रविवार, 27 दिसंबर 2020

रायपुर वन मंडल कर्मियों की मिलीभगत के चलते आरामिल हो रहे गुलज़ार ,,डिपो पड़े बदहाल,,आफसर तस्करों की दोस्ती बनी मिसाल......

 रायपुर वन मंडल कर्मियों की मिलीभगत के चलते आरामिल हो रहे गुलज़ार ,,डिपो पड़े बदहाल,,आफसर तस्करों की दोस्ती बनी मिसाल......

अल्ताफ हुसैन की रिपोर्ट

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग प्रदेश वन विभाग   वनों के संरक्षण,संवर्धन हेतु नाना प्रकार के जतन कर वनों के अस्तित्व को अक्षुण्य बनाए रखने में वनों के विस्तार हेतु अनेक प्रकार के योजनाओ के मध्यम से वास्तविक धरा पर सतत क्रियान्वयन हेतु कटिबद्ध है वनों के लगातार दोहन से बचाने वनों में मॉनिटरिंग कर  विभाग के अधिकारी मैदानी कर्मचारियों को सख्त दिशा निर्देश जारी कर प्रदेश वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी ने अल्टीमेटम दिया हुआ है कि वनों के विस्तार के साथ साथ प्राकृतिक वातावरण को यथावत रखने तथा अवैध काष्ठों के परिवहन सहित तस्करी के माकूल रोकथाम के लिए प्रदेश भर की आरा मिलों का निरीक्षण कर अवैध काष्ठों के चिरान पर अंकुश लगा कर वन अधिनियम के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाए परन्तु देखा यह जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा औपचारिक निरीक्षण कर प्रदेश भर में गिनती के ही दो चार आरामिलों में वन अधिनियम के तहत कार्यवाही कर कार्यों की इतिश्री मान ली है वही वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों एवं  काष्ठ माफियाओं,तस्करों के हम निवाला हम प्याला,,,और परस्पर लेनदेन के चलते उन्हें ,,,मसौरे भाई बन जाने से  अवैध काष्ठों की तस्करी और भरमार परिवहन से  अब आरामिल तो गुलज़ार हो गए लेकिन दूसरी ओर अवैध इमारती काष्ठों की लगातार तस्करी से इस पर अंकुश लगाना तो दूर बल्कि प्रदेश के वन विभाग द्वारा लघु मंझोले काष्ठ डिपो,पर ही उनके अस्तित्व पर अब खतरा मंडराते हुए  सवाल खड़े होने लग गया है इसका मुख्य सबब यह है कि अब ना ही प्रदेश भर के कथित लघु मंझोले डिपो काष्ठागार में पूर्व की भांति बांस,जलाऊ,चट्टे एवं अन्य इमारती काष्ठों को , वनों में प्रति वर्ष की जाने वाली विभागीय थिनिंग के नाम पर निकलने वाले चट्टे सहित इमारती,जलाऊ काष्ठ इत्यादि कथित डिपो में पहुंच पा रहे है और न ही राष्ट्रीयकृत योजनांतर्गत  शहरी क्षेत्रों में मार्ग विस्तारीकरण किए जाने वाले चौड़ीकरण  के नाम पर वर्षों से सड़को के किनारे इतिहास की गवाही देते सीना ताने विशाल वृक्ष के पातन पश्चात उसके अवशेष डिपो अर्थात काष्ठागार पहुंच रहे है नतीजा प्रदेश में वर्षो तक वन विभाग का आर्थिक पहिया माने जाने वाले लघु मंझोले काष्ठागार अपनी बदहाली और अस्तित्व पर आंसू बहा रहे है अब न ही ऐसे काष्ठ विहीन काष्ठागारों की कोई पूछ परख रह गई और न ही  इसका कोई अस्तित्व शेष रह गया है जबकि एक समय ऐसा भी था कि जब ऐसे लघु मंझोले,काष्ठागारों से बंसोड़ समुदाय सहित अन्य जलाऊ काष्ठ के व्यापारियों के आर्थिक सुदृढ़ता के साथ लकड़ी टाल संचालकों का जीवन यापन होता था परन्तु अब स्थिति यह है कि  ऐसे  लघु काष्ठ डिपो अब पूरी तरह वीरान हो चुके है केवल नाम मात्र वन कर्मचारी यहां अपना समय व्यतीत कर रहे है अब सवाल यह उठता है कि प्रति वर्ष वन विभाग द्वारा की जाने वाली थिनिंग से  निकलने वाले काष्ठ आखिर जाता कहां है ? इसके बारे में बताया जाता है कि इसमे कुछ इमारती काष्ठ से लेकर चट्टे इत्यादि तो  बड़े काष्ठागारों में पहुंच जाते है जहां नीलामी के माध्यम से करोड़ों का राजस्व वन विभाग को प्राप्त होता है परन्तु वही वनों से निकलने वाले कई ट्रक जिसकी विभागीय पंजी में कोई संख्या दर्ज नही होती ऐसे इमारती काष्ठ के  चट्टे अन्यंत्र परिवहन हो जाते है तथा वन अधिकारियों सहित मैदानी अमले के अतिरिक्त आय का साधन बन जाता है वहीं बड़े काष्ठागारों मे पूर्व सुनियोजित गड़बड़ घोटाला करने के उद्देश्य से काष्ठ व्यापारियों और विभागीय लेखा कर्मचारियों द्वारा सांठगांठ कर  नीलाम में  क्रय की गई काष्ठों में बहुत बड़ा खेल हो जाता है  इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि काष्ठागारों में नीलाम पश्चात लगाई गई बोली के मुताबिक  लाट को क्रय पश्चात व्यापारी द्वारा दस परसेंट अमानत राशि विभाग में जमा की जाती है तथा एक निर्धारित अवधि में लगभग ( डेढ़ माह )नीलाम से क्रय की गई काष्ठों के उठाने का अनुबंध होता है ताकि निश्चित समय अवधि में नीलाम से क्रय किए गए काष्ठ को व्यापारी उठा लेगा  यदि व्यापारी द्वारा निर्धारित तिथि समय मे लाट नही उठाता है तो अमानत राशि वन विभाग द्वारा राजसात की जा सकती है परन्तु वन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उक्त अमानत राशि निर्धारित तिथि समय में न मिलने के बाद भी एक बड़ी रकम लेकर पंजी रजिस्टर  इत्यादि में छोड़े गए पूर्व तिथि अथवा कॉलम में निर्धारित तिथि समय में राशि मिलना दर्शा दिया जाता है तथा इसके एवज में एक बड़ी राशि व्यापारी से ले कर सैटिंग कर ली जाती है 



वही चर्चा यह भी  है कि नीलाम किए गए लाट में काष्ठागार कर्मचारीयों द्वारा अधिकारियों के दिशा निर्देश  पर नीलाम द्वारा क्रय किए गए और निर्धारित समय तिथि में उठाए जाने वाले लाट में अतिरिक्त रखे गए लाट जो पंजी में दर्ज नही होता ऐसे बेशकीमती इमारती काष्ठों का  बड़ा लेनदेन कर काष्ठ परिवहन कर दिया जाता है जिसकी बाहर  भनक तक नही लग पाती और इस प्रकार बड़े काष्ठागारों के  काष्ठ नीलामी  में एक बड़ा खेल हो जाता है पिछली तिथि में गड़बड़,घोटाला वाला यह खेल केवल काष्ठागारों में ही नही होता अपितु कार्यालय द्वारा क्रय किए गए वस्तूओं,भंडारण निर्माण, सामग्रियों का क्रय वाला खेल वन विभाग के कार्यालयीन उपयोग में आने वाले  अन्य  सामग्रीयों में भी खेला जाता है जिसमे विक्रेता से लेकर ठेकेदार,सप्लायर और अधिकारी लाल हो रहे है,ऐसे गड़बड़ी वाले खेल में विभाग द्वारा डाक द्वारा पत्र व्यवहार करने की बजाए- ब-दस्त-पत्र व्यवहार किया जाता है ऐसे निविदाकार,ठेकेदार,क्रेता, सप्लायर,फर्जी तरीके से कार्यों को अंजाम देते है तथा पतासाजी करने पर ऐसे ठेकेदारों सप्लायर के पता भी ज्ञात नही हो पाता ज्ञात तो यह भी हुआ है कि कुछ विभागीय कर्मचारी अपने परिवार के नाम से भी ऐसा खेल खेलते है इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि वन विभाग का एक बहुत बड़ा धड़ा इस काले गोरख धंधे, गड़बड़ घोटाला  भ्रष्टाचार में लिप्त है जिसके चलते कोई भी अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर आंख तरेर नही सकता अर्थात गड़बड़ घोटाला, भ्रष्टाचार के इस हम्माम में सारे के सारे नंगे है रहा अन्य नियोजित मैदानी घोटाला तो अमूमन देखा यह जा रहा है कि प्रदेश भर में अवैध काष्ठ तस्करी  परिवहन मामले में लगातार वन कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आ रही है जिसके चलते ही लघु मंझोले काष्ठागार,डिपो में काष्ठों का संचय किए जाने में भारी कमी दिख रहा है विभागीय कर्मचारियों द्वारा काष्ठ माफियाओं से सांठगांठ कर वनों के एक बड़े हिस्से के परिपक्व इमारती पेड़,वृक्ष मे बगैर विभागीय,हैमर मार्किंग के कटाई कर अतिरिक्त आय का साधन बना लिया गया है जो छोटे मंझोले काष्ठागार डिपो के खाली होने में यही कारण माना जा रहा है क्योंकि इसका साक्षात उदाहरण यह है कि 14 अगस्त 2020 को आरंग परिवृत के द्वारा ग्राम फरफौद के काष्ठ माफिया अशोक चंद्रकार व अन्य के द्वारा अवैध काष्ठ परिवहन करते हुए दो ट्रेक्टर ट्राली में परिपक्व इमारती काष्ठ के गोले का वन अधिनियम अंतर्गत पंचनामा क्रमांक 1652/19/तथा 1652/20/ के तहत वाहन क्रमांक सी जी 04 डी एम 5985 एवं सी जी 04 एच एल 6149 में अवैध मिश्रित प्रजाति जिनमे करही,आम कहुआ , सेमल,शिशु नीम,,इत्यादि कुल 52 नग परिपक्व गोले जिनका कुल घनत्व 6.417 घन मीटर का पी ओ आर कर वन अधिनियम की  1927 की धारा 52 एवं धारा 41 के अंतर्गत जब्ती नामा बनाया गया था परन्तु उन्हें मात्र दस-दस हजार कुल बीस हजार लेकर  राजीनामा कर लिया गया  जबकि ग्राम फ़रफौद निवासी अशोक चंद्राकर  को वन विभाग द्वारा व्यापार हेतु 100 घन मीटर जलाऊ सूखे टहनी, काष्ठ का एक वर्षीय पंजीयन जारी किया गया था परन्तु उसके द्वारा अपने एक अन्य ड्राइवर साथी के माध्यम से लगभग 6.417 घन मीटर परिपक्व गोले का परिवहन करते पकड़ा गया जब्ती नामा सहित सुपुर्द नामा के संपूर्ण लेख विभाग के निचले स्तर के वन रक्षक  कर्मचारीयों द्वारा किया गया है 

