सोन डोंगरी प्राकृतिक उद्यान पर्यटन के साथ राहत की सांस देगा,तो हर्बल उद्यान रक्षा कवच बनेगा
अलताफ हुसैन
छग वनोदय, अनवरत बढ़ते मानव निर्मित कांक्रीट के जंगल उसपर आसपास उद्योगों और कल कारखानों की दहकती चिमनियों से उगलते काले हानिकारक जानलेवा धुंए जो किसी भी स्वस्थ्य मानव के फेफड़ों की धमनियों को क्षतिग्रस्त कर व्याधिग्रस्त कर सकता है अनेक लाइलाज बीमारीयों से मानव जीवन त्रस्त हो सकता है ऐसे वातावरण को शुद्ध एवं स्वच्छ जलवायु निर्मित करने का महती बीड़ा उठाया है प्रदेश का वन जलवायु परिवर्तन विभाग ने जो बढ़ते शहरीकरण के नव निर्मित मकानों और गगन चुंबी इमारतों के मध्य भी मानव जीवन के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उन्हें स्वच्छ निर्मल वातावरण प्रदान करने की कवायद में जुटा हुआ है इसके लिए ऐसे पड़त भाटा भूमि का चयन कर वृक्षारोपण कर रहा है कि आम जन का जीवन घुटन भरे माहौल में स्वच्छ एवं शुद्ध आक्सीजन के साथ राहत की सांस ले सके एव स्वस्थपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके इस प्रकार के ही सर्वाधिक प्रदूषण युक्त क्षेत्र राजधानी रायपुर के भनपुरी उरला औद्योगिक नगरी से सटा इलाका सोन डोंगरी को भी माना जाता है
जहाँ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तथा औद्योगिक वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत व्यवस्थापित किए गए ऐसे अनेक निम्न,एवं मध्यम परिवारों के बसाहट के साथ क्षेत्र में बढ़ती गहमागहमी को ध्यान में रखते हुए विभाग एक वृह्द भूभाग में ऐसे प्राकृतिक वन उद्यान का निर्माण कर रहा है जो स्थानीय निवासियों के लिए वरदान साबित हो उल्लेखनीय है कि औद्योगिक नगरी उरला,भानपुरी जैसे आसपास क्षेत्रों में स्थापित उद्योग के चिमनियों से निकलते काले हानिकारक युक्त धुंए से बहुत से मानव जीवन के स्वस्थ्यगत सहित खानपान एवं रहन सहन पर भी लगातार व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा था प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उनके स्वस्थ्यगत कारणों को बड़ी संवेदनशीलता से संज्ञान लिया तथा प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्मित करने एवं जहरीले,हानिकारक तत्वों को अवशोषित करने के उद्देश्य से एक बड़े भूभाग में वर्षों से धीमी गति से चल रहे एवं एक प्रकार से थम चुके ऐसे औद्योगिक वृक्षारोपण कार्यक्रम को गतिशील करने सख्त दिशा निर्देश दिए इस दौरान वन विभाग के मैदानी अमले ने चुस्ती दिखाते हुए हरियाली विस्तार करने का जो बीड़ा वर्षो पूर्व उठाया था उसे वर्तमान सरकार के दिशा निर्देश एवं उच्च अधिकारियों के कुशल मार्ग दर्शन में रुके थमे ऐसे कार्यों को अब शनैः शनैः अपने वास्तविक धरा पर लाने कटिबद्ध नज़र आ रहा है तथा लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए ऐसे रिक्त पड़त भाटा भूमि में सुव्यवस्थित ढंग से वृक्षारोपण कर उसे बाग,बगीचे,उद्यान, गार्डन, और वनों समदृष्य विस्तार कर जन हित मे कार्य संपादित कर रहा है ताकि आम जन को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त