वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में पांच करोड़ का घोटाला- मामला दबाने 35 लाख में सेटलमेंट
अलताफ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) वन विभाग का अनुषांगिक धड़ा वन विकास निगम वैसे तो अनेकों भ्रष्टाचार घोटाला और फर्जीवाड़े को लेकर सदैव सुर्खियों में रहा है परन्तु अब जो फर्जीवाड़ा कर घोटाले को अंजाम दिया गया है वह हतप्रभ करने वाला आया है वह भी लाख दो लाख नही बल्कि पांच करोड़ से ऊपर का खेला हो गया और किसी को कानों कान खबर नही मामला तब प्रकाश में आया जब बार नवापारा परियोजना मण्डल के डीएम आईएफएस अधिकारी शशि कुमार रोपण क्षेत्र का भौतिक मूल्यांकन हेतु गए जहां पर उन्होंने पाया कि जहां सौ हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन होना था वहां केवल बीस हेक्टेयर में ही प्लांटेशन किया गया वहां भी तीन वर्ष के व्यवस्थापन सुरक्षा,देखरेख, के आभव में दस से पन्द्रह प्रतिशत ही रोपण दिखायी दिया क्योंकि वन अधिनियम में यह स्पष्ट है कि कम से कम प्लांटेशन के रोपण क्षेत्र में अस्सी प्रतिशत रोपण शेष रहना चाहिए तभी उस प्लांटेशन को सफल माना जाता है परन्तु यहां अस्सी क्या पन्द्रह से बीस प्रतिशत ही रोपण दिखाई दिया जो सीधे सीधे फेल्वर एवं असफल माना जाता है बताते चले कि वन विकास निगम राजनांदगांव के पानाबरस परियोजना मंडल अंतर्गत मोहला परिक्षेत्र,घोसटोला परिक्षेत्र एवं मिस्पिरि परिक्षेत्र में वर्ष 2019-20-21को औद्योगिक वृक्षारोपण के तहत सागौन,सहित मिश्रित प्रजाति के प्लांटेशन किया गया था जहां सौ एकड़ भूभाग में सागौन एवं मिश्रित प्रजाति के पौधा रोपण किया जाना था वहां उपरोक्त परिक्षेत्रों में एक तो कम भूभाग में प्लांटेशन किया गया उस पर प्लांटेशन क्षेत्र में प्रतिवर्ष किए जाने वाले कैज्युवलटी सहित निंदाई गुढाई,दवा,खाद,थाला बनाने जैसे कार्यों के लिए मिलने वाली राशि भी गड़बड़, घोटाले की भेंट चढ़ गई आज स्थिति यह है कि पूरा प्लांटेशन क्षेत्र उजड़ा.. चमन सा...प्रतीत हो रहा है मामला तब प्रकाश में आया जब भौतिक सत्यापन जो कि प्रतिवर्ष वन विकास निगम के पृथक परियोजना मंडलों से डीएम डीडीएम,सहित रेंजर स्तर के अधिकारीयों द्वारा कराया जाता है तथा वे ही भौतिक मूल्यांकन के दस्तावेजों में सही हस्ताक्षर कर सफल असफल प्लांटेशन होने का सत्यपन पत्र में हस्ताक्षर करते है जो अनवरत तीन वर्षों में अन्य परियोजना मंडल के अधिकारियों द्वारा फर्जी एवं झूठा मूल्यांकन कर सत्यपन पत्र में सही हस्ताक्षर कर प्लांटेशन सफल होने का दस्तावेज प्रदाय कर दिया गया एक प्रकार से देखा जाए तो मूल्यांकन करने गए अधिकारी वन विकास निगम को धोखे में रखकर निरीक्षण के एवज में बड़ी राशि लेकर अपना पौ बारह करते रहे तथा उपरोक्त प्लांटेशन क्षेत्र मोहला,घोसटोला,मिस्प्रि परिक्षेत्रों को सफल प्लांटेशन का सत्यापित पत्र दे दिया गया जब बार नवापारा परियोजना मंडल के मंडल प्रबंधक आईएफएस अधिकारी शशि कुमार अपने सोलह सदस्यीय टीम के साथ कथित प्लांटेशन परिक्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन एवं सत्यापन हेतु पहुंचे तब वहां प्लांटेशन के स्थान पर चटियल मैदान नज़र आया तब जाकर मामले का खुलासा हुआ मजे की बात यह है कि वन विकास निगम के प्रदेश भर के प्लांटेशनों का यही हाल है अति विश्वसनीय विभागीय सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि कथित तीनों क्षेत्रों में सम्पादित प्लांटेशनो से तात्कालिक वन विकास निगम कर्मियों द्वारा लगभग पांच करोड़ रुपये से ऊपर का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाने का आंकलन जानकारों द्वारा किया गया है यही नही आईएफएस अधिकारी डीएम शशि कुमार बार नवापारा परियोजना मण्डल द्वारा अपनी रिपोर्ट उच्च स्तर पर भी सौंप दी जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूर्व वर्षों में समस्त प्लांटेशन रोपण क्षेत्रों का भौतिक मूल्यांकन करने वाले अधिकारियों से लेकर मैदानी अमले के रेंजर सहित कर्मचारियों को अटल नगर नवा रायपुर स्थित वन विकास निगम मुख्यालय में तलब किया गया जहां सब से पूछ ताछ की गई जिसमे संलिप्त लगभग सभी कर्मचारियों की घिग्घी बंध गई है बताया जा रहा है कि यदि इन पर जांच की आंच आती है तो कई आधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे परन्तु अंदर खाने से यह भी खबर छन कर सामने आ रही है कि वन विकास निगम में अंगद की पांव की तरह पैर जमाए एवं निगम के खजाने में कुंडली मारकर बैठे सेवानिवृत्त तथा वर्तमान में