जबकि वन अधिनियम की धारा 68 एव 26 में स्पष्ट लेख है कि रेंजर अथवा एस डी ओ जिनकी शासकीय सेवाकाल लगभग दस वर्ष  पूर्ण हो चुकी हो वही वनोपज काष्ठों की कटाई सहित पंचनामा सुपुर्दनामा तैयार कर प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करता है वही काष्ठों के घनत्व के हिसाब से उसका मूल्यांकन सी एफ़ द्वारा गैर वानिकी दर पर निर्धारित किया जाता है तथा पकड़े जाने पर अथवा अवैध काष्ठ,वनोपज परिवहन कर्ता को निर्धारित दर से दोगुनी राशि कर,महसूल मुआवजा की भरपाई कर राजी नामा होता है वहीं जिस वाहन,ट्रेक्टर से परिवहन किया जा रहा हो ऐसे वाहन को आर टी ओ के द्वारा मूल्यांकन कर उस के वर्तमान मूल्य के हिसाब से राशि वसूली की जाती है वन अधिनियम में यह भी स्पष्ट उल्लेख है कि काष्ठ अथवा वनोपज का अवैध परिवहन करने वाले अपराधी को छोड़ने,राजीनामा का  आधार  उस वक्त बनता है जब उसी ग्राम के ग्रामीणों द्वारा यह कथन कि अपराधी निसहाय लाचार,विकलांग, गरीब हो तब उस परिस्थिति में उसे डबल महसूल मुआवजा कर रोपण कर राजीनामा किया जाता है  परन्तु रायपुर वन मंडल कार्यालय अतंर्गत आरंग परिवृत के परिक्षेत्राधिकारी अनूपचन्द अवधिया डिप्टी रेंजर लोकनाथ ध्रुव ने सारे नियम कानून को धता बताते हुए  अवैध परिवहन कर्ता को मात्र बीस हजार रुपये में राजीनामा कर लिया गया यह बात लोगों के गले नही उतर रही है जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम के अतंर्गत प्राप्त संपूर्ण कार्यवाही के प्राप्त दस्तावेजों में यह ज्ञात हो रहा है कि रायपुर उड़नदस्ता के कर्मचारी ही मौका स्थल पर वहां उपस्थित थे बाकी सब अधिकारी केवल तमाशबीन बने थे जो पद में छोटे कर्मचारियों से अपनी कलम फंसाने की बजाए केवल उसे मार्गदर्शन देते रहे ? और लिखित कार्यवाही करवा लिया गया  यानी खुद मुद्दई और खुद गवाह भी बन गए,,  यहां उल्लेखनीय यह भी है कि पकड़े गए काष्ठ के नाम गोले की लंबाई गोलाई तो लिखी गई परन्तु  गैर वानिकी काष्ठों के दर जो सी एफ़ द्वारा जारी  किया जाता है उसका कहीं भी उल्लेख नही है जो कर्मचारियों द्वारा की गई कार्यवाही में अनेक सन्देह पैदा करता है ? वही वाहन मूल्य जो सूचना अधिकार में प्राप्त किए गए है उसमें ट्रेक्टर ट्राली का वर्तमान मूल्य सात लाख रुपये आंकी गई है जिसे भी बगैर मुआवजा के छोड़ दिया गया जबकि दो ट्रेक्टर ट्राली में 6.417 घन मीटर के परिपक्व ताजे काष्ठ जिसे गवाह और सुपुर्द नामा में सूखे टहनी जलाऊ लकड़ी दर्शाना एक सोची समझी रणनीति के तहत कार्यवाही किया जाना माना जा रहा है और राजीनामा कर छोड़ने के पीछे बड़े लेनदेन की बात से भी इंकार नही किया जा रहा है वन अधिनियम में यह भी स्पष्ट उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ पेड़ चाहे वह किसी भी प्रजाति का हो का यदि कोई पातन करता है तो पूर्व की भांति एक हजार रुपये जुर्माना से बढ़ा कर रुपये दस हजार रुपये जुर्माना प्रावधानित किया गया है परन्तु यहां तो अनेक इमारती,औषधीय प्रजाति के काटे गए गोले थे फिर किस  निशक्तता,लाचारी मजबूरी,गरीबी,देखकर  विभागीय अधिकारियों ने आरोपियों पर मात्र बीस हजार करारोपण कर छोड़ दिया गया ?

जो अब भी अनेक सवाल खड़ा कर रहा है ? जबकि आरोपी स्वयं दो ट्रेक्टर ट्राली का स्वामी है तथा क्षेत्र भर के आरमिलों में अवैध रूप से काष्ठ सप्लाय करता है   जिसे विभागीय अधिकारियों,कर्मचारियों के प्रश्रय देते हुए  मात्र बीस हजार रुपये देकर राजीनामा कर लिया गया ? यदि विभागीय अधिकारी  वन अधिनियम के अनुकूल कार्यवाही करते तो विभागीय कार्यवाही के साथ साथ माननीय सक्षम जिला न्यायालय के समक्ष संपूर्ण प्रकरण प्रस्तुत किया जा सकता था तथा वर्षों से वनों का दोहन शोषण करने वाले ऐसे दक्ष,पारंगत,पेशेवर, काष्ठ माफियाओं के विरुद्ध  नकेल कसते हुए कठोर कार्यवाही की जा सकती थी मगर रायपुर वन मंडल के परिक्षेत्राधिकारी अनूप चंद अवधिया डिप्टी रेंजर लोकनाथ ध्रुव उड़न दस्ता के कर्मचारियों द्वारा विभागीय नियमो को धता बताते हुए केवल आर्थिक स्वहित साधने के उद्देश्य से  काष्ठ माफियाओं पर कृपादृष्टि बनाए रखते हुए उन्हें लचीले वन अधिनियम में उलझा कर  एक बड़ी राशि लेकर एक प्रकार से उन्हें संरक्षण प्रदान किया है  अब उसका ही परिणाम है कि नवापारा परिवृत से लेकर,नवा रायपुर, आरंग परिवृत से लेकर महासमुंद बार नवापारा,सिरपुर,बलौदा बाजार  तक कथित काष्ठ माफियाओं ने अपना एक छत्र  जंगल राज स्थापित कर लिया है तथा खुल कर वनोपज,वन काष्ठों का दोहन,शोषण कर रहे है और वन अधिकारी वन के मैदानी कर्मचारीअंध मूक बधिर की भांति अपना आंख मुंह कान सब बंद किए हुए है जब यह समाचार लिखा जा रहा था तभी सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि विधान सभा धनेली ग्राम के समक्ष एक ट्रैक्टर ट्राली में काष्ठ परिवहन करते पाटले नामक विभागीय कर्मचारी सहित टीम ने रायपुर शहर जो दो सेक्टर में विभाजित है  रायपुर रेंजर मिर्जा फिरोज बेग के नेतृत्व में पकड़ा  तथा अवैध काष्ठ परिवहन कर्ता से बड़ी राशि लेकर छोड़ने की मांग  की बात सामने आई है जो इनके मिली भगत वाले रिश्तों में कडुवाहट आने का आभास कराता है जबकि इस संदर्भ में सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि काष्ठ तस्करों द्वारा परस्पर डेढ़ से दो लाख की एक बड़ी राशि संग्रहण कर  आरंग परिवृत नवा रायपुर डिवीजन,मंदिर हसौद के कर्मचारियों को पहुंचाया गया था  उसके बावजूद विधान सभा क्षेत्र में पकड़े गए अवैध परिवहन करते हुए रायपुर वन कर्मियों द्वारा बड़ी राशि की मांग से त्रस्त तस्करों ने क्षेत्रीय विधायक से भी राजनीतिक एप्रोच  लगाया परंतु मामला नही सुलझा,,,जिसे लेकर काष्ठ माफिया विभाग के कर्मचारियों को ही अब डाकू की उपमा दे रहे है,जो अफसर ..तस्कर..मसौरे भाई की उक्ति को सार्थक करता है बहरहाल कुल मिलाकर यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि आज नही तो कल  मामला लेनदेन से ही सुलटेगा तथा विभागीय कार्यवाही का कुछ पता भी नही होगा यानी बगैर अपराध पंजीबद्ध किए कर्मचारी बाला बाला अपनी जेब गरम कर लेंगे और प्रारंभ होगा काष्ठ तस्करी का एक नया अध्याय जिसमे यही विभाग के कर्मचारी भविष्य में अवैध  कटाई तस्करी और उसके परिवहन को संरक्षण देने से भी गुरेज नही करेंगे जो विभाग के राजस्व को नुकसान पहुंचाएगा ही साथ वनों का दोहन भी अनवरत जारी रहेगा ?अब देखना होगा छग वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अवैध  कटाई और परिवहन के साथ रायपुर वन मण्डल के रेंजर चौकड़ियों के द्वारा संरक्षण में फल फूल रहे अवैध  तस्करी पर  कहां तक अंकुश लगाने में कामयाब होते है या फिर ये सिलसिला यूं ही अनवरत चलता रहेगा ?  

