वविनि वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन का खुला काला चिट्ठा
अलताफ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) छग वन विकास निगम में भ्रष्ट वित्त प्रबंधक अधिकारी भोजराज जैन की संविदा नियुक्ति को लेकर जिस शिद्दत से समाचार सोशल और प्रिंट मीडिया में वायरल हुआ उससे वविनि की भ्रष्ट नीति और वित्त प्रबंधक भोजराज जैन जैसे भ्रष्टासुरों की रात की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया क्योंकि जिस तरह से उन्होंने वन विकास निगम में सेवाकाल में रहते जितने भी भ्रष्टाचार,गड़बड़ घोटाला और दस्तावेजों में कूट रचना करते हुए फर्जीवाड़ा कर धन अर्जित किया था वह अब शनैः शनैः उसकी परत दर परत पोल खुलती जा रही है क्योंकि ऐसे बहुत से फर्जीवाड़ा कर भ्रष्टाचार से धन अर्जित किया हुआ है कि इसका भान ऊपर बैठे डी.एम. अर्थात प्रबन्ध संचालक महोदय वन विकास निगम को भी नही लग पाई जिसकी वजह से संपूर्ण लेनदेन और भ्रष्टाचार को अंजाम वे अकेले देते रहे तथा बिल्ली के भाग्य में छींका फूटा वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए मलाई मारते रहे क्योंकि जिस प्रकार के समाचार अब छन कर सामने आ रहे है वह बड़े चौकाने वाले और झकझोरने वाले है अब इसमें पूर्व प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन साहब को वन विकास निगम अधिकारियों और कर्मचारियों से वित्त प्रबंधक भोजराज जैन द्वारा लेनदेन कर फर्जी तरीके से नियुक्ति के नाम पर बड़ी राशि लेने के मामले जो वर्तमान में चर्चा में रहे है इसका भान श्री गोवर्धन साहब को था या नही यह तो पता नही परन्तु वर्तमान डी एम पी.सी.पांडे साहब उनके उक्त कृत्य से बिल्कुल अनभिज्ञ है या जानबूझकर उन्हें मूक सहमति दे रहे है ऐसा ज्ञात होता है यही वजह है कि बारबार वित्त प्रबंधक श्री जैन के संदर्भ में समाचार प्रकाशन में आने के बावजूद उन्होंने इस बेहद चर्चित संविदा नियुक्ति को लेकर अब तक संज्ञान न लेकर उन पर एक तरह से अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखे हुए है इसके पीछे उनका क्या मंतव्य है यह वही जाने फिर भी उनके कृत्यों को उजागर करने के बावजूद......गैरों पे करम .. अपनो पे सितम...जैसे पंक्तियों को सार्थक करते हुए प्रतीत हो रहे है तथा उन पर कोई विभागीय कार्यवाही नही कर पाए जो प्रबंध संचालक की मूक सहमति का सूचक भी माना जा रहा है तथा भोजराज जैन की पदस्थी आज भी यथावत है बताते चलें कि वित्त प्रबंधक अधिकारी भोजराज जैन का सेवाकाल में किए गए काला चिट्ठा जन मानस के समक्ष आते ही उनके वर्तमान पर भी शनि की कुदृष्टि पड़ना प्रारंभ हो गया है क्योंकि ज्ञात हुआ है कि अपने पूर्व लेनदेन एवं फर्जीवाड़ा के ढर्रे पर चलते हुए उन्होंने बड़े सुनियोजित तरीके से अपनी संविदा नियुक्ति करवाकर पूर्व से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए ऑडिट तैयार करने का ठेका किसी अपने परिचित सी.ए. के हाथों में दिलवाया था यह कृत्य उन्होंने पूर्व एम डी. राजेश गोवर्धन साहब के कार्यकाल के समय ही तीन वर्षों के लिए ठेका वह भी प्रत्येक तीन माह में ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने का दिलवाया था जो अब तक निर्बाध गति से जारी है रायपुर के सी.ए. जो निजी स्तर के ऑडिटर है उनके माध्यम से वन विकास निगम परियोजना मंडल कार्यालयों से शासकीय दस्तावेजों के प्रति रायपुर स्थित सी.