शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

रायपुर वन मंडल के चतुर्थ श्रेणी कर्मी महीनों नदारत फिर भी उठा रहे लाखों का वेतन

 रायपुर वन मंडल के चतुर्थ श्रेणी कर्मी महीनों नदारत फिर भी उठा रहे लाखों का वेतन 




अलताफ हुसैन

रायपुर एक तरफ वन विभाग के मैदानी अमले के अधिकारी,कर्मचारी निर्माण कार्यों से लेकर श्रमिक भुगतान,वृक्षारोपण में गड्ढे खनन से लेकर बिल बाउचर सहित अनेक गड़बड़,घोटाले और  भ्रष्टाचार को अंजाम देने में मस्त है तो वही कार्यालयीन कर्मचारी भी स्वास्थ्य की आड़ में अनुपस्थित रहकर फर्जी बिल के माध्यम से लाखों का चूना लगाने किसी प्रकार से गुरेज नही कर रहे और यथा संभव विभाग को नाना प्रकार से चुना लगाने नित नए नए हथकंडे का इस्तेमाल कर फर्जी बिल के माध्यम से अर्थ लाभ उठाने कोई अवसर नही खो रहे है हाल ही जंगल सफारी में दैनिक वेतन भोगी श्रमिक मनीष यदु का मामला अभी पूरी तरह शांत हुआ भी नही था वैसा ही मिलता जुलता एक अन्य प्रकरण रायपुर वन मण्डल कार्यालय का भी सामने आया है जहां चतुर्थ श्रेणी के तीन कर्मी लगातार लाखों की राशियों के भुगतान का लाभ उठा रहे है जिसका भान किसी को है कि नही यह तो ज्ञात नही परन्तु चर्चा जोरों पर है कि तीनों चतुर्थ श्रेणी भृत्य (अर्दली) पर रायपुर वन मण्डल कार्यालय के बड़े बाबू पद पर आसीन महिला क्लर्क की विशेष कृपा दृष्टि बनी हुई है जिससे विभाग को लाखों का आर्थिक नुकसान हो रहा है 

        विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर वन मंडल कार्यालय में भृत्य (अर्दली)चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत राजकुमार ध्रुव,शंकर ठाकुर, और विजय यादव तीनों  पूरे रायपुर वन मंडल कार्यालय में चर्चा का विषय बने हुए है कि तीनों कर्मचारी विगत कई वर्षों से कार्यालय में महीनों उपस्थित रहते है न उनकी शक्ल कोई कार्यालयीन कर्मचारी देखता है फिर भी वे छः से सात माह का एक मुश्त वेतन का लाभ कार्यालय से उठा रहे है उनके सन्दर्भ में आगे चर्चा यह है कि  वेतन  प्राप्त करने के पश्चात वे मात्र पखवाड़े भर कार्यालय में नज़र आते है तथा उसके पश्चात उनकी शक्ल कभी कार्यालय  परिसर में नज़र नही आती  अर्थात  कई माह ये कार्य स्थल में दृष्टिगोचर भी नही होते तथा छः से सात माह में पुनः एक बार उपस्थित होकर लाखों का  वेतन का लाभ एक बार उठाते है फिर पुनः अंतर्धान हो जाते है  बताया जाता है कि रायपुर वन मंडल कार्यालय में  बड़े बाबू के पद पर पदस्थ महिला क्लर्क,और पदस्थापना प्रभारी  की उन तीनों पर विशेष कृपा दृष्टि बनी हुई अब वेतन जारी करने के एवज में उनके द्वारा बड़े बाबू को क्या कमीशन परितोष के रूप में प्राप्त होता है यह तो ज्ञात नही परंतु उनके द्वारा बगैर कार्यालय में उपस्थिति दर्ज किए लाखों का वेतन किस आधार पर जारी किया जाता है यह संदेह के दायरे में अवश्य आ गया है यही नही ज्ञात हुआ है कि उपरोक्त तीनों भृत्य(अर्दली) स्वास्थ्य संबंधी फर्जी बिल के माध्यम से भी लाखों की राशि आहरित करवा लेते है अब यह लाभ तीनो कर्मियों द्वारा किस आधार पर उठाया जा रहा है यह जांच का विषय है परंतु सवाल इस बात को लेकर उठाया जा रहा है कि बगैर उपस्थिति के तीनों को किस नियम,आधार पर अब  कार्य के एवज में,स्वास्थ्य गत कारणों से,या अनुपस्थित रहने के एवज में वेतन प्रदाय किया जा रहा है ? वही दूसरा सवाल  यह भी है कि यदि उनके द्वारा किसी भी प्रकार स्वास्थ्य गत  बिल इत्यादि प्रस्तुत करने पर उनसे उनकी उपस्थिति सहित उसके वस्तुस्थिति की जांच क्यों नही की जाती क्यों आंख बंद कर वेतन सहित अन्य प्रस्तुत बिल का भुगतान जारी कर दिया जाता है ? महीनों उपस्थिति पंजी में बगैर हस्ताक्षर किए कार्यालय से नदारत रहने के बावजूद उन्हें किस नियम के तहत वेतन जारी किया जाता है यह सब जांच का विषय है वही बड़े बाबू के पद पर आसीन महिला क्लर्क और पदस्थापना प्रभारी की कार्यशैली को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे है कि कार्यालय से महीनों नदारत चतुर्थ श्रेणी वन कर्मियों को किस नियम के आधार पर वेतन जारी करती है उक्त लाखों के वेतन जारी करने में कहीं उसका भी कमीशन तो नही बंधा हुआ है ? जिसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के बगैर संज्ञान के चलते लाखों के  वेतन भुगतान में बड़ा खेल खेला जा रहा है 

  वैसे भी बताते चले कि भृत्य और अर्दली भुगतान का  यह खेल केवल यहां  तक सीमित नही अर्दली के नाम पर प्रत्येक परिक्षेत्राधिकारी को एक अर्दली मिलता है परंतु कोई भी रेंजर अपने किसी अर्दली को साथ लेकर नही चलता परन्तु अर्दली भुगतान का लाभ प्रत्येक रेंज अधिकारी वर्षों से उठा रहे है जिस पर भी विभाग,चिंतन मनन कर सकता है

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