शुक्रवार, 10 जून 2022

छग प्रदेश में नरवा विकास के नाम पर मोहरेंगा नेचर सफारी का कोई विकल्प।नही*

 *छग प्रदेश में नरवा विकास के नाम पर 

मोहरेंगा नेचर सफारी का कोई विकल्प नही*


रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार की चार चिन्हारी एवं महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरुवा,घुरूवा,बाड़ी,योजना के तहत उसके  सफल क्रियान्वयन हेतु सरकार पूर्णतः कटिबद्ध है विभागवार एवं ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों के साथ मिल कर  नित नए नए परियोजनाओं  के माध्यम से  उक्त योजना का सफल क्रियान्वयन कर स्थानीय निवासियों को रोजगार उपलब्धि के साथ आत्म स्वावलंबी बनाने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है साथ ही ग्रामीणों श्रमिकों के अतिरिक्त आय का स्रोत भी बना हुआ है जिससे वे अब आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ा रहे है विशेष कर प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक विभागों के मैदानी अमले के द्वारा वास्तविक धरा पर एक ईमानदारी पहल के साथ  योजनाओं का सफल क्रियान्वयन कर आम ग्रामीण जनों के अतिरिक्त आय का साधन बनकर सामाजिक मुख्य धारा से जोड़ने का जन हितैषी कार्य भी छग सरकार कर रही है जिसका ही परिणाम है कि आज प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के महिला पुरुष आर्थिक सुदृढ़ता की ओर अपने कदम बढ़ा रहे है नरवा,गरुवा,घुरूवा बाड़ी के सफल क्रियान्वयन में वन विभाग भी ऐसे वन क्षेत्रों में नरवा परियोजना का सफल क्रियान्वयन कर रहा है जिसकी मात्र  कल्पना ही की जा सकती है इसी क्रम में रायपुर से चालीस किलोमीटर दूर खरोरा के समीप स्थित स्व.इंदिरा गांधी  नेचर सफारी अर्थात मोहरेंगा वन क्षेत्र के  साथ साथ बिलाड़ी वन क्षेत्र में भी इन दिनों नरवा परियोजना का सफल क्रियान्वयन द्रुत गति से किया जा रहा है जहां दोनों ही स्थानों  पर लगभग पचास लाख रुपये की लागत से महत्वांकाक्षी नरवा योजना के तहत कार्य संपादित किए जा रहे है  मोहरेंगा,बिलाड़ी के वृहद भूभाग में फैले क्षेत्र में नरवा विकास संरचना के कार्यों का सफल संपादन हो रहा है 

मोहरेंगा नेचर सफारी के वन क्षेत्र में ही नरवा प्रोजेक्ट के तहत गोबियन, छ नग गली प्लग,तीन नग, स्टोन बाइंडिंग,तीन नग,ब्रश वुड,एक सौ चौबीस स्थान सहित पेर एक सौ छप्पन और डबरी पांच नग शामिल है वही बिलाड़ी नरवा विकास कार्य के सागौन प्लांटेशन वाले वनक्षेत्र मे गोबियन 3 नग पेर 54 नग,स्टोन बाइंडिंग,10 नग,ब्रश वुड 89 नग,डबरी 05 नग,गली प्लग,71 नग,के साथ 30-40 मॉडल,449 नग कंटूर स्टोन बंड 1 नग जो प्रगति पर है शेष अन्य कार्य अपने अंतिम चरण में है जो वर्षा पूर्व पूर्ण कर लिए जाएंगे इस संदर्भ में रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा से चर्चा की गई तब उन्होंने इसके सन्दर्भ में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि नरवा योजना सरकार की ऐसी महत्वाकांक्षी  योजना है जिसका लाभ सभी को प्राप्त होगा पेड़ पौधों से लेकर मानव जीवन वन्य प्राणी भी इससे लाभान्वित होंगे क्योंकि जिस प्रकार वन विभाग का नाम  वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग किया गया है उसी नाम के अनुरूप जल संरक्षण हेतु कैम्पा मद से नरवा प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा रहा है जिसके भविष्य में सारगर्भित परिणाम यह आएंगे कि जो वर्षा का जल  बह जाता था नरवा योजना के माध्यम से जगह जगह चेक डेम,खनकी,सहित स्टोन बाइंडिंग,ब्रश वुड,डबरी,गली प्लग इत्यादि के निर्माण से जल का संरक्षण किया जाएगा

