गुरुवार, 28 जुलाई 2022

बार नवापारा अभ्यारण्य में अब काले हिरण कुलांचे भरते दिखेंगे...वन भैंसे की वंश वृद्धि के लिए उपाय जारी

बार नवापारा अभ्यारण्य - लगातार बढ़ रहे काले हिरणों की धमा चौकड़ी से बार की रौनक बढ़ी...वन भैंसे की वंश वृद्धि के लिए उपाय जारी

 (छत्तीसगढ़ वनोदय)वन का श्रृंगार वन्य प्राणी है विशेषकर कुलांचे भरते हिरण जब वन में परिलक्षित होते है तो मन भी प्रफुल्लित हो उठता है  इनकी उपस्थिति ही वन के सौंदर्य एवं वैभवता में चार चांद लगा देता है छत्तीसगढ़ के बहुत से ऐसे वन क्षेत्र है जहां पर इनकी उपस्थिति से वन का अस्तित्व बचा हुआ है तथा वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण संवर्धन हेतु राज्य सरकार भी बड़ी शिद्दत से उपाय कर रही है बार नवापारा अभ्यारण्य प्रदेश का ऐसा वन क्षेत्र अभ्यारण्य है जहां देश विदेश से पर्यटक यहां की प्राकृतिक आभा को नजदीक से महसूस करने दर्शनार्थ हेतु आते है क्योंकि यहां चार सदी से ऊपर वन क्षेत्र को संरक्षित कर यहां के वन्य प्राणियों की सुरक्षा का महती दायित्व वन विभाग अपने स्तर पर कर रहा है यही नही बारनवापारा अभ्यारण्य प्रबंधन क्षेत्रो से विलुप्त होते वन्य प्राणियों को देश के अन्य राज्यों से लाकर यहां इनकी (वन्य प्राणियों)  भरपाई एवं उनके रहवास की समुचित व्यवस्था पर भी जोर दे रहा है ताकि क्षेत्र में वन्य प्राणियों के स्वतंत्र विचरण करते हुए पर्यटक दर्शन लाभ उठा सकेइसके लिए बार नवापारा अभ्यारण्य प्रबंधन ने काले हिरण अर्थात कृष्ण मृग को दिल्ली ज़ू सहित बिलासपुर के कानन पेंडारी से मंगवाया  है जिनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है इस संदर्भ में बार अधीक्षक आनंद कुदरिया बताते है कि कृष्ण मृग के यहां तक लाने बड़ी मशक्कत करनी पड़ी मगर वर्ष भर पूर्व लगभग सत्तर से ऊपर काले हिरण यहां दिल्ली जू से मंगवाए गए थे परन्तु समस्या इस बात को लेकर थी कि वे यहां के जलवायु,वातावरण को अंगीकार कर पाएंगे की नही क्योंकि किसी भी प्रदेश से लाए जाने वाले वन्य प्राणी परिवर्तित वातावरण एवं जलवायु क्षेत्र में लाने पर उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा उनकी मृत्यु भी संभावित होती है बार अधीक्षक आनंद कुदरिया साहब ने आगे बताया कि  जैसा हमने सोचा था वैसा ही काले हिरण के साथ हुआ क्षेत्र की नमीयुक्त भूमि पर उनके पग मिट्टी में धंसने लगे एवं खुर जो बहुत संकुचित एवं छोटा होता है वह क्षतिग्रस्त होने के साथ जख्म बन गए  घाव संक्रमित होकर  तथा विपरीत मौसम जो अति उष्ण कटि बद्ध क्षेत्र होने के कारण उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है इसका लाभ उठाते हुए आसपास के जंगली हिंसक वन्य प्राणियों द्वारा  इन्हें शिकार बना लिया जाता है बहुत से वन्य प्राणी  असमय काल कलवित हो जाते है तब हमने उनकी सुरक्षा के उपाय हेतु तात्कालिक सी सी एफ वन्य प्राणी सहित बलौदाबाजार के डी एफ ओ मयंक अग्रवाल साहब  से चर्चा की उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार हमने सभी काले हिरण को ऐसे वृहद भूभाग वाले सुरक्षित नुमा वनक्षेत्र स्थल पर छोड़ा जहां धसान क्षेत्र या नमीयुक्त मुलायम मिट्टी  कम था तब इसके हमे आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए तथा वे झुंड के अनुसार बार नवापारा के संरक्षित दायरे के पृथक क्षेत्र में स्वच्छंद भ्रमण करने लगे इस संदर्भ में बार नवापारा के ऊर्जावान युवा सोच रखने वाले,पर्यावरण,एवं प्रकृति प्रेमी  तात्कालिक परिक्षेत्राधिकारी, वर्तमान पदोन्नत एस डी ओ कृषालू चंद्रकार ने बताया कि मैं प्रारंभ से ही पर्यावरण एवं प्राकृतिक प्रेमी रहा हूँ शायद यही वजह रही कि सी.जी. पीएससी उत्तीर्ण के साथ ही मुझे अधिक वेतन के साथ अन्य स्थान में पोस्टिंग मिल रहा था