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

हिमालय के प्राचीन 800 वर्ष ध्यान संस्कार को ग्रहण करने का निशुल्क अवसर

 हिमालय के प्राचीन 800  वर्ष ध्यान संस्कार  को ग्रहण करने का निशुल्क अवसर



 श्री शिव कृपानन्द स्वामी जी के 8 दिवसीय ध्यान योग महा शिविर के प्रवचन का लाभ प्रसारण 23 से 30 दिसंबर गुरुतत्व यु ट्यूब चैनल में प्रातःकाल 6 से 8 बजे एवं रिपीट टेलीकास्ट  संध्या 6 बजे से 8 बजे किया जाएगा यह वर्ष मानसिक स्वस्थ्य के लिए बड़ा कठिन साबित हो रहा है ऐसे में ध्यान द्वारा किस प्रकार अपने जीवन को संतुलित किया जा सकता है इस हेतु श्री शिवकृपानंद स्वामी की आठ दिवसीय ध्यान महा शिविर का आयोजन कर रहे हैं यह सभी जात धर्म के परे है

रविवार, 20 दिसंबर 2020

छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव संघ का एक दिवसीय सांकेतिक रैली धरना प्रदर्शन आज*

 


*छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव संघ का एक दिवसीय सांकेतिक रैली धरना प्रदर्शन आज*

रायपुर @छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव संघ ग्राम पंचायत सचिव संघ के प्रांतीय आह्वान पर पंचायत सचिव संघ अपने एक सूत्रीय मांग पंचायत सचिव का 2 वर्ष परीवीक्षा अवधि समाप्ति पर शासकीय करण करने संबंधित सभी 28 जिला मुख्यालयों में प्रांत अध्यक्ष श्री तुलसी साहू जी के आव्हान  पर धरना प्रदर्शन रैली निकाला जाएगा।

             छत्तीसगढ़ प्रदेश पंचायत सचिव जो 29 विभाग के 200 प्रकार के कार्यों को जमीनी स्तर पर ईमानदारी पूर्वक कार्य का निर्वहन करते हुए राज्य शासन एवं केंद्र शासन के समस्त सेवाओं को लोकतंत्र के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य करते हैं अभी वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 के संक्रमण रोकथाम में रात दिन ड्यूटी करते हुए 25 सचिव साथीयो का स्वर्गवास हो गया जिसे बीमा योजना की सुविधा नहीं होने के कारण सचिवों की परिवार का आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति खराब हो रहा है ।
           सचिव संघ विगत 25 वर्षों से शासन प्रशासन को अवगत कराते कराते कई सचिव साथी बिना कुछ बीमा सुविधा के सेवानिवृत्त हो जाने के कारण आज सचिवों के परिवार की स्थिति खराब है।
         पंचायत सचिव के साथ नियुक्त कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी को शासन द्वारा शासकीयकरण कर दिया गया है केवल पंचायत सचिव शासकीयकरण से वंचित है ज्ञात हो जी की पंचायत सचिवों की नियुक्ति 1995 में 500 रुपये से कार्य करते आ रहे है । 25 वर्षों से शासन प्रशासन से प्रताड़ित  एवं उपेक्षित है । पंचायत सचिवों को कभी  समय पर वेतन नहीं मिलता है ना ही शेष राशि  का भुगतान किया गया ना ही  ऑनलाइन वेतन भुगतान की सुविधा  दिया गया है ।
पंचायत सचिवों को अनुग्रह राशि केवल ₹25000 ही दिया जाता है , जबकि अन्य विभाग के कर्मचारियों को ₹50000 अनुग्रह राशि दिया जाता है अंशदाई पेंशन योजना 2012 से लागू है जिनका लाभ  छत्तीसगढ़ पंचायत सचिवों को आज तक  नहीं मिल पा रहा है  विभागीय पद में पदोन्नति एवं क्रमोन्नति का लाभ  मिल रहा है ।
पंचायत सचिवों को शासकीयकरण करने हेतु प्रदेश के 65 सम्मानीय विधायकों द्वारा अनुशंसा पत्र शासन को प्रेषित किया जा चुका है इस समर्थन पत्र को माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने हेतु राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब सहित सभी 28 जिला मुख्यालयों में पंचायत सचिव संघ अपने शासकीयकरण की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन व रैली निकालकर शासन प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे। उक्त जानकारी  सतीश नारंग अध्यक्ष सचिव संघ आरंग द्वारा दिया गया।

शनिवार, 19 दिसंबर 2020

सचिव संघ आरंग के बैठक में लिए गए हितकारी निर्णय.सोमवार से प्रारंभ होगा मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन,,,सभी ग्राम सचिवों की उपस्थिति अनिवार्य -सतीश नारंग

 

सचिव संघ आरंग के बैठक में लिए गए हितकारी  निर्णय.सोमवार से प्रारंभ होगा मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन,,,सभी ग्राम सचिवों की उपस्थिति अनिवार्य -सतीश नारंग



   आरंग (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)शनिवार को जनपद पंचायत आरंग के सभा कक्ष में सचिव संघ अध्यक्ष श्री सतीश नारंग जी की अध्यक्षता एवं श्री गोवर्धन साहू उपाध्यक्ष, श्रीमती पुष्पा गोश्वामी  के गरिमामयी उपस्थिति में सचिव संघ की बैठक  सम्पन्न हुआ जिसमें अनेक संबंधित मांगों को लेकर निम्न विषय पर चर्चा कर निर्णय लिया गया-- कि सोमवार 21/12/2020 को जिला मुख्यालय रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल  में एक दिवसीय रैली प्रदर्शन में शत प्रतिशत समस्त सचिव साथियों को शामिल होना अनिवार्य किया गया है। स्थानीय रूप से मांगों को लेकर


दिनांक 24/12/2020 को जनपद मुख्यालय आरंग में रैली/धरना प्रदर्शन कर आरंग के एस डी एम,/सी ई ओ /तहसीलदार प्रशासनिक अधिकारियों  को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  के नाम ज्ञापन सौपने हेतु सभी सचिव साथियों को अनिवार्य रूप से शामिल होने अपील की गई है बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि संघठन को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करने हेतु पूर्व निर्धारित शुल्क सहित वर्तमान संघर्ष शुल्क जो पूर्व के 1500 रुपये और वर्तमान में 1000 रुपये अतिरिक्त राशि सहित कुल 2500 रुपये को धरना प्रदर्शन दिनांक 24/12/2020 तक अनिवार्य रुप से जमा करने का निर्णय लिया गया है। जो साथी के द्वारा पूर्व में 1500 रुपये जमा किया गया है उनको केवल 1000 रूपये जमा करना होगा।


शुल्क जमा कराने व हड़ताल में शामिल कराने हेतु 14 सैक्टर में बाट्कर सैक्टर प्रभारी अपने पंचायत के सचिव साथी से शुल्क  लेकर कोषाध्यक्ष व उप कोषाध्यक्ष के पास जमा करने हेतु मोबाइल से सम्पर्क करेंगे और जमा नहीं करने वाले सचिव साथी की जानकारी कोषाध्यक्ष व उप कोषाध्यक्ष को अवगत कराने सबंधित निर्णय लिया गया है।
दिनांक 26/12/2020 से हड़ताल में जाने के पुर्व 24/12/2020 को सभी सचिव साथी अपना DSC संघ में जमा करेंगे।कार्यालयों में संलग्न सभी सचिव को रैली/प्रदर्शन एवं हड़ताल में शामिल होना अनिवार्य  होगा।
राशन कार्ड शाखा में नया राशन बनाने, नाम जोडने, काटने,  पीडीएफ कॉपी से सबंधीत समस्या का निराकरण करने हेतु एवं सचिव साथी के रुके हुये वेतन भूगतान के सबंध में चर्चा किया जिसमें आदरणीय सीईओ साहब को ज्ञापन सौपा गया जिसमें साहब द्वारा जल्द निराकरण करने का आश्वासन दिया गया। आरंग विधानसभा के माननीय विधायक व मंत्री जी के कार्यालय में मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन सौपा गया।

बैठक में कोरोना संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए समस्त नियमों का पालन किया गया वही धरना प्रदर्शन में पूरी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील भी की गई है 


सादर धन्यवाद💐 
श्री सतीश नारंग अध्यक्ष
श्री गोवर्धन साहू उपाध्यक्ष 
श्रीमती पूर्णिमा वर्मा उपाध्यक्ष
श्रीमती पुष्पा गोश्वामी उपाध्यक्ष रायपुर
*====सचिव संघ आरंग=====*

मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

अनेश बजाज ऑल इंडिया कांग्रेस वर्क्स कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं छत्तीसगढ़ स्टेट का प्रभारी पर्यवेक्षक नियुक्त सिंधी समाज में खुशी

