भी काले हिरण को अपने आसपास होने पर रोमांच और हर्षित होकर स्वंय प्रफुल्लित हो रहे है बार अधीक्षक आनंद कुदरिया जो पूर्व में भी जंगल सफारी जैसे मानव निर्मित वन क्षेत्र में अपनी लंबी सेवाएं दी है जिसकी वजह से वन्य प्राणीयों के रहवास उनके खानपान पर विशेष ध्यान देने की चिंता सदैव बनी रहती तब उनके निर्देश पर ऐसे शाकाहारी दुब घास की उपलब्धता और आवश्यकता पर कार्य योजना बनाने पर जोर दिया जिससे विलुप्त काले हिरण सहित अन्य शाकाहारी वन्य प्राणी अन्यंत्र न भटक सके
और उन्हें एक ही स्थल पर हरे भरे दुब घास जैसी खुराक मिल सके तथा उनकी जान माल की सुरक्षा भी बनी रहे इसके लिए बार नवापारा के तात्कालिक परिक्षेत्राधिकारी गोमार्डा एस डी ओ. कृषालु चंद्राकर ने बार के सघन वनक्षेत्र स्थित रामपुर ग्राम से लगे लगभग 50 हेक्टेयर भूभाग में दुब घास रोपण हेतु चयन किया तथा लगभग 35 प्रकार के उत्तम क्वालिटी के घास का रोपण करवाकर बार नवापारा अभ्यारण्य में विचरण करते शाकाहारी वन्यप्राणियों के लिए चारागाह का निर्माण करवाया जो संपूर्ण देश के वन विभाग के लिए एक मिसाल और प्रासंगिक हो चुका है आज बार नवापारा अधीक्षक आनंद कुदरिया तथा तात्कालिक बार रेंजर कृषालु चंद्राकर के बार के शाकाहारी वन्यप्राणीयों के लिए 50 हेक्टेयर भूभाग में चारागाह विस्तार निर्माण किए जाने की सर्वत्र प्रशंसा और सराहना मिल रही है तथा उनसे मोबाइल,सोशल मीडिया के माध्यम से उनके द्वारा स्वास्थ्य वर्धक घास,दुब उपज की विधि पूछी जा रही है इस संदर्भ में बलौदाबाजार वन मंडल के वर्तमान डीएफओ मयंक अग्रवाल ने जब बार अभ्यारण्य के कथित रामपुर ग्राम के समीप 50 हेक्टेयर में निर्मित चारागाह विस्तार का अवलोकन किया तब वे भी स्तब्ध रह गए तथा मुक्त कंठ से बार अधीक्षक आनंद कुदरिया एवं बार रेंजर कृषालु चंद्राकर की प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक असंभावित कार्य था जिसे आप लोगों की लगन और जुझारू प्रवृत्ति ने पूर्ण कर दिया जिसकी वजह से बार के शाकाहारी वन्य प्राणियों के खान पान की व्यवस्था दुरुस्त हो गई जो सराहनीय कार्य है शाकाहारी वन्यप्राणियों के चारागाह विस्तार निर्माण की योजना के संदर्भ में वर्तमान बार रेंजर प्रभारी जीवन लाल साहू जो लंबे समय से कोठरी रेंज के आर ओ.है तथा बड़ी कर्तव्यनिष्ठा,ईमानदारी के साथ दायित्वों का निर्वहन कर रहे है वन्य प्राणियों के संरक्षण सुरक्षा हेतु अधीनस्थ कर्मियों को दिशा निर्देश देते है ताकि बार अभ्यारण्य में इनके रहवास और उपस्थिति से वनों का श्रृंगार बना रहे तथा पर्यटक अभ्यारण विचरण का अधिक से अधिक लाभ उठा सके उन्होंने
बताया कि लेंटाना जैसे खरपतवार बार मे भी बहुतायत स्थिति में है जिसके लिए वन विभाग उसके उन्मूलन हेतु करोड़ों रुपये का व्यय करता है परन्तु कुछ समय पश्चात पुनः लेंटाना खरपतवार उग जाता है जिसकी वजह से शाकाहारी वन्यप्राणियों को चारा नही मिल पाता तथा वे अन्यत्र भटकते है और घटना,दुर्घटना हो कर असमय काल ग्रास बन जाते थे बार अभ्यारण्य परिक्षेत्र अधिकारी प्रभारी जीवन लाल साहू आगे बताते है कि उनके संरक्षण संवर्धन, सुरक्षा,रहवास,और खाद्य चारा हेतु योजना तैयार कर 50 हेक्टेयर भूभाग से लैंटाना खरपतवार को साफ किया गया तथा
