गुरुवार, 30 सितंबर 2021

जंगल सफारी फॉरेस्ट गार्ड के जब ऐसे ठाठ.. तो अधिकारियों के जल्वे क्या होगा

 

जंगल सफारी  फॉरेस्ट गार्ड के जब ऐसे ठाठ.. तो अधिकारियों के जल्वे क्या  होगा 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) विगत दिनों जंगल सफारी  में डिप्टी रेंजर सुनील कुमार खोपरागड़े एवं महेंद्र भारती ठेकेदार के जुगलबंदी से शासकीय योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु जारी शासकीय राशि मे करोड़ों रुपयों का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जाने का समाचार  प्रकाशन किया गया था समाचार प्रकाशन के पश्चात विभाग में हड़कंप भी मचा परन्तु  विभागीय कार्यवाही के नाम पर .  ढाक के वही तीन पात वाली ... कहावत यहां चरितार्थ होते नज़र आई है ...तथा  मात्र औपचारिक जांच कार्यवाही का दिखावा कर करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले को पुनः ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने जैसा प्रतीत हो रहा है क्योंकि जंगल सफारी में निर्माण कार्य एवं अन्य विभागीय योजना के क्रियान्वयन हेतु विभागीय भ्रष्टासुरों की एक पूरी लंबी चैन बनी हुई है तथा बड़े सुनियोजित ढंग से  गड़बड़ घोटाला एवं दस्तावेज़ों में कूट रचना कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है अब इन भ्रष्टासुर मैदानी कर्मचारियों के सिर पर किस अधिकारी एव जन प्रतिनिधि का वरदहस्त प्राप्त है यह तो वस्तुस्थिति देखने से ही आईने की तरह स्पष्ट दिखाई पड़ता है परन्तु ऐसे बड़े गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार का प्रकरण सामने आने के पश्चात भी जंगल सफारी में  कार्यरत कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न होना तथा  उनकी नियुक्ति अब भी वही होना बहुत से सवाल खड़े करता है अमूमन देखा यह जाता रहा है कि विभागीय कर्मचारियों के द्वारा  एक छोटी सी चूक होने पर  संबंधित संलिप्त कर्मचारियों पर निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्यवाही सुनिश्चित हो जाती है परन्तु जंगल सफारी के भ्रष्ट कर्मचारियों पर इस प्रकार की कोई कार्यवाही न होने से इनके हौसले और बुलन्द हो गए है तथा  समाचार प्रकाशन के पश्चात कोई विभागीय कार्यवाही न होने से ये मन ही मन से गदगद भी है  इसका उदाहरण यह देखने,सुनने  मिल रहा है कि  सफारी में गड़बड़,घोटाला मे लिप्त कर्मचारियों के द्वारा चिकन मटन बिरयानी एवं स्कॉच,आई.बी.शराब,बियर की बोतल खोलकर पार्टी मनाई जा रही है....सईंया भयो कोतवाल ...तो अब डर काहे का ...की तर्ज पर निर्माण कार्यों का निष्पादन उसी महेंद्र भारती नामक ठेकेदार के माध्यम से कराए जा रहे है जो दस वर्षों से ऊपर जंगल सफारी में कार्य संपादित कर स्थानीय मजदूरों एवं सुरक्षा श्रमिकों का आर्थिक शारीरिक एवं मानसिक शोषण कर रहा है जबकि जंगल सफारी एवं ज़ू में उसके द्वारा कराए जा रहे गुणवत्ता विहीन निम्नस्तरीय  कार्य का निरीक्षण कर  उसपर तत्काल कार्यों पर रोक लगाकर उसे  निष्कासित कर नई निविदा कॉल के माध्यम से अन्य ठेकेदार से शेष कार्य कराए जा सकते है  परन्तु ऐसा हुआ नही वजह स्पष्ट है कि यहां भ्रष्टाचार के इतने बड़े बड़े गड्ढे, बल्कि खाई है कि कोई भी समझदार अधिकारी इसे पाटने की सोच भी नही सकता  तथा अपनी सेवाकाल के साफ सुथरे दामन को काला नही कर सकता यही वजह है कि भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुकी जंगल सफारी में लंबे समय से डीएफओ मर्सिबेला मैडम को वहां से स्थान्तरित नही किया गया क्योंकि ...जैसी करनी वैसी भरनी....की तर्ज पर उनके कर्मों का भुगतान उन्हें ही वहां पर नियुक्त रख कर किया  जा रहा है यही वजह है कि परिस्थितिवश  तथाकथित ठेकेदार जंगल सफारी में संलिप्त अधिकारी,कर्मचारियों को  वहां से अन्यंत्र पोस्ट नही किया जा रहा है क्योंकि आज नही तो कल पूर्व में किए गए भ्रष्टाचार की जांच की आंच के घेरे में सभी को आना ही है यही वजह है कि उच्च अधिकारियों की  नज़रे इनायत  उपरोक्त समस्त कर्मचारियों पर बनी हुई है  स्वयं को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए सफारी कर्मचारीयों द्वारा  पृथक कार्यशैली अपनाई जा रही है इसके लिए उन्होंने   ठेकेदार, को मोहरा बनाकर उसकी ठेकेदारी प्रथा की आड़ में श्रमिक से लेकर निर्माण सामग्री का बिल बाउचर ठेकेदार के द्वारा बनवाए जाने का रास्ता अपनाया जो श्रमिको के शोषण के उद्देश्य से स्वयं की मनमर्जी एवं कलेक्टर दर से आधी राशि में सैकड़ों श्रमिकों से कार्य संपादित करवा रहा है तथा निर्माण सामग्री की दर भी स्वयं एवं अधिकारियों के दिशा निर्देश पर तय कर एक बड़ी राशि  का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है  जबकि इसके ठीक विपरीत स्थानीय विभागीय कर्मचारियों के माध्यम से कार्य संपादित कराए जाने पर उनकी हाजिरी तथा फर्जी बैंक खाता संख्या दर्ज कर शासकीय  राशि गबन करने जैसे प्रकरण सामने आने लगते है जिससे विभागीय अधिकारियों के सीआर पर भी प्रभाव पड़ता है अतएव इन समस्त पेचीदगी से बचने ठेकेदार महेंद्र भारती को मोहरा बनाकर उसके माध्यम से अब फर्जी बिल भुगतान और श्रमिको के पारश्रमिक राशि की अफरा तफरी तथा गुणा भाग वाला खेल सहजता,एवं सुगमता से  खेला जा रहा है भविष्य में यदि कभी जांच की आंच अथवा विभागीय निरीक्षण होने पर ऐसे कर्मचारी अपने आप को साफ बचाने  सॉफ्ट कार्नर बना कर चल रहे है तथा जांच होने पर समस्त गड़बड़ घोटाला का दोषा रोपण संबंधित कार्यरत ठेकेदार के सर मढ दिया जाएगा कुछ यही कहानी जंगल सफारी में बेखौफ होकर चल रही है 

ज्ञात तो यह भी हुआ है कि समाचार प्रकाशन पूर्व सुनील खोपरागड़े द्वारा बड़ी संख्या में फर्जी बाउचर, एवं संबंधित दस्तावेजों को जला दिया गया क्योंकि उसके द्वारा कुछ  चिन्हित श्रमिकों के परिजन एवं मित्रों के फर्जी खाता संख्या दर्ज करवा कर बड़ी राशि आहरित की गई थी इससे इन्हें तो भारी लाभ हुआ साथ ही ऊपर बैठे अधिकारी भी लालम लाल हो गए जबकिं चर्चा इस बात को लेकर गर्म है कि एक ही विभाग पर लगभग पांच वर्षों से डीएफओ के पद पर रहते हुए मर्सिबेला मैडम ने आकूत संपति अर्जित कर रखी है  समाचार तो यह भी मिला  है कि उन्होंने नवा रायपुर में अपने परिजनों के नाम से ज़मीन मकान ले लिया है तो तनिष्क जैसे डायमंड ज्वेलरी से डायमंड भी क्रय कर रखा है चार पहिया वाहन सहित अन्य स्थलों  पर भी अचल संपति लिए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में करोड़ों के मुरुम घोटाला कांड में डीएफओ मर्सिबेला मैडम के ऊपर ईओडब्ल्यू एवं आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो की जांच प्रकरण दर्ज है यह अलग बात है कि इस प्रकरण पर उन पर अब तक  कोई कार्यवाही नही की गई अब यह कार्यवाही क्यों नही हो पाई ?यह तो ऊपर बैठे अधिकारी ही बता सकते है कि कहां पर किस चीज का चढ़ावा चढ़ाकर जांच को प्रभावित कर एडजस्ट किया गया परन्तु यह भी उतना ही कटु सत्य है कि उनकी क्रमोन्नति,एवं तबादला भी उक्त प्रकरण पश्चात काफी दुरूह हो गया है आज नही तो कल जांच की जद में उनका आना पत्थर पर लकीर के समान सत्य है   इसलिए भी आईएफएस डीएफओ मर्सिबेला मैडम द्वारा भी खुलकर अपने अधीनस्थों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे रखी है तथा यहां से अन्यंत्र उनका तबादला भी नही हो रहा है जो इनके सेवाकाल में क्रमोन्नति की राह में एक प्रकार से ग्रहण सा लग गया है   बताते चले कि जंगल सफारी से सटे बॉटनिकल गार्डन में वर्ष 2017-18 में एक बड़े भूभाग से अवैध मुरुम,काली मिट्टी,ढुलाई का प्रकरण प्रकाश में आया था जिसे वन विकास निगम द्वारा निर्मित ऑक्सिजोन में डाला गया था जिसका करोड़ों रुपयों का बिल बना था अवैध रूप से किए जा रहे खनन समाचार पत्रों एवं चैनलों के माध्यम से जब समाचार  जनमानस के समक्ष आने पर  तात्कालिक वन विकास  निगम प्रबन्धन ने सांकरा स्थित ऑक्सिजोन से मुरुम उत्खनन करवा कर बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाई थी इस अफरा तफरी में भी डीएफओ मर्सिबेला मैडम  का नाम प्रमुखता से आया था परन्तु विभागीय जांच होने पर उन पर किसी प्रकार की कोई  कार्यवाही नही होना विभागीय कार्यशैली पर सन्देह की उंगली उठाता  है  फिर भी उन्हें लंबे समय से एक ही कार्य स्थल पर नियुक्ति मानों किसी अज्ञात ईश्वर का अपने भक्त पर विशेष कृपा दृष्टि बना हुआ सा प्रतीत होता है संभवतः भक्त द्वारा भी अपने ईश्वरीय आक़ा को खुश करने विशेष रूप से  प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता होगा ? यही वजह बताई जा रही है कि लंबे समय से एक ही  विभाग के कार्य स्थल पर डीएफओ मर्सिबेला मैडम जमी हुई है  परन्तु (सीआर)दागदार होने पर ...लागा चुनरी में दाग मिटाऊं कैसे....की तर्ज पर उन्हें बहुत से उपाय करने होंगे जो रात के अंधेरे में रौशनी की तलाश करने के समान लगता है   फिलहाल तो वो भ्रष्टाचार के भंवर में फंसी हुई है इससे किस तरह उभरना होगा यह एक कुशल तैराक ही जान सकता है  वही मैदानी जंगल सफारी  स्थल के अधिकारी,कर्मचारीयों का भ्रष्टाचार कर आकूत संपति बनाए जाने का आलम यह है कि एक छोटा कर्मचारी  फॉरेस्ट गार्ड ने भी चल अचल संपति  बना ली है आसपास क्षेत्रों में रहने वाले कई फॉरेस्ट गार्ड ने तो बकायदा सेक्टर 27 सेक्टर 29 मे पक्के मकान बना लिए है  तथा  चार पहिया वाहन में चल रहे है  एक प्रकार से जंगल सफारी में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की चर्चा  में यह कहा जा रहा है कि जब एक फॉरेस्ट गार्ड के ऐसे ठाठ है तो सोचो ऊपर बैठे अधिकारियों के शान ओ शौकत का क्या हाल होगा फॉरेस्ट गार्ड के विलासता पूर्ण जीवन शैली को लेकर  संपूर्ण प्रदेश भर के कर्मचारियों  में चर्चा और कौतूहल का विषय बना हुआ है 