जिससे वन क्षेत्रों में बराबर नमी बनी रहेगी तथा प्राणियों के प्यास भी बुझेगी डीएफओ विश्वेश झा आगे बताते है कि नरवा योजना से जल संरक्षण के साथ साथ धरती का वाटर लेबल में आंशिक वृद्धि होगी जिससे कृषि एवं पेयजल की समस्या भी दूर होगी तथा वन क्षेत्र में हरियाली भी बढ़ेगी रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा साहब आगे बताते है कि नरवा योजना अधो संरचना के लिए  कार्य स्थल में केवल औपचारिकता ही नही निभाई गई है बल्कि इसके लिए वर्ष भर पूर्व से कार्य योजना बनाई गई है इसके लिए बाकायदा वर्ष भर पूर्व से विभाग द्वारा अधिकृत  आर.एन. एम.इंजीनियर द्वारा बड़ी बारीकी से स्व.इंदिरा गांधी नेचर सफारी मोहरेंगा एवं बिलाड़ी, क्षेत्र के समस्त भूभाग में सर्वे कार्य किया गया पश्चात  के.एम.एल.फाइल तैयार कर नक्शा निर्माण कर कार्य योजना बनाई गई तब उक्त  नरवा योजना का क्रियान्वयन वर्षा पूर्व प्रारंभ किया गया जिसका कार्य अब अपने अंतिम चरण में शनैः शनैः पहुंच चुका है समस्त कार्य विभाग के अधिकृत एन.आर.एम.इंजीनियर की देखरेख में नरवा कार्य को संपादित कराया गया है वही रायपुर वन मण्डल के सहायक वन मण्डलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी ने बताया कि  स्व.इंदिरा गांधी नेचर सफारी में नरवा योजना का निर्माण भविष्य को ध्यान में रख कर कराया जा रहा है क्योंकि भविष्य में वहां बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण भी प्रस्तावित है जिसका कार्य भी प्रारंभ किया जा चुका है इसके लिए अन्य राज्यों के पर्यटन स्थल,पार्कों का अवलोकन कर उसके अनुरूप यहाँ आकर्षक गार्डन में फलदार,फूलदार,पौधों सहित पगोडे एवं मनोरंजन के उपकरण इत्यादि भी लगाए जाएंगे जिसको ध्यान में रखकर ही मोहरेंगा में भिन्न भिन्न स्थलों का चयन कर नरवा योजना के तहत कार्य निर्माण कुशल इंजीनियर रोमन सोनवानी के मार्गदर्शन में संपादित किए जा रहे है जो लगातार कार्य स्थल पर मुस्तैद रहकर गुणवत्ता एवं मजबूती को ध्यान में रखकर स्टॉप डेम की दीवार सहित ढलानी स्थल पर गेबियन एवं स्टोन बाइंडिंग,गली प्लग,ब्रश वुड, के माध्यम से प्रवाहित जल को संरक्षित किया जाएगा जिससे संपूर्ण क्षेत्र में बारहमासी नमी बनी रहेगी यह समस्त कार्य रायपुर सीसीएफ जनक राम नायक साहब के दिशा निर्देश एवं मंशानुरूप किया जा रहा है जिसके भावी परिणाम मोहरेंगा  वन क्षेत्रों की हरियाली सहित वन प्राणियों एवं मानव जीवन के लिए सुखद एवं हितकारी होंगे रायपुर वन मण्डल के उप वन मण्डलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी आगे बताते है कि नरवा योजना का क्रियान्वयन 200 हेक्टेयर भूमि के केवल एक हिस्से में ही संपादित किए जा रहे है इसके लिए आसपास ग्राम के ग्रामीणों को रोजगार ग्यारंटी के तहत रोजगार  उपलब्ध कराया गया है  जिसका सैकड़ों ग्रामीण श्रमिकों को लाभ प्राप्त  हुआ है इसमें मुख्यतः गेबियन,तालाब डबरी निर्माण ब्रश वुड,गली प्लग, निर्माण प्रमुख है श्री मुखर्जी ने आगे बताया कि संपूर्ण कार्य कैम्पा मद से प्राप्त  पचास लाख राशि में संपादित किया जा रहा है जिसकी मॉनिटरिंग सीसीएफ जनकराम नायक साहब वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा साहब वरिष्ठ कैम्पा अधिकारी  पी.वी. नरसिम्हाराव साहब, द्वारा समय समय पर किया गया तथा मोहरेंगा नेचर सफारी में  संपादित हो रहे नरवा निर्माण एवं उसकी गुणवत्ता, मजबूती जैसे कार्यों को लेकर प्रशंसा व्यक्त करते हुए   उत्साह वर्धन किए है प्रशंसा का सर्वाधिक अधिकार मोहरेंगा 