स्वस्थ्य वातावरण जीवनदायिनी के रूप में प्राप्त हो अब देखने में आ रहा है कि ऐसे थमे,रुके कार्य क्रमबद्ध सुनोयोजित तरीके से उद्यान और वनों सदृश्य आकार ले रहे है एवं प्रदूषित वातावरण एवं परिवेश में बढ़ती हरियाली के मध्य शुद्ध आबो हवा के साथ स्वच्छ निर्मल ऑक्सीजन का लाभ ले रहे है जिसकी वजह से आसपास निवासरत लोगों में छग वन जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा सराहनीय निर्मित विकासपूर्ण कार्य को लेकर परिचर्चा भी अनवरत की जा रही है कि कल कारखानों की भोंपू की कानफोड़ू आवाज़ एवं चिमनियों की गगनचुंबी मीनारों से निकलते रसायनिक युक्त काले जहरीले धुंए वाले प्रदूषण क्षेत्र सोन डोंगरी में प्रदेश सरकार का वन विभाग के उक्त हरीतिमा युक्त मानवीय पहल ने आम मानव जीवन को शुद्ध ऑक्सीजन देने का जो पुण्य कार्य संपादित किया है वह अब एक बेमिसाल उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है
एक प्रकार से विभाग मानव को प्राकृतिक से साक्षात दर्शन करवा रहा है यही वजह है कि विभाग भी जनभावना का सम्मान करते हुए सोन डोंगरी क्षेत्र में उक्त संपादित किए जा रहे वृक्षारोपण क्षेत्र का नाम भी प्राकृतिक दर्शन उद्यान के रूप में अंकित कर दिया है जबकि दस वर्षों के लंबे निर्माण संबंधि अवधि और विलंब के संदर्भ में आसपास के रहवासियों से यह बात सामने आई है कि पूर्व में मानव परिवार एवं आबादी न के बराबर थी परन्तु शहरों से बेदखल और लगातार व्यवस्थापित किए गए परिवारों की आमद से सोनडोंगरी क्षेत्र सघन आबादी का रूप ले चुका है जिनके स्वास्थ्य की लागतार चिंता करते हुए रायपुर वन मंडल के अंतर्गत रायपुर परिक्षेत्र के द्वारा भी ऐसे रुके कार्यों को पूर्ण किए जाने तत्परता दिखाते हुए कटिबद्ध है तथा आज सोन डोंगरी स्थित प्राकृतिक दर्शन उद्यान के चुनौती पूर्ण कार्य अपने अंतिम चरण में पूर्ण कराए जाने हेतु रायपुर वन मंडल के अधिकारी और मैदानी कर्मचारी बड़ी चुस्ती दुरुस्ती के साथ मुस्तैद है इस संदर्भ में जब हमने रायपुर वन मंडल के परिक्षेत्राधिकारी श्री सुधाकर राव शिंदे जो परिपक्व अनुभवी, प्रतिभावान,कर्तव्यनिष्ठ एवं कार्यों के प्रति समर्पित अधिकारी है से प्राकृतिक दर्शन उद्यान सोन डोंगरी के सन्दर्भ में जानकारी ली तो उन्होंने उत्साह के साथ बताया कि प्राकृतिक उद्यान को मानव जीवन को बेहतर प्राकृतिक परिवेश एवं शुद्ध वातावरण प्राप्त हो सके इसके लिए निर्माण किया जा रहा है वर्ष 2010-11 से कुल 32 हेक्टेयर भूमि पर उद्यान निर्माण किया जाना था परन्तु मध्य में सड़क निर्माण की वजह से प्राकृतिक उद्यान अब नौ हैक्टेयर क्षेत्र में ही निर्मित किया गया जिसमे सभी प्रकार की व्यवस्था की जा रही है