परन्तु मैंने कम वेतन वाले  वन विभाग का चयन किया क्योंकि प्रकृति प्रारंभ से मेरे मन मे रची बसी थी जंगल पहाड़,वन्य प्राणियों को देखना मुझे सुहाता था सो उन्होंने वन विभाग में सेवा देने का चयन किया तथा ईश्वर की कृपा भी ऐसी रही कि उन्हें बार अभ्यारण्य एवं उसके आसपास वन क्षेत्र में ही सेवा करने का प्रारंभिक सुअवसर मिला तथा वे वन क्षेत्र में सतत विकास के साथ नई योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करते रहे  तात्कालिक  परिक्षेत्राधिकारी वर्तमान एस डीओ श्री चंद्राकर ने आगे बताया कि श्याम मृग के बचाव हेतु  बार के ही वृहद भूभाग वाले संरक्षित क्षेत्र के स्थान में रखा गया ताकि  उनकी सुरक्षा के साथ खानपान पर वन कर्मी बराबर नज़र बनाए रखे इसके लिए प्रबंधन की ओर से वन क्षेत्र के एक बहुत बड़े भूभाग में लगभग एक से डेढ़ फीट रेत बिछाई गई कुछ समय पश्चात उसके आशातीत परिणाम सामने आने लगे  शनैः शनैः काले हिरण भय मुक्त संरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र में विचरण करने लगे तथा नैसर्गिक प्रजनन क्रिया से उनकी संख्या में भी लगातार वृद्धि होती रही बार तत्कालिक परिक्षेत्राधिकारी, वर्तमान एसडीओ  कृषाणु चंद्राकर  हर्ष व्यक्त करते हुए आगे बताते है कि आज काले हिरण की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई है इनके कुनबे की संख्या लगभग 150 से ऊपर पहुंच चुकी है जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है उन्होंने बताया कि नर व मादा व शावक काले हिरण अब बार नवापारा अभ्यारण्य में निर्भीक हो कर कुलांचे भरते पर्यटकों को परिलक्षित हो रहे है उनमें बहुत से नन्हे शावक भी है स्वच्छंद विचरण करते ये बार क्षेत्र से देवपुर सहित आसपास वन क्षेत्रों में अपनी आमद दर्ज कर चुके है