संविदा नियुक्त प्रबंध वित्त लेखा अधिकारी भोजराज जैन मामले की लीपापोती करने लामबद्ध है क्योंकि उच्च स्तरीय कार्यवाही की बात आने से कई अधिकारियों की रात की नींद उड़ गई है तब उन्होंने गड़बड़ घोटाले में संलिप्त समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि तुम लोग पैसों का इंतज़ाम करो मैं मामले को सम्हालता हूं अंदर से खबर यह भी मिल रही है कि मामले की लीपापोती के लिए समस्त कर्मियों से पैंतीस लाख रुपये में सैटलमेंट हो रहा है अब लेनदेन में कितनी सच्चाई है यह तो वन विकास निगम के संलिप्त अधिकारी,कर्मचारी,एवं भोजराज जैन ही जाने क्योंकि यह सब अंदर की बात है जबकि देखा जाए तो वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मंडल का यह मामला बहुत ज्यादा संगीन एवं अक्षम्य है यदि वन अधिनियम के तहत विधिवत इस पर कार्यवाही होती है तो बहुत से अधिकारी कर्मचारी सीधे नौकरी से बाहर किए जा सकते है लेकिन जब तक भोजराज जैन जैसे तीक्ष्ण बुद्धि वाले अधिकारी वन विकास निगम में रहेंगे तब तक ऐसे गड़बड़ घोटाले बाजों को बचाने नए नए हथकंडे अपनाए जाते रहेंगे क्योंकि ज्ञात हुआ है कि उन्होंने संलिप्त अधिकारी,कर्मचारियों से स्पष्ट पूछा है कि किसी दस्तावेज में उन्होंने कोई हस्ताक्षर या सही तो नही किया है ? प्रत्युत्तर में संलिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों ने नन्दी बैल की तरह न में सिर हिला कर समवेत स्वर मे हस्ताक्षर या सही नही करना बताया है वही वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि मामले को सुलझा लूंगा,, तुम लोग पैतीस लाख तैयार रखो ... मैं उस रिपोर्ट को झूठा साबित कर दूंगा ...तुम लोग स्वयं जाकर अपने अपने प्लांटेशन क्षेत्रों का दौरा करके मुझे गणना मूल्यांकन की सत्यापित रिपोर्ट प्रस्तुत करो मैं बाकी सब सम्हाल लूंगा ? अब सवाल उठता है कि क्या एक आईएफएस अधिकारी के द्वारा दी गई रिपोर्ट को अमान्य कर उन्ही रेंजरों और मैदानी अमले को जो उपरोक्त गड़बड़ घोटाले में संलिप्त है को गणना कर भौतिक मुल्यांकन कर सत्यापित दस्तावेज बनाने का जिम्मा दिया जा सकता है ? क्या एक जिम्मेदार आईएफएस अधिकारी के द्वारा प्लान्टेशनों का भौतिक मूल्यांकन झूठी एवं फर्जी हो सकती है ? यह बात कुछ गले नही उतरती आईएफएस अधिकारी शशि कुमार जिनका हाल ही रेग्युलर फॉरेस्ट दुर्ग डिवीजन में तबादला हुआ है वे यदि अकेले भौतिक मूल्यांकन हेतु गए होते तो एक बार प्रस्तुत रिपोर्ट को लेकर सन्देह व्यक्त किया जा सकता था परन्तु अपने सोलह सदस्यीय टीम के साथ उन्होंने भौतिक मूल्यांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमे उन सोलह सदस्यों के भी हस्ताक्षर होंगे जो बिना विरोधाभास के रिपोर्ट सत्य मानी जा सकती है हालांकि इस संदर्भ में कुछ जानकारों का कथन है कि मैदानी अमले में रेंजर सहित अन्य कर्मचारी इतने बड़े घोटाले को बगैर किसी अधिकारी के शह पर कर ही नही सकते वही कुछ कर्मी दबी जुबान से पूर्व सेवानिवृत प्रबंध संचालक एवं सोमादास मैडम के कार्यकाल से ही गड़बड़ घोटाला किए जाने का अंदेशा व्यक्त कर रहे है जबकि वर्तमान पानाबरस परियोजना मंडल के डीएम ए के पाठक को आए एक वर्ष भी नही हुआ उन्हें भी धोखे में रख कर कार्य संपादित किया गया परन्तु यहां वह उक्ति चरितार्थ होती नजर आ रही है कि चोर चोरी से जाए...पर सीना जोरी से न जाए..कथन आशय यह है कि सारे भ्रष्टासुर कर्मी एक होकर ईमानदार अधिकारियों को लपेटने में कोई गुरेज नही करते फिर भी गड़बड़ घोटाला तो हुआ है जो वन विकास निगम के संपूर्ण प्रदेश के प्लान्टेशनों का यदि सूक्ष्मता से निष्पक्ष जांच की जाती है तो कई अधिकारी कर्मचारी लपेटे में आएंगे क्योंकि गड़बड़ घोटाले के इस बेहद संगीन मामले को गुपचुप तरीके से सैटलमेंट करने की कवायद जो चल रही है गौर तलब यह भी है कि गत वर्षों में किए गए गड़बड़ घोटाला पर यदि वविनि समस्त संलिप्त अधिकारी, कर्मचारियों से रिकवरी करता है तो वह कई लाखों में होगी जो पांच करोड़ रूपये के ऊपर जा सकती है अब इस गंभीर प्रकरण में ऊपर बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते है यह अब आगे देखना होगा फिर भी इस संदर्भ में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ संलिप्त कर्मियों से वास्तविकता जानने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल कव्हरेज एरिया से बाहर आया शीघ्र ही इस घोटाले के और भी बड़े खुलासे भविष्य में किए जाएंगे
 
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