सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

जब वनवीरों ने घायल भालू की जान बचाई

 जब वनवीरों ने घायल भालू की जान बचाई 



अलताफ हुसैन की कलम से

नया साल  24 जनवरी 2022 की वो रात थी  संपूर्ण प्रदेश शीत लहर की चपेट में था खासकर महासमुंद वन मंडल के बागबाहरा वन परिक्षेत्र में सघन वन क्षेत्र होने के कारण खून जमा देने और  हाड़ कंपा देने वाली ठंड कुछ ज्यादा ही थी संध्या होते ही लोग बाग गर्म कपड़े और आग के अलाव  का सहारा ले रहे थे  बागबाहरा से ही लगभग दस से पन्द्रह किलोमीटर दूर पहाड़ों पर स्थित  माता रानी के चंडी  मंदिर  परिसर मे सीढ़ियों के आसपास जहां गिने चुने संख्या में ही कुछ लोगों का वास है वहां के  लोग अपने घरों के दरवाजे खिड़की सब बंद करके कम्बलों और रजाई से शरीर को गर्मी देकर गहरी निंद्रा में डूबे थे  कुम्हलाई भोर होने के पूर्व जब चारों ओर अंधेरा पसरा हुआ था भोर फटने के पहले इस सन्नाटे को चीरती हुई बीच बीच मे एक दर्दनाक चीत्कार जो शायद किसी भालू की थी शांत वातावरण को भंग कर देती धीरे धीरे पौ फटना शुरू हुआ मंदिर के पुजारी ने  नियत समय पर शंखनाद किया मंदिर में लगी घण्टी की आवाज़ से मंदिर परिसर गुंजयमान होने लगा ऐसा लग रहा था मानो पुजारी जी शंखनाद और घण्टी बजाकर  सूर्य देव की पहली किरण के आगमन के  साथ ही उनके धरती पर  स्वागत कर रहे हो कुछ क्षण पश्चात लाउडस्पीकर में संस्कृत के भगवत गीता श्लोक और भजन गूंजने लगा माता रानी की आराधना के साथ ही इस धरती के समस्त प्राणियों की सुख स्वस्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना होने लगा उसी मध्य मंदिर प्रांगण में ही किसी भालू की दर्द से डूबी कराह की आवाज़ पुनः गूंजी अपनी जिज्ञासा शांत करने के उद्देश्य से पंडित जी जब बाहर आए तब देखा कि एक भालू जो पैर और पेट के कटिबंध हिस्से पर अपनी जबान से घाव के स्थान को बार बार चाट रहा है जिसे देख पंडित जी समझ गए कि भालू चोटिल और जख्मी है अतएव उन्होंने बगैर देरी किए महासमुंद वन मंडल के अंतर्गत बागबाहरा परिक्षेत्र में कई वर्षों से वन्य प्राणी भालुओं की मंदिर परिसर में देखरेख सुरक्षा का दायित्व में लगे वन कर्मी महेश चंद्राकर उर्फ मिंटू को मोबाइल से सूचना दी वन कर्मी महेश चंद्राकर बगैर देरी किए  पहाड़ों वाली माता रानी के चंडी मंदिर परिसर पहुंचा  जहां उसने वन्य प्राणियों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगाए गए तार फेंसिंग के तरफ जाकर एक निश्चित दूरी बनाकर जब एक लकड़ी से भालू के बालों को हटाकर देखा तब उसके कटिबद्ध हिस्से जहां पैर और पेट मिलता है वहां उसे जख्म नज़र आया तथा उसमें कोई नुकीली वस्तु धंसी हुई नजर आई  वन कर्मी महेश चंद्राकर ने तत्काल इसकी सूचना बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर को दी परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर ने जब भालू के घायल होने तथा उसके पेट में कोई नुकीली वस्तु धंसी होने की खबर सुनी तब उन्हें लगा कि संभवतः वन क्षेत्र मे किसी झाड़ी की नुकीली टहनी या बांस इत्यादि चुभी हो सकती है इसलिए उन्होंने  तत्काल वन कर्मी महेश चंद्राकर को उसे निकालने आदेशित किया वन कर्मी महेश चंद्राकर उर्फ मिंटू ने एक लंबे बांस मे रस्सी का फ़ांदा बना कर घायल भालू  के चोटिल वाले हिस्से में थोड़ा सा  निकले अंश पर फ़ांदा को फंसा कर उसे खिंचा जिससे भालू दर्द से बिलबिला उठा तथा एक दर्द भरी चीत्कार पूरे मंदिर परिसर  क्षेत्र में गूंज उठी अपने शरीर मे हो रहे असहनीय पीड़ा से बिलबिलाया भालू तत्काल वहां से लंगड़ाते हुए वन क्षेत्र की ओर पलायन कर गया  वन कर्मी महेश चंद्राकर उर्फ मिंटू समझ गया कि भालू के शरीर मे कोई  लोहेदार वस्तु धंसी है उसने पुनः परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि भालू को किसी ने लौह युक्त  हथियार से मारा है वही वस्तु उंसके कटिबन्ध हिस्से में धंसी हुई है 

उसने उन्हें बताया कि उसके पेट में धंसी नुकीली लौह वस्तु के तीर  होने की संभावना भी व्यक्त की इतना सुनते ही बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर सकते में आ गए एवं तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठ वन मण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत को भालू के घायल वाली स्थिति से अवगत कराया महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत  ने जब भालू के घायल होने की बात सुनी तो वे भी सकते में आ गए और बगैर देरी किए आहत भालू को रेस्क्यू कर उंसके समुचित उपचार के आदेश दिए तब परिक्षेत्राधिकारी श्री विकास चंद्राकर तुरन्त एक्शन मोड़ में आते हुए अपने  स्टॉप को लेकर त्वरित बागबाहरा के पर्वत क्षेत्र स्थित मातारानी के चंडी मंदिर पहुंच गए मंदिर परिसर  पहुंचते ही उन्होंने सर्व प्रथम आने वाले समस्त भक्तों को  दर्शनार्थ हेतु पृथक व्यवस्था सुनिश्चित की ताकि भक्तों,श्रद्धालुओं एवं घायल भालू की एक निश्चित दूरी बनी रहे क्योंकि उन्हें यह आशंका बढ़ गई थी कि घायल होने पर वन्यप्राणी भालू किसी पर भी हमलावर हो सकता है अतएव व्यवस्था दुरुस्त करने के पश्चात उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ मंदिर परिसर में अपना डेरा जमा दिया परन्तु कई घण्टों के इंतजार के बावजूद भालू नही आया 24 जनवरी 2022 के दिन भर घायल भालू के आगमन की बाट स्वयं परिक्षेत्राधिकारी एवं उनकी पूरी टीम जोहते रही मगर वह दिन भर नही आया तब दिन के उजाले में उन्होंने अपने टीम के वन कर्मियों से घायल भालू की तलाश  करने पहाड़ों की ओर  भेजा परन्तु साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अकेले कोई भी कर्मी न जाएं दो से तीन कर्मी साथ रहे और अपने साथ लाठी इत्यादि रखे रहे ताकि किसी अप्रिय स्थिति में आत्म सुरक्षा किया जा सके टीम के सभी  सदस्यों ने पहाड़ी क्षेत्र में  घायल भालू की काफी तलाश की मगर वह उन्हें कहीं भी नज़र नही आया तब वे भी बैरंग लौट आए दिन गुजरने के पश्चात धीरे धीरे काफी रात हो गई मगर घायल भालू मंदिर परिसर  नही पहुंचा तब उन्होंने  विभाग द्वारा लगाए गए मजबूत  फेंसिंग की गई जाली के समीप शटर वाला पिंजरा लगवाया जिसमे  मूंगफली के साथ फल इत्यादि का ढेर लगवा दिया उन्हे उम्मीद थी कि देर सबेर ही सही संभवतः भूख लगने पर भालू खाने पीने की लालसा में यहां अवश्य आएगा मगर उनकी उम्मीद तब धराशायी हो गई जब धीरे धीरे रात भी व्यतीत हो गई  एक दिन एक रात गुजरने के बाद भी वह वहां नही पहुंचा इस दरमियान डीएफओ पंकज राजपूत बराबर स्थिति पर नज़र रखे हुए थे  पल पल की खबर वे रेंजर विकास चंद्राकर से ले रहे थे जब उन्हे बताया गया कि घायल भालू अब तक मंदिर परिसर नही पहुंचा तब उनके माथे पर भी चिंता की लकीर और खींच गई उन्होंने समस्त कर्मियों को निर्देश दिया कि जब तक घायल भालू को पकड़ न लो तब तक वही डेरा जमाए रहो दूसरे दिन यानी दिनांक 25 जनवरी 2022 के दिन वे स्वयं मंदिर परिसर पहुंच कर स्थिति पर नज़र जमाए रहे लगभग तीन घण्टे तक घायल भालू के आगमन की वे प्रतीक्षा करते रहे मगर वह मंदिर परिसर तक नही पहुंचा तब परिक्षेत्राधिकारी श्री चंद्रकार ने उनकी परेशानी को समझते एवं  सांत्वना देते हुए डीएफओ श्री पंकज राजपूत से  कहा सर लगता है ...विभाग द्वारा गत वर्ष लगाए गए फलदार वृक्षारोपण जिनमे कई पौधे अब फल भी देना प्रारंभ कर दिए है,,,शायद उन्ही फल को खाकर वह यहां नही आ रहा है ...ऐसा कह कर वे डीएफओ साहब की चिंता कम करने का प्रयास किया ...परन्तु डीएफओ साहब की चिंता उंसके खानपान से अधिक उंसके जख्म को लेकर हो रही थी कहीं चोट में अत्यधिक संक्रमण की वजह से उसके जान का खतरा बढ़ सकता था ...इस बात को लेकर वे कुछ ज्यादा व्यथित एवं चिंता ग्रस्त थे एक प्रकार से रेंजर श्री विकास चंद्राकर की बात भी सत्य थी 

