सोमवार, 7 दिसंबर 2020

पंचायती राज में चयनित गौठान समिति सदस्यों से गौठान निर्माण में लग रहा ग्रहण...उधारी मे कब तक ग्राम विकास की उम्मीद

  पंचायती राज में चयनित गौठान समिति सदस्यों से गौठान निर्माण में लग रहा ग्रहण...उधारी मे कब तक ग्राम विकास की उम्मीद


 




 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग प्रदेश के पंचायती राज में वैसे तो राज्य सरकार अनेक जनकल्याणकारी रोजगार मूलक योजनाओं की घोषणा कर उसके वास्तविक धरा पर सफल  क्रियान्वयन हेतु प्रयास रत दिखाई दे रही है परन्तु ग्राम पंचायतों के सरपंच पंचगण के समक्ष भी अनेक विपत्ति एवं विसंगतियां उनके समक्ष  सुरसा की भांति मुंह फाडे भी खड़ी है जिससे राज्य शासन द्वारा लागू विभिन्न योजनाओं पर पलीता लगता दिखाई पड़ रहा है   वही प्रदेश के ग्राम पंचायतों के सरपंच,पंचगण राज्य शासन की खोखली जन कल्याणकारी  नीतिगत घोषणा एव कार्य शैली से क्षुब्ध नज़र आ रहे है



  छत्तीसगढ़ प्रदेश की सर्वाधिक चर्चित योजना नरवा,गरवा, घुरूवा,बाड़ी के सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य शासन द्वारा घोषणा किए जाने के पश्चात विगत वर्ष 2019 से इसका निर्माण कार्य द्रुत गति से जारी है कोरोना संक्रमण जैसे महामारी दौर में भी ग्राम पंचायतों के पंच सरपंच द्वारा मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराते हुए  इसका निर्माण किया इसके एवज में राज्य सरकार आर्थिकी अल्पता के चलते इन्हें माकूल राशि उपलब्ध नही कराई गई जिसकी वजह से गौठनों में कार्यरत अनेक श्रमिकों के भुगतान और निर्माण सामग्री के भुगतान में विलंब होता गया परिणामतः अनेक ग्राम प्रधान सरपंचों ने यह बात स्वीकारी कि उन्हें गौठान में निर्माण कार्य संपादन हेतु ब्याज से राशि लेनी पड़ी तथा अब तक राज्य शासन द्वारा पंचायती राज में छुटपुट राशि जारी करने  को छोड़ कर कई बड़े भुगतान लंबित है एक प्रकार से ग्राम पंचायतों का विकास उधारी में चलने की बात कही जा रही है इस संदर्भ में अनेक सरपंचों ने यह भी कहा कि दीपावली जैसे त्योहार में कुछ ने राशि ब्याज में लेकर श्रमिक भुगतान किया तो किसी ने श्रमिकों का भुगतान न कर पाने के कारण मुंह छुपा कर दीपावली त्योहार मनाया कथनाशय यह है कि किसी भी योजना के सफल क्रियान्वयन में  राशि उसकी रीढ़ मानी जाती मगर प्रदेश भर के सरपंच राज्य शासन से मिलने वाली राशि से वंचित होने पर भविष्य में गौठान और नरवा गरवा घुरूवा बाड़ी जैसी योजनाओं के सफल होने पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है



तथा राज्य शासन के  निर्णायक नीति को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों में  राज्य शासन के ऐसी ढुलमुल नीति को लेकर विरोध के स्वर भी मुखर हो रहे है वही ऐसे नीतियों पर भी ग्राम सरपंच आक्रोशित नजर आए जिसमे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है  इस संदर्भ में  आरंग विकासखण्ड अंतर्गत  ग्राम पंचायत गौरभाट के सरपंच प्रतिनिधि चिम्मन लाल साहू ने बताया कि लंबे समय से राज्य शासन द्वारा राशि नही भेजी जा रही है जिसके चलते विकास कार्य ठप्प पड़ा हुआ है यहां तक गौठान निर्माण कार्य भी पेंडिंग है जिसे वे अब हाथ भी लगाना नही चाहते उन्होंने इसकी वजह गलत तरीके से गौठान समिति सदस्यों का चयन किया जाना बताया उन्होंने आगे बताया कि ग्राम गौरभाटा में  गौठान समिति के चयन हेतु जिला सीईओ तथा विकासखण्ड सीईओ के माध्यम से एक पत्र जारी कर गौठान समिति के गठन हेतु नाम चयन कर भेजे जाने का पत्र जारी किया गया था परन्तु जब उनके द्वारा ग्राम सभा प्रतिनिधि एवं महिला समुहों द्वारा बारह सदस्यों की सूची प्रेषित की गई तब प्रभारी मंत्री द्वारा प्रेषित नामो के स्थान पर अपने समर्थक,प्रशंसकों ,के नामों का चयन कर ग्राम गौठान अध्यक्ष से लेकर सदस्यों की चयनित सूची जारी कर दिया गया उन्होंने सवाल किया है कि यदि स्वयं ही ग्राम गौठान समिति सदस्यों का चयन करना था तो जिला सीईओ द्वारा पत्र सर्क्युलर जारी कर चयन प्रक्रिया का ढोंग और सारी औपचारिकता क्यो की गई ? 