वन कर्मी अब इनके आनबान और शान देखकत चटकारे लेकर फिल्मी गीत... जंगल जंगल बात चली है पता चला है...कंबल ओढ़ के घी पिया है घी पिया है.. कि तर्ज पर मजे ले रहे है क्योंकि फॉरेस्ट गार्ड   जिनमे मुख्यतः बबलू निराला, पिंकेश्वर दास वैष्णव, मंशाराम साहू,निरंजन दास साहू,मनीष राव ,एवं कृष्णा राव का नाम उल्लेखनीय है सर्वाधिक धन अर्जित के मामले में बबलू निराला का नाम खासा चर्चित है जिसने  शराब,शबाब,कबाब,के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे वहीं वर्तमान में  पिंकेश्वर दास वैष्णव फॉरेस्ट गार्ड जंगल सफारी  के संबन्ध में यह भी  ज्ञात हुआ है कि फर्जी आदेश के माध्यम से 2009 में उसकी भर्ती हुई है बताया जाता है कि भर्ती आदेश मे (व्हाइटनर) सफेदा लगा हुआ था जो फर्जी तरीके से भर्ती होने की आशंका को प्रबल करता है इस संबध में यह भी ज्ञात हुआ था कि बिलासपुर वृत से  भर्ती आदेश होते ही एक सप्ताह  पश्चात ही उसे रायपुर डिवीजन स्थानान्तरण कर जंगल सफारी में अटैच कर दिया गया था जबकि वन नियम में यह है कि नवीन भर्ती वाले कर्मचारी को  जहां उसकी भर्ती हुई थी उसी वृत के अन्य स्थान पर भेजा जा सकता था परन्तु उक्त प्रक्रिया नही अपनाई गई आदेश लेकर जब वह रायपुर डिवीजन में उपस्थित हुआ

तब  तात्कालिक डीएफओ द्वारा उसके आदेश की प्रति फेक कर यह कहा था कि यह सब मेरे कार्यकाल में नही चलेगा...परन्तु राजनैतिक अथवा ऊपरी दबाव के चलते उसे रायपुर वृत में नियुक्ति मिल गई बताया तो यह भी जाता है कि वह केवल आठवी तक अल्प शिक्षित है तथा उसकी कद काठी भी नियमानुसार तय मापदण्ड से काफी कम है जबकि फॉरेस्ट गार्ड की सामान्य ऊंचाई  साढ़े पांच फीट होना अनिवार्य होता है सामान्य कद के ऊंचाई वाले फॉरेस्ट गार्ड  प्रतिभागी का चयन वन अधिनियम में निर्धारित नही है उससे कम कद काठी वाले अल्प शिक्षित  व्यक्ति को चतुर्थ श्रेणी चपरासी इत्यादि में लिया जा सकता है परन्तु पिंकेश्वर दास वैष्णव को फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में सारे   नियम कायदों को बलाए ताक रख कर किया गया जिसमे  पिंकेश्वर दास वैष्णव खरा नही उतरता उसकी कद काठी मात्र साढ़े चार फीट का होना बताया जा रहा है साथ ही उसके भर्ती आदेश में नाम के स्थान पर व्हाइटनर (सफेदा) लगा होना उसके सीधे फर्जी आदेश से भर्ती होने की आशंका  को प्रबल करता है ऐसे फर्जी आदेश में शासकीय सेवा का लाभ उठाने तथा विभाग को गुमराह करने के  तारतम्य में वन अधिनियम में यह स्पष्ट उल्लेख है कि ऐसा कर्मचारी जो विभाग में फर्जी तरीके से भर्ती होकर विभाग को गुमराह कर प्रदत समस्त शासकीय लाभ उठा रहा हो उस कर्मचारी का  पेंशन पर कटौती प्रमोशन में रोक एरियर्स में कटौती तथा नियुक्ति को तत्काल रद्द भी किया जा सकता है यही नही विभाग को गुमराह कर ने के कुत्सित प्रयास में धोखाधड़ी 420 का मामला। भी पंजीबद्ध हो सकता है तथा उससे विभाग  द्वारा अब तक के सेवाकाल में लिए गए राशि,गड़बड़ घोटाला,भ्रष्टाचार की राशि की रिकवरी भी किया जा सकता है जो उसके चल अचल संपति को राजसात कर अपनी भरपाई पूरी की जा सकती है परन्तु ऐसे फॉरेस्ट गार्ड भी जो फर्जी तरीके से व्हाइटनर लगे आदेश से लंबे समय से जंगल सफारी में लगभग दस वर्षों से ऊपर अपनी  सेवा दे रहा है उसके द्वारा पॉश इलाके में  निर्मित  फ्लैट  लिया ऐसे ही उपरोक्त उल्लेखित फॉरेस्ट गार्डों ने अपने ग्राम क्षेत्र भेलवाडीह में भी सुसज्जित मकान तैयार कर लिए है अब इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एक अदना से कर्मचारी के ऐसे राजशाही ठाठ है तो उनसे ऊपर के कर्मचारी,अधिकारियों का क्या हाल होगा यह विचार किया जा सकता है  वही जंगल सफारी ज़ू में वन प्राणियों के सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे है वन्य प्राणी प्राकृतिक वनों में स्वछंद विचरण करने वाले प्राणी है जिनमे कुछ शाकाहारी तो कुछ मांसाहारी है उनकी जंगल सफारी में रहते हुए अकाल मृत्यु होना भले ही वह मौसमी प्रकोप से ही क्यों न हो यह वन क्रूरता,अत्याचार अधिनियम के तहत माना जाता है क्योंकि उनके स्वछंद विचरण हेतु माकूल बाड़ा नही है  एक प्रकार से 5000 वर्गफीट के बाड़े में वह  कैदी का जीवन निर्वाह कर रहा  होता है जिससे उसके खानपान स्वतंत्रता पर व्यापक असर दिखाई पड़ता है तथा घमा चौकड़ी,उछल कूद न कर पाने की वजह से संक्रमण से व्याधि ग्रस्त होकर असमय काल कल्वित हो रहे है चीतल हिरन की घटती संख्या को देखकर कुछ यही लगता है जबकि राष्ट्रीय पक्षी मोर जिसकी संख्या दस के आसपास बताई गई थी वह भी  घटकर बच्चे सहित तीन चार शेष होना बताया जा रहा  है जबकि सर्वविदित है कि यदि राष्ट्रीय पक्षी मोर की असामयिक  मृत्यु होने पर उसके शव को तिरंगे में लपेट कर ससम्मान दफनाया जाता है   तथा यह भी निश्चित है कि मोर थल एवं नभ चर प्राणी है तब स्वभाविक है उसे खुले बाड़ा वाले स्थान में तो रखा नही जा सकता उसके सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से उसे पिंजरे नुमा किसी खुले स्थान पर रखा जाता होगा फिर उनकी संख्या ग्राफ मे लगातार गिरावट दर क्यो दर्ज हो रही है 

हाल ही कांकेर क्षेत्र से लाए गए दो तेंदुआ भी काल कल्वित हो गए जबकि यह बात भी जंगल सफारी के अंदर से छनकर आ रही है कि  चोटिल अथवा घायल वन्य प्राणियों को बगैर अचेत किए उसका ऑपरेशन किया जाता है जिसका वीडियो भी है इसमें बताया गया है कि ऑपरेशन करते समय मूक वन्य प्राणी कितने असहनीय दर्द से छटपटा रहा है यह वन्य प्राणियों के साथ क्रूरता एवं अत्याचार नही तो और क्या है ?  केवल वन्य प्राणियों का प्रदर्शन कर आर्थिक लाभ अर्जित करना वन विभाग के जंगल सफारी का दायित्व नही है बल्कि उनकी सुरक्षा,उनके रख रखाव,खानपान  एवं प्राकृतिक वातावरण निर्मित करना का भी महती दायित्व भी बनता है उनके व्यापक  स्वच्छंद विचरण हेतु विशाल भूभाग में प्राकृतिक वातावरण निर्मित करना है ताकि वे सहजता पूर्वक ऐसे वातावरण को अपना रहवास समझ कर आत्मसात कर सके न कि  केवल  सीमित वर्ग क्षेत्र में बाड़े निर्माण कर  बंधक और कैदी की भांति उनका प्रदर्शन कर अर्थ लाभ कमाने का एक जरिया मात्र न बनाया जाए? 

वविनि के भोजराज जैन अब 80 हजार रिश्वत के लिए अधीनस्थों से ले रहे सेवा

 वविनि के भोजराज जैन अब 80 हजार रिश्वत के लिए अधीनस्थों से ले रहे सेवा  

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)छग राज्य वन विकास निगम में  भ्रष्टाचार अनियमितता एवं घोटालों का खेल तो वर्षों से चल ही रहा है परन्तु नियुक्ति पद स्थापना एवं ग्रेच्युटी फंड देने के नाम पर अब भी कोई अवसर नही छोड़ा जा रहा है पहले ऐसे कार्यों के लिए सीधे ऊपर बैठे अधिकारी अपना मुंह खोल  कर पैसों के लेनदेन की बात करते थे परन्तु अब चेहरे बदल कर पैसों के लेनदेन करने का प्रकरण प्रकाश में आ रहा है  यह कटु सत्य बिलासपुर के कोटा पंडरिया परियोजना मंडल के अंतर्गत से आ रहा है जहां के सहायक  प्रबन्धक लेखा के द्वारा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी से उसके नियमितीकरण सूची में नाम समायोजित करने के एवज में गरीब दीन व्यक्ति से अस्सी हजार रुपयों की डिमांड की जा रही है  ऐसा कृत्य करने वाले कोटा पंडरिया परियोजना मंडल में सहायक प्रबन्धक लेखा पद पर टी श्री हरि के द्वारा अंजाम दिया जाना बताया गया है एक गरीब दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी जो विगत 28 वर्षों से छग वन विकास निगम के कोटा परियोजना मंडल में कार्यरत है तथा 2011-12 में ही उसका नियमितीकरण होना तय था परन्तु किसी कारण वंश सूची में नाम नही जा पाया तथा दस वर्षों तक उसे इंतज़ार करना पड़ा परन्तु टी. श्री हरि  सहायक प्रबंधक लेखा वित्त प्रबन्धक संविदा नियुक्त भोजराज जैन जैसे अधिकारीयों के  इशारों में नृत्य करते है तथा अब वे स्वयं पैसे लेने की बजाए अपने अधीनस्थ मंडल कार्यालयों में सहायकों से ऐसे कृत्य को अंजाम देने से भी गुरेज नही कर रहे है फिर भी वास्तविकता सामने आ ही जाती है तथा ऐसे भ्रष्ट लोगों को सार्वजनिक होना पड़ता है जिनमे भोजराज जैन जैसे शातिर घाघ अधिकारी के सुनियोजित दिशा निर्देश का पालन करते हुए टी. श्री हरि द्वारा एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी से नियमितीकरण सूची में नाम  पंजीबद्ध हेतु 80 हजार रुपये की मांग की जा रही है 