क्योंकि बागबाहरा परिक्षेत्र ही प्रदेश भर में एक ऐसा एकलौता परिक्षेत्र है जहां वन विभाग की महती योजना जामवंत योजना पर अक्षरशः पालन किया गया है तथा भालुओं के संरक्षण संवर्धन और उसके खानपान की  व्यवस्था दुरुस्त करते हुए लगभग दस हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र के भूभाग पर फलदार वृक्षारोपण किया है जिनमे वन्यप्राणी भालुओं की पसंदीदा, एवं रुचिकर  फल बेर आम जाम जामुन बेल,सहित अनेक फलदार पौधों का रोपण किया है जो वर्तमान में दस से बारह फीट ऊंचाई वाले पेड़ के रूप में बढ़त बना चुके है जिसमे अनेक  फलदार वृक्षों में मौसमी फल आना भी  प्रारंभ हो गया है जिसमें जाम,बेर प्रमुख है रेंजर श्री विकास चंद्रकार की बात भी सत्य थी वही घायल भालू को लेकर इस बात की भी आशंका हो रही थी कि मंदिर परिसर में नियमित आने वाले भालू परिवार से घायल भालू इनसे अलग था वह किसी अन्य  वन क्षेत्र का होने के कारण यहां वह मादा भालू के आकर्षण की वजह से अथवा खाद्य पदार्थ की लालसा में यहां पहुंच गया था क्योंकि लगातार वनों के विदोहन से फलदार वृक्षों में कमी आई है जिसकी वजह से  भूख लगने के कारण कई वन्य प्राणी जंगल छोड़ ग्राम,शहरों का रुख करते है जिनमे कई भालू जैसे प्राणी अपनी भूख मिटाने घरों में रखे खाद्य सामग्री सहित तेल इत्यादि सब चट कर जाते है  मंदिर परिसर में भी भक्तों श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले प्रसाद उनके आहार,विहार में शामिल हो गया और वे पहाड़ी वन क्षेत्र में ही दस किलोमीटर के अंतराल विचरण करते रहते है भक्तों श्रद्धालुओ के दिए जाने वाले प्रसाद और मानव की नजदीकी किसी घटना में परिवर्तित न हो जाए इसकी चिंता करते हुए महासमुंद वन मण्डल के बागबाहरा परिक्षेत्र में विभाग की जामवंत योजना के तहत दस हेक्टेयर भूभाग में फल दार वृक्षों का सफल रोपण किया गया जो प्रदेश भर में संभवतः गिने चुने स्थलों पर ही दिखाई देता है जिसमे बागबाहरा परिक्षेत्र का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है वहां रोपित फलदार पौधों में अब फल  भी लगने प्रारंभ हो चुके है  जिसका सेवन कर अपने ही क्षेत्र में वह सुरक्षित एवं स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर सके तथा  वन्य प्राणी भालू और मानव की एक निश्चित दूरी बनी रहे 

फिर भी भालुओं का पांच से सात सदस्यीय दल प्रतिदिन  मंदिर परिसर पहुंचकर अपनी क्षुधा शांत करते है आशंका जताई गई कि घायल भालू अलग थलग रहने के कारण अपनी क्षुधा शांति हेतु किसी आसपास ग्राम में पहुंचा होगा जहां कमार जनजाति की बहुलता है तथा उनके यहां पारंपरिक तीर कमान प्रत्येक घरों में होता है वही खानपान वस्तु के लिए किसी घर मे घुसने के कारण भालू के ऊपर किसी ने तीर से हमलाकर उसे चोटिल कर दिया जिससे वह वन क्षेत्र में भाग गया होगा इस दरमियान आवागमन करते हुए तीर के किसी पेड़,पौधों के तने से टकराने की वजह से  तीर में लगे लकड़ी का टुकड़ा टूट गया जिससे लोहे का तीर उंसके पेट मे ही धंसा रह गया अब चिंता इस बात को लेकर थी कि कहीं  भालू के पेट मे धंसा तीर जहर बुझा हुआ तो नही ? 

इसी बात की चिंता डीएफओ पंकज राजपूत को रह रह कर सता रही थी मगर दूसरा दिन भी धीरे धीरे गुजर गया सूर्य देवता भी क्षितिज के अस्तांचल की ओर पहुंच गए  संध्या की सुरमई रंग अब धीरे धीरे गहरे काले रंग में परिवर्तित होने लगा मंदिर परिसर में दूधिया बिजली के प्रकाश ने संपूर्ण परिसर को अपने आगोश में ले लिया तथा थोड़ा आगे जाने पर काले गहरे रात के अंधेरे  में  कुछ भी दिखाई नही देता इधर बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी  विकास चंद्राकर की उम्मीद भी शनैः शनैः क्षीण होते जा रही थी कि घायल भालू वापस आएगा भी या नही  वे भी कुर्सी में बैठे दूर से  टकटकी लगाए बैठे पिंजरे की ओर दृष्टि गड़ाए बैठे रहे इस आशा की किरण के साथ कि घायल भालू आए तो कम से कम उसकी जान बचाया जा सके क्योंकि घायल भालू के रेस्क्यू के चक्कर मे दो दिन से  उनका खाना पीना तक छूट गया था जबकि आज  दिनांक 25 जनवरी 2022 की रात थी क्योंकि दूसरे दिन राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस भी था जिसकी व्यवस्था भी उन्ही के जिम्मे थी यही सब  सोच विचार उनके मर्म मस्तिष्क में चल ही रहा था कि सहसा  रात्रि के साढ़े सात बजे उन्हें अंधेरे में कुछ हलचल सी सुनाई दिया उन्होंने अपना सिर जरा ऊंचा करके गौर से देखा तो बोझिल हालात में उन्हें भालू आता दिखाई दिया तत्काल उन्होंने टीम के वन कर्मियों को सतर्क रहने कहा धीरे धीरे भालू पिंजरे के समीप पहुंचा जहां ढेर सारा फल्ली सहित फल इत्यादि रखा था उसमें घुसते ही शटर स्वमेव गिर गया  इससे भालू व्यथित हो कर जोर की हुंकार भरी और वह पिंजरे में बेचैन इधर उधर घूमने लगा अब रात का समय लगभग नौ बज रहे थे इस हालत में उसे उपचार की अति आवश्यकता थी रेंजर विकास चंद्राकर ने तत्काल महासमुंद  डीएफओ पंकज राजपूत  से संपर्क कर उन्हें भालू के पिंजरे में फंसने और उसके उपचार का आग्रह किया डीएफओ पंकज राजपूत ने बिना समय गंवाए तुरंत जंगल सफारी के डॉक्टरों से संपर्क कर आज ही घायल भालू के उपचार की बात कही क्योंकि रात काफी हो चुकी थी और दूसरे दिन यानी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस का दिन भी था शासकीय कर्मियों की ध्वजारोहण एवं शासकीय अवकाश की वजह से भालू के उपचार में देरी न हो जाए  यही वजह थी कि  जंगल सफारी के डॉक्टर भी घायल भालू के उपचार हेतु सहमत हो गए तब परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर अपनी टीम के साथ रातों रात नवा रायपुर अटल नगर स्थित जंगल सफारी पहुंचे जहां डॉक्टरों ने घायल भालू का ऑपरेशन कर पेट मे धंसे तीर को निकाला तथा लगे तीर का परीक्षण भी किया गया कि कहीं तीर जहर बुझा हुआ तो नही मगर परीक्षण पश्चात डॉक्टर आश्वस्त हो गए कि तीर किसी भी प्रकार के ज़हर से बुझा नही है और न ही वह ज्यादा संक्रमित हुआ है उंसके समुचित उपचार हेतु  उसे तीन दिनों तक डॉक्टरी देखरेख में रखने की बात की तब रेंजर विकास चंद्रकार अपनी टीम के साथ वापिस बागबाहरा आ गए  ठीक तीन दिन पश्चात दिनांक 29 जनवरी 2022 को उन्हें रायपुर के जंगल सफारी से कॉल आया कि घायल भालू स्वस्थ्य है चाहे तो उसे ले जा सकते है फिर वे अपनी टीम के साथ जंगल सफारी पहुंचे तथा उसी पिंजरे में भालू को लेकर उसे वापस  बागबाहरा के पर्वतीय   वन क्षेत्र स्थल जहां करीब ही माता रानी का चंडी मंदिर परिसर भी लगा हुआ है वहां पहुंचे तथा स्वस्थ्य प्राप्त भालू को लेकर जब वे वहां पहुंचे तब  भालुओं का पांच सदस्यीय परिवार जो सदैव मंदिर परिसर में प्रसाद के अलावा फल्ली,जाम और फल फूल के नित सेवन को आते है वहां वे सब अपने पसंद का फल,फल्ली खाने में व्यस्त थे बागबाहरा  रेंजर विकास चंद्राकर ने पिंजरे मे  कैद भालू  को सावधानी पूर्वक उसे  नीचे उतरवाया तथा एक कर्मी को शटर उठाने कहा जैसे ही शटर ऊपर उठा भालू धीरे से बाहर आया सभी भालू खाना छोड़कर तुरन्त छोड़े गए भालू को देखने लगे उसमे कुछ छोटे भालू अठखेलिया करते हुए उंसके पास पहुंच कर उसे सूंघने लगे तथा धीमी धीमी ध्वनि निकालने लगे उनके व्यवहार को देखकर मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था 

