मंगलवार, 12 जनवरी 2021

वन विकास निगम कर्मचारियों का कारनामा... बगैर बजट स्वीकृत राशि के तीन लाख से ऊपर का भोजन पानी डकार गए-जांच हुई तो करोड़ों के फर्जीवाड़ा का होगा भंडाफोड़

 वन विकास निगम कर्मचारियों का कारनामा... बगैर बजट स्वीकृत राशि के तीन लाख से ऊपर  का भोजन पानी  डकार गए-जांच हुई तो करोड़ों के फर्जीवाड़ा का होगा भंडाफोड़ 

अलताफ हुसैन की रिपोर्ट

रायपुर ( फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) विचित्र किंतु सत्य वाली यह अजीबो गरीब दास्तान  जिसने भी सुना पढ़ा दांतो तले अपनी उंगली दबा कर आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया देने से किंचित संकोच नही किया तथा छग वन विकास निगम कर्मचारियों की हैरान कर देने वाली करतूत की अपने अपने शब्दों में भर्त्सना,लानत मलामत, करने से भी नही चुका क्योंकि प्रकरण ही कुछ ऐसा है जिसमे छग राज्य वन विकास निगम के कर्मचारियों ने शासकीय राशि को अपनी बपौती समझ कर लाखों रुपये की राशि न केवल नाश्ता,भोजन,पानी और डीजल में उड़ा दिया,बल्कि फर्जी बिल के माध्यम से लाखों रुपये भी आहरित कर लिए  यह नाकाबिले बर्दाश्त कार्य छग राज्य वन विकास निगम के पाना बरस परियोजना मंडल अतंर्गत आने वाले मोहला काष्ठागार के भ्रष्टासुर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मिलीभगत से किया गया और यह फर्जीवाड़ा,गबन घोटाला कर यह साबित कर दिया कि शासकीय राशि का किस प्रकार दुरुपयोग कर विभाग की लाखों की राशि ठीक वैसे ही सफाचट कर गए जैसे एक बिल्ली पतीले में रखा दूध चट कर जाती है  यही नही वन विकास निगम मंडल कार्यालय राजनांदगांव  के द्वारा भी क्रय किए गए सामानों के जरिए फर्जी बिल के माध्यम से लाखों के गड़बड़ घोटाला को अंजाम दिया गया जिसकी वजह से अब ऐसे भ्रष्टासुरों को सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी का उन्हें जवाब देते नही बन रहा है तथा वे अब  बगले झांकने लगे है यही वजह है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी के एवज में मंडल कार्यालय के अधिकारी उलजुलूल दिग्भ्रमित जानकारियां देकर आवेदक को गुमराह कर रहे है तथा अपना दामन पाक साफ बचाने का प्रयास कर रहे है इस संदर्भ में आवेदक फॉरेस्ट क्राइम के द्वारा राज्य सूचना आयोग में अपील लगाने के साथ पाना बरस परियोजना मंडल द्वारा प्रदत्त  फर्जी बिल  जॉब प्रमाणकों को जिनकी कोई भी स्वीकृत दर की कॉपी नही दी गई है समस्त दस्तावेज को सरकारी एजेंसी आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो के माध्यम से भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध नकेल कसने लिखित आवेदन देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी तथा पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय राजनांदगांव में पुनः नया आवेदन लगा कर   मंडल कार्यालय से वांछित जानकारी लेकर विगत पांच वर्षों में किए गए निर्माण कार्य सामग्री क्रय, तथा प्लांटेशन इत्यादि में हुए बहुत बड़े भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया जाएगा  