 नेचर सफारी के प्रभारी  दीपक तिवारी के द्वारा लगातार कुशल नेतृत्व, देखरेख में नरवा विकास कार्यों के सफल संपादन एवं हो रहे नरवा निर्माण के उत्कृष्ट कार्य को लेकर उनकी पीठ भी थपथपाई जा चुकी है तथा उनके कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई  है बताते चले कि मोहरेंगा नेचर सफारी के फॉरेस्टर प्रभारी (डिप्टी रेंजर मोहरेंगा) दीपक तिवारी को विभाग द्वारा निर्माण कार्यों सहित वानिकी एवं विकासपूर्ण विभागीय कार्यों का एक लंबा अनुभव है बहुमुखी प्रतिभा के धनी  मोहरेंगा नेचर सफारी के प्रभारी अधिकारी दीपक तिवारी ने  विभाग में रहते हुए अपने लंबी सेवा काल मे बहुत से स्थानों में रहते हुए कार्यों का लंबा अनुभव प्राप्त किया है तात्कालिक अधिकारियों के सान्निध्य में रहते हुए कार्यों की बारीकियों को सीखा और समझा है उसी अनुभव का लाभ अब खरोरा के समीप स्थित स्व.इंदिरा गांधी नेचर सफारी मोहरेंगा में  कार्यों के प्रति समर्पण भाव, कर्तव्य निष्ठा एवं पूर्ण ईमानदारी के साथ अधिकारी द्वय से लेकर अधीनस्थ वन कर्मियों,यहां तक कार्यो में संलिप्त श्रमिकों  के मध्य बेहतर तालमेल के साथ अनुभव को साझा कर रहे है

तथा निर्माण कार्य हो अथवा वानिकी कार्य हो उसकी गुणवत्ता मजबूती,टिकाऊपन में किसी प्रकार का समझौता नही करते यही वजह रही कि जब वरिष्ठ अधिकारियों का दौरा मोहरेंगा क्षेत्र में होता है तो वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यों को देखकर गदगद हो जाते है तथा गुणवत्ता परक कार्यों की प्रशंसा किए बगैर नही रहते ज्ञात हुआ है कि स्व.इंदिरा गांधी नेचर सफारी के वन क्षेत्र मे छग शासन की महत्वाकांक्षी  योजना नरवा संरचना विकास योजना के तहत नेचर सफारी में संपादित हो रहे कार्यों का भैतिक निरीक्षण के लिए जब वहां पी.वी. नरसिम्हा राव कैम्पा अधिकारी पहुंचे तो वहां पर सुनियोजित ढंग से कराए जा रहे कार्य उसकी ,गुणवत्ता,एवं टिकाऊपन को देखकर  प्रसन्नता व्यक्त करते हुए काफी संतुष्ट हुए  तथा वही छग वनोदय टीम वास्तविकता देखने स्व.इंदिरा गांधी मोहरेंगा नेचर सफारी पहुंच कार्यों का निरीक्षण किया तब एक बारगी विश्वास ही नही हुआ