प्रभारी परिक्षेत्राधिकारी श्री सुधाकर राव शिंदे ने बताया कि प्रदूषित क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए आक्सीजोन कि दृष्टिकोण से प्राकृतिक उद्यान का निर्माण किया जा रहा है जहां बच्चों के खेलकूद फिसलपट्टी सहित अन्य उपकरण निर्माणाधीन है सोन डोंगरी के इस प्राकृतिक उद्यान में फलदार,छायादार,सहित अनेक इमारती काष्ठों वाले सैकड़ों देशी प्रजाति के वृक्षों का क्रमबद्ध वृक्षारोपण किया गया है मध्य में पथवे निर्माण है जहां आकर्षक पेवर्स ब्लॉक लगाए गए है आसपास भिन्न भिन्न प्रजाति के फलदार,फूलदार,सायादार पेड़ जिनमे आम,जाम, जामुन,बेल,कटहल,पीपल,बरगद,नीम जैसे पौधे जो पर्यटन हेतु आए लोगों को मनोरम दृश्य अपनी ओर आकर्षित करेगा ही साथ ही पर्यटकों को स्वतः प्रकृति के समीप होने का सुखद अनुभूति भी प्रदान करेगा अवकाश एवं अन्य दिनों में पारिवारिक वातावरण के साथ उद्यान मे नैसर्गिक प्राकृतिक लुत्फ उठाने के उद्देश्य से विभाग ने मध्य में पगोडे निर्मित किए हुए है साथ ही लॉन बनाए गए है वही मध्य में तालाब निर्माण किया गया है जहां नौका विहार जैसे मनोरंजन के साधन मुहैय्या किए जाने वाले प्रस्ताव भी है फिलहाल तालाब निर्माण एवं आसपास क्षेत्र को आकर्षक रूप प्रदान करने कार्य किए जा रहे है वही आईपीडी योजना के तहत औधौगिक घरानों से सामाजिक उत्तरदायित्व निर्वहन हेतु उनसे भी सहयोग लिए जाने की बात कही है रायपुर वन मंडल परिक्षेत्र के रेंज प्रभारी श्री सुधाकर राव शिंदे आगे बताते है कि फिलहाल प्राकृतिक उद्यान के गेट का जीर्णोद्धार किया गया है इसे आकर्षक लकड़ी के डिजाइन में गेट निर्माण किया गया है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है उन्होंने बताया कि जैसे जैसे विभाग इस ओर बजट आबंटित करेगा वैसे वैसे इसका निर्माण शीघ्र किया जाएगा उन्होंने आगे बताया कि सीसीएफ जनक राम नायक डीएफओ विश्वेश कुमार झा एवं एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी का मार्गदर्शन एवं सहयोग समय समय पर मिलता है प्राकृतिक दर्शन उद्यान का विस्तार उनके ही दिशा निर्देश पर किया जा रहा है जिसके शीघ्र पूर्ण होने की बात उन्होंने बताई
श्री शिंदे आगे बताते है कि वर्तमान में कैम्पा मद से बाउंड्री वॉल का कार्य संपादित किया गया है श्री शिंदे प्राकृतिक उद्यान के बारे में कहते है कि इसका निर्माण भी एक मॉडल उद्यान के रूप किया जा रहा है जैसे नक्षत्र वाटिका,मुक्तांगन,जंगल सफारी, नेचर सफारी मोहरेंगा की तर्ज पर इसका विस्तार किया जा रहा है भविष्य में पर्यटक,भ्रमणकारी, एवं छात्र छात्राएं शोध कार्य हेतु प्राकृतिक उद्यान में प्राकृतिक दर्शन लाभ के लिए आएंगे ऐसा उनका कथन है उन्होंने आगे बताया इसे पर्यटकों के सोच के अनुकूल निर्माण किया जा रहा है इसमें लक्ष्मण झूला, बाल उद्यान, की तैयारी वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश,और मार्गदर्शन के किया जा रहा है
सोन डोंगरी स्थित प्राकृतिक दर्शन उद्यान के संदर्भ में सहायक परिक्षेत्राधिकारी श्री संतोष कुमार सामंत राय जिन्होंने वर्ष 2007 से फॉरेस्ट गार्ड के रूप में अपनी विभागीय सेवाकाल प्रारंभ की थी तथा वे विभाग में रहते हुए लगभह 13 वर्षों से वानिकी एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण, संवर्धन में अपनी विशेष सेवाएं दी है उन्होंने बताया कि भविष्य में उक्त प्राकृतिक उद्यान पर्यटन के रूप में विकसित होगा जो बेहद आकर्षक होगा यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध की जा रही है प्राकृतिक उद्यान क्षेत्र में मिश्रित प्रजाति के पेड़ पौधों के अलावा एक बड़े भूभाग में फलदार वृक्ष रोपे गए है जिनमे अब मौसमी फल भी लगने प्रारंभ हो गए है उनमें मुख्यतः आम जाम,जामुन, करौंदा,,चीकू,रामफल,शहतूत,बेल,प्रमुख है उद्यान में बच्चों के मनोरंजन हेतु खेलकूद उपकरण लगाए गए है पारिवारिक वातावरण में प्राकृतिक की सुखद अनुभूति हेतु मध्य में पगोडे निर्माण किए गए है 9 एकड़ भूमि के अधिकांश हिस्सों में पथवे बने है जो तालाब सहित अन्य भागों को जोड़ता है एक प्रकार से यह प्राकृतिक उद्यान भविष्य में आम लोगों के पर्यटन हेतु आकर्षण का केंद्र बिंदु बनेगा पर्यटन स्थल के दृष्टिकोण से ही प्राकृतिक उद्यान का निर्माण तेज गति से जारी है उन्होंने बताया कि सीसीएफ जनकराम नायक एवं ऊर्जावान डीएफओ विश्वेश कुमार झा साहब के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में बहुत कुछ सीखने मिल रहा है ये अधिकारी मेरे प्रेरणा स्त्रोत है वैसे पूर्व में छोटे मोटे प्लांटेशन जैसे स्कूलों और विधान सभा कंपाउंड में वृक्षारोपण कार्य सहित अनेक क्षेत्रों में कार्य अनुभव मिलता रहा परन्तु उपरोक्त महानुभव अधिकारियों के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में कुछ नया करने का अवसर प्राप्त हो रहा है जिसे बड़ी कर्तव्य निष्ठा एवं तत्परता पूर्वक निर्वहन किया जा रहा है जिसके सार्थक परिणाम अब सामने आ रहे है वही सेवानिवृत्त के कगार पर पहुंच चुके
रायपुर वन मंडल परिक्षेत्राधिकारी श्री सुधाकर राव शिंदे के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहते है कि शिंदे साहब से भी वानिकी, वृक्षारोपण एवं विभागीय कार्यों को करने की सीख और प्रेरणा मिली है सहायक परिक्षेत्राधिकारी एस. के.सामंत राय आगे कहते है कि विभाग में रहते हुए वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं संरक्षण संवर्धन में विशेष रुचि है यही वजह है कि वे नोवा नेचर संस्था से अनवरत संलग्न है जिनके सक्रिय सदस्य चेतन भाई,मोइज अहमद के कुशल कार्यप्रणाली के चलते बहुत से वन्य प्राणियों जिनमे सांप, अजगर बंदर सहित अन्य वन्य प्राणी सम्मिलित है उनका रेस्क्यू कर जंगल सफारी सहित आसपास वन क्षेत्रों में छोड़ चुके है सहायक परिक्षेत्राधिकारी श्री सामंत राय आगे बताते है कि वन्य प्राणियों का शहर की ओर पलायन करना बढ़ते कांक्रीटीकरण,लगातार वनों में मानव का दखल, एवं वनों का विदोहन है जिसकी वजह से वन्य प्राणी खाद्य पदार्थ की लालसा एवं भूख प्यास की पूर्ति हेतु जंगल को छोड़ शहरों का रुख करने विवश है तथा अकाल मृत्यु के ग्रास बन रहे है इनके पुनर्वास के लिए ही वन विभाग ऐसे बिगड़े वन,वृक्षारोपण कार्य निष्पादित कर उनके रहवास पुनरुत्थान हेतु नई नई योजनाओं के माध्यम से वनों के संरक्षण कर संवर्धित किया जा रहा है श्री सामंत राय आगे कहते है कि यदि वनों के अस्तित्व को बचाना है तो सर्वप्रथम जनता को जागरूक होना अनिवार्य है जब तक पेड़ पौधे,वनों को बचाने जन जागरूकता एवं जनभागीदारी सुनिश्चित नही होती तब तक पेड़ पौधों और वनों को