जैसे वे उसे बहुत दिनों से मिले न हो तथा उसकी वापसी पर अपनी खुशी व्यक्त कर रहे हो और घायल भालू भी अपने प्रजाति परिवार को देख कर अपने मुंह को उनके शरीर पर रगड़ने लगा जैसे वह अपनों के बीच पहुंच कर अपनी खुशी के साथ प्रेम व्यक्त कर रहा हो थोड़ी देर तक दूर खड़े रेंजर विकास चंद्राकर उनके स्नेह भाव और मिलन को देखते रहे है और उनके मन मस्तिष्क पर आज के सामाजिक मानव व्यवस्था और व्यवहार को लेकर अनेक सवाल कौंधने लगे कि एक वन्य प्राणी जिनका आपस मे कोई रिश्ता नाता नही है फिर भी वे आपस मे प्रेम प्रदर्शित कर रहे है,,,प्रसन्न हो रहे है,,,मिलजुल कर फल खा रहे है,,, आपस मे लड़ नही रहे है ,,,और एक मानव है जो निज स्वार्थ के लिए परस्पर एक दूसरे का गला काटने प्रतिस्पर्धा करता है,,,धोखा छल कपट करता है,,,,और धन दौलत के लिए अपने नैतिक मूल्यों का पतन करता है,,,परन्तु जब इस दुनिया से वह जाता है तब उसके हाथ खाली के खाली रहते है,,,सिवाय,मानव अपने कर्मों के कुछ भी नही ले जाता ,,,,, फिर भी इंसान अपने क्षणिक सुख के लिए क्या से क्या नही करता,,,यह सब सोचकर रेंजर विकास चंद्राकर ने एक बार फिर उन भालुओं की टोली की ओर नज़र डाली जो अभी भी अपने खानपान में व्यस्त थे ,,,, कि चंद मिनट पश्चात अचानक एक भालू ने एक विशेष प्रकार की ध्वनि निकाला,,, सब के सब भालू एक एक कर पर्वतीय वन क्षेत्र की ओर बढ़ने लगे चंद कदम चलने के पश्चात एक बार घायल भालू रुक सभी खड़े वन कर्मियों की ओर पलट कर दयनीय नजरों से देखा जैसे वह उनका आभार व्यक्त कर  धन्यवाद दे रहा हो,,,फिर वह अपनी गर्दन को सीधे कर धीरे धीरे  पर्वतीय वन क्षेत्र की ओर बढ़ने लगा,,,, भालुओं की टोली को रेंजर विकास चंद्राकर दूर  तलक जाते हुए तब तक देखते रहे जब तक वे सब के सब नजरों से दूर ओझल नही हो गए तब तक रेंजर विकास चंद्राकर का दिमाग भी स्वयं के मन को यह कह कर समझा कर संतुष्ट कर चुका था कि,,, ,,,,कमबख्त,,,,जानवर तो बहुत बार देखे,,,मगर जानवरों में पूरी तरह का मानवता आज पहली बार देख रहा हूं,,,और यह  शब्द के आते ही  एक मर्तबा उनके चेहरे में हल्की सी एक संतोषजनक विजयी मुस्कान आई ,,, और उनके  कदम एक वन वीर की भांति  विजयी हुए किसी योद्धा की तरह धीरे धीरे अपनी गाड़ी की ओर बढ़ने लगे ....  और उन्हें गर्व के साथ संतोष क्यों न हो क्योंकि आज उनके मार्गदर्शन में एक घायल वन्य प्राणी भालू जो अपने परिवार से सकुशल स्वस्थ्य रूप से जो मिल चुका था,,,,।

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

वनों के संरक्षण के साथ ग्रामीणों के रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त करता गरियाबंद वन मंडल का वन क्षेत्र परसूली

 वनों के संरक्षण के साथ ग्रामीणों के रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त करता गरियाबंद वन मंडल का वन क्षेत्र परसूली

श्री मयंक अग्रवाल वनमण्डलाधिकारी गरियाबंद

अलताफ हुसैन

(छत्तीसगढ़ वनोदय में शीघ्र प्रकाशन)


छत्तीसगढ़ प्रदेश की रत्न गर्भा धरती में भिन्न भिन्न स्थलों पर लौह अयस्क ,गौण  खनिज सहित अनेक प्रकार के प्रकृति संपदाओं का आकूत खजाना है यही नही यहां की सोंधी मिट्टी की खुशबू के साथ प्राचीन सभ्यताएं, धार्मिक आस्थाएं,संस्कृति,के विभिन्न लोकरंग की अद्भुत समागम स्थल भी मजूद है इन्ही के मध्य  ऊंचे पर्वत शिखर में यहां साल सागौन और शीशम,जैसी अनेक विशेष मिश्रित प्रजाति के कीमती इमारती काष्ठों वाले पेड़ पौधों के  वन क्षेत्र भी मौजूद है जहां चारो ओर हरियाली अच्छादित होने के साथ ही  रमणीय,मनमोहक प्राकृतिक वन क्षेत्र अनायास लोगों का मन अपनी ओर आकर्षित करता है ऐसे वन क्षेत्र जिनके मध्य से निकले आड़े तिरछे काले डामर और उंसके मध्य सफेद लाइनिंग से उकेरे  निर्मित मार्ग मानो हरीतिमा  प्राकृतिक  वातावरण के मध्य किसी काले चित्तीदार नागिन  के मदमस्त  होकर आड़े तिरछे घुमावदार गमन का अहसास कराता है यहां के प्राकृतिक सौंदर्यता में इजाफा तब और बढ़ जाता है जब गगन चुंबी पर्वत माला और सघन प्राकृतिक वनक्षेत्र में हरियाली के मध्य जब कोई महानदी अपने कटाव से राह बनाते हुए गुजरती हो और वन क्षेत्र की वैभवता को चार चांद लगाता हो ऐसी सुंदर मनोहारी दृश्य का यदि पर्यावरण प्रेमी लुत्फ उठाना चाहते  हो तो वे गरियाबंद वन मंडल क्षेत्र के सब डिवीजन फिंगेश्वर के अंतर्गत ग्राम सड़क परसूली परिक्षेत्र में ऐसे दृश्य को बड़ी सहजता से दृष्टव्य हो जाते  है जिसकी प्राकृतिक सौंदर्यता का बखान करने शब्द भी कम पड़ जाएंगे और  ऐसे प्राकृतिक सौंदर्यता का बखान कभी समाप्त नही होगा गरियाबंद वन मंडल का सब डिवीजन फिंगेश्वर के अंतर्गत ग्राम सड़क परसूली जहां हजारों वर्षो से सीना ताने साल वृक्षों के वृह्द भूभाग क्षेत्र के बड़े पैमाने पर विस्तृत वन क्षेत्र अपने गौरव शाली  इतिहास की वैभव गाथा के साक्ष्य बने हुए है समूचा साल वनों से आच्छादित गरियाबंद वन मंडल के सब डिवीजन फिंगेश्वर के अंतर्गत आने वाले ग्राम सड़क परसूली को मानों ईश्वर ने विशेष काल मे प्राकृतिक की हरीतिमा चादर का आशीर्वाद ओढ़ा कर स्वर्ग सदृश्य  निर्माण के उद्देश्य से क्षेत्र की संरचना  किया  और अपनी लेश मात्र इस विरासत के संरक्षण,संवर्धन, सुरक्षा,रखरखाव, हेतु अपने उन चयनित सेवादार,भक्तों को दायित्व सौंपा जो कहने को तो वे छत्तीसगढ़  वन जलवायु,परिवर्तन  विभाग में कार्यरत है परन्तु  उसकी प्राकृतिक  संरचना का मान सम्मान रखते हुए उंसके वर्चस्व को अक्षुण्य बनाए रखने वनों के विस्तार में अपना जुझारू और जीवटतापूर्ण जीवन  का  सर्वस्व न्योछावर कर दिया तथा सैकड़ों वर्षों से  नियति के इस चयनित व्यक्तित्वों में कई ऐसे बांके सूरमाओं ने सैकड़ों  वर्षों से ग्राम सड़क परसूली के कथित साल वृक्षों से अटे पड़े वन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन में अपना गरिमामयी सेवाकाल व्यतित कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया  परन्तु आज भी साल वृक्ष का यह वन क्षेत्र मानों अपने स्थान पर किसी अटल चट्टान की भांति खड़ा हुआ है एवं आम लोगों के चित्त आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है  वर्तमान में कथित ग्राम सड़क परसूली के बेशकीमती ऐतिहासिक साल वृक्षों वाले वन क्षेत्र की सुरक्षा का दायित्व  कर्तव्य निष्ठ,निडर, जुझारू प्रवृत्ति के धनी व्यक्तित्व  परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट को मिला है जो विगत अनेक वर्षों से गरियाबंद वन मंडल अंतर्गत सब डिवीजन  फिंगेश्वर  के ग्राम सड़क परसूली में अपनी सेवाएं दे रहे है और पूरी चाक चौबंद  के साथ ग्राम सड़क परसूली के इस साल अच्छादित वन क्षेत्र के संरक्षण,संवर्धन,और सुरक्षा में अनवरत लगे हुए है यह  श्री अशोक भट्ट का सौभाग्य कहा जाए कि उनके पूर्व  उनके पिताश्री भी वन विभाग में रहते हुए प्राकृतिक वनों को सहेजने उंसके संरक्षण संवर्धन में अपना समूचा जीवनकाल अर्पण कर रखा था एक प्रकार से देखा जाए उनके खून में ही वनों की सेवा करना शामिल है यही वजह है कि कर्तव्य के प्रति समर्पित श्री अशोक भट्ट प्रतिदिन निर्भय होकर वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा, एवं वनों के मैदानी क्षेत्रों में कराए जाने वाले नरवा प्रोजेक्ट के तहत  नाला,चेक डेम, खनकी,सहित प्लांटेशन,वृक्षारोपण जैसे अनेक विभागीय कार्यों के संपादन हेतु स्वयं उपस्थित रहते है इसके लिए वे कभी कभी अकेले ही अपनी मोटर साइकिल से वनक्षेत्र में प्रवेश कर जाते है उनकी मोटर सायकिल की आवाज़ ही काष्ठ माफियाओं और वन्य प्राणियों के ''नौ दो ग्यारह'' होने के लिए पर्याप्त है  और वन्य प्राणी भी अपने इस प्रहरी को भली भांति पहचानने लग गए है इसलिए वे उन्हें किसी प्रकार की क्षति भी नही पहुंचाते तथा वे भी  निर्भय होकर  निरंतर अपने वन क्षेत्र का दौरा कर पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करते रहे है जिसकी वजह से क्षेत्र आज भी विशालता,एवं सघनता लिए हुए है तथा क्षेत्र में वन्य  प्राणी भी निर्भय होकर स्वच्छंद विचरण करते है परसूली परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट का व्यवहार मानवीय दृष्टिकोण से सदैव  मानवहित में रहा है वे आसपास ग्रामीणों के सुखदुख में सदैव खड़े रहते है इसके पीछे उनका मंतव्य स्पष्ट है कि वनों की सुरक्षा के साथ आसपास के निवासरत वनवासी,वनादिवासियों को वन प्रबंधन समिति,वन सुरक्षा समिति,महिला स्वसहायता समूह जैसे दल निर्मित कर उनकी सहभागिता से वनों की सुरक्षा और उंसका विस्तार कैसा किया जाए साथ ही ग्रामीणों को  शासकीय योजनाओं में संलग्न कर उन्हें रोजगार मुलक कार्यों में उनकी सहभागिता सुनिश्चित कर उनके सामाजिक आर्थिक रूप को कैसे सुदृढ बनाया जाए इस ओर सदैव प्रयासरत रहते है ताकि वे  सशक्त बन सके   इसी क्रम में उन्होंने परसूली वन क्षेत्र के वनवासी,वनादिवासियों एवं ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित कर उनके आर्थिक सामाजिक उत्थान के लिए भी अनेक जनहित कार्य संपादित करवाए है जो उनके कार्यों के प्रति  निष्ठा, प्रतिबद्धता को दर्शाता है परसूली 

परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट ने अपने कर्तव्यों से कभी विमुख नही रहते हुए बड़ी शिद्दत से कर्तव्यों का निर्वहन किया इसका जीता जागता उदाहरण वर्ष 2003-04 में सब डिवीजन फिंगेश्वर के सरगी नाला के समीप स्थित सागौन और बांस के प्लांटेशन है जो लगभग बीस वर्ष पूर्व उनके द्वारा  संपादित किए गए थे  जो आज के वन कर्मियों के लिए    प्रेरणादायक और प्रसंगिक है आज भी कथित सरगी नाला क्षेत्र में शीतलता बरसता रहता है वानिकी का एक लंबा अनुभव होने के कारण वे हमेशा पेड़ पौधों के संरक्षण संवर्धन में अग्रणीय रहे  परसूली के साल अच्छादित वनों की सुरक्षा के साथ साथ वनवासियों की आर्थिक समाजिक उत्थान के लिए वे सदैव नित नई नई योजनाओं के माध्यम से प्रयासरत  रहते है  हाल ही उन्होंने ग्राम सड़क परसूली के साढ़े तीन हेक्टेयर में स्थित  नर्सरी में मनरेगा के तहत अनेक ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाया ग्राम पंचायतों के मांग अनुरूप  गत वर्ष 2020 में उनके मार्गदर्शन मे लगभग दो लाख पौधों का जिनमे एक लाख बांस रायजुम तथा एक लाख सागौन रूट सूट के माध्यम से परसूली नर्सरी में उत्पाद कर ग्राम पंचायतों में वितरण करवाया था उनके द्वारा परसूली नर्सरी में उक्त उत्पाद से आसपास के अनेक ग्रामीण पुरुष महिलाओं को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाया  पश्चात उत्पादित पौधों को  आसपास ग्राम पंचायतों के माध्यम से वितरित किया उन्होंने बताया कि लगभग पचहत्तर प्रतिशत पौधों का वितरण छग शासन की महत्वाकांक्षी योजना ''पौधा तुंहर द्वार'' योजना के तहत निशुल्क वितरण किया गया पौधों की सुरक्षा एवं देखरेख के  संबन्ध में परिक्षेत्राधिकारी  श्री अशोक भट्ट ने बताया कि पौधों का रोपण, संरक्षण और सुरक्षा स्वेच्छाचारिता एवं अराधनीय है  यह कार्य ठीक उस ईश्वरीय स्तुति और प्रार्थना के समान है जो किसी से बलात नही कराया जा सकता यह तो मानव के जीवन मे पेड़ पौधों और पर्यावरण,प्राकृतिक  के प्रति प्रेम,भाव से ही जागृत हो सकता है फिर भी यथा संभव उन्हें जन जागरूकता लाने विशेष प्रयास किए जाते रहे है जिनमे यदि सत्तर प्रतिशत भी  इसकी सुरक्षा,देखरेख,व्यवस्था हो गई तो वही पौधा पेड़ बन समस्त मानव जीवन के लिए जीवन दायिनी साबित होता है ग्राम परसूली नर्सरी से वितरित किए जाने वाले पेड़ पौधों के संदर्भ में श्री अशोक भट्ट ने बताया कि यह सब वरिष्ठ मण्डलाधिकारी श्री मयंक अग्रवाल के दिशा निर्देश उप वन मण्डलाधिकारी श्री यू एस ठाकुर साहब के कुशल नेतृत्व और मेरे  मार्गदर्शन में संपादित हुआ पौधे वितरण कार्य आश्रित ग्राम तरियापारा,झालखार,अमलझोला सहित अनेक ग्राम पंचायतों में निशुल्क वितरण किया गया  श्री अशोक भट्ट आगे बताते है कि ग्राम सड़क परसूली स्थित परसूली नर्सरी मे इस वर्ष हेतु भी पौधा रोपण के तहत कार्य योजना बनाई गई है जिसे शीघ्र धरातल पर लाया जाएगा यही नही स्थानीय परसुली ग्राम महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से अन्य रोजगारोन्मुखी योजनाओं पर कार्य योजनाए बनाई गई है जिसमे मशरूम उत्पाद सहित अन्य हस्तकला वस्तुओं का निर्माण कर  महिलाओं के आर्थिकी ,सामाजिक सशक्तिकरण से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने व्यापक कदम उठाए जाएंगे   परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट आगे बताते है कि वृह्द भूभाग में फैले साल वन के संरक्षण में सड़क क्षेत्र के वनों को चराई रोकने हमने  सड़क मार्ग के समक्ष खनकी निर्माण कर अतिक्रमण सहित चराई पर प्रतिबंधित कर वनों के संरक्षण में एक कारगर कदम उठाया है अब आसपास ग्राम क्षेत्र के मवेशी चराई में भी रोक लगी है तथा वनों को क्षति पहुंचाने की नीयत से घुसने वाले काष्ठ माफियाओं के लिए भी यह खनकी एक बहुत बड़ी बाधा बन गई है  ग्राम के मवेशियों को पर्याप्त चारा, एवं पेयजल उपलब्ध कराने के  एवज में गरियाबंद वन मंडल द्वारा ग्राम पंचायत से समझौता कर रिक्त पड़त साढ़े पांच हेक्टेयर खुले भूभाग में वनों के साल वृक्षों को बगैर क्षति पहुंचाए एक मॉडल गौठान निर्माण किया गया है जो आम लोगों के लिए उदाहरण साबित हो रहा है उन्होंने बताया कि वन मार्ग सड़क पर खनकी निर्माण से एक तो मवेशी चराई से होने वाली क्षति को रोका जाएगा वही दूसरी ओर अतिक्रमण से भी वनों की सुरक्षा होगी इसके अलावा खनकी निर्माण से वर्षा ऋतु  में जलभराव से जल संरक्षण के साथ साथ वन क्षेत्र की नमी बराबर बनी रहेगी तथा जल स्तर भी बना रहेगा जिससे स्थानीय कृषकों के काश्तकारी में  भी मदद मिलेगी श्री भट्ट आगे बताते है कि वनों के आसपास रिक्त भूमि पर औषधि पौधे जिसमे तिखुर,तुलसी,जैसे औषधि पेड़ पौधे लगाने की योजना है जिसके उत्पाद एवं उसके विक्रय से भी ग्राम वासी आर्थिक रूप से सुदृढ हो सके मैदानी स्तर पर सदैव कंधा से कांधा मिलकर कर चलने वाले

सहायक परिक्षेत्राधिकारी श्री दुर्गा प्रसाद दीक्षित  बताते है कि ग्राम पंचायत के निर्मित गौठान में गोबर खरीदी सहित वर्मी कंपोस्ट जैविक खाद का उत्पाद किया जा रहा है साथ ही एक बोर खनन करवाया गया जिसके संचालन हेतु सौर ऊर्जा पैनल लगाया गया जिससे एक स्थल पर ताल,डबरी निर्माण कर उसमें जल संग्रहित किया जाएगा जिससे  पशुओं के पेयजल समस्या दूर की गई है गोबर खरीदी से वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण किया जा रहा है जिससे ग्राम पंचायत की महिला स्वसहायता समूह एवं अन्य समूह इसमें कार्यरत है साथ ही एक बड़ा क्षेत्र में तालाब निर्माण किया गया है जिसमें मछली पालन योजना महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से की जाएगी इसके अलावा भी महिलाओं एवं ग्रामीणों के रोजगार सृजन कर आत्मलंबी बनाने अनेक योजनाओं का समय समय पर क्रियान्वयन किया जाएगा बताते चले कि परसूली परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट की मंशा हमेशा से ही जियो और जीने दो की तर्ज पर निर्भर रहा है यही वजह है कि वनों को बगैर क्षति पहुंचाए उंसके संरक्षण,संवर्धन,विस्तार, के लिए नए नए योजनाओं को धरा  पर लाते है जिसकी वजह से स्थानीय ग्रामीण वनवासियों को रोजगार मिलता है साथ ही वनों के विस्तार में भी चहुमुखी विकास होता है इससे उन्हें दोहरा आशीष मिलता है एक तो रोजगार सृजन से ग्रामीण उन्हें अपना आशीष देते है तो दूसरी ओर प्राकृतिक भी उन्हें अपनी सुरक्षा के एवज में हवा के शीतल लहर के साथ    झूम झूम कर उन्हें मुक्त वातावरण के साथ खुलकर आशीष  प्रदान करते है अभिनन्दन करते है जो उनके लिए जीवन का सर्वोत्तम आनंद का समय होता होगा क्योंकि प्रकृति उन्हें ही अपना आशीष देती है जो उनसे स्नेह करते है.. उनके संरक्षण,संवर्धन,और सुरक्षा में सदैव सेवा देने निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन  करते है  जो विशेषता परिक्षेत्राधिकारी  श्री अशोक भट्ट में कूट कूट कर भरी है

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में पांच करोड़ का घोटाला- मामला दबाने 35 लाख में सेटलमेंट

 वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में पांच करोड़ का घोटाला- मामला दबाने 35 लाख में सेटलमेंट 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) वन विभाग का अनुषांगिक धड़ा वन विकास निगम वैसे तो अनेकों भ्रष्टाचार घोटाला और फर्जीवाड़े को लेकर सदैव सुर्खियों में रहा है परन्तु अब जो फर्जीवाड़ा कर घोटाले को अंजाम दिया गया है वह हतप्रभ करने वाला आया है वह भी लाख दो लाख नही बल्कि पांच करोड़ से ऊपर का खेला हो गया और किसी को कानों कान खबर नही मामला तब प्रकाश में आया जब बार नवापारा परियोजना मण्डल के डीएम आईएफएस अधिकारी शशि कुमार रोपण क्षेत्र का भौतिक मूल्यांकन हेतु गए जहां पर उन्होंने पाया कि जहां सौ हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन होना था वहां केवल बीस हेक्टेयर में ही प्लांटेशन किया गया वहां भी तीन वर्ष के व्यवस्थापन सुरक्षा,देखरेख, के आभव में दस से पन्द्रह प्रतिशत ही रोपण दिखायी दिया क्योंकि वन अधिनियम में यह स्पष्ट है कि कम से कम प्लांटेशन के रोपण क्षेत्र में अस्सी प्रतिशत रोपण शेष रहना चाहिए तभी उस प्लांटेशन को सफल माना जाता है परन्तु यहां अस्सी क्या पन्द्रह से बीस प्रतिशत ही रोपण दिखाई दिया जो सीधे सीधे फेल्वर एवं असफल माना जाता है  बताते चले कि वन विकास निगम  राजनांदगांव के पानाबरस परियोजना मंडल अंतर्गत मोहला परिक्षेत्र,घोसटोला परिक्षेत्र एवं मिस्पिरि परिक्षेत्र में वर्ष 2019-20-21को औद्योगिक वृक्षारोपण के तहत सागौन,सहित मिश्रित प्रजाति के प्लांटेशन किया गया था जहां सौ एकड़ भूभाग में सागौन एवं मिश्रित प्रजाति के पौधा रोपण किया जाना था वहां उपरोक्त परिक्षेत्रों में एक तो कम भूभाग में प्लांटेशन किया गया उस पर प्लांटेशन क्षेत्र में प्रतिवर्ष किए  जाने वाले  कैज्युवलटी सहित निंदाई गुढाई,दवा,खाद,थाला बनाने जैसे कार्यों के लिए मिलने वाली राशि भी गड़बड़, घोटाले की भेंट चढ़ गई आज स्थिति यह है कि पूरा प्लांटेशन क्षेत्र उजड़ा.. चमन सा...प्रतीत हो रहा है मामला तब प्रकाश में आया जब भौतिक सत्यापन जो कि प्रतिवर्ष वन विकास निगम के पृथक परियोजना मंडलों से डीएम डीडीएम,सहित रेंजर स्तर के अधिकारीयों द्वारा कराया जाता है  तथा वे ही भौतिक मूल्यांकन के दस्तावेजों में सही हस्ताक्षर कर सफल असफल प्लांटेशन होने का सत्यपन पत्र में हस्ताक्षर करते है जो अनवरत तीन वर्षों में अन्य परियोजना मंडल के अधिकारियों द्वारा फर्जी एवं झूठा मूल्यांकन कर सत्यपन पत्र में सही हस्ताक्षर कर प्लांटेशन सफल होने का दस्तावेज प्रदाय कर दिया गया एक प्रकार से देखा जाए तो मूल्यांकन करने गए अधिकारी वन विकास निगम को धोखे में रखकर निरीक्षण के एवज में बड़ी राशि लेकर अपना पौ बारह करते रहे तथा उपरोक्त प्लांटेशन क्षेत्र  मोहला,घोसटोला,मिस्प्रि परिक्षेत्रों को सफल प्लांटेशन का सत्यापित पत्र दे दिया गया जब बार नवापारा परियोजना मंडल के मंडल प्रबंधक आईएफएस अधिकारी शशि कुमार अपने सोलह सदस्यीय टीम के साथ कथित प्लांटेशन परिक्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन एवं सत्यापन हेतु पहुंचे तब वहां प्लांटेशन के स्थान पर चटियल मैदान नज़र आया तब जाकर मामले का खुलासा हुआ मजे की बात यह है कि वन विकास निगम के प्रदेश भर के प्लांटेशनों का यही हाल है अति विश्वसनीय विभागीय सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि कथित तीनों क्षेत्रों में  सम्पादित प्लांटेशनो से  तात्कालिक वन विकास निगम कर्मियों द्वारा लगभग पांच करोड़ रुपये से ऊपर का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाने का आंकलन जानकारों द्वारा किया गया है यही नही आईएफएस अधिकारी डीएम  शशि कुमार बार नवापारा परियोजना मण्डल द्वारा अपनी रिपोर्ट उच्च स्तर पर भी सौंप दी जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूर्व वर्षों में समस्त प्लांटेशन रोपण क्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन करने वाले अधिकारियों से लेकर मैदानी अमले के रेंजर सहित कर्मचारियों को अटल नगर नवा रायपुर स्थित  वन विकास निगम मुख्यालय में तलब किया गया जहां सब से पूछ ताछ की गई जिसमे  संलिप्त लगभग सभी कर्मचारियों की घिग्घी बंध गई है बताया जा रहा है कि यदि इन पर जांच की आंच आती है तो कई आधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे परन्तु अंदर खाने से यह भी खबर छन कर सामने आ रही है कि वन विकास निगम में अंगद की पांव की तरह पैर जमाए एवं निगम के खजाने में कुंडली मारकर बैठे सेवानिवृत्त तथा वर्तमान में संविदा नियुक्त प्रबंध वित्त  लेखा अधिकारी भोजराज जैन मामले की लीपापोती करने लामबद्ध है क्योंकि उच्च स्तरीय कार्यवाही की बात आने से कई अधिकारियों की रात की नींद उड़ गई है तब उन्होंने गड़बड़ घोटाले में संलिप्त  समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि तुम लोग पैसों का इंतज़ाम करो मैं मामले को सम्हालता हूं  अंदर से खबर यह भी मिल रही है कि मामले की लीपापोती के लिए समस्त कर्मियों से पैंतीस लाख रुपये में सैटलमेंट हो रहा है अब लेनदेन में कितनी सच्चाई है यह तो वन विकास निगम के संलिप्त अधिकारी,कर्मचारी,एवं  भोजराज जैन ही जाने क्योंकि यह सब अंदर की बात है जबकि देखा जाए तो  वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल का यह मामला बहुत ज्यादा संगीन एवं अक्षम्य है यदि वन अधिनियम के तहत विधिवत इस पर कार्यवाही होती है तो बहुत से अधिकारी कर्मचारी सीधे नौकरी से बाहर किए जा सकते है लेकिन जब तक भोजराज जैन जैसे तीक्ष्ण बुद्धि वाले अधिकारी वन विकास निगम में रहेंगे तब तक ऐसे गड़बड़ घोटाले बाजों को बचाने नए नए  हथकंडे अपनाए जाते रहेंगे क्योंकि ज्ञात हुआ है कि उन्होंने संलिप्त अधिकारी,कर्मचारियों से स्पष्ट पूछा है कि किसी दस्तावेज में उन्होंने कोई हस्ताक्षर या सही तो नही किया है ? प्रत्युत्तर में संलिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों ने नन्दी बैल की तरह न में सिर हिला कर समवेत स्वर मे हस्ताक्षर या सही नही करना बताया है वही वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने उन्हें  आश्वस्त किया है कि मामले को सुलझा लूंगा,, तुम लोग पैतीस लाख तैयार रखो ...  मैं उस रिपोर्ट को झूठा साबित कर दूंगा ...तुम लोग स्वयं जाकर अपने अपने प्लांटेशन क्षेत्रों का दौरा करके मुझे गणना मूल्यांकन की सत्यापित रिपोर्ट प्रस्तुत करो मैं बाकी सब सम्हाल लूंगा ? अब सवाल उठता है कि क्या एक आईएफएस अधिकारी के द्वारा दी गई रिपोर्ट को अमान्य कर उन्ही रेंजरों और मैदानी अमले को  जो उपरोक्त गड़बड़ घोटाले में संलिप्त है को गणना कर भौतिक मुल्यांकन कर सत्यापित दस्तावेज बनाने का जिम्मा दिया जा सकता है ? क्या एक जिम्मेदार आईएफएस अधिकारी के द्वारा प्लान्टेशनों का भौतिक मूल्यांकन  झूठी एवं फर्जी हो सकती है ? यह बात कुछ गले नही उतरती आईएफएस अधिकारी शशि कुमार जिनका हाल ही रेग्युलर फॉरेस्ट  दुर्ग डिवीजन में तबादला हुआ है वे यदि अकेले भौतिक मूल्यांकन हेतु गए होते तो एक बार प्रस्तुत रिपोर्ट को लेकर सन्देह व्यक्त किया जा सकता था परन्तु अपने सोलह सदस्यीय टीम के साथ उन्होंने भौतिक मूल्यांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमे उन सोलह सदस्यों के भी हस्ताक्षर होंगे जो बिना विरोधाभास के रिपोर्ट सत्य मानी जा सकती है हालांकि इस संदर्भ में कुछ जानकारों का कथन है कि मैदानी अमले में रेंजर सहित अन्य कर्मचारी इतने बड़े घोटाले को बगैर किसी अधिकारी के शह पर कर ही नही सकते वही कुछ कर्मी दबी जुबान से पूर्व सेवानिवृत प्रबंध संचालक एवं सोमादास मैडम के कार्यकाल से ही गड़बड़ घोटाला किए जाने का अंदेशा व्यक्त कर रहे है जबकि वर्तमान पानाबरस परियोजना मंडल के डीएम ए के पाठक को आए एक वर्ष भी नही हुआ उन्हें भी धोखे में रख कर कार्य संपादित किया गया परन्तु यहां वह उक्ति चरितार्थ होती नजर आ रही है कि चोर चोरी से जाए...पर सीना जोरी से न जाए..कथन आशय यह है कि सारे भ्रष्टासुर कर्मी एक होकर ईमानदार अधिकारियों को लपेटने में कोई गुरेज नही करते फिर भी गड़बड़ घोटाला तो हुआ है जो वन विकास निगम के संपूर्ण प्रदेश के प्लान्टेशनों का यदि सूक्ष्मता से निष्पक्ष जांच की जाती है तो कई अधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे क्योंकि गड़बड़ घोटाले के इस बेहद संगीन मामले को गुपचुप तरीके से सैटलमेंट करने की कवायद जो चल रही है गौर तलब यह भी है कि गत वर्षों में किए गए गड़बड़ घोटाला पर यदि वविनि समस्त संलिप्त अधिकारी, कर्मचारियों से रिकवरी करता है तो वह कई लाखों में होगी जो पांच करोड़ रूपये के ऊपर  जा सकती है अब इस गंभीर प्रकरण में ऊपर बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते है यह अब  आगे देखना होगा फिर भी इस संदर्भ में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ संलिप्त कर्मियों से वास्तविकता जानने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल कव्हरेज एरिया से बाहर आया शीघ्र ही इस घोटाले के और भी बड़े खुलासे भविष्य में किए जाएंगे 