कि जेठ की इस नौ तपा भीषण गर्मी के बीच नेचर सफारी मोहरेंगा के प्रभारी दीपक तिवारी अपने सिर और  कानों में गमछा लपेटे कराए जा रहे निर्माण कार्यों  स्थल में डटे हुए है तथा श्रमिको एवं कर्मियों को दिशा निर्देश देकर अपने कर्तव्यों को पूरा कर रहे है जब उनसे नव निर्मित नरवा योजना के तहत  सवाल पूछा गया तब उन्होंने निर्माण स्थल के एक एक स्थान ले जाकर संपादित कार्यों का विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की उन्होंने सर्व प्रथम गेबियन के सन्दर्भ में बताया कि निर्माण गेबियन के पीछे स्थल में एक बहुत बड़ा भूभाग गहरा और ढलानी है जिसका  वर्षा पश्चात सम्पूर्ण जल प्रवाहित हो जाता था इसे रोकने के लिए सीमेंटीकरण एवं सरिया के माध्यम से लगभग 6 से आठ फीट ऊंचा स्टॉप डेम बनाया जा रहा  है जिससे संपूर्ण जल एक ही स्थान में संचय होगा तथा भविष्य में संचित जल किसी बांध नुमा स्थल के रूप में दृष्टि गोचर होगा उसी स्थल में जब जल अधिक लबरेज होने की स्थिति में वहां का  जल प्रवाहित होने पर छ स्थानों पर सीढ़ी नुमा जालीदार चेक डेम निर्माण किया गया है

ढलानी क्षेत्र में होने पर हर कुछ स्थान में चेकडैम निर्माण से प्रवाहित जल  थम जाएगा तथा धरती उस जल को अवशोषित कर नमी निर्माण करेगी जिससे क्षेत्र का जल स्तर सुधरेगा ही साथ ही जमा हुआ जल वन्य प्राणियों के पीने में काम आएगा मोहरेंगा प्रभारी दीपक तिवारी आगे बताते है कि गेबियन की चौड़ाई लगभग 15 मीटर है तथा डेम में 4 एम एम के लोहे की जाली में 2 इंच बाई 2इंच का छिद्र है जो 5 मीटर 80 सेंटीमीटर अतरिक्त भूभाग में निर्मित किया गया है उंसके लिए पहले लोहे की जाली को भूमि  गहरी करण कर उसे बिछाया गया पश्चात उंसके ऊपर पत्थर के समान आकर वाले स्टोन को बिछाया गया उसके पश्चात पुनः लोहे की जाली से उसे बांध दिया गया जो स्टोन बाइंडिंग कहलाता है नव निर्मित स्टोन बाइंडिंग  वर्षों तक टिकाऊ एवं मजबूत रहेगी यह सब विभागीय इंजीनियर की देखरेख में निर्मित किया गया है मोहरेंगा प्रभारी दीपक तिवारी आगे बताते है कि यह डेम एवं गेबियन लगभग 10 से 25 मीटर ऊंचाई वाले भूभाग क्षेत्र में निर्माण  किया जा रहा है जिसका परिणाम भावी वर्षा ऋतु में देखने मिल जाएगा उन्होंने आगे बताया कि उसी प्रकार गली प्लग 3 नग जिसमे संचित होने वाले स्थान पर पत्थर एवं मिट्टी को जमा कर निर्मित किया जाता है जो गली नुमा स्थल जैसी आकृति निर्मित करता है इसके मध्य ही वर्षा  जल का ठहराव लंबे समय तक रहता है  जिससे जल व्यर्थ नही बह सकता इस प्रकार के तीन चयनित स्थलों में गली प्लग का निर्माण किया गया है स्टोन बाइंडिंग नाम के अनुरूप ही   लोहे के जालीदार तार में समान आकार वाले पत्थरों को बांधा जाता है  जिससे जल ओवर फ्लो होने की स्थिति में रुक रुक कर प्रवाहित होता है जिसकी संख्या 6 बताई है ब्रश वुड खनकी नुमा लगभग चार से पांच फीट गहराई वाले गड्ढे किए जाते है तथा लकड़ी से प्रत्येक पच्चीस से तीस मीटर की दूरी पर जाली निर्माण कर जल प्रवाह को रोका जाता है जिससे जल लंबे समय तक स्थिर अवस्था मे रहता है 