बचाना असंभव है डिप्टी सामंत राय आगे कहते है कि इस ओर विभाग द्वारा बेहतर पहल और प्रयास किए जा रहे है संपूर्ण प्रदेश के प्राकृतिक वनों,वृक्षारोपण क्षेत्रों और प्लान्टेशनों को कैम्पा मद से वॉल एवं तार,पोल फेंसिंग कार्य से सुरक्षित करने का महती कार्य संपादित किया गया कैम्पा मद से ही वनों में जल संरक्षण हेतु एनीकट,बांध,नाली का सृजन किया जा रहा है इससे वन्यप्राणीयों को ग्रीष्म ऋतु में भी जल उपलब्ध हो सकेगा साथ ही आसपास ग्रामीणों को भी रोजगार उपलब्ध होगा इस तारतम्य में प्रदेश के वन मंत्री श्री मो.अकबर की पहल एवं पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी के कड़े दिशा निर्देश का परिणाम है कि प्रदेश भर के वन क्षेत्रों को सीमेंट पत्थर वॉल, लोहे के एंगल,तार,एवं सीमेंट पोल से संरक्षित किया गया जिससे वन क्षेत्र सुरक्षित हो संरक्षित हो रहे है
श्री सामंत राय आगे बताते है कि वनों के संरक्षण हेतु रायपुर वन मंडलाधिकारी श्री विश्वेश झा साहब ने बेहतर नए दिशा निर्देश जारी किए है कि किसी भी संपादित किए जाने वाले प्लांटेशन एवं बिगड़े वनों के भूमि की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पहले स्थानीय कलेक्टर से ऑरेंज या पड़त भाटा भूमि जहां प्लांटेशन किया जाना है में लिखित परमिशन लिए जाएं ताकि भविष्य में किसी प्रकार के औद्योगिक अथवा अन्य प्रयोजन हेतु प्लांटेशन अथवा वन भूमि को कटाई, विदोहन से बचाया जा सके इस ओर श्री विश्वेश झा के कड़े निर्देश है कि वन भूमि का लिखित पत्र,आदेश लेकर ही प्लांटेशन,वृक्षारोपण किया जाए वही बढ़ते प्रदूषण एवं असन्तुलित होते जलवायु को लेकर श्री सामंत राय का निजी मत है कि बढ़ते शहरीकरण और घटते वनों की दिशा में सरकार को यह आदेश जारी कर देना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति अथवा भवन स्वामी अपने भवन के समक्ष कम से कम दो पेड़ अवश्य लगाए तथा उसकी देखरेख,सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जाए ताकि प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्मित किया जा सके लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का परिणाम है कि ओजोन परत में बढ़ रहे छिद्र की वजह से ही सूर्य की पैरा बैगनी किरणों का दुष्प्रभाव सीधे प्रकृति एवं मानव जीवन पर पड़ रहा है पिघलते गैलेशियर उसी के परिणाम है ऐसे प्राकृतिक आपदाओं को केवल पेड़ पौधे,प्लांटेशन,वृक्षारोपण एवं वनों को जनभागीदारी के माध्यम से संरक्षण संवर्धन कर रोका जा सकता है डिप्टी सामंत राय ने आगे बताया कि प्राकृतिक ने मानव जीवन को फल फूल से लेकर औषधि तक प्रदान किए हुए है यदि इसकी उपयोगिता का भान मानव को हो जाए तो पेड़ पौधों के जड़,छाल, से लेकर फूल,फल,बीज, यहां तक उनके पत्ते भी अमृत तुल्य है इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए रायपुर वन मंडल अंतर्गत शहर के पं. रवि शंकर शुक्ल विश्व विद्यालय के आयुर्वेदिक कॉलेज क्षेत्र में लगभग सात हेक्टेयर भूभाग में केवल ढाई सौ बेड में एक सौ पच्चीस मिश्रित प्रजाति के औषधियुक्त पेड़ पौधों का सफल हर्बल उद्यान आज से लगभग ग्यारह वर्ष पूर्व किया गया था जिसमे अनेक जीवनदायिनी पेड़ पौधे ऋतु अनुसार लगाए जाते है जिसका लाभ शोधार्थी सहित बहुत से व्याधिग्रस्त मरीज आज भी उठा रहे है इस संदर्भ ने हर्बल उद्यान के प्रभारी वन पाल राजीव माथुर बताते है कि हर्बल उद्यान मानव जीवन के स्वास्थ्य से जुड़ा एकमात्र ऐसा उद्यान है जहां लगभग एक सौ पच्चीस प्रकार के भिन्न भिन्न प्रजाति के जड़ी बूटी उपलब्ध है