यह कथन स्वयं सहायक लेखा कोटा पंडरिया टी. श्री हरि के द्वारा रामनारायण साहू से  कहा है कि रायपुर के जैन साहब को उक्त राशि देने पर ही राम नारायण साहू का नियमितीकरण हो पाएगा स्पष्ट करते चले कि राज्य सरकार के जारी दिशा निर्देश पर  एवं जारी परिपत्र के अनुसार ऐसे पात्र व्यक्ति जो लगभग दस वर्षों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी है उन की सूची बना कर नियमितीकरण में समायोजित करने के उद्देश्य से नामांकन कार्य किया जा रहा है परन्तु  वन विकास निगम के कार्यालयों में सम्मानित पदों पर बैठे ऐसे अधिकारी जो चाय में मक्खी गिर जाए तो उसे भी चूस कर चाय पीने वाले मक्खी चूस गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से रिश्वत लेने पीछे नही हट रहे है तथा राम नारायण साहू  से अस्सी हजार रुपये की मांग कर रहे है स्वभाविक है कि ऐसे रिश्वत खोरी की मांग बगैर किसी ऊपर बैठे अधिकारी के दिशा निर्देश  के कोई कर्मचारी इतनी बड़ी हिमाकत तो नही कर सकता इसका उदाहरण बिलासपुर में  रिश्वत मांगने वाली यह पहली घटना सामने आई है इसमें भी सेवानिवृत हो चुके एवं मुख्यालय में संविदा नियुक्त  वित्त प्रबंधक लेखा भोजराज जैन के द्वारा  दूर की कौड़ी  वाला खेल खेला जा रहा है जब से फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ने जोड़ तोड़ कर संविदा नियुक्त  भोजराज जैन  का वित्त प्रबंधक वन मुख्यालय में पदस्थी  का समाचार वायरल हुआ तब से ही  विभाग में उनकी बड़ी छीछालेदर हुई समाचार वायरल होने के पश्चात  उनके नियुक्ति,पदस्थापना,एवं प्रमोशन,जैसे  लेनदेन के मामले में आंशिक गिरावट के साथ उनके अवैध रूप से धन अर्जित करने की मंशा और मंसूबों पर भी पानी फिर गया तब से ही उन्होंने नियुक्ति,पदोन्नति, अतिरिक्त पद स्थापना एवं फर्जी बिल बाउचर के माध्यम से अधिकारियों कर्मचारोयों का शारीरिक मानसिक और आर्थिक शोषण जैसे अवैध उगाही से अपना हाथ खींच लिया तथा अब वे स्वयं प्रत्यक्ष रूप से सामने न आते हुए  अप्रत्यक्ष रूप से अपने चंगु मंगू अधिकारियों को आवैध उगाही में संलग्न कर लिया जिसका ऐसे अधिकारी पद पावर का  बेजा लाभ उठाते हुए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से भी राशि की मांग कर रहे है यह बात का खुलासा लगभग 28 वर्षों से छग वन विकास निगम बिलासपुर में सेवा देने वाले रामनारायण साहू को विभाग में नियमित करने के लिए 80 हजार रुपये की रिश्वत की मांग कथित सहायक लेखा प्रबन्धक श्री टी.हरि द्वारा किया जा रहा है यही नही पैसे न देने की स्थिति में उसे लगभग छ माह से भी कार्य से पृथक कर दिया गया जिसकी वजह से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी राम नारायण साहू के समक्ष अपने परिवार के भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई 80 हजार रिश्वत की मांग के संदर्भ में राम नारायण साहू ने बताया कि सहायक लेखा प्रबन्धक  द्वारा स्पष्ट यह कहा जा रहा है कि यदि उसके नाम को समाहितिकरण करवाना है तो रायपुर में वित्त प्रबंधक भोजराज जैन को राशि देनी पड़ेगी तब उसके नाम को नियमितीकरण सूची में समायोजित किया जाएगा इसके लिए उसे 80 हजार रुपये देने पड़ेंगे इससे ज्ञात होता है कि वित्त प्रबंधक लेखा में संविदा नियुक्त भोजराज जैन अपने सुनियोजित अर्थ लाभ वाली मंशा की मानसिकता से अब भी रिहा नही हुए है बल्कि स्वतः पर्दे के पीछे रहते हुए अपने चंगु मंगू भक्तों के माध्यम से अवैध उगाही वाला कार्यक्रम  संचालित कर रहे है वही एक अन्य मामले में भी सेवा निवृत्त कर्मचारी संगठन द्वारा  लिखित शिकायत का मामला सामने आ रहा है जिसमे प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.सी.पांडे साहब भावसे प्रबंध संचालक  छग राज्य वन विकास निगम को  स्वर्गीय सेवतकर साहब जो विगत  2015 को रिटायर हुए थे तथा   2 मई 2021 को कोरोना के चलते उनका स्वर्गवास हो गया था उनके ग्रेच्युटी एवं अवकाश नगदीकरण एरियर की राशि भुगतान में कथित  श्री हरि सहायक प्रबन्धक लेखा बिलासपुर कोटा परियोजना मंडल द्वारा कागजी दस्तावेजो के नाम पर परेशान किया जा रहा है ऐसी परिस्थिति सहायक प्रबन्धक द्वारा लंबे समय से उत्पन्न की  जा रही है ताकि  ग्रेच्युटी अवकाश फंड दिलवाने के एवज में स्वर्गवासी कर्मचारी की पत्नी एवं पुत्र  हलकान किया जा सके पश्चात  विभाग से राशि दिलवाने के एवज में उनसे एक बड़ी कमीशन राशि की बात की जा सके ऐसी स्थिति उत्पन्न करनें की यह एक सोची समझी नाट्य स्थिति निर्मित की जा रही है तथा ऐसे नाट्य के  रूप रेखा तैयार करने में महानट श्री भोजराज जैन महारत रखते है  उन्ही के दिशा  निर्देशन में यह नाट्य टी. श्री हरि सहायक प्रबन्धक लेखा बिलासपुर कोटा परियोजना मण्डल द्वारा खेला जा रहा है जो  देखने पर स्वतः  स्थिति स्पष्ट नज़र आती है जबकि पूर्व अंक में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ने स्पष्ट कर दिया था कि वन विकास निगम कर्मचारियों से अवैध  उगाही के मामले को जो संविदा नियुक्त भोजराज जैन द्वारा किए जाएगे उसे प्रमुखता से समाचार प्रकाशन कर उसका भंडाफोड़ किया जाएगा जिसका उन्होंने तोड़ निकलते हुए अब स्वयं प्रत्यक्ष रूप से सामने न आकर अपने अन्य सहयोगियों को आगे कर अवैध उगाही का माध्यम बना लिया है जबकि ऐसे कृत्यों में महारत हासिल किए हुए पुराने कर्मचारी  संविदा नियुक्त पिल्लई,कोठारे बाबू, जो दो से तीन मर्तबा संविदा... संविदा..वाला खेल खेल चुके है वो  चिर खामोशी वाली चादर ओढ़ लिए है परन्तु    श्री भोजराज जैन द्वारा अवैध रूप से उगाही जैसे दिल दहला देने वाले प्रकरण लगातार सामने आ रहे है परन्तु फिर भी वन विकास निगम में ऊपर बैठे उच्च अधिकारी मौनी बाबा जैसे मौन धारण किए हुए तथा अब तक  आंख बंद कर क्यों बैठे है ?  यह समझ के परे है विभागीय कर्मियों में कानाफूसी हो रही है कि कहीं  भोजराज जैन के उक्त अवैध  उगाही में उनकी भी मूक सहमति तो नही ? इस सवाल वन विकास निगम के समस्त परियोजना मंडल कार्यालय के कर्मचारियों में अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है.

इंडियन जर्नलिस्ट् फेडरेशन ने पत्रकार रजा मेंमन पर हमला करने की निंदा करते हुए आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की

 इंडियन जर्नलिस्ट् फेडरेशन ने पत्रकार रजा मेंमन पर हमला करने की निंदा करते हुए  आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की

सरगांव / बिलासपुर।  इंडियन जर्नलिस्ट् फेडरेशन छत्तीसगढ़ यूनिट पत्रकार संगठन प्रदेश अध्यक्ष शरनजीत सिंह तेतरी ने पत्रकार रजा मेंमन पर हमला करने की कड़ी निंदा की है तथा आरोपियों पर शीघ्र कार्यवाही की मांग की गई बताते चले कि विगत 22सितंबर रात को पत्रकार रजा मेंमन नवभारत संवाददाता सरगांव के साथ मारपीट और लूटपाट की नीयत से तीन लोगों के द्वारा हमला  किया गया। इंडियन जर्नलिस्ट्स फेडरेशन के पत्रकार संगठन द्वारा पत्रकार रजा मेंमन पर हमला करने वाले आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग करते हुए  पुलिस उच्च अधिकारी को ज्ञापन सौंप इंडियन जर्नलिस्ट्स फेडरेशन( ijf) छत्तीसगढ़ के पत्रकार संगठन के बन्धुयो ने यथा शीघ्र कार्यवाही का अनुरोध किया इंडियन जर्नलिस्ट्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री तेतरी ने कहा की इस संबंध में अतिशीघ्र DGP और गृह मंत्री से मुलाकात कर आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा की पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं होने से छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के ऊपर हमले हो रहे है उन्होंने मांग की है छत्तीसगढ़ में तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो. ज्ञापन  सौंपने श्री शरनजीत सिंह तेतरी छत्तीसगढ़ प्रदेशअध्यक्ष (ijf), अमित मिश्रा प्रदेश उपाध्यक्ष, अनिल रतेरिया प्रदेश महासचिव, प्रताप नारायण सिंह प्रदेश सचिव , भारत योगी प्रदेश सचिव , आबिद शेख ,नरेंद्र शर्मा, महेंद्र ठाकुर,विजय लाल, किशोर कर ,शशिर देवांगन , श्याम कश्यप , राहुल पनका,सैय्यद शफ़ीक़ अमन, मो. शमीम,आदि  मौजूद थे | 



सोमवार, 27 सितंबर 2021

यातायात आरक्षक ने भाग रहे मोबाइल चोर को दबोचा ..पुलिस अधीक्षक ने प्रोत्साहित किया

 यातायात आरक्षक ने भाग रहे मोबाइल चोर को दबोचा ..पुलिस अधीक्षक ने  प्रोत्साहित किया

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) मोबाइल छीनकर भागने के प्रकरण आज कल आम हो चुके है परन्तु सक्रियता और तत्परता से इसे रोका भी जा सकता है ऐसा ही एक प्रकरण सिविल लाइन थाना अंतर्गत भी आया जहां एक चोर द्वारा शराब दुकान के पास से किसी अज्ञात व्यक्ति का मोबाइल चोरी कर तेजी से नेताजी चौक सिविल लाइन से भाग रहा था उसी समय यातायात थाना कोतवाली चौक से ड्यूटी पूरी कर आरक्षक रजब खान वापस घर जा रहा था बदहवास भागते  लड़के पर उसे शक हुआ तथा तत्परता पूर्वक  चोर का पीछा कर उसे पी.डब्ल्यू.डी.चौक पर पकड़ लिया तथा इसकी सूचना तत्काल कंट्रोल रूम व यातायात में देकर चोर को थाना सिविल  लाइन को सुपुर्द किया आरक्षक रजब खान की कर्तव्यनिष्ठा एवं  तत्परता पूर्वक किए  गए कार्यों की सराहना करते हुए पुलिस अधीक्षक श्री प्रशांत अग्रवाल द्वारा नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर उसे प्रोत्साहित किया 

रविवार, 26 सितंबर 2021

हादसे में घायलों का कुशल क्षेम जानने विधायक धनेंद्र साहू ग्राम भलेरा पहुंचे

 हादसे में घायलों का कुशल क्षेम जानने विधायक धनेंद्र साहू  ग्राम भलेरा पहुंचे 


रायपुर (आरंग)विगत दिवस जनपद पंचायत आरंग   विधान सभा अभनपुर के अतर्गत ग्राम भलेरा में हुए शेड गिरने के हादसे में घायल ग्रामीणों का  कुशलक्षेम  जानने वरिष्ठ क्षेत्रीय विधायक श्री धनेंद्र साहू आज ग्राम भलेरा पहुंचे तथा घायल हुए  प्रत्येक ग्रामीण के घर पहुंच कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली  ग्रामीणों से मिलने के पश्चात उन्होंने उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना की एवं उपचार हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए  ग्रामीणों से मुलाकात के दौरान उन्होंने ग्राम भलेरा के ग्रामीणों को आश्वस्त किया

कि हादसे में घायलों के बेहतर उपचार में कोई कमी नही आने दिया जाएगा इसके लिए शीघ्र ही स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम स्वास्थ्य परीक्षण करने ग्राम भलेरा आएगी तथा उन्होंने  घायलों के समुचित इलाज एवं हरसंभव मदद का आश्वासन  भी दिया श्री साहू शेड गिरने वाली घटना स्थल पहुंच कर उसका निरीक्षण किया  तथा घटिया स्तरहीन  शेड निर्माण को लेकर पूर्व सरपंच द्वारा निर्माण एवं निर्माण सामग्री के व्यर्थ होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए घटना की जांच के आदेश दिए उल्लेखनीय है  कि विगत सप्ताह वरिष्ठ विधायक  श्री  धनेंद्र साहू ग्राम भलेरा में भूमि पूजन सहित अन्य कार्यक्रम में पहुंचे थे  जहां वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए  कार्यक्रम पूर्व सरपंच के कार्यकाल में लगभग  7 लाख रुपये से  निर्मित शेड में रखा गया  था चलते कार्यक्रम के दौरान ही टीन शेड गिर गया जिसमें एक दर्जन से ऊपर ग्रामीण हताहत हो गए थे हादसे में  घायल ग्रामीणों को तत्काल क्षेत्रीय विधायक की गाड़ी सहित अन्य माध्यम से उपचार हेतु आरंग ले जाया  गया था जहां कुछ ग्रामीणों की हालत चिंता जनक बताई गई थी 

घटना पश्चात विधायक धनेंद्र साहू  लगातार ग्रामीणों के स्वस्थ्य की जानकारी  लेते रहे तथा इसी सिलसिले में आज वे पुनः ग्राम भलेरा ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जानकारी लेने पहुंचे थे तथा प्रत्येक पीड़ित ग्रामीण के घर पहुंच कर उन्होंने उन के स्वास्थ्य की जानकारी ली इस अवसर पर वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू के साथ हरीश साहू,डामन  साहू, बबलू वैष्णव,भलेरा, सरपंच प्रतिनिधि चन्द्र कुमार साहू, अमित साकरे, गोवर्धन साहू,ग्राम सचिव सहित सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित थे


मंगलवार, 21 सितंबर 2021

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी समाहितीकरण के मांग को लेकर वन मंत्री से मिले

 

*दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी समाहितीकरण के मांग को लेकर वन मंत्री से मिले *
.....................................


 रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रान्ताध्यक्ष कमलनारायण साहु, प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद वर्मा, के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल  वन मंत्री मोहम्मद अकबर से मुलाकात कर वन विभाग के 1400 वन रक्षक/सहायक ग्रेड03/वाहन चालक के रिक्त पद तथा वन विकास निगम में 700 पद सहित छ. ग. राज्य लघु वनोपज संघ के अंतर्गत सहायक ग्रेड 03/संदेश वाहक के 113 सीधी भर्ती के रिक्त पदों में  कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को समाहितीकरण करने हेतु चर्चा किया  रिक्त पदों में समाहितीकरण के संबंध में वन मंत्री मो.अकबर द्वारा पूर्णरूप से आश्वासन दिया गया प्रतिनिधि मंडल के  रामकुमार सिन्हा ने वन मंत्री महोदय का ध्यानाकर्षण कराया कि वन विभाग /वन विकास निगम/ राज्य लघुवनोपज में दैनिक वेतन भोगी /वाहन चालक/कम्प्युटर आपरेटर  विगत 10-15 वर्षो से निरंतर अपनी सेवा देते आ रहे है किन्तु, आज तक उन्हें  नियमितीकरण का लाभ  नही दिया गया 

 और ना ही सीधी भर्ती में समाहितीकरण किया जा रहा है ! जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मय  हो गया है छग प्रदेश दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि मंडल ने वन मंत्री मो.अकबर को  इस बात से भी अवगत कराया कि वन विभाग में कार्यभारित/आकस्मिकता निधी से सेटप तैयार कर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियोजित कर  नियुक्ति  आदेश दिया जाए जिस पर वन मंत्री द्वारा सहानुभुति पूर्वक विचार करने की बात कही तथा जी. ए. डी. को प्रस्ताव लिख  वन बल प्रमुख के समक्ष प्रस्ताव रखने आदेश किया तथा 

उक्त प्रस्ताव को वन मंत्री के द्वारा सीधी भर्ती में समाहितीकरण का प्रस्ताव पर अनुमोदन करने का भी आश्वासन दिया जाना बताया गया है,  इस संदर्भ में  छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश पदाधिकारी शीघ्र ही वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी से मिलकर प्रस्ताव विषय पर चर्चा कर अपनी मांग रखेंगे, संगठन के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा  व अरविंद वर्मा ने बताया कि वन बल प्रमुख हमारे हित में सार्थक निर्णय के लिए कटिबद्ध है इस विषय पर  वे प्रारंभ से ही चिंतन मंथन करते  रहे है और बताया कि वन बल प्रमुख ने पूर्व भी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के हित में  कह चूके है कि  किसी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा   तथा उनके जल्द से जल्द नियमितीकरण होने की बात भी दोहराई थी , नियमितीकरण एवं समाहितिकरण को लेकर  प्रदेश पदाधिकारियों ने वन विकास निगम के प्रबंध संचालक पी.सी.पांडे,उप प्रबंध संचालक व लेखाधिक्षक से मुलाकात कर समाहितीकरण के विषय में चर्चा किया गया  जिस पर वन विकास निगम से तत्काल जानकारी मंगाया गया है ताकि रिक्त पदों पर समाहितीकरण कर वन विकास निगम में कर्मचारियों कि पूर्ति किया जा सकें! प्रदेश सलाहकार तुलसी डोंगरे एवं प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा सहित समस्त संगठन उक्त विषय को लेकर दैनिक वेतन भोगियों के  नियमितीकरण के संबंध में महाधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर तथा कांग्रेस पार्टी  के प्रदेश प्रभारी पी. एल. पुनिया, प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम से भी चर्चा किया जा चुका है! शीघ्र ही इसके सार्थक परिणाम आने की बात कही गई है वन मंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी संगठन के प्रदेश  अध्यक्ष कमल नारायण साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद वर्मा,महामंत्री रामकुमार सिन्हा,सलाह कार तुलसी डोंगरे,वविनि अध्यक्ष जनकलाल साहू, नवीन झा सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे 

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

वीडियो के आधार पर दो मजनूं गिरफ्तार सिविल लाइन पुलिस की कार्यवाही

  वीडियो के आधार पर दो मजनूं गिरफ्तार सिविल लाइन पुलिस की कार्यवाही 


रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)राजधानी में महिलाओं से लगातार बढ़ रही छेड़खानी और सुरक्षा को लेकर  कल शाम सिविल लाइन थाना क्षेत्र ने किसी आम व्यक्ति के द्वारा छेड़छाड़ का वीडियो बना कर सोशल मीडिया में डाल दिया  वीडियो देखने के पश्चात उसे आधार बनाकर सिविल लाइन पुलिस ने दो मजनूंओं को गिरफ्तार किया है सिविल लाइन पुलिस से मिली जानकारी के अंतर्गत  सबसे व्यस्ततम एव पॉश इलाका शंकर नगर में 2 लड़कों द्वारा एक लड़की का पीछा करते,एवं  छेड़ते एक वीडियो  सामने आया था. जिसे स्थानीय पुलिस ने संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही करते हुए दोनों मजनुओं को 2 घंटे के अंदर  पकड़ लिया  .  इस संदर्भ में ज्ञात हुआ कि सिविल लाइन पुलिस  स्वयं प्रार्थी बनते हुए FIR दर्ज की है, दोनो अपराधियों को गिरफ्तार कर उनकी  गाड़ी भी जप्त की गई है.  आगे की कार्यवाही करते दोनों मजनुओं को आज  जेल भेज दिया गया 

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

डिप्टी रेंजर और ठेकेदार के जुगलबंदी से जंगल सफारी में करोड़ों का घोटाला*

 

*डिप्टी रेंजर और ठेकेदार के जुगलबंदी से जंगल सफारी में करोड़ों का घोटाला*


    सुनील कुमार खोपरागड़े डिप्टी रेंजर जंगल सफारी

अलताफ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)  2011 से अटल नगर नवा रायपुर में लगभग 1200 एकड़ के वृह्द भूभाग में मानव निर्मित जंगल सफारी का निर्माण विभाग के द्वारा किया जा रहा है जिसमे सैकड़ों मजदूर दस वर्षों से ऊपर अपनी सेवाएं देते आ रहे है जिसमे कुछ श्रमिक की ड्यूटी के दौरान मृत्यु भी हुई थी जिन्हें मुआवजे के नाम पर अब तक  कुछ हासिल नही हुआ उल्टे ऐसे श्रमिकों का आर्थिक मानसिक और शारीरिक दोहन भी प्रारंभ हो गया जो बड़ी निष्ठा से अपने खून पसीने से सींच कर मानव निर्मित जंगल सफारी में अपना महती योगदान दिया आज ऐसे श्रमिक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को  जिनके पास सुरक्षा श्रमिक का कार्ड भी है उन्हें दरकिनार करके ऐसे कर्मचारियों को ड्यूटी पर रख लिया गया है जो अफसर एवं नेताओ के  सिफारिश पर यहां अपनी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे है यही नही ऐसे सुरक्षा श्रमिकों के छ माह के वेतन पर भी डाका डाल दिया गया वेतन मांगे जाने पर अधिकारी उन्हें उल्टा कार्य से बाहर कर अपने मन मुताबिक  श्रमिकों को अधिक तवज्जो दे रहे है जिसकी वजह से अब ऐसे सुरक्षा श्रमिक अपने अधिकार एवं पारिश्रमिक के लिए अनेक उच्च अधिकारियों के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यथा बता चुके है परन्तु ऐसे गड़बड़ घोटाला कर अपनी जेब गरम करने वाले संलिप्त अधिकारी श्रमिकों को  दो टूक में में जवाब देकर... तुम्हे जो करना है करो...कह कर उन्हें  कार्य से बाहर कर आर्थिक एवं मानसिक रूप से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा  है ऐसे पीड़ित श्रमिक की  संख्या एक दो नही बल्कि सैकड़ों है जिनका  शोषण कर  अधिकारियों के  द्वारा छ माह का वेतन गबन कर डकार लिया गया है  तथा इन्हें बाहर का रास्ता दिखा उनके पैसों से सुख एवं विलासता पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे है जिनमे एक अदना सा विभागीय कर्मचारी भी दो पहिया चार पहिया गाड़ी से लेकर  आलीशान बंगले का मालिक बन चुका है इस संदर्भ में जंगल सफारी के रेंजर प्रभारी नदीम कृष्ण बरिहा से मोबाइल से संपर्क करने का प्रयास कर जब उनसे वस्तुस्थिति ज्ञात करने का प्रयास किया गया तब उनके द्वारा मोबाइल नही उठाया गया वही डिप्टी रेंजर एवं  ज़ू प्रभारी सुनील कुमार खोपरागड़े भी सफारी में उपस्थित नही थे जबकि पीड़ित श्रमिको द्वारा बताया गया कि डिप्टी सुनील खोपरागड़े द्वारा निर्माण  कार्यों में बड़ी गड़बड़ी कर लाखों करोड़ों  की राशि की अफरा तफरी कर चुका है तथा उसके द्वारा ही श्रमिकों के शोषण करने के संदर्भ में यह गड़बड़ी घोटाला किए जाने की बात सामने आ रही है 
*अमानक स्तरहीन सरीसृप कक्ष का निर्माण*


नवनिर्मित सरिसृप कक्ष जो करोड़ो में निर्माणधीन है


बताते चले कि इसी वर्ष 2021 में जंगल सफारी ज़ू में अतिरिक्त बाड़ा निर्माण हेतु लगभग बारह करोड की राशि प्राप्त हुई थी जिसके माध्यम से भीतर के हो रहे निर्माण कार्य को देखकर यह कतई नही लगता है कि यहां बारह करोड की बड़ी राशि व्यय की जा रही है क्योंकि जिस प्रकार जंगल सफारी जू में हो रहे निर्माण कार्य का मौका स्थल पर जाकर निरिक्षण किया गया तो होश फाख्ता हो गए जिनमे दो शौचालय,दो कक्ष, दो डायनिंग रुम 8 बाड़ा, ही निर्माण किए गए है बाड़े मे लोहे के रॉड में लिंकिंग चैन के माध्यम से पांच हजार से दस हजार फीट की परिधि को फेंसिंग किया गया है तथा वन्य प्राणियों के रखने हेतु गुफा निर्माण किए जा रहे है  निर्माण कार्य मे भुरभुरे काले ईट की जुड़ाई तथा  कुछ ब्लॉक में जिनमे सरीसृप प्राणियों के रहवास हेतु कांच लगाए जा रहे है इस प्रकार संपूर्ण ज़ू क्षेत्र में कुल 11 बाड़ा एवं निर्माण  कार्य संपादित किए जा रहे है जिसके लिए बारह करोड़ की राशि व्यय की जा रही है अर्थात प्रत्येक निर्माण कार्य हेतु एक करोड़ दस लाख  की राशि व्यय की जा रही है जबकि सांप कक्ष बनाए जाने हेतु एक वर्ष पूर्व से निर्माण  कार्य करवाया जा रहा है जिसके स्तरहीन,अमानक होने की स्थिति मे सरि सृप कक्ष  की छत को खंडित किया गया तो कभी दीवार मजबूती के हिसाब से दो बार खंडित किया जा चुका है बताया जाता है कि  कभी छत के मध्य मे बीम नही डाला गया  तो कभी कक्ष की परिधि बड़ी होने की स्थिति मे  मध्य से दीवार  उठाई गई  इस प्रकार बार बार कक्ष का पुनरुद्धार किया जाता रहा तथा शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जाता रहा है फिर भी अब तक सरीसृप कक्ष निर्माण नही किया जा सका है

*बिना निविदा बुलाए एक ही ठेकेदार को कार्य* 

 


ठेकेदार महेंद्र भारती के निर्माण संसाधन रोलर

लगभग ग्यारह वर्षों से एक ही ठेकेदार को जंगल सफारी सहित अन्य निर्माण कार्य प्रदान करना बड़े आश्चर्य का विषय है महेंद्र भारती नामक उक्त ठेकेदार के पास बताया जाता है कि पूर्व में कुछ भी नही था आज स्थिति यह है कि उसके पास जेसीबी मशीन के साथ साथ सड़क रोलर,मिक्चर मशीन सहित अन्य निर्माण मशीनरीज के बड़े भारी भरकम संसाधन मौजूद है दो  वर्ष 2011 से महेंद्र भारती नामक ठेकेदार को अनवरत निर्माण कार्य का दायित्व सौंपा जा रहा है उल्लेखनीय है कि वन अधिनियम के तहत यह सार्वजनिक है कि रेंजर अथवा डिप्टी रेंजर को 50 हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये मद तक का ही निर्माण सहित अन्य कार्य करवाए जाने की छूट है यदि उपरोक्त राशि से ऊपर निर्माणधीन कार्य हो तो ऐसी परिस्थिति में दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से निविदा बुलाना अनिवार्य होता है तथा अल्प राशि निविदाकार को  विभाग द्वारा निविदा जारी की जाती है परन्तु जंगल सफारी एवं ज़ू में ऐसा किसी भी  निविदा कॉल के नियमों का पालन नही किए जाने सा प्रतीत होता है यदि नियमानुसार निविदा बुलाकर टेंडर निकाला जाता तो अन्य ठेकेदार एवं सप्लायरों को कार्य प्राप्त होता परन्तु यहां केवल  औपचारिक  निविदा बुलाई भी गई होगी तो अपने ही चहेते ठेकेदार महेंद्र भारती को ही कार्य संपादन हेतु कार्य प्रदान कर दिया गया जो इतिहास के सुनहरे पन्नो में  महेंद्र भारती के नाम से दर्ज हो गया  उसके द्वारा  पूर्वकालिक सत्ता से लेकर वर्तमान सत्ता तक अपने ठेकेदारी कार्यों से जन प्रतिनिधियों से लेकर अफसरशाह को प्रभावित कर उनके मध्य  चर्चित है अब ठेकेदार ने उन्हें किन संसाधनों से प्रभावित किया हुआ है यह बाद का विषय है परन्तु ठेकेदार महेंद्र भारती ही एक ऐसा ठेकेदार है जिसके माध्यम से सीमेंट,रेती,ईटा,गिट्टी,सहित जेसीबी,सड़क रोलर मशीन की सप्लाई भी स्वयं करता है यही नही बिल बाउचर भी अपने मन मुताबिक अधिकारियों के इशारों पर बनाकर प्रदान करता है जिसमे बड़ी राशि घोटाले की भेंट चढ़ जाती है वर्तमान ज़ू प्रभारी डिप्टी सुनील कुमार खोपरागड़े एवं महेंद्र भारती की जुगलबंदी से जंगल सफारी में अनेक गड़बड़ी,फर्जीवाड़ा एवं घोटाले के माध्यम से भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा है यहां तक ज्ञात यह भी हुआ है कि श्रमिक भी उसके द्वारा ही लाया जा रहा है जिन्हें  कलेक्टर दर से आधी रोजी में लगाया जा रहा अर्थात तीन सौ रुपये पारिश्रमिक तय है तो उसके द्वारा डेढ़ सौ रुपये दिया जाता है  है तथा उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है
*पारिश्रमिक के नाम बड़ा खेल*

