छग राज्य वन विकास निगम में चोरी बड़ी, खाद के साथ लोहे के ग्रिल में लगे साढ़े तीन लाख के भाले की हो चुकी चोरी, अधिकारी है अंजान
अलताफ हुसैन 7869247588
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ )राजधानी वासियों के स्वास्थ्यगत सरोकारों की चिंता करते हुए हरियाली एवं स्वच्छ वातावरण निर्मित के उद्देश्य से छग राज्य सरकार ने स्मार्ट योजना अंतर्गत छग राज्य वन विकास निगम के माध्यम से लगभग बीस करोड़ की अधिक लागत राशि से ई ए सी कॉलोनी स्थित क्षेत्र में ऑक्सीजोन का निर्माण 21 हेक्टेयर वृहद भूभाग में किया जिसमें देशी विदेशी वृक्षों के अलावा आकर्षक फल फूल के पौधे भी शामिल है वही ऑक्सीजोन में आधुनिक व्यायाम उपकरण जोन, योग जोन, पथ वे , सहित बच्चो के खेल जोन इत्यादि भी सम्मिलित किए गए यही नही ऑक्सीजोन में हरियाली के मध्य सुकून के दो पल व्यतीत करने प्रदेश की विरासत को सहेजते हुए ,वनादिवासी संस्कृति की झलक निर्मित कर बांस के पगोडे इत्यादि भी निर्माण किए गए है इन सब की सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से ऑक्सीजोन के चारो ओर लाखो रुपयों की लागत से लोहा निर्मित ग्रिल का निर्माण भी किया गया परन्तु वर्तमान स्थिति को देखकर ज्ञात होता है कि यहां सुरक्षा के आभव में शनैः शनैः ऑक्सिजोन केवल अब उजड़ा चमन बन कर न रह जाए क्योंकि वर्ष 2017 पश्चात ऑक्सीजोन का निर्माण कार्य जब प्रारंभ हुआ तब से ही छग राज्य वन विकास निगम के ऊपर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने गड़बड़ी,अनियमितताऐं,और भ्रष्टाचार के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी कर घोटाला किया बचा खुचा राजस्व की हानि अब ऑक्सीजोन में चोरों के द्वारा किया जा रहा है
एक प्रकार से चोरों के वारे न्यारे हो रहे है प्रशासनिक ढिलाई , सुरक्षा और देखरेख के आभव में लगातार ऑक्सीजोन में चोरी हो रही है तथा निगम अधिकारी पूरी तरह से शिकार पश्चात सुस्त पड़े अजगर सांप की भांति अपनी आंख मूंदे शिथिल अवस्था मे पड़े होने का स्वांग रचे हुए है क्योंकि हाल ही में यह भी ज्ञात हुआ था कि चोरों द्वारा लगभग दस हजार रुपये का ऑक्सीजोन के अंदर निर्मित मंदिर के समीप लगे लोहे ग्रील के चोरी चले जाने का समाचार स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों मे प्रकाशन हुआ था फिर बड़े नाटकीय ढंग से लोहे ग्रिल चोरो को भी पकड़ लिया गया अब इसके पीछे वास्तव में किसी अज्ञात चोर के हाथ होने की संभावना है या फिर छग राज्य वन विकास निगम के कर्मचारी ही ऐसे ऑक्सीजोन में लगे लोहे ग्रिल की वस्तुओं की हेराफेरी कर अपने पौ बारह कर रहे है
बताते चलें कि छग राज्य वन विकास निगम के नवा रायपुर अटल नगर स्थित तूता नर्सरी में भी विगत कुछ माह पूर्व 35 बोरी डीएवीपी खाद की चोरी का मामला सामने आ चुका है जिसमे अज्ञात चोरों द्वारा नर्सरी के कक्ष में रखे 35 बोरी डीएवीपी खाद खिड़की तोड़ कर चोरी कर लिया गया था तब वहां स्थित चार चौकीदारों द्वारा आठ सौ, हजार रुपये में खाद को बेचे जाने की पुष्ट जानकारी भी छनकर सामने आई थी परन्तु इस संबन्ध में छग राज्य वन विकास निगम में ऊपर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा क्या वैधानिक कार्यवाही किया गया यह अब तक ज्ञात नही हुआ परन्तु इस प्रकार की चोरी की घटनाएं अनवरत