इससे ग्राम पंचायत के सरपंच इत्यादि के अधिकार ,वर्चस्व,औचित्य, स्वयं  समाप्त हो जाते है ? उन्होंने बताया कि  गौठान समिति सदस्यों के गलत चयन प्रक्रिया की वजह से ग्राम में टकराव सहित असंतोष व्याप्त है इस संदर्भ में ग्राम गौरभाटा के सरपंच प्रतिनिधि चिम्मन लाल साहू ने बताया कि चयनित सदस्यों द्वारा ग्राम पंचायत प्रतिनिधि सहित पँचगणों को गौठान में प्रवेश  करने निषेध कर दिया गया इससे दीपावली के पूर्व दोनो पक्षों में जमकर हाथापाई हुई तथा प्रभारी मंत्री द्वारा चयनित गौठान सदस्यों द्वारा पुलिस में शिकायत  भी दर्ज किया गया एक प्रकार से सरपंच प्रतिनिधि ने आरोप लगाया है कि शासन के गलत निर्णय की वजह से ग्राम पंचायतों में मनमुटाव तथा परस्पर विद्वेष की भावना पनप रही है  तथा ग्राम सरपंच पंच का अस्तित्व लगभग शून्य हो गया है वही ग्राम निसदा के सरपंच देवकुमार साहू ने बताया कि गौठान समिति चयन प्रक्रिया गलत तरीके से हुई है जिसकी वजह से उन्हें भी बड़ी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है सरपंच देवकुमार साहू  ने बताया कि परस्पर वैचारिक मतभेद टकराव की स्थिति को टालने के उद्देश्य से  चयनित गौठान सदस्यों का ग्राम पंचायत सभा मे प्रवेश प्रतिबंध कर दिया गया है तथा न ही हमारे पंचगण सदस्य गौठान में प्रवेश करते है देवकुमार साहू ने बताया कि जब शासन द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से गौठान निर्माण करवाया गया तो उसके देखरेख सुरक्षा और विकास का अधिकार भी ग्राम पंचायतों के हाथ होना चाहिए तथा ग्राम गौठान के समिति सदस्यों के चयन करने का अधिकार भी ग्राम पंचायतों का ही बनता है न कि शासन में बैठे प्रतिनिधि की यह जवाबदेही बनती है कि गौठान समिति सदस्यों के नाम की सूची मंगवाकर अपने मंशानुरूप चयन प्रक्रिया की जाए सरपंच देवकुमार ने यह भी बताया कि राज्य शासन से मिलने वाली राशि का बड़ा टोंटा है तथा अब तक अनेक निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित है  राशि न मिलने का दुखड़ा सुनाए भी तो किसे सुनाए ? क्योंकि न जिले स्तर पर कोई सुनवाई है और न ही विकासखंड स्तर पर कोई कार्यवाही हो रही है ग्राम निसदा सरपंच देवकुमार साहू  ने कहा  कि यदि राज्य शासन स्वयं ही ग्राम गौठान निर्माण अपने चयनित सदस्यों से करवाना चाहती है तो प्रदेश भर के ग्राम पंचायतों के सरपंचों को गौठान निर्माण दायित्वों से पृथक कर दे ताकि हमारा उसपर कोई हस्तक्षेप न रहे तथा संपूर्ण आय व्यय का लेखा जोखा गौठान समिति सदस्यों से लिया जाए ताकि इसे लेकर टकराव की स्थिति निर्मित न हो ग्राम पंचायतों में विकास राशि न मिलने जैसी स्थित आसपास के अन्य ग्राम पंचायतों में भी सामने आ रही है ग्राम भलेरा के एक सदस्य ने बताया कि लंबे समय से ग्राम में निर्माण कार्य संपादित हो रहा है लेकिन शासन से अब तक राशि जारी नही हुआ है  ग्राम तामासिवनी के सरपंच प्रतिनिधि हेमलाल जांगड़े ने भी शासन द्वारा विभिन्न मदों से मिलने वाली राशि पर हो रही देरी पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी वजह से निर्माण कार्यों में विलंब हो रहा है और शासन है कि ग्राम विकास के नाम पर राशि ही जारी नही कर रही इसे कैसे ग्राम विकास समझा जाए ? यही व्यथा ग्राम गनौद के सरपंच प्रतिनिधि डागेश्वर साहू  ने भी स्वीकारी है तथा कहा है कब तक उधारी में ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर निर्माण कार्य करते रहे जबकि एक ओर राज्य शासन  सोशल साइट समाचारों  के माध्यम से यह भी कहती है कि सरकारी खजाना पूरी तरह से लबरेज है तो फिर ग्राम विकास के नाम पर राशि क्यों जारी नही की जा रही ?अनेक ग्राम के ग्रामीणों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि चंद अपवाद मॉडल गौठान को छोड़ दे जिन पर शासन के मंत्रियों के प्रतिनिधियों की विशेष कृपा दृष्टि है  तो  प्रदेश के अधिकांश अनेक ग्राम पंचायतों में राज्य शासन के  महत्वाकांक्षी योजना  नरवा गरवा घुरूवा,बाड़ी जैसी योजनाएं  मात्र कपोलकल्पित सी और फिसड्डी साबित  हो रही है तथा राशि के आबंटन  में हो रही कोताही तथा मनमाने रूप से चयनित सदस्यों के हस्तक्षेप के चलते कहीं भी विकास गति बढ़ती दिखाई नही दे रही है ग्रामीणों का कथन यह भी है कि राज्य शासन की यह योजना राशि के अभाव के चलते कहीं भविष्य में दम तोड़ती हुई  नज़र न आए  ? 

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