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

सोन डोंगरी प्राकृतिक उद्यान पर्यटन के साथ राहत की सांस देगा,तो हर्बल उद्यान रक्षा कवच बनेगा

 सोन डोंगरी प्राकृतिक उद्यान पर्यटन के साथ राहत की सांस देगा,तो हर्बल उद्यान रक्षा कवच बनेगा

अलताफ हुसैन

छग वनोदय, अनवरत बढ़ते मानव निर्मित कांक्रीट के जंगल उसपर आसपास उद्योगों और कल कारखानों की दहकती चिमनियों  से उगलते काले हानिकारक  जानलेवा धुंए जो किसी भी स्वस्थ्य मानव के फेफड़ों की धमनियों को क्षतिग्रस्त कर व्याधिग्रस्त कर सकता है अनेक लाइलाज बीमारीयों से मानव जीवन त्रस्त हो सकता है ऐसे वातावरण को शुद्ध एवं स्वच्छ जलवायु निर्मित करने का महती बीड़ा उठाया है प्रदेश का वन जलवायु परिवर्तन विभाग ने जो बढ़ते शहरीकरण के नव निर्मित मकानों  और गगन चुंबी इमारतों के मध्य भी मानव जीवन के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उन्हें स्वच्छ निर्मल वातावरण प्रदान करने की कवायद में जुटा हुआ है इसके लिए ऐसे पड़त भाटा भूमि का चयन कर वृक्षारोपण कर रहा है कि आम जन का जीवन घुटन भरे माहौल में स्वच्छ एवं शुद्ध आक्सीजन के साथ राहत की सांस ले सके एव स्वस्थपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके इस प्रकार के ही सर्वाधिक प्रदूषण युक्त क्षेत्र राजधानी रायपुर के भनपुरी उरला औद्योगिक नगरी  से सटा इलाका सोन डोंगरी को  भी माना जाता है

जहाँ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तथा औद्योगिक वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत  व्यवस्थापित किए गए ऐसे अनेक निम्न,एवं मध्यम परिवारों के बसाहट के साथ क्षेत्र में बढ़ती गहमागहमी को ध्यान में रखते हुए विभाग एक वृह्द भूभाग में ऐसे प्राकृतिक वन उद्यान का निर्माण कर रहा है जो स्थानीय निवासियों के लिए वरदान साबित हो उल्लेखनीय है कि औद्योगिक नगरी उरला,भानपुरी जैसे आसपास क्षेत्रों में स्थापित उद्योग के चिमनियों से निकलते काले हानिकारक युक्त धुंए से बहुत से मानव जीवन के स्वस्थ्यगत सहित खानपान एवं रहन सहन पर भी लगातार व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा था प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उनके स्वस्थ्यगत कारणों को बड़ी संवेदनशीलता से संज्ञान लिया तथा प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्मित करने एवं  जहरीले,हानिकारक  तत्वों को अवशोषित करने के उद्देश्य से एक बड़े भूभाग में वर्षों से धीमी गति से चल रहे एवं एक प्रकार से थम चुके ऐसे औद्योगिक वृक्षारोपण कार्यक्रम को गतिशील करने सख्त दिशा निर्देश दिए इस दौरान वन विभाग के मैदानी अमले ने चुस्ती दिखाते हुए हरियाली विस्तार करने का जो बीड़ा वर्षो पूर्व  उठाया था उसे वर्तमान सरकार के दिशा निर्देश एवं उच्च अधिकारियों के कुशल मार्ग दर्शन में रुके थमे ऐसे कार्यों को अब शनैः शनैः अपने वास्तविक धरा पर लाने कटिबद्ध नज़र आ रहा है  तथा लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए ऐसे रिक्त पड़त भाटा भूमि में सुव्यवस्थित ढंग से वृक्षारोपण कर उसे बाग,बगीचे,उद्यान,  गार्डन, और वनों समदृष्य विस्तार कर जन हित मे कार्य संपादित कर रहा है ताकि आम जन को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त स्वस्थ्य वातावरण जीवनदायिनी के रूप में प्राप्त हो अब देखने में आ रहा है कि ऐसे थमे,रुके कार्य क्रमबद्ध सुनोयोजित तरीके से  उद्यान और वनों सदृश्य आकार ले रहे है एवं प्रदूषित वातावरण एवं परिवेश में बढ़ती हरियाली के मध्य शुद्ध आबो हवा के साथ स्वच्छ निर्मल  ऑक्सीजन का लाभ ले रहे है जिसकी वजह से आसपास निवासरत लोगों में छग वन जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा  सराहनीय  निर्मित विकासपूर्ण कार्य को लेकर परिचर्चा भी अनवरत की जा रही है कि कल कारखानों की भोंपू की कानफोड़ू आवाज़ एवं चिमनियों की गगनचुंबी मीनारों से निकलते रसायनिक युक्त काले जहरीले धुंए वाले प्रदूषण  क्षेत्र सोन डोंगरी  में प्रदेश  सरकार का वन विभाग के उक्त हरीतिमा युक्त मानवीय पहल ने आम मानव जीवन को शुद्ध  ऑक्सीजन देने का जो  पुण्य कार्य संपादित किया है वह अब  एक बेमिसाल उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है

एक प्रकार से  विभाग मानव को प्राकृतिक से साक्षात दर्शन करवा रहा है यही वजह है कि विभाग भी जनभावना का सम्मान करते हुए सोन डोंगरी क्षेत्र में उक्त संपादित किए जा रहे वृक्षारोपण  क्षेत्र का नाम भी प्राकृतिक दर्शन उद्यान के रूप में अंकित कर दिया है  जबकि दस वर्षों के लंबे निर्माण संबंधि अवधि और विलंब  के संदर्भ में आसपास के रहवासियों से यह बात  सामने आई है कि पूर्व में मानव परिवार एवं आबादी न के बराबर थी परन्तु शहरों से  बेदखल और लगातार व्यवस्थापित किए गए परिवारों की आमद से सोनडोंगरी क्षेत्र सघन आबादी का रूप ले चुका है जिनके स्वास्थ्य की लागतार चिंता करते हुए रायपुर वन मंडल के अंतर्गत रायपुर परिक्षेत्र के द्वारा भी ऐसे रुके कार्यों को पूर्ण किए जाने तत्परता दिखाते हुए कटिबद्ध है तथा आज सोन डोंगरी स्थित प्राकृतिक दर्शन उद्यान के चुनौती पूर्ण कार्य अपने अंतिम चरण में  पूर्ण कराए जाने हेतु  रायपुर वन मंडल के अधिकारी और मैदानी कर्मचारी बड़ी चुस्ती दुरुस्ती के साथ मुस्तैद है इस संदर्भ में जब हमने रायपुर वन मंडल के परिक्षेत्राधिकारी श्री सुधाकर राव शिंदे जो परिपक्व अनुभवी, प्रतिभावान,कर्तव्यनिष्ठ एवं कार्यों के प्रति समर्पित अधिकारी है से  प्राकृतिक दर्शन उद्यान सोन डोंगरी के सन्दर्भ में जानकारी ली तो उन्होंने उत्साह के साथ बताया कि प्राकृतिक उद्यान को मानव जीवन को बेहतर प्राकृतिक परिवेश एवं शुद्ध वातावरण प्राप्त हो सके इसके लिए निर्माण किया जा रहा है वर्ष 2010-11 से कुल 32 हेक्टेयर भूमि पर उद्यान निर्माण किया जाना था परन्तु मध्य में सड़क निर्माण की वजह से प्राकृतिक उद्यान अब नौ हैक्टेयर क्षेत्र में ही  निर्मित किया गया जिसमे सभी प्रकार की व्यवस्था की जा रही है

प्रभारी परिक्षेत्राधिकारी श्री सुधाकर राव शिंदे ने बताया कि  प्रदूषित क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए आक्सीजोन कि दृष्टिकोण से प्राकृतिक उद्यान का निर्माण किया जा रहा है जहां बच्चों के खेलकूद फिसलपट्टी सहित अन्य उपकरण निर्माणाधीन है सोन डोंगरी के इस  प्राकृतिक उद्यान में फलदार,छायादार,सहित अनेक इमारती काष्ठों वाले सैकड़ों देशी प्रजाति के वृक्षों का क्रमबद्ध वृक्षारोपण किया गया है मध्य में पथवे निर्माण है जहां आकर्षक पेवर्स ब्लॉक लगाए गए है आसपास भिन्न भिन्न प्रजाति के फलदार,फूलदार,सायादार  पेड़ जिनमे आम,जाम, जामुन,बेल,कटहल,पीपल,बरगद,नीम जैसे पौधे जो पर्यटन हेतु आए लोगों को मनोरम दृश्य  अपनी ओर आकर्षित करेगा ही साथ ही  पर्यटकों को स्वतः  प्रकृति के समीप होने का  सुखद अनुभूति भी प्रदान करेगा  अवकाश एवं अन्य दिनों में पारिवारिक वातावरण  के साथ उद्यान मे नैसर्गिक प्राकृतिक लुत्फ उठाने  के उद्देश्य से विभाग ने मध्य में पगोडे निर्मित किए हुए है साथ ही लॉन बनाए गए है वही मध्य में तालाब निर्माण किया गया है  जहां नौका विहार जैसे मनोरंजन के साधन मुहैय्या किए जाने वाले प्रस्ताव भी है फिलहाल तालाब निर्माण एवं आसपास क्षेत्र  को आकर्षक रूप प्रदान करने कार्य किए जा रहे है वही आईपीडी योजना के तहत औधौगिक घरानों से सामाजिक उत्तरदायित्व निर्वहन हेतु उनसे भी सहयोग लिए जाने की बात कही है रायपुर वन मंडल परिक्षेत्र के रेंज प्रभारी श्री सुधाकर राव शिंदे आगे बताते है कि फिलहाल प्राकृतिक उद्यान के गेट का जीर्णोद्धार किया गया है इसे आकर्षक लकड़ी के डिजाइन में गेट निर्माण किया गया है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है उन्होंने बताया कि जैसे जैसे विभाग इस ओर बजट आबंटित करेगा वैसे वैसे इसका निर्माण शीघ्र किया जाएगा उन्होंने आगे बताया कि सीसीएफ जनक राम नायक डीएफओ विश्वेश कुमार झा एवं एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी का मार्गदर्शन एवं सहयोग समय समय पर मिलता है प्राकृतिक दर्शन उद्यान का विस्तार उनके ही दिशा निर्देश पर किया जा रहा है जिसके शीघ्र पूर्ण होने की बात उन्होंने बताई 