प्रदेश के अन्य नर्सरी में घटित हो रहा है इस बात से कतई इंकार नही किया जा सकता क्योंकि बताते चले कि राजनांदगांव के पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय अंतर्गत नर्सरी सहित सिरपुर रायकेरा नर्सरी एव वन विकास निगम के जमीनी स्तर पर किए जाने वाले ,प्लांटेशन एवं,अन्य औधौगिक परियोजनाओं,वानिकी कार्यों में बड़ी मात्रा में लाखों,करोड़ों रुपये के खाद निगम द्वारा प्रति वर्ष क्रय किया जाता है जो जमीनी स्तर पर इसका उपयोग कम ही हो पाता है क्योंकि नर्सरी इत्यादि स्थल से क्रय किए गए पौधों के पॉलीथिन बैग में पहले ही सौ दो सौ ग्राम खाद का उपयोग किया जा चुका होता है केवल रोपण स्थल पर ही मिट्टी के साथ अल्प मात्रा में खाद मिलाई जाती है या समय समय पर प्लांटेशन क्षेत्रो में किए जाने वाले निंदाई गुड़ाई में खाद का उपयोग होता है वास्तविक धरा में ऐसे कार्य स्थलों में खाद क्रियान्वयन का उपयोग लगभग न के बराबर किया जाता है परिणामतः ऐसे बचे खाद का उपयोग कृषकों को बेचने का कार्य तथा प्राप्त राशि का लाभ मैदानी अमला भरपूर उठाता जिससे रोपण क्षेत्र के पेड़ पौधे खाद उपचार के अभाव में मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाते है तथा कई प्लांटेशन फेल भी हो जाते है फिर भी प्रदेश के अनेक प्लांटेशन स्थल में निरीक्षक द्वारा परीक्षण कॉपी में सफल प्लांटेशन दर्ज कर अपने कार्यों के प्रति अपने गैर जिम्मेदार कर्मचारी होने का सही हस्ताक्षर कर देते है
और गड़बड़ घोटाले में अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी बन जाते है जबकि नियमानुसार किसी भी नए प्लांटेशन क्षेत्र में बगैर मृदा,मिट्टी परीक्षण के भी पथरीले,चट्टानों वाले प्लांटेशन स्थल पर पौधों का रोपण कर दिया जाता है जबकि उन्हें स्थल मृदा, मिट्टी के प्रकार, के परीक्षण पश्चात ही उपजाऊ स्थलों में प्लांटेशन रोपण की अनुमति प्राप्त होती है इसके बावजूद वन विकास निगम कर्मी इस प्रक्रियाओ का पालन नही करते तथा कोई भी रिक्त स्थल चयन कर चाहे वह मुरुमी स्थल हो पथरीली चट्टानी स्थल हो या अनुपयोगी पड़त भाटा भूमि ही क्यों न हो वहां प्लांटेशन रोपण कार्य कर दिया जाता है परिणामतः वहां खाद उपयोग के पश्चात भी रोपण क्षेत्र के पेड़ पौधों के जीवित होने एवं सर्वाइव की संभावन क्षीण एव नाममात्र रह जाती है और वन विकास निगम को एक बड़ी राजस्व राशि की हानि होती है इसके उदाहरण आज भी प्रदेश के अनेक आईपीडी प्लांटेशनो को देखकर हुए नुकसान का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता जो पूरी तरह से फेल्वर हो चुके है जिनमे नवा रायपुर स्थित हरियर छत्तीसगढ़ योजना एव आईपीडी के तहत 2015-16 में वन विकास निगम द्वारा ग्राम जौंदा जौंदी, उपरवारा,एवं जंगल सफारी मार्ग स्थित कराए गए पथ रोपण एवं ब्लॉक प्लांटेशन पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो चुके है जिन्हें उदाहरण स्वरूप लिया जा सकता है वही पानाबरस परियोजना मंडल अंतर्गत वर्ष 2019 में दल्ली राजहरा के आईपीडी प्लांटेशन पथ रोपण भी गाय,मवेशियों के चारे के रूप में चट हो गया, भिलाई स्थित सेक्टरो में कराए गए प्लान्टेशन के वृक्षारोपण भी पूरी तरह तबाह बर्बाद हो चुके है इसकी एक वजह यह भी सामने आई है कि वन विकास निगम में ऊपर बैठे अधिकारियों का दौरा प्लांटेशन क्षेत्रों