वन विकास निगम में एक भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नही - निगम की कार्यशैली से कर्मचारी क्षुब्ध.....
रायपुर(फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग वन विकास निगम के अनियमित एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के सामने अब भविष्य की चिंता सताने लगा है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा मांगे गए अनियमित,दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की लिस्ट में वन विकास निगम मुख्यालय द्वारा किसी भी अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नाम संख्या के स्थान पर कर्मचारियों का एक भी नाम नही लिखा गया है तथा उसके स्थान पर निरंक लिख दिया गया जिसकी वजह से उनके समक्ष नौकरी की समस्या तो खड़ी है साथ साथ परिवार के भविष्य में जीवन यापन के लिए भी उनके माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है
बताते चले कि छग शासन के अधीन कार्यरत समस्त दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण प्रक्रिया तेज करते हुए प्रदेश के समस्त विभाग निगम मंडल आयोग में कार्यरत संविदा अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी समस्त विभाग द्वारा अपने स्तर पर विभागीय कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों की संख्या दर्ज कर प्रेषित कर दिया गया था परन्तु छग राज्य वन विकास निगम ही एक ऐसा विभाग है जहां विगत 20 वर्षों से ऊपर कार्यरत हजारों अनियमित दैनिक वेतन भोगियों की संख्या के स्थान पर निरंक दर्शा कर प्रेषित कर दिया गया जिसकी वजह से लगभग दो हजार से ऊपर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के समक्ष नौकरी के साथ साथ अपने परिवार के जीवन यापन करने की चिंता सताने लगी है इस संदर्भ में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संगठन के पूर्व मंडल अध्यक्ष राजकुमार शर्मा ने बताया कि छग वन विकास निगम दुर्भावना पूर्वक कार्य करते हुए लगभग दो से ढाई हजार दैनिक वेतन भोगियों के नाम न डाल कर द्वेष पूर्ण कार्य करने का उन्होंने आरोप लगाया है इस संदर्भ में भविष्य की नीति तैयार करने के उद्देश्य से वन विकास निगम के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सहित अन्य विभाग के दैनिक वेतन भोगी लामबंद हो कर आगे की रणनीति तय करते हुए अधिकारों की लड़ाई लड़ी जाने के संकेत दिए है पूर्व मंडल अध्यक्ष कर्मचारी नेता ने बताया कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति वर्ष 2010-11में वन विभाग के तात्कालिक पी सी सी एफ़ धीरेंद्र शर्मा साहब द्वारा वन विभाग मे कोई भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत नही है की जानकारी विधान सभा मे दी थी तथा किसी कर्मचारी का नाम अंकित न कर निरंक दर्शा कर विधान सभा मे पत्र भेज दिया था तब विधान सभा अधिकारियों ने वन विभाग के प्रमुख अधिकारी से यह जानकारी मांगी थी कि जब आपके वन विभाग में कोई अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत नही है तो इस स्थिति में वन विभाग द्वारा प्रति माह छः से दस लाख का भुगतान किसे,क्यों और किस कार्य हेतु किया जाता था ? तब वन विभाग के तात्कालिक पी सी सी एफ़ धीरेंद्र शर्मा साहब द्वारा त्रुटि सुधार कर आनन फानन कुछ कर्मचारियों का नाम भेजा गया वही प्रक्रिया की पुनः वृत्ति इस बार छग वन विकास निगम के पूर्व प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन द्वारा भी कर दिया गया वही ज्ञात तो यह भी हुआ है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघठन द्वारा सूचना के अधिकार में यह भी जानकारी निकलवाने की चर्चा है कि 2001 से 2020 तक कितने कर्मचारियों को अब तक कितना भुगतान किस आधार पर किया गया तथा भुगतान आकस्मिक श्रमिक के नाम पर दिया गया है तो निगम यह बताए कि किस श्रमिक को कब रखा गया है ,और कब निकाला गया ? यदि यह प्रमाण निकल गया तो इसमें बहुत बड़ा संकट अधिकारियों के समक्ष खड़ा हो सकता है क्योंकि पन्द्रह से बीस वर्षों से श्रमिको को छब्बीस दिन का कलेक्टर दर पर भुगतान क्यो किया जा रहा है ? यहां तक यह बात भी कही जा रही है कि कहीं लाखों,करोड़ों के श्रमिक भुगतान जो उपरोक्त वर्षों में श्रमिकों को किया गया तथा वर्षों से नियमित रूप से निगम में कार्यरत रहे है फिर भी राज्य शासन द्वारा मांगे गए पत्र में अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नाम संख्या के स्थान पर निरंक दर्शाया गया है उसके एवज में कहीं राज्य शासन निगम अधिकारियों से रिकवरी न निकाल ले वही वन विकास निगम में संविदा नियुक्ति में भी बड़ा खेल होने की जानकारी निगम से आ रही है जिसमे अधिकारी सेवानिवृत्त हुआ नही और उनके संविदा का प्रस्ताव पूर्व से ही पास हो गया है जिन्हें गाड़ी से लेकर समस्त सुविधाए प्राप्त होगी इसे लेकर निगम कर्मियों में रोष व्याप्त है उनका कथन है श्रमिक भुगतान के लिए निगम में राशि नही दूसरी ओर ऐसे अधिकारियों को जो सेवा के पूर्व और बाद भी समस्त लाभ दिया जा रहा है निगम का यह दोहरा मापदंड क्यो? वही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह ठाकुर कवर्धा ने बताया कि छग वन विकास निगम के दोहरे नीति के विरुद्ध कवर्धा में आकर्षण रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा तथा ज्ञापन सौंप कर दैनिक वेतन भोगियों के समस्या का समाधान निकालने एक पत्र एस डी एम तथा वन मंत्री को दिया जाएगा

 
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