इसके उपयोग और लाभ के बारे में उद्यान प्रभारी राजीव माथुर बताते है कि आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में लगे होने के कारण यहां छात्र छात्राएं लगातार शोध के लिए आते है तथा कॉलेज के ही डॉक्टर मरीजों के किसी प्रकार के पत्ते का उपयोग अब चाहे वह हड्डी से संबंधित हो या कमर दर्द या उसके पीस कर सेवन का हो जिसके लिए बहुत से मरीज इसी परिसर में आकर लिखे गए पत्तों को ले जाते है और उससे लाभान्वित होते है उन्होंने आगे बताया कि अब तक ढाई हजार से ऊपर मरीज हर्बल उद्यान के पत्ते,जड़ी,बूटी, कहकर स्वास्थ्य लाभ उठा चुके है यही वजह है कि शुद्ध औषधियुक्त वातावरण निर्मित होने से बहुत से लोग प्रातःकाल भ्रमण सैर सपाटे के लिए भी उद्यान आते है एवं औषधि मिश्रित वायु से स्वयं को स्वस्थ्य महसूस करते है यहां बहुत से सैलानी,विभागीय अधिकारी भी समय समय पर भ्रमण कर शहर के मध्य स्थित एक मात्र औषधि उद्यान का अवलोकन कर अपनी जिज्ञासा शांत करते है तथा हर्बल उद्यान की भूरि भूरि प्रशंसा करते है जाते समय वे आपने क्षेत्र, प्रदेश में ऐसे हर्बल उद्यान निर्माण की परिकल्पना कर खुशी खुशी विदा होते है जो रायपुर वन मंडल के समस्त वरिष्ठ जिनमे सीसीएफ श्री जनक राम नायक साहब,डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब,एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी साहब सहित , रेंजर श्री सुधाकर राव शिंदे एवं मैदानी अधिकारी,कर्मचारियों के लिए बड़े ही गर्व का विषय है
हर्बल उद्यान प्रभारी श्री राजीव माथुर आगे बताते है कि हर्बल उद्यान के और विस्तार की आवश्यकता है जिसमे एक सौ पच्चीस प्रजाति के औषधि पेड़ पौधों के स्थान पर ढाई सौ औषधि पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है इसके लिए स्थान माकूल है क्योंकि हर्बल उद्यान में ही दो हेक्टेयर भूमि रिक्त है जिसका उपयोग किया जा सकता है वहां क्यारियों और बेड की संख्या में वृद्धि कर हर्बल उद्यान का विस्तार कर विलुप्त प्रजाति के जड़ी बूटी और औषधि युक्त पौधे लगा कर उन्हें संरक्षित किया जा सकता है सिंचाई व्यवस्था के संदर्भ में उद्यान प्रभारी श्री माथुर आगे बताते है कि एक बोर है जो सिंचाई के लिए पर्याप्त है वही श्रमिक भी पर्याप्त है जो नियमित उद्यान की व्यवस्था कार्य देखरेख,सुरक्षा कार्य को मुस्तैदी से पूर्ण कर रहे है हर्बल उद्यान के विस्तार हेतु उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देश का इंतजार किया जा रहा है हरी झंडी मिलते ही इस उद्यान की दशा और दिशा बदल जाएगी ऐसा उनका मानना है
 
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