में कम ही होता है जिसकी वजह से अधिकारी,कर्मचारी बेलगाम हो जाते है तथा मर्जी होने पर ही यदाकदा प्लांटेशन क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है यहां तक चौकीदार भी मन मुताबिक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है तथा रोपण स्थल प्लांटेशनो को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है जिससे मैदानी अधिकारी कर्मचारी भी बेखौफ हो जाते है तथा गड़बड़,घोटाला,और भ्रष्टाचार को खुल कर अंजाम देते है फिर भी निगम ऐसे नर्सरी,प्लांटेशन क्षेत्रों में खाद के उपयोग के लिए लाखों करोड़ों की राशि व्यय करता है जिसका उपयोग और आर्थिक लाभ पेड़ पौधों को कम वन विकास निगम अधिकारी कर्मचारी को बड़ी मात्रा में मिलता है जो मैदानी स्तर के अधिकारी कर्मचारी ऐसे खाद को कम दामों पर स्थानीय कृषकों को बेच देते है जिससे इनकी अतिरिक्त आय हो जाती है जबकि यह सवाल भी उठाया जाता रहा है कि निगम द्वारा क्रय किए गए खाद जो प्लांटेशनो एव वानिकी कार्य उपयोग में अधिक होता है इसका लिखित विवरणी की जांच भी कभी होती है अथवा नही ? या वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद ऐसे गड़बड़ घोटाले के खेल को अप्रत्यक्ष रूप से अनवरत प्रोत्साहित किया जाता रहा है यह जांच का विषय है छग वन विकास निगम के मैदानी कर्मचारियों द्वारा खाद में गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार करने वाला यह तो एक छोटा सा मात्र उदाहरण है परन्तु सुरक्षा प्रहरी चौकीदारों के होने के बाद यदि आंख से कोई काजल चुरा ले तो इसे क्या कहा जाए जैसा कि ऊपर इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पिछले माह मई में ऑक्सीजोन से लोहे ग्रिल चोरी हो जाने के समाचार दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए थे बाद में इसकी पुष्टि रेंजर ऋषि शर्मा ऑक्सीजोन प्रभारी शरद डड़सेना ने बताया कि गेट मिल गया एवं चोर भी पकड़े गए गेट ग्रिल चोरी करने में आपराधिक किस्म के गंजेड़ी, नशेड़ियों का हाथ होना बताया गया सवाल यह उठता है कि गंजेड़ी नशेड़ी असमाजिक तत्व नज़रों के सामने से एवं संभवतः ऑक्सीजोन में सीसीटीवी लगे होने के बावजूद लोहे का ग्रिल दिनदहाड़े चोरी करने की हिमाकत कर सकते है तो वहां उपस्थित चौकीदार क्या कर रहे थे फिर अधिकारियों के त्वरित एक्शन लेने में चोर भी पकड़े गए यह सब कैसे नाटकीय ढंग से हुआ यह तो निगम कर्मचारी ही बता सकते है परन्तु फिर भी चोरी का यह सिलसिला अब तक थमा नही है ऑक्सीजोन में लगातार अब भी चोरी द्रुत गति से हो रही है ज्ञात हो कि ऑक्सीजोन में लगभग ग्यारह चौकीदार कर्मचारीयों की ड्यूटी सुबह शाम लगाई गई है इसके बावजूद चोरी का सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है ऑक्सीजोन में अब चोरी लोहे के लगे ग्रिल की नही बल्कि उसके ऊपर अलग से जड़े गए लोहे के भाले की लगातार चोरी हो रही है जिसकी लागत ही दस बीस हजार की नही बल्कि साढ़े तीन लाख रुपये है जो चोरों द्वारा पूरी तरह से तोड़ कर चुरा लिया गया इस तारतम्य में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ के पास पूर्व से उपलब्ध कार्यालयीन दस्तावेज जो सूचना के अधिकार में प्राप्त किए गए थे छग वन विकास निगम के पत्र क्रमांक /वविनि/भंडार/2019/ 3176/ जो दिनांक 07/11/2019/ को रामेश्वर प्रसाद