 

          लाखो की राशि से शौचालय निर्माण 

पूर्व में  जंगल सफारी निर्माण अथवा अन्य कार्यों में श्रमिकों को रखने की जिम्मेदारी रेंजर बरिहा एवं डिप्टी रेंजर सुनील कुमार खोपरागड़े की मिलीभगत के चलते डिप्टी के द्वारा हाजिरी से लेकर राशि वितरण की जिम्मेदारी थी परंतु जब से ऑन लाइन पेमेंट डालने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तब से ही कुछ अपने चहेते रिश्तेदार एव मित्रों के खाता  संख्या दर्ज कर राशि फर्जी तरीके से आहरित की जाने लगी जिससे बड़ी राशि की अफरा तफरी की गई ज्ञात हुआ है कि  एक वर्ष पूर्व श्रमिकों के ही खाते से लगभग 21 लाख रुपये पूर्व अधिकारी को जब उनका जंगल सफारी से  ट्रांसफर हुआ था  बैंक से निकाल कर उन्हें दिया गया था  एक वर्ष पश्चात इसी लाखों की लालच में उन्होंने अपनी नियुक्ति पुनः जंगल सफारी में करवा ली है इस प्रकार लाखों का खेल यहां हो जाता था ज्ञात तो यह भी हुआ है कि एक पढ़े लिखे श्रमिक के खाते में दो लाख ट्रांसफर हुआ तब उसे डाली गई राशि के काला एवं फर्जी धन होने की जानकारी थी तब उक्त लाखों की राशि  उसके द्वारा डकार ली गई तब से ही ठोकर खाने के पश्चात डिप्टी रेंजर सुनील खोपरागड़े द्वारा ऐसे श्रमिकों के  खाते में बहुत कम राशि डाला जाने लगा जो सुशिक्षित एवं जानकर थे  अब नए एवं विश्वसनीय श्रमिकों के खातों के संख्या के द्वारा ही ऐसे गड़बड़ घोटाले की राशि आहरित की जा रही है वह भी ठेकेदार महेंद्र भारती के माध्यम से जो आधे पारिश्रमिक दर पर  आसपास के स्थानीय ग्रामीण श्रमिकों  को लाता है तथा उन्हें आधी राशि देकर आधी राशि रेंजर बरिहा, डिप्टी रेंजर सुनील कुमार खोपरागड़े, सहित अन्य कर्मचारियों के अतिरिक्त आय का मुख्य साधन बन चुका है  एक प्रकार से दिए जाने वाले पारिश्रमिक से दोहरा लाभ रेंजर एवं डिप्टी रेंजर द्वारा उठाया जा रहा है यही नही ठेकेदारी प्रथा के चलते हाजिरी एवं श्रमिकों की संख्या के साथ  इन्ही श्रमिकों के नामों में अपने मित्रों,रिश्तेदारों,एवं अन्य सहयोगीयों के खाता नाम संख्या दर्ज कर डिप्टी रेंजर सुनील खोपरागड़े द्वारा करवा दिया जाता है जिसका डिप्टी द्वारा अतिरिक्त लाभ प्राप्त किया जा रहा है जबकि कई श्रमिक ऐसे है जिन्हें छ माह से पारिश्रमिक प्राप्त ही नही हुआ है पारिश्रमिक मांगे जाने पर डिप्टी  द्वारा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया  वही फर्जीवाड़ा में सहयोग करने वाले कई श्रमिक आज भी डिप्टी सुनील खोपरागड़े की आंख का तारा बने हुए है इस संदर्भ में अनेक श्रमिकों द्वारा उच्च अधिकारियों के समक्ष पारिश्रमिक दिए जाने की गुहार लगाई गई थी परन्तु आज तक उसका निराकारण नही किया गया यहां तक यह भी बताया जा रहा है कि कई श्रमिकों एवं कर्मचारियों के बाउचर ही गायब कर दिए गए है जबकि बताया  जा रहा है कि इस संदर्भ में जब श्रमिकों द्वारा जंगल सफारी  डीएफओ से  चर्चा की तो उन्होंने  बताया कि किसी श्रमिक का कोई पारिश्रमिक नही रुका है वही आशंका व्यक्त की जा रही है कि पारिश्रमिक के रूप में दिए जाने वाली भारी भरकम राशि जो डीएफओ के खाते में पूर्व  में ही आ चुकी होती है उक्त राशि को स्वयं के निज खाते में सावधि छ माह अथवा वार्षिक अवधि के लिए जमा करा दिया गया है जिसका ब्याज ही लाखों में प्राप्त होगा संभवतः उक्त प्रक्रिया भी उच्च अधिकारियों द्वारा अपनाई जा रही है स्पष्ट करते चले  कि यदि श्रमिक अपने पारिश्रमिक को लेकर तनिक भी ढिलाई बरतता है तो संपूर्ण राशि का अधिकारिक लाभ संबंधित निज खाते में सअवधि जमाकर्ता खाताधारक अधिकारी को प्राप्त होगा तब तक ऐसा अधिकारी का प्रमोशन अथवा ट्रांसफर भी संभावित है जिसकी वजह से श्रमिकों की पारिश्रमिक अब भी खतरे में अधर पड़ा हुआ है एक आई टी कार्यकर्ता द्वारा बारह सवालों को लेकर जंगल सफारी डीएफओ से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो डीएफओ मैडम मर्सिबेला ने कार्यालय आना ही छोड़ दिया है ऐसी चर्चा विभाग में जोरो से चल रही है
*वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर सवाल*


हाल ही जंगल सफारी ज़ू से दो वन्य प्राणी लोमड़ी फरार हो गई थी जिसे 36 घण्टे की मशक्कत के बाद बरामद किया गया था जिनकी सुरक्षा को लेकर भी बहुत से सवाल खड़े हुए थे क्योंकि डीएफओ द्वारा अपने विकास से जुड़े समाचार तो बताती है परन्तु जंगल सफारी के अंदर होने वाली घटना कभी बाहर नही आती जैसा कि मालूम हुआ है कि जंगल सफारी ज़ू में लगभग डेढ़ सौ से ऊपर हिरन थे जिनमें मात्र पन्द्रह से बीस हिरन ही ज़ू में मौजूद है खबर है कि मौसमी बीमारी से बड़ी संख्या में हिरण काल कल्वित हो गए राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या 15 थी अब दो ही मोर बचे है बत्तख 50 से 60 की संख्या में थी बचे बीस इस प्रकार बहुत से वन्य प्राणी काल कल्वित हुए मगर उनकी संख्या को लेकर कोई खबर बाहर नही दी गई आखिर  वन्य प्राणियों की हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है? वही कहने को तो जंगल सफारी  ज़ू में तीन डॉ मौजूद है वह भी इनकी नियमित जांच करते भी है अथवा नही यह भी सवाल खड़ा होता है यदि इनकी नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता तो वन्य प्राणियों की अकाल मृत्यु नही होती   वही शाकाहारी,मांसाहारी वन्य प्राणियों के भोजन भी समय पर प्रदान किया जाता है इस पर अलग अलग बात सामने आ रही है क्योंकि बताया गया है कि आठ किलो मांस शेर एवं अन्य मांसाहार प्राणियों के लिए पृथक से मंगाया जाता है परन्तु शेर को ही सुबह दूध और अंडे  दिए जाते है एवं एक टाइम ही आठ किलो मांस वह भी पूरा दिया जाता है या नही ? जो उसके लिए अपर्याप्त है यही वजह है कि शेर के पेट चिपके हुए है घड़ियाल मगरमच्छ के लिए चार से पांच किलो मछली दिया जाता है शाकाहारी प्राणियों को कितना घास दिया जाता है वह भी निश्चित नही है क्योंकि देसी प्रजाति के भैंस को लाकर उसके लिए अतिरिक्त राशि व्यय की जा रही है  केवल एक प्रकार से वन्य प्राणीयों की खुराक में भी बड़ा खेला हो रहा है जो इनकी खुराक से मारकर अपना पेट भरा जा रहा है


 

सोमवार, 13 सितंबर 2021

धारदार हथियार के साथ 04 आरोपी गिरफ्तार

 धारदार हथियार के साथ 04 आरोपी गिरफ्तार

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)राजधानी पुलिस इन दिनों अवैध रूप से धारदार चकुबाजों को लेकर सख्त हो गई है इस तारतम्य में उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देश का पालन करते हुए विभिन्न थाना अंतर्गत चार गुंडे बदमाश के विरुद्ध आर्न्स एक्ट के तहत कार्यवाही की गई 



 इस सिलसिले में मिली जानकारी के अनुसार   थाना पंडरी क्षेत्र के दलदल सिवनी के पास आरोपी कोमल साहू, थाना आजाद चैक क्षेत्र के अग्रसेन चौक के पास आरोपी भारत कुमार धीवर, थाना कोतवाली क्षेत्र के इंडोर स्टेड़ियम के सामने आरोपी अजय पियुड़े एवं थाना गोलबाजार क्षेत्र के शास्त्री बाजार के  पास आरोपी सईद एजाज को गिरफ्तार कर उक्त चारों आरोपियों के कब्जे से कुल 04 नग धारदार व घातक हथियार जप्त कर आरोपियों के विरूद्ध संबंधित थानों में धारा 25, 27 आर्म्स एक्ट  पंजीबद्ध कर अग्रिम कार्यवाही किया गया।गुंडे बदमाशों एवं चाकूबाजों के विरुद्ध  कानूनी कार्यवाही आगे भी जारी रहने की संभावना है


बुधवार, 8 सितंबर 2021

वविनि वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन का खुला काला चिट्ठा

