वविनि के पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में सूचना के अधिकार में पारदर्शिता हुई समाप्त...आवेदक को गुमराह करने प्रमाणक की जगह दे रहे भ्रामक जानकारी....मुख्यालय भी नही ले रहा सुध
अलताफ हुसैन की रपट
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) केंद्र शासन ने सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम तो वैसे शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इसे लागू किया था ताकि आम व्यक्ति सूचना मांग कर विकास कार्यों की गुणवत्ता के साथ आम जनता से कर के रूप में राज्य शासन द्वारा लिए जाने वाली अरबों खरबों की राशि का वास्तविक धरा पर कितना सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है उसकी सटीक जानकारी मिल सके परन्तु देखा यह जा रहा है कि सरकारी अधिकारी कर्मचारी, और भ्रष्टासुरों के द्वारा कार्यों में पारदर्शिता लाने की बजाए आम इंसान द्वारा मांगे जाने वाले सूचना के अधिकार में भी दिग्भ्रमित,छलावा देने वाली जानकारी प्रदान कर अपने भ्रष्ट कार्यों पर पर्दा डालने से गुरेज नही करते और ऐसे भ्रष्ट कार्य निर्बाध रूप से अब भी बेखौफ होकर संचालित हो रहै है ऐसा ही एक मामला छग राज्य वन विकास निगम पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में विगत वर्ष 2020 नवंबर में सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम के तहत एज निर्धारित राशि से ऊपर हुए भुगतान का बिल और प्रमाणक मांगा गया था परंतु भ्रष्टाचार में लीन विभागीय कर्मचारियों ने ऐसे नगद किए गए भुगतान के प्रमाणक देना तो दूर बल्कि ऐसे बिल प्रमाणक आवेदक को थमा दिए जिसमे न तो इसके लिए वन विकास निगम द्वारा कोई स्वीकृत राशि जारी किया गया था और न ही इसके लिए मुख्यालय से कोई बजट पारित किया गया था यह वो नगद राशि जो लगभग तीन लाख बीस हजार की राशि थी जो वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक नगद भुगतान जारी किया गया था इस संदर्भ में यह ज्ञात हुआ कि ऐसी राशि को खुदबुर्द करने राज्य का वन विकास निगम कोई अलग से न ही बजट पारित करता है और न ही इसके लिए कोई स्वीकृत राशि जारी की जाती है फिर भी बगैर बजट स्वीकृति के यह राशि केवल नाश्ता,भोजन, पानी बिजली पेट्रोल इत्यादि में व्यय कर दिए गए अब यह राशि किस मद से एडजस्ट किए गए होंगे यह अनेक सवाल खड़े करता है जबाकि इसके इतर यह भी बताते चले कि छग राज्य वन विकास निगम में बजट अनुसार विभिन्न निर्माण कार्यों से लेकर वानिकी और प्लांटेशन एवं अन्य क्रय इत्यादि कार्यों में व्यय हेतु स्वीकृत बजट अनुसार तीन से चार किश्तों में राशि जारी की जाती है भले ही कार्य आईपीडी योजनान्तर्गत हो या विभागीय स्तर पर जिसमे कार्य योजना अनुसार पौधे क्रय से लेकर मिट्टी क्रय , गड्ढे खनन एवं दवा खाद छिड़काव हेतु राशि डी.एम एवं आर जी एम के माध्यम से जारी होती है वह भी कार्य निरीक्षण पश्चात राशि जारी होती है परन्तु कथित पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में सारे नियम कानून को बलाए ताक रखकर तीन लाख से ऊपर राशि का भुगतान वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2020 माह अगस्त तक कर दिया गया गौरतलब यह है कि निर्धारित राशि से ऊपर वन विकास निगम अधिकारियों द्वारा किए गए भुगतान राज्य शासन के नियम विरुद्ध जाकर किया गया इसकी वजह बताते चले कि केंद्र सरकार ने राज्य शासन को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वर्ष 2016 से समस्त भुगतान ऑन लाइन अथवा बैंक से किए जाए परन्तु यहां पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में केंद्र और राज्य शासन के समस्त भुगतान जो पांच हजार या उससे अधिक की राशि थे उसे सरकार के द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए नियम कानून विरुद्ध जा कर किया गया अब यहां विचारणीय पहलू यह है कि जब वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी शासन के दिशा निर्देश कानून का खुले आम गलत व्याख्या करते हुए उपरोक्त पांच हजार से ऊपर राशि का नगद भुगतान कर रहे थे तब तात्कालिक डिवीजन मैनेजर, आर जी एम से लेकर मुख्यालय में बैठे वरिष्ठ,वित्त अधिकारी आंख बंद कर ऐसे भुगतान को हस्ताक्षर कर प्रोत्साहित क्यो कर रहे थे ? क्या ऐसे भुगतान में हस्ताक्षर कर आम जनता के द्वारा प्रदाय कर के रूप में प्राप्त अरबो की राशि मे गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार कर मिलीभगत से राज्य सरकार के आर्थिकी रीढ़ को क्षतिग्रस्त नही कर रहे थे ? यह तो पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में गड़बड़ घोटाला, और भ्रष्टाचार का मात्र एक उदाहरण है जो सूचना के अधिकार में प्रदाय कुछ प्रमाणक जिनमे पानी भोजन नाश्ता सहित विधुत बिल,एवं पेट्रोल के दस्तावेज दिए