ज्ञातव्य है कि वन एवं जलवायु विभाग द्वारा  वर्ष पूर्व दिल्ली ज़ू सहित ग्वालियर,एवं बिलासपुर कानन पेंडारी जू से लगभग सत्तर काले हिरण मंगवाए गए थे  परन्तु  बलौदाबाजार वन क्षेत्र के समानान्तर एवं लाए गए काले हिरण के मिजाज के अनुकूल जलवायु एवं वातावरण की उपलब्धि सबसे बड़ी चुनौती थी इसके अलावा अभ्यारण्य के नमी युक्त दलदली मिट्टी होने के कारण कुछ काले हिरण के पैर चोटिल एवं संक्रमित हो रहे थे तथा कृष्ण मृग के ऊर्जा विहीन क्षीण गति होने के कारण हिंसक वन्य प्राणियों सहित ग्रामीण श्वानों  के द्वारा उन्हें क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जाता रहा था जो एक प्रकृति प्रक्रिया भी है  जिसकी वजह से अति संवेदनशील वन्य प्राणी  काले हिरण असमय काल ग्रास बने  तब इनके संरक्षण को लेकर वन प्राणी सीसीएफ सहित तात्कालिक बलौदाबाजार के मण्डलाधिकारी श्री कृष्ण राम बढई साहब से चर्चा कर उन के दिशा निर्देश पर उन परिवर्तित ऋतु एवं कारणों की सुरक्षात्मक दृष्टिकोण के समाधान पर कार्य करते हुए बार के वृहद भूभाग को  सुरक्षित किया गया जबकि वर्तमान  डी एफ ओ बलौदाबाजार मयंक अग्रवाल साहब ने विशेष परिस्थिति अनुसार व्यापक कदम उठाने दिशा निर्देश दिए जिस पर अक्षरा कार्य किया गया  विशेष कर दलदली क्षेत्र में रेतीली भूमि निर्मित किया गया कुछ समय पश्चात इसके आश्चर्यजनक परिणाम परिलक्षित हुए एक ही स्थान में रहने और परस्पर संपर्क के कारण इनकी वंश वृद्धि हुई


तब बार प्रबंधन ने काले कृष्ण मृगों को बार अभ्यारण्य क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में बीस बीस की संख्या में  छोड़ते गए तथा मुक्त वातावरण मिलने पर ये स्वयं ऐसे क्षेत्रों का चयन कर  विचरण करने लगे जो इन्हें सुरक्षित लगा  वर्तमान डीएफओ कृषालु चन्द्राकर ने बताया कि वंश वृद्धि के उद्देश्य से उस समय संरक्षित वन क्षेत्र  मे लगभग तीस की संख्या में काले नर व मादा हिरण को रखा गया है ताकि प्राकृतिक सहवास पश्चात इनकी वंश वृद्धि हो सके तात्कालिक बार परिक्षेत्राधिकारी एवं वर्तमान डी एफ ओ  कृषाणु चंद्राकर आगे बताते है कि कृष्ण मृग काफी संवेदनशील एवं नाजुक प्राणी होते है मानव स्पर्श मात्र से ये भयभीत होकर थरथर कांपते है इसलिए इन्हें मानव संपर्क से दूर रखा जाता है   इसके अलावा आसपास क्षेत्र भी प्राकृतिक रूप से हरे घास का चराई क्षेत्र है एवं बार अभ्यारण्य  प्रबंधन की ओर से भी हरे चारागाह विस्तार कर नियमित व्यवस्था की गई है बार क्षेत्र के बहुत से ही घास क्षेत्रों का चयन कर विकासित किए गए है ताकि उनके खानपान में कोई कमी न हो इसके लिए ग्रास लैंड की योजना लगातार बार क्षेत्र में विभिन्न हिस्सों में विकसित की गई है इस संदर्भ में बलौदाबाजार वन मंडल के वर्तमान डीएफओ मयंक अग्रवाल ने बताया कि बार क्षेत्र में लगभग तीस से ऊपर विभिन्न प्रजाति के घास का रोपण करने की योजना लगभग पूर्णता हो चुकी है जो शाकाहारी वन्य प्राणियों की भूख शांत करेगा इसके लिए ग्रास लैंड में बारीक दुब से लेकर ग्रीष्म ऋतु में शाकाहारी वन्य प्राणियों की सभी 30 से अधिक प्रजाति के घास वाली खुराक की व्यवस्था की जाएगी जो उनके सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी उपयुक्त होगा
          तथा इन्हें सुरक्षित रख वंश को संवर्धित किया जा सके तात्कालिक बार रेंजर एवं वर्तमान डी एफ ओ  कृषाणु चंद्राकर ने आगे बताया कि कृष्ण मृग के अलाव  इसी प्रकार दो वन भैंसा जिनमे नर मादा सम्मिलित है को मानस नेशनल पार्क आसाम से लाया गया है तथा उसकी तीमारदारी की जा रही है इनके लिए बार में ही अलग से बाड़ा बनवाया गया है तथा प्रकृति सहवास हेतु उनकी मीटिंग का इंतजार किया जा रहा है 