 अनेश बजाज  ऑल इंडिया कांग्रेस वर्क्स कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं छत्तीसगढ़ स्टेट का प्रभारी पर्यवेक्षक नियुक्त  सिंधी समाज में खुशी


फॉरेस्ट क्राइम न्यूज

रायपुर. छत्तीसगढ़ सिंधी कल्याण समिति के प्रदेश महासचिव पूर्व महामंत्री शहर कांग्रेस कमेटी के सक्रिय व कर्मठ कॉग्रेस पार्टी के सजग प्रहरी व सिंधी समाज के जागरूक वरिष्ठ समाजसेवी श्री अनेश बजाज को ऑल इंडिया कांग्रेस वर्कर्स कमेंटी AICWC (G) मे राष्ट्रीय सचिव के पद पर नियुक्त किए जाने एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रभारी पर्यवेक्षक बनाए जाने पर कांग्रेस पार्टी एवं सिंधी समाज ने राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं फाउंडर श्री गौतम सिन्हा राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर हनुमान राव आईटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुधीर महाजन का आभार व्यक्त किया 



अनेश बजाज की नियुक्ति राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर हनुमान राव जी की पहल व अनुशंसा से राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतम सिन्हा द्वारा की गई।

इस नियुक्ति के पश्चात इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के अनेश बजाज ने कहा कि मैं पूर्व की भांति निरंतर आगे भी निकट भविष्य में कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने में अग्रसर रहूंगा कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी के हाथों को और मजबूती प्रदान करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगा।


अनेश बजाज ने आगे कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी व जवाबदारी दी गई है मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतम सिन्हा जी, राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर हनुमान राव , पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुधीर महाजन  को विश्वास दिलाता हूं कि पूर्ण कर्तव्य निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करूंगा। उन्होंने कहा  कि मुझे खुशी है कि मैं कांग्रेस पार्टी का वर्कर हूं,एक सिपाही हूं,  और सौपे गए दायित्व के लिए मैं श्री राहुल गांधी  श्रीमती प्रियंका गांधी  का भी आभारी हूं उनकी नियुक्ति को लेकर  कांग्रेस व सिंधी समाज में हर्ष व्याप्त है श्री बजाज को इस नियुक्ति पर छत्तीसगढ़ सिंधी कल्याण समिति, सिंधु शक्ति, वीर हेमुकालानी समिति, छत्तीसगढ़ सेंट्रल सिंधी पंचायत, श्री राम मंडली, सिंधु विकास समिति, श्री राम युवा मंडली, संत कंवर राम समिति के अलावा कई संगठनों, बुजुर्गों, मुखियागणों, युवाओं, एवं महिलाओं के साथ कई गणमान्य जनों ने बधाइयां व शुभकामनाएं दी है। साथ ही इस नियुक्ति पर हर्ष व खुशी व्यक्त करते हुए सभी कांग्रेसी जनों एवं राष्ट्रीय नेताओं का आभार व्यक्त किया है।


रविवार, 13 दिसंबर 2020

धूल और गड्ढों से वार्ड वासी परेशान स्मार्ट सिटी रोड के नाम पर स्तरहीन सड़क निर्माण की शिकायत की जाएगी -श्रीमती लता सुनील चौधरी

 धूल और गड्ढों से वार्ड वासी परेशान स्मार्ट सिटी रोड के नाम पर स्तरहीन  सड़क निर्माण की शिकायत की जाएगी -श्रीमती लता सुनील चौधरी 



रायपुर राजधानी में लगभग सभी वार्डों में स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत अनेक विकास कार्य हो रहे है मगर राजधानी के वार्डों में नल जल योजना सहित अन्य मार्गों में सड़क नाली निर्माण से वार्ड वासी भी खासे परेशान हो रहे है जिसे लेकर पंडित रवि शंकर शुक्ल वार्ड क्रमांक 35 के पूर्व पार्षद श्रीमती लता सुनील चौधरी ने किए जा रहे घटिया,गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों एवं धूल से परेशान वार्ड वासियों को हो रही स्वास्थ्यगत तकलीफ को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए इसकी शिकायत ऊपर तक करने की बात कही है पर्व पार्षद लता सुनील चौधरी ने  आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि बांठिया नर्सिंग होम के समीप सड़क निर्माण के लिए खोदे गए गड्ढे की वजह से आसपास के रहवासी परेशान हो रहे है तथा उनके

घर  आने जाने का रास्ता ही बंद कर दिया गया है उसी प्रकार संपूर्ण रवि शंकर शुक्ल वार्ड में नल जल योजना के तहत किए गए गड्ढे में पाइप बिछाकर उस पर भी बजरी गिट्टी,मुरमी मिट्टी तथा कहीं कहीं सीमेंटीकरण कर लीपापोती कार्य किया जा रहा  है तथा अब तक एक ही कार्य को बारबार कर जनता के राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है ऐसे स्तरहीन कार्यों की वजह से उड़ती धूल से वार्ड वासी काफी परेशान हो रहे है तथा उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है सड़क निर्माण को लेकर  उन्होंने निर्माण एजेंसी, कंपनी,ठेकेदार,एव स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार होने की आशंका भी व्यक्त की है वही सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा श्रेय लेने की होड़ में शीघ्र सड़क निर्माण कर घटिया स्तर हीन सड़क निर्माण का आरोप लगाया है उन्होंने कहा कि



     पं रविशंकर शुक्ल वार्ड में डॉक्टर बाँठिया नर्सिंग होम के पास स्मार्ट सिटी रोड का हाल यह है कि पिछले दो दिनो से रानी सती मंदिर गली में निवासरात लोगों के आने जाने का रास्ता गढ्ढा खोद कर बंद कर दिया गया है तथा आनन फानन में आधी अधूरी सड़क का ही लोकार्पण कर दिया गया।तथा  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  को दिखावा और संतुष्ट करने के लिए जल्दी कार्य करने के चक्कर मे घटिया निर्माण किया गया है । आधी सड़क के नीचे लोहे के जाली लगाकर कांक्रीटीकरण किया गया है जबकि आधी में सिर्फ़ डामरीकरण कर मार्ग में लीपापोती की गई  है । उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट सिटी के पैसे का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है । आम जनता पिछले कई दिनो से परेशान है । जनता की समस्या का ध्यान रखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली में इसकी लिखित शिकायत कर स्तरहीन सड़क निर्माण को पुनः खनन करवाकर जाँच की माँग की जाएगी 



सोमवार, 7 दिसंबर 2020

पंचायती राज में चयनित गौठान समिति सदस्यों से गौठान निर्माण में लग रहा ग्रहण...उधारी मे कब तक ग्राम विकास की उम्मीद

  पंचायती राज में चयनित गौठान समिति सदस्यों से गौठान निर्माण में लग रहा ग्रहण...उधारी मे कब तक ग्राम विकास की उम्मीद


 




 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग प्रदेश के पंचायती राज में वैसे तो राज्य सरकार अनेक जनकल्याणकारी रोजगार मूलक योजनाओं की घोषणा कर उसके वास्तविक धरा पर सफल  क्रियान्वयन हेतु प्रयास रत दिखाई दे रही है परन्तु ग्राम पंचायतों के सरपंच पंचगण के समक्ष भी अनेक विपत्ति एवं विसंगतियां उनके समक्ष  सुरसा की भांति मुंह फाडे भी खड़ी है जिससे राज्य शासन द्वारा लागू विभिन्न योजनाओं पर पलीता लगता दिखाई पड़ रहा है   वही प्रदेश के ग्राम पंचायतों के सरपंच,पंचगण राज्य शासन की खोखली जन कल्याणकारी  नीतिगत घोषणा एव कार्य शैली से क्षुब्ध नज़र आ रहे है



  छत्तीसगढ़ प्रदेश की सर्वाधिक चर्चित योजना नरवा,गरवा, घुरूवा,बाड़ी के सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य शासन द्वारा घोषणा किए जाने के पश्चात विगत वर्ष 2019 से इसका निर्माण कार्य द्रुत गति से जारी है कोरोना संक्रमण जैसे महामारी दौर में भी ग्राम पंचायतों के पंच सरपंच द्वारा मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराते हुए  इसका निर्माण किया इसके एवज में राज्य सरकार आर्थिकी अल्पता के चलते इन्हें माकूल राशि उपलब्ध नही कराई गई जिसकी वजह से गौठनों में कार्यरत अनेक श्रमिकों के भुगतान और निर्माण सामग्री के भुगतान में विलंब होता गया परिणामतः अनेक ग्राम प्रधान सरपंचों ने यह बात स्वीकारी कि उन्हें गौठान में निर्माण कार्य संपादन हेतु ब्याज से राशि लेनी पड़ी तथा अब तक राज्य शासन द्वारा पंचायती राज में छुटपुट राशि जारी करने  को छोड़ कर कई बड़े भुगतान लंबित है एक प्रकार से ग्राम पंचायतों का विकास उधारी में चलने की बात कही जा रही है इस संदर्भ में अनेक सरपंचों ने यह भी कहा कि दीपावली जैसे त्योहार में कुछ ने राशि ब्याज में लेकर श्रमिक भुगतान किया तो किसी ने श्रमिकों का भुगतान न कर पाने के कारण मुंह छुपा कर दीपावली त्योहार मनाया कथनाशय यह है कि किसी भी योजना के सफल क्रियान्वयन में  राशि उसकी रीढ़ मानी जाती मगर प्रदेश भर के सरपंच राज्य शासन से मिलने वाली राशि से वंचित होने पर भविष्य में गौठान और नरवा गरवा घुरूवा बाड़ी जैसी योजनाओं के सफल होने पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है