   संपूर्ण प्रकरण  कुछ इस तरह से सामने आया है है कि फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा 17 नवंबर 2020 को पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में पत्र क्रमांक 261 के माध्यम से सूचना के अधिकार 2005 के अतंर्गत वर्ष 2016 से वर्ष अगस्त 2020 तक एक निर्धारित राशि से ऊपर  किए गए नगद भुगतान की सत्यापित छाया प्रति मांगी गई थी परन्तु तीस दिन व्यतीत होने के बावजूद भी आवेदक को किसी प्रकार की जानकारी प्रदान नही किया गया तब आवेदक द्वारा अपील की गई जिस पर भी विभागीय अधिकारियों द्वारा जानकारी देने में आनाकानी की जाती रही तथा अतिरिक्त समय मांग कर दिनांक 30 दिसंबर 2020 को आधी अधूरी जानकारी दिया गया जिसमे पारदर्शिता पूर्ण वांछित जानकारी की बजाए नाश्ता,भोजन,पानी,पेट्रोल बिजली बिल,सहित रस्सी क्रय इत्यादि की जानकारी आवेदक को थमा दी गई जबकि मंडल कार्यालय के अंतर्गत कराए गए नवीन कार्यालय भवन निर्माण प्लांटेशन कार्यों में श्रमिक भुगतान,कार्यालय हेतु उपयोग में लाए जाने वाली वस्तुएं,भंडारण इत्यादि की जानकारी में निर्धारित व्यय से अधिक किए गए नगद भुगतान राशि के संदर्भ में जानकारी मांगी गई थी परन्तु मंडल अधिकारियों द्वारा नाश्ता भोजन पानी बोतल,विधुत बिल पेट्रोल के 260 पृष्ठों की जानकारी थमा दी गई आवेदक को प्रदाय की गई जानकारी के संदर्भ में जिसने भी सुना,देखा हतप्रभ हो कर अपनी हंसी नही रोक पाया फिर भी प्रदाय की गई जानकारी भ्रष्टासुरों के लिए कहीं जी का जंजाल न बन जाए ? खैर, अधिकारियों के  द्वारा दिग्भ्रमित करने वाली आधी अधूरी जानकारी  को लेकर अपनी मिश्रित प्रतिक्रिया दिए बगैर कोई भी नही रह सका तथा भ्रष्टाचार किए जाने की आशंका को त्वरित टिप्पणी में अपने उदगार भी अवश्य किया प्रदत जानकारी में विदोहन कार्य हेतु जोगा रस्सी हेतु पत्र क्रमांक 4133/66 जॉब प्रमाणक में स्वीकृत दर 194-70 पैसे दर्शाया गया है परन्तु उसका बिल भुगतान  204 रुपये 43 पैसे स्वीकृत करवा भुगतान लिया गया जिसकी कोई  स्वीकृत दर की प्रति आवेदक को नही दी गई जिसे मेसर्स आर.के.ट्रेडर्स,मेसर्स खंडेलवाल मोहला नामक  संस्थान के बिल पर एम. एल. लोनहारे (ए पी आर) के द्वारा राशि भुगतान कराया जाना बताया गया इसी प्रकार पत्र जॉब क्रमांक  4806/69 में वर्ष 2014 का भुगतान वर्ष 2016 में किया गया दो वर्ष की लंबी अवधि पश्चात भुगतान करने का कोई स्पष्टीकरण नही है जबकि माना यह जा रहा है कि विलंब से भुगतान करने के पीछे कूट रचना कर फर्जी बिल के माध्यम से राशि आहरित करना  रहा है जिसका  किसी को भान भी नही होगा  अन्य जॉब प्रमाणकों में काष्ठागार  मोहला के ए पी आर श्री वी के श्रीवास्तव द्वारा लगभग तीन लाख 218 रुपये के भोजन,पानी बोतल,नाश्ता, हेतु  राशि आहरित की जा चुकी है अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि इतनी बडी राशि केवल खान पान के लिए क्या विभाग अथवा निगम से कोई अतिरिक्त बजट जारी किया गया था ? या इसके लिए कोई राशि स्वीकृत कराई गई थी ? एक अन्य कर्मचारी डी. एल.नागोरे प्रभारी द्वारा ऐसे भी बिल प्रस्तुत किए गए है जिसमे सिंचाई हेतु डीजल ऑयल का क्रय किया गया है तब भी यह सन्देह उत्पन्न हो रहा है कि फरवरी मार्च से ही सिंचाई हेतु टेंडर कॉल किए जाते है जिसमे पानी टैंकर के माध्यम से सिंचाई की जाती है तथा निगम इसके लिए एक बहुत बड़ी राशि सिंचाई व्यवस्था के लिए वहन करती है फिर भी कर्मचारियों की मिली भगत के चलते सिंचाई में भी बहुत बड़ा खेल हो जाता है फिर कौन से रोपणी, अथवा प्लांटेशन में बोर अथवा सिंचाई हेतु डीजल पंप लगाया गया है यह तो अभी तक कही दृष्टिगोचर नही हुआ जो अनेक फर्जीवाड़े सन्देह को उत्पन्न करता है