इन्हे बार अभ्यारण्य में लाए हुए लगभग तीस माह ऊपर होने जा रहा है लगातार प्रकृति सहवास की स्थिति निर्मित हुई है तथा नन्हे शावक भी दृष्टि गोचर हो रहे है वही बार प्रबंधन नए वन्य प्राणियों पर  विचार करते हुए  स्थानीय प्रदेश के अचानकमार पार्क से एक  वन भैंसा लाने की योजना बनाया हुआ है ताकि विलुप्त होते वन भैंसों की वंश वृद्धि की जा सके इसके लिए प्रयास किए जा चुके है खान पान हेतु हरे घास के चारे की व्यवस्था की गई है  समय समय पर बकायदा इनके स्वास्थ्य हेतु डॉक्टरी परीक्षण भी करवाया जाता है परन्तु अब तक किसी प्रकार की खुश खबरी नही आई है इस सन्दर्भ में तात्कालिक रेंजर एवं वर्तमान पदोन्नत एस डी ओ  कृषालु चंद्राकर का कथन है कि वन भैंसा की  एक ही वंश अथवा परिवार के होने के कारण इनका प्राकृतिक सहवास की स्थिति निर्मित नही हो पा रही है इसलिए अतिरिक्त अचानक मार अभ्यारण्य क्षेत्र एवं आसाम  नेशनल पार्क  से दो अन्य नर वन भैंसा लाए गए है  जिसकी तीमारदारी की जा रही है समय पर स्वास्थ्य परीक्षण सहित सभी खानपान और व्यवस्था विभाग से लिखित मांग की जाती है परंतु अब भी उसका वंश वृद्धि नहीं हो सका है तात्कालिक  बार नवापारा परिक्षेत्राधिकारी एवं पदोंन्नत डी एफ ओ  कृषाणु चंद्राकर काले कृष्ण मृग की सुरक्षा हेतु काफी चिंतित नज़र आए उनका कथन है कि वन ग्रामों में बहुतायत स्थिति में श्वान हो चुके है जो हिरण जैसे निरीह प्राणी पर एक साथ हमला कर उन्हें चोटिल कर देते है जिससे संक्रमित हो ये असमय काल कल्वित हो जाते है इस ओर विभाग को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है

जो इनके भविष्य के अस्तित्व की चिंता का करे  वही आसपास के नगर परिषद सहित रायपुर से भी नगर निगम के द्वारा कुत्तों का रेस्क्यू कर उन्हें बार के वन क्षेत्रों में बहुतायत संख्या में छोड़ा जा चुका है जिसकी वजह से यहां के वन्य प्राणियों के अस्तित्व पर खतरा बढ़ गया है इसके लिए प्रबंधन द्वारा विशेष कार्य योजना बना कर इनके रोकथाम पर कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है यही नही श्री चंद्राकर ने समस्त नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं से अपील भी की है कि अपने क्षेत्रों से  रेस्क्यू किए गए श्वान को बार क्षेत्र में न छोडे 

इसके लिए नगर परिषद,एवं पालिकाओं से पत्राचार कर उन्हें अवगत कराने की बात भी कही है यदि छोड़े गए श्वानों से निरीह वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है तो तात्कालिक बार तत्कालिक रेंजर वर्तमान एस डी ओ कृषालू चंद्राकर इस बात से आश्वस्त हो जाते है कि बार के वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार वृद्धि तय है तथा यहां की आभा के साथ साथ वन्य प्राणियों की नाद से यह क्षेत्र भी गुंजयमान होगा तथा पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षण का केंद्र भी बनेगा वही बार अभ्यारण्य क्षेत्र को नेशनल पार्क(ज़ू)बनाने की बात भी कही है ताकि मानव दखल कम होने के साथ बार अभ्यारण्य क्षेत्र की सुरक्षा वन्य प्राणियों के संरक्षण,संवर्धन और पर्यटन की दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र विस्तृत होकर  मिल का पत्थर साबित होगा.  

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