इससे आसपास के पेड़ पौधों की जड़ों को जल प्राप्ति सहजता से प्राप्त होता है ऐसा ब्रश वुड निर्माण लगभग 124 स्थानों में किया गया है श्री तिवारी ने आगे बताया कि बहुत ही अल्प काल में स्थानीय ग्रामीण श्रमिकों के माध्यम से 60 बाई 60 मीटर का एक तालाब निर्माण किया गया है जिसकी गहराई लगभग तीन मीटर के करीब है तालाब के निर्माण के पीछे की वजह पुछने पर मोहरेंगा  प्रभारी दीपक तिवारी बताते है कि नेचर सफारी में निवासरत समस्त वन्यप्राणी हिरण से लेकर जंगली वरह तथा प्रवासी अप्रवासी पक्षियों को सहजता से पेयजल उपलब्ध करवाना है तालाब संरचना से नेचर सफारी का नैसर्गिक वातावरण निर्मित होगा तो आसपास प्राकृतिक पेड़ पौधों को भी जल के रूप में आहार तथा सूखे पत्ते जल में सड़कर खाद रूपी हो जाएंगे जिसका लाभ आसपास के पेड़ पौधों को प्राप्त होगा नव निर्मित तालाब के मध्य में स्थित स्वस्थ पेड़ को छेड़ा भी नही गया यही नही वर्षा प्रवाहित जल जो ढलानी क्षेत्र से होते हुए नव निर्मित तालाब में दो स्थानों से प्रवेश कर जमा होंगे तथा भविष्य में यह तालाब लबालब भरा रहेगा तालाब के निर्माण से पर्यटन स्थल मोहरेंगा में एक अलग ही प्राकृतिक छटा निर्मित होगी वर्षा ऋतु में अन्य स्त्रोत  से व्यर्थ  प्रवाहित हो रहे जल को डबरी,इत्यादि निर्माण कर उसे संग्रह किया जाएगा जो बारह माह मोहरेंगा वन क्षेत्र में नमी बनाएगा  श्री तिवारी आगे बताते है कि छग शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना नरवा संरचना के निर्माण में वरिष्ठ अधिकारी द्वय सीसीएफ जनक राम नायक साहब वन मण्डलाधिकारी विश्वेश झा साहब, उप वन मण्डलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी साहब,परिक्षेत्राधिकारी साधे लाल बंजारे का समय समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा है नरवा परियोजना के नव निर्माण में उन्होंने मैदानी वन कर्मियों के विशेष योगदान मिलने की बात भी कही जिनमे मुख्यतःनंदकुमार साहू वन रक्षक मोहरेंगा, राधे श्याम वर्मा,दैवेभो,सौरभ वर्मा,दैवेभो,धर्मेंद्र साहू दैवेभो,प्रशांत यादव दैवेभो,ने संपूर्ण कार्यों में अपना सहयोग दिया रायपुर परिक्षेत्राधिकारी साधे लाल बंजारे से नरवा परियोजना के संदर्भ मे पूछने पर उन्होंने बताया कि नरवा योजना पर मोहरेंगा में कार्य हो रहे है तथा इसके अलावा बिलाड़ी में भी उक्त योजना का सफल क्रियान्वयन हो रहा है शीघ्र ही कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे इसके लिए मोहरेंगा नेचर सफारी के प्रभारी अधिकारी दीपक तिवारी पूरी तन्मयता से कार्यों को अंजाम दे रहे है तथा समय समय पर मॉनिटरिंग भी की जाती है उल्लेखनीय है कि प्रदेश के बहुत से  वन क्षेत्र स्थलों पर छग शासन की नरवा योजना का क्रियान्वयन देर सबेर से ही सही मगर बढ़ी मजबूती और गुणवत्ता परक निर्माण किया जा रहा है फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश के भिन्न भिन्न वन मंडलों के अंतर्गत नरवा विकास संरचनाओं का निर्माण कार्य वहां के मैदानी अमला अपने अपने स्तर पर संपादित कर  
 रहे है  परन्तु जिस गुणवत्ता परक नरवा विकास निर्माण कार्य मोहरेंगा स्थित नेचर सफारी में  रायपुर वन मंडल के अंतर्गत कराए जा रहे है वह प्रशंसनीय ही नही बल्कि प्रेरणा दायक भी है क्योंकि भिन्न भिन्न वन मंडलों के अंतर्गत उच्च अधिकारी के दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन देकर मैदानी अमले के भरोसे ही  संपूर्ण कार्य निष्पादित किए जाते है परन्तु छग प्रदेश का यह पहला एकलौता रायपुर वन मंडल का मोहरेंगा नेचर सफारी क्षेत्र होगा जहां विभागीय इंजीनियर के समक्ष नरवा योजना का पूर्ण सर्वेक्षण पश्चात कार्ययोजना बनाई गई तथा वर्ष भर पश्चात उसे वास्तविक धरा पर सफल क्रियान्वयन हेतु उसी इंजीनियर के देखरेख में निर्माण सामग्रियों में बगैर समझौता किए  गुणवत्ता युक्त संरचना पूर्ण किया जा रहा है यही नही समय समय पर  कैम्पा अधिकारी  पी वी नरसिम्हा राव जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी मोहरेंगा स्थित संपादित हो रहे नरवा निर्माण स्थल पहुंच संपादित कार्यों की गुणवत्ता का  निरिक्षण कर जब संतुष्ट हो नव निर्मित नरवा से वन्य प्राणियों,प्राकृतिक,एवं मानव जीवन को मिलने वाले भावी लाभ की परिकल्पना मात्र से ही प्रसन्न हो रहे है