तथा राज्य शासन के  निर्णायक नीति को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों में  राज्य शासन के ऐसी ढुलमुल नीति को लेकर विरोध के स्वर भी मुखर हो रहे है वही ऐसे नीतियों पर भी ग्राम सरपंच आक्रोशित नजर आए जिसमे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है  इस संदर्भ में  आरंग विकासखण्ड अंतर्गत  ग्राम पंचायत गौरभाट के सरपंच प्रतिनिधि चिम्मन लाल साहू ने बताया कि लंबे समय से राज्य शासन द्वारा राशि नही भेजी जा रही है जिसके चलते विकास कार्य ठप्प पड़ा हुआ है यहां तक गौठान निर्माण कार्य भी पेंडिंग है जिसे वे अब हाथ भी लगाना नही चाहते उन्होंने इसकी वजह गलत तरीके से गौठान समिति सदस्यों का चयन किया जाना बताया उन्होंने आगे बताया कि ग्राम गौरभाटा में  गौठान समिति के चयन हेतु जिला सीईओ तथा विकासखण्ड सीईओ के माध्यम से एक पत्र जारी कर गौठान समिति के गठन हेतु नाम चयन कर भेजे जाने का पत्र जारी किया गया था परन्तु जब उनके द्वारा ग्राम सभा प्रतिनिधि एवं महिला समुहों द्वारा बारह सदस्यों की सूची प्रेषित की गई तब प्रभारी मंत्री द्वारा प्रेषित नामो के स्थान पर अपने समर्थक,प्रशंसकों ,के नामों का चयन कर ग्राम गौठान अध्यक्ष से लेकर सदस्यों की चयनित सूची जारी कर दिया गया उन्होंने सवाल किया है कि यदि स्वयं ही ग्राम गौठान समिति सदस्यों का चयन करना था तो जिला सीईओ द्वारा पत्र सर्क्युलर जारी कर चयन प्रक्रिया का ढोंग और सारी औपचारिकता क्यो की गई ? 



इससे ग्राम पंचायत के सरपंच इत्यादि के अधिकार ,वर्चस्व,औचित्य, स्वयं  समाप्त हो जाते है ? उन्होंने बताया कि  गौठान समिति सदस्यों के गलत चयन प्रक्रिया की वजह से ग्राम में टकराव सहित असंतोष व्याप्त है इस संदर्भ में ग्राम गौरभाटा के सरपंच प्रतिनिधि चिम्मन लाल साहू ने बताया कि चयनित सदस्यों द्वारा ग्राम पंचायत प्रतिनिधि सहित पँचगणों को गौठान में प्रवेश  करने निषेध कर दिया गया इससे दीपावली के पूर्व दोनो पक्षों में जमकर हाथापाई हुई तथा प्रभारी मंत्री द्वारा चयनित गौठान सदस्यों द्वारा पुलिस में शिकायत  भी दर्ज किया गया एक प्रकार से सरपंच प्रतिनिधि ने आरोप लगाया है कि शासन के गलत निर्णय की वजह से ग्राम पंचायतों में मनमुटाव तथा परस्पर विद्वेष की भावना पनप रही है  तथा ग्राम सरपंच पंच का अस्तित्व लगभग शून्य हो गया है वही ग्राम निसदा के सरपंच देवकुमार साहू ने बताया कि गौठान समिति चयन प्रक्रिया गलत तरीके से हुई है जिसकी वजह से उन्हें भी बड़ी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है सरपंच देवकुमार साहू  ने बताया कि परस्पर वैचारिक मतभेद टकराव की स्थिति को टालने के उद्देश्य से  चयनित गौठान सदस्यों का ग्राम पंचायत सभा मे प्रवेश प्रतिबंध कर दिया गया है तथा न ही हमारे पंचगण सदस्य गौठान में प्रवेश करते है देवकुमार साहू ने बताया कि जब शासन द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से गौठान निर्माण करवाया गया तो उसके देखरेख सुरक्षा और विकास का अधिकार भी ग्राम पंचायतों के हाथ होना चाहिए तथा ग्राम गौठान के समिति सदस्यों के चयन करने का अधिकार भी ग्राम पंचायतों का ही बनता है न कि शासन में बैठे प्रतिनिधि की यह जवाबदेही बनती है कि गौठान समिति सदस्यों के नाम की सूची मंगवाकर अपने मंशानुरूप चयन प्रक्रिया की जाए सरपंच देवकुमार ने यह भी बताया कि राज्य शासन से मिलने वाली राशि का बड़ा टोंटा है तथा अब तक अनेक निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित है  राशि न मिलने का दुखड़ा सुनाए भी तो किसे सुनाए ? क्योंकि न जिले स्तर पर कोई सुनवाई है और न ही विकासखंड स्तर पर कोई कार्यवाही हो रही है ग्राम निसदा सरपंच देवकुमार साहू  ने कहा  कि यदि राज्य शासन स्वयं ही ग्राम गौठान निर्माण अपने चयनित सदस्यों से करवाना चाहती है तो प्रदेश भर के ग्राम पंचायतों के सरपंचों को गौठान निर्माण दायित्वों से पृथक कर दे ताकि हमारा उसपर कोई हस्तक्षेप न रहे तथा संपूर्ण आय व्यय का लेखा जोखा गौठान समिति सदस्यों से लिया जाए ताकि इसे लेकर टकराव की स्थिति निर्मित न हो ग्राम पंचायतों में विकास राशि न मिलने जैसी स्थित आसपास के अन्य ग्राम पंचायतों में भी सामने आ रही है ग्राम भलेरा के एक सदस्य ने बताया कि लंबे समय से ग्राम में निर्माण कार्य संपादित हो रहा है लेकिन शासन से अब तक राशि जारी नही हुआ है  ग्राम तामासिवनी के सरपंच प्रतिनिधि हेमलाल जांगड़े ने भी शासन द्वारा विभिन्न मदों से मिलने वाली राशि पर हो रही देरी पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी वजह से निर्माण कार्यों में विलंब हो रहा है और शासन है कि ग्राम विकास के नाम पर राशि ही जारी नही कर रही इसे कैसे ग्राम विकास समझा जाए ? यही व्यथा ग्राम गनौद के सरपंच प्रतिनिधि डागेश्वर साहू  ने भी स्वीकारी है तथा कहा है कब तक उधारी में ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर निर्माण कार्य करते रहे जबकि एक ओर राज्य शासन  सोशल साइट समाचारों  के माध्यम से यह भी कहती है कि सरकारी खजाना पूरी तरह से लबरेज है तो फिर ग्राम विकास के नाम पर राशि क्यों जारी नही की जा रही ?अनेक ग्राम के ग्रामीणों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि चंद अपवाद मॉडल गौठान को छोड़ दे जिन पर शासन के मंत्रियों के प्रतिनिधियों की विशेष कृपा दृष्टि है  तो  प्रदेश के अधिकांश अनेक ग्राम पंचायतों में राज्य शासन के  महत्वाकांक्षी योजना  नरवा गरवा घुरूवा,बाड़ी जैसी योजनाएं  मात्र कपोलकल्पित सी और फिसड्डी साबित  हो रही है तथा राशि के आबंटन  में हो रही कोताही तथा मनमाने रूप से चयनित सदस्यों के हस्तक्षेप के चलते कहीं भी विकास गति बढ़ती दिखाई नही दे रही है ग्रामीणों का कथन यह भी है कि राज्य शासन की यह योजना राशि के अभाव के चलते कहीं भविष्य में दम तोड़ती हुई  नज़र न आए  ? 

विधिक माप विज्ञान महासमुंद जिला के चयनित क्षेत्रों में शिविर के माध्यम से माप उपकरणों की सघन जांच

 विधिक माप विज्ञान महासमुंद जिला के चयनित क्षेत्रों में शिविर के माध्यम से माप उपकरणों की सघन जांच 





महासमुंद संवाददाता द्वारा

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) महासमुंद जिले के अंतर्गत विधिक माप विज्ञान महासमुंद  के द्वारा जिले भर में चयनित क्षेत्रों में शिविरों का माध्यम से उपकरणों की सघन जांच एव सत्यापन कार्य किया जा रहा है जिसमे अनेक असत्यापित उपकरण के मामले भी सामने आ रहे है इस संदर्भ में विधि माप विज्ञान महासमुंद जिला  अधिकारी श्री महेंद्र कुमार ने बताया  कि सराईपाली परिक्षेत्र में चयनित क्षेत्रों में शिविर लगाकर सघन जांच की गई जिसमें राइस मिल ट्रेडर्स, किराना दुकान,फल सब्जी दुकानों के नापतौल उपकरणों की जांच निरन्तर की जा रही है एवं सिंघोडा,बलौदा में शिविरों का आयोजन कर समस्त व्यापारी बंधुओं के नाप तौल उपकरणों का सत्यापन एवं मुद्रांकन किया जा चुका है  विधिक माप विज्ञान अधिकारी महासमुंद ने बताया कि सराईपाली में ट्रेडर्स,छड़ विक्रेता,एवं राइस मिलों की जांच की गई जिसमे अनेक असत्यापित उपकरणों के विरुद्ध नियमानुसार दो हजार रुपये से लेकर दस हजार रुुपाए तक की दंडात्मक कार्यवाही भी की गई है  उन्होंने बताया कि यह कार्यवाही सराईपाली क्षेत्र में सतत जारी रहेगी 

रविवार, 6 दिसंबर 2020

वन विकास निगम का हिटलरी फरमान.. पानाबरस मंडल कार्यालय से कुर्सियों को वापस मुख्यालय मंगाया ... कार्यालय के पचास फीसदी कर्मचारी क्षतिग्रगस्त कुर्सियों में कर रहे है काम

 वन विकास निगम का हिटलरी फरमान.. पानाबरस मंडल कार्यालय से कुर्सियों को वापस मुख्यालय मंगाया ... कार्यालय के पचास फीसदी कर्मचारी क्षतिग्रगस्त कुर्सियों में कर रहे है काम 