 बताते चलें कि पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में विभागीय चार पहिया ट्रक मौजूद है उसके बावजूद दल्ली राजहरा में मृत पौधों (कैज्युवल्टी)के पुनः रोपण हेतु प्रायवेट वाहन से पौधे परिवहन किया गया जिसमें भी हजारों रुपये का बिल से राशि आहरित की गई इसी प्रकार गेरू,चुना,डामर,इत्यादि में भी बड़ी राशि मे खेल हुआ है जिसका कोई स्वीकृति दर पत्र मुख्यालय या वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जारी नही किया गया उल्लेखनीय है कि किसी भी प्रोजेक्ट में क्रय किए जाने वाली निर्माण सामग्री,पौधे क्रय हेतु राशि का स्वीकृति दर हेतु एक प्रति वरिष्ठ क्षेत्रीय महाप्रबंधक  कार्यालय में प्रस्तुत करना होता है जब वरिष्ठ अधिकारी या क्षेत्रीय महाप्रबंधक द्वारा उक्त प्रस्तुत पत्र तथा व्यय की जाने वाली राशि मुख्यालय कार्यालय से स्वीकृत करता है तब उसका क्रियान्वयन मैदानी स्तर पर किया जाता है परन्तु यहां न स्वीकृत दर की कॉपी उपलब्ध है और न ही किसी प्रकार का विभागीय आदेश जारी किया गया  जॉब प्रमाणक पर ही नाश्ता भोजन पानी बोतल दर्शा कर लाखों रुपये निकाल लिए गए  इस संदर्भ में आवेदक को सूचना के अधिकार में प्राप्त कोई भी विभागीय तौर पर स्वीकृत दर की कॉपी आवेदक को प्रदान नही की गई इससे तो यह स्पष्ट हो जाता है कि पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय के अतंर्गत वर्ष 2016 से लेकर वर्ष अगस्त 2020 तक अनेक कार्यों में फर्जी बिल के माध्यम से करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया यह तो आवेदक को संतुष्ट करने नाश्ता, भोजन,पानी,डीजल,गेरू, चूना,पौधे क्रय, कर परिवहन आदि के दस्तावेज दे दिया गया जो मंडल कार्यालय में और भी बड़े फर्जीवाड़े कार्य होने की पुष्टि करता है तथा ऐसे फर्जी बिल के माध्यम से बड़े बड़े निर्माण कार्यों सामग्री क्रय, श्रमिक भुगतान में  फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया है जिसकी प्रतियां आवेदक को उपलब्ध नही कराई गई




  सूचना के अधिकार से प्राप्त एक अन्य पत्र क्रमांक व वि नि /03/2019/ 2485 / में प्रबन्ध संचालक द्वारा लगभग 35 कुर्सियां क्रय संबंधित विषयक पत्र जारी करते हुए 94 हजार पांच सौ रुपये राशि की स्वीकृति जारी की गई थी ये बात अलग है कि पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में उतनी कुर्सियां तो नही थी अलबत्ता विगत वर्ष डेढ़ दर्जन कुर्सियां अवश्य  मुख्यालय मंगवा ली गई अब यह सवाल बनता है कि 35 कुर्सियां क्रय की गई थी तो वे कहां है ? क्योंकि अब भी मंडल कार्यालय में कुर्सी का टोटा बना हुआ है और कर्मचारी टूटी फूटी कुर्सियों में बैठ कर कार्य संपादित कर रहे है  और टेबल भी नवीन मंडल कार्यालय में उपलब्ध नही है वही पाना बरस मंडल कार्यालय के पत्र क्रमांक /3329दिनांक 07/12/2018 के द्वारा क्रय हेतु स्टील अलमारी,एवं कैनवास बैग के लिए अनुमति मांगी गई थी जिस पर कार्यवाही हेतु मुख्यालय के पत्र क्रमांक वविनि/03/2019/3622/ के अनुसार फूल साइज़ 6 नग स्टील अलमारी एव 40 नग केनवास बैग  की स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसका क्रय राजनांदगांव मंडल कार्यालय द्वारा रायपुर के मणि इंटरप्राइसेस जीवन बीमा मार्ग पंडरी रायपुर से 72 हजार रुपये में छः स्टील अलमारी क्रय किया जाना बताया गया दर्शाए गए संस्थान के पते पर जब पड़ताल करने पर दुकान का कोई पता ज्ञात नही हुआ यानी फर्जी बिल के आधार पर सामग्री क्रय में भी गबन और भ्रष्टाचार हुआ है सवाल इस बात को लेकर उठाया जा रहा है कि क्या राजनांदगांव में स्टील अलमारी क्रय हेतु कोई दुकान नही थी जो रायपुर से स्टील अलमारी क्रय कर उसका परिवहन चार्ज पृथक दिया गया  ? 