 वविनि वित्त प्रबन्धक  भोजराज जैन का खुला काला चिट्ठा 

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग वन विकास निगम में भ्रष्ट वित्त प्रबंधक अधिकारी  भोजराज जैन की संविदा नियुक्ति को लेकर जिस शिद्दत से समाचार सोशल और प्रिंट मीडिया में वायरल हुआ उससे वविनि की भ्रष्ट नीति और वित्त प्रबंधक भोजराज जैन जैसे भ्रष्टासुरों की रात की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया  क्योंकि जिस तरह से उन्होंने वन विकास निगम में सेवाकाल में रहते जितने भी भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाला और दस्तावेजों में कूट रचना करते हुए फर्जीवाड़ा कर धन अर्जित किया था वह अब शनैः शनैः उसकी परत दर परत  पोल खुलती जा रही है क्योंकि  ऐसे बहुत से फर्जीवाड़ा कर भ्रष्टाचार से धन अर्जित किया हुआ है कि इसका भान ऊपर बैठे डी.एम. अर्थात प्रबन्ध संचालक महोदय  वन विकास निगम को भी नही लग पाई जिसकी वजह से संपूर्ण  लेनदेन और भ्रष्टाचार को अंजाम वे अकेले देते रहे तथा बिल्ली के भाग्य में छींका फूटा वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए मलाई मारते रहे  क्योंकि जिस प्रकार के समाचार अब छन कर सामने आ रहे है वह बड़े चौकाने वाले और झकझोरने वाले  है अब इसमें पूर्व प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन साहब को वन विकास निगम अधिकारियों और कर्मचारियों से वित्त प्रबंधक भोजराज जैन द्वारा लेनदेन कर फर्जी तरीके से नियुक्ति के नाम पर बड़ी राशि लेने के मामले जो वर्तमान में  चर्चा में रहे है   इसका भान श्री गोवर्धन साहब को था या नही यह तो पता नही परन्तु वर्तमान डी एम पी.सी.पांडे साहब उनके उक्त कृत्य से बिल्कुल अनभिज्ञ है या जानबूझकर उन्हें मूक सहमति दे रहे है  ऐसा ज्ञात होता है यही वजह है कि बारबार वित्त प्रबंधक श्री जैन के संदर्भ में समाचार प्रकाशन में आने के बावजूद उन्होंने इस बेहद चर्चित संविदा नियुक्ति को लेकर अब तक संज्ञान न लेकर उन पर एक तरह से अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखे हुए है इसके पीछे उनका क्या मंतव्य है यह वही जाने फिर भी उनके कृत्यों को उजागर करने के बावजूद......गैरों  पे करम .. अपनो पे सितम...जैसे पंक्तियों को सार्थक करते हुए प्रतीत हो रहे है तथा उन पर  कोई विभागीय कार्यवाही नही कर पाए जो प्रबंध संचालक की मूक सहमति का सूचक भी माना जा रहा है  तथा भोजराज जैन की पदस्थी आज भी यथावत है  बताते चलें कि वित्त प्रबंधक  अधिकारी  भोजराज जैन का सेवाकाल में किए गए  काला चिट्ठा जन मानस के समक्ष आते ही उनके वर्तमान पर भी शनि की कुदृष्टि पड़ना प्रारंभ हो गया है क्योंकि ज्ञात हुआ है कि अपने पूर्व लेनदेन एवं फर्जीवाड़ा के  ढर्रे पर चलते हुए उन्होंने बड़े सुनियोजित तरीके से  अपनी संविदा नियुक्ति करवाकर पूर्व से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए ऑडिट तैयार करने का ठेका किसी अपने परिचित सी.ए. के हाथों में दिलवाया था यह कृत्य उन्होंने पूर्व एम डी. राजेश गोवर्धन साहब के कार्यकाल के समय ही तीन वर्षों के लिए ठेका वह भी  प्रत्येक तीन माह में ऑडिट रिपोर्ट  तैयार करने का दिलवाया था जो अब तक निर्बाध गति से जारी है रायपुर के सी.ए. जो निजी स्तर के ऑडिटर है उनके माध्यम से वन विकास निगम परियोजना मंडल कार्यालयों से शासकीय दस्तावेजों के प्रति रायपुर स्थित सी.ए. कार्यालय में मंगवाकर उसका ऑडिट तैयार करते है इस दौरान स्वयं भोजराज जैन प्रतिदिन सी ए कार्यालय पहुंचकर दस्तावेजो में कमियां और खामियां ढूंढते है तथा संबंधित परियोजना मंडल के रेंजर सहित अन्य कर्मचारियों से बकायदा दो लाख रुपये की वसूली की जाती रही है  इस प्रकार नौ परियोजना मंडल कार्यालयों से ही लगभग अट्ठारह लाख से ऊपर की अवैध राशि उगाही वित्त  प्रबंधक भोजराज जैन के माध्यम से होती रही है यही नही दस्तावेजों एवं बिलों में तनिक कमोबेश होने पर यह राशि कई गुना और बढ़ जाती है बताया जाता है कि बकायदा रेंजरों एवं प्रभारियों से उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से शासकीय दस्तावेजों की फोटो भेज कर उनसे गड़बड़ी घोटाले एवं अनियमितता भ्रष्टाचार होने की बात कह कर संबंधित अधिकारी से एक बड़ी राशि की मांग की जाती है यह अवैध उगाही जैसा कृत्य वर्तमान  में भी वविनि में संविदा नियुक्त वित्त प्रबंधक अधिकारी श्री जैन के माध्यम से अनवरत जारी है बताते चले कि शासकीय दस्तावेजों को किसी भी निजी हाथों में देना अवैधानिक है क्योंकि इससे संबधित विभाग की गोपनीयता तो भंग होती ही है साथ ही निजी हाथों में जाने से  विभागीय दस्तावेजों का दुरुपयोग किए जाने का भय अलग रहता है जो सीधा सीधा लेखाधिकारी भोजराज जैन के द्वारा किया जा रहा है क्योंकि श्री जैन द्वारा शासकीय दस्तावेजों की फोटो संबंधित अधिकारियों को भेजकर  उन्हें एम.डी. तक दस्तावेज  पहुंचाने की बात कहकर पहले उनका  भयादोहन किया जाता  है  पश्चात उनसे बड़ी रकम लेकर मामले को शांत करने की बात कहकर कंपरमाइज किया जाता है ऐसे एक नही बल्कि सैकड़ों  पीड़ित अधिकारी कर्मचारी  है जिनका आर्थिक शारीरिक और मानसिक शोषण वित्त प्रबंधक अधिकारी भोजराज जैन के माध्यम से किया जाना बताया गया है  स्पष्ट करते चले कि किसी भी शासकीय विभाग को जब शासन द्वारा बजट  जारी किया जाता है तब महालेखा विभाग द्वारा  दिए गए राशि का  वित्तीय वर्ष अनुसार ऑडिट प्रस्तुत कर प्रदत्त  शासकीय  राशि का ऑडिट रिपोर्ट लिया जाता है तथा पाई पाई का हिसाब लिया जाता है यदि दस्तावेजों में तनिक भी कमी अथवा अनियमितता पाए जाने पर संबंधित विभाग के अधिकारी,कर्मचारीयों के ऊपर शासकीय राशि से गड़बड़,घोटाला एवं भ्रष्टाचार के आरोप में गबन, का मामला पंजीबद्ध होता है तथा ऐसे शासकीय सेवकों को जेल की हवा भी खानी पड़ती है इसी तारत्म्य में लेखाधिकारी श्री जैन इसका भरपूर लाभ उठाते आए है उनके द्वारा मैदानी अथवा क्रय सामग्री जो कि विभागीय लेखा शाखा में अंकित होता है उसके बिल बाउचर सहित अन्य दस्तावेजों को मंगवाकर उनमें मीन मेख निकलवा कर अवैध रूप से राशि लेते रहे है तथा मैदानी अधिकारियों कर्मचारियों का भयादोहन कर उनसे बड़ी राशि झटकते रहे है  यहां तक ज्ञात तो यह भी हुआ है कि परियोजना मंडल कार्यालयों में पदस्थ सहायक लेखाधिकारियों से भी ऑडिट के नाम पर बड़ी राशि मांगते है जिसकी वजह से ये भी काफी हलकान है इस संदर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि अधिकारी कर्मचारी अब लामबद्ध हो कर इसका विरोध करेंगे यदि भोजराज जैन व्यक्तिगत मोबाइल के माध्यम से दस्तावेजो की फोटो या उनके द्वारा ऐसे अवैध उगाही कृत्यों की पुनरावृत्ति की जाती है तो समस्त परियोजना मंडल कार्यालयों के कर्मचारी एकजुट होकर उसे समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक करेंगे तथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंजाम देने बाध्य होंगे क्योंकि किसी भी व्यक्ति के पाप का घड़ा जब भर जाता है तो ऐसे  स्थिति में विरोधाभास के स्वर स्वतः मुखर होने लगते है  जिसका साक्षात उदाहरण वर्तमान संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन है यही नही उनके सन्दर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि नर्सरी एवं मैदानी परियोजना मंडल में नियुक्ति दिलवाने के नाम पर श्री जैन ने वर्ष 2021 जनवरी फरवरी में दो कर्मचारियों से राशि ली थी तथा उनके नाम से नियुक्ति पत्र भी रिलीज करवा दिया था परन्तु पूर्व पदस्थ कर्मचारियीं द्वारा अधिक राशि लेकर उक्त नियुक्ति को स्वयं दबाकर  रुकवा दिया जिसका परिणाम यह रहा कि राशि देने वाले दोनों कर्मचारी की नियुक्ति पत्र दबा कर पूर्ववत संलिप्त अधिकारी ही उक्त क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे है तथा ये दोनो कर्मचारी आज भी अपनी नियुक्ति की पारी का इंतज़ार कर रहे है उक्त प्रकरण से दोनों कर्मचारी इतने अधिक व्यथित है कि रात दिन वित्त प्रबन्धक श्री जैन को कोसते रहते है 