ए. कार्यालय में मंगवाकर उसका ऑडिट तैयार करते है इस दौरान स्वयं भोजराज जैन प्रतिदिन सी ए कार्यालय पहुंचकर दस्तावेजो में कमियां और खामियां ढूंढते है तथा संबंधित परियोजना मंडल के रेंजर सहित अन्य कर्मचारियों से बकायदा दो लाख रुपये की वसूली की जाती रही है इस प्रकार नौ परियोजना मंडल कार्यालयों से ही लगभग अट्ठारह लाख से ऊपर की अवैध राशि उगाही वित्त प्रबंधक भोजराज जैन के माध्यम से होती रही है यही नही दस्तावेजों एवं बिलों में तनिक कमोबेश होने पर यह राशि कई गुना और बढ़ जाती है बताया जाता है कि बकायदा रेंजरों एवं प्रभारियों से उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से शासकीय दस्तावेजों की फोटो भेज कर उनसे गड़बड़ी घोटाले एवं अनियमितता भ्रष्टाचार होने की बात कह कर संबंधित अधिकारी से एक बड़ी राशि की मांग की जाती है यह अवैध उगाही जैसा कृत्य वर्तमान में भी वविनि में संविदा नियुक्त वित्त प्रबंधक अधिकारी श्री जैन के माध्यम से अनवरत जारी है बताते चले कि शासकीय दस्तावेजों को किसी भी निजी हाथों में देना अवैधानिक है क्योंकि इससे संबधित विभाग की गोपनीयता तो भंग होती ही है साथ ही निजी हाथों में जाने से विभागीय दस्तावेजों का दुरुपयोग किए जाने का भय अलग रहता है जो सीधा सीधा लेखाधिकारी भोजराज जैन के द्वारा किया जा रहा है क्योंकि श्री जैन द्वारा शासकीय दस्तावेजों की फोटो संबंधित अधिकारियों को भेजकर उन्हें एम.डी. तक दस्तावेज पहुंचाने की बात कहकर पहले उनका भयादोहन किया जाता है पश्चात उनसे बड़ी रकम लेकर मामले को शांत करने की बात कहकर कंपरमाइज किया जाता है ऐसे एक नही बल्कि सैकड़ों पीड़ित अधिकारी कर्मचारी है जिनका आर्थिक शारीरिक और मानसिक शोषण वित्त प्रबंधक अधिकारी भोजराज जैन के माध्यम से किया जाना बताया गया है स्पष्ट करते चले कि किसी भी शासकीय विभाग को जब शासन द्वारा बजट जारी किया जाता है तब महालेखा विभाग द्वारा दिए गए राशि का वित्तीय वर्ष अनुसार ऑडिट प्रस्तुत कर प्रदत्त शासकीय राशि का ऑडिट रिपोर्ट लिया जाता है तथा पाई पाई का हिसाब लिया जाता है यदि दस्तावेजों में तनिक भी कमी अथवा अनियमितता पाए जाने पर संबंधित विभाग के अधिकारी,कर्मचारीयों के ऊपर शासकीय राशि से गड़बड़,घोटाला एवं भ्रष्टाचार के आरोप में गबन, का मामला पंजीबद्ध होता है तथा ऐसे शासकीय सेवकों को जेल की हवा भी खानी पड़ती है इसी तारत्म्य में लेखाधिकारी श्री जैन इसका भरपूर लाभ उठाते आए है उनके द्वारा मैदानी अथवा क्रय सामग्री जो कि विभागीय लेखा शाखा में अंकित होता है उसके बिल बाउचर सहित अन्य दस्तावेजों को मंगवाकर उनमें मीन मेख निकलवा कर अवैध रूप से राशि लेते रहे है तथा मैदानी अधिकारियों कर्मचारियों का भयादोहन कर उनसे बड़ी राशि झटकते रहे है यहां तक ज्ञात तो यह भी हुआ है कि परियोजना मंडल कार्यालयों में पदस्थ सहायक लेखाधिकारियों से भी ऑडिट के नाम पर बड़ी राशि मांगते है जिसकी वजह से ये भी काफी हलकान है इस संदर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि अधिकारी कर्मचारी अब लामबद्ध हो कर इसका विरोध करेंगे यदि भोजराज जैन व्यक्तिगत मोबाइल के माध्यम से दस्तावेजो की फोटो या उनके द्वारा ऐसे अवैध उगाही कृत्यों की पुनरावृत्ति की जाती है तो समस्त परियोजना मंडल कार्यालयों के कर्मचारी एकजुट होकर उसे समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक करेंगे तथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंजाम देने बाध्य होंगे क्योंकि किसी भी व्यक्ति के पाप का घड़ा जब भर जाता है तो ऐसे स्थिति में विरोधाभास के स्वर स्वतः मुखर होने लगते है जिसका साक्षात उदाहरण वर्तमान संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन है यही नही उनके सन्दर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि नर्सरी एवं मैदानी परियोजना मंडल में नियुक्ति दिलवाने के नाम पर श्री जैन ने वर्ष 2021 जनवरी फरवरी में दो कर्मचारियों से राशि ली थी तथा उनके नाम से नियुक्ति पत्र भी रिलीज करवा दिया था परन्तु पूर्व पदस्थ कर्मचारियीं द्वारा अधिक राशि लेकर उक्त नियुक्ति को स्वयं दबाकर रुकवा दिया जिसका परिणाम यह रहा कि राशि देने वाले दोनों कर्मचारी की नियुक्ति पत्र दबा कर पूर्ववत संलिप्त अधिकारी ही उक्त क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे है तथा ये दोनो कर्मचारी आज भी अपनी नियुक्ति की पारी का इंतज़ार कर रहे है उक्त प्रकरण से दोनों कर्मचारी इतने अधिक व्यथित है कि रात दिन वित्त प्रबन्धक श्री जैन को कोसते रहते है