चयनित स्थल में लेंटाना खरपतवार घास फूस को खुले भूभाग में एकत्र कर नष्टीकरण किया गया पहले संपूर्ण भूमि को उपज के हिसाब से समतलीकरण किया गया 35 प्रजातियों के घास का चयन किया गया जो हिरन कोटरी,नीलगाय,बारहसिंघा, जैसे वन्यप्राणियों को अतिप्रिय ग्रास होते है उन्हें वर्षा ऋतु के पूर्व माह जून में रोपण कर दिया इसके रोपण में एक खुरपी से जमीन में गड्ढा कर उन्हें रोप दिया गया वर्षा होने पर इसके आशातीत परिणाम सामने आए और स्वमेव घास ग्रोथ करने लगे रेंजर प्रभारी जीवनलाल साहू साहब आगे बताया कि एक घास जिसका नाम पैस पेलम घास है उसके एक जड़ पौधे में लगभग 100 शाखाएं रेशे की निकली होती है जिसकी एक एक रेशे को निकाल कर रोपण कर दिया जाता है यह एक मुलायम,सुपाच्य,दुब है मजे की बात है कि यह छांव में भी उग जाती है यह वर्षाधारित घास नही है तथा बारहमासी इसकी उपज हरियाली बनी रहती है तथा शाकाहार वन्यप्राणी भी हरियाली देखकर आकर्षित होते है इस चारागाह विस्तार निर्माण कार्य के लिए रेंजर कृषालु चंद्राकर और डिप्टी रेंजर गोपाल प्रसाद वर्मा की दूरदर्शी सोच रही है कि उन्होंने शाकाहार वन्यप्राणियों के चारागाह निर्माण की सोच रखते हुए कार्ययोजना तैयार की गई और बीट फॉरेस्ट ऑफिसर धनेश्वर साहू,मिथलेश ठाकुर,के साथ चारागाह विस्तार निर्माण प्रारंभ किया गया रेंजर जीवनलाल साहू साहब
ने आगे बताया कि वनों के पौष्टिक घास के संदर्भ में तात्कालिक रेंजर कृपालू चंद्राकर साहब की जानकारी और मार्गदर्शन से प्राप्त करते हुए उसकी गुणवत्ता जिसमे प्रकृति घास जो शाकाहारी वन्य प्राणियों को अति प्रिय होता है इसके लिए अलग अलग मैदानी, वन्य क्षेत्र में गहन निगरानी पड़ताल कर उन 35 घासों का चयन किया गया जिनमे जंगली नेवरी,बीज घास,बनकोदो,बेर घास,बड़ा सिक्का,छोटा सिक्का, नाम के घास का रोपण किया गया है गोंड घास,पेस पेलम, दुब, जैसे घास को प्रचुर मात्रा में उपज किया गया प्रभारी रेंजर साहू साहब ने आगे बताया उन्होंने जिनमे कई घास के बीज भी होते है जिन्हें नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर,जनवरी तक इसके बीजों का संग्रहण किया जाता है जिसे मार्च की तपिश में सुखाकर जून माह वर्षा के पूर्व में खुरपी नुमा लौह औजार से गड्ढा खनन कर इनका रोपण कर दिया जाता है
जो वर्षा में पूरी तरह हरियाली युक्त हो जाते है बार परिक्षेत्राधिकारी जीवन लाल साहू ने आगे बताया कि 50 हेक्टेयर वृहद भूभाग में मानव निर्मित ग्रासलैंड) चारागाह विस्तार के प्रति शाकाहारी वन्यप्राणी कितने आकर्षित है यह ज्ञात करने हमने दो मीटर बाई दो मीटर का चैन लिंक बना कर बढ़त घास से अनुमान लगाया कि खुले 50 हेक्टेयर स्थल के ग्रास चराई की वजह से छोटे है
तथा दो मीटर में लगे घास की ऊंचाई लगभग तीन से चार फीट की बढ़त बनाए हुए है यही नही वन्यप्राणियों के चराई पश्चात पुनः घास ग्रोथ करते रहते है जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों को बारहमासी हरे घास उपलब्ध हो रहे है बार रेंजर जीवनलाल साहू साहबने आगे बताया कि वही करीब में ही एक तालाब है
तथा ढलानी क्षेत्र में जल संग्रहण हेतु लूज बोल्डर लगाकर चेक डेम निर्माण भी किया गया है इसके निर्माण के लिए भी लेंटाना खरपतवार साफ कर उक्त स्थल में जल संग्रहण हेतु प्रयास किए गए है ताकि खानपान के साथ वन्य प्राणियों को सहजता से पेयजल प्राप्ति हो सके बार रेंजर जीवनलाल साहू साहब का वन्य प्राणियों के हितार्थ उठाए गए उक्त कार्य वस्तुतः प्रशंसनीय है जिसकी वजह से अभ्यारण्य क्षेत्र में खरपतवार से ढंके वन स्थल अब खुले मैदानी घास क्षेत्र में परिवर्तित हो गया उस के साथ ही भू संरक्षण,जल संरक्षण भी हो गया है वही घास उपज से जल संरक्षण के साथ उसका स्तर भी बढ़ गया है जहां स्वच्छंद विचरण करते चीतल, नीलगाय,सांभर, काला हिरन, खरगोश को एक स्थल में देखकर वह स्लोगन सार्थक लगता है कि वन्य प्राणी वनों के शृंगार है जिनकी एक स्थल पर उपस्थिति अभ्यारण्य की वैभवता में चार चांद लगा रहे है









 
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