अलताफ हुसैन 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)कुर्सी पाने या उसको गंवाने का दर्द यदि कोई बता सकता है वह या तो कोई राजनीतिज्ञ इसका दर्द बखान कर सकता है या फिर कोई विभाग का अधिकारी,कर्मचारी ही इसकी पीड़ा बता सकता है वह भी तब जब उसके नीचे से कुर्सी खिसक गई हो चौकिए ! नही, यहां किसी अधिकारी,कर्मचारी के द्वारा भ्रष्टाचार गड़बड़,घोटाला अथवा कार्यालयीन विरोधी कार्यों के लिए किसी की कुर्सी नही गई बल्कि पूर्व में वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा किए गए 


गड़बड़,घोटाला,भ्रष्टाचार करके क्रय की गई कुर्सी के इधर से उधर कर वापस मुख्यालय में मंगवाने की वजह से कई अधिकारी कर्मचारी की कुर्सी चली गई अब स्थिति यह हो गई कि सारे कर्मचारी इस बात को लेकर चिंतित है कि कार्यालयीन कार्यों का संपादन किस कुर्सी में बैठ कर किया जाएगा यह उनके समक्ष सवाल खड़ा है फिलहाल, विकल्प के तौर पर वर्षों से कार्यालय में धूल खाती,टूटी फूटी पुरानी पड़ी कुर्सियों कुछ की ही मरम्मत करवा कर कार्य किया जा रहा है किस्सा कुर्सी का तो बहुत सुने गए है परन्तु ऐसा किस्सा जिसमे अधिकारियों ,कर्मचारियों के नीचे से कुर्सी जाने का प्रकरण सुना ही नही गया होगा मामला छग राज्य वन विकास निगम पानाबरस परियोजना मण्डल कार्यालय राजनांदगांव का है जहाँ नव निर्मित नवीन कार्यालय भवन में विगत वर्ष छग वन विकास निगम मुख्यालय नवा रायपुर अटल नगर से लगभग पन्द्रह से बीस रिवाल्विंग कुर्सियां भेजी गई थी जिसका उपयोग पानाबरस कर्मचारीगण कर रहे थे बताया जाता है कि जब कुर्सियां राजनांदगांव परियोजना मण्डल कार्यालय भेजी गई थी तब न ही उसका लिखित में कोई चालान भेजा गया था और न ही कुर्सियां टेबल की संख्या दर्ज कर कोई लिखित प्रमाणक कॉपी प्रदान की गई थी केवल मौखिक रूप से ही टेबल कुर्सी यहां भेज दिया गया था जबकि इसके पूर्व यह भी ज्ञात हुआ था कि मुख्यालय नवा रायपुर से राजनांदगांव पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में कुर्सियां भेजने के पूर्व वन विकास निगम के मुख्यालय में साल भर तक धूल खाती पड़ी हुई थी न ही इसका कोई मूलरूप से सदुपयोग हुआ था और न ही किसी अन्य कार्यों में इसकी उपयोगिता सिद्ध हुई थी अब कर्मचारियों के मस्तिष्क में यह सवाल कौंध रहा है कि जब कुर्सियों की मुख्यालय कार्यालय में कोई महत्वता अथवा उपयोगिता ही नही थी तो फिर वन विकास निगम मुख्यालय द्वारा इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त कुर्सियों का क्रय क्यों किया गया ?


कुर्सी क्रय के मामले में बहुत बड़ा गडवद झाला बताया गया है गौरतलब है कि वर्ष 2017-2018 में जब छग वन विकास निगम मुख्यालय कार्यालय नवा रायपुर अटल नगर में हस्तांतरित हुआ था तब तत्कालिक अध्यक्ष श्री निवासराव मद्दी एवं सेवानिवृत्त हो चुके एम डी. राजेश गोवर्धन द्वारा कार्यालयीन उपयोग हेतु बड़ी संख्या मे नए फर्नीचर जिनमे तथा कथित कुर्सियां भी शामिल है का क्रय किया गया था जिसे फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा प्रमुखता से समाचार का प्रकाशन कर यह आशंका व्यक्त किया गया था कि वन विकास निगम में लाखों के फर्नीचर खरीदी में बड़ेपैमाने पर गड़बड़ घोटाला को अंजाम दिया गया है परन्तु तात्कालिक समय इस संदर्भ में कोई भी कार्यवाही नही की गई क्योंकि तात्कालिक भाजपा काल मे भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाला,अपने चरम में था तथा नीचे से ऊपर तक वरिष्ठ अधिकारीयों से लेकर अफसर भ्रष्ट कार्यों में संलिप्त थे यहां तक वन विकास निगम में प्रमुख वित्त लेखाधिकारी (.सी.एस.) कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति भी नही की गई थी जिसके लिए मात्र औपचारिकता निभाते हुए वन विकास निगम लिमिटेड ने सीधी भर्ती हेतु छत्‍तीसगढ़ व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल रायपुर के द्वारा कंपनी सेक्रेटरी (CS) के पद पर प्रतियोगी परीक्षा के माध्‍यम से सीधी भर्ती करने हेतु 2019 में विज्ञापन जारी किया गया था परन्तु संभवतः यह भर्ती भी अब तक नही हो पाई होगी इसके चलते ही समस्त वित्तीय पॉवर एम डी.के अधिकार में था जिसका मनमाना वित्तीय लाभ एम. डी.तथा वरिष्ठ वित्तीय लेखापाल बी आर जैन जैसे वित्त अधिकारियों की मिली भगत के चलते राजस्व का खुलकर दोहन किया जाता रहा है तथा इसका भरपूर लाभ तात्कालिक छग राज्य वन विकास निगम अध्यक्ष श्री निवासराव मद्दी जैसे नेता भी उठाते रहे यदि इस संदर्भ में आज भी सरकारी जांच एजेंसी से जांच कराई जाती है तो एक बहुत बड़े आर्थिक,गड़बड़ी,भ्रष्टाचार,और घोटाले, का भंडाफोड़ हो सकता है बताते चले कि छग वन विकास निगम आर्थिज रूप से स्व पोषित संस्था है जो एक कंपनी की भांति स्वयं उत्पाद कर लाभ अर्जित कर निगम का संचालन करती है तथा इसका लाभांश वार्षिकी राशि राज्य सरकार को प्रदान करती है परन्तु विगत कुछ वर्षों से राज्य सरकार को दिए जाने वाली लाभांश राशि का ग्राफ भी निरन्तर गिरता जा रहा है जिसकी वजह वन विकास निगम में विगत कुछ वर्षों हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाले सहित अनियमितताओं को माना जा रहा है जबकि निगम में सीएस (कंपनी सिक्रेटरी) वित्तीय अधिकारी की नियुक्ति को लेकर अनेको बार फॉरेस्ट क्राइम द्वारा समाचार के माध्यम से आवाज़ उठाई गई परन्तु एम डी राजेश गोवर्धन द्वारा केवल औपचारिकता पूर्ण प्रक्रिया अपनाते हुए वन विकास निगम के वेब साइट में विज्ञापन जारी कर कार्यों की इतिश्री मान ली गई तथा संभवतः अब तक सी.एस. (कंपनी सिकरेट्री) की नियुक्ति छग वन विकास निगम में नही की गई जो अब भी वन विकास निगम के वित्तीय व्यवस्था के मामले में सन्देह उत्पन्न कर रहा है क्योंकि लगातार भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटालों के चलते अनेक अधिकारी वैतनिक आय से कई गुना अधिक आय अर्जित कर चुके है जिसमे वरिष्ठ लेखापाल के रूप में भी भोजराज जैन का नाम प्रमुखता से आता है इनके साथ आर जी एम के अतिरिक्त प्रभार के रूप में डॉ सोमदास मैडम जिनके पास दोहरा तिहरा प्रभार था उपरोक्त तथा कथित अधिकारियों के सन्दर्भ में यह चर्चा आम है कि इन्होंने अनेक स्थलों में चल अचल संपति अपने रिश्तेदारों के नाम पर अर्जित कर रखी है एम डी राजेश गोवर्धन ने भी अनेक चल अचल संपति अर्जित कर रखी है जो इनके भ्रष्ट कार्यशैली के चलते इनके अतिरिक्त आय को दर्शाता है जबकि सोमदास मैडम के द्वारा अभी छुट्टी में जाना बताया जा रहा है परन्तु यह भी चर्चा जोरों पर है कि सोमदास मैडम अपनी पदस्थी अन्य स्थान में न करवा ले क्योंकि तिकड़ी के रूप में इन लोगों ने निगम के आर्थिक ढांचे को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है तथा सब धीरे धीरे भ्रष्टाचार कर के वन विकास निगम को भ्रष्टाचार के काजल की काली कोठरी बनाकर यहां से दूर भागना चाह रहे है यही कारण है कि अकूत संपति अर्जित कर सब निगम से नौ दो ग्यारह हो गए है अब यहां जो नए पदस्थ एम डी और अन्य कर्मचारी आ रहे है वे केवल इनके बड़े बड़े गड्ढे ही भरते रहेंगे वही ज्ञात तो यह भी हुआ है कि वरिष्ठ लेखापाल, भोजराज जैन अब भी बहुत से पिछले बिल बाउचर में हस्ताक्षर लेने पूर्व एम डी राजेश गोवर्धन के नए भवन में आते है जबकि इस दरमियान दो एम डी की बिदाई हो चुकी है फिर भी वित्तीय बिल पत्रों में हस्ताक्षर अब भी सेवानिवृत्त आई एफ़ एस अधिकारी राजेश गोवर्धन से करवाने का खेल कुछ समझ मे नही आ रहा है जो अनेक सन्देह को उत्पन्न करता है बहरहाल,फर्नीचर क्रय के बाद से कभी मुख्यालय में तो कभी राजनांदगांव परियोजना मंडल में धक्का खाती कुर्सियों को अंततः मुख्यालय मौखिक आदेश में मंगवाया गया जिससे कार्यालय कर्मचारी हतप्रभ के साथ आश्चर्य चकित भी है कि सहसा स्टाफ के बैठने की कुर्सी वापस मुख्यालय ने क्यो मंगवाया ? समस्त कुर्सी बड़ा टेबल शनिवार दिनांक पांच नवंबर 2020 को दोपहर पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय के ट्रक से भेजी गई लगभग पन्द्रह कुर्सियां तथा एक बड़ा कॉन्फ्रेंस हॉल हेतु भारी भरकम टेबल दिनांक 06 रविवार को सुबह मुख्यालय में उतारा गया चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि जब कुर्सी मुख्यालय में ही रखना था तो लाने ले जाने हेतु लोडिंग अनलोडिंग आवागमन हेतु ट्रक उसके ईंधन में हजारों रुपये फूंकने की क्या आवश्यकता थी ? इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि कुर्सी फर्नीचर खरीदी में बड़ा गड़बड़ झाला हुआ है तथा उसके आवागमन में भी भ्रष्टाचार करने की संभावना तलाशी जा रही है अब पानाबरस कार्यालय के कर्मचारी इस बात को लेकर चिंतित है कि वे कार्यालयीन कार्यों का संपादन किस पर बैठकर और कैसे करेंगे ? वहीं यह भी ज्ञात हुआ है कि मुख्यालय भेजने के पूर्व पानाबरस कार्यालय में डेढ़ दर्जन से ऊपर कुर्सियां रखी हुई थी मगर अनेक सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारी एक एक कुर्सी ले जाकर अपने घर की शोभा बढ़ा रहे है वही आशंका यह भी व्यक्त की जा रही है कि लाखों रुपये में क्रय की गई शेष कुर्सी भी धीरे धीरे कहीं किसी बड़े अधिकारी के घर की शोभा न बन जाए वही करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाले पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय राजनांदगांव के पचास फीसदी कर्मचारी फिलहाल पूर्व की टूटी फूटी क्षतिग्रस्त कुर्सियों को रिपेयर करवाकर काम चला रहे है अब देखना होगा वन विकास निगम प्रबंधन इस ओर क्या कदम उठाता है या कर्मचारियों को टूटी फूटी कुर्सी में ही अपना कार्यालयीन कार्य संपादित करना पड़ेगा ?

