जंगल सफारी कुछ लोगों के लिए बना चारागाह श्रमिक ही कर रहे अधिकारियों का भय दोहन
रायपुर जंगल सफारी भी हमेशा किसी न किसी विवाद की वजह से सुर्खियों में बना रहता है विशेष कर वहां कार्यरत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को लेकर अफसरों और श्रमिकों के मध्य विवाद की स्थिति सदैव निर्मित रहती है परंतु अब जो मामला प्रकाश में आया है वह किसी अधिकारी के द्वारा किसी श्रमिक को परेशान करने की नही बल्कि वहां कार्यरत एक ऐसे श्रमिक के द्वारा अधिकारियों को हलाकान करने की बात सामने आ रही है जो वहां माह में दस बारह दिन उपस्थित होकर और बाकी दिन कार्य न करने की एवज में पूरे माह का वेतन का लाभ कई माह से उठा रहा है यही नही सूचना के अधिकार किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से लगवाकर दस बीस लाख की मांग अलग से किया जाना भी बताया गया है जिसके चलते स्थानीय जंगल सफारी कर्मी,अधिकारी खासे परेशान हो रहे है
नाम न छापने की शर्त पर कुछ श्रमिकों ने बताया कि मनीष यदु नामक श्रमिक जो मूलतः ग्राम जौंदा निवासी है के द्वारा विगत कई वर्षों से जंगल सफारी में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत है परंतु वह तीन स्थानों का अपनी आई डी. (आधार कार्ड,वोटर कार्ड )बना कर जंगल सफारी में कार्य कर रहा है उसके सन्दर्भ में ज्ञात हुआ है कि लंबे समय से जंगल सफारी में कार्य करने की वजह से पिछले कर्मियों के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार का लेखा जोखा निकालने,हेतु स्थानीय किसी प्रवीण कुमार नामक व्यक्ति के द्वारा सूचना का अधिकार के माध्यम से जंगल सफारी के अधिकारियों से मोटी रकम दस से बीस लाख की मांग की जाती है जिससे वहां के अधिकारी खासे परेशान हो चुके है जबकि इस संदर्भ में जंगल सफारी रेंजर अश्वनी चौबे से संपर्क कर वस्तुस्थिति ज्ञात करने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नही हो पाया इस संदर्भ में बहुत से जंगल सफारी कर्मियों ने बताया कि रेंजर चौबे एक मृदु भाषी, सरल और सहज अधिकारी है तथा अपने सौपे गए दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते है वही मनीष यदु नामक श्रमिक द्वारा तीन आई डी के माध्यम से कैसे कार्य किए जाने के सन्दर्भ में पूछे जाने पर बहुत से कर्मियों का कथन है कि जंगल सफारी ग्राम खंडवा,उपरवारा,पचेड़ा,और भेलवाडीह कि लगी भूमि में व्यवस्थित किया गया है जिसकी वजह से स्थानीय युवकों को रोजगार के उद्देश्य से स्थानीय श्रमिकों को अधिक तरजीह दिया जाता है जबकि मनीष यदु नामक कथित श्रमिक मूलतः जौंदा निवासी है तथा उसे जंगल सफारी में कार्य हेतु चारो ग्रामों में से किसी एक का निवासी होना अनिवार्य है यही कारण है कि यहाँ जंगल सफारी में कार्य हेतु आसपास ग्राम का निवासी होने तथा प्रमुखता के साथ जंगल सफारी में कार्य हेतु तीन ग्राम स्थल का आई डी बनवा लिया है अब यह तीन स्थानों पर से कैसे आधार,वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाया है यह जांच का विषय है जबकि कुछ कर्मियों का कथन है कि अलग अलग आई डी का उपयोग ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास और निर्माण कार्यों में श्रमिक के रूप में किया जाने की बात कही जा रही है तथा वहां से भी आर्थिक लाभ उठाया जाना बताया जा रहा है जबकि इस प्रकार के आई डी से जंगल सफारी में भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जाने से भी इंकार नही किया जा सकता क्योंकि यह बात पूर्व में भी प्रकाश में आ चुकी है कि एक ही परिवार के कई सदस्य बगैर किसी कार्य को अंजाम दिए जंगल सफारी में पारिश्रमिक लाभ उठाते रहे है इसे भी उसी रूप में जोड़ा जा रहा है मनीष यदु के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि जंगल सफारी अधिकारियों का भय दोहन कर उसने अपने छोटे भाई तामेश यदु को भी वहां कार्य पर लगवा दिया है बताया गया है कि मनीष यदु मुख्यमंत्री कार्यालय में किसी परिचित के माध्यम से अधिकारियों पर दबाव बनाता है जबकि स्थानीय छोटी मोटी राजनीति करने वाले नेता भी उसका पूरा समर्थन करते है विधायक द्वारा उसके उक्त कृत्य से दो चार बार लताड़ा भी जा चुका है ऐसा बताया गया फिर भी भय दोहन कर्ता मनीष यदु नाना प्रकार से कभी पत्रकार,तो कभी किसी छूट भैया नेता अथवा मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत किसी परिचित के माध्यम से लगातार सूचना का अधिकार एवं अन्य माध्यमों से अधिकारियों का भय दोहन कर बिचौलिया बन कर मामले को सेटलमेंट करता है वर्त्तमान में भी सफारी रेंजर हरि सिंह ठाकुर के नाम से सूचना का अधिकार लगा हुआ है इसका मध्यस्थता भी कथित मनीष यदु के द्वारा कराया जाएगा ऐसा लोगों का कहना है जबकि समस्त सूचना का अधिकार पत्र स्वयं उसके द्वारा पर्दे के पीछे रहकर अन्य लोगों के नाम से लगाया जाता है सवाल उठता है जब इस प्रकार से कोई व्यक्ति लगातार भय दोहन कर आर्थिक लाभ उठा रहा है तब उस पर अधिकारियों द्वारा कार्यवाही क्यों नही की जाती इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं अधिकारी भी भ्रष्टाचार और घोटाले में लिप्त है तभी तो मनीष यदु की समस्त अनैतिक मांगों को पूरी कर रहे है और उसे आश्रय दिए हुए है हालांकि सफारी प्रबंधन चाहे तो ऐसे श्रमिक के विरुद्ध जो केवल दस दिन में कार्य मे उपस्थित होकर वहां की गतिविधियों को बाहर किसी परिचित के माध्यम से सूचना का अधिकार लगा कर मानसिक,और आर्थिक दोहन करने वाले कथित श्रमिक पर विधिवत कार्यवाही कर कार्यालयीन निर्माण कार्यों की गोपनीयता भंग करने के एवज में उसे कार्य से पृथक कर सकता है

 
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