इस प्रकार की क्रय प्रक्रिया भी पानाबरस कर्मचारियों के द्वारा सामग्री क्रय पर सवाल खड़ा करता है  ज्ञात हुआ है कि वर्तमान में मंडल कार्यालय में सुशोभित स्टील अलमारी के नाम पर पूर्व में ही रखे हुए स्टील अलमारी को डेंटिंग पेंटिंग कर दिया गया उसे ही नवीन स्टील अलमारी दर्शा कर हजारों रुपये का फर्जीवाड़ा कर दिया गया जबकि कैनवास बैग भी क्रय किया जाना बताया गया है परन्तु इसका क्रय हुआ है अथवा नही यह अब भी सन्देह के दायरे में है कथन आशय यह है कि जब  मंडल प्रबंधक या क्षेत्रीय महा प्रबंधक द्वारा सामग्री भंडारण क्रय हेतु मुख्यालय से स्वीकृत राशि जारी करने हेतु पत्र प्रेषित करता है तथा मुख्यालय से स्वीकृति राशि पत्र मिलने के पश्चात आदेश जारी होता है कि इतनी राशि मे  सामग्री क्रय किया जाए  तब किसी सामग्री का क्रय कार्यालय द्वारा नियमानुसार किया जाता है परन्तु यहां नाश्ता भोजन,पानी डीजल के लिए लाखों की राशि व्यय कर दी गई परन्तु किसी प्रकार की अनुमति,स्वीकृति राशि पत्र,या पृथक बजट पारित नही किया गया था फिर भी मनमाने रूप से वर्ष 2016 से वर्ष अगस्त 2020 तक लाखो नही बल्कि करोड़ों की शासकीय राशि का खुलकर दुरुपयोग किया जाता रहा   और संपूर्ण दस्तावेज आवेदक को प्रदान नही किया गया संपूर्ण दस्तावेज न देने के पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही है कि कहीं करोड़ों के गड़बड़ घोटाला, फर्जीवाड़े,और भ्रष्टाचार को अंजाम देने की जानकारी सार्वजनिक न हो जाए! इसलिए आवेदक को संपूर्ण दस्तावेज प्रदान नही किए गए  इस फर्जीवाड़े में नीचे से लेकर ऊपर तक एक लंबी चैन बनी हुई है जिसकी ज़द में बहुत से चेहरे बेनकाब हो सकते है अब इसकी जांच तो  उच्च स्तरीय होना चाहिए और बड़ी  सूक्ष्मता के साथ जांच कराना चाहिए तथा शासकीय राशि को खुदबुर्द कर गबन करने वालों से  निगम द्वारा राशि वसूली की जानी चाहिए  वही आवेदक द्वारा अन्य महत्वपूर्ण सप्रमाण जानकारी प्राप्त करने हेतु  राज्य सूचना आयोग,में अपील कर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो में भी इसकी लिखित शिकायत दर्ज की जाएगी ताकि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों,कर्मचारियों पर  वैधानिक कार्यवाही हो सके

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