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

विधायक धनेंद्र साहू ने ग्राम भलेरा के नवीन सोसायटी का भूमि पूजन कर शुभारंभ किया





 विधायक धनेंद्र साहू ने ग्राम भलेरा के नवीन सोसायटी का भूमि पूजन कर शुभारंभ किया 


रायपुर ग्राम भलेरा में नवीन सोसायटी का शुभारंभ भूमि पूजन के साथ क्षेत्रीय विधायक धनेंद्र साहू,कलेक्टर एस डी एम.और तहसीलदार  के गरिमामयी उपस्थित में संपन्न हुआ तथा  साथ साथ ग्राम भलेरा में नव निर्मित गौठान के बाड़ी चारागाह,का निरिक्षण कर भूमि पूजन किया  इस गरिमामयी कार्यक्रम में उपस्थित कृषक,ग्रामीणों को विधायक धनेंद्र साहू ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि अभनपुर विधान सभा क्षेत्र के लगभग 30 धान उपार्जन केंद्र में एक दिसंबर से शासन द्वारा धान  खरीदी प्रारंभ किया गया है तथा राज्य सरकार की योजना का लाभ प्रदेश सहित विधान सभा क्षेत्र के किसान भाइयों को मिल रहा है जो बड़े ही हर्ष की बात है उन्होंने आगे कहा कि अन्नदाता किसान का पसीना सूखने के पूर्व ही राज्य शासन द्वारा अपने चुनावी घोषणा के मुताबिक धान को समर्थन मूल्य में खरीद रहा है ताकि किसान यहां वहां न भटके और उसकी परिश्रम का लाभ उसे मिले  ग्राम भलेरा में नव निर्मित नवीन सोसायटी  धान क्रय केंद्र का शुभारंभ करने के पूर्व धान के संरक्षित स्थल चबूतरा का निरीक्षण कर शीघ्र चबूतरा निर्माण के निर्देश  सरपंच सहित नवीन सोसायटी अधिकारी कर्मचारियों को दिए तथा शीघ्र चबूतरा निर्माण कर क्रय किए गए धान के सुरक्षा उपाय के निर्देश दिए इस अवसर पर ग्राम भलेरा के सरपंच मीना चन्द्र कुमार साहू ने कहा कि ग्राम में विकास कार्य द्रुत गति से किया जा रहा है तथा ग्राम में अल्प अवधि में नवीन सोसायटी का निर्माण करना इसका साक्षात उदाहरण है   ग्राम भलेरा सरपंच श्रीमती मीना चन्द्र कुमार साहू ने कहा कि गौठान निर्माण भी लगभग अपने अंतिम चरण में है संभवतः दिसंबर के अंत अथवा जनवरी तक गौठान निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा वही अभनपुर  क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक माननीय धनेंद्र साहू ने गौठान निरीक्षण कर गौठान में किए जा रहे कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा व्यक्त करते हुए बाड़ी, चारागाह का भूमि पूजन किया तथा गौधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी तथा बर्मी कंपोस्ट खाद निर्माण को लेकर सरपंच श्रीमती मीना चंद्र कुमार साहू एव पंचगण के द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर अपनी प्रशंसा जाहिर की  उन्होंने आशा व्यक्त किया कि नवीन सोसायटी निर्माण तथा धान उपार्जन केंद्र निर्मित होने से इसका लाभ आसपास के ग्राम कृषकों को प्राप्त होगा नवीन सोसायटी केंद्र में चबूतरा निर्माण तथा गौठान भूमि में बाड़ी के भूमि पूजन के समय प्रशासनिक अधिकारी गण सर्व श्री कलेक्टर साहब एस डी एम. साहब सहित तहसीलदार साहब तथा  ग्राम के गणमान्य नागरिक कृषक महिला पुरुष बड़ी संख्या मे उपस्थित हुए। जिनमे सरपंच मीना चंद्र कुमार साहू, उप सरपंच भुनेश साहू, पंचगण दीपक साहू, हेम बाई साहू, सुनीता साहू, धनेश्वरी तारक, पूर्णिमा साहू, शांति साहू, रामनारायण साहू, पवन साहू,ग्राम सचिव चंद्राकर जी बिसहत साहू,कुंजलाल साहू, रवि शंकर साखरे, टीकम साहू, संतराम साहू, भाउराम, साहू,पुनितराम साहू विशेष रूप से उपस्थित थे 

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

नवापारा परिवृत में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को दीपावली भुगतान नही.... छूटभैया नेता पर भयादोहन कर आर्थिक लाभ उठाने का आरोप

 नवापारा परिवृत में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को दीपावली भुगतान नही.... छूटभैया नेता पर भयादोहन कर आर्थिक लाभ उठाने का आरोप






अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) वन विभाग में कार्यरत लगभग आधा दर्जन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों चौकीदारों को विगत डेढ़ माह से वेतन भुगतान नही हुआ है जिसकी वजह से श्रमिकों के समक्ष खाने पीने के लाले पढ़े हुए है बताया जाता है कि क्षेत्र में एक राजनीति क्षेत्र से संलग्न  व्यक्ति द्वारा  कर्मचारियों के विरुद्ध  द्वेष पूर्ण भावना से लिखित शिकायत कर पांच छ चौकीदार,कर्मचारियों का वेतन रुकवाने का आरोप भी पीड़ित दैनिक वेतन भोगीयों श्रमिकों द्वारा लगाया जा रहा है 