सिन्हा राजातालाब नूरानी चौक स्थित ठेकेदार के नाम से लोहे के भाले नग 3500 नग प्रति भाला 92/रुपये की दर से 500 ग्राम प्रति भाला (एरो) का वजन से जिसकी डिजाइन,फिक्सिंग, मटेरियल,एवं टूल सहित नियम की शर्तों पर संपूर्ण कार्य आदेश तात्कालिक मंडल प्रबन्धक बार नवापारा परियोजना मंडल के द्वारा स्वीकृति प्रदान कर जारी किया गया था जो संपूर्ण ऑक्सीजोन क्षेत्र की लोहे जाली में अतिरिक्त कार्य आदेश के माध्यम से कराया गया था हालांकि लौह धातु के भाले ग्रिल के साथ ही लगाए जाने का प्रावधान है परन्तु अतिरिक्त कार्यादेश निकाल कर साढ़े तीन लाख का भाला लगाना अनेक सन्देह को जन्म देता है जबकि इसका भुगतान उपरोक्त 92 रुपये की दर से कार्यादेश अनुसार किया जाना प्रस्तावित था परन्तु लोहे के भाला लगाने के पश्चात इसका भुगतान 100 रुपये की दर से किया गया जो 3500 भाले की कीमत साढ़े तीन लाख रुपये हो गयी जिस प्रकार 500 ग्राम अर्थात आधा किलो ग्राम का भाला लगाने के कार्य आदेश जारी हुए थे मगर उक्त वजन के ठोस घनत्व के भाला न लगाकर दो पतले लोहे की पोलकी जोड़कर डिजाइन निर्माण किया गया जबकि ग्रिल में लगाए गए लोहे की 3500 भाले जिसमें एक भाला का घनत्व वजन 500 ग्राम अथवा आधा किलोग्राम न होकर उसका वजन मात्र 200 ग्राम भी नही है उसके पीछे छग राज्य वन विकास निगम ने साढ़े तीन लाख रुपये के अतिरिक्त लोहे के भाले पूरे ऑक्सीजोन क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टिकोण से लगवा दिए जो अब पूरी तरह से चोरी हो गए और मात्र दस फीसदी ही शेष है वहीं ऑक्सीजोन में चारो ओर लगाए गए लोहे के ग्रिल की गुणवत्ता और वजन में भी अब संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि लगाए गए लोहे ग्रिल की सामग्री का घनत्व एवं वजन में समझौता कर कहीं भारी गड़बड़ी न किया गया हो ? यदि इसकी जांच की जाती है तो एक बहुत बड़े गड़बड़,घोटाला,और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है क्योंकि लोहे के ग्रिल लगाए एक वर्ष भी नही हुए अभी से कथित लोहे के ग्रिल जंग जु हो कर सड़ने लग गया है ऑक्सीजोन का उद्घाटन गत वर्ष 2020 के प्रारंभिक माह में प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री भूपेश बघेल वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर एवं सम्मानित प्रशासनिक अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ था जो एक वर्ष में ही ऑक्सीजोन की स्थिति देखरेख,और,सुरक्षा के अभाव में इसकी कांतिमय आभा में ग्रहण और व्यवस्था छिन्न भिन्न होते नज़र आ रही है वैसे भी ज्ञात यह हुआ है कि स्वपोषित संस्था होने की वजह से छग राज्य वन विकास निगम के राजस्व में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नही हुई है केवल वन विकास निगम के प्रत्येक मंडल कार्यालय कोरोना काल मे औपचारिकता पूर्ण कार्य कर रहे है डिपो और काष्ठागर की नीलामी भी प्रभावित हुई है यहां तक कैम्पा मद से मिलने वाली राशि भी लगभग बन्द हो चुका है नए प्लांटेशन की स्थित बचे खुचे राशि से किए जाने की जुगत की जा रही है ऐसे में आम आदमी के द्वारा छग वन विकास निगम में लगातार चोरी की घटनाओं का बढ़ना आश्चर्य,एव अचरज जैसी अभिव्यक्ति प्रदर्शित किए जाने में कोई गुरेज नही है





 
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