ऐसे बहुत से प्रकरण है जिसमे वित्त प्रबन्धक श्री जैन द्वारा बड़ी राशि को लेकर दबा दिया गया और इसकी भनक ऊपर बैठे अधिकारीयो तक नही मिल सका जिसमे  पैसे लेनदेन को लेकर हालिया सेक्स रॉकेट में पकड़ाए तथा महीनों सजा काट कर आए  जागृत देवांगन के संदर्भ में भी कहा जा रहा है कि उनसे भी श्री जैन ने राशि लेकर उनके ऊपर होने वाली विभागीय कार्यवाही को रुकवाया है सेक्स रैकेट में संलिप्त  जगृत देवांगन  हालिया रिहा हुए  क्षेत्र रक्षक पर किसी प्रकार की कोई  विभागीय कार्यवाही न करते हुए बार परियोजना मंडल के डी. एम. की योग्यता पर सवाल उठना प्रारंभ हो गया है यही नही उनके  द्वारा सेक्स रैकेट में संलिप्त कर्मचारी पर निलंबन जैसी कार्यवाही भी नही की तथा उसे पुनः नौकरी में रख लिया गया इस संदर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि आचरण भ्रष्ट जागृत देवांगन की  असमजिक कृत्य में  संलिप्तता के बावजूद उसके नियुक्ति के पीछे  भोजराज जैन का हाथ होना  बताया जा रहा है वविनि कर्मचारियों के मध्य चर्चा आम हो रहा है कि जागृत देवांगन से भोजराज जैन द्वारा एक बड़ी राशि लेकर उस पर कोई  विभागीय  नियमानुसार  कार्यवाही नही कर ऐसे आचरण भ्रष्ट कर्मचारी को और अधिक प्रोत्साहित किया गया है  जबकि वन अधिनियम के नियमानुसार जैसे ही असामाजिक कृत्य अथवा सेक्स रैकेट में किसी भी कर्मचारी के संलिप्त  होने की दशा में ऐसे कर्मचारी  जे विरुद्ध तत्काल विभागीय कार्यवाही करते हुए निलंबित किया जाता है तथा आरोप सिद्ध होने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है परन्तु ऐसे कृत्यों में सम्मिलित जागृत देवागन पर न ही   निलंबन की कार्यवाही हुई और न ही उस पर किसी प्रकार से विभागीय दंड दिया गया बल्कि तीन चार माह तक उक्त प्रकरण को दबाए अधिकारी मौन बैठे रहे  परन्तु  नव पदस्थ वर्तमान आई.एफ.एस. अधिकारी ने भी इस तारतम्य में कोई नियमानुसार कार्यवाही नही की जो उनके योग्यता पर सवाल खड़े करता है  इससे ज्ञात होता है कि नव पदस्थ डी. एम.बारनवापारा  भी अपने ऊपर बैठे अधिकारियों के हाथ की कठपुतली बन गए है जबकि वविनि के कर्मचारियों के मध्य सेक्स रैकेट के चर्चित उक्त प्रकरण के संदर्भ में परस्पर चर्चा एवं खबरों से यह बात भी छनकर सामने आई है  कि जब सेक्स रैकेट छापामार कार्यवाही हो रही थी उस समय एक महिला होटल की छत से कूदकर भागने का प्रयास करते हुए अपना पैर तुड़वा चुकी  थी उक्त कार्यवाही के समय स्वयं डी एम साहब भी मौके स्थल पर उपस्थित थे फिर क्या वजह है कि तत्काल जागृत देवांगन जैसे आचरण भ्रष्ट कर्मचारी के निलंबन में इतनी देरी हुई इस संदर्भ में बताते चले कि इसके पूर्व भी बार नवापारा कार्यालय में एक महिला कर्मचारी के सहयोगी कर्मचारी के साथ  केवल बातचीत संबंधों को लेकर अफवाह उड़ाया गया था जिसे फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र में न्यूज़ फ्लैश होने मात्र से ही उसकी नियुक्ति अन्यंत्र कर दी गई थी जिसका प्रभाव यह हुआ कि तात्कालिक डी. एम.ने तुरंत एक्शन लेते हुए उक्त महिला कर्मचारी को अन्यंत्र शिफ्ट कर दिया जबकि  बाद में यह भी ज्ञात हुआ कि पीड़ित महिला जो अनुकंपा नियुक्ति में बारनवापारा परियोजना मंडल में पदस्थ थी  केवल पुरुष सहकर्मियों से हंस बोल लेती थी जिसका पुरुष प्रधान समाज ने गलत अर्थ निकाल कर उसके विरुद्ध साजिश करते हुए उसे बार नवापारा मंडल कार्यालय से हटवाया गया था जबकि यहां तो ऑन द स्पॉट जागृत देवांगन को पकड़ा गया आरोप भी  सिद्ध है कि वह उक्त दुष्कृत्य में संलिप्त था फिर भी उसके विरुद्ध कोई विभागीय कार्यवाही  न होना बड़े  अचरज का विषय है जबकि जागृत देवांगन के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि वह  बार नवापारा परियोजना मंडल कार्यालय में पदस्थ रहते हुए प्रतिदिन संध्या पश्चात शराबखोरी,जुआ इत्यादि की चौकड़ी बैठाता था 
तथा इसके कृत्य को देखते हुए ही  उसे कोडार डिपो भेजा गया परन्तु उसकी अय्याशी प्रवृत्ति वहां भी नही सुधरी तथा ऐसी बड़ी घटना सामने आई अब जब ऐसे आचरण भ्रष्ट कर्मचारी के सेक्स रैकेट में संलिप्तता के बावजूद डी. एम.बार नवापारा परियोजना मंडल अधिकारी द्वारा कोई विभागीय कार्यवाही न करना अनेक सवालों को जन्म देता है तथा ऊपर बैठे भोजराज जैन  जैसे संविदा नियुक्त अधिकारी के कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाता है जिसके संरक्षण में वन विकास निगम कहां और किस दिशा में जा रहा है जहां समस्त अवैध,असामाजिक, कृत्य में संलिप्त कर्मचारियों का शरण स्थल बनता जा रहा है अर्थात पैसे के बलबूते यहां कोई भी अपराध में संलिप्त कर्मचारी शरण लेकर अपनी शेष सेवाकाल आराम से व्यतीत कर सकता है उपरोक्त घटना क्रम के चलते  कथन आशय यह है कि जब एक महिला कर्मचारी के केवल हँस बोल कर बात करने मात्र  पर ही उसके आचरण को लेकर विभागीय कार्यवाही का डंडा चल सकता है तो फिर जागृत देवांगन जो पूर्णतः सेक्स रैकेट संचालन में वह संलिप्त था तो उस पर विभागीय कार्यवाही क्यो नही की जा रही है ? क्या वह पुरुष है इसलिए उसे अभय दान दिया जा रहा है या फिर कर्मचारियों के अय्याशी  संसाधन के जुगाड़ हेतु उस पर अपनी कृपा दृष्टि बनाई गई है यह बात कुछ समझ से परे है ? हालांकि वर्तमान में भी बार नवापारा परियोजना मंडल कार्यालय में नैन लड़ जाई हे,,, तो मन म कसक होबय करी...जैसे संगीतमय सुगबुगाहट और चर्चा जोरों पर है ,,,जिस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि कार्यालय में  ऐसे धुरंदर शिकारी मौजूद है जो कभी भी कोई  बड़ा शिकार करने से नही चूकेंगे  इसलिए सैय्याद पर  चौकन्ना रहने की आवश्यकता है  बहरहाल, रिश्वत खोरी और असमाजिक तत्वों का अड्डा बनाने के बजाए वविनि कार्यालयों  को कर्म स्थल रूपी मंदिर को पवित्र रखने की आवश्यकता है इसके लिए भोजराज जैन और जागृत  देवांगन जैसे  भ्रष्टासुरों,और असामाजिक तत्वों की चौकड़ियों से बचाने सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है   जैसा कि पूर्व अंक में यह स्पष्ट किया गया था कि भ्रष्टाचार के मामले में अग्रणी भोजराज जैन द्वारा वित्त प्रबंधक पद में संविदा नियुक्ति कराने में साजिश के तहत अपनी नियुक्ति करवा लिया गया तथा अब वह उन्ही भ्रष्ट कृत्यों को अंजाम दे रहे है जिसे सेवानिवृत्त होने के पूर्व देते थे जबकि उक्त पद के लिए सुभाष सिंह जैसे प्रतिभाशाली योग्य अधिकारी भी वविनि में मौजूद है फिर भी उन्हें अनदेखा कर श्री जैन क़ी संविदा नियुक्ति देना अनेक सवालों को जन्म देता है श्री सुभाष सिंह के संदर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि उनकी नियुक्ति ही मुख्यालय में किया गया था फिर उन्हें मंडल कार्यालय में सेवा देने के पीछे क्या औचित्य है यह तो वविनि में ऊपर बैठे अधिकारी ही बता सकते है परन्तु यह भी उतना ही शाश्वत सत्य है कि किसी भी प्रायवेट लिमिटेड संस्था में एक कंपनी सिकरेट्री होता है जिसे संपूर्ण वित्तीय पॉवर होता है परन्तु विगत कई वर्षों से कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति की आवाज़ फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र के माध्यम से बुलंद किया जाता रहा है परन्तु औपचारिक निविदा निकालकर वन विकास निगम अपने कर्तव्यों से इतिश्री मान लेती है जिसका ही परिणाम है कि वित्तीय प्रबंधन की बागडोर श्री  भोजराज जैन जैसे  ऐसे दीमक के हाथों में होती है जो वन विकास निगम को भीतर ही भीतर उसके आर्थिक ढांचे को धीरे धीरे  खोखला करने में रात दिन लगे रहते है और उसे पूरी तरह खोखला कर देते है समाचार पत्र में यह भी लिखा जा चुका है क्या कारण है कि वर्षों से  कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति वन विकास निगम में नही की जा रही है स्पष्ट है कि यदि कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति यहां हो गई तो अधिकारियों और कर्मचारियों को आर्थिक विदोहन के समस्त रास्ते स्वयं बंद हो जाएंगे इसके पीछे भी भोजराज जैन की बहुत बड़ी भूमिका बताई जा रही है कि कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति होने से सारे आर्थिक आय के संसाधन तो स्वतः  बंद होंगे ही साथ ही  वर्षों से किए जा रहे गड़बड़,घोटाला,भ्रष्टाचार के इतिहासिक पन्ने भी उलट सकते है तथा इनके साथ साथ पूर्व अधिकारियों का काला चिट्ठा  भी सार्वजनिक हो सकता है इसलिए भी वन विकास निगम में कंपनी सिकरेट्री की नियुक्ति नही की जा रही है ताकि अपनी सेवाकाल में जितना बटोर सकों उतना समेट कर अपना बोरिया बिस्तर बांध कर वविनि को अलविदा कह  दिया जाए तब तक के लिए  चोर चोर मसौरे भाई की तर्ज पर ही कार्य चलता रहेगा . 


मंगलवार, 7 सितंबर 2021

नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल एक्शन मोड़ पर बिना हेलमेट और स्पीड चालकों पर होगी सख्त कार्यवाही

 

नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक  प्रशांत अग्रवाल एक्शन मोड़ पर बिना हेलमेट और स्पीड चालकों पर होगी सख्त कार्यवाही

*रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल   द्वारा पदभार ग्रहण करते ही शहर की यातायात व्यवस्था के संबंध में यातायात में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों की  बैठक लो* तथा यातायात संबंधि आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए वे एक्शन मोड़ पर आ गए है


राजधानी रायपुर में नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक श्री प्रशांत अग्रवाल पदभार ग्रहण करते ही शहर की यातायात व्यवस्था के संबंध में बैठक बुलाया 

इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक यातायात श्री सतीश कुमार ठाकुर द्वारा राजधानी रायपुर में सुगम यातायात व्यवस्था बनाएं रखने हेतु स्थापित 8 यातायात थाना की जानकारी देते हुए अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाली समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया साथ ही यातायात व्यवस्था में उपयोग में लाए जाने हेतु यातायात उपकरणों एवं संसाधनों की जानकारी भी ली

बैठक के दौरान *पुलिस अधीक्षक श्री प्रशांत अग्रवाल* ने निर्देश दिया कि शहर की यातायात व्यवस्था सुगम सुरक्षित बनाए जाने हेतु सभी यातायात थाना आपस में समन्वय स्थापित कर टीम वर्क की भावना से काम करे एवं सुगम व्यवस्था बनाए उन्होंने कहा  कि सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण एवं कमी लाई जाने जमीनी स्तर पर इमानदारी से वर्क करना होगा। अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समय पर मदद नहीं मिल पाने के कारण मृत्यु के प्रकरणों में वृद्धि हो रही है जो कि आम नागरिकों में जन जागरूकता की कमी होने से है। आम नागरिकों में यातायात नियमों के संबंध में जानकारी एवं पालन करने हेतु अधिक से अधिक जन जागरूकता कार्यक्रम चलाएं साथ ही *यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध अधिक से अधिक कार्यवाही करें, ओवरस्पीड एवं स्टंट करने वालों पर विशेस रूप से कार्रवाई करें साथ ही नाबालिक वाहन चालक बिना हेलमेट तीन सवारी, रॉन्ग साइड, नशे की हालत में वाहन चलाने वाले चालकों पर प्रभावी कार्यवाही* *करने के संबंध में सख्त निर्देश दिया*

उक्त बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात श्री एमआर मंडावी, उप पुलिस अधीक्षक यातायात रायपुर श्री सतानंद सिंह विंध्याराज, श्री सतीश कुमार ठाकुर* एवं यातायात में पदस्थ निरीक्षक निरीक्षक एवं सहायक उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी उपस्थित थे

रविवार, 5 सितंबर 2021

वन विकास निगम के दै.वे.भो. क. संगठन नियमितीकरण को लेकर लामबंद-अब बड़े आंदोलन के मूड में

 वन विकास निगम के दै.वे.भो. क. संगठन नियमितीकरण को लेकर लामबंद-अब बड़े आंदोलन के मूड में 


रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) वन विकास निगम के समस्त दै. वे. भोगी कर्मचारीयों के द्वारा रायपुर स्थित  रेंजर हॉल में बैठक आहुत की गई  जिसमें दैनिक वेतन भोगी कर्मचारोयों से जुड़ी प्रमुख मांगों और नियमितीकरण को लेकर चर्चा किया गया  जिनमे प्रमुख रूप से वर्ष 1997 के बाद वालों को वन विकास निगम के द्वारा जो सीधी भर्ती है उन्हें निकाला गया है उसमें रोक लगाने एवं जो पोस्ट है उसमें दैनिक वेतन भोगी  कर्मचारीयों को योग्यता के अधार पर नियमितीकरण एवं समाहितीकरण करने हेतु चर्चा किया गया जिसमें सभी परियोजना मंडल के सैकड़ों दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों  ने पूरी ऊर्जा  के बीच  बैठक में शामिल हुए  तथा  सरकार एवं शासन के दोहरी नीति के प्रति अपना रोष व्यक्त किया दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव रामकुमार सिन्हा ने कहा कि  शासन में बैठे  मिठ लबरा नेता मंत्री सिर्फ आश्वासन एवं  अपनी जेब भरने के लिए कई झूठ बोल सकते हैं जो पूर्व में 15 साल तात्कालिक  सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी ने भी किया था 

और अब कांग्रेस  सरकार भी वही दोहरी नीति का सुर अलाप रही है तथा मिले सुर मेरा तुम्हारा की तर्ज पर ... जुमला बाजी कर रही हैं यदि कांग्रेस पार्टी में तनिक भी नैतिकता होती तो अपने घोषणा अनुरूप अब तक सैकड़ो अनियमित कर्मचारी नियमित हो जाते परन्तु  लंबा समय व्यतीत होने के बाद भी अब तक शासन ने लंबे समय से मांगों को पूर्ण नही किया  उन्होंने आगे कहा कि  कांग्रेस पार्टी द्वारा दो वर्ष पूर्व अपने घोषणा पत्र में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सत्ता में आते ही नियमितीकरण किया जाएगा कहा गया था परन्तु एक लंबा समय व्यतीत होने के पश्चात भी  नियमितीकरण नही किया है इस पर उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि शासन कुंभकर्णी नींद में सोई है उसे जगाने एक होकर नियमितीकरण की आर पार की लड़ाई लड़ने का आह्वान भी किया है

इस महत्वपूर्ण बैठक में सर्व श्री प्रदेश महा मंत्री रामकुमार सिन्हा  अध्यक्ष जनक राम साहु , कुन्दन साहू , राजकुमार शर्मा , डी. पी. सिन्हा, पूनम साहू, सहित  समस्त परियोजना मंडल से आये हुए कर्मचारीयों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए  तथा अपनी व्यथाओं एवं समस्याओं  से संघ के महामंत्री  को अवगत भी कराया  गया  उक्त तारतम्य में प्रदेश  महामंत्री रामकुमार सिन्हा ने समस्याओं से जूझ रहे कर्मचारियों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यदि वन विकास  निगम इस संदर्भ मे कोई सारगर्भित कदम नही उठाती है तो भविष्य  में   निगम मुख्यालय वविनि अटल नगर का घेराव किया जाएगा साथ ही  उन्होंने बड़े आंदोलन किए जाने के संकेत भी दिए है  वीडियो देखें 👍👍



शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

ग्राम आकोली कला में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण योजना पर वविनि अधिकारी लगा रहे पलीता - और दोषारोपण कर रहे सुरक्षा श्रमिकों पर

 ग्राम आकोली कला में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण योजना पर  वविनि अधिकारी लगा रहे पलीता - और दोषारोपण कर रहे सुरक्षा श्रमिकों पर 


अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग प्रदेश में हरियाली प्रसार हेतु मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत समस्त ग्राम प्रंचायतों में बड़े भूभाग पर वृक्षारोपण कार्य किए जा रहे है जिसके तहत प्रति वर्ष प्रति एकड़ भूभाग में प्रोत्साहन राशि भी राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा परन्तु उक्त योजना पर भी विभागीय कर्मचारी  भ्रष्टाचार का पलीता लगाने से नही चूक रहे है ऐसा ही एक मामला ग्राम आकोली कला लिंगाडीह जनपद पंचायत आरंग में भी देखने आया है जहां पर वृक्षारोपण कार्य तो विगत माह कर दिया गया है परन्तु वहां भी कार्यों में केवल खानापूर्ति की गई थी जब इसे लेकर अधिकारी से संपर्क कर शिकायत की गई तब सारा ठीकरा उपस्थित  सुरक्षा श्रमिक चौकीदारों  के सिर फोड़ दिया गया जिन्हें हटाने विभागीय अधिकारी द्वारा नोटिस भी जारी कर दिया गया जबकि रोपण क्षेत्र में पौधा रोपण को लेकर काफी खामियां सामने आ चुकी थी तथा पौधा रोपण भी ऐसा किया गया था कि केवल पॉलीथिन में लगे पौधों को डेढ़ बाई डेढ़ के गड्ढे भी नही किए गए  तथा पॉलीथिन सहित पौधे बगैर गड्ढे किए मिट्टी का माउंट बनाकर रोपण कर दिया गया ऐसे लीपापोती कार्यों को जब रोपण स्थल में जाकर मुआयना किया गया तब मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना की ग्राम पंचायत आकोली कला में धज्जियां उड़ती नज़र आई क्योंकि बताया जा रहा है कि ग्राम आकोली कला मे वृक्षारोपण  कार्य चयनित खुले बड़े भूभाग में किया जाना तय था तथा इसके लिए ग्राम आकोली कला के सरपंच ललित ढ़ीढ़ी  तथा उपसरपंच रिकेश्वर कोसले द्वारा गौठान क्षेत्र के आसपास लगभग बारह हजार तीन सौ पौधा रोपण कार्य खुले विस्तृत भूभाग में कराए जाने का आवेदन संबंधित वन विकास निगम को दिया था जिसे लेकर स्थानीय श्रमिकों की सेवाएं ली गई तथा निर्धारित पौधे रोपण करने का लक्ष्य गत माह पूर्ण किया गया परन्तु स्थानीय श्रमिक केवल काम चलाऊ रोपण कार्य संपादित कर चले गए जिसमे बगैर गड्ढे किए ही पौधों को पॉलीथिन सहित ज़मीन की बाहरी सतह पर रख मिट्टी के माउंट बना कर ढंक दिया गया जब इसका निरीक्षण किया गया तब ऐसी स्तरहीन कार्य सामने आए इसकी शिकायत जब वन विकास निगम के रेंजर ऋषि शर्मा से की गई तब इसे संज्ञान में लेकर उसी रोपित पौधों का पुनः रोपण कार्य करवाया जा रहा है यानी एक कार्य मे दोगुना व्यय हो रहा है जबकि  इसकी संपूर्ण जवाबदेही डिप्टी रेंजर रूपेश टण्डन की बनती थी  परन्तु अपनी जवाबदेही से बे खौफ होकर इसकी समस्त जिम्मेदार तुलसी महिलांग नामक सुरक्षा श्रमिक को सौंप दी गई जो न कोई पद में है और न ही कोई पोस्ट में है फिर भी वह डिप्टी रेंजर की भूमिका निभा रहा है क्योंकि सुरक्षा श्रमिक तुलसी की देखरेख में ही समस्त क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य संपादित कराया गया था जबकि डिप्टी रेंजर रोपण स्थल में बहुत ही कम उपस्थित रहते थे जिसके चलते ग्राम पंचायत के उपसरपंच रिकेश्वर कोसले द्वारा खुले  स्थल में रोपण कार्य करवा दिया गया यहां तक काश्त  भूमि  एवं आवासीय परिसर के आंगन,उसके आसपास क्षेत्र में भी पौधा रोपण करवा दिया जिसकी वजह से ग्रामीणों को आवागमन सहित निस्तारी में परेशानी होने लगी जबकि यह भी ज्ञात हुआ है कि बहुत से स्थल अतिक्रमण कर लिया गया था जिसे ध्यान में रखते हुए वृक्षारोपण कराया गया इस संबन्ध में तहसीलदार को भी शिकायत मिली थी जिस पर कार्यवाही होना बताया गया  जबकि अनेक ग्रामीणों द्वारा अपने  आवासीय अधिकार क्षेत्र एवं परिसर से पौधे निकालकर उसे वन विकास निगम द्वारा  एक स्थल पर रखे गए पौधों  के समूह में रख दिया जिसे लेकर कुछ ग्रामीण युवक लामबंद होकर चौकीदारों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया तथा बार नवापारा परियोजना मंडल कार्यालय में लिखित शिकायत पत्र लिखा कि चौकीदार निष्ठा पूर्वक कार्य नही कर रहे है तथा इसकी समुचित देखरेख, रखरखाव के आभव में रोपित पौधे क्षतिग्रस्त हो रहे है अतएव ग्राम के युवको द्वारा ही सुरक्षा एवं रोपण स्थल की देखरेख  किया जाएगा शिजयत पर जब जांच हेतु निगम के रेंजर मौका स्थल पहुंचे मगर सैकड़ों ग्रामीणों के कथन के बावजूद कि रोपण क्षेत्र के किसी भी पौधों को नुकसान नही पहुंचाया गया सुरक्षा श्रमिकों को न हटाया जाए तथा हटाए गए पौधों को सुविधा के साथ निकालकर निगम द्वारा रखे  गए पौधों स्थल  में रख दिया गया इसके बावजूद श्रमिक भुगतान सहित कामचलाऊ रोपण जैसी अपनी गलती छुपाने के उद्देश्य से दोनों चौकीदारों क्रमशः  चन्द्रशेखर ध्रुव,एवं मुरारी साहू को हटाने उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा यहां तक कुछ ग्रामीण युवक प्रातःकाल पहुंच कर भी दोनों सुरक्षा श्रमिक को धमकाने लगे कि यहां तुम लोग चौकीदारी मत करो जब इस बात की पुष्टि की गई तब दोनों सुरक्षा श्रमिक ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा आवागमन एवं निस्तारी सुविधा के लिए  पौधे उखाड़ने से लेकर  ग्रामीणों द्वारा धमकाने जैसी घटना की शिकायत रेंजर ऋषि शर्मा एवं डिप्टी रेंजर से मौखिक कहीं गई थी परन्तु वे उक्त बातों से मुकर गए तथा उन्हें कार्य से पृथक करने की नोटिस थमा दी गई यहां तक दोनों सुरक्षा श्रमिकों ने लिखित में भी ग्रामीणो के हस्ताक्षर युक्त पत्र देने की बात कही परन्तु डिप्टी रेंजर रूपेश टंडन द्वारा भी उक्त पत्र को दबा दिया गया ज्ञात हुआ है कि डिप्टी रेंजर रूपेश टंडन भ्रष्टाचार करने के मामले में उसका पहले भी नाम आ चुका है तथा वह श्रमिकों के नाम पर फर्जी वाउचर भरकर लाखों रुपये की अफरा तफरी कर चुका है तथा आशंका व्यक्त की जा रही है कि मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में भी उसके द्वारा गड़बड़ झाला कर लाखों रुपये दबा लिया गया है क्योंकि ज्ञात हुआ है कि वृक्षारोपण करने के पूर्व डेढ़ बाई डेढ़ के गड्ढे किया जाना अनिवार्य होता है परन्तु उसके द्वारा मौका स्थल पर बगैर गड्ढे किए ही वृक्षारोपण करवा दिया गया तथा लाखों रुपये इसमें ही बचा लिया गया जबकि  ग्रामीणों एवं उप सरपंच रिकेश्वर कोसले के द्वारा बताया गया था कि रोपण कार्य मे लगभग अधिकतम  65 से 75 श्रमिक ही लगाए गए थे परन्तु  डिप्टी रेंजर रूपेश टन्डन द्वारा लगभग डेढ़ सौ श्रमिकों का बिल बाउचर बनाकर राशि आहरित करने की बात सामने आ रही है इसके लिए बाकायदा उसके द्वारा तुलसी राम महिलांग नामक सुरक्षा श्रमिक को नियुक्त किया गया है जो कहां चौकीदारी करता है यह आज तक किसी को ज्ञात नही सुरक्षा श्रमिक तुलसी राम के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि वह अपने ही परिवार रिश्तेदार एवं मित्रों के फर्जी हाजिरी डालकर चेक द्वारा फर्जी राशि आहरित करता है तथा उसका स्वयं का भुगतान भी उसे समय पर जारी कर दिया जाता है जिससे,सुरक्षा श्रमिक तुलसीराम महिलांग, रूपेश टंडन सहित अनेक अधिकारियों को इसका आर्थिक लाभ प्राप्त होता है यह वास्तविकता ग्राम आकोली कला के श्रमिक भुगतान से स्पष्ट हो जाता है जहां पर ही 65 से 75 श्रमिकों द्वारा रोपण कार्य  संपन्न किया गया वही लगभग डेढ़ सौ श्रमिकों का भुगतान चेक द्वारा किया जा रहा है चेक द्वारा भुगतान के पीछे भी बहुत बड़ा खेल खेलने की बात सामने आ रही है क्योंकि भुगतान सीधे श्रमिकों के खाते में डालने की व्यवस्था शासन द्वारा निर्धारित की गई है इससे किसी प्रकार के फर्जीवाड़ा होने की संभावना  क्षीण हो जाती है परन्तु चेक द्वारा भुगतान करने से  किसी भी व्यक्ति के खाता संख्या भरकर उसे श्रमिक घोषित कर राशि निकाली जा सकती है जो डिप्टी रेंजर रूपेश टंडन द्वारा किया जा रहा है यदि इसकी सूक्ष्मता से जांच की जाए तो बहुत बड़े फर्जीवाड़े और घोटाले का पर्दाफ़ाश हो सकता है यही नही खाद की अफरातफरी भी उसके द्वारा किए जाने की बात सामने आई है क्योंकि विभाग लाखों के खाद मंगवाती है परन्तु मंडल कार्यालय अंतर्गत आबंटित किए जाने के पश्चात शेष खाद बेच दिया जाता है जो सीधे इनकी जेब भारी करता है बहरहाल, वृक्षारोपण कार्य मे बरती गई ढिलाई की वजह से अब पुनः उसका रोपण कार्य कर सुधार किया जा रहा है तथा इसके लिए बीच बीच मे  चार से पांच श्रमिकों को लगाया जा रहा है अब देखना होगा कि ऐसे अल्प श्रमिकों का भुगतान और संख्या कितनी भरी और  बनाई जाती है परन्तु ज्ञात तो यह भी हुआ है कि इसे प्रति पौधा पुनः रोपण हेतु दो रुपए ठेके से दिया गया है वही ग्राम  मानिक चौरी में ढाई रुपये की दर से ठेका दिया गया है यदि ऐसी स्थिति है तो प्रति श्रमिक लगभग पचास से अधिकतम  सौ पौधे रोपण कर सकता है इस हिसाब से मजदूरों को  प्रति दिन दो सौ रुपये ही मजदूरी प्राप्त होगी जबकि कलेक्टर दर के हिसाब से यह भुगतान बहुत कम है तथा श्रमिकों का शोषण किया जाना दिखाई पड़ता है यदि मनरेगा के तहत भी श्रमिक भुगतान किया जाता तो लगभग  190 रुपये दिया जाता परन्तु यहां डेढ़ सौ रुपये किस आधार पर दिया जा रहा है यह तो कर्मचारी ही बता सकते है जब इसकी पुष्टि की गई तो उपस्थित श्रमिक ने  कार्य न छूटने के डर से कई  तीन सौ रुपये देने की बात कही जो कुशल श्रमिक का भुगतान माना जाता  है डिप्टी रेंजर रूपेश टण्डन से प्रताड़ित पीड़ित सुरक्षा श्रमिकों जो लगभग बारह से पंद्रह वर्षों तक वन विकास निगम में अपनी सेवाएं देते आ रहे है  चन्द्र शेखर ध्रुव,मुरारी लाल साहू ने बताया कि यदि  उन्हें यहां कार्य नही दिया जाता तो उन्हें स्थानीय किसी अन्य क्षेत्र मानिकचौरी, जौन्दी, ऑक्सिजोन,अथवा अन्य स्थान  पर उन्हें सेवा दिया जाए  उन्होंने यह भी बताया कि पुनः रोपण कार्य जिसमे हजारों पौधे उनके द्वारा गाला बनाकर व्यवस्थित किया गया उनसे ही करवाया गया जिसका पारिश्रमिक भुगतान भी रूपेश टण्डन द्वारा लिया जाएगा यहां तक मानसिक परेशानी देने के उद्देश्य से उन्हें दिन और रात यही चौकीदारी कर सुरक्षा की बात कही गई जिसका निर्वहन भी चन्द्रशेखर ध्रुव,एवं मुरारी लाल साहू द्वारा किया गया  परन्तु रूपेश टंडन द्वारा कार्य करना है तो करो नही तो नौकरी छोड़ दो जैसे सीधे धमकी चमकी देकर कार्य छोड़ने का अधिकार डिप्टी को नही है उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संघ में भी रखी गई है क्योंकि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी होने के कारण तथा नियमितीकरण न होने के कारण ही इस प्रकार के शारीरिक मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना  हमारे जैसे सैकड़ों कर्मचारोयों को भुगतना पड़ता है