  वेतन संबन्धी विसंगतियों को लेकर समस्त चौकीदारों श्रमिकों ने ग्राम डोमा निवासी एक  तथा कथित राजनीतिक व्यक्ति के विरुद्ध पत्र लिख कर,प्रदेश वन मंत्री मोहम्मद अकबर, विभाग के मुखिया वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी,सी सी एफ़ सहित वन मण्डलाधिकारी को अवगत कराया है जिसकी प्रति फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ को प्रेषित कर अवगत होते हुए  बताया कि हेमलाल साहू जो कि  वन विभाग  रायपुर मंडल कार्यालय अंतर्गत में न तो कार्यरत है और न ही वह किसी प्रकार के पद में है परन्तु विगत कई वर्षों से  नवापारा परिवृत  क्षेत्र के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों सहित क्षेत्र के अधिकारियों पर अपने आप को देश के प्रधान मंत्री का समर्थक बता कर तथा समस्त केंद्र सरकार से जारी कैम्पा मद से संपादित होने वाले कार्यों का बजट लाने की बात कह कर श्रमिकों सहित वन अधिकारी, कर्मचारियों का भयादोहन कर आर्थिक शोषण करने की बात भी सामने आ रही है  लगाए गए आरोप में अब  कितनी सत्यता है यह तो ज्ञात नही परन्तु  सोशल मीडिया पर ही तथाकथित  हेमलाल साहू द्वारा लिखित  एक लेटर हेड जिसमे भाजपा का कमल लोगो अंकित कर देश के प्रधानमंत्री माननीय  नरेंद्र मोदी का समर्थक लिखा हुआ है समर्थक होना अच्छी बात है परन्तु उसकी आड़ में विभागीय कर्मचारियों का भयादोहन करना कहां तक उचित है उसके द्वारा सोशल मीडिया में प्रेषित किए गए पत्र मे लाखों की राशि से रायपुर वन मण्डल के अंतर्गत संपादित वृक्षारोपण कार्य, निर्माण कार्य का स्पष्ट उल्लेख करते हुए   रायपुर वन मण्डल क्षेत्र के भिन्न भिन्न क्षेत्रों ग्रामों के नाम सहित पौधा रोपण कार्यों की जानकारी वाला पत्र  दिल्ली पी एम,एवं अन्य  पते पर प्रेषित किए जाने के सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आए है अब इसमें कितनी सत्यता है यह तो ज्ञात नही परन्तु बताया गया है कि उसके द्वारा रायपुर वन मंडल कार्यालय सहित नवापारा परिवृत में काफी दखल है तथा उसके द्वारा अपने शिकायत पत्र में स्पष्ट उल्लेख करते हुए पीड़ित पक्ष ने  कतिपय लोगों के नाम जिनमे मुख्यतः  तिरिथ साहू,गेंदलाल साहू जो विभाग में कार्यरत नही है उनको फर्जी बाउचर के माध्यम से भुगतान  करवाए जाने के आरोप है जबकि पत्र में केवल दो नाम उल्लेखित है आशंका व्यक्त की जा रही है कि कथित प्रधान मंत्री समर्थक द्वारा अन्य नाम से भी फर्जी वाउचर के नाम से भुगतान करवाया गया होगा जो जांच में सामने आ सकता है वही सोशल मीडिया पर डाले गए पत्र में हेमलाल साहू पर यह भी आरोप लगाया गया  है कि माननीय प्रधानमंत्री का समर्थक बता कर स्वयं  प्रदेश के 36 वन मण्डल कार्यालयों के निरीक्षण करने की पात्रता बताता है वही  शिकायत पत्र में यह बात भी लिखी गई है कि ग्राम डोमा एवं आसपास के वृक्षारोपण,प्लांटेशन क्षेत्रों  में आगजनी करने  के आरोप भी पीड़ित पक्ष द्वारा उस पर लगाए गए है यही नही प्रति सप्ताह क्षेत्र में भ्रमण कर श्रमिकों को डराना धमकाने  जैसे कृत्य की बात भी कही जा रही है जबकि सर्वाधिक संगीन आरोप यह भी लगाया गया है कि हेमलाल साहू की पत्नी राजेश्वरी साहू जो स्वयं दैनिक वेतन भोगी है उसके द्वारा भी ग्राम क्षेत्र के आसपास निवासरत बेरोजगार युवकों से वन विभाग में कार्य दिलवाने के नाम पर रुपये लिए जाने की बात लिखी गई है इससे यह तो स्पष्ट होता है कि हेमलाल साहू नामक कथित  समर्थक ग्राम डोमा सहित नवापारा परिवृत में सक्रियता के साथ भयादोहन कर आर्थिक लाभ अर्जित कर रहा है जबकि पीड़ित कर्मचारी जो लगभग 10 वर्षों से ऊपर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत है उनका विगत माह का वेतन हेमलाल साहू के लिखने पर रोक दिया गया अब सवाल यह उठता है कि दीपावली पूर्व माह अक्टूबर से ही जब मुख्यालय से यह आदेश जारी किया जा चुका है   दीपावली में समस्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का पारिश्रमिक भुगतान कर दिया जाए तो जब सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का भुगतान किया गया परन्तु  पीड़ित श्रमिको का भुगतान ही क्यों रोक दिया गया ? परिवृत के रेंजर अथवा प्रभारी द्वारा इनके भुगतान में विलंब क्यो किया गया ? इससे यह भान होता है कि या तो परिक्षेत्राधिकारी अथवा प्रभारी भी हेमलाल साहू के राजनीतिक कद से प्रभावित होकर उनसे भय खाते है तथा वे वन विभाग की नही बल्कि कथित समर्थक हेमलाल साहू की नौकरी करते है तभी उनके कथनानुसार उनके राजनीतिक प्रभाव से प्रभावित होकर मुख्यालय के आदेश की धज्जियां और अवहेलना कर उनके कहे अनुसार चल रहे है  और उनके शिकायत पर श्रमिकों का पारिश्रमिक भुगतान रोक दिया गया  ऐसा लगता है कि नवापारा परिवृत वन विभाग को वन विभाग अधिकारी, कर्मचारी नही बल्कि हेमलाल साहू जैसे छूट भैया नेता संचालन कर रहे है और कर्मचारी ऐसे  नेताओं की जी हुजूरी में लगे हुए है जबकि पीड़ित पक्षों का कथन है कि वे विगत दस वर्षों से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के रूप में वन विभाग में कार्यरत है तथा उनके द्वारा आरोप है कि हेमलाल साहू द्वारा कई वर्षों से तथाकथित नेतागिरी की आड़ में फर्जी मानवदिवस अंकित करवा तथा वाउचर बनवाकर अपने कृपा पात्र लोगों को लाभ दिलवा रहा है यही नही उसकी पत्नी राजेश्वरी साहू जो स्वयं विभाग में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी है उसके द्वारा विभाग की गोपनीय जानकारी भंग कर अपने पति के माध्यम से सूचना के अधिकार लगवाकर या स्वयं हेमलाल साहू द्वारा विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ गलबहियां दोस्ती बनाकर अनेक महत्वपूर्ण जानकारी निकलवा मैदानी और विभागीय कर्मचारियों से आर्थिक लाभ उठाता है पीड़ितों का कथन है कि शीघ्र हेमलाल साहू पर एफ़ आई आर दर्ज करने की बात भी कही जा रही है जबकि पीड़ित पक्ष का कहना है कि जो व्यक्ति कभी वन विभाग में कार्य नही किया वही हमारे ऊपर दोषारोपण कर हमें फर्जी कर्मचारी बता लिखित में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष पत्र लिख कर उन्हें गुमराह कर हमारे विरुद्ध जाकर वेतन को रुकवाया है उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत पत्र लिख कर दी है और  इसकी पड़ताल कर दोषीयों पर कार्यवाही करने की मांग की है यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि यदि इसकी सूक्ष्मता से जांच की जाती है तो अनेक फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश होगा तथा इसमे कई अधिकारी पर गाज गिर सकती है तथा दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है

मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दैनिक वेतनभोगी मंतोष का कौन बनेगा करोड़पति में हुआ चयन3 दिसंबर को होगा प्रसार 3 दिसंबर को होगा प्रसारण

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दैनिक वेतनभोगी मंतोष का कौन बनेगा करोड़पति में हुआ चयन

3 दिसंबर को होगा प्रसार 3 दिसंबर को होगा प्रसारण 



तरुण कौशिक, संपादक, सर्वव्यापी अखबार

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जिले के तिफरा नगर में एक छोटा सा होटल का संचालन करने वाले गरीब परिवार का युवा आज सदी के महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा सोनी टीवी में प्रसारित कौन बनेगा करोड़पति के 12 वे सीजन में हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के सवालों का जवाब देंगे । यह युवक कोई और नहीं बल्कि तिफरा जोन कमिश्नर कार्यालय के सामने झुग्गी झोपड़ी में होटल संचालन करने वाले मंतोष कश्यप हैं जो आज दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रुप में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में भृत्य के पद पर कार्यरत हैं । 

 बिलासपुर शहर से लगे तिफरा  नगर के विद्युत नगर निवासी मंतोष कश्यप के जीवनी पर प्रकाश डाले तो वे बचपन से ही संघर्ष करते आ रहे हैं ।जब ये छ सात साल के बाल्यावस्था में थे तब  इनके पिता  केजूराम कश्यप का निधन हो गया था और मां नानबाई कश्यप का साल भर पूर्व निधन हो गया इनकी माता दिवंगत नानबाई ने अपने दो पुत्र और एक पुत्री का लालन - पालन झुग्गी झोपड़ी में रहते हुए किया और आज ग्रेजुएशन तक शिक्षित मंतोष कश्यप ने सोनी टीवी में प्रसारित होने वाले कौन बनेगा करोड़पति में पिछले छ सालों के प्रयास के बाद अब उनका चयन हुआ   आने वाले 03 दिसम्बर 2020 को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठकर सवालों का जवाब देते नजर आयेंगे । इनके इस कार्यक्रम में चयन होने से तिफरा नगरवासियों का ही नहीं बल्कि हाईकोर्ट में जश्न का माहौल बना हुआ है । निश्चित रुप से मंतोष कश्यप ने जिस संघर्ष के साथ इस मुकाम को पाया हैं उससे आज के युवाओं को प्रेरित होना चाहिए और मंतोष जैसे गरीब परिवार का युवक अपनी बलभूते

और प्रतिभा से यह मुकाम हासिल किया हैं जो आज की पीढ़ी के लिए अनुकरणीय मिसाल है 


 धरम ने जताया हर्ष

वहीं इस संबंध में सर्वव्यापी ने क्षेत्रीय विधायक व छत्तीसगढ़ विधानसभा के  नेता प्रतिपक्ष  धरम लाल कौशिक को इसकी जानकारी देने पर इन्होंने मंतोष कश्यप  द्वारा  कौन बनेगा करोड़पति में चयन होने पर हर्ष जताया हैं और कहा कि यह हमारे विधानसभा क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी बात हैं ।


 जिले को किया  गौरान्वित सारांश

वहीं बिलासपुर कलेक्टर डॉ.सारांश मित्तर ने सर्वव्यापी से चर्चा करते हुए कहा कि तिफरा नगर के मंतोष कश्यप ने कौन बनेगा करोड़पति में चयन होने से जिले को गौराविन्त किया गया हैं ,जो हमारे लिए हर्ष की बात हैं ।