ऐसे बहुत से प्रकरण है जिसमे वित्त प्रबन्धक श्री जैन द्वारा बड़ी राशि को लेकर दबा दिया गया और इसकी भनक ऊपर बैठे अधिकारीयो तक नही मिल सका जिसमे पैसे लेनदेन को लेकर हालिया सेक्स रॉकेट में पकड़ाए तथा महीनों सजा काट कर आए जागृत देवांगन के संदर्भ में भी कहा जा रहा है कि उनसे भी श्री जैन ने राशि लेकर उनके ऊपर होने वाली विभागीय कार्यवाही को रुकवाया है सेक्स रैकेट में संलिप्त जगृत देवांगन हालिया रिहा हुए क्षेत्र रक्षक पर किसी प्रकार की कोई विभागीय कार्यवाही न करते हुए बार परियोजना मंडल के डी. एम. की योग्यता पर सवाल उठना प्रारंभ हो गया है यही नही उनके द्वारा सेक्स रैकेट में संलिप्त कर्मचारी पर निलंबन जैसी कार्यवाही भी नही की तथा उसे पुनः नौकरी में रख लिया गया इस संदर्भ में यह भी ज्ञात हुआ है कि आचरण भ्रष्ट जागृत देवांगन की असमजिक कृत्य में संलिप्तता के बावजूद उसके नियुक्ति के पीछे भोजराज जैन का हाथ होना बताया जा रहा है वविनि कर्मचारियों के मध्य चर्चा आम हो रहा है कि जागृत देवांगन से भोजराज जैन द्वारा एक बड़ी राशि लेकर उस पर कोई विभागीय नियमानुसार कार्यवाही नही कर ऐसे आचरण भ्रष्ट कर्मचारी को और अधिक प्रोत्साहित किया गया है जबकि वन अधिनियम के नियमानुसार जैसे ही असामाजिक कृत्य अथवा सेक्स रैकेट में किसी भी कर्मचारी के संलिप्त होने की दशा में ऐसे कर्मचारी जे विरुद्ध तत्काल विभागीय कार्यवाही करते हुए निलंबित किया जाता है तथा आरोप सिद्ध होने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है परन्तु ऐसे कृत्यों में सम्मिलित जागृत देवागन पर न ही निलंबन की कार्यवाही हुई और न ही उस पर किसी प्रकार से विभागीय दंड दिया गया बल्कि तीन चार माह तक उक्त प्रकरण को दबाए अधिकारी मौन बैठे रहे परन्तु नव पदस्थ वर्तमान आई.एफ.एस. अधिकारी ने भी इस तारतम्य में कोई नियमानुसार कार्यवाही नही की जो उनके योग्यता पर सवाल खड़े करता है इससे ज्ञात होता है कि नव पदस्थ डी. एम.बारनवापारा भी अपने ऊपर बैठे अधिकारियों के हाथ की कठपुतली बन गए है जबकि वविनि के कर्मचारियों के मध्य सेक्स रैकेट के चर्चित उक्त प्रकरण के संदर्भ में परस्पर चर्चा एवं खबरों से यह बात भी छनकर सामने आई है कि जब सेक्स रैकेट छापामार कार्यवाही हो रही थी उस समय एक महिला होटल की छत से कूदकर भागने का प्रयास करते हुए अपना पैर तुड़वा चुकी थी उक्त कार्यवाही के समय स्वयं डी एम साहब भी मौके स्थल पर उपस्थित थे फिर क्या वजह है कि तत्काल जागृत देवांगन जैसे आचरण भ्रष्ट कर्मचारी के निलंबन में इतनी देरी हुई इस संदर्भ में बताते चले कि इसके पूर्व भी बार नवापारा कार्यालय में एक महिला कर्मचारी के सहयोगी कर्मचारी के साथ केवल बातचीत संबंधों को लेकर अफवाह उड़ाया गया था जिसे फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र में न्यूज़ फ्लैश होने मात्र से ही उसकी नियुक्ति अन्यंत्र कर दी गई थी जिसका प्रभाव यह हुआ कि तात्कालिक डी. एम.ने तुरंत एक्शन लेते हुए उक्त महिला कर्मचारी को अन्यंत्र शिफ्ट कर दिया जबकि बाद में यह भी ज्ञात हुआ कि पीड़ित महिला जो अनुकंपा नियुक्ति में बारनवापारा परियोजना मंडल में पदस्थ थी केवल पुरुष सहकर्मियों से हंस बोल लेती थी जिसका पुरुष प्रधान समाज ने गलत अर्थ निकाल कर उसके विरुद्ध साजिश करते हुए उसे बार नवापारा मंडल कार्यालय से हटवाया गया था जबकि यहां तो ऑन द स्पॉट जागृत देवांगन को पकड़ा गया आरोप भी सिद्ध है कि वह उक्त दुष्कृत्य में संलिप्त था फिर भी उसके विरुद्ध कोई विभागीय कार्यवाही न होना बड़े अचरज का विषय है जबकि जागृत देवांगन के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि वह बार नवापारा परियोजना मंडल कार्यालय में पदस्थ रहते हुए प्रतिदिन संध्या पश्चात शराबखोरी,जुआ इत्यादि की चौकड़ी बैठाता था



 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें