शुक्रवार, 19 मार्च 2021

छग वन विकास निगम के तूता नर्सरी से 47 बोरी खाद चोरी तो राजनांदगांव में 5 वर्षों में खाद ही नही खरीदी- तो मुख्यालय द्वारा स्वीकृत करोड़ों की राशि का क्या किया

 छग वन विकास निगम के तूता नर्सरी से 47 बोरी खाद चोरी तो राजनांदगांव में 5 वर्षों में खाद ही नही खरीदी- तो मुख्यालय द्वारा स्वीकृत करोड़ों की राशि का क्या किया 




अलताफ हुसैन की रिपोर्ट

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग राज्य वन विकास निगम के तूता नर्सरी में एक बहुत ही चौकाने वाला मामला सामने आया है इसमें लगभग 47 बोरी रसायनिक डी पी सी खाद चोरी चला गया मजेदार बात यह है कि चोरी सुरक्षा श्रमिकों के रहते हुए हुआ है इसके लिए नया रायपुर के परियोजना अधिकारी रेंजर ऋषि शर्मा एवं दो अन्य के द्वारा जांच की गई थी वह भी बगैर वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लिए जांच की गई और नतीजा सिफर रहा अर्थात कोई भी दोषी कर्मचारियों के ऊपर कोई भी वैधानिक कार्यवाही नही की गई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया इस संदर्भ में कुछ सुरक्षा श्रमिकों के इसमें संलिप्तता होने की आशंका बाहर आ रही है  जिसमे कुल मिलाकर मामले की लीपा पोती की बात कही जा रही है 

 संपूर्ण विवरण के अनुसार दिनांक 06/01/2021/ को नया रायपुर स्थित तूता नर्सरी में स्थित चेंबर में लाखों रुपये  डीएपी,यूरिया,रसायनिक खाद क्रय कर रखी गई थी जिसमे विगत माह तक लगभग 47 बोरी खाद चेंबर के पीछे की खिड़की तोड़कर चोर द्वारा चोरी कर लिया गया  मामले का खुलासा होने पर इसकी जांच नया रायपुर एवं तूता नर्सरी प्रभारी राधेश्याम साहू फील्ड ऑफिसर रूपेश कुमार टण्डन एवं नवा रायपुर के रेंजर ऋषि शर्मा द्वारा  छानबीन की गई ज्ञात हुआ है कि यह समस्त जांच उच्च अधिकारियों के बगैर संज्ञान में लिए किया गया  तथा सुरक्षा श्रमिक राजेन्द्र बैस हेमन्त बैस,मेहतरु बैस, संजय बैस,नितेश पटेल द्वारा 47 बोरी डी ए पी खाद चोरी करना पाया गया जिसे आरोपियों द्वारा बिसेन पटेल नामक व्यक्ति के पास एक हजार रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बेचा जाना भी स्वीकार किया गया फिर भी तीनों जांच कर्ता वन विकास निगम कर्मचारी उपरोक्त आरोपियों के विरुद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही न करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जिसकी वजह से विभाग में तीनों कर्मचारियों के कार्यवाही को लेकर शक की उंगली उठाई जा रही है यही नही तूता नर्सरी से बहुत से पुराने पोल, फेंसिंग तार एवं पंप इत्यादि भी चोरी गए है जिसकी अब तक वरिष्ठ अधिकारियों को तनिक भी आभास नही है इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि सेक्टर 24 में छग राज्य वन विकास निगम द्वारा एक बड़े भूभाग में प्लांटेशन करवाया गया है जहां पर सामने में नए सीमेंट पोल लगा दिया गया वही भीतर एवं पीछे में पुराने सीमेंट पोल और फेंसिंग तार लगे है अब सन्देह व्यक्त किया जा रहा है कि कहीं ये तुता नर्सरी से गायब सीमेंट पोल एवं गायब हुए फेंसिंग तार तो नही ? क्योंकि यह भी ज्ञात हुआ है कि सेक्टर 24 के संपादित किए वृक्षारोपण  प्लांटेशन में डाले जाने हेतु रसायनिक डीएपी खाद का क्रय छग वन विकास निगम द्वारा उपरोक्त बड़े भूभाग में संपादित प्लांटेशन हेतु किया गया था परन्तु देखा यह जाता है कि केवल प्लान्टेश के समय ही पॉलीथिन ट्री बैग में ही दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में यूरिया डीएपी रसायनिक खाद डाला जाता है पश्चात प्रति वर्ष किए जाने वाले उपचार में निंदाई,गुड़ाई, गाला, इत्यादि बनाकर रिप्लेसमेंट कार्य यानी पुनः वृक्षारोपण कार्य किया जाता है जिसमे प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में पौधे सहित खाद का उपयोग होता है परंतु अमूमन देखा यह जाता रहा है कि प्लांटेशन कार्य होने के पश्चात संबंधित परियोजना अधिकारी कर्मचारी बड़ी मात्रा में यूरिया,डीएपी रसायनिक खाद की अफरा तफरी कर देते है यानी एक प्रकार से स्थानीय कृषकों एवं खाद क्रेताओं को औने पौने दाम पर क्रय कर दिया जाता है इससे छग वन विकास निगम को बड़े राजस्व की हानि होती है जबकि  निगम द्वारा लाखों करोड़ों रुपये व्यय कर यूरिया, डीएपी रसायनिक  खाद क्रय किए जाते है इसका एक जीवंत उदाहरण ही है कि  विगत माह तूता नर्सरी से सुरक्षा श्रमिकों की उपस्थिति में खाद की बोरियां  चोरी हो गए  वही  सवाल उठाया जा रहा है कि जो स्वयं नर्सरी के सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मी थे उन्होंने किसके कहने पर चोरी की है और यदि स्वयं तीनो जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों द्वारा  इसकी पड़ताल की गई तो वरिष्ठ अधिकारियों के बगैर संज्ञान में लाए इन पर वैधानिक कार्यवाही क्यो नही की गई औऱ मामले को क्यो ठंडे बस्ते में डालकर दबा दिया गया ?  इसमें एक बहुत बड़ी मिली भगत कर गड़बड़ी करने का षड्यंत्र की बू आ रही है ताकि मामला और उजागर न हो जाए ? गौर तलब है कि वन विकास निगम में खाद क्रय से लेकर हेराफेरी कर गड़बड़ी करने का यह कोई पहला मामला नही है इसके पहले भी अनेक परियोजना मण्डलों में खाद  क्रय में कमीशन खोरी से लेकर फील्ड अफसरों द्वारा आसपास के किसानों को सैकड़ों बोरी  रसायनिक खाद की अफरा तफरी कर दी जाती रही है यही वजह है कि प्लान्टेशनों में पौधे लगाने के पश्चात समय समय पर की जाने वाली उपचार व्यवस्था के अंतर्गत  पौधों में गाला बनाने से लेकर दवा,खाद देने के दोबारा उपचार नही किया जाता परिणामतः पानी दवा के अभाव में कई पौधे मर जाते है और द्वितीय,तृतीय वर्ष में उपचार हेतु मिलने वाली राशि को परस्पर बंदरबांट कर लिया जाता है वही दूसरा उदाहरण छग वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में भी देखने को आया है यहां पर गत माह दिनांक 05/02/2021/ को पत्र क्रमांक291-92 -सु.का.अ.के माध्यम से 1 जनवरी  2016 से 30 दिसंबर वर्ष 2020 तक खाद मिट्टी, रेती,गिट्टी,पौधे क्रय, का  भुगतान के स्वीकृत दर की कॉपी सहित बिल बाउचर की सत्यापित छाया प्रति की जानकारी मांगी गई थी जिसके प्रत्युत्तर में छग वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय के पत्र  क्रमांक/वविनि /नि.स. /2021/4450/ के दिनांक 09/03/2021/के माध्यम से यह जानकारी दी गई कि 01 जनवरी वर्ष  2016 से 30 दिसंबर 2020 तक निर्धारित 5000 या इससे अधिक का भुगतान  नही किया गया जिसमे खाद  पौधे क्रय, रेती,गिट्टी इत्यादि भी सम्मिलित बताया गया  है जबकि निगम मुख्यालय नया रायपुर  से यह ज्ञात हुआ है कि विगत वर्ष ही लगभग बीस लाख रुपयों की केवल खाद  क्रय पानाबरस परियोजना मंडल में किया गया जबकि ज्ञात तो यह भी हुआ है कि वर्ष 2019 के फरवरी माह में ही करोड़ों के ऐतिहासिक बिल भुगतान किया गया था उक्त क्रय किए गए खाद  जिसका भुगतान ग्रामीण  सहकारी दर से किया गया अब यह ग्रामीण सहकारी दर का भुगतान वास्तव में कोई निर्धारित दर है या इसमें भी कमीशन खोरी की गई है यह जानकारी तभी सामने आती जब इसके बिल बाउचर,या कैशबुक की छाया प्रति उपलब्ध कराई जाती वही वर्ष 2017-18 में नवीन पानाबरस कार्यालय का नव निर्माण लगभग 64 लख रुपये में  किया गया था जिसमे बड़ी मात्रा में रेती गिट्टी, का भुगतान,ठेकेदार, पेटी ठेकेदारों को किया गया  क्या उक्त भुगतान भी बगैर बिल बाउचर लिए दिए, कर दिया गया ? विगत वर्ष पूर्व बीस लाख  खाद क्रय किया गया क्या उसका भुगतान भी क्रेता या उपयोग कर्ता  ठेकेदार द्वारा मांगे गए सामानों की संख्या,ट्रक में लाए गए खाद बोरी की संख्या बताए  बगैर, तथा उसका बिल,बाउचर प्रस्तुत किए बगैर भुगतान कर दिया गया ? उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव के पानाबरस परियोजना मंडल के अंतर्गत कुछ नर्सरी भी है जहां पॉलीथिन बैग में रूट सूट सहित बीज के माध्यम से पौधे प्रसंस्करण कार्य किए जाते है जहां पर अनिवार्यतः खाद का उपयोग अवश्य किया जाता है फिर किस आधार पर  उपरोक्त मांगी गई जानकारी में निर्धारित दर की राशि के ऊपर हुए भुगतान के बिल बाउचर,कैशबुक की प्रति आवेदक को उपलब्ध नही कराई गई ? इससे ज्ञात होता है कि खाद क्रय से लेकर रेती,गिट्टी,इत्यादि में बहुत बड़ा खेल और भ्रष्टाचार किया गया है जिसके बिल,बाउचर,कैशबुक  देने पर कार्यों में अनियमितता, गड़बड़ घोटाला,और भ्र्ष्टाचार का भंडाफोड़ होने का भय है यही वजह है कि आवेदक को जानकारी देने के बजाए भुगतान न होना बताकर निरंक पत्र जारी कर दिया गया और खाद खरीदी से लेकर अन्य सामाग्रियों में कमीशन खोरी गड़बड़ घोटाला में पर्दा डालने का कुत्सित प्रयास किया गया है सवाल यह भी उठता है कि जब  छग राज्य वन विकास निगम निगम द्वारा प्रति वर्ष केवल खाद खरीदी के नाम पर समस्त परियोजना मण्डलों के नाम करोड़ों का बजट पारित करता है तो राजनांदगांव पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय द्वारा विगत पांच वर्षों में खाद क्रय के नाम पर कोई भुगतान नही किया जाने पर स्वीकृत बजट राशि जाती कहां है ? इसका आशय स्पष्ट है कि प्राप्त स्वीकृत समस्त राशि से नाममात्र का खाद क्रय कर शेष राशि कमीशनखोरी, और गड़बड़ घोटाला कर  भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है






सिंचाई की कोई व्यवस्था नही प्लांटेशन के पेड़ पौधे अभी से सूखने लगे


 छग वन विकास निगम को चारागाह समझने वालों को यह भी सुध नही की वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु का आगाज हो रहा है परंतु अभी तक पानी सिंचाई व्यवस्था के नाम पर भी कोई व्यवस्था दिखाई नही दे रही है या फिर सिंचाई हेतु टेंडर निकाल कर लगाए गए पौधों,प्लान्टेशनों को जीवित रखने विभाग की कोई खास रुचि नही दिख रही है सब प्लान्टेशनों को केवल भगवान भरोसे छोड़ दिया गया उदाहरण के लिए आक्सिजोन  को ही देख लिया जाए तो वहां की स्थिति बाद से बदतर हो चुकी है  वहां पेड़ पौधों के मध्य उग आए बड़े बड़े खरपतवार इसकी शोभा को समाप्त कर रहे है हालांकि बताया यह जा रहा था कि स्मार्ट सिटी अंर्तगत बनाए गए आक्सिजोन को स्मार्ट सिटी को सौंप दिया जाएगा परन्तु अब तक ऐसा कुछ दिखता नही है ज्योंकि अब भी  कुछ  कर्मचारी निगम के ही कार्यरत है कर्मचारियों के अभाव में यहां की स्थिति बहुत ज्यादा जर्जर हो चुकी है बीस एकड़ भुभाग के वृहद स्तर पर फैले  लगभग बीस करोड़ की राशि से निर्मित आक्सिजोन की स्थिति एक वर्ष में ही दयनीय हो चुकी है प्रदेश की संस्कृति को उकेरने के उद्देश्य से लाखों रुपयों से निर्मित बांस के हट अपनी दशा पर आंसू बहा रहे है तालाब में निर्मित फौव्वारे के बिजली उपकरण औंधे हो चुके है पानी की व्यवस्था ऎसी कि पाइप  से टपक पद्धति का समुचित लाभ भी पौधों को नही मिल पा रहा है जगह जगह से पाइप उखड़ चुके है एक वर्ष में ही इसकी वैभवता क्षीण होती जा रही है श्रमिको का अलग से टोटा बना हुआ है एक प्रकार से छग वन विकास निगम में कार्य के नाम पर कुछ नही हो रहा है बल्कि सेवानिवृत्त  पूर्व एम डी राजेश गोवर्धन और निगम की पूर्व आरजीएम मैडम सोमादास ने छग वन विकास निगम को करोड़ों रुपयों का चूना लगाकर   आकूत संपतियां अर्जित कर अपने अपने राह निकल चुके है  अब नए प्रबन्ध संचालक केवल बचे खुचे कार्यों को ही पूरा कर रहे है बाकी नया कुछ करने को वन विकास निगम में अभी टाइम लगेगा फिर भी यह चिंता का विषय है कि  प्रति वर्ष राज्य सरकार को लाभांश राशि के रूप में एक बहुत बड़ी राशि छग वन विकास निगम देता आ रहा है वह अब चालू वित्तीय वर्ष में कितनी राशि देता है देखना होगा ? या कोरोना के प्रकोप से निगम भी अब तक उभर नही पाया है ?

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