श्री शिंदे आगे बताते है कि वर्तमान में कैम्पा मद से बाउंड्री वॉल का कार्य संपादित किया गया है श्री शिंदे प्राकृतिक उद्यान के बारे में कहते है कि इसका निर्माण भी एक मॉडल उद्यान के रूप किया जा रहा है जैसे  नक्षत्र वाटिका,मुक्तांगन,जंगल सफारी, नेचर सफारी मोहरेंगा की तर्ज पर इसका विस्तार किया जा रहा है भविष्य में पर्यटक,भ्रमणकारी, एवं छात्र छात्राएं शोध कार्य हेतु प्राकृतिक उद्यान में प्राकृतिक दर्शन लाभ के लिए आएंगे ऐसा उनका कथन है उन्होंने आगे बताया  इसे पर्यटकों के  सोच के अनुकूल निर्माण किया जा रहा है इसमें लक्ष्मण झूला, बाल उद्यान, की तैयारी वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश,और मार्गदर्शन के किया जा रहा है 

सोन डोंगरी स्थित प्राकृतिक दर्शन उद्यान के संदर्भ में सहायक परिक्षेत्राधिकारी श्री संतोष कुमार सामंत राय जिन्होंने  वर्ष 2007 से फॉरेस्ट गार्ड के रूप में अपनी विभागीय सेवाकाल प्रारंभ की थी तथा वे विभाग में रहते हुए लगभह 13 वर्षों से वानिकी एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण, संवर्धन में  अपनी विशेष  सेवाएं दी है  उन्होंने बताया कि भविष्य में उक्त प्राकृतिक उद्यान पर्यटन के रूप में विकसित होगा जो बेहद आकर्षक होगा यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध की जा रही है प्राकृतिक उद्यान क्षेत्र में मिश्रित प्रजाति के पेड़ पौधों के अलावा एक बड़े भूभाग में फलदार वृक्ष रोपे गए है जिनमे अब मौसमी फल भी लगने प्रारंभ हो गए है उनमें मुख्यतः आम जाम,जामुन, करौंदा,,चीकू,रामफल,शहतूत,बेल,प्रमुख है उद्यान में बच्चों के मनोरंजन हेतु खेलकूद उपकरण लगाए गए है पारिवारिक वातावरण में प्राकृतिक की सुखद अनुभूति  हेतु मध्य में पगोडे निर्माण किए गए है 9 एकड़ भूमि के अधिकांश हिस्सों में पथवे बने है जो तालाब सहित अन्य भागों को जोड़ता है एक प्रकार से यह प्राकृतिक उद्यान भविष्य में आम लोगों के पर्यटन हेतु आकर्षण का केंद्र बिंदु बनेगा पर्यटन स्थल के दृष्टिकोण से ही प्राकृतिक उद्यान का निर्माण तेज गति से जारी है उन्होंने बताया कि सीसीएफ जनकराम नायक एवं ऊर्जावान डीएफओ विश्वेश कुमार झा साहब के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में बहुत कुछ सीखने मिल रहा है ये अधिकारी मेरे प्रेरणा स्त्रोत है वैसे पूर्व में छोटे मोटे प्लांटेशन जैसे स्कूलों और विधान सभा कंपाउंड में वृक्षारोपण कार्य सहित अनेक क्षेत्रों में कार्य अनुभव मिलता रहा परन्तु उपरोक्त महानुभव अधिकारियों के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में कुछ नया करने का अवसर प्राप्त हो रहा है जिसे बड़ी कर्तव्य निष्ठा एवं तत्परता पूर्वक निर्वहन किया जा रहा है जिसके सार्थक परिणाम अब सामने आ रहे है वही सेवानिवृत्त के कगार पर पहुंच चुके

 रायपुर वन मंडल परिक्षेत्राधिकारी  श्री सुधाकर राव शिंदे के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहते है कि शिंदे साहब से भी वानिकी, वृक्षारोपण एवं विभागीय कार्यों को करने की सीख और प्रेरणा मिली है  सहायक परिक्षेत्राधिकारी एस. के.सामंत राय आगे कहते है कि विभाग में रहते हुए वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं संरक्षण संवर्धन में विशेष रुचि है यही वजह है कि वे नोवा नेचर संस्था से अनवरत संलग्न है जिनके सक्रिय सदस्य चेतन भाई,मोइज अहमद के कुशल कार्यप्रणाली के चलते बहुत से वन्य प्राणियों जिनमे सांप, अजगर बंदर सहित अन्य वन्य प्राणी सम्मिलित है उनका रेस्क्यू कर जंगल सफारी सहित आसपास वन क्षेत्रों में छोड़ चुके है सहायक परिक्षेत्राधिकारी श्री सामंत राय आगे बताते है कि वन्य प्राणियों का शहर की ओर  पलायन करना बढ़ते कांक्रीटीकरण,लगातार वनों में  मानव का दखल, एवं वनों का  विदोहन है जिसकी वजह से वन्य प्राणी खाद्य पदार्थ की लालसा एवं भूख प्यास की पूर्ति हेतु जंगल को छोड़ शहरों का रुख करने विवश है तथा अकाल मृत्यु के ग्रास बन रहे है  इनके पुनर्वास के लिए ही वन विभाग ऐसे बिगड़े वन,वृक्षारोपण कार्य निष्पादित कर उनके रहवास पुनरुत्थान हेतु नई नई योजनाओं के माध्यम से वनों के संरक्षण कर संवर्धित किया जा रहा है श्री सामंत राय आगे कहते है कि यदि वनों के अस्तित्व को बचाना है तो सर्वप्रथम जनता को जागरूक होना अनिवार्य है जब तक  पेड़ पौधे,वनों को बचाने जन जागरूकता एवं जनभागीदारी सुनिश्चित नही होती तब तक पेड़ पौधों और वनों को बचाना असंभव है डिप्टी सामंत राय आगे कहते है कि इस ओर विभाग द्वारा बेहतर पहल और प्रयास किए जा रहे है संपूर्ण प्रदेश के प्राकृतिक वनों,वृक्षारोपण क्षेत्रों और प्लान्टेशनों को  कैम्पा मद से वॉल एवं तार,पोल फेंसिंग कार्य से सुरक्षित करने का महती कार्य संपादित किया गया कैम्पा मद से ही वनों में जल संरक्षण हेतु एनीकट,बांध,नाली का सृजन किया जा रहा है इससे वन्यप्राणीयों को ग्रीष्म ऋतु में भी जल उपलब्ध हो सकेगा साथ ही आसपास ग्रामीणों को भी रोजगार उपलब्ध होगा इस तारतम्य में  प्रदेश के वन मंत्री श्री मो.अकबर की पहल एवं पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी के कड़े दिशा निर्देश का परिणाम है कि प्रदेश भर के वन क्षेत्रों को सीमेंट पत्थर वॉल, लोहे के एंगल,तार,एवं सीमेंट पोल से संरक्षित किया गया जिससे वन क्षेत्र सुरक्षित हो संरक्षित हो रहे है



 श्री सामंत राय आगे बताते है कि वनों के संरक्षण हेतु  रायपुर वन मंडलाधिकारी श्री विश्वेश झा साहब ने  बेहतर नए दिशा निर्देश जारी किए है कि किसी भी संपादित किए जाने वाले प्लांटेशन एवं बिगड़े वनों के भूमि की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पहले स्थानीय कलेक्टर से ऑरेंज या पड़त भाटा भूमि जहां प्लांटेशन किया जाना है में लिखित  परमिशन लिए जाएं ताकि भविष्य में किसी प्रकार के औद्योगिक अथवा अन्य प्रयोजन हेतु प्लांटेशन अथवा वन भूमि को कटाई, विदोहन से बचाया जा सके इस ओर श्री विश्वेश झा के कड़े निर्देश है कि वन भूमि का लिखित पत्र,आदेश लेकर ही प्लांटेशन,वृक्षारोपण किया जाए वही बढ़ते प्रदूषण एवं असन्तुलित होते जलवायु को लेकर श्री सामंत राय का निजी मत है कि बढ़ते शहरीकरण और घटते वनों की दिशा में सरकार को यह आदेश जारी कर देना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति अथवा भवन स्वामी अपने भवन के समक्ष कम से कम दो पेड़ अवश्य लगाए तथा उसकी देखरेख,सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जाए ताकि प्रदूषण मुक्त  वातावरण निर्मित किया जा सके लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का परिणाम है कि ओजोन परत में बढ़ रहे छिद्र की वजह से ही  सूर्य की पैरा बैगनी किरणों का  दुष्प्रभाव सीधे प्रकृति एवं मानव जीवन पर पड़ रहा है पिघलते गैलेशियर उसी के परिणाम है ऐसे प्राकृतिक आपदाओं को  केवल पेड़ पौधे,प्लांटेशन,वृक्षारोपण एवं वनों को जनभागीदारी के माध्यम से  संरक्षण संवर्धन कर  रोका जा सकता है डिप्टी सामंत  राय ने आगे बताया कि प्राकृतिक ने मानव जीवन को फल फूल से लेकर औषधि तक प्रदान किए हुए है यदि इसकी उपयोगिता का भान मानव को हो जाए तो पेड़ पौधों के जड़,छाल, से लेकर फूल,फल,बीज, यहां तक उनके पत्ते भी अमृत तुल्य है इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए  रायपुर वन मंडल   अंतर्गत शहर के पं. रवि शंकर शुक्ल विश्व विद्यालय के आयुर्वेदिक कॉलेज क्षेत्र में लगभग सात हेक्टेयर भूभाग में केवल ढाई सौ बेड में एक सौ पच्चीस मिश्रित प्रजाति के औषधियुक्त पेड़ पौधों का सफल हर्बल उद्यान आज से लगभग ग्यारह वर्ष पूर्व किया गया था जिसमे अनेक जीवनदायिनी पेड़ पौधे ऋतु अनुसार लगाए जाते है जिसका लाभ शोधार्थी सहित बहुत से व्याधिग्रस्त मरीज आज भी उठा रहे है इस संदर्भ ने हर्बल उद्यान के प्रभारी वन पाल राजीव माथुर बताते है कि हर्बल उद्यान मानव जीवन के स्वास्थ्य  से जुड़ा एकमात्र ऐसा उद्यान है जहां लगभग एक सौ पच्चीस प्रकार के भिन्न भिन्न प्रजाति के जड़ी बूटी उपलब्ध है 