जो एक प्रकार से अपने कर्मों के प्रति  किसी आराधना से कम नही होता यही नही रायपुर वन मंडल अधिकारी विश्वेश झा साहब की अपनी कार्य करने की अलग शैली है वे सुनी सुनाई बातों में नही बल्कि वास्तविकता पर ज्यादा भरोसा करते है तथा समय समय पर निर्माण कार्य स्थल जाकर स्वयं निरीक्षण कर संतुष्ट होते है उसी प्रकार वानिकी,अथवा निर्माण कार्यों के मामले में उप वन मण्डलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी साहब को एक परिपक्व एवं अनुभवी अधिकारी के रूप में  विभाग में पहचान मिली है विभागीय कर्मी उन्हें कर्मयोगी डॉक्टर के रूप में भी बुलाते है क्योंकि जिस प्रकार डॉक्टर नब्ज देखकर रोग बता देता है वैसा ही उप वन मण्डलाधिकारी  विश्वनाथ मुखर्जी साहब के बारे में चर्चा की जाती है कि केवल बिल अथवा दस्तावेज एवं कार्यों के प्रारूप देखकर ही वे कार्यों का  मूल्यांकन कर लेते है  तथा स्व.इंदिरा गांधी नेचर सफारी मोहरेंगा के प्रभारी दीपक तिवारी भी कार्यों के प्रति समर्पित एवं प्राकृतिक के पुजारी है तथा ईश्वरीय संरचना वन के प्रति आस्थावान एवं श्रद्धा का भाव रखते है यही वजह है कि मोहरेंगा नेचर सफारी के भीतर वर्षो पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार भी उनके द्वारा    करवा दिया गया उनका कथन है कि मंदिर वन के रक्षक का है एवं वन्य प्राणी यहां के परिवार उनके खानपान,रहवास एवं समस्त सुरक्षा का दायित्व जब ईश्वर ने मुझे सौपा है तब उनके सारी सुविधाओ का निरन्तर ध्यान रखना मेरा कर्तव्य बनता है जिनका मुझे स्नेह भी मिलता है और साथ मे आशीर्वाद भी मिलता है  जब विभाग में ऐसे परिपक्व एवं अनुभवी अधिकारियों का सान्निध्य हो तब इस बीच गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों की बात करना ही बेमायनी हो जाती है इसलिए ही तो मोहरेंगा नेचर सफारी में संपादित हो रहे नरवा विकास कार्यों को लेकर केवल यही कहा जा सकता है कि '' छग प्रदेश में नरवा विकास के नाम पर मोहरेंगा नेचर सफारी का कोई विकल्प नही "

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