गए परन्तु ऐसे प्रमाणको का क्या जिनमे बड़े बड़े भुगतान जो निर्धारित पांच हजार रुपये से ऊपर होकर लाखों में किए गए जिसमे पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय का वर्ष 2017- 18 में अर्थात तीन वर्ष पूर्व नव निर्मित कार्यालय भवन जो लगभग 64 लाख से ऊपर राशि मे निर्माण किया गया परन्तु उक्त भवन में न ही प्रतिदिन के होने वाले क्रय सहित संपादित होने वाले नियमित कार्यों का लेखा जोखा दर्ज किया गया और न ही उसकी गुणवत्ता पत्र जारी किया गया क्योंकि देखने मे यह आ रहा है कि पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय की दीवारें अभी से दरक रही है इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय भवन निर्माण में निम्न स्तर का कार्य संपादित किया गया तथा अधिकारी, एवं अज्ञात ठेकेदार ने मिलकर लाखों का खेल कर अपने रास्ते निकल गए नही तो आवेदक को सूचना के अधिकार में चाही गई जानकारी में निर्माण वर्ष से लेकर कार्यालय भवन पूर्ण होने तक संपादित होने वाले प्रति दिन के क्रय किए गए निर्माण सामग्री व्यय जो हजारों में होता है उसके प्रमाणक आवेदक को दिए जा सकते थे परंतु उसके प्रमाणक भी नही दिए गए इस संदर्भ में आवेदक द्वारा एक अन्य सूचना के अधिकार लगाकर भवन निर्माण में वन विकास निगम द्वारा दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित निविदा की कॉपी ठेकेदार का नाम सहित प्रतिदिन संपन्न हुए कार्यों एवं निर्माण सामग्री क्रय का ब्यौरा एवं अंत मे ठेकेदार, इंजीनियर द्वारा नव निर्मित कार्यालय की गुणवत्ता एवं कितने वर्षों तक भवन क्षतिग्रस्त नही होगा उसका जारी फिटनेस पत्र की जानकारी संबन्धी आवेदन लगाया जाएगा साथ ही वर्ष 2018 -19 में कार्यालय भवन निर्माण में कितने ट्रक रेती,ईंट गिट्टी, सीमेंट का भुगतान किस इंजीनियर, ठेकेदार ट्रेडर्स के नाम से जारी किया गया उसके प्रमाणक भी आवेदक को उपलब्ध नही कराए गए इसे लेकर सूचना का अधिकार लगाया गया है इसके अलावा निर्माण और पौधे क्रय से लेकर श्रमिकों के भुगतान से लेकर अर्दली भुगतान,जो वर्षों से हजारों रुपये के रूप में नगद भुगतान किया जा रहा है जो रेंजर के साथ आज तक किसी अर्दली को नही देखा गया उसका भुगतान किस अर्दली,या व्यक्ति के नाम से भुगतान प्रदाय किया जाता रहा है यह आज भी पर्दे के पीछे है जिसका दस्तावेज ही विगत वर्ष 2016 से वर्ष 2020 माह नवंबर तक किए गए नगद भुगतान के प्रमाणक दस्तावेज आवेदक फॉरेस्ट क्राइम द्वारा मांगा गया था जिसमें गोल मोल भ्रामक जानकारी देकर आवेदक को पूरी तरह गुमराह करने का प्रयास मंडल कार्यालय अधिकारी द्वारा किया गया यही नही आवेदक को मंडल कार्यलय द्वारा क्रय की गई स्टील अलमारी, कुर्सियां, टेबल, ए.सी. पंखे इत्यादि की जानकारी भी मांगी गई थी जो राजनांदगांव से क्रय करने की बजाए रायपुर से क्रय किए जाने के प्रमाणक के रूप मे बिल प्रदाय किया गया जो पूरी तरह फर्जी निकला ऐसे फर्जी दस्तावेज प्रमाणको का संचय कर एक बहुत बड़े गड़बड़,घोटाले और भ्रष्टाचार का भण्डाफोड़ किया जाएगा ज्ञातव्य हो कि मंडल कार्यालय में पदस्थ अधिकारी कर्मचारीयों ने तो ऐसे फर्जी प्रमाणक तो आवेदक को पूर्व में दे दिए है जिनमे तात्कालिक बड़े अधिकारी कर्मचारियों की कलम फंसी है तथा उनके द्वारा हस्ताक्षरित भुगतान कर दिए गए हैजिन्हें बचाने के लिए ही आवेदक को फर्जी एवं दिग्भर्मित करने वाले दस्तावेज प्रदाय कर दिए गए जो आगे चलकर यही दस्तावेज इनके गले की फांस बन सकती है? पर क्या ऊपर बैठे अधिकारियों का यह दायित्व नही बनता कि वर्षों से शासन के नियम विरुद्ध जाकर वन विकास निगम के जिम्मेदार अधिकारियों,कर्मचारियों द्वारा नगद भुगतान जो लाखों नही बल्कि करोड़ों में हो गया उसकी निष्पक्ष जांच की जाए एवं ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों जिनमे कई तो सेवानिवृत्त हो चुके है ऐसे अधिकारी,कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करते हुए उनके चल अचल संपति से राशि वसूली की जाए बताते चले कि यदि शेष दस्तावेज प्रमाणक न देने एवं आवेदक को भ्रामक जानकारी प्रदाय कर गुमराह करने का जो प्रयास किया गया था उसके विरुद्ध जाते हुए आवेदक द्वारा सुस्पष्ट शब्दों में पुनः सूचना के अधिकार के तहत पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में आवेदन लगाया जा चुका है साथ ही पूर्व के आवेदन पर आधी अधूरी संतोष जनक जवाब एवं प्रमाणक मंडल कार्यालय द्वारा न देने पर इसके विरुद्ध भी राज्य सूचना आयोग में अपील की जा चुकी है यदि राज्य सूचना आयोग द्वारा इस संदर्भ में सारगर्भित सन्तोष जनक कार्यवाही नही करती है तो आवेदक राज्य के आर्थिक निरोधक संस्थान सहित विधिक शरण में जा कर न्यायसंगत कार्यवाही करेगा.
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