इसके उपयोग और लाभ के बारे में उद्यान प्रभारी राजीव माथुर बताते है कि  आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में लगे होने के कारण यहां छात्र छात्राएं लगातार शोध के लिए आते है तथा कॉलेज के ही डॉक्टर मरीजों के किसी प्रकार के पत्ते का उपयोग अब चाहे वह हड्डी से संबंधित हो या कमर दर्द या उसके पीस कर सेवन का हो जिसके लिए बहुत से मरीज इसी परिसर में आकर लिखे गए पत्तों को ले जाते है और उससे लाभान्वित होते है उन्होंने आगे बताया कि अब तक ढाई हजार से ऊपर मरीज हर्बल उद्यान के पत्ते,जड़ी,बूटी, कहकर स्वास्थ्य लाभ उठा चुके है यही वजह है कि शुद्ध औषधियुक्त वातावरण  निर्मित होने से बहुत से लोग प्रातःकाल भ्रमण सैर सपाटे के लिए भी उद्यान आते है एवं औषधि मिश्रित वायु से स्वयं को स्वस्थ्य महसूस करते है यहां बहुत से सैलानी,विभागीय अधिकारी भी समय समय पर भ्रमण कर शहर के मध्य स्थित एक मात्र औषधि उद्यान का अवलोकन कर अपनी जिज्ञासा शांत करते है तथा हर्बल उद्यान की भूरि भूरि प्रशंसा करते है जाते समय वे आपने क्षेत्र, प्रदेश में ऐसे हर्बल उद्यान निर्माण  की परिकल्पना कर खुशी खुशी विदा होते है जो रायपुर वन मंडल के समस्त वरिष्ठ जिनमे सीसीएफ श्री जनक राम नायक साहब,डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब,एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी साहब सहित , रेंजर श्री सुधाकर राव शिंदे एवं मैदानी अधिकारी,कर्मचारियों के लिए बड़े ही गर्व का विषय है 

हर्बल उद्यान प्रभारी श्री राजीव माथुर  आगे बताते है कि हर्बल उद्यान के और विस्तार की आवश्यकता है जिसमे एक सौ पच्चीस प्रजाति के औषधि पेड़ पौधों के स्थान पर ढाई सौ औषधि पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है इसके लिए स्थान माकूल है क्योंकि हर्बल उद्यान में ही दो हेक्टेयर भूमि रिक्त है जिसका उपयोग किया जा सकता है वहां क्यारियों और बेड की संख्या में वृद्धि कर हर्बल उद्यान का विस्तार कर विलुप्त प्रजाति के जड़ी बूटी और औषधि युक्त पौधे लगा कर उन्हें संरक्षित किया जा सकता है सिंचाई व्यवस्था के संदर्भ में उद्यान प्रभारी श्री माथुर आगे बताते है कि एक बोर है जो सिंचाई के लिए पर्याप्त है वही श्रमिक भी पर्याप्त है जो नियमित उद्यान की व्यवस्था कार्य देखरेख,सुरक्षा कार्य को मुस्तैदी से पूर्ण कर रहे है  हर्बल उद्यान के विस्तार हेतु उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देश  का इंतजार किया जा रहा है हरी झंडी मिलते ही इस उद्यान की दशा और दिशा बदल जाएगी ऐसा उनका मानना है

सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

अपहृत इंजिनियर पवार की पत्नी से गृहमंत्री साहू ने की बात, बढ़ाया हौसला*

 *अपहृत इंजिनियर पवार की पत्नी से गृहमंत्री साहू ने की बात, बढ़ाया हौसला*

 सकुशल वापसी हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने के दिए निर्देश* 



रायपुर। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने प्रदेश के बीजापुर जिले के बेदरे थाना क्षेत्र अंतर्गत कैम्प नुगूर के समीप (इंद्रावती नदी पर पुलिया निर्माण कार्य के दौरान) नक्सलियों द्वारा कुछ दिन पूर्व अगवा किये गए इंजिनियर अशोक पवार की पत्नी सोनाली पवार से दूरभाष पर बात की और उनका हौसला बढ़ाया। साथ ही श्री साहू ने बस्तर आईजी पी सुन्दराज से भी इंजिनियर अशोक पवार व् मिस्त्री आनंद यादव की सकुशल वापसी के लिए अब-तक किये गए प्रयासों और संपूर्ण घटना क्रम पर विस्तृत चर्चा की और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

गृहमंत्री साहू ने नक्सली मुठभेड़ में अस्सिटेंट कमांडेंट की शहादत पर किया नमन*

 *गृहमंत्री साहू ने नक्सली मुठभेड़ में अस्सिटेंट कमांडेंट की शहादत पर किया नमन*



रायपुर।2022। प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बीजापुर जिले में सीआरपीएफ जवानों और नक्सलियों के बीच में हुए मुठभेड़ वीरगति को प्राप्त हुए अस्सिटेंट कमांडर बी एस तिर्की की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। श्री साहू ने कहा कि हमारे जवान अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए लगातार नक्सलियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन चला रहें है। हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और जल्दी हमारा प्रदेश नक्सल मुक्त होगा।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

पदोन्नति में आरक्षण खत्म के विरोध में सर्व आदिवासी समाज द्वारा कल मोहला बंद

 पदोन्नति में आरक्षण  खत्म  के विरोध में सर्व आदिवासी समाज द्वारा कल मोहला बंद 

रायपुर  मोहला में 4फरवरी  को फौव्हारा चौक मोहला में सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को खत्म किए जाने  के विरोध में  पूरा प्रदेश के साथ  मोहला बंद रख कर धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है सर्व आदिवासी समाज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर समस्त कर्मचारियों से निवेदन किया है कि आंदोलन को सफल बनाने  अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर आरक्षण के लिए एकजुट होकर संवैधानिक लड़ाई लड़े आदिवासी समाज  ने  अपील की है कि  कल 9 बजे फोव्हारा चौक मोहला में अपनी उपस्थिति दर्ज कर एक जुटता का परिचय दे।और आंदोलन को सफल बनाएं  आंदोलन के लिए प्रशासनिक   अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया है


   
 विनीत -सर्व आदिवासी समाज मोहला छत्तीसगढ़                             संपर्क सूत्र-अमित मंडावी-9589908750, युवराज कुंजाम 6261315327,करण जाड़े 9301654141,खेमन्त मंडावी 6263330468,भुवन ध्रुर्वा 9770469657

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

नाच बसंती गीत में शोएब ढेबर ने दिया बेहतरीन परफॉर्मेंस, पहला गीत मचा रहा धूम

 नाच बसंती गीत में शोएब ढेबर ने दिया बेहतरीन परफॉर्मेंस, पहला गीत मचा रहा धूम

रायपुर स्टार बॉय शोएब ढेबर का धूम मचाने वाला नाच बसंती सांग रिलीज हो चुका है इसके लिए एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था आयोजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मैग्नेटो मॉल में रखा गया था समारोह में रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज़ ढेबर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए मीडिया तथा एव उनके अन्य दोस्त चाहने वाले इस कार्यक्रम में शामिल हुए तीन मिनट के सॉन्ग नाच बसंती को बेहतरीन स्टाइलिश तरीके से फिल्माया गया जिसमें शोएब ढेबर मुम्बई की कलाकार स्नेहा गुप्ता सहित फैसल मियां फोटू वाला गोल्ड बॉयज बंटी एवं सन्नी आदि कलाकारों ने अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया है रिलीज होने के साथ ही नाच बसंती सॉंग जो है वोह तेजी से लोकप्रियता की ओर कदम बढ़ा रहा है राजधानी रायपुर की टॉकीजों और मॉल के सिनेमा हॉल में ये सॉन्ग धूम मचा रहा है  मूवी के इंटरवेल व अंत मे ये सॉन्ग जो है लोगों को दिखाया जा रहा है जो लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आ रहा है इस सांग को मुम्बई में फिल्माया गया है गायक कलाकार व एक्टिंग क़रने वाले अधिकांश कलाकार मुम्बई के ही है इन कलाकारों ने सॉन्ग के मुख्य करैक्टर शोएब ढेबर के साथ मे अपनी भूमिका को निभाया है अपने पहले ही सांग शोएब ढेबर एक मंझे हुए अभिनेता के रूप में उभर के सामने आए है



 सॉन्ग के म्यूज़िक के साथ ही शोएब के डांस इस्टेप व एक्टिंग दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती है छत्तीसगढ़ का होनहार कलाकार शोएब  ढेबर का यह  पहला  गीत है मुम्बाई में फिल्माया गया गीत की लोकप्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि गीत  को अब तक यू ट्यूब में बारह लाख से ऊपर दर्शकों ने देखा और लुत्फ उठाया शोएब ढेबर एक प्रतिभाशाली व्यक्ति है उन्हें शुरू से ही फिल्मों में अदाकारी करने का शौक रहा है और इस क्षेत्र में वे अपनी पृथक पहचान बनाने जुटे हुए है शीघ्र ही वे दूसरे अन्य प्रोजेक्ट में काम कर  सकते है ऐसा उनके नज़दीकी